शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है यह कथन किसका है? - shiksha ek saamaajik prakriya hai yah kathan kisaka hai?

विषयसूची

  • 1 शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है कैसे?
  • 2 शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है कैसे?
  • 3 शिक्षा के द्वारा व्यक्तिगत और सामाजिक विकास कैसे होता है?
  • 4 शिक्षा से आप क्या समझते हैं एक सामाजिक संस्था के रूप में शिक्षा की भूमिका को समझाइए?
  • 5 शिक्षा को एक सामाजिक संस्था क्यों कहा जाता है?
  • 6 शिक्षा कौन सी प्रक्रिया है?
  • 7 शिक्षा समाज को कैसे प्रभावित करती है?
  • 8 समाज में शिक्षा की क्या भूमिका है?
  • 9 क्या शिक्षा और समाज एक दूसरे को प्रभावित करते हैं?

शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है कैसे?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली वह सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान, एवं कला – कौशल में वृद्धि तथा व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। इसके द्वारा व्यक्ति एवं समाज दोनों निरन्तर विकास करते है।

शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है कैसे?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा त्रिमुखी प्रक्रिया है जान ड्यूवी के अनुसार, “शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है जिसमे अध्यापक – छात्र के साथ – साथ पाठ्यक्रम भी शामिल किया जाता है क्योकि पाठ्यक्रम के अभाव मे शिक्षण कार्य पूर्ण नहीं हो सकता है।”

शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है यह कथन किसका है?

इसे सुनेंरोकेंजान ड्यूवी – “शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है जिसमे अध्यापक – छात्र के साथ – साथ पाठ्यक्रम भी शामिल किया जाता है क्योकि पाठ्यक्रम के अभाव मे शिक्षण कार्य पूर्ण नहीं हो सकता है।” एडम्स – “शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। जिसमे एक शिक्षक और दूसरा छात्र होता है।”

सामाजिक शिक्षा से क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसामाजिक शिक्षा ( सामाजिक शिक्षाशास्त्र ) वह सीख है जो व्यक्तिगत या समूह सीखने की तुलना में व्यापक पैमाने पर होती है , सामाजिक स्तर तक, साथियों के बीच सामाजिक संपर्क के माध्यम से। यह व्यवहार और व्यवहार में बदलाव ला सकता है या नहीं भी कर सकता है।

शिक्षा के द्वारा व्यक्तिगत और सामाजिक विकास कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंअतः शिक्षा के वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य एक-दूसरे के विरोधी नहीं वरन् एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों ही उद्देश्यों में समन्वय की आवश्यकता है। रॉस का कथन है कि “वैयक्तिकता का विकास केवल सामाजिक वातावरण में होता है, जहाँ सामान्य रुचियों और सामान्य क्रियाओं से उसका पोषण होता है। “

शिक्षा से आप क्या समझते हैं एक सामाजिक संस्था के रूप में शिक्षा की भूमिका को समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा, समाज एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती है।

शिक्षा समाज के विकास प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है कैसे अपने विचार व्यक्त करें?

इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार कार्य शिक्षा, शिक्षा का अभिन्न अंग है। यह विद्यार्थियों में ज्ञान तथा कौशल दोनों के विकास पर केन्द्रित है। यह उन्हें कार्य के संसार में प्रवेश हेतु तैयार करती है। कार्य शिक्षा विद्यार्थियों को सामाजिक तथा आर्थिक गतिविधियों (कक्षा के भीतर तथा बाहर) में भाग लेने के अवसर प्रदान करती है।

शिक्षा में व्यक्तित्व का क्या महत्त्व है?

इसे सुनेंरोकेंव्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास शिक्षा से ही होता है। शिक्षा से ज्ञान मिलता है और ज्ञान से ही सर्वांगीण विकास सम्भव है। अभिभावकों को शिक्षा का महत्व समझते हुए बच्चों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

शिक्षा को एक सामाजिक संस्था क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा और समाज में गहरा संबंध है। एक ओर शिक्षा, परम्परा की धरोहर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाती है और इस तरह संस्कृति की निरंतरता बनाए रखने में सहायक होती है, दूसरी ओर पारिस्थितिकी परिवर्तन उसे अनुकूलन का साधन बनने की प्रेरणा देते हैं। अपने इस पक्ष में शिक्षा, परिवर्तन का माध्यम बनती है।

शिक्षा कौन सी प्रक्रिया है?

इसे सुनेंरोकेंसंक्षेप में, शिक्षा वातावरण सम्बन्धी सविचार प्रक्रिया है जिसके द्वारा मानव का विकास तथा समाज का कल्याण होना चाहिये। Remont ने भी शिक्षा को विकास की सचेतन तथा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया माना है जिसके द्वारा मनुष्य अध्यात्मिक, भौतिक तथा सामाजिक आदि सभी प्रकार के विभिन्न वातावरणों से समायोजन प्राप्त करना सीख जाये।

सीखने सिखाने की प्रक्रिया में समाज की क्या भूमिका होती है?

इसे सुनेंरोकेंघर में, समाज में उसे किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए, यह सब उसे घर-परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों-परिचितों के आचरण और उनके बताने से सीखने को मिलता है। इस प्रकार समाज में वह अपनी भूमिका निभाने लायक बनता है। सीखने की यह प्रक्रिया समाज विज्ञान में और मनोविज्ञान में समाजीकरण कहलाती है।

शिक्षा की प्रक्रिया क्या है?

शिक्षा समाज को कैसे प्रभावित करती है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा व सामाजिक सुधार एवं प्रगति-शिक्षा समाज के व्यक्तियों को इस योग्य बनाती है कि वह समाज में व्याप्त समस्याओं, कुरीतियों ग़लत परम्पराओं के प्रति सचेत होकर उसकी आलोचना करते है और धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन हेाता जाता है। शिक्षा समाज के प्रति लेागों को जागरूक बनाते हुये उसमें प्रगति का आधार बनाती है।

समाज में शिक्षा की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा मनुष्य के अंदर अच्छे विचारों को भरती है और अंदर में प्रविष्ठ बुरे विचारों को निकाल बाहर करती है। शिक्षा मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। यह मनुष्य को समाज में प्रतिष्ठित करने का कार्य करती है। इससे मनुष्य के अंदर मनुष्यता आती है।

पाठ्यक्रम निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंअध्यापक पाठ्यचर्या के माध्यम से छात्रों के मानसिक, शारीरिक, नैतिक, सांस्कृतिक, संवेगात्मक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक विकास के लिए प्रयास करता है। पाठ्यचर्या द्वारा छात्र को जीवन जीने की शिक्षा प्राप्त होती है। इससे अध्यापकों को दिशा-निर्देश प्राप्त होते हैं। छात्रों के लिए लक्ष्य निर्धारित होने से उनमे एकाग्रता आती है ।

शिक्षा कितने प्रकार के होते हैं?

शिक्षा के प्रकार

  • औपचारिक शिक्षा वह शिक्षा जो विद्यालयों, महाद्यालयों और विश्वविद्यालयों में चलती हैं, औपचारिक शिक्षा कही जाती है।
  • निरौपचारिक शिक्षा
  • अनौपचारिक शिक्षा (Informal Education)
  • स्मृति स्तर
  • बोध स्तर पर शिक्षण
  • चिन्तन स्तर पर शिक्षण

क्या शिक्षा और समाज एक दूसरे को प्रभावित करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा और समाज दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। शिक्षा के बिना समाज अधूरा है , और समाज के बिना शिक्षा। मानव सामाजिक प्राणी है वह समाज में रहता है और अपने क्रियाकलापों का निर्वाह करता है। समाज में धार्मिक , सांस्कृतिक , राजनैतिक , आर्थिक रूप से मानव का संबंध स्थापित होता है।

शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है यह कथन किसका है?

प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री ऐडम्स ने अपनी पुस्तक evolution of educational theory में शिक्षा को द्विमुखी प्रक्रिया मानते हुए कहा है कि शिक्षा एक द्विध्रुवी प्रक्रिया है। जिसमें एक व्यक्तित्व दूसरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। जिससे उसके व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है।

शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है कैसे?

शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली वह सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान, एवं कला - कौशल में वृद्धि तथा व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। इसके द्वारा व्यक्ति एवं समाज दोनों निरन्तर विकास करते है।

शैक्षिक समाजशास्त्र के जनक कौन है?

जार्ज पेनी (E. George Payne) को शैक्षिक समाजशास्त्र का पिता कहा जाता है।

शिक्षा की प्रक्रिया क्या है?

यह प्रक्रिया सचेतन ही नहीं है बल्कि उद्देश पूर्ण अथवा विचारपूर्ण भी है जिसमें शिक्षक का एक स्पष्ट प्रयोजन होता है और वह उसी के अनुसार बालक के व्यवहार में परिवर्तन करता है।" शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्तित्व दूसरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है जिससे उसके व्यवहार में परिवर्तन न हो जाए।”