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भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता पर एक निबन्ध लिखिए।भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता – समाज में व्याप्त असमानता को दूर करने के लिए सरकार के द्वारा अनेक कल्याण योजनाओं को प्रारम्भ किया गया। देश के केन्द्रीय व राज्य सरकारों के कार्यालयों तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में अनेक स्थानों को विकलांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित किया गया तथा विकलांगों को 3% आरक्षण दिया गया तथा इनके लिए कुछ विशेष रोजगार कार्यालय खोलकर इन्हें रोजगार दिलाने में सहायता प्रदान की गयी। सरकार के द्वारा मानव संसाधन विकास योजना में इस बात का प्रयास किया गया कि इस प्रकार के व्यक्तियों को भी समाज के लिए उपयोगी बनाया जा सके। अनेक स्वयं सेवी संस्थाओं तथा संगठनों ने भी इस कार्य के लिए अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस प्रकार के व्यक्तियों के लिए अनेक व्यावसायिक केन्द्र व विद्यालय इन संगठनों के द्वारा चलाये जा रहे हैं। चौथी तथा पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में विकलांगों की सहायतार्थ अनेक योजनाओं व कार्यक्रमों का प्रारम्भ किया गया तथा राष्ट्रीय स्तर की अनेक संस्थाएँ खोली गयीं। राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान, देहरादून, राष्ट्रीय अस्थि विकलांग संस्थान, कोलकाता। अलीयावर जंग राष्टीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुम्बई व राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान, हैदराबाद आदि संस्थाएँ इस दृष्टि से उल्लेखनीय हैं। अपंग व्यक्तियों के लिए कृत्रिम अंग बनाने के निगम की स्थापना भी भारत सरकार के द्वारा पहले ही की जा चुकी है। विकलांग छात्रों को आठवीं कक्षा तक राज्य सरकार से तथा नवीं कक्षा से आगे केन्द्रीय सरकार के द्वारा छात्रवृत्ति प्राप्त होती है। 1975-76 में एकीकृत बाल कार्यक्रम को प्रारम्भ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण, आदिवासी व शहरी क्षेत्रों में कमजोर वर्गों के बच्चों व गर्भवती महिलाओं के लिए अनेक सेवाएँ प्रदान करना था। इस कार्यक्रम में पूरक भोजन को भी स्थान दिया गया था। कमजोर वर्ग के बालकों को स्वास्थ्य सम्बन्धी सुरक्षा प्रदान करने में प्रयास किये जा रहे हैं। बालकों के लिए अनौपचारिक विद्यालय पूर्ण शिक्षा व अशिक्षित माताओं के लिए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों का विकास भी इन कार्यक्रम का अंग है। महिलाओं की दशा को भी पुरुषों के समान भागीदार बनाने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं। एकीकृत बाल विकास सेवा तथा प्रौढ़ शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को शिक्षित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए भी अनेक कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के प्रमुख कारण एवं स्रोत क्या हैं?शैक्षिक अवसरों की असमानता के कारण – भारत लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के साथ-साथ अनेकों विभिन्नताओं वाला देश है। भारत की आन्तरिक विभिन्नताओं का एक दुष्परिणाम सभी को शिक्षा के समान अवसरों का न मिल पाना है। अर्थात् शैक्षिक अवसरों की असमानता है। भारत में जहाँ एक ओर विद्यालयों की उपलब्धता को लेकर असमानता है तो वहीं दूसरी ओर विभिन्न स्तरों के विद्यालयों के कारण भी शैक्षिक अवसरों की असमानता पाई जाती है। भारत में विद्यार्थियों की शिक्षा, जाति, लिंग, धर्म, क्षेत्र, आर्थिक कारणों से प्रभावित होती रही है। भारत की सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था पर असमानता का असर विद्यमान है। भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के प्रमुख कारण एवं स्रोत निम्नलिखित हैं- 1. भौगोलिक कारण से कुछ क्षेत्रों में विद्यालय तक पहुँचना सम्भव नहीं है। समाज के विभिन्न वर्गों में शैक्षिक असमानता को दूर करने के उपायसमाज के विभिन्न वर्गों में शैक्षिक असमानता को निम्न उपायों से दूर किया जा सकता है – 1. अन्तर्सास्कृतिक व अन्तर्मूलजातीय शिक्षा को अतवर्गीय शिक्षा के नाम से जानना चाहिए। इस शिक्षा के अन्तर्गत जातीय, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व राजनीतिक सभी प्रकार के अवरोधों को दूर करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए। 2. अन्तर्वर्गीय शिक्षा का प्रारम्भ प्राथमिक कक्षाओं से ही प्रारम्भ किया जाना चाहिए जिससे बालकों में प्रारम्भ से ही विभिन्न तत्त्वों के बारे में ज्ञान प्राप्त हो सके। 3. जो शिक्षक अन्तर्वर्ग शिक्षा से जुड़े हुए हों उन्हें ही यह काम सौंपा जाना चाहिए तथा जो शिक्षक इस शिक्षा को प्रदान करने के इच्छुक न हों उन्हें इससे अलग करना चाहिए। 4. तनाव उत्पन्न करने वाले तथ्यों व तत्त्वों का अध्ययन निकटवर्ती वर्गों के द्वारा किया जाये। 5. इस वर्ग के विद्यार्थियों की मानसिकता का अध्ययन करके यह जानने का प्रयत्न करना चाहिए कि उन्हें कौन-कौन-सी बातें सीखनी आवश्यक हैं। 6. अन्तर्वर्ग के प्रति मानसिकता व मनोवृत्तियों को बदलने के लिए आवश्यक परिस्थितियों तथा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाये। इनमें चल चित्र, रेडियो, नाटक, टी. वी., यात्राएँ, वाद-विवाद कार्यक्रम, समारोह आदि कार्यक्रमों को रखा जाये। 7. इन कार्यक्रमों से हुए परिवर्तनों को जानने लिए अभिक्षेप पद्धति, प्रत्यक्ष निरीक्षण आदि विधियों को प्रयोग में लाना चाहिए। 8. इस वर्ग के शिक्षा कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने के लिए उसे स्थानीय वर्ग की शिक्षा के कार्यक्रम के साथ मिला देना चाहिए। समाज का ये प्रमुख कर्त्तव्य है कि वह समाज में उन परिवर्तनों को स्वीकार करने में तैयार व इच्छुक रहें जो इस वर्ग के छात्रों में सुधार करके समाज में आयेंगे।
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DisclaimerDisclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorशिक्षा में असमानता के क्या कारण है?भारत में लिंग असमानता के फलस्वरूप शिक्षा में असमान अवसर हैं, और जबकि इससे दोनों लिंगों के बच्चों पर प्रभाव पड़ता है, आंकड़ों के आधार पर बालिकाओं के मामले में सर्वाधिक अलाभकारी स्थिति है। बालकों के तुलना में बालिकाएं अधिक संख्या में स्कूल से निकल जाती हैं ।
भारत में शैक्षिक असमानता के क्या कारण है?(1) निर्धनता – धन का अभाव होने की वजह से कार्यक्रमों का सुचारु रूप से न चलना। (2) वातावरण – बालकों के परिवारों में भिन्न जीवन स्तर होता है। लड़कियों से भेदभाव की स्थिति, नगरीय व ग्रामीण वातावरण शिक्षा में असमानता के कारक बनते हैं। (3) सामाजिक स्तरीकरण– भारतीय समाज बेहद स्तरीकृत है।
शैक्षिक अवसर की समानता की समस्याएं क्या हैं?एक धनवान व्यक्ति के बच्चे पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं तो निर्धन व्यक्ति के बच्चें साधारण विद्यालय में भी नही जा पाते हैं जिन स्थानों पर प्राथमिक माध्यमिक व उच्च शैक्षिक संस्थाएँ नहीं हैं, वहाॅ बच्चों को वैसा शिक्षा का अवसर नहीं मिल 3 Page 4 पाता जैसा उन बच्चों को मिलता है जहाॅ यह संस्थायें होती हैं इस प्रकार शिक्षा के ...
असमानता का मुख्य कारण क्या है?The Railway Recruitment Board has released RRB Group D Phase 5 Admit Card. The exam will be conducted on 6th and 11th October 2022 only for the RRC South Western Railway. Currently, the Phase 4 is running and this will continue till 7th October 2022.
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