हाइलाइट्स Show सूतक और पातक दोनों में ही धार्मिक कार्य होते हैं वर्जित.घर पर किसी की मृत्यु के बाद 13 दिनों के लिए लगता है पातक.नवजात शिशु के जन्म के बाद परिवार के लोगों में लगता है सूतक.हिंदू सनातन धर्म से जुड़ी परंपराओं में जीवन जीने के कई सिद्धांतों और नियमों के बारे में बताया गया है. इन्हीं में एक है घर में किसी की मृत्यु हो जाने और घर में किसी नवजात के जन्म होने से जुड़े नियम. जन्म और मृत्यु के दौरान सूतक और पातक जैसे नियमों का पालन किया जाता है. दरअसल, शास्त्रों में किसी परिजन की मृत्यु हो जाने पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए पूरे 13 दिनों तक पातक होता है. ठीक इसी प्रकार घर में किसी नवजात के जन्म होने पर सूतक होता है. हालांकि, अलग-अलग जगह इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं जन्म और मृत्यु से जुड़े सूतक और पातक के नियमों के बारे में. ये भी पढ़ें:जानें कौन हैं सृष्टि को रचने वाले ब्रह्म देव? कैसे हुई थी इनकी उत्पत्ति? क्या है सूतक? पातक क्या है? ये भी पढ़ें:बैठकर या खड़े होकर कैसे करनी चाहिए पूजा, जानें क्या है पूजा करने की सही विधि सूतक और पातक में अंतर ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Hinduism, Religion FIRST PUBLISHED : November 22, 2022, 03:45 IST Updated: | Fri, 27 Jul 2018 03:46 PM (IST) उज्जैन । शास्त्रों में इंसान की जीवन को नियमों के सूत्रों में पिरोया गया है। विज्ञान के साथ शास्त्र का संयोग कर जिंदगी को चुस्त-दुरुस्त और सहज और सरल बनाने की कवायद की गई है ऐसे ही दो शास्त्रोक्त विधान है सूतक और पातक। जब किसी घर में किसी बच्चे का जन्म होता है या परिवार के किसी मृत्यु होती है तो इन दोनों बातों का पालन किया जाता है। बच्चे के जन्म के समय लगता है सूतक - जब किसी परिवार में बच्चे का जन्म होता है तो उस परिवार में सूतक लग जाता है । सूतक की यह अवधि दस दिनों की होती है । इन दस दिनों में घर के परिवार के सदस्य धार्मिक गतिविधियां में भाग नहीं ले सकते हैं। साथ ही बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री के लिए रसोईघर में जाना और दूसरे काम करने का भी निषेध रहता है। जब तक की घर में हवन न हो जाए। शास्त्रों के अनुसार सूतक की अवधि विभिन्न वर्णो के लिए अलग-अलग बताई गई है। ब्राह्मणों के लिए सूतक का समय 10 दिन का, वैश्य के लिए 20 दिन का, क्षत्रिय के लिए 15 दिन का और शूद्र के लिए यह अवधि 30 दिनों की होती है। मृत्यु के पश्चात लगता है पातक – जिस तरह घर में बच्चे के जन्म के बाद सूतक लगता है उसी तरह गरुड़ पुराण के अनुसार परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर लगने वाले सूतक को ' पातक ' कहते हैं। इसमें परिवार के सदस्यों को उन सभी नियमों का पालन करना होता हैं , जो सूतक के समय पालने होते हैं। पातक में विद्वान ब्राह्मण को बुलाकर गरुड़ पुराण का वाचन करवाया जाता है। सूतक और पातक हैं शास्त्रोक्त के साथ वैज्ञानिक विधान - 'सूतक' और 'पातक' सिर्फ धार्मिक कर्मंकांड नहीं है। इन दोनों के वैज्ञानिक तथ्य भी हैं। जब परिवार में बच्चे का जन्म होता है या किसी सदस्य की मृत्यु होती है उस अवस्था में संक्रमण फैलने की संभावना काफी ज्यादा होती है। ऐसे में अस्पताल या शमशान या घर में नए सदस्य के आगमन, किसी सदस्य की अंतिम विदाई के बाद घर में संक्रमण का खतरा मंडराने लगता है। इसलिए यह दोनों प्रक्रिया बीमारियों से बचने के उपाय है, जिसमें घर और शरीर की शुद्धी की जाती है। जब 'सूतक' और 'पातक' की अवधि समाप्त हो जाती है तो घर में हवन कर वातावरण को शुद्ध किया जाता है। उसके बाद परम पिता परमेश्वर से नई शुरूआत के लिए प्रार्थना की जाती है। ग्रहण और सूतक के पहले यदि खाना तैयार कर लिया गया है तो खाने-पीने की सामग्री में तुलसी के पत्ते डालकर खाद्य सामग्री को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। ग्रहण के दौरान मंदिरों के पट बंद रखे जाते हैं। देव प्रतिमाओं को भी ढंककर रखा जाता है।ग्रहण के दौरान पूजन या स्पर्श का निषेध है। केवल मंत्र जाप का विधान है। ग्रहण के दौरान यज्ञ कर्म सहित सभी तरह के अग्निकर्म करने की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि इससे अग्निदेव रुष्ट हो जाते हैं। ग्रहण काल और उससे पहले सूतक के दौरान गर्भवती स्त्रियों को कई तरह के काम नहीं करने चाहिए। साथ ही सिलाई, बुनाई का काम भी नहीं करना चाहिए। Posted By:
किसी की मृत्यु हो जाने पर कितने दिनों का सूतक होता है?सवा माह तक कोई किसी के घर नहीं जाता है। सवा माह अर्थात 37 से 40 दिन। 40 दिन में नक्षत्र का एक काल पूर्ण हो जाता है। घर में कोई सूतक (बच्चा जन्म हो) या पातक (कोई मर जाय) हो जाय 40 तक का सूतक या पातक लग जाता है।
बच्चा होने पर कितने दिन का सूतक होता है?किसी के जन्म होने पर परिवार के लोगों पर १० दिन के लिए सूतक लग जाता है। इस दौरान परिवार का कोई भी सदस्य धार्मिक कार्य नहीं करता है। जैसे मंदिर नहीं जाना, पूजा-पाठ नहीं करना। इसके अलावा बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री का रसोईघर में जाना या घर का कोई काम करना वर्जित होता है।
सूतक में कितने दिन पूजा नहीं करनी चाहिए?जिस तरह शिशु के जन्म के पश्चात घरवालों को सूतक लगता है, उसी तरह घर पर किसी परिजन की मृत्यु हो जाने पर पूरे 13 दिनों तक पातक होता है. इस अवधि में धर्म-कर्म जैसे कार्य करना वर्जित होता है.
सूतक कितनी पीढ़ी तक रहता है?मित्रों, कुटुम्बी जन अर्थात ३ पीढ़ी तक के बंधुओं को मृत्यु एवं प्रसूति का सूतक कमश: १२ दिन एवं १० दिन ही लगता है । चौथी से दशवी पीढ़ी तक यह सूतक १-१ दिन कम होता जाता है और दशवीं पीढ़ी का सूतक मात्र स्नान से ही निवृत्त हो जाता है ।
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