सतयुग में इंसान की उम्र क्या थी? - satayug mein insaan kee umr kya thee?

युगों के बारे में हम बचपन से अपने बड़े बुजुर्गों से तमाम बातें सुनते आए हैं. शास्त्रों में चारों युगों की अलग अलग आयु और विशेषताएं बताई गई हैं. जानिए इसके बारे में.

सतयुग में इंसान की उम्र क्या थी? - satayug mein insaan kee umr kya thee?

जानिए तमाम युगों की आयु और विशेषताएं...

हिंदू शास्त्रों में सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग यानी चार युगों की बात कही गई है. हम सब भी बचपन से अपने बड़े बुजुर्गों से हर युग की तमाम कहानियां सुनते आए हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि किस युग की कितनी आयु थी और व्यक्ति का कैसा जीवन था ? नहीं तो आइए आपको बताते हैं.

सतयुग

शास्त्रों में सबसे पहला और बड़ा युग सतयुग माना गया है. ये 17,28,000 वर्ष तक रहा है. इसमें मनुष्य की आयु करीब 1,00,000 वर्ष के आसपास बताई गई है. उसकी लंबाई 32 फीट होती थी. इस युग में भगवान ने मत्स्य, कूर्म, वाराह और नरसिंह के रूप में अवतार लिया. इस युग की मुद्रा रत्नमय और पात्र स्वर्ण के थे.

त्रेतायुग

सतयुग के बाद दूसरा बड़ा युग त्रेतायुग था. इसकी आयु करीब 12,96,000 वर्ष की बताई गई है. इस युग में मनुष्य की आयु लगभग 10,000 वर्ष होती थी. मनुष्य की लम्बाई 21 फीट होती थी. इस युग में भगवान राम ने रावण का वध किया था. राम के अलावा वामन अवतार, परशुराम के भी अवतार हुए हैं. इस युग की मुद्रा स्वर्ण और पात्र चांदी के थे.

द्वापरयुग

तीसरे नंबर पर है द्वापरयुग. इसकी आयु करीब 8,64,000 वर्ष थी और इसमें मनुष्य लगभग 1000 वर्ष तक की आयु तक जीवित रहे हैं. इस युग में मनुष्य की लंबाई 11 फीट हुआ करती थी. कंस के संहार के लिए भगवान कृष्ण का अवतार द्वापर में ही हुआ था. इस युग की मुद्रा चांदी और पात्र तांबे के थे.

कलयुग

शास्त्रों में इसे सबसे आखिरी और छोटा युग बताया गया है. इसकी कुल आयु करीब 4,32,000 वर्ष की है. मनुष्य की अधिकतम आयु 100 वर्ष के आसपास है और लंबाई 5 से 6 फीट तक है. माना जाता है कि इस युग में भगवान कल्कि के रूप में एक ब्राह्मण परिवार में अवतरित होंगे. इस युग की मुद्रा लोहा और पात्र मिट्टी के बताए गए हैं.

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हमने और आपने बचपन से अलग-अलग युगों के बारे में सुना है और हम इन युग-पुराणों की बातों पर विश्वास भी करते है क्योंकि इन सब बातों को आस्था से जोड़ कर देखा जाता है. ऐसा माना जाता है और शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि समय चक्र के 4 युग हुए है, जो इस प्रकार है – पहला सतयुग, दूसरा त्रेतायुग, तीसरा द्वापरयुग और चौथा कलयुग जो की वर्तमान काल कहलाता है.आज हम आपको बताने जा रहे है इंसान की जीवन काल में हुए उन महत्वपूर्ण परिवर्तनों के बारे जिनके पीछे युगों का बदलना ही अहम कारण माना जाता है. सबसे पहले आपको बता दे “युग” का अर्थ होता है एक नियमित समय अवधि, जिसमे वर्षों की संख्या निर्धारित होती है.

सतयुग में इंसान की उम्र क्या थी? - satayug mein insaan kee umr kya thee?

ऐसा माना जाता रहा है की कलयुग से पहले हुए युगों में मनुष्य की आयु और लम्बाई ज्यादा होती थी और हर आने वाले नए युग में पिछले युग से तुलना करने पर इंसान की उम्र और लम्बाई लगातार कम होती जा रही है. माना जा रहा है की “कलयुग” जिस युग में हम जी रहे है इस युग के अंतिम चरण तक पहुँचते-पहुँचते मनुष्य की उम्र की अवधि मात्र 12 वर्ष रह जाएगी और लम्बाई केवल 4 इंच. जानकारों और पुराणों के मुताबिक कहा जा सकता है की इन चारों युगों की शुरुआत सतयुग से हुई थी. जिसे पहला युग कहा जाता है और इसी आधार पर कलयुग अंतिम युग है.

सतयुग–

सतयुग में इंसान की उम्र क्या थी? - satayug mein insaan kee umr kya thee?

वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया रविवार को इस युग की उत्पत्ति हुई थी. इसका परिमाण 17,28,000 वर्ष तक रहा. इस युग में भगवान के मत्स्य, कूर्म, वराह और नृसिंह ये चार अवतार हुए थे. इस काल में स्वर्णमय व्यवहारपात्रों की प्रचुरता थी. मनुष्य अत्यंत दीर्घाकृति एवं अतिदीर्घ आयुवाले होते थे. इस युग का प्रधान तीर्थ कुरुक्षेत्र था.
इस युग में मनुष्य की आयु – 1,00,000 वर्ष होती है.
मनुष्य की लम्बाई – 32 फिट (लगभग 21 हाथ)
इस युग में पाप की मात्र – 0 विश्वा अर्थात् (0%) होती है.
इस युग में पुण्य की मात्रा – 20 विश्वा अर्थात् (100%) होती है.
इस युग के अवतार – मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह (सभी अमानवीय अवतार हुए) है.
अवतार होने का कारण – शंखासुर का वध एंव वेदों का उद्धार, पृथ्वी का भार हरण, हरिण्याक्ष दैत्य का वध, हिरण्यकश्यपु का वध एवं प्रह्लाद को सुख देने के लिए.
इस युग की मुद्रा – रत्नमय है.
इस युग के पात्र – स्वर्ण के है.

त्रेता युग

सतयुग में इंसान की उम्र क्या थी? - satayug mein insaan kee umr kya thee?

त्रेता युग मानवकाल के द्वितीय युग को कहते हैं. इस युग में विष्णु के पाँचवे, छठे तथा सातवें अवतार प्रकट हुए थे. यह अवतार वामन, परशुराम और श्री राम थे. यह मान्यता है कि इस युग में ॠषभ रूपी धर्म तीन पैरों में खड़े हुए थे. इससे पहले सतयुग में वह चारों पैरों में खड़े थे. इसके बाद द्वापर युग में वह दो पैरों में और आज के अनैतिक युग में, जिसे कलियुग कहते हैं, सिर्फ़ एक पैर पर ही खड़े रहे. यह काल राम के शरीर त्याग से समाप्त होता है. इस युग की पूर्ण आयु अर्थात् कालावधि – 12,96,000 वर्ष होती है ।
इस युग में मनुष्य की आयु – 10,000 वर्ष होती है. मनुष्य की लम्बाई – 21 फिट (लगभग 14 हाथ)
त्रेतायुग का तीर्थ – नैमिषारण्य है.
इस युग में पाप की मात्रा – 5 विश्वा अर्थात् (25%) होती है.
इस युग में पुण्य की मात्रा – 15 विश्वा अर्थात् (75%) होती है.
इस युग के अवतार – वामन, परशुराम और राम (राजा दशरथ के घर)
अवतार होने के कारण – बलि का उद्धार कर पाताल भेजा, मदान्ध क्षत्रियों का संहार, रावण-वध एवं देवों को बन्धनमुक्त करने के लिए.
इस युग की मुद्रा – स्वर्ण है.
इस युग के बर्तन– चाँदी के है.

द्वापर युग

सतयुग में इंसान की उम्र क्या थी? - satayug mein insaan kee umr kya thee?

द्वापर युग मानवकाल के तृतीय युग को कहते हैं. इस काल का अंत कृष्ण के शरीर त्याग से समाप्त होता है.
इस युग की पूर्ण आयु अर्थात् कालावधि – 8.64,000 वर्ष होती है.
इस युग में मनुष्य की आयु – 1,000 होती है.
मनुष्य की लम्बाई – 11 फिट (लगभग) [ 7 हाथ ]
द्वापरयुग का तीर्थ – कुरुक्षेत्र है.
इस युग में पाप की मात्रा – 10 विश्वा अर्थात् (50%) होती है.
इस युग में पुण्य की मात्रा – 10 विश्वा अर्थात् (50%) होती है.
इस युग के अवतार – कृष्ण, (देवकी के गर्भ से एंव नंद के घर पालन-पोषण), बुद्ध (राजा के घर)।
अवतार होने के कारण – कंसादि दुष्टो का संहार एंव गोपों की भलाई, दैत्यो को मोहित करने के लिए ।
इस युग की मुद्रा – चाँदी है.
इस युग के पात्र – ताम्र के हैं.

कलियुग

सतयुग में इंसान की उम्र क्या थी? - satayug mein insaan kee umr kya thee?

कलियुग का आरम्भ कृष्ण के इस युद्ध के ३५ वर्ष पश्चात निधन पर हुआ. Encyclopedia of Hinduism के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के इस पृथ्वी से प्रस्थान के तुंरत बाद 3102 ईसा पूर्व से कलि युग आरम्भ हो गया. इस युग की पूर्ण आयु अर्थात् कालावधि – 4,32,000 वर्ष है.
इस युग में मनुष्य की आयु – 100 वर्ष होती है.
मनुष्य की लम्बाई – 5.5 फिट (लगभग 3.5 यानी साढ़े तीन हाथ)
कलियुग का तीर्थ – गंगा है.
इस युग में पाप की मात्रा – 15 विश्वा अर्थात् (75%) होती है.
इस युग में पुण्य की मात्रा – 5 विश्वा अर्थात् (25%) होती है.
इस युग के अवतार – कल्कि (ब्राह्मण विष्णु यश के घर).
अवतार होने के कारण – मनुष्य जाति के उद्धार अधर्मियों का विनाश एंव धर्म कि रक्षा के लिए.
इस युग की मुद्रा – लोहा है.
इस युग के पात्र – मिट्टी और प्लास्टिक के है.

जानकारों के अनुसार सतयुग को स्वर्ण युग कहा गया है और उसके बाद मनुष्य पतन की तरफ बढ़ता चला आया है। ये भी कहा गया है की कलयुग के अंत होने पर इस धरती पर भी जीवन समाप्त हो जायेगा लेकिन इस तर्क में अभी काफी मतभेद है.

सतयुग में लोगों की आयु कितनी थी?

सतयुग शास्त्रों में सबसे पहला और बड़ा युग सतयुग माना गया है. ये 17,28,000 वर्ष तक रहा है. इसमें मनुष्य की आयु करीब 1,00,000 वर्ष के आसपास बताई गई है.

द्वापर युग में इंसान की उम्र कितनी थी?

द्वापरयुग:- यह युग 864 000 वर्षों का था, जिसमे एक पत्‍येक व्यक्ति 1000 साल तक जी सकता था, ऐसा माना जाता है जैसे- जैसे धरती पर पाप बढ़ेगा वैसे-वैसे इंसान की जीने की उम्र और उसकी इच्छा की पूर्ती कम होने लगेगी।

सतयुग में मनुष्य की लंबाई कितनी होती थी?

बताया गया है कि सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फिट (लगभग) थी, त्रेतायुग में ये घटकर 21 फिट (लगभग) रह गई, द्वापरयुग में मनुष्य की लंबाई 11 फिट (लगभग) थी, वहीं कलियुग में मनुष्य में लंबाई घटकर 5.5 फिट रह गई।

1 युग कितने वर्ष का होता है?

वृहद पाराशर ज्योतिष संहिता अनुसार कृत, त्रेता, द्वापर और कलि ये चार युग माने गये हैं। युगों की काल गणना इस प्रकार है कि कृत युग में 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेता युग में 12 लाख 96000 वर्ष तीन हजार, द्वापर में 8 लाख 64 हजार और कलियुग में 4 लाख 32 हजार मनुष्य वर्ष होतेहैं।