शत्रु से मीठी मीठी बातें करके उसे मिलाने की नीति का पर्यायवाची - shatru se meethee meethee baaten karake use milaane kee neeti ka paryaayavaachee

हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह वर्त्स्य, अघोष संघर्षी है।

सँकरा (सं.) [वि.] 1. पतला और तंग 2. जिसकी चौड़ाई कम हो 3. कसा हुआ 4. संकीर्ण।

सँजोना (सं.) [क्रि-स.] 1. प्राचीन काल में प्रयुक्त ऐसी वस्तुओं से युक्त करना कि देखने में भला और सुंदर जान पड़े; अलंकृत करना; सुसज्जित करना 2. संचित या एकत्रित करना; जोड़ना; जमा करना; जुटाना; संचित करना।

सँजोया (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का कवच जिसे युद्ध के समय पहना जाता था।

सँजोवा (सं.) [सं-पु.] 1. शृंगार; रूप-सज्जा; साज-सँवार 2. जमावड़ा; हुजूम; जमाव।

सँझला (सं.) [वि.] 1. संध्या का 2. छोटे से बड़ा; मँझले से छोटा।

सँझली [वि.] 1. मँझली से छोटी 2. छोटी से बड़ी।

सँझवाती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संध्या के समय जलाया जाने वाला दीपक; शाम का चिराग 2. वह गीत जो संध्या के समय गाया जाता है, प्रायः यह विवाह के अवसर पर होता है। [वि.] संध्या संबंधी; संध्या का।

सँड़सा [सं-पु.] एक प्रकार का औज़ार जिसका प्रयोग किसी वस्तु आदि को पकड़ने के लिए होता है।

सँड़सी [सं-स्त्री.] गरम चीज़ें आदि पकड़ने का एक कैंचीनुमा यंत्र।

सँपेरा [सं-पु.] 1. वह जो साँप का तमाशा दिखलाता है 2. साँप पकड़ने और पालने वाला व्यक्ति।

सँपोला (सं.) [सं-पु.] 1. साँप का बच्चा 2. {ला-अ.} ख़तरनाक व्यक्ति 3. {ला-अ.} वह जो अहित कर सकता हो।

सँपोलिया (सं.) [सं-पु.] दे. सँपोला।

सँभलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. स्वयं को गिरने, फिसलने या लुढ़कने से रोक के रखना 2. किसी कर्तव्य आदि का निर्वाह किया जा सकना 3. रुकना; थमना 4. होशियार या सावधान होना 5. टिका रहना 6. स्वस्थ होना 7. चोट, नुकसान आदि से बचाव करना 8. बुरी दशा से बचकर रहना 9. अच्छी स्थिति में आना।

सँभाल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देखभाल; प्रबंध; व्यवस्था 2. रक्षा करना; ज़िम्मेदारी लेना 3. हिफ़ाजत 4. पालन-पोषण 5. होश; चेत।

सँभालना (सं.) [क्रि-स.] 1. रोकथाम करना; सहारा देना 2. गिरते हुए को रोकना; थामना 3. पालन-पोषण करना 4. कार्यभार और कर्तव्यों का निर्वाह करना 5. सहेजना; प्रबंध करना 6. भार उठाना 7. अपने आपको संयत करना।

सँवर [सं-स्त्री.] 1. सजे हुए होने की अवस्था या भाव 2. स्मरण; स्मृति; याद 3. ख़बर; हाल; वृत्तांत।

सँवरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. सुधरे रूप में आना; सुधरना; सँवारा जाना 2. सज्जित होना; सजना 3. ठीक होना 4. स्मरण आना। [क्रि-स.] स्मरण करना।

सँवरिया (सं.) [वि.] 1. साँवला 2. कृष्ण या साँवले रंग का।

सँवार [सं-स्त्री.] 1. सँवारने की क्रिया, स्थिति या भाव 2. सजा हुआ रूप।

सँवारना (सं.) [क्रि-स.] 1. सजाना; अलंकृत करना 2. कार्य सुचारु रूप से संपन्न करना।

सं (सं.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जिसका व्यवहार शोभा, समानता, संगति, उत्कृष्टता, निरंतरता, औचित्य आदि सूचित करने के लिए होता है, जैसे- संयम, संयोग, संचालन आदि।

संकट (सं.) [सं-पु.] 1. विपत्ति; आफ़त; मुसीबत 2. दुख; कष्ट; तकलीफ़ 3. भीड़; समूह 4. सँकरी राह 5. वह तंग पहाड़ी रास्ता जो दो बड़े और ऊँचे पहाड़ों के बीच से होकर गया हो। [वि.] 1. एकत्र किया हुआ 2. घनीभूत 3. तंग; क्षीण 4. दुर्गम 5. भयानक; कष्टप्रद; दुखदायी 6. संकीर्ण; सँकरा; तंग 7. पूर्ण; भरा हुआ।

संकटकाल (सं.) [सं-पु.] 1. विपत्ति का समय; आपातकाल 2. मुसीबत का दौर।

संकटग्रस्त (सं.) [वि.] 1. जो संकट में हो 2. जिसकी संख्या लगातार कम हो रही हो।

संकटपूर्ण (सं.) [वि.] 1. जो संकट से युक्त हो 2. कठिन 3. जिसमें मुसीबत हो 4. ख़तरनाक।

संकटमय (सं.) [वि.] 1. नाज़ुक 2. जोखिम भरा 3. संकट में फँसा हुआ।

संकटमोचन (सं.) [सं-पु.] 1. कष्ट या संकट से छुटकारा दिलाने वाला व्यक्ति 2. हनुमान।

संकटस्थ (सं.) [वि.] संकट या विपत्ति में पड़ा हुआ।

संकटा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रसिद्ध देवी मूर्ति जो वाराणसी में है और संकट का निवारण करने वाली मानी जाती है 2. ज्योतिष के अनुसार आठ योगिनियों में से एक योगिनी।

संकटापन्न (सं.) [वि.] जोखिमपूर्ण; ख़तरनाक; संकटपूर्ण।

संकटावस्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकट का समय 2. सूक्ष्‍म काल। [वि.] संकटकालीन।

संकर (सं.) [सं-पु.] 1. दो चीज़ों के योग या मिश्रण से बनने वाली नई चीज़ 2. दो जातियों का मिश्रण; (हाइब्रिड) 3. दोगला।

संकरण (सं.) [सं-पु.] 1. मिश्रित करने की क्रिया या भाव 2. अलग-अलग जाति के पौधों या जीवों के आपसी संसर्ग से किसी नई प्रजाति को उत्पन्न करने की क्रिया या प्रणाली; (क्रॉस ब्रीडिंग)।

संकरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकर होने का भाव या धर्म 2. सांकर्य; मिलावट; दोगलापन।

संकरित (सं.) [वि.] 1. वर्ण संकर; संकीर्ण 2. संकर से उत्पन्न।

संकरी (सं.) [सं-पु.] जो अलग-अलग प्रजातियों के योग से उत्पन्न हो; संकर; दोगला।

संकर्षण (सं.) [सं-पु.] 1. खींचने की क्रिया 2. छोटा करना 3. कृष्ण के बड़े भाई जो रोहिणी के पुत्र थे; बलराम 4. एकादश रुद्रों में से एक रुद्र का नाम 5. वैष्णवों का एक संप्रदाय जिसके प्रवर्तक निंबार्काचार्य थे 6. आकर्षण 7. हल से जोतने की क्रिया 8. शेषनाग 9. गर्व; घमंड; अहंकार।

संकल (सं.) [सं-पु.] साँकला; सिकड़ी; साँकर।

संकलक (सं.) [सं-पु.] संकलन करने वाला व्यक्ति।

संकलन (सं.) [सं-पु.] 1. एकत्रीकरण; एकत्र करने की क्रिया 2. जमा करना; संग्रह करना 3. साहित्य के अच्छे विषयों को चुनकर एकत्र किया जाना; (कंपाइलेशन) 4. राशि; ढेर; जोड़।

संकलनकर्ता (सं.) [सं-पु.] संकलन करने वाला व्यक्ति; एकत्र या जमा करने वाला व्यक्ति।

संकलयिता (सं.) [सं-पु.] संकलनकर्ता।

संकलित (सं.) [वि.] 1. जिसका संकलन किया गया हो, जैसे- संकलित कविता 2. जिसका संग्रह किया गया हो; संगृहीत; (कंपाइल्ड) 3. थोड़ा-थोड़ा करके इकट्ठा होकर एक होने वाला; राशिकृत 4. जोड़ा हुआ।

संकल्प (सं.) [सं-पु.] 1. दृढ़ निश्चय; प्रतिज्ञा 2. इरादा; विचार 3. कोई कार्य करने की दृढ इच्छा या निश्चय 4. प्रयोजन; उद्देश्य; नीयत 5. धार्मिक कृत्य करने की दृढ़ इच्छा या प्रतिज्ञा।

संकल्पक (सं.) [वि.] संकल्प करने वाला।

संकल्पना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकल्प करने की क्रिया या भाव 2. धारणा 3. इच्छा 4. विचारपूर्ण तथा बौद्धिक अर्थ।

संकल्पनिष्ठा (सं.) [सं-स्त्री.] संकल्प को पूर्ण करने की निष्ठा।

संकल्पवान (सं.) [वि.] जिसने संकल्प लिया हो।

संकल्पित (सं.) [वि.] 1. जिसका संकल्प या निश्चय किया गया हो 2. संकल्प किया हुआ 3. जिसकी कल्पना की गई हो; कल्पित।

संकाय (सं.) [सं-पु.] 1. उच्च शिक्षा से संबंधित विश्वविद्यालय का कोई विभाग, जैसे- कला संकाय (फ़ैकल्टी) 2. विभाग; भाग; संभाग।

संकायाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] संकाय का अध्यक्ष; अधिष्ठाता; (डीन)।

संकारना [क्रि-स.] संकेत करना; इशारा करना।

संकीर्ण (सं.) [सं-पु.] 1. विपत्ति; संकट 2. ऐसा राग जो अन्य रागों के मेल से बना हो। [वि.] 1. सँकरा; संकुचित; तंग 2. जो चौड़ा या विस्तृत न हो 3. क्षुद्र; छोटा; तुच्छ; नीच 4. अनुदार।

संकीर्णता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकीर्ण होने की अवस्था या भाव 2. ओछापन; क्षुद्रता 3. नीचता 4. अनुदारता।

संकीर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. प्रशंसा; स्तुति 2. किसी का तरह-तरह से किया जाने वाला वर्णन 3. गायन, वादन के साथ ईश्वर, देवता आदि के नाम का भजन या जाप करना; कीर्तन।

संकुचन (सं.) [सं-पु.] 1. संकुचित करने या होने की क्रिया या भाव; सिकुड़न 2. असमंजस।

संकुचित (सं.) [वि.] 1. जिसे संकोच हो; जो हिचकिचाता हो 2. संकोचयुक्त; लज्जित 3. संकीर्ण; तंग; सँकरा 4. अनुदार।

संकुल (सं.) [वि.] 1. घना; भरा हुआ या परिपूर्ण 2. समूचा; पूरा; सारा। [सं-पु.] 1. युद्ध; समर 2. जन-समूह 3. जनता; दल; झुंड 4. परस्पर विरोधी और असंगत वाक्य।

संकुलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकुल होने की अवस्था या भाव; परिपूर्णता 2. जटिलता; घनापन।

संकुलना (सं.) [क्रि-अ.] भर जाना या भरा होना।

संकुलित (सं.) [वि.] 1. जो संकुल या पूरा हो; भरा हुआ 2. एकत्र 3. घना 4. अव्यवस्थित; घबराया हुआ 5. बँधा हुआ।

संकेंद्रण (सं.) [सं-पु.] 1. केंद्र की ओर ले जाना; जमाना 2. संपूर्ण शक्ति या ध्यान को किसी एक ही बात या विषय पर लाकर लगाना; (कॉनसनट्रेशन)।

संकेत (सं.) [सं-पु.] 1. निशान; चिह्न 2. इंगित; इशारा 3. अंगचेष्टा 4. आँख या हाथ से किया जाने वाला संकेत।

संकेतक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो संकेत करता है 2. ठहराव 3. (साहित्य) नायक-नायिका के मिलन का स्थान 4. चिह्न; निशान 5. विमानों को दिया जाने वाला विशिष्ट संकेत; (बेकन) 6. सूचक; (इंडीकेटर; सिग्नल)।

संकेत ग्रह (सं.) [सं-पु.] 1. शब्दार्थ ग्रहण करने की क्रिया 2. (साहित्य) शब्द का अर्थ बोध कराने की शक्ति का आधारभूत धर्म; संकेत या अभिप्राय का ग्रहण।

संकेतचित्र (सं.) [सं-पु.] ऐसा चित्र जिसमें किसी संकेत की प्रतीति हो।

संकेतचिह्न (सं.) [सं-पु.] 1. किसी संकेत को बताने वाला चिह्न 2. शब्द का संक्षिप्त रूप।

संकेतन (सं.) [सं-पु.] 1. संकेत करने की क्रिया या भाव 2. संकेत-स्थान 3. निश्चय; ठहराव 4. प्रेमी-प्रेमिका के मिलने का स्थान।

संकेतमात्र (सं.) [वि.] जिसमें हलका-सा संकेत हो; जिसमें इशारा या झलक हो।

संकेतलिपि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी लिपि जिसमें वर्णमाला के अक्षरों को शुद्ध रूप में न लिखकर निश्चित संकेत के रूप में लिखा जाता है; गुप्तलिपि; (साइफ़र कोड) 2. लिखने की एक प्रणाली जिसमें विशेष ध्वनियों के लिए छोटे-छोटे चिह्न निश्चित रहते हैं; (शॉर्ट हैंड)।

संकेतस्तंभ (सं.) [सं-पु.] किसी संकेत या सूचना के लिए लगाया गया स्तंभ; (साइनपोल)।

संकेतस्थल (सं.) [सं-पु.] प्रेमियों का पूर्व निर्धारित या संकेतित मिलन स्थल।

संकेतांक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो संकेत करता है; संकेतक 2. ठहराव।

संकेतार्थ (सं.) [सं-पु.] किसी शब्द या वाक्य का संकेत रूप से निकाला गया अर्थ।

संकेतित (सं.) [वि.] 1. निश्चित किया हुआ; ठहराया हुआ 2. आहूत; निमंत्रित 3. इशारा किया हुआ; इंगित।

संकोच (सं.) [सं-पु.] 1. सिकुड़ने की क्रिया या भाव 2. झिझक; हिचकिचाहट; असमंजस 3. थोड़े में बहुत सी बातें करना 4. भय या लज्जा का भाव।

संकोचन (सं.) [सं-पु.] 1. संकुचित होने या करने की क्रिया या भाव 2. सिकुड़ना।

संकोचमय (सं.) [वि.] उलझन में पड़ा हुआ।

संकोचित (सं.) [सं-पु.] तलवार के बत्तीस हाथों में से एक हाथ; तलवार चलाने का एक ढंग या प्रकार। [वि.] 1. संकोचयुक्त; जिसमें संकोच हो 2. जो विकसित या प्रफुल्लित न हो; अप्रफुल्लित 3. लज्जित; शर्मिंदा।

संकोची (सं.) [वि.] 1. संकोच करने वाला; सिकुड़ने वाला 2. संकोचशील; स्वभावतः संकोच करने वाला 3. झिझकने वाला।

संक्रमण (सं.) [सं-पु.] 1. जाना या चलना 2. एक स्थिति से धीरे-धीरे बदलते हुए दूसरी स्थिति में पहुँचना; (ट्रैनज़िशन) 3. एक के अधिकार से दूसरे के अधिकार में जाना; (पासिंग) 4. कीटाणु, रोग आदि का फैलते हुए एक से दूसरे में होना; (इनफ़ेक्शन) 5. अतिक्रमण; लाँघना।

संक्रमण काल (सं.) [सं-पु.] 1. एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जाना 2. एक राशि से दूसरी राशि में गमन।

संक्रमणकालीन (सं.) [वि.] 1. संक्रमण काल का 2. बदलाव के दौर से संबंधित।

संक्रमणशील (सं.) [सं-स्त्री.] जिसमें निरंतर बदलाव हो रहा हो।

संक्रमित (सं.) [वि.] 1. जिसका संक्रमण हुआ हो; (इनफ़ेक्टेड) 2. किसी में जोड़ा या मिलाया हुआ 3. जिसे किसी के भीतर पहुँचाया गया हो 4. बदला हुआ; परिवर्तित 5. प्रविष्ट।

संक्रांत (सं.) [सं-पु.] वह धन जो कई पीढ़ियों से चला आ रहा हो। [वि.] 1. गुजरा या बीता हुआ 2. स्थानांतरित होने वाला 3. गृहीत 4. प्रतिबिंबित; चित्रित; अंकित।

संक्रांति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (ज्योतिष) सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने का समय 2. (ज्योतिष) वह काल विशेष जिसमें सूर्य अपना स्थान बदलता है जो पुण्यकाल माना जाता है 3. हस्तांतरण या अंतरण।

संक्रामक (सं.) [वि.] 1. जो रोग संसर्ग आदि से जल्दी फैलता है 2. जो हवा, पानी आदि के संक्रमण से फैलता है (रोग)।

संक्रामी (सं.) [वि.] जो लोगों में रोगों का संक्रमण करता हो; रोग फैलाने वाला।

संक्षमण (सं.) [सं-पु.] किसी दोष या अपराध को अनदेखा कर क्षमा करना।

संक्षय (सं.) [सं-पु.] प्रलय; नाश।

संक्षारण (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु का धीरे-धीरे समाप्त होना।

संक्षिप्त (सं.) [वि.] 1. जो संक्षेप में कहा या लिखा गया हो 2. छोटा किया हुआ; छोटा 3. जो छोटा या लघु हो।

संक्षिप्तता (सं.) [सं-स्त्री.] संक्षिप्त होने की अवस्था या भाव; लघुता।

संक्षिप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] संक्षेपीकरण; लघु करने की क्रिया; घटाना।

संक्षिप्तीकरण (सं.) [सं-पु.] संक्षिप्त करने की क्रिया; संक्षेपण; संक्षेप।

संक्षेप (सं.) [सं-पु.] 1. थोड़े में कोई बात कहना; छोटा रूप 2. कम करना; घटाना; समाहार 3. पत्थर; चुंबक।

संक्षेपक (सं.) [वि.] 1. फेंकने वाला 2. नष्ट करने वाला 3. संक्षेप करने वाला; छोटा रूप देने वाला।

संक्षेपकर्ता (सं.) [वि.] संक्षेप करने वाला।

संक्षेपण (सं.) [सं-पु.] संक्षिप्त रूप प्रस्तुत करने की क्रिया या भाव; (अब्रिजमेंट)।

संक्षेपतः (सं.) [क्रि.वि.] संक्षेप में; थोड़े में; सारांशतः।

संक्षेपीकरण (सं.) [सं-पु.] संक्षेप करना।

संक्षोभ (सं.) [सं-पु.] 1. आघात; धक्का 2. अस्थिरता; चंचलता 3. उलट-पुलट; परिवर्तन 4. गर्व; अहंकार 5. कंपन 6. किसी घटना या बात से मन को लगने वाला आघात; (शॉक)।

संखिया (सं.) [सं-पु.] 1. ज़हर 2. एक सफ़ेद पत्थर सदृश उपधातु जो ज़हरीली होती है 3. उक्त धातु की भस्म; सोमल।

संख्यक (सं.) [वि.] 1. संख्यावाला 2. जिसमें संख्या हो, जैसे- अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक।

संख्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गिनती; तादाद, जैसे- 1, 2, 3 आदि अंक 2. राशि; जोड़ 3. बुद्धि; विचार।

संख्यांक (सं.) [सं-पु.] संख्या को सूचित करने वाला अंक; संख्यक।

संख्यांकन (सं.) [सं-पु.] वस्तुओं आदि पर क्रम से अंक या नंबर डालने या लिखने की क्रिया; (नंबरिंग)।

संख्यांकित (सं.) [वि.] जिसपर संख्या अंकित किया गया हो।

संख्यातीत (सं.) [वि.] 1. बहुत 2. अनगिनत; असंख्य।

संख्यात्मक (सं.) [वि.] संख्या संबंधी; संख्या को बताने वाला।

संख्यावाचक (सं.) [वि.] संख्या सूचक; संख्यावाची।

संख्यावाची (सं.) [वि.] संख्या सूचक; संख्यावाचक।

संख्यासूचक (सं.) [वि.] 1. संख्या बताने वाला 2. जो संख्या को सूचित करे 3. जिससे संख्या का बोध हो।

संख्याहीन (सं.) [वि.] जिसमें संख्या या नंबर न हो।

संग (सं.) [सं-पु.] 1. साथ; मिलन; मिलने की क्रिया 2. साथ रहने की अवस्था या भाव 3. सोहबत; सहवास 4. नदियों का मिलन; संपर्क; संबंध 5. मैत्री 6. युद्ध; लड़ाई।

संगठक (सं.) [सं-पु.] संगठन बनाने वाला व्यक्ति।

संगठन (सं.) [सं-पु.] 1. बिखरी हुई शक्तियों को परस्पर मिलाकर किसी उद्देश्य के लिए तैयार करने की क्रिया 2. किसी कार्य विशेष की सिद्धि के लिए निर्मित संस्था; (ऑर्गनाइज़ेशन)।

संगठनकर्ता (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो लोगों को इकट्ठा करके संगठन बनाता हो 2. किसी दल या पार्टी का निर्माण करने वाला व्यक्ति।

संगठित (सं.) [वि.] 1. किसी कार्य विशेष की सिद्धि के लिए परस्पर संबद्ध 2. व्यवस्थित 3. इकट्ठा किया हुआ।

संगणक (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की मशीन जिसके द्वारा आँकड़ों का जोड़ आदि शीघ्रता से किया जाता है; परिकलक; अभिकलक; गणक; (कंप्यूटर)।

संगणना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिकलन 2. जोड़कर या गिनकर हिसाब लगाकर देखना; (कंप्यूटेशन)।

संगत (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संग या साथ रहने या होने का भाव 2. सोहबत; संगति; साथ रहना 3. साथ रहने वालों की मंडली या दल। [वि.] 1. किसी के साथ लगा हुआ; जुड़ा हुआ; मिला हुआ 2. बातों या विचारों से मेल खाने वाला 3. जिसमें संगति हो।

संगतराश (फ़ा.) [सं-पु.] पत्थर को तराशने वाला कारीगर।

संगति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संगत होने की अवस्था या भाव 2. किसी के साथ मिलने की क्रिया या भाव 3. मेल; मिलाप 4. साथ; साहचर्य।

संगतिया [सं-पु.] 1. दोस्त; साथी 2. गाने या बजाने वालों का साथ देने वाला व्यक्ति।

संगदिल (फ़ा.) [वि.] 1. जिसका दिल पत्थर के समान हो; कठोर हृदय 2. निर्दय।

संगम (सं.) [सं-पु.] 1. मिलन; संयोग; मिलाप; मेल 2. संग; साथ 3. मैथुन; संभोग; समागम 4. संतानोत्पादन हेतु नर और मादा का मिलन; (मेटिंग) 5. दो नदियों के मिलने का स्थान 6. दो या दो से अधिक रेखाओं, वस्तुओं आदि के मिलन का भाव या स्थान; (जंकशन) 7. (ज्योतिष) ग्रहों का योग 8. {अ-अ.} वर्तमान समय की सब बातों का ज्ञान 9. युद्ध; मुकाबला।

संगमन (सं.) [सं-पु.] 1. मेल-मिलाप 2. पत्राचार; संचार; (कम्युनिकेशन) 3. युद्धरत देशों के सेना अधिकारियों का समझौते के उद्देश्य से मिलना।

संगमरमर (फ़ा.+अ.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का चिकना पत्थर 2. सफ़ेद रंग का एक प्रसिद्ध मुलायम पत्थर।

संगमरमरी (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. संगमरमर की तरह 2. उजला; चिकना; सफ़ेद; मुलायम; चमकदार।

संगमित (सं.) [वि.] 1. जो मिलाया गया हो 2. जिसे संयुक्त किया गया हो।

संगमूसा (फ़ा.) [सं-पु.] संगमरमर की तरह का एक पत्थर जो काला होता है

संगर1 (सं.) [सं-पु.] 1. संग्राम; युद्ध; समर 2. आफ़त; विपत्ति; संकट 3. अंगीकार; स्वीकार 4. प्रतिज्ञा 5. प्रश्न; सवाल; 6. नियम 7. विष; ज़हर 8. शमी वृक्ष का फल 9. निगल जाना 10. ज्ञान।

संगर2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह दीवार जो ऐसे स्थान में बनाई जाती है जहाँ सेना ठहरती है; रक्षा करने के लिए सेना के चारों ओर बनाई हुई खाई 2. मोरचा।

संगसार (फ़ा.) [सं-पु.] (इस्लामी धर्मशास्त्र) एक प्रकार का प्राणदंड जिसमें अपराधी को ज़मीन में कमर तक गाड़कर उसके सिर पर पत्थरों की वर्षा करके मार दिया जाता है। [वि.] 1. बरबाद किया हुआ 2. जिसे पूरी तरह से ध्वस्त या नष्ट किया गया हो।

संगाती [सं-पु.] 1. वह जो संग रहता हो; साथी; संगी 2. दोस्त; मित्र।

संगिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साथ रहने वाली स्त्री; साथिन; सहचरी 2. पत्नी; भार्या 3. सखी; सहेली

संगी (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो सदा साथ रहे या रहता हो 2. साथी; दोस्त; मित्र 3. एक तरह का रेशमी वस्त्र। [वि.] 1. संपर्क में आने वाला 2. चिपकने वाला 3. आदी; आसक्त; कामुक।

संगीत (सं.) [सं-पु.] 1. वह गान जिसे लोग मिलकर गाएँ 2. मधुर और विशिष्ट ध्वनियों में होने वाला गायन 3. वाद्यों के साथ गाया जाने वाला गायन 4. वाद्य, नृत्य और गीत का सामंजस्य या समाहार 5. नृत्य और वाद्य के साथ गाने की कला या विद्या।

संगीतक (सं.) [सं-पु.] 1. संगीत द्वारा लोगों का मनोरंजन करने वाला 2. गान, नृत्य और वाद्य द्वारा अभिनयात्मक प्रस्तुति देने वाला व्यक्ति।

संगीतज्ञ (सं.) [सं-पु.] 1. संगीतविद्या का ज्ञाता; संगीतकला में निपुण; संगीतकार 2. गायक; वादक।

संगीतबद्ध (सं.) [वि.] जो संगीत में बँधा हो (गीत, कविता)।

संगीतमय (सं.) [वि.] संगीत से भरा; लययुक्त।

संगीतलहरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संगीत की तरंग या लहर 2. धुन।

संगीत विद्या (सं.) [सं-पु.] नाद विद्या; संगीत कला; संगीत शास्त्र में निरूपित किया गया ज्ञान।

संगीत शास्त्र (सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र जिसमें गायन, वादन और नृत्य की शैलियों, प्रकारों आदि का विवेचन होता है; वह शास्त्र जिसमें संगीत विद्या या संबंधित कला का विवेचन हो।

संगीताचार्य (सं.) [सं-पु.] संगीत का विद्वान।

संगीतात्मक (सं.) [वि.] जिसमें संगीत हो; संगीतमय।

संगीतालय (सं.) [सं-पु.] संगीत का विद्यालय।

संगीतिका (सं.) [सं-स्त्री.] एक तरह का संगीतमय नाट्यरूपक।

संगीन (फ़ा.) [सं-स्त्री.] लोहे का एक अस्त्र जो नुकीला और धारदार होता है। [वि.] 1. पत्थर का बना हुआ 2. पत्थर की तरह मज़बूत; सख़्त; कठोर 3. ख़तरनाक।

संगी-साथी (सं.) [सं-पु.] हमउम्र दोस्त; साथ रहने वाले समवयस्क मित्र; साथी; यार।

संगुंफन (सं.) [सं-पु.] अच्छी तरह आपस में मिलाना।

संगृहीत (सं.) [वि.] 1. संग्रह किया हुआ; एकत्र किया हुआ; जमा किया हुआ; संकलित 2. ग्रस्त; जकड़ा हुआ 3. निगृहीत या संयत किया हुआ; शासित 4. आगत; प्राप्त; स्वीकृत 5. संकोचित या संक्षिप्त किया हुआ।

संगोपन (सं.) [सं-पु.] अच्छी तरह छिपाकर रखने की क्रिया; पोशीदा रखना।

संगोष्ठी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गोष्ठी; विचारगोष्ठी; परिसंवाद 2. विश्वविद्यालय आदि में किसी विषय के विशेषज्ञों की लघु कक्षा 3. कुछ घंटों का अनुशीलन सत्र; (सेमिनार)।

संग्रंथन (सं.) [सं-पु.] एक साथ बाँधना या एक में बाँधना; अच्छी तरह एक-दूसरे के साथ गूथना।

संग्रह (सं.) [सं-पु.] 1. एकत्र करने की क्रिया या भाव; इकट्ठा करना; संचय; संकलन 2. ग्रहण करना; समर्थन करना; अपनाना 3. जमा करना 4. जमावड़ा; जमघट।

संग्रहकर्ता (सं.) [वि.] संग्रह करने वाला; जोड़ने वाला; चुनने वाला।

संग्रहण (सं.) [सं-पु.] 1. लेने या ग्रहण करने की क्रिया या भाव 2. स्वीकार करने की क्रिया या भाव; लाभ; प्राप्ति 3. इकट्ठा करना; संकलन; संग्रहकरण 4. किसी को अपनी ओर कर लेना।

संग्रहणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक रोग जिसमें पतले दस्त आते हैं 2. अतिसार का एक रूप जिसमें भोजन बिना पचे ही मलरूप में बाहर आता है।

संग्रहणीय (सं.) [वि.] 1. जो संग्रह करने के योग्य हो; संग्रह योग्य; संग्राह्य 2. ग्रहण करने या लेने योग्य 3. सेवन करने योग्य 4. नियंत्रणीय।

संग्रहाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] किसी संग्रहालय का अध्यक्ष।

संग्रहालय (सं.) [सं-पु.] 1. संग्रह करने का स्थान 2. वह स्थान विशेष जहाँ अनेक प्रकार की वस्तुओं का संग्रह किया गया हो; (म्यूज़ियम)।

संग्रही (सं.) [सं-पु.] वह जो किसी वस्तु आदि का संग्रह करता हो; संग्रहकर्ता। [वि.] संग्रह करने वाला; संग्रहकर्ता।

संग्राम (सं.) [सं-पु.] घमासान; युद्ध; लड़ाई; समर; रण।

संग्राहक (सं.) [सं-पु.] संग्रह करने वाला व्यक्ति; संग्रहकारी; संकलनकर्ता; सारथी। [वि.] 1. जो एकत्र या जमा करता हो; एकत्र करने वाला 2. काबिज़ करने वाला 3. खींचने वाला।

संघ (सं.) [सं-पु.] 1. लोगों का समुदाय; समूह 2. विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिए बनाया गया लोगों का समुदाय 3. बौद्ध भिक्षुओं के रहने का मठ 4. राज्यों का ऐसा समूह जो एक केंद्रीय सत्ता के अधीन हों; (फ़ेडरेशन) 5. संघटित समाज; (असोसिएशन)।

संघट (सं.) [सं-पु.] 1. सघटन; मिलन; संयोग 2. परस्पर संघर्ष; युद्ध; लड़ाई; झगड़ा 3. समूह 4. राशि; ढेर।

संघटक (सं.) [सं-पु.] 1. घटक; अवयव 2. भाग।

संघटन (सं.) [सं-पु.] 1. जोड़कर प्रतिष्ठित करना; रचना; बनावट 2. वर्गों या व्यक्तियों का मिलकर एक इकाई का रूप धारण करना 3. व्यक्तियों का मिलना 4. किसी काम के लिए बनाई गई संस्था; (ऑर्गनाइज़ेशन) 5. मेल; संयोग।

संघटित (सं.) [वि.] 1. जिसका संघटन हुआ हो 2. जो एक होकर किसी उद्देश्य की सिद्धि में लगा हो (व्यक्ति या वर्ग) 3. प्रतियोगिता, खेल आदि में लगा हुआ।

संघति (सं.) [सं-स्त्री.] विभिन्न संस्थाओं, दलों आदि का मिलकर एक संस्था या दल आदि के रूप में कार्य करना।

संघनन (सं.) [सं-पु.] 1. घना या ठोस बना देने की क्रिया; घनीकरण 2. संक्षेपण; गैस के द्रवीकरण की प्रक्रिया; (कॉनडेनसेशन)।

संघनित (सं.) [वि.] जो घना या ठोस हो।

संघनित्र (सं.) [सं-पु.] वाष्प को ठंडा करके द्रव रूप में लाने का उपकरण; द्रवणित्र।

संघपति (सं.) [सं-पु.] वह जो किसी संघ या समूह का प्रधान हो; दलपति; नायक।

संघमित्रा (सं.) [सं-स्त्री.] मौर्यकालीन सम्राट अशोक की पुत्री जिसके द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया गया।

संघर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. घिसने या रगड़ने की क्रिया; रगड़ 2. स्पर्धा; प्रतियोगिता; होड़ 3. वैर; द्वेष 4. आगे बढ़ने के लिए होने वाला प्रयत्न; प्रयास; (स्ट्रगल)।

संघर्षकामी (सं.) [वि.] संघर्ष करने की इच्छा रखने वाला।

संघर्षण (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु के एक पार्श्व या अंग से दूसरी वस्तु के किसी पार्श्व या अंग का रगड़ खाने की क्रिया; घर्षण; रगड़।

संघर्षमय (सं.) [वि.] 1. संघर्ष से भरा 2. बाधाओं से पूर्ण।

संघर्ष विराम (सं.) [सं-पु.] अस्थायी रूप से दो संघर्षरत पक्षों के बीच संघर्ष बंद करना।

संघर्षव्रती (सं.) [सं-पु.] वह जिसने संघर्ष करने का व्रत लिया हो।

संघर्षशील (सं.) [वि.] जो संघर्ष कर रहा हो; जूझने वाला।

संघर्षात्मक (सं.) [वि.] संघर्ष संबंधी।

संघर्षी1 वाक-अवयव समीप आकर श्वास-मार्ग को इतना संकीर्ण कर देते हैं कि वायु घर्षण के साथ बाहर निकलती है, जैसे- 'श्, स्'।

संघर्षी2 (सं.) [वि.] संघर्ष करने वाला; संघर्षशील।

संघवाद (सं.) [वि.] 1. समूह की विचारधारा 2. समूह या कई राज्यों को सामूहिक संघ बनाने की विचारधारा।

संघवादी (सं.) [वि.] संघ को मानने या समर्थन करने वाला।

संघशासित (सं.) [वि.] जिसकी शासन व्यवस्था संघ या केंद्रीय शासन के अधीन हो (क्षेत्र या राज्य)।

संघस्थविर (सं.) [सं-पु.] संघराम का मुख्य बौद्ध भिक्षु।

संघात (सं.) [सं-पु.] 1. आघात; टक्कर 2. समूह; जमाव; समष्टि 3. हत्या; वध 4. निवास; रहने की जगह 5. शरीर; देह।

संघातक (सं.) [वि.] 1. हमला या वार करने वाला 2. धावा या प्रयास करने वाला 3. प्राण लेने वाला।

संघातिक (सं.) [सं-पु.] आघात करने वाला व्यक्ति। [वि.] घातक।

संघाती (सं.) [सं-पु.] 1. साथ देने वाला व्यक्ति; साथी; सहयोगी 2. दोस्त; मित्र।

संघी (सं.) [सं-पु.] संघ का सदस्य। [वि.] 1. किसी संघ या समूह से संबद्ध 2. संघ की विचारधारा को मानने वाला (व्यक्ति)।

संघीकरण (सं.) [सं-पु.] संघ बनाने का कार्य।

संघीय (सं.) [वि.] संघ संबंधी; संघ का; (फ़ेडरल)।

संचक (सं.) [सं-पु.] साँचा जिसमें कोई वस्तु ढाली जाती है।

संचय (सं.) [सं-पु.] 1. एकत्र या संग्रह करने की क्रिया या भाव 2. भंडार; राशि; ढेर; (एक्यूमुलेशन) 3. जोड़; संधि 4. संकलन 5. परिमाण।

संचयक (सं.) [वि.] संचय या एकत्र करने वाला; संचयी।

संचयन (सं.) [सं-पु.] 1. संचय या एकत्र करने की क्रिया या भाव 2. जमा होना या इकट्ठा होना 3. संचित; संगृहीत; एकत्र होने की अवस्था।

संचयिता (सं.) [सं-पु.] संचयकर्ता।

संचयी (सं.) [सं-पु.] कृपण; कंजूस। [वि.] संचय या एकत्र करने वाला (व्यक्ति)।

संचरण (सं.) [सं-पु.] 1. संचार करने की क्रिया; चलना; गमन 2. प्रसारण; फैलाना 3. गतिशील करना; प्रयोग में लाना 4. काँपना।

संचरणशील (सं.) [वि.] 1. घूमते रहने वाला 2. फैलने वाला।

संचरित (सं.) [वि.] 1. जिसका संचार हुआ हो 2. जिसमें संचार हुआ हो।

संचान (सं.) [सं-पु.] श्येन नामक पक्षी; बाज़; शिकरा।

संचायक (सं.) [वि.] संकलनकर्ता; संचयी।

संचार (सं.) [सं-पु.] 1. गमन; चलना 2. सूचनाओं का आदान-प्रदान; (कम्युनिकेशन) 3. किसी के अंदर फैलना; प्रसार 4. मार्गदर्शन; राह दिखाना 5. भड़काना; उत्तेजित करना।

संचारक (सं.) [वि.] 1. संचार करने वाला; फैलाने वाला 2. चलाने वाला। [सं-पु.] 1. दलपति; नायक; नेता 2. (पुराण) स्कंद का एक अनुचर 3. वक्ता।

संचारण (सं.) [सं-पु.] 1. प्रेषण 3. संचार करने की क्रिया।

संचारमाध्यम (सं.) [सं-पु.] सूचनाओं, विचारों आदि का आदान-प्रदान करने वाले माध्यम; (मासमीडिया), जैसे- टीवी, रेडियो आदि।

संचारसाधन (सं.) [सं-पु.] 1. दो या दो अधिक व्यक्तियों के बीच संबंध स्थापित करने वाले साधन; (मींस ऑव कम्युनिकेशंस) 2. संचार में उपयोग होने वाले उपकरण, जैसे- समाचारपत्र, तार, डाक रेडियो आदि।

संचारिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संदेशवाहिका; दूती 2. कुटनी 3. नाक; नासिका 4. युग्म; जोड़ा 5. गंध; महक।

संचारित (सं.) [वि.] 1. जिसका संचार किया गया हो (सूचना, विचार आदि) 2. पहुँचाया गया 3. उकसाया हुआ 4. संक्रमित किया हुआ (रोग, कीटाणु)।

संचारी (सं.) [वि.] 1. जिसमें गति हो या जो चलायमान हो; गतिशील; गतिपूर्ण; गतिमान 2. संसर्ग या छूत से फैलने वाला या जिसका संक्रमण होता हो; संक्रामक। [सं-पु.] 1. (काव्यशास्त्र) वे भाव जो मुखभाव की पुष्टि या सहायता करते हैं; व्यभिचारी भाव 2. (संगीतशास्त्र) किसी गीत के चार चरणों में से तीसरा 3. हवा; वायु; पवन 4. एक मिश्रित गंधद्रव्य जिसके जलने से सुगंधित धुआँ निकलता है; धूप; मेरुक। [सं-स्त्री.] अस्थिरता; चंचलता।

संचालक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी बड़े कार्य, कार्यालय, संस्था, कारख़ाने आदि के सभी काम देखने, करने या कराने वाला व्यक्ति; (डाइरेक्टर) 2. निरीक्षण या निर्देशन करने वाला विभागीय अधिकारी; निदेशक। [वि.] 1. संचालन करने वाला 2. गति प्रदान करने वाला; परिचालक।

संचालन (सं.) [सं-पु.] 1. चलाने की क्रिया; परिचालन 2. गति देना; चलाना 3. ऐसा प्रबंध या व्यवस्था जिससे सारे कार्य सुचारु रूप से होते रहें 4. निर्देशन; नियंत्रण।

संचालिका (सं.) [सं-स्त्री.] वह महिला जो प्रबंधन या संचालन का कार्य करती है।

संचालित (सं.) [वि.] 1. जिसका संचालन किया गया हो या किया जा रहा हो 2. चलाया हुआ।

संचिका (सं.) [सं-स्त्री.] वह नत्थी जिसमें महत्वपूर्ण पत्र, कागज़ आदि रखे जाते हैं; (फ़ाइल)।

संचित (सं.) [वि.] 1. एकत्रित; जमा या इकट्ठा किया हुआ 2. संचिका या नत्थी में लगाया हुआ 3. ढेर लगाया या; किया हुआ।

संचितकर्म (सं.) [सं-पु.] 1. पूर्व जन्म के संचय किए हुए कर्म 2. वैदिक यज्ञों की अग्नि संचित करने का कर्म।

संचिति (सं.) [सं-स्त्री.] आवश्यक शारीरिक क्रियाओं को बनाए रखने के लिए उत्तरदायी संभावित क्षमता; (रिज़र्व)।

संचेतन (सं.) [सं-पु.] संचेतना; समानुभूति; समभाव।

संचेतना (सं.) [सं-स्त्री.] जागरूकता; विशेष चेतना।

संचेत्य (सं.) [वि.] जिसमें जागरूकता या चेतना लाई जा सके।

संजनित (सं.) [वि.] 1. उत्पादित 2. निर्मित।

संजय (सं.) [सं-पु.] 1. विजय; जीत 2. (महाभारत) धृतराष्ट्र का मंत्री जो महाभारत के युद्ध के समय धृतराष्ट्र को उस युद्ध का विवरण सुनाता था 3. सुपार्श्व का पुत्र 4. राजन्य के पुत्र का नाम 5. एक प्रकार का सैनिक व्यूह।

संजात (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक जाति का नाम। [वि.] 1. किसी के साथ उत्पन्न 2. किसी से उत्पन्न 3. प्राप्त; मिला हुआ 4. व्यतीत; बीता हुआ।

संजाफ़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. झालर; किनारा; कोर 2. चौड़ी और आड़ी गोट जो प्रायः रजाइयों और लिहाफ़ों आदि के किनारे किनारे लगाई जाती है; गोट; मगजी। [सं-पु.] एक प्रकार का घोड़ा जिसका रंग या तो आधा लाल व आधा सफ़ेद होता है।

संजाफ़ी (फ़ा.) [वि.] जिसमें कपड़े का किनारा या संजाफ़ लगा हो; किनारेदार; झालरदार।

संजाल (सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा जाल 2. ऐसी व्यवस्था जिसमें किसी विषय की शाखाएँ-प्रशाखाएँ बहुत दूर-दूर तक फैली हों; विस्तृत तंत्र।

संजीदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. संजीदा होना 2. सहिष्णुता; शिष्टता 3. विचार या व्यवहार आदि की गंभीरता।

संजीदा (फ़ा.) [वि.] 1. जिसके व्यवहार में गंभीरता हो 2. गंभीर; शांत 3. समझदार; बुद्धिमान।

संजीव (सं.) [सं-पु.] 1. फिर से जीवन देना या जिलाना 2. जीवन शक्ति प्रदान करने वाला व्यक्ति 3. (बौद्ध धर्म) एक नरक।

संजीवन (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत अच्छी तरह जीवन बिताना 2. भली-भाँति जीवन बिताने की क्रिया; सद्जीवन 3. नया जीवन देना; पुनर्जीवित करना। [वि.] जीवनशक्ति देने वाला; जिलाने वाला।

संजीवनी (सं.) [सं-स्त्री.] पुनर्जीवित करने वाली एक कल्पित औषधि या विद्या। [वि.] जीवन देने वाला।

संजीवित (सं.) [वि.] 1. अनुप्राणित; चालित 2. जोशपूर्ण।

संजोग (सं.) [सं-पु.] 1. संयोग 2. मेल-मिलाप 3. लगाव; संबंध।

संज्ञक (सं.) [वि.] 1. संज्ञावाला; जिसकी संज्ञा हो 2. विनाशक।

संज्ञा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यक्ति, वस्तु और स्थान का नाम, जैसे- राम, पर्वत, घोड़ा, नदी आदि 2. प्राणियों के अंगों की वह शक्ति जिससे उन्हें बाह्य पदार्थों का ज्ञान और मानसिक व्यापारों की अनुभूति होती है 3. चेतनाशक्ति; होश; (सेंस) 4. ज्ञान; बुद्धि।

संज्ञात (सं.) [वि.] 1. जो अच्छी तरह से जाना हुआ हो 2. परिज्ञात; प्रज्ञात; विज्ञात।

संज्ञात्मक (सं.) [वि.] संज्ञा के रूप में होने वाला।

संज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. जानकारी; ज्ञान; सम्यक ज्ञान 2. संकेत; इशारा।

संज्ञानात्मक (सं.) [वि.] सम्यक ज्ञान द्वारा प्राप्त।

संज्ञापद (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु, व्यक्ति या भाव के नाम के रूप में प्रचलित शब्द; नामवाचक शब्द।

संज्ञावत (सं.) [वि.] 1. संज्ञावान 2. नामयुक्त 3. चेतनामय।

संज्ञाशील (सं.) [वि.] 1. जिसमें संज्ञा हो 2. नामयुक्त 3. जो होश में हो; सचेत।

संज्ञाशून्य (सं.) [वि.] 1. चेतनारहित; बेहोश; अचेत 2. ज्ञानहीन।

संज्ञाहीन (सं.) [वि.] 1. जिसे संज्ञा या चेतना न हो; चेतनारहित 2. बेहोश; बेसुध।

संज्ञाहीनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संज्ञाहीन होने का गुण, भाव या स्थिति 2. बेहोशी; बेसुधी।

संज्ञेय (सं.) [वि.] 1. संज्ञान के योग्य 2. (प्रशासन) जो ध्यान देने, सोच-विचार करने या हस्तक्षेप करने के योग्य हो।

संझा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शाम; संध्या; सायंकाल 2. मिट्टी से देवी की मूर्ति बनाने की एक लोककला; साँझी; झेंझी।

संड-मुसंड [वि.] हट्टा-कट्टा; मोटा ताज़ा; बहुत मोटा।

संडा [वि.] मोटा और बलवान मनुष्य। [वि.] मोटा ताज़ा; हृष्ट-पुष्ट।

संडास [सं-पु.] कुएँ की तरह का एक प्रकार का भूमि के नीचे खोदा हुआ गहरा गड्ढा; पाख़ाना; शौचकूप।

संडे (इं.) [सं-पु.] सप्ताह का अंतिम दिन; छुट्टी का दिन; रविवार; इतवार।

संत (सं.) [सं-पु.] 1. साधु; संन्यासी 2. त्यागी; विरक्त पुरुष 3. महात्मा; सज्जन 4. ईश्वरभक्त। [वि.] बहुत निर्मल और पवित्र।

संत जन (सं.) [सं-पु.] संत समाज; संत लोग।

संतत (सं.) [वि.] 1. विस्तृत; फैलाया हुआ 2. हमेशा रहने वाला 3. बहुत; अधिक 4. अविकल; अटूट। [अव्य.] सदा; निरंतर; बराबर; लगातार।

संतति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विस्तार; फैलाव 2. संतान; औलाद; बाल-बच्चे 3. रिआया; प्रजा 4. गोत्र 5. दल; झुंड।

संतति निग्रह (सं.) [सं-पु.] जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिए प्रजनन रोकना; प्राकृतिक अथवा कृत्रिम उपायों से गर्भाधान न होने देना।

संतत्व (सं.) [सं-पु.] 1. संत या संन्यासी होने की अवस्था या गुण 2. संत या संन्यासी का पद।

संतप्त (सं.) [वि.] 1. दुखी; पीड़ित 2. तपा हुआ।

संतरण (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह तरने या पार होने की क्रिया या भाव 2. तैरने या तैर कर पार होना। [वि.] 1. लेने जाने वाला; उद्धारक 2. तारने वाला।

संतरा (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का मीठा फल जो नीबू की तरह होता है 2. नारंगी।

संतरी (इं.) [सं-पु.] 1. किसी स्थान पर पहरा देने वाला सिपाही; पहरेदार 2. द्वार पर खड़ा होकर पहरा देने वाला व्यक्ति; द्वारपाल; दौवारिक।

संतवृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] संत या संन्यासी के तुल्य आचरण।

संतस्वभाव (सं.) [सं-पु.] संत के समान निर्मल और पवित्र आचरण या व्यवहार।

संतान (सं.) [सं-पु.] 1. स्त्री और पुरुष के मेल से उत्पन्न संतति 2. पुत्र-पुत्री; लड़के-बच्चे; औलाद 3. कुल; वंश 4. फैलाव; विस्तार।

संतानवान (सं.) [वि.] संतानवाला।

संतानहीनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संतान न होने की स्थिति या भाव 2. पुत्र-पुत्री, बच्चे आदि न होने का भाव।

संतानोत्पत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] संतान की उत्पत्ति।

संताप (सं.) [सं-पु.] 1. तीव्र ताप; जलन; आँच 2. दुख; कष्ट 3. ज्वर; बुख़ार 4. शरीर में होने वाला दाह रोग 5. तीव्र मानसिक क्लेश या पीड़ा।

संतापन (सं.) [सं-पु.] 1. संताप देने की क्रिया; जलाना 2. बहुत अधिक कष्ट या दुख देना 3. कामदेव के पाँच बाणों में से एक बाण का नाम 4. (पुराण) एक प्रकार का अस्त्र जिसके प्रयोग से शत्रु को संताप होना माना जाता है 5. आवेश; उत्तेजन; रोष 6. शिव का एक अनुचर। [वि.] 1. ताप पहुँचाने वाला; जलाने वाला 2. दुख देने वाला; कष्ट पहुँचाने वाला।

संतापित (सं.) [वि.] 1. जिसे बहुत संताप पहुँचाया गया हो; पीड़ित; संतप्त 2. तपाया हुआ; जलाया हुआ।

संतापी (सं.) [वि.] संताप देने वाला।

संतुलन (सं.) [सं-पु.] 1. ठीक से तौलने की क्रिया या भाव 2. तौलते हुए तराज़ू के दोनों पलड़े बराबर और ठीक रखना 3. सभी पक्षों का यथास्थान होना; (बैलेंस)।

संतुलित (सं.) [वि.] 1. जिसका संतुलन हुआ हो 2. जिसका भार, फैलाव, बल आदि बराबर रखा गया हो 3. उचित; ठीक; एक समान; (बैलेंस्ड)।

संतुष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसके मन को तुष्ट कर दिया गया हो या जो तुष्ट हो गया हो; तृप्त 2. प्रसन्न 3. जो राजी हो गया हो या मान गया हो।

संतुष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संतुष्ट होने की अवस्था या भाव; तृप्ति; संतोष 2. प्रसन्नता।

संतुष्टिकरण (सं.) [सं-स्त्री.] राजनैतिक कारणों के कारण किसी को संतुष्ट करने के लिए माँगों को स्वीकार करने या विशेष सुविधा प्रदान करने की क्रिया या भाव।

संतूर (फ़ा.) [वि.] 1. शततंत्री वीणा 2. कश्मीर का लोक वाद्ययंत्र।

संतृप्त (सं.) [वि.] (रसायनविज्ञान) (किसी पदार्थ का विलयन या घोल) जिसमें और अधिक पदार्थ न घोला जा सके; (सैचरेटेड)।

संतृप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पूर्ण तृप्ति 2. (रसायनविज्ञान) किसी विलयन या घोल की वह अवस्था जब उसमें किसी निश्चित पदार्थ की अधिकतम मात्रा घुल चुकी हो; (सेपरेशन)।

संतोष (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी मानसिक अवस्था जिसमें प्रदत्त वस्तु या स्थिति ही यथेष्ट हो 2. तृप्ति का भाव; सब्र; संतुष्टि 3. आनंद; हर्ष 4. धैर्य।

संतोषक (सं.) [वि.] 1. तृप्त करने वाला 2. प्रसन्न करने वाला।

संतोषजनक (सं.) [वि.] 1. जिससे संतोष या मानसिक शांति हो 2. यथेष्ट; उपयुक्त 3. संतोष देने वाला।

संतोषप्रद (सं.) [वि.] संतोष देने वाला।

संतोषमय (सं.) [वि.] आनंदित; प्रमुदित; हँसमुख।

संतोषित (सं.) [वि.] 1. तृप्त कराया हुआ 2. प्रसन्न किया हुआ।

संतोषी (सं.) [वि.] 1. जिसे संतोष हो 2. सब्र करने वाला 3. संतुष्ट।

संतोष्य (सं.) [वि.] संतोषणीय।

संत्रस्त (सं.) [वि.] 1. जिसे बहुत संताप हुआ हो 2. भयभीत; डरा हुआ; परेशान 3. व्याकुल; घबराया हुआ 4. पीड़ित; दुखित।

संत्रास (सं.) [सं-पु.] 1. तीव्र वेदना या पीड़ा 2. त्रास; आतंक 3. डर; भय।

संथाल [सं-पु.] 1. पूर्वोतर भारत की प्राचीन जनजाति 2. एक प्रसिद्ध आदिवासी समूह 3. उक्त जनजाति या आदिवासी समूह का पुरुष।

संथाली [सं-स्त्री.] संथालों की भाषा। [वि.] संथाल संबंधी; संथाल का।

संदंश (सं.) [सं-पु.] 1. सँड़सी नामक लोहे का औज़ार 2. न्याय या तर्क के अनुसार अपने प्रतिपक्षी को दोनों ओर से उसी प्रकार जकड़ या बाँध देना जिस प्रकार सँड़सी से कोई बरतन पकड़ते हैं 3. सुश्रुत के अनुसार सँड़सी के आकार का एक प्रकार का औज़ार जिसकी सहायता से शरीर में गड़ा हुआ काँटा आदि निकालते थे; कर्कमुख 4. स्वर या व्यंजन आदि के उच्चारण के लिए ज़ोर से दाँतों का संवरण, संपीडन या भींचना 5. नरक विशेष का नाम 6. पुस्तक का कोई परिच्छेद 7. शरीर के उन अंगों का नाम जिनसे किसी वस्तु को पकड़ने का काम लेते हैं।

संदर्प (सं.) [सं-पु.] घमंड; अहंकार।

संदर्भ (सं.) [सं-पु.] 1. रचना; बनावट 2. वह वर्णित प्रसंग, विषय आदि जिसका उल्लेख हो; (कंटेक्स्ट) 3. वह परिस्थिति जिसमें कोई घटना घटी हो 4. किसी पुस्तक या ग्रंथ में उल्लिखित वे बातें जिनका उपयोग जानकारी बढ़ाने के लिए किया गया हो।

संदर्भ ग्रंथ (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा ग्रंथ जिसमें कुछ प्रसंगवत बातें देखी जाएँ 2. जिज्ञासा पूर्ति के उद्देश्य से देखा जाने वाला ग्रंथ, जैसे- कोश, विश्वकोश, साहित्यकोश आदि।

संदर्भिका (सं.) [सं-स्त्री.] संदर्भ ग्रंथों की सूची।

संदर्श (सं.) [सं-पु.] 1. दृश्य 2. परिप्रेक्ष्य 3. यथार्थ।

संदर्शन (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह देखने की क्रिया; अवलोकन 2. घूरना; अपलक देखना; टकटकी लगाकर देखना 3. दृष्टि; निगाह; नज़र 4. परीक्षा; इम्तहान 5. ज्ञान 6. आकृति; सूरत; शक्ल 7. व्यवहार 8. दिखाना; प्रदर्शित करना।

संदली (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का हलका पीला रंग 2. एक प्रकार का हाथी जिसके दाँत नहीं होते हैं 3. घोड़े की एक जाति। [सं-स्त्री.] 1. कुरसी 2. संदल की बनी हुई वस्तु।

संदिग्ध (सं.) [वि.] 1. जिसमें संदेह हो; संदेहयुक्त; संदेहास्पद 2. अनिश्चित (वाक्य या कथन)। [सं-पु.] ऐसा व्यक्ति जो अपराधी या दोषी हो।

संदिग्धता (सं.) [सं-स्त्री.] संदेह या भ्रम में होने की अवस्था, भाव या गुण।

संदिग्धार्थ (सं.) [वि.] 1. द्वयार्थ; अस्पष्टार्थ 2. अनिश्चित।

संदीपक (सं.) [वि.] उद्दीपन।

संदीपन (सं.) [सं-पु.] 1. तेज़ या प्रबल करने की क्रिया 2. कृष्ण के गुरु का नाम 3. कामदेव के पाँच बाणों में से एक। [वि.] 1. उद्दीपन करने वाला; उत्तेजन करने वाला 2. सुलगाने वाला; प्रज्वलित करने वाला।

संदीप्त (सं.) [वि.] 1. उत्तेजित 2. प्रज्वलित।

संदूक (अ.) [सं-पु.] 1. लकड़ी, चमड़े या धातु की पेटी 2. चौकोर बक्स 3. पिटारा।

संदूकची (अ.+तु.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी पेटी; छोटा संदूक 2. धन, द्रव्य और मूल्यवान वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए बनी तिजोरी या ढक्कनदार टोकरी; पिटारी।

संदूकड़ी (अ.) [सं-स्त्री.] छोटा संदूक; छोटा बकस।

संदूकी (अ.) [सं-स्त्री.] छोटा संदूक।

संदूषण (सं.) [सं-पु.] 1. संपर्क प्रभाव; संपर्क विकार 2. सम्मिश्रण।

संदूषित (सं.) [वि.] संक्रमित; दूषित।

संदृष्ट (सं.) [वि.] 1. निर्दिष्ट 2. पूर्ण रूप से देखा हुआ।

संदेश (सं.) [सं-पु.] 1. समाचार; हाल; ख़बर 2. किसी के द्वारा भिजवाई गई या कहलाई गई बात; संदेशा; (मेसिज) 3. आदेश; आज्ञा।

संदेशवाहक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो संदेश, सूचना, ख़बर आदि लाने या ले जाने का काम करता है 2. संवाद पहुँचाने वाला व्यक्ति; संवदिया; दूत। [वि.] संदेश लाने या ले जाने वाला।

संदेशा (सं.) [सं-पु.] 1. वह बात या संवाद जिसे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भेजता है 2. सूचना; समाचार; ख़बर 3. किसी महापुरुष या कथा आदि का प्रेरणादायक विचार; (मेसिज)।

संदेशी (सं.) [सं-पु.] संदेश लाने या ले जाने वाला व्यक्ति; संदेशवाहक।

संदेह (सं.) [सं-पु.] 1. संशय; शंका; शक 2. निश्चय का अभाव 3. होने न होने के बीच की स्थिति; (डाउट) 4. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का अर्थालंकार जिसमें वास्तविकता के संबंध में संदेह हो।

संदेहपूर्ण (सं.) [वि.] 1. जिसपर संदेह हो 2. शंका या भ्रम से युक्त; शंकायुक्त।

संदेहात्मक (सं.) [वि.] 1. जिसमें संदेह हो; संदेहास्पद; संदिग्ध 2. जिसकी वजह से शंका या भ्रम उत्पन्न हो।

संदेहार्थक (सं.) [वि.] द्विअर्थ देने वाला।

संदेहास्पद (सं.) [वि.] 1. संदिग्ध; जिसमें संदेह हो 2. जिसमें संदेह या दुविधा हो।

संदेही (सं.) [वि.] 1. संदेहवाला; शक्की 2. अनिश्चयात्मक।

संदोह (सं.) [सं-पु.] 1. समूह; झुंड 2. दूध दुहना 3. गायों आदि के झुंड का सारा दूध 4. किसी वस्तु का संपूर्ण मान या रूप।

संधा (सं.) [वि.] जिसमें कोई विशेष अभिप्राय निहित हो; अभिप्राय से युक्त, जैसे- संधा भाषा। [सं-स्त्री.] 1. संधि; मेल; योग 2. आशय; अभिप्राय 3. घनिष्ठ संबंध।

संधान (सं.) [सं-पु.] 1. खोजने या पता लगाने का कार्य; अनुसंधान 2. मिलाना; जोड़ना; (वेल्डिंग) 3. निशाना बैठाना 4. संधि; जोड़; मिश्रण 5. किसी वस्तु को सड़ाकर ख़मीर उठाना; (फ़र्मेंटेशन) 6. किसी उद्देश्य से किसी का किसी ओर मिलना; गठबंधन बनाना; (एलायंस) 7. मेल मिलाना, बैठाना या जमा-ख़र्च करना; (एडजस्टमेंट)।

संधानना (सं.) [क्रि-स.] 1. धनुष से निशाना लगाना 2. बाण चलना 3. शस्त्र चलाने के लिए निशाना साधना।

संधाना (सं.) [सं-पु.] अचार; खटाई।

संधारण (सं.) [सं-पु.] 1. धारण करना 2. बरदाश्त करना; सहन करना 3. अस्वीकार करना 4. अनुसरण करना; अनुवर्तन करना।

संधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मिलना; जुड़ना 2. मेल; संयोग 3. ऐसा स्थान जहाँ अनेक चीज़ें आपस में जुड़ी हों; जोड़ 4. जहाँ कई हड्डियाँ आपस में जुड़ी हों; गाँठ; (ज्वाइंट) 5. ख़ाली जगह; अवकाश; दरार 6. दोस्ती; मित्रता 7. भेद; रहस्य।

संधिकाल (सं.) [सं-पु.] 1. दो अवस्थाओं के मिलने का समय 2. जुड़ने या मेल-मिलाप करने का समय।

संधित (सं.) [वि.] संधि युक्त।

संधिपत्र (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का पत्र जिसमें संधि, मेलजोल या समझौते की शर्तें लिखी जाती हैं; संधिलेखा।

संधिरोग (सं.) [सं-पु.] वह रोग जिसमें शरीर के जोड़ों में दर्द होता है; गठिया; (आरथ्राइटिस)।

संधिविच्छेद (सं.) [सं-पु.] 1. (व्याकरण) संधियों का विच्छेद; संधिगत शब्दों को अलग-अलग करना 2. समझौता तोड़ना या टूटना।

संध्यक्षर (सं.) [सं-पु.] दो स्वरों का ऐसा अनुक्रम जो मिलकर एक आक्षरिक शिखर का निर्माण करते हैं और जिसके उच्चारण में जिह्वा एक स्वर की स्थिति में आते ही दूसरे स्वर की स्थिति में विसर्पण करती है, जैसे- 'अइ' (भइया), 'अउ' (कउआ)।

संध्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दिन और रात के मिलने का समय; संधिकाल 2. शाम; सायंकाल 3. दो युगों के मिलने का समय; युगसंधि 4. आर्यों की एक प्रसिद्ध पूजा जो सुबह, दोपहर और संध्या को होती है 5. हद; सीमा।

संध्याकालीन (सं.) [वि.] दिन के अंतिम पहर का; सूर्यास्त के समय का; संध्याकाल संबंधी।

संध्योपासन (सं.) [सं-पु.] संध्या आरती या प्रार्थना।

संध्योपासना (सं.) [सं-पु.] संध्या के समय की जाने वाली पूजा या अर्चना आदि; संध्यावंदन।

संन्यस्त (सं.) [वि.] 1. छोड़ा हुआ; फेंका हुआ 2. संन्यासी जैसा; जिसने संन्यास लिया हो; जिसने संन्यास में प्रवेश लिया हो 3. अलग किया हुआ; हटाया हुआ 4. खड़ा किया हुआ।

संन्यास (सं.) [सं-पु.] 1. परित्याग करना; विरक्ति होने का भाव 2. पूरी तरह से छोड़ना 3. कानूनी अधिकारों का स्वेच्छा से त्याग 4. हिंदू समाज में चतुर्थ आश्रम 5. धरोहर 6. देहत्याग 7. मृत्यु 8. इकरार; शर्त 9. खिलाड़ी आदि का किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धा में न खेलने का निश्चय।

संन्यासाश्रम (सं.) [सं-पु.] 1. हिंदुओं के चार आश्रमों में से अंतिम जिसमें त्यागी और विरक्त होकर सब कार्य निष्काम भाव से किए जाते हैं 2. संन्यास।

संन्यासिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संन्यास आश्रम का पालन करने वाली स्त्री 2. त्यागी और विरक्त स्त्री।

संन्यासी (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो संन्यास ले चुका हो 2. संन्यास आश्रम का पालन करने वाला व्यक्ति 3. त्यागी पुरुष। [वि.] संन्यास आश्रम में रहने वाला।

संपत्काल (सं.) [सं-पु.] ख़ुशी का समय; अच्छे दिन।

संपत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धन-दौलत; जायदाद जो बेची-ख़रीदी जा सके; (प्रॉपर्टी) 2. लाभदायक वस्तु 3. समृद्धि; ऐश्वर्य; अभ्युदय; वैभव 4. सिद्धि; सफलता 5. प्राचुर्य; अधिकता; बहुतायत 6. अनुकूलता; सामंजस्य।

संपत्तिकर (सं.) [सं-पु.] वह कर जो संपत्ति या जायदाद के अनुसार लगता है; (प्रॉपर्टी टैक्स)।

संपत्तिवान (सं.) [वि.] 1. जिसके पास धन-दौलत हो या जो धन से संपन्न हो 2. धनवान; मालदार; धनवंत; वैभवशाली।

संपत्तिशाली (सं.) [वि.] 1. ज़मीन-जायदादवाला 2. वैभवशाली 3. धनी; अमीर।

संपत्तिहरण (सं.) [सं-पु.] अन्य की संपत्ति बलपूर्वक छीन लेने की क्रिया या भाव।

संपद (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सफलता; सिद्धि 2. धन-दौलत; संपत्ति 3. सुख; सौभाग्य; वैभव 4. सामंजस्य 5. कोश; ख़ज़ाना; भंडार 6. किसी संस्था आदि के व्यापार में लगी हुई पूँजी 7. व्यापार में लगी हुई पूँजी का सूचक प्रमाणपत्र 8. प्राप्ति; लाभ।

संपदा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दौलत; धन; संपत्ति; खज़ाना 2. ऐश्वर्य; वैभव।

संपदाशुल्क (सं.) [सं-पु.] संपत्ति या जायदाद पर लगने वाला कर; संपत्तिकर।

संपन्न (सं.) [वि.] 1. पूर्ण किया हुआ; पूरा किया हुआ; साधित 2. धनी; भाग्यवान; उन्नतिशील 3. पूर्णतः विकसित 4. घटित; जो घटा हो 5. जानकार; युक्त।

संपन्नता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संपन्न होने की अवस्था या भाव 2. समाप्ति; पूर्णता 3. अमीरी; रईसी।

संपन्नावस्था (सं.) [सं-स्त्री.] संपन्न होने की अवस्था।

संपरीक्षक (सं.) [सं-पु.] संपरीक्षा करने वाला व्यक्ति।

संपरीक्षण (सं.) [सं-पु.] संपरीक्षा करने की क्रिया या भाव।

संपरीक्षित (सं.) [वि.] जिसकी संपरीक्षा हो चुकी हो।

संपर्क (सं.) [वि.] 1. मिलावट 2. संयोग; मेल 3. संसर्ग; मैथुन; संबंध 4. आपसी लगाव; वास्ता; संगति।

संपर्कजन्य (सं.) [वि.] संपर्क से उत्पन्न होने वाला।

संपात (सं.) [सं-पु.] 1. एक साथ गिराना या मिलाना; भिड़ंत; टक्कर 2. संपर्क; संसर्ग; समागम 3. वह स्थान जहाँ एक रेखा दूसरी रेखा से मिलती या उसे काटती हुई बढ़ती है 4. चलना; हटाया जाना 5. संगम; मिलन 6. तलछट; गाद 7. प्रवेश; पहुँच; दख़ल 8. पक्षियों के उड़ने का तरीका 9. युद्ध का ढंग 10. घटित होना 11. गरुड़ का पुत्र।

संपादक (सं.) [सं-पु.] 1. पुस्तक या सामयिक पत्र आदि को संशोधित कर प्रकाशन के योग्य बनाने वाला व्यक्ति 2. दैनिक पत्र आदि का संचालन या संपादन करने वाला व्यक्ति; (एडिटर)। [वि.] 1. कार्य संपन्न करने वाला; काम पूरा करने वाला 2. प्रस्तुत करने वाला; उत्पन्न करने वाला।

संपादकत्व (सं.) [सं-पु.] संपादन।

संपादकीय (सं.) [सं-पु.] 1. किसी पत्र, पत्रिका आदि में संपादक द्वारा लिखी गई टिप्पणी 2. अग्रलेख; वक्तव्य। [वि.] संपादक संबंधी; संपादक का।

संपादन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी काम को ठीक तरह से पूरा करना; अंजाम देना; प्रस्तुत करना 2. किसी कृति या लेख को प्रकाशित करने योग्य बनाना; क्रम आदि ठीक करना 3. ठीक या दुरुस्त करना 4. पत्र-पत्रिकाओं का संपादन; (एडिटिंग)।

संपादन कला (सं.) [सं-स्त्री.] पत्र, पत्रिका, समाचार आदि के संपादन की कला।

संपादनालय (सं.) [सं-पु.] 1. संपादन कार्य किए जाने का स्थान; कक्ष 2. संपादक अथवा व्यवस्थापक का कार्यालय; पृष्ठ कक्ष।

संपादिका (सं.) [सं-स्त्री.] स्त्री संपादक।

संपादित (सं.) [वि.] 1. जिसे पूरा किया गया हो (काम) 2. जिसे ठीक करके प्रकाशन के योग्य बनाया गया हो (समाचारपत्र, लेख आदि)।

संपालक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो पालन करता है; पालक 2. अभिरक्षक।

संपीड़क (सं.) [वि.] 1. दबाने वाला 2. निचोड़ने या मसलने वाला 3. जो बहुत अधिक दुख देता है 4. दंड देने वाला।

संपीड़न (सं.) [सं-पु.] 1. आयतन या विस्तार कम करने के लिए दबाने की क्रिया; (कॉम्प्रेशन) 2. दबाकर निचोड़ना; मसलना 3. दंड 4. दुख या कष्ट देना 5. एक उच्चारण दोष।

संपुट (सं.) [सं-पु.] 1. कटोरे के आकार की कोई वस्तु 2. पत्तों का बना हुआ दोना 3. हथेली की अंजलि 4. डिब्बा; संदूक; पिटारी; (बॉक्स) 5. मृतक का कपाल; खोपड़ी 6. औषधि आदि पकाने के लिए कपड़े और गीली मिट्टी से लपेटकर बनाया गया एक पात्र 7. कोश 8. गीत का टेक; (केविटी)।

संपुटिका (सं.) [सं-पु.] मोहर; पुटी; पुटक।

संपुटित (सं.) [वि.] 1. अंजलि या दोने के रूप में लाया हुआ 2. इकट्ठा किया हुआ या एक जगह लाया हुआ; एकत्र।

संपुटी (सं.) [सं-स्त्री.] छोटी कटोरी या तश्तरी जिसमें पूजन के लिए घिसा हुआ चंदन, अक्षत आदि रखते हैं।

संपुष्ट (सं.) [सं-पु.] बँधा हुआ सामान; (पैकेज; पैकेट)।

संपुष्टि (सं.) [सं-पु.] पुष्टिकरण; पक्का करना।

संपूर्ण (सं.) [सं-पु.] 1. (संगीत) एक राग जिसमें सातों सुर समाहित हैं 2. आकाश नामक तत्व। [वि.] 1. पूरा भरा हुआ; युक्त; भरा-पूरा 2. सारा; सब 3. पूरा या समाप्त किया हुआ 4. जो पूर्ण रूप में हो 5. आदि से अंत तक।

संपूर्णतः (सं.) [क्रि.वि.] पूर्ण रूप से; पूरी तरह से।

संपूर्णतया (सं.) [क्रि.वि.] पूरी तरह से; भली-भाँति; अच्छी तरह।

संपूर्णता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संपूर्ण होने की अवस्था, गुण या भाव; पूर्णता; समग्रता 2. अंत; समाप्ति।

संपूर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] अच्छी तरह से पूरी करने की क्रिया या भाव।

संपृक्त (सं.) [वि.] 1. जिससे संपर्क हुआ हो; संबद्ध 2. मिश्रित; मिला हुआ 3. पूर्ण; भरा हुआ 4. लगा; जुड़ा; सटा हुआ।

संपृष्ट (सं.) [वि.] जो पूछा गया हो।

संपोषक (सं.) [सं-पु.] वह जो किसी का पालन करता हो; पालक; पालनकर्ता; पालनहार। [वि.] पालन-पोषण करने वाला; अवरक्षक; परिपालक।

संपोषण (सं.) [सं-पु.] 1. संवर्धन; पालन-पोषण 2. समर्थन।

संपोषित (सं.) [वि.] 1. संवर्धित; पालित-पोषित 2. जिसकी पुष्टि की गई हो; समर्थित।

संप्रज्ञात (सं.) [सं-पु.] (योग) समाधि के दो प्रधान भेदों में से एक; वह समाधि जिसमें आत्मा विषयों के बोध से सर्वथा निवृत्त न होने के कारण अपने स्वरूप के बोध तक न पहुँची हो। [वि.] अच्छी तरह विवेचित, ज्ञात या बोधयुक्त।

संप्रति (सं.) [क्रि.वि.] 1. इस समय; अभी; आजकल; फिलहाल 2. मुकाबले में 3. ठीक तौर या ढंग से 4. उपयुक्त या ठीक समय पर।

संप्रद (सं.) [वि.] 1. वैभव, सुख आदि देने वाला 2. देने वाला।

संप्रदान (सं.) [सं-पु.] 1. दान आदि देने की क्रिया या भाव 2. किसी अन्य की वस्तु आदि को किसी और के पास पहुँचाना 3. (व्याकरण) वह कारक जिसमें देना शब्द क्रिया का लक्ष्य होता है; संप्रदानकारक।

संप्रदाय (सं.) [सं-पु.] 1. परंपरा से चला आया हुआ सिद्धांत, मत और ज्ञान 2. परिपाटी; रीति; प्रथा; विश्वास 3. किसी मत विशेष के अनुयायियों का समूह, जैसे- वैष्णव और शैव संप्रदाय 4. धर्म; मार्ग; रास्ता। [वि.] देने वाला।

संप्रदायवाद (सं.) [सं-पु.] किसी विशेष संप्रदाय का हित चाहने वाली विचारधारा।

संप्रदायवादी (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो अपने संप्रदाय को सबसे अच्छा और दूसरे संप्रदायों को हेय या तुच्छ समझता हो 2. किसी संप्रदाय विशेष या संप्रदाय की विचारधारा को मानने वाला व्यक्ति। [वि.] किसी संप्रदाय विशेष की विचारधारा को मानने वाला।

संप्रदायी (सं.) [सं-पु.] 1. संप्रदायवादी 2. किसी पंथ का अनुयायी। [वि.] सांप्रदायिक भाव रखने वाला।

संप्रभु (सं.) [वि.] ऐसा प्रभु या सत्ताधारी जिसके ऊपर और कोई प्रभु या सत्ताधारी न हो; सर्वप्रधान प्रभु; सर्वप्रधान सत्ताधारी।

संप्रभुता (सं.) [सं-पु.] संप्रभु या सत्ताधारी होने की स्थिति, गुण या भाव (व्यक्ति, राष्ट्र आदि की); (सावरेनटी)।

संप्रयुक्त (सं.) [वि.] 1. मिश्रित; संबद्ध 2. जोड़ा हुआ।

संप्रयोग (सं.) [सं-पु.] 1. उपयोग; प्रयोग; अनुप्रयोग 2. निवेदन।

संप्रवाह (सं.) [सं-पु.] एकीकरण; संगम; मिलने की जगह।

संप्रवृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसक्ति 2. संघटन 3. अनुकरण की इच्छा।

संप्राप्त (सं.) [वि.] 1. जो किसी प्रकार अपने अधिकार में आया या लाया गया हो; प्राप्य; मिला हुआ 2. उपस्थित 3. जो घटित हुआ हो।

संप्राप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह शारीरिक अवस्था जो शरीर में किसी रोग के रोगाणु पहुँचने, उस रोग के परिपक्व होने और बाह्य लक्षण उपस्थित होने तक माना जाता है 2. प्राप्त होने, हाथ में आने या मिलने की क्रिया या भाव 3. घटना का घटित होना।

संप्रेक्षक (सं.) [सं-पु.] देखने वाला या निरीक्षण करने वाला व्यक्ति; दर्शक।

संप्रेक्ष्य (सं.) [वि.] 1. जिसका संप्रेक्षण हुआ हो या होने वाला हो 2. देखने या निरीक्षण करने योग्य।

संप्रेरित (सं.) [वि.] विशेष रूप से प्रेरित।

संप्रेषक (सं.) [वि.] 1. जो किसी के पास कोई चीज़ भेजे 2. प्रेषक; प्रेषणकर्ता; भेजने वाला।

संप्रेषण (सं.) [सं-पु.] 1. प्रेषित करना; भेजना; किसी बात, विचार आदि को पहुँचाना; (कम्युनिकेशन) 2. स्थानांतरित करना 3. बरख़ास्त करना; नौकरी से हटाना।

संप्रेषणीय (सं.) [वि.] जिसको संप्रेषित किया जा सके।

संप्रेषित (सं.) [वि.] जो संप्रेषित हो गया हो।

संप्रेष्य (सं.) [वि.] 1. संप्रेषण के योग्य 2. जो भेजा गया हो; संप्रेषित।

संप्लव (सं.) [सं-पु.] 1. हलचल 2. बाढ़ 3. हो-हल्ला 4. समूह।

संबंध (सं.) [सं-पु.] 1. बँधना, जुड़ना या मिलना 2. योग; मेल; संयोग; साथ; रिश्ता; नाता 3. पारस्परिक लगाव; घनिष्ठता; मैत्री 4. विवाह 5. (व्याकरण) एक कारक जिससे संबंध सूचित होता है, जैसे- राम का धनुष 6. उल्लेख; हवाला।

संबंधक (सं.) [वि.] 1. संबंध रखने वाला 2. योग्य; उपयुक्त 3. दो वस्तुओं, व्यक्तियों आदि के मध्य में पारस्परिक संबंध स्थापित करने वाला। [सं-पु.] 1. रक्त या विवाह का संबंध 2. मित्र; दोस्त 3. नातेदार; रिश्तेदार 4. विवाह संबंध स्थापित करके की जाने वाली संधि।

संबंधकारक (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) वह कारक जिससे एक शब्द का दूसरे शब्द के साथ संबंध सूचित होता है; षष्ठी।

संबंधन (सं.) [सं-पु.] संबंध को जोड़ने की क्रिया या भाव।

संबंधबोधक (सं.) [वि.] किसी संज्ञा या सर्वनाम का संबंध अन्य संज्ञा या सर्वनाम से स्थापित करने वाला।

संबंधयोजक (सं.) [वि.] (व्याकरण) संबंध को जोड़ने वाला।

संबंधवाचक (सं.) [वि.] (व्याकरण) संबंध को बताने वाला।

संबंधवान (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) वह शब्द जिसका संबंध दूसरे पद के साथ दिखाया जाता है।

संबंध विच्छेद (सं.) [सं-पु.] 1. परस्पर किसी संबंध के न रहने की अवस्था या भाव 2. पति व पत्नी का विधिक दृष्टि से वैवाहिक संबंध विच्छेद की अवस्था या भाव; तलाक।

संबंधसूचक (सं.) [वि.] वह जो किसी प्रकार का संबंध दर्शाए।

संबंधातिशयोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अतिशयोक्ति अलंकार का एक भेद जिसमें असंबंध में संबंध दिखाया जाता है।

संबंधित (सं.) [वि.] जिसका किसी से संबंध हो; किसी से जुड़ा हुआ; संबद्ध।

संबंधी (सं.) [सं-पु.] 1. नातेदार; रिश्तेदार 2. जिसके साथ विवाह के कारण संबंध हो; समधी।

संबद्ध (सं.) [वि.] 1. किसी के साथ जुड़ा, लगा या बँधा हुआ 2. संबंधयुक्त 3. संलग्न; विषयक 4. संबंध रखने वाला; (कनेक्टेड)।

संबद्धता (सं.) [सं-स्त्री.] संयुक्त होने की अवस्था या भाव; संयुक्तता; संयोजिता; संसक्ति।

संबद्धीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी योजना, कार्यक्रम, वस्तु आदि से जुड़ने की क्रिया या भाव।

संबल (सं.) [सं-पु.] 1. कोई सहायक वस्तु, बात या विचार 2. सहारा; ताकत 3. सेमल का वृक्ष।

संबाध (सं.) [सं-पु.] 1. अड़चन; बाधा 2. समूह; भीड़ 3. कष्ट 4. संघर्ष।

संबुद्ध (सं.) [वि.] 1. जाग्रत; ज्ञानप्राप्त; सचेत 2. ज्ञानी; ज्ञानवान 3. पूर्ण रूप से जाना हुआ; ज्ञात। [सं-पु.] 1. बुद्ध 2. (जैन धर्म) जिनदेव 3. ज्ञानी।

संबुल (अ.) [सं-पु.] 1. एक सुगंधित वनौषधि; बालछड़ 2. गेहूँ अथवा जौ की बाल 3. केश; अलक; ज़ुल्फ़।

संबोध (सं.) [सं-पु.] पूराबोध; प्रत्‍यक्ष ज्ञान का विषय।

संबोधन (सं.) [सं-पु.] 1. बोध कराना; ज्ञान कराना 2. जगाना; बतलाना; समझाना-बुझाना 3. आह्वान करना; पुकारना 4. किसी को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द 5. व्याकरण का आठवाँ कारक।

संबोधि (सं.) [सं-पु.] (बौद्ध) पूर्ण ज्ञान। [वि.] संबोधित; के नाम; के प्रति।

संबोधित (सं.) [वि.] 1. (व्यक्ति) जिसे संबोधन किया जाए 2. चिताया हुआ 3. (विषय) जिसका बोध या ज्ञान कराया गया हो।

संबोध्य (सं.) [वि.] 1. जिसे बतलाया या समझाया जाए 2. जिसे संबोधित किया जाए।

संभरण (सं.) [सं-पु.] 1. पालन-पोषण; देखभाल 2. योजना; तैयारी 3. ज़रूरी चीज़ों का समायोजन; (सप्लाई) 4. एकत्र करना; संचय 5. सामग्री; सामान 6. यज्ञ की वेदी की ईंटें।

संभरण निधि (सं.) [सं-स्त्री.] वह निधि जिसमें कामगार आदि के वृद्धावस्था के समय भरण-पोषण के लिए धन एकत्र रहता है; (प्रॉविडेंट फ़ंड)।

संभव (सं.) [वि.] 1. किए जाने या हो सकने योग्य 2. कार्य जो हो सकता या किया जा सकता हो। [सं-पु.] 1. जन्म; उत्पत्ति; अस्तित्व; पैदाइश 2. होना; घटित होना 3. हेतु; कारण; मिलन 4. संयोग 5. उपयुक्तता; समीचीनता 6. कर सकने की योग्यता।

संभवतः (सं.) [अव्य.] 1. हो सकता है; संभव है 2. संभावना है; मुमकिन है; गालिबन।

संभाग (सं.) [सं-पु.] 1. कई जनपदों को मिलाकर बनाया गया भाग 2. कमिश्नरी; मंडल।

संभागीय (सं.) [वि.] संभाग या मंडल से संबंधी; मंडलीय।

संभार (सं.) [सं-पु.] 1. कोई चीज़ एकत्र या इकट्ठा करके रखने की क्रिया या भाव; संचय 2. कोई विशेष कार्य आरंभ करने के पहले किया जाने वाला काम; तैयारी 3. धन; संपत्ति; वित्त 4. पूर्णता 5. समूह; दल; राशि; ढेर 6. पालन; पोषण; 7. अधिकता; अतिशयता; प्राचुर्य।

संभावना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी घटना या बात के संबंध में वह स्थिति जिसमें उसके पूर्ण होने की आशा हो; (पॉसिबिलिटी) 2. होने का भाव; कल्पना; अनुमान 3. ठीक या पूरा करना 4. योग्यता; पात्रता।

संभावनार्थ (सं.) [सं-पु.] क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के संभव होने का आभास हो।

संभावित (सं.) [वि.] 1. जिसके होने की संभावना हो 2. जिसकी कल्पना या जिसपर विचार किया गया हो 3. प्रस्तुत या उपस्थित किया हुआ 4. उपयुक्त; मुमकिन; संभव 5. सम्मानित 6. योग्य।

संभावी (सं.) [वि.] 1. भविष्य काल का या भविष्य काल में होने वाला; आगामी; भविष्यकालीन 2. जो हो सकता हो या जिसके होने की संभावना हो; संभावित; संभाव्य।

संभाव्य (सं.) [वि.] 1. जिसकी संभावना हो; संभावनायुक्त; संभव होने वाला 2. सम्मान्य; आदरणीय; पूज्य और मान्य 3. प्रशंसनीय; योग्य 4. उपयुक्त; मुमकिन 5. कल्पना या विचार में आया हुआ।

संभाषक (सं.) [सं-पु.] बातचीत करने वाला।

संभाषण (सं.) [सं-पु.] 1. बातचीत; वार्तालाप 2. प्रहरी का संकेत शब्द 3. ऊँची आवाज़ में कहा गया कथन।

संभाषी (सं.) [सं-पु.] जिस व्यक्ति से औपचारिक बातचीत हो रही हो।

संभाष्य (सं.) [वि.] भाषण करने योग्य; जिससे बातचीत करना उचित हो।

संभीत (सं.) [वि.] बेहद डरा हुआ; अत्यधिक भयभीत।

संभुक्त (सं.) [वि.] 1. खाया हुआ 2. प्रयोग में लाया हुआ।

संभूत (सं.) [वि.] 1. उत्पन्न; दूसरे के साथ उत्पन्न 2. युक्त; सहित; संपन्न 3. योग्य; उपयुक्त 4. सदृश; समान; बराबर।

संभूति (सं.) [सं-स्त्री.] अस्तित्व; मौजूदगी; वज़ूद।

संभूय (सं.) [अव्य.] एक में; एक साथ; साथ में; मिलकर; साझे में।

संभूयकारी (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के साथ मिलकर काम करने वाला व्यक्ति 2. (स्मृति) प्राचीन भारत में, किसी संघ के सदस्य के रूप में कार्य करने वाला व्यापारी।

संभृत (सं.) [वि.] 1. जमा किया हुआ 2. पूरी तरह भरा हुआ 3. प्रस्तुत 4. निर्मित।

संभृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समूह; भीड़ 2. राशि 3. अधिकता 4. सामग्री।

संभेद (सं.) [सं-पु.] 1. अत्यधिक छिदना या भिदना 2. शिथिल होना; ढीला होकर खिसकना 3. वियोग; जुदाई; अलग होना 4. मिले हुए शत्रुओं में परस्पर विरोध उत्पन्न करना; भेदनीति 5. किस्म; प्रकार 6. भिड़ना; जुटना; मिलना 7. नदियों का संगम या नदी समुद्र का संगम 8. तोड़ना; टुकड़े-टुकड़े करना 9. मिलाप; मिश्रण 10. विकसित होना; खिलना 11. सारूप्य; साम्य; एकरूपता 12. मुष्टिबंध; मुट्ठी बाँधना।

संभोग (सं.) [सं-पु.] 1. पूरी तरह से होने वाला भोग, उपभोग या व्यवहार 2. समागम; मैथुन; रतिक्रीड़ा; (सेक्स) 3. (साहित्य) प्रेमी और प्रेमिका का मिलाप जो संयोग शृंगार कहलाता है 4. भोगविलास की सामग्री।

संभोगी (सं.) [सं-पु.] 1. विलासी व्यक्ति 2. कामी व्यक्ति 3. लंपट पुरुष। [वि.] 1. संभोग करने वाला 2. कामुक 3. उपयोग करने वाला 4. व्यवहार में लाने वाला।

संभोग्य (सं.) [वि.] जिसका भोग होने को हो; जो काम में लाए जाने को हो।

संभोजन (सं.) [सं-पु.] 1. भोज; दावत 2. खाने की चीज़ें; भोजन सामग्री।

संभ्रम (सं.) [सं-पु.] 1. घूमना; चक्कर लगाना; फेरा 2. उतावली; जल्दबाज़ी; व्याकुलता; विकलता; बेचैनी 3. उमंग; उत्साह; साहस; सम्मान; आदर 4. भूल; गलती; चूक 5. शोभा; छवि 6. शिव के गण।

संभ्रांत (सं.) [वि.] 1. प्रतिष्ठित; सम्मानित 2. चारों तरफ़ घुमाया हुआ; चक्कर खाया हुआ 3. उत्तेजित 4. धोखे में पड़ा या घबराया हुआ 5. तेज़; स्फूर्तियुक्त।

संभ्रांति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उन्माद; मानसिक विक्षेप 2. पीड़नोन्माद 3. संविभ्रम।

संमंत्रण (सं.) [सं-पु.] अच्छी तरह सलाह मशविरा करना।

संमुद्रण (सं.) [सं-पु.] बहुत अच्छी छपाई करना।

संयंत्र (सं.) [सं-पु.] किसी कारख़ाने में स्थापित यंत्रों, औज़ारों आदि का समूह।

संयत (सं.) [वि.] 1. बँधा या जकड़ा हुआ; बद्ध 2. दमित; रोका हुआ 3. व्यवस्थित; उद्यत; सीमित; नियंत्रित 4. संयमी; जितेंद्रिय। [सं-पु.] 1. शिव 2. योगी; यति।

संयम (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं पर नियंत्रण रखने की क्रिया 2. रोक कर या दबा कर रखने की क्रिया या भाव 3. मन को वश में रखना; इंद्रिय-निग्रह; नियंत्रण 4. बंधन; बाँधना; दूर करना; परहेज 5. क्रोध आदि को रोकना; शांत रहना 6. योग का साधन 7. प्रयत्न; उद्योग।

संयमन (सं.) [सं-पु.] 1. रोक 2. दमन; दबाव; निग्रह 3. आत्मनिग्रह; मन को वश में रखना 4. बंद रखना; कैद रखना 5. बंधन में बाँधना; जकड़ना; कसना 6. खींचना; तानना 7. यमपुर 8. वह प्रांगण जो चारों ओर चार मकान होने से बन जाए 9. वह व्यक्ति जो संयमन करता हो।

संयमहीन (सं.) [वि.] 1. संयम से रहित 2. नियंत्रण, दबाव, बंधन आदि से मुक्त।

संयमित (सं.) [वि.] 1. रोका हुआ; नियंत्रित; व्यवस्थित 2. बँधा हुआ; कसा हुआ; दमन किया हुआ 3. धार्मिक प्रवृत्ति वाला।

संयमी (सं.) [सं-पु.] 1. वैरागी; योगी 2. शासक; राजा। [वि.] 1. संयम करने वाला 2. निग्रह या निरोध करने वाला 3. जितेंद्रिय; आत्मनिग्रही।

संयुक्त (सं.) [वि.] 1. संबद्ध; जुड़ा हुआ; मिला हुआ 2. लगा या सटा हुआ; रखा हुआ; जड़ा हुआ 3. सहित; सम्मिलित 4. साथ मिलकर काम करने वाले (लोग)।

संयुक्तक (सं.) [सं-पु.] वह कागज़ या पत्र जो किसी अन्य कागज़ या पत्र आदि के साथ लगाया जाता है।

संयुक्त परिवार (सं.) [सं-पु.] वह परिवार जिसमें सभी सदस्य एक साथ मिलकर रहते हैं; संयुक्त कुटुंब।

संयुक्त राष्ट्र (सं.) [सं-पु.] अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानवाधिकार और विश्वशांति के लिए कार्यरत एक अंतरराष्ट्रीय संगठन; (यूनाइटेड नेशन)।

संयुक्त वाक्य (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) वाक्य का एक भेद; जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल वाक्य समुच्चयबोधक अव्ययों से जुड़े हों।

संयुक्तांक (सं.) [सं-पु.] (पत्र-पत्रिका) एक साथ निकलने वाला अंक।

संयुक्ताक्षर (सं.) [सं-पु.] वह वर्ण जो दो अक्षरों के मेल से बना हो, जैसे- क और त से मिलकर 'क्त' बना है (क्ष, त्र, ज्ञ)।

संयुक्तीकरण (सं.) [सं-पु.] जोड़ने या संयुक्त करने की क्रिया या भाव।

संयुग (सं.) [सं-पु.] 1. मेल-मिलाप 2. संयोग; समागम।

संयुत (सं.) [वि.] 1. किसी के साथ जुड़ा या मिला हुआ 2. बँधा हुआ; संबद्ध; एक साथ लगा हुआ; (क्युमुलेटेड)।

संयोग (सं.) [सं-पु.] 1. आकस्मिक रूप से आने वाली वह स्थिति जिसमें एक घटना के साथ ही दूसरी घटना भी घटित हो 2. मेल; मिश्रण; (कॉम्बिनेशन) 3. समागम 4. लगाव 5. प्रेमी-प्रेमिका या स्त्री-पुरुष का मिलन 6. वैवाहिक संबंध।

संयोगजन्य (सं.) [वि.] संयोग से होने वाला; इत्तफ़ाकिया।

संयोगवश (सं.) [क्रि.वि.] संयोग के कारण; इत्तफ़ाकन।

संयोग शृंगार (सं.) [सं-पु.] (साहित्य) शृंगार रस का एक भेद जिसमें प्रेमियों के मिलन आदि संबंधी बातों का वर्णन होता है।

संयोगी (सं.) [वि.] 1. संयोग के फलस्वरूप प्राप्त 2. जिसका संयोग हो चुका हो 3. जो (पुरुष) अपनी प्रिया के साथ हो 4. ब्याहता; विवाहित।

संयोजक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो जोड़ने या मिलाने का काम करता है 2. (व्याकरण) वह शब्द जो दो शब्दों या दो वाक्यों को जोड़ता है 3. सभा-समितियों आदि की बैठकों का आयोजन करने वाला व्यक्ति; (कन्वीनर)। [वि.] संयोजन करने वाला; जोड़ने वाला।

संयोजन (सं.) [सं-पु.] 1. संयोग करने, जोड़ने या मिलाने की अवस्था या भाव; युग्मन 2. एकाधिक चीज़ों को आपस में मिलाना; मिलना 3. सम्यक आयोजन; योजनापूर्ण प्रबंधन।

संयोजना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आयोजन; व्यवस्था; इंतज़ाम; तैयारी 2. मेल; मिलान।

संयोजनीय (सं.) [वि.] जिसका संयोजन किया जा सके; संयोजन करने योग्य; मिलाने योग्य।

संयोजित (सं.) [वि.] जिसका संयोजन किया गया हो या हो सकता हो।

संयोजी (सं.) [वि.] संयोजन करने वाला।

संयोज्य (सं.) [वि.] दे. संयोजनीय।

संरक्षक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो भरण-पोषण, देख-रेख आदि करता हो; अभिभावक; (गार्जियन) 2. वह जिसके निरीक्षण या देख-रेख आदि में कुछ लोग रहते हों; (वार्डन) 3. किसी संस्था आदि में वह बड़ा और मान्य व्यक्ति जो उसके प्रधान पोषकों या समर्थकों में माना जाता हो; (पेट्रन)। [वि.] 1. संरक्षण देने या करने वाला 2. आश्रय या शरण देने वाला।

संरक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. रक्षा करने की क्रिया या भाव; पूरी देख-रेख 2. अधिकार; कब्ज़ा 3. अपने आश्रय में रखकर पालन-पोषण करने की क्रिया 4. शासन द्वारा विदेशी माल से देशी माल की सुरक्षा करना; (प्रोटेक्शन)।

संरक्षण कर (सं.) [सं-पु.] अनुचित प्रतिस्पर्द्धा से स्वदेशी उद्योग, व्यवसाय आदि की रक्षा हेतु विदेशी वस्तुओं या माल पर लगाया जाने वाला कर, संरक्षण शुल्क।

संरक्षणवाद (सं.) [सं-पु.] 1. एक सिद्धांत जिसमें शासन द्वारा आर्थिक क्षेत्र में विदेशी प्रतिस्पर्द्धा में देशी उद्योग-व्यवसाय के हितों का संरक्षण किया जाता है 2. पूँजीपतियों के हितों के संरक्षण की विचारधारा।

संरक्षण शुल्क (सं.) [सं-पु.] विभिन्न करों में से एक जो आयातित वस्तुओं आदि पर लगता है, संरक्षण कर।

संरक्षणीय (सं.) [वि.] 1. रक्षा करने योग्य; हिफ़ाज़त के लायक 2. रख छोड़ने लायक।

संरक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसका संरक्षण किया गया हो 2. अच्छी तरह बचाकर रखा हुआ, संचित 3. किसी संरक्षक की देखरेख में रहने वाला (व्यक्ति)।

संरक्ष्य (सं.) [वि.] 1. जिसका संरक्षण करना हो 2. जिसका संरक्षण उचित हो।

संरचना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वस्तु की रचना या बनावट 2. अनेक अवयवों को जोड़कर वस्तु बनाने की क्रिया या भाव 3. इमारत; भवन।

संरचनात्मक (सं.) [वि.] 1. संरचना संबंधी; संरचना का 2. गठन या बनावट से संबंधित 3. भवन बनाने का; इमारती।

संराधन (सं.) [सं-पु.] 1. प्रसन्न करना 2. पूजा करना; पूजा द्वारा प्रसन्न या तुष्ट करना 3. ध्यान 4. जय-जयकार।

संरुद्ध (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह रोका हुआ 2. घेरा हुआ 3. अच्छी तरह से बंद 4. आच्छादित; ढका हुआ 5. ठसाठस भरा हुआ 6. मना किया हुआ; वर्जित।

संरोध (सं.) [सं-पु.] 1. रोक-छेक; रुकावट 2. गढ़ आदि को चारों ओर से घेरना 3. परिमिति 4. बंद करने या मूँदने की क्रिया 5. अड़चन; बाधा; प्रतिबंध 6. हिंसा।

संरोपण (सं.) [सं-पु.] 1. पेड़-पौधे लगाना 2. घाव सुखाना; घाव अच्छा करना।

संलक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. ताड़ लेना; पहचान लेना; लखना 2. रूप या लक्षण निश्चित करना।

संलक्ष्य (सं.) [वि.] 1. जो लक्षण से पहचाना जाए 2. जो देखने में आ सके 3. जो लक्षणों से जाना जा सके, जो लक्षणों द्वारा लक्षित हो सके।

संलग्न (सं.) [वि.] 1. किसी से जुड़ा हुआ या मिला हुआ; संयुक्त 2. भिड़ा हुआ; गुँथा हुआ 3. अलग से अंत में जोड़ा हुआ; नत्थी किया हुआ 4. किसी काम या बात में लगा हुआ।

संलग्नता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के साथ मिलने की अवस्था या भाव 2. लिप्तता; संबद्धता।

संलयन (सं.) [सं-पु.] 1. पक्षियों का नीचे उतरना या बैठना 2. लय को प्राप्त होना; लीन होना 3. नष्ट होना; व्यक्त न रहना।

संलाप (सं.) [सं-पु.] 1. परस्पर वार्तालाप; आपस की बातचीत 2. प्रेमपूर्ण वार्तालाप या कथोपकथन; प्रिय या प्रिया के गुणों का बखान 3. गुप्त बातचीत; गोपनीय वार्ता 4. स्वयं से कुछ कहना 5. (नाटक) एक प्रकार का संवाद जिसमें क्षोभ या आवेग नहीं होता परंतु धीरता होती है।

संलापक (सं.) [सं-पु.] (नाटक) एक प्रकार का संवाद; संलाप।

संलिप्त (सं.) [वि.] 1. पूरी तरह से लिप्त या लीन; आसक्त; गर्क 2. लगा हुआ।

संलेख (सं.) [सं-पु.] 1. विविध विषयों पर लिखा जाने वाला वह लेख जिसमें ठीक और प्रामाणिक विवरण होता है, विलेख; (वैलिड डीड) 2. राज्यों के बीच होने वाली संधि के पहले का वह मसौदा जिसपर समझौते की प्रमुख बातें लिखी जाती हैं और संबद्ध पक्षों के हस्ताक्षर होते हैं; पूर्व-लेख।

संलेखन (सं.) [सं-पु.] संलेख लिखने की क्रिया।

संलोभन (सं.) [सं-पु.] प्रलोभन।

संवत (सं.) [सं-पु.] 1. साल; वर्ष 2. भारतीय गणना प्रणालियों के अनुसार किसी विशिष्ट गणनाक्रम वाली काल-गणना, जैसे- विक्रम संवत, शक संवत।

संवत्सर (सं.) [सं-पु.] 1. वर्ष; साल 2. विक्रमादित्य के काल से प्रचलित वर्ष-गणना का प्रत्येक वर्ष 3. शिव का एक नाम।

संवरण (सं.) [सं-पु.] 1. दूर करना; हटाना 2. बंद करना 3. छिपाना 4. आच्छादित करना; ढकना 5. विचार या इच्छा को दबाना 6. रोकना 7. आत्मसंयम; आत्मनिग्रह 8. निग्रह 9. पसंद करना; चुनना 10. समाप्ति।

संवर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. अपनी ओर समेटना; अपने लिए बटोरना 2. भक्षण; भोजन चट कर जाना 3. खपत; लग जाना 4. एक वस्तु का दूसरी में समा जाना या लीन हो जाना, जैसे- जीव का ब्रह्म में लीन होना 5. गुणनफल।

संवर्धक (सं.) [वि.] जो संवर्धन करे; वृद्धि करने वाला; बढ़ाने वाला।

संवर्धन (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह बढ़ना या बढ़ाना 2. वृद्धि करना 3. पालन-पोषण करके बड़ा करना 4. पशु-पक्षियों, पौधों आदि से संबंधित ऐसी क्रिया जिससे उनका विस्तार और वृद्धि हो।

संवलन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी ओर मोड़ना या मुड़ना 2. मेल; मिलान; संयोग 3. मिलाना; मिश्रण करना।

संवलित (सं.) [वि.] 1. भिड़ा या जुटा हुआ 2. किसी के साथ मिला हुआ; युक्त 3. घिरा या घेरा हुआ 4. जिसका संकलन किया गया हो।

संवहन (सं.) [सं-पु.] 1. वहन करना; ले जाना 2. हवा, ताप या विद्युत का एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना।

संवातन (सं.) [सं-पु.] ऐसी व्यवस्था जिससे कमरे आदि में हवा का प्रवाह निरंतर बना रहे; (वेंटिलेशन)।

संवाद (सं.) [सं-पु.] 1. बातचीत; वार्तालाप; कथोपकथन 2. ख़बर; समाचार 3. भेजा हुआ या प्राप्त विवरण या वृतांत 4. चर्चा 5. सहमति; स्वीकृति 6. व्यवहार; मुकदमा।

संवादक (सं.) [वि.] 1. बातचीत करने वाला; बोलने वाला 2. समाचार देने वाला 3. बात मानने वाला 4. बजाने वाला।

संवाददाता (सं.) [सं-पु.] 1. संवाद देने वाला व्यक्ति 2. समाचार अथवा ख़बर देने वाला व्यक्ति 3. स्थानिक घटनाओं, समाचारों का संकलन और लेखन कर उन्हें संवाद के रूप में समाचार-पत्र में प्रकाशनार्थ भेजने वाला व्यक्ति; (रिपोर्टर)।

संवादहीन (सं.) [वि.] जिसमें संवाद न हो; संवाद विहीन।

संवादहीनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संवाद न होने की अवस्था, स्थिति या भाव 2. संवाद का अभाव; चुप्पी; मौन 3. {ला-अ.} दो पक्षों में बातचीत का न होना; मनमुटाव।

संवादात्मक (सं.) [वि.] जिसमें संवाद का प्राधान्य हो; संवाद की प्रधानतावाला।

संवादी (सं.) [वि.] 1. बात करने वाला 2. जो सहमत हो 3. बजाने वाला 4. समान; सदृश। [सं-पु.] (संगीत) एक स्वर।

संवार (सं.) [सं-पु.] 1. आच्छादन; ढकना 2. शब्दों के उच्चारण में कंठ का आकुंचन या दबाव 3. उच्चारण के बाह्य प्रयत्नों में से एक जिसमें कंठ का आकुंचन होता है 4. बाधा; रोध; विघ्न; अड़चन।

संवारण (सं.) [सं-पु.] 1. हटाना; दूर करना; निवारण करना 2. रोकना; न आने देना 3. निषेध करना; मना करना 4. छिपाना; आवृत करना; ढकना।

संवास (सं.) [सं-पु.] 1. साथ बसना या रहना 2. परस्पर संबंध 3. वह खुला हुआ स्थान जहाँ लोग विनोद या मन बहलाव के निमित्त एकत्र हों 4. सभा; समाज 5. मकान; घर; रहने का स्थान 6. सार्वजनिक स्थान 7. घरेलू व्यवहार।

संवाहक (सं.) [वि.] एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाला; वाहक; ढोने वाला; (करिअर)।

संवाहन (सं.) [सं-पु.] 1. उठाकर ले चलना; ढोना 2. ले जाना; पहुँचाना 3. चलाना; परिचालन 4. शरीर की मालिश; हाथ-पैर दबाना या मलना।

संवाहित (सं.) [वि.] जिसका संवाहन किया गया या हुआ हो।

संवित्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिप्रत्ति 2. सहमति 3. चेतना 4. अनुभव 5. बुद्धि।

संविद (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चेतना शक्ति 2. समझ; बोध 3. महत्व 4. संवेदन; अनुभूति 5. समझौता 6. युक्ति; उपाय 7. प्रथा 8. युद्ध।

संविदा (सं.) [सं-पु.] 1. कुछ निश्चित शर्तों पर किया गया आपसी समझौता 2. ठेका; अनुबंध।

संविदात्मक (सं.) [वि.] 1. जिसका अनुबंध या इकरार हुआ हो; अनुबंधित 2. जो समझौते पर आधारित हो।

संविदित (सं.) [वि.] 1. पूर्णतया ज्ञात; जाना-बूझा; सुविदित 2. ढूँढ़ा हुआ; खोजा हुआ 3. सबकी राय से ठहराया हुआ 4. वादा किया हुआ; जिसका करार हुआ हो 5. समझाया-बुझाया हुआ; उपदिष्ट 6. ख्यात; प्रसिद्ध 7. स्वीकृत; माना हुआ।

संविधान (सं.) [सं-पु.] 1. वह विधान, कानून या सिद्धांत जिसके अनुसार किसी राज्य, राष्ट्र या संस्था का संघटन, संचालन तथा व्यवस्था होती है; (कांस्टिट्यूशन) 2. विधान; व्यवस्था; प्रबंध 3. रचना; बनावट 4. प्रथा; रीति 5. (साहित्य) कथावस्तु में घटनाओं की व्यवस्था करना।

संविधानक (सं.) [सं-पु.] 1. विचित्र क्रिया या व्यापार; अलौकिक घटना 2. कथावस्तु में घटनाओं का क्रम; किसी नाटक की पूरी कथावस्तु। [वि.] संविधान बनाने वाला।

संविधान परिषद (सं.) [सं-स्त्री.] वह परिषद जो किसी देश, जाति आदि के राजनैतिक शासन की नियमावली बनाने के लिए संघटित हो।

संविधानवाद (सं.) [सं-पु.] माने हुए विधान, कानून या सिद्धांत के अनुरूप किसी राज्य, राष्ट्र या संस्था की शासन-व्यवस्था तथा उसकी समरूप गतिशीलता का सिद्धांत।

संविधानवादी (सं.) [वि.] 1. संविधानवाद को मानने वाला; संविधान का समर्थक 2. संविधानवाद संबंधी। [सं-पु.] वह व्यक्ति जो संविधानवाद का अनुयायी और पोषक हो; (कांस्टिच्यूशनल)।

संविधान सभा [सं-स्त्री.] संविधान परिषद।

संविधानिक (सं.) [वि.] संविधान से संबंध रखने वाला; संवैधानिक।

संविधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रीति; विधि; दस्तूर 2. प्रबंध; व्यवस्था 3. प्रविधान।

संविधेय (सं.) [वि.] 1. जिसका संविधान होने को हो या हो सकता हो; संविधान के योग्य 2. जो किया जाना हो या जिसका प्रबंध होने को हो; किए जा सकने योग्य।

संविभाग (सं.) [सं-पु.] 1. पूर्णतया भाग करना; हिस्सा करना; बाँट या बँटाई 2. प्रदान 3. भाग; अंश; हिस्सा।

संविभाजन (सं.) [सं-पु.] विभाजन।

संविहित (सं.) [वि.] सम्यक रूप से व्यवस्थित अथवा कृत; जिसका अच्छी तरह से प्रबंध किया गया हो।

संवीक्षक (सं.) [वि.] जो किसी वस्तु की बारीक से बारीक जाँच करे; संवीक्षा करने वाला।

संवीक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. सूक्ष्म परीक्षण करने की क्रिया; संवीक्षा; अवलोकन 2. ख़ोज या तलाश करना 3. अन्वेषण।

संवीक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] सूक्ष्मता से किया जाने वाला परीक्षण; छानबीन।

संवृत (सं.) [वि.] 1. बंद या ढका हुआ 2. रक्षित 3. लपेटा हुआ 4. घेरा या घिरा हुआ 5. जिसको दबाया गया हो 6. धीमा किया हुआ। [सं-पु.] 1. वरुण देवता 2. गुप्त स्थान 3. एक प्रकार का जलवेतस; एक प्रकार का बेंत 4. उच्चारण का एक ढंग।

संवृति (सं.) [सं-स्त्री.] संवृत होने की अवस्था या भाव।

संवृत्त (सं.) [वि.] 1. पहुँचा हुआ; समागत; प्राप्त 2. घटित; जो हुआ हो 3. जो पूरा हुआ हो 4. उत्पन्न 5. उपस्थित; मौजूद 6. संचित; राशिकृत 7. व्यतीत; गत 8. आवृत्त; ढका हुआ 9. युक्त या सज्जित।

संवृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निष्पत्ति; सिद्धि 2. एक देवी का नाम।

संवृद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बढ़ने की क्रिया या भाव; बढ़ती; अधिकता 2. धन आदि की अधिकता; अभ्युदय; समृद्धि 3. शक्ति; ताकत।

संवेग (सं.) [सं-पु.] 1. संवेदन; उत्तेजना; क्षोभ 2. बेचैन करने वाली पीड़ा; घबराहट 3. आवेग; अतिरेक; उग्रता 4. भय; डर 5. आतुरता; शीघ्रता 6. (मनोविज्ञान) गहरा भाव; तीव्र मनोवेग 7. गति का पूरा वेग; चाल की तेज़ी 8. द्रव्यमान और वेग का गुणनफल।

संवेद (सं.) [सं-पु.] 1. बोध; ज्ञान 2. सुख-दुख की अनुभूति।

संवेदक (सं.) [सं-पु.] किसी प्रकार की गतिविधियों का निरीक्षण करने वाला यंत्र; (सेंसर)। [वि.] बोध कराने वाला।

संवेदन (सं.) [सं-पु.] 1. सुख-दुख आदि की अनुभूति या प्रतीति 2. ज्ञान; बोध।

संवेदनवाद (सं.) [सं-पु.] एक दार्शनिक सिद्धांत; इंद्रियार्थवाद।

संवेदनशील (सं.) [वि.] 1. संवेदना से युक्त; भावुक; सहृदय 2. भावप्रधान; भावप्रवण 3. अनुभूतियुक्त।

संवेदनशीलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संवेदनशील होने की अवस्था, गुण या भाव 2. दूसरे की अनुभूति से शीघ्र प्रभावित होना 3. ग्रहण-शक्ति 4. भावुकता; भावप्रवणता।

संवेदनशून्य [वि.] संवेदना से विहीन; संवेदना रहित; संवेदनाहीन।

संवेदनसूत्र (सं.) [सं-पु.] संपूर्ण शरीर में उपस्थित तंतुओं का वह जाल जिससे स्पर्श, शीत, ताप आदि का अनुभव होता है; स्नायु।

संवेदनहीन (सं.) [वि.] 1. जिसमें संवेदना न हो 2. निर्मम; क्रूर।

संवेदनहीनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संवेदनहीन होने की अवस्था या भाव 2. क्रूरता; निर्ममता; कठोरता।

संवेदना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुभूति; अनुभव 2. मन में होने वाला बोध 3. किसी के शोक, दुख, कष्ट या हानि को देखकर मन में उत्पन्न वेदना, दुख या सहानुभूति 4. दूसरे की वेदना से उत्पन्न वेदना।

संवेदनीय (सं.) [वि.] 1. जिसकी अनुभूति की जा सके 2. जिसे संवेदन या ज्ञान हो सकता हो 3. जो बताया या जताया जा सकता हो 4. अनुभवगम्य; इंद्रियग्राह्य।

संवेदी (सं.) [वि.] 1. संवेदन संबंधी; संवेदन का 2. संवेदनशील 3. भावुक।

संवेद्य (सं.) [सं-पु.] 1. दो नदियों का संगम 2. एक तीर्थ। [वि.] 1. अनुभव करने योग्य; प्रतीत करने योग्य; मन में मालूम करने लायक 2. दूसरों को अनुभव कराने योग्य; जताने योग्य; बताने लायक 3. दूसरों के दुख आदि से प्रभावित होने वाला 4. समझने योग्य।

संवेष्टक (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो वस्तुओं आदि का संवेष्टन करता हो; पोटली आदि बाँधने वाला व्यक्ति; (पैकर)।

संवेष्टित (सं.) [वि.] पूर्णतः घेरा या बंद किया हुआ; परिवेष्टित।

संवैधानिक (सं.) [वि.] 1. संविधान संबंधी; संविधान का 2. संविधान से संबंध रखने वाला 3. संविधान-सम्मत; संविधान के अनुरूप।

संव्याप्त (सं.) [वि.] पूर्णतया व्याप्त।

संशप्त (सं.) [वि.] 1. जो शापग्रस्त हो 2. जिसने किसी के साथ प्रतिज्ञा की या शपथ खाई हो; वचनबद्ध।

संशय (सं.) [सं-पु.] 1. अनिश्चयात्मक ज्ञान 2. दुविधा 3. संभावना और असंभावना का मिश्रण 4. संकट की आशंका या संदेह।

संशयात्मक (सं.) [वि.] 1. जिसमें संशय या संदेह हो; संशयपूर्ण; संदिग्ध 2. अनिश्चित।

संशयात्मा (सं.) [वि.] जिसका मन किसी पर विश्वास न करता हो; संशय या शंका करने वाला।

संशयिक (सं.) [वि.] 1. जिसके विषय में संशय किया गया हो 2. जिसको हमेशा संदेह हो।

संशयित (सं.) [वि.] 1. जिसके मन में संशय उत्पन्न हुआ हो 2. संदिग्ध।

संशयी (सं.) [वि.] 1. जो सहज में किसी व्यक्ति या बात आदि का विश्वास न करता हो; संशयशील; संदेही जिसके मन में संदेह या संशय उत्पन्न हुआ हो 2. जो हमेशा संशय करता रहता हो; शक्की।

संशयोपमा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का उपमा अलंकार जिसमें कई वस्तुओं के साथ समानता संशय के रूप में कही जाती है; संशयोपमालंकार।

संशासन (सं.) [सं-पु.] अच्छा शासन; उत्तम राज्यप्रबंध।

संशुद्ध (सं.) [वि.] 1. यथेष्ट शुद्ध; विशुद्ध 2. साफ़ किया हुआ; स्वच्छ या शुद्ध किया हुआ 3. चुकाया हुआ; चुकता किया हुआ (ऋण) 4. जाँचा हुआ; परीक्षित 5. अपराध या दंड आदि से मुक्त किया हुआ 6. जो प्रायश्चित आदि विधानों द्वारा दोषरहित हो।

संशोधक (सं.) [वि.] 1. संशोधन या परिष्कार करने वाला 2. सुधारने वाला 3. किसी बात या पदार्थ की शुद्धि में सहायता करने वाला (तत्व) 4. चुकाने वाला (ऋण, देन)।

संशोधन (सं.) [सं-पु.] 1. शुद्ध या साफ़ करना 2. सुधारना; ठीक करना 3. शुद्धीकरण; परिष्कार 4. त्रुटि या दोषों को दूर करना; दुरुस्त करना 5. प्रस्ताव या विचारों आदि में परिवर्तन; संशोधन।

संशोधित (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह से साफ़ या शुद्ध किया हुआ; शोधित; परिशुद्ध 2. जिसमें संशोधन हुआ हो; सुधारा हुआ; ठीक किया हुआ; दुरुस्त किया हुआ 3. बेबाक किया हुआ; चुकाया हुआ।

संशोध्य (सं.) [वि.] 1. साफ़ करने योग्य 2. सुधारने या ठीक करने योग्य 3. जिसका सुधार करना हो 4. जिसे साफ़ करना हो 5. जिसे चुकाना या बेबाक करना हो।

संशोभित (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी पद, गरिमा आदि से विभूषित किया गया हो; अलंकृत 2. शोभा देने वाला; सुशोभित।

संशोषण (सं.) [सं-पु.] 1. बिलकुल सोखना 2. सुखाना। [वि.] 1. सुखाने वाला 2. सोखने वाला।

संशोषी (सं.) [वि.] 1. सोखने वाला 2. सुखा देने वाला।

संश्रय (सं.) [सं-पु.] 1. संयोग; मेल; संबंध 2. लगाव; संपर्क 3. आश्रय; शरण; पनाह 4. सहारा; अवलंब 5. राजाओं का परस्पर रक्षा के लिए मेल; अभिसंधि 6. पनाह की जगह; शरण स्थान 7. रहने या ठहरने की जगह; घर 8. विश्राम की जगह; विश्रामस्थान 9. उद्देश्य; लक्ष्य 10. किसी वस्तु का अंग; हिस्सा।

संश्रावित (सं.) [वि.] 1. सुनाया हुआ 2. ज़ोर-ज़ोर से पढ़कर सुनाया हुआ।

संश्रित (सं.) [सं-पु.] सेवक; भृत्य; परालंबी व्यक्ति। [वि.] 1. जुड़ा या मिला हुआ; संयुक्त 2. लगा हुआ 3. टिका या ठहरा हुआ 4. आलिंगित; संश्लिष्ट; गले या छाती से लगाया हुआ 5. भागकर शरण में गया हुआ 6. जो निर्वाह के लिए किसी के पास गया हो 7. जिसने सेवा करना स्वीकार किया हो 8. जो किसी बात के लिए दूसरे पर निर्भर हो; आसरे या भरोसे पर रहने वाला; पराधीन 9. आसक्त; परायण 10. न्यस्त; निहित 11. उपयुक्त; उचित 12. अंगीकृत; गृहीत; स्वीकृत 13. संबंधी; विषयक।

संश्रुत (सं.) [वि.] 1. ख़ूब सुना हुआ 2. ख़ूब पढ़कर सुनाया हुआ 3. स्वीकृत; माना हुआ; मंज़ूर 4. प्रतिज्ञात; वादा किया हुआ।

संश्लिष्ट (सं.) [वि.] 1. मिला हुआ; मिश्रित 2. जुड़ा हुआ; चिपका हुआ; सटा हुआ 3. सम्मिलित; एकीकृत 4. गले लगाया हुआ।

संश्लेषण (सं.) [सं-पु.] 1. एक में मिलाना, लगाना या जोड़ना 2. एक रासायनिक क्रिया जिसमें सरल संरचना वाले पदार्थों का संयोग कराकर अधिक जटिल संरचना वाले यौगिक का निर्माण किया जाता है 3. कार्य के कारण या नियम आदि से उनके परिणाम का विचार करना; मिलान करना 4. संलग्न या संबद्ध करना 5. बाँधने या जोड़ने वाली वस्तु।

संश्लेषित (सं.) [वि.] 1. मिलाया हुआ; जोड़ा हुआ; सटाया हुआ 2. लगाया हुआ; अटकाया हुआ 3. आलिंगन किया हुआ।

संसक्त (सं.) [वि.] 1. किसी की सीमा के साथ लगा, मिला या सटा हुआ 2. जुड़ा हुआ; संबद्ध; मिश्रित 3. चिपकने वाला 4. अस्पष्ट (वाणी) 5. आसक्त; लीन; अनुरक्त 6. किसी कार्य में लगा हुआ; प्रवृत्त; संलग्न 7. निकटवर्ती 8. ठोस; घना; सघन।

संसक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लगाव; मिलान 2. जोड़; बंध 3. संबंध 4. आसक्ति; लगन 5. लीनता 6. प्रवृत्ति।

संसज्जन (सं.) [सं-पु.] 1. अस्त्र-शस्त्र आदि से सज्जित करने की क्रिया 2. अच्छी तरह से सजाने की क्रिया।

संसद (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सभा; मंडली; समाज 2. किसी विशेष प्रयोजन के लिए गठित अनेक लोगों का समुदाय; निकाय 3. कानून बनाने वाली सर्वोच्च सभा 4. आधुनिक भारत में राज्यसभा, लोकसभा व राष्ट्रपति का संयुक्त रूप।

संसदीय (सं.) [वि.] 1. संसद से संबंधित 2. संसद का।

संसरण (सं.) [सं-पु.] 1. आगे की ओर सरकना या गमन करना 2. सेना की अबाध यात्रा 3. एक जन्म से दूसरे जन्म में जाने की परंपरा; भवचक्र 4. संसार; जगत 5. प्राचीन भारत में नगर के तोरण के बाहर बना हुआ यात्रियों के ठहरने का स्थान; धर्मशाला; सराय 6. युद्ध का आरंभ; लड़ाई का छिड़ना 7. वह मार्ग जिससे होकर बहुत दिनों से लोग या पशु आते-जाते हों।

संसर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. साथ रहने से उत्पन्न लगाव या संबंध 2. मेल-मिलाप; घनिष्ठता 3. संपर्क 4. मैथुन; संभोग।

संसर्गदोष (सं.) [सं-पु.] वह दोष या बुराई जो किसी के साथ रहने से उत्पन्न होती है; संगत का दोष।

संसर्गरोध (सं.) [सं-पु.] 1. संक्रामक रोगों आदि से बचाने के लिए अन्य लोगों को अन्यत्र रखे जाने की व्यवस्था 2. संक्रामक रोगों आदि से बचाव के लिए अन्य लोगों को रखे जाने का स्थान।

संसर्गी (सं.) [वि.] 1. संसर्ग या लगाव रखने वाला 2. हमेशा साथ रहने वाला।

संसाधन (सं.) [सं-पु.] 1. काम की तैयारी; आयोजन 2. भरण-पोषण, विकास आदि की सामग्री; साधन-सामग्री 3. वश में करना; दमन करना।

संसार (सं.) [सं-पु.] 1. निरंतर चलते रहना; गतिमान रहना; संसरण 2. एक अवस्था से दूसरी अवस्था में गमन 3. विश्व; दुनिया; जगत; इहलोक; मृत्युलोक 4. प्रपंच; माया; भवचक्र 5. घर-गृहस्थी से संबंधित जीवन।

संसारयात्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संसार में रहना; जीवन बिताना 2. ज़िंदगी; जीवन।

संसारी (सं.) [वि.] 1. संसार संबंधी; संसार का 2. लौकिक; भौतिक 3. गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वाला 4. व्यवहार कुशल; दुनियादार 5. माया-मोह में डूबा हुआ (व्यक्ति)।

संसिक्त (सं.) [वि.] 1. बहुत भीगा हुआ; गीला; तर 2. सींचा हुआ 3. छिड़काव किया हुआ।

संसूचक (सं.) [वि.] 1. प्रकट करने वाला 2. जताने वाला 3. भेद खोलने वाला 4. समझाने-बुझाने वाला; कहने या सुनने वाला 5. डाँटने-डपटने वाला।

संसृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रवाह 2. संसार में बार-बार जन्म लेने की परंपरा; आवागमन 3. संसार; जगत; लोक।

संसृष्ट (सं.) [वि.] 1. एक साथ उत्पन्न या आविर्भूत 2. एक में मिला-जुला; संश्लिष्ट; मिश्रित 3. संबद्ध; परस्पर लगा हुआ 4. अंतर्भूत; अंतर्गत; शामिल 5. जो जायदाद का बँटवारा हो जाने पर भी सम्मिलित हो गया हो। [सं-पु.] 1. घनिष्ठता; हेल-मेल; निकट का संबंध 2. (पुराण) एक पर्वत का नाम।

संसृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक साथ उत्पत्ति या आविर्भाव 2. मिलावट; मिश्रण 3. परस्पर संबंध; लगाव 4. हेल-मेल; घनिष्ठता 5. बनाने की क्रिया या भाव; संयोजन; रचना 6. एकत्र करना; इकट्ठा करना; जुटाना 7. संग्रह; समूह; राशि 8. (काव्यशास्त्र) दो या अधिक काव्यालंकारों का ऐसा मेल जिसमें सब परस्पर एक-दूसरे के आश्रित तथा अंतर्भूत न हों 9. सहभागिता; साझेदारी 10. एक ही परिवार में मिल-जुल कर रहना।

संसेक (सं.) [सं-पु.] पानी आदि का छिड़काव या सिंचाई।

संसेचन (सं.) [सं-पु.] संभोग के समय नर के वीर्य का मादा के अंडे से मिलना; वीर्य-सेचन; गर्भाधान; (इंसेमिनेशन)।

संसेवन (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह की जाने वाली सेवा 2. ख़ूब इस्तेमाल करना; व्यवहार करना; उपयोग में लाना 3. लगाव में रहना; संपर्क रखना 4. अच्छी तरह से किया जाने वाला आदर-सत्कार।

संसेवा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यवहार की क्रिया या भाव 2. पूजा; अर्चना 3. सेवा 4. प्रवृत्ति; झुकाव।

संस्करण (सं.) [सं-पु.] 1. संस्कार करने की क्रिया या भाव 2. शुद्ध करना; ठीक करना; दुरुस्त करना या सुधारना 3. अच्छा, सुंदर और नया रूप देना 4. पुस्तकों आदि की एक तरह की एक बार में होने वाली छपाई; (एडिशन) 5. समाचारपत्र की एक बार में छपने वाली प्रतियों का कुल जोड़।

संस्कर्ता (सं.) [वि.] संस्कार करने वाला।

संस्कार (सं.) [सं-पु.] 1. सुधारना; ठीक करना 2. किसी वस्तु आदि की त्रुटियाँ, दोष, विकार आदि दूर करके उसे उपयोगी एवं निर्मल बनाने की क्रिया 3. जन्म से लेकर मृत्यु तक किए जाने वाले वे सोलह कृत्य जो धर्मशास्त्र के अनुसार द्विजातियों के लिए ज़रूरी हैं, जैसे- मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कार 4. धार्मिक कृत्य द्वारा पवित्र करना 5. शिक्षा, उपदेश, संगत आदि की मन पर पड़ी छाप 6. अलंकार; सजावट।

संस्कारक (सं.) [वि.] 1. संस्कार करने वाला 2. परिष्कार या सुधार करने वाला।

संस्कारवान (सं.) [वि.] संस्कारयुक्त; संस्कारवाला; सुसंस्कृत।

संस्कारी (सं.) [वि.] जिसका संस्कार हुआ हो।

संस्कृत (सं.) [वि.] 1. जिसका संस्कार किया गया हो 2. परिष्कृत; परिमार्जित 3. साफ़-सुथरा; निखरा 4. शुद्ध; शोधित; ठीक; दुरुस्त 5. शिष्ट; सभ्य; सुरुचिसंपन्न 6. सजाया-सँवारा हुआ; सुधारा हुआ 7. जिसका उपनयन संस्कार हो चुका हो। [सं-स्त्री.] एक भाषा।

संस्कृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वस्तु आदि को संस्कृत रूप देने की क्रिया या भाव 2. परिमार्जित करना; शुद्ध या साफ़ करना 3. परंपरा से चली आ रही आचार-विचार, रहन-सहन एवं जीवन पद्धति; संस्कार 4. अलंकृत करना; सजाना 5. सभ्यता।

संस्कृतीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. संस्कृत करने की क्रिया या भाव 2. अन्य भाषा के शब्दों को संस्कृत का रूप देना।

संस्तंभ (सं.) [सं-पु.] 1. गति का सहसा रोध; एकबारगी रुकावट 2. चेष्टा का अभाव; निश्चेष्टता; हाथ-पैर रुक जाना 3. लकवा नामक रोग 4. दृढ़ता; धीरता 5. हठ; ज़िद 6. आधार; टेक; सहारा।

संस्तर (सं.) [सं-पु.] 1. परत; तह; तल 2. घास आदि की चटाई या बिस्तर 3. घास-फूस का छप्पर 4. भू-गर्भ में कोयले, चूने आदि की परत 5. फैलाई हुई राशि (फूल आदि की) 6. आच्छादन।

संस्तवन (सं.) [सं-पु.] 1. स्तुति करना; प्रशंसा करना 2. यश गाना; कीर्ति का बखान करना।

संस्तुत (सं.) [वि.] 1. जिसकी सिफ़ारिश की गई हो 2. जिसकी प्रशंसा या स्तुति की गई हो 3. जाना हुआ; ज्ञात; परिचित।

संस्तुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुशंसा; सिफ़ारिश 2. प्रशंसा; तारीफ़; स्तुति।

संस्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ठहरने की क्रिया या भाव 2. स्थिति; ठहराव 3. मर्यादा; विधि; रूढ़ि 4. आकृति; रूप 5. लोक हितकारी कार्य के लिए बनी समिति, सभा या मंडली 6. मृत्यु 7. जत्था; गिरोह; दल 8. व्यवसाय; पेशा 9. संघटित वर्ग; समाज; समूह 10. ऐसा नियम या विधान जो समाज में समान रूप से प्रचलित हो, जैसे- विवाह संस्था।

संस्थागत (सं.) [वि.] 1. संस्था से संबंधित; संस्था का 2. संस्था में होने वाला।

संस्थाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. किसी समाज, समिति या संस्था का प्रधान व्यक्ति 2. व्यापार का निरीक्षक; व्यापाराध्यक्ष।

संस्थान (सं.) [सं-पु.] 1. ठहराव; स्थिति 2. बैठाना; स्थापन 3. साहित्य, कला, विज्ञान आदि के विकास के लिए स्थापित संगठन या संस्था; (इंसटीट्यूट) 4. प्रबंध; व्यवस्था 5. अवस्था; दशा।

संस्थापक (सं.) [सं-पु.] किसी संस्था, सभा, समाज या संप्रदाय का वह मूल व्यक्ति जिसने उसकी स्थापना की हो। [वि.] 1. स्थापना या संस्थापन करने वाला 2. शुरू करने वाला; तैयार करने वाला 3. प्रवर्तक 4. आकार-प्रकार देने वाला।

संस्थापन (सं.) [सं-पु.] 1. ठीक से जमाकर बैठाना, लगाना या खड़ा करना 2. मंडली, संगठन आदि बनाना 3. कोई नई बात या नया काम आरंभ करना 4. प्रस्थापन; (इंस्टॉलेशन) 5. किसी बात, काम या वस्तु को कोई नया आकार या रूप देना।

संस्थापनीय (सं.) [वि.] संस्थापन के योग्य।

संस्थापित (सं.) [वि.] 1. उठाया हुआ; खड़ा किया हुआ; निर्मित 2. जमाया हुआ; बैठाया हुआ; स्थित किया हुआ 3. जारी किया हुआ 4. संचित; बटोरा हुआ 5. ढेर लगाया हुआ 6. नियंत्रित; प्रतिबंधित; रोका हुआ।

संस्थित (सं.) [वि.] 1. टिका, ठहरा या रुका हुआ 2. ठीक तरह से बैठा या जमा हुआ 3. दृढ़ता से स्थित; डटा हुआ 4. एकत्र किया हुआ 5. पड़ोस का; पास का; समीपस्थ 6. अचल; स्थिर 7. समान; सादृश्य 8. दक्ष; कुशल।

संस्पर्श (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह से होने वाला स्पर्श 2. संसर्ग; संपर्क 3. संयोग 4. प्रभावित होना।

संस्पर्शन (सं.) [सं-पु.] 1. छूना; अंग से अंग लगना 2. मिलना; सटना 3. मिश्रण।

संस्पृष्ट (सं.) [वि.] 1. छुआ हुआ 2. सटा हुआ; मिला हुआ 3. जुड़ा हुआ; परस्पर संबद्ध 4. जो बहुत निकट हो 5. लेश मात्र प्रभावित; जिसपर बहुत कम असर पड़ा हो 6. प्राप्त।

संस्मरण (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह या बार-बार स्मरण करना 2. स्मृति के आधार पर किसी व्यक्ति या विषय के संबंध में लिखित लेख या ग्रंथ 3. संस्कार से उत्पन्न ज्ञान।

संस्मारक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो स्मरण कराए 2. किसी व्यक्ति की याद में निर्मित भवन, स्तंभ, संस्था आदि। [वि.] 1. स्मरण करने वाला 2. जो याद दिलाता रहे।

संहत (सं.) [वि.] 1. ख़ूब मिला, जुटा या सटा हुआ; बिल्कुल लगा हुआ; पूर्णतः संबद्ध 2. एक हुआ; एक में मिला हुआ 3. संयुक्त; सहित 4. जो मिलकर ठोस हो गया हो; कड़ा; सख़्त 5. गठा हुआ; घना 6. मज़बूत; दृढ़ 7. एकत्र; इकट्ठा 8. मिश्रित; मिला हुआ 9. एकमत 10. अवरुद्ध; बंद 11. चोट खाया हुआ; आहत; घायल। [सं-पु.] नृत्य में एक प्रकार की मुद्रा।

संहति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वस्तुओं का मिलना या एकत्र होना 2. जुड़ाव; संघटन; संगठन 3. घनत्व; ठोसपन; सघनता 4. समूह; झुंड; राशि; ढेर 5. ताकत; शक्ति 6. देह; शरीर।

संहनन (सं.) [सं-पु.] 1. एक में मिलाने या संबद्ध करने की क्रिया 2. ठोस या सघन करना 3. हत्या करना; मार डालना 4. दृढ़ता; मज़बूती 5. अनुकूलता 6. मेल; सामंजस्य 7. मालिश 8. शरीर; देह। [वि.] 1. ठोस या मज़बूत करने वाला 2. हत्या करने वाला 3. नष्ट या बरबाद करने वाला।

संहार (सं.) [सं-पु.] 1. ध्वंश; नाश; प्रलय 2. अंत; समाप्ति 3. युद्ध आदि में अनेक लोगों की हत्या 4. कल्पांत 5. परिहार; निवारण।

संहारक (सं.) [वि.] 1. संहार करने वाला; संहर्ता; नाशक 2. संकोचन करने वाला; संक्षिप्तकर्ता 3. विनाश करने वाला।

संहारकर्ता (सं.) [वि.] संहार करने वाला; विनाशक; नाशक।

संहारना (सं.) [क्रि-स.] 1. मार डालना 2. नाश करना; ध्वंस करना।

संहित (सं.) [वि.] 1. एक साथ किया हुआ; एकत्र किया हुआ; समेटा हुआ 2. सम्मिलित; मिलाया हुआ 3. जुड़ा हुआ; लगा हुआ; संबद्ध 4. संयुक्त; सहित; अन्वित 5. मेल में आया हुआ; हेल-मेल वाला; मेली 6. क्रम या परंपरागत संबंध या लगाव रखने वाला 7. रखा हुआ; संधान के लिए जो धनुष पर रखा गया हो 8. अनुकूल 9. रचित; निर्मित।

संहिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक में मिले होने की अवस्था या भाव 2. मेल; संयोग 3. संग्रह; संकलन 4. वेदों का मंत्र-भाग 5. परम-शक्ति; ब्रह्म-शक्ति 6. नियमों, विधियों आदि का संग्रह, जैसे- भारतीय दंड संहिता।

संहिताकरण (सं.) [सं-पु.] 1. संहिता बनाने की क्रिया 2. किसी विषय के नियमों या सिद्धांतों को संहिता का रूप देना; (कोडिफ़िकेशन)।

संहिति (सं.) [सं-स्त्री.] एक साथ रखना; लगाव या संपर्क स्थापन।

सआदत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सौभाग्य; ख़ुशकिस्मती 2. अच्छाई; नेकी; भलाई।

सईद (अ.) [वि.] 1. भला; उत्तम 2. शुभ; मांगलिक।

सकता (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का मानसिक रोग जिसमें रोगी बेहोश हो जाता है; बेहोशी की बीमारी 2. (काव्यशास्त्र) यति-भंग नामक दोष 3. स्तब्धता।

सकना (सं.) [क्रि-अ.] 1. कोई कार्य करने के योग्य होना; समर्थ होना; मुमकिन होना, जैसे- खा सकना, जा सकना 2. मन में डरना; घबराना या शंकित होना।

सकपकाना [क्रि-अ.] 1. चकित होना; असमंजस में पड़ना; दुविधाग्रस्त होना 2. घबराना; सकुचाना।

सकपकाहट [सं-स्त्री.] 1. सकपकाने की अवस्था या भाव 2. हिचकिचाहट।

सकबकाना [क्रि-अ.] सकपकाना।

सकरी [वि.] 1. तंग 2. संकीर्ण।

सकर्मक (सं.) [वि.] 1. (व्याकरण) जो कर्म से युक्त हो; कर्म सहित 2. प्रभावकारी।

सकर्मक क्रिया (सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) जिस क्रिया के पूर्ण अर्थ बोधन के लिए कर्म की उपस्थिति अनिवार्य हो वह सकर्मक क्रिया कहलाती है, जैसे- 'मैंने पुस्तक ख़रीदी।' में 'पुस्तक' (कर्म) के बिना 'ख़रीदी' क्रिया का कर्म घटित नहीं हो सकता, अतः 'ख़रीदना' सकर्मक क्रिया है।

सकर्मकता (सं.) [सं-स्त्री.] सकर्मक होने की अवस्था या भाव।

सकल (सं.) [सं-पु.] 1. निर्गुण ब्रह्म और सगुण प्रकृति 2. घास या तृण 3. (दर्शन शास्त्र) पशुवर्ग के जीव। [वि.] सभी अवयवों के साथ; सब; संपूर्ण; समस्त; कुल।

सकलात (सं.) [सं-पु.] 1. ओढ़ने की रजाई 2. उपहार; भेंट; सौगात।

सकाम (सं.) [वि.] 1. जिसके मन में कोई कामना या इच्छा हो 2. जिसकी कामना पूर्ण हुई हो; लब्धकाम 3. कामवासनायुक्त 4. जो कोई कार्य भविष्य में फल मिलने की इच्छा से करे; जो निःस्वार्थ होकर कोई कार्य न करे, बल्कि स्वार्थ के विचार से करे 5. प्रेम करने वाला; प्रेमी।

सकामा (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसे किसी प्रकार की अभिलाषा हो; कामनायुक्त।

सकामी (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी प्रकार की कामना हो; कामनायुक्त; वासनायुक्त 2. कामी; विषयी।

सकार1 [सं-स्त्री.] स्वीकृत करने की क्रिया या भाव; स्वीकृति।

सकार2 (सं.) [सं-पु.] 1. 'स' अक्षर 2. 'स' वर्ण की ध्वनि; सगण। [वि.] 1. सक्रिय; फुरतीला 2. उत्साही।

सकारना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु, व्यक्ति आदि को अपना लेना; स्वीकार करना; मंज़ूर करना 2. प्रस्ताव आदि मान लेना या किसी काम को करने के लिए सकारात्मक रूप से स्वीकार करना; स्वीकृति देना; सहमति देना 3. महाजन का अपने नाम पर आई हुई हुंडी मान्य करना।

सकारा [सं-पु.] 1. सकारने की क्रिया या भाव 2. महाजनी प्रथा में हुंडी सकारने और समय बढ़ाने के लिए लिया जाने वाला धन।

सकारात्मक (सं.) [वि.] 1. सहमति या स्वीकृति का सूचक 2. जो सार्थक हो 3. जो नकारात्मक न हो 4. निश्चित और स्थिर स्वरूप वाला; निश्चयी; (पॉजिटिव) 5. उपयोगी।

सकिलना [क्रि-अ.] 1. फिसलना; सरकना 2. सिमटना; सिकुड़ना 3. हो सकना; पूरा होना।

सकील (अ.) [वि.] 1. भारी; वज़नी 2. जल्दी न पचने वाला; गरिष्ठ; गुरुपाक 3. क्लिष्ट (शब्द, भाषा)।

सकुचना (सं.) [क्रि-अ.] 1. संकोच करना; लज्जा करना; शरमाना 2. फूलों का संपुटित होना; संकुचित होना।

सकुचाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकुचित होने की क्रिया या भाव 2. संकोच।

सकुचाना (सं.) [क्रि-अ.] 1. संकोच करना; लज्जा करना; शरमाना 2. सिकुड़ना 3. संपुटित होना। [क्रि-स.] संकोच करने के लिए प्रवृत्त करना।

सकुचाहट [सं-स्त्री.] सकुचाने या संकोच करने की अवस्था या भाव; झिझक; लज्जा।

सकुचीला [वि.] जिसको प्रायः संकोच होता हो; संकोच करने वाला; शरमीला।

सकुल्य (सं.) [वि.] जो एक ही कुल का हो; सगोत्र।

सकुशल (सं.) [सं-पु.] सही-सलामत।

सकूनत (अ.) [सं-स्त्री.] रहने का स्थान; निवास स्थान; पता।

सकृत (सं.) [अव्य.] 1. एक बार 2. हमेशा; सदा 3. साथ; सहित।

सकेती [सं-स्त्री.] 1. विपत्ति 2. कष्ट।

सकेला (अ.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की तलवार जो कड़े और नरम लोहे के मेल से बनाई जाती है।

सकोरा [सं-पु.] मिट्टी की एक प्रकार की छोटी कटोरी; कसोरा।

सक्का (अ.) [सं-पु.] 1. भिश्ती; माशकी 2. वह जो मशक में पानी भरकर लोगों को पिलाता फिरता हो 3. एक प्रकार का पक्षी।

सक्रिय (सं.) [वि.] 1. जो कोई क्रिया कर रहा हो; क्रियाशील 2. क्रियायुक्त; कर्मठ 3. जो क्रियात्मक रूप में हो 4. फुरतीला।

सक्रियता (सं.) [सं-स्त्री.] सक्रिय होने की अवस्था या भाव।

सक्षम (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई कार्य करने की विशिष्ट क्षमता हो 2. कार्य करने में समर्थ 3. कार्य करने का अधिकारी या पात्र।

सक्षमता (सं.) [सं-स्त्री.] सक्षम होने की अवस्था, गुण या भाव।

सक्सेना [सं-पु.] कायस्थों में एक कुलनाम या सरनेम।

सख (सं.) [सं-पु.] 1. मित्र; साथी; सखा 2. एक वृक्ष।

सखत्व (सं.) [सं-पु.] सखा होने की अवस्था, धर्म या भाव; मित्रता।

सखरस [सं-पु.] मक्खन; नैनू; नवनीत।

सखरा [वि.] वह भोजन जो घी में न पकाया गया हो; कच्ची रसोई।

सखरी [सं-स्त्री.] कच्ची रसोई; कच्चा भोजन।

सखा (सं.) [सं-पु.] 1. साथी; संगी; मित्र; दोस्त 2. (नाटक) नायक का सहचर।

सखार (सं.) [वि.] खारा; नमकीन; लवणीय; क्षार से युक्त।

सख़ावत (अ.) [सं-स्त्री.] सख़ी या दाता होने का भाव; दानशीलता; उदारता।

सखी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहेली; संगिनी 2. नाटक आदि में नायिका की सहचरी 3. (काव्यशास्त्र) चौदह मात्राओं वाला एक सममात्रिक छंद।

सख़ी (अ.) [वि.] दान करने वाला; दानी।

सखीभाव (सं.) [सं-पु.] वैष्णवों के अनुसार भक्ति का एक प्रकार जिसमें भक्त अपने आपको इष्टदेवता (कृष्ण) की सखी मानकर उपासना करता है।

सखी संप्रदाय (सं.) [सं-पु.] वैष्णवों के अनुसार भक्तों का वह संप्रदाय जो सखीभाव से इष्टदेवता कृष्ण की उपासना करता है।

सखुआ (सं.) [सं-पु.] 1. शालवृक्ष; साखू 2. शालवृक्ष की लकड़ी।

सखुन (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बातचीत; वार्तालाप 2. कविता; काव्य 3. वचन; वादा 4. कथन; उक्ति।

सख़्त (फ़ा.‌) [वि.] 1. कठोर; कड़ा 2. पक्का; दृढ़ 3. तीक्ष्ण; तीखा; तेज़ 4. कठिन; मुश्किल; भारी 5. सख़्ती या कड़ाई करने वाला (व्यक्ति) 6. कठोर हृदय; निर्मम। [क्रि.वि.] बहुत अधिक, जैसे- सख़्त बेवकूफ़ी।

सख़्ती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कड़ाई; कठोरता; कड़ापन 2. कठिनता; तीव्रता; उग्रता; कठोर व्यवहार; ज़ुल्म 3. निर्दयता; निर्ममता 4. संकट; विपत्ति 5. आर्थिक तंगी।

सख्य (सं.) [सं-पु.] 1. सखा का भाव; सखत्व; सखापन 2. मित्रता; दोस्ती 3. (वैष्णव) ईश्वर के प्रति वह भाव जिसमें ईश्वरावतार को भक्त अपना सखा मानता है 4. समानता; बराबरी।

सगण (सं.) [सं-पु.] 1. (छंदशास्त्र) एक गण जिसमें दो लघु और एक गुरु अक्षर होते हैं 2. शिव का एक नाम। [वि.] दल या सेना से युक्त।

सगपहिती [सं-स्त्री.] एक प्रकार की दाल जो साग के साथ मिलाकर बनाई जाती है।

सगबग [वि.] 1. सराबोर; लथपथ 2. द्रवित 3. परिपूर्ण 4. शंकित; डरा हुआ। [क्रि.वि.] तेज़ी से; जल्दी से; चटपट।

सगबगाना [क्रि-अ.] 1. लथपथ होना; किसी वस्तु से भीगना या सराबोर होना 2. सकपकाना; शंकित होना; भयभीत होना 3. हिलना-डुलना।

सगर (सं.) [सं-पु.] (रामायण) अयोध्या के एक प्रसिद्ध सूर्यवंशी राजा जो बहुत धर्मात्मा तथा प्रजारंजक थे।

सगरा (सं.) [वि.] सब; तमाम; पूरा; समग्र; सकल। [सं-पु.] 1. तालाब 2. झील।

सगलगी [सं-स्त्री.] 1. किसी से बहुत सगापन दिखाने की क्रिया; बहुत आपसदारी दिखलाना 2. ख़ुशामद; चापलूसी; व्यर्थ की प्रशंसा।

सगवारा [सं-पु.] गाँव के आसपास की और उससे संबंध रखती हुई भूमि।

सगा (सं.) [वि.] 1. एक ही माँ की कोख से जन्मा हुआ; सहोदर 2. अपने कुल या परिवार का 3. जो आत्मीय हो या आत्मीयता रखता हो 4. अतिप्रिय; बंधुत्व का भाव रखने वाला।

सगाई [सं-स्त्री.] 1. विवाह से पूर्व की रस्म; मँगनी 2. सगे होने का भाव; आत्मीयता; सगापन 3. घनिष्ठ पारिवारिक संबंध; रिश्ता; नाता 4. आसक्ति; प्रेम।

सगापन [सं-पु.] सगा होने का भाव; संबंध की आत्मीयता।

सगारत [सं-स्त्री.] सगापन।

सगुण (सं.) [वि.] 1. गुण वाला; गुणयुक्त 2. तीन गुणों से युक्त 3. गुणवान; सदगुणसंपन्न 4. भौतिक 5. साकार। [सं-पु.] 1. सत, रज और तम तीन गुणों से युक्त परमात्मा का रूप; ब्रह्म 2. वह संप्रदाय जो ईश्वर के साकार रूप की उपासना करता है।

सगुन [सं-पु.] 1. सगुण 2. शकुन 3. शुभ मुहूर्त में होने वाला कार्य।

सगुनाना [क्रि-स.] 1. शकुन बतलाना 2. शकुन निकालना या देखना।

सगुनिया [सं-पु.] वह मनुष्य जो लोगों को सकुन बतलाता हो; शकुन विचारने और उसका फल बताने वाला व्यक्ति।

सगुनौती [सं-स्त्री.] 1. प्रचलित विश्वास के अनुसार वह क्रिया जिससे भावी शुभाशुभ का निर्णय किया जाता है; शकुन विचारने की क्रिया 2. मंगलपाठ।

सगुरा [वि.] जिसने गुरु से दीक्षा प्राप्त कर ली हो।

सगोती (सं.) [सं-पु.] 1. एक गोत्र के लोग; सगोत्र 2. आपसदारी के या रिश्ते नाते के लोग; भाई-बंधु। [वि.] समान कुल या गोत्र का।

सगोत्र (सं.) [सं-पु.] 1. एक ही गोत्र का व्यक्ति 2. एक ही पूर्वज से उत्पन्न होने वाले लोग; भाईबंद 3. कुल; वंश; ख़ानदान 4. दूर का संबंधी 5. जाति। [वि.] समान गोत्र वाला।

सगोत्रिय (सं.) [वि.] एक ही गोत्र के।

सगौरव (सं.) [वि.] गौरव के साथ; गौरवपूर्ण; गौरवयुक्त।

सग्गड़ [सं-पु.] आदमी द्वारा खींचकर चलाई जाने वाली सामान ढोने की गाड़ी या ठेला।

सघन (सं.) [वि.] 1. घना; गझिन 2. ठोस।

सघनता (सं.) [सं-स्त्री.] सघन होने की अवस्था, गुण या भाव।

सघोष जब स्वरतंत्रियाँ श्वासनलिका से आती हुई श्वासवायु को अवरुद्ध कर लेती हैं तथा श्वासवायु उनमें टकराकर स्वरतंत्रियों में अघोष ध्वनियों की अपेक्षा अधिक कंपन करती हुई बाहर निकलती है, उन्हें सघोष ध्वनियाँ कहते हैं, जैसे- हिंदी में 'ग्, घ्, ङ्, ज्, झ्, ञ्, ड्, ड़्, ढ्, ढ़्, ण्, द्, ध्, न्, ब्, भ्, म्, य्, र्, ल्, व्, ह्'।

सच (सं.) [वि.] 1. सत्य; झूठरहित 2. वास्तविक; जो यथार्थ हो।

सचकित (सं.) [वि.] आश्चर्य में पड़ा हुआ; भौचक्का; विस्मित; जिसे विस्मय हुआ हो।

सचमुच (सं.) [अव्य.] 1. वास्तव में; यथार्थतः 2. ठीक-ठीक; वस्तुतः 3. निश्चित रूप से; अवश्य।

सचराचर (सं.) [सं-पु.] 1. संसार की सब चर और अचर वस्तुएँ 2. जगत; विश्व; संसार।

सचल (सं.) [वि.] 1. जो अचल न हो; चलता हुआ; जंगम 2. स्थिर न रहने वाला; चंचल 3. एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने या ले जाने वाला; (मूविंग)।

सचलता (सं.) [सं-स्त्री.] गतिशीलता।

सचान (सं.) [सं-पु.] श्येनपक्षी; बाज़।

सचिंत (सं.) [वि.] जिसे चिंता हो; फ़िक्रमंद।

सचिक्कण (सं.) [वि.] अत्यंत चिकना; बहुत अधिक चिकना।

सचित (सं.) [वि.] 1. जिसमें चेतना या चित हो; चेतनायुक्त 2. जिसका ध्यान एक ही ओर हो; एकाग्र 3. बुद्धिमान 4. सावधान।

सचित्र (सं.) [वि.] चित्रयुक्त; चित्रसहित।

सचिव (सं.) [सं-पु.] 1. वज़ीर; मंत्री 2. दोस्त; मित्र 3. मददगार; सहायक 4. सलाहकार 5. आजकल किसी बड़े अधिकारी या विभाग का वह व्यक्ति जो अभिलेख आदि सुरक्षित रखता हो और उससे संबंधित व्यवस्था करता हो; (सेक्रेटरी)।

सचिवालय (सं.) [सं-पु.] वह भवन जहाँ सरकार के सचिवों तथा विभिन्न विभाग के प्रधान अधिकारियों के कार्यालय हों; (सेक्रेटेरिएट)।

सचिवीय (सं.) [वि.] सचिव से संबंधित।

सचेत (सं.) [वि.] 1. जिसमें चेतना हो; सचेतन; चेतनायुक्त 2. सयाना; समझदार; बुद्धिमान 3. सजग; सतर्क; सावधान।

सचेतक (सं.) [सं-पु.] संसद या विधानसभा में आवश्यक सूचना देने और अनुशासन बनाए रखने वाला दलीय अधिकारी; दल-परिचालक। [वि.] सजग या सचेत रहने वाला।

सचेतन (सं.) [वि.] 1. समझदार; चेतनायुक्त; सज्ञान (प्राणी) 2. सावधान 3. चतुर।

सचेष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसमें चेष्टा हो 2. प्रयत्न करने वाला; प्रयत्नशील।

सच्चरित्र (सं.) [वि.] अच्छे चरित्र वाला; जिसका चरित्र अच्छा हो; सदाचारी; चरित्रशील।

सच्चा (सं.) [वि.] 1. सच बोलने वाला; सत्यवादी 2. जिसके व्यवहार में छल-कपट या झूठ न हो; ईमानदार; निष्ठावान 3. जिसमें कोई खोट या मिलावट न हो; खरा; विशुद्ध 4. त्रुटि या दोष से रहित; निर्मल 5. जो कृत्रिम या बनावटी न हो 6. परिपूर्ण; पूरा 7. विश्वसनीय; सरलचित्त 8. सत्याधारित; वास्तविक; यथार्थ; ठीक।

सच्चाई [सं-स्त्री.] 1. सच्चा होने का गुण; सत्यता 2. ईमानदारी 3. पारदर्शिता।

सच्चापन [सं-पु.] सत्य होने का भाव; सत्यता; सच्चाई।

सच्चिदानंद (सं.) [सं-पु.] सत्, चित् एवं आनंद से युक्त सत्ता; ईश्वर; परमेश्वर।

सज (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सजावट; साज-सज्जा; सजना 2. शोभा; सौंदर्य; सुंदरता 3. गढ़न; बनावट का ढंग 4. आकृति; रूप।

सजग (सं.) [वि.] 1. जागरूक; सचेत; सावधान 2. चालाक; सतर्क; होशियार।

सजगता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सावधानी; सतर्कता 2. होशियारी; चौकन्नापन 3. चालाकी।

सजदा (अ.) [सं-पु.] 1. नमाज़ पढ़ते समय माथा टेकने की क्रिया 2. प्रणाम करना; सिर झुकाना।

सजन (सं.) [सं-पु.] 1. प्रिय या प्रियतम के लिए प्रयुक्त होने वाला एय संबोधन 2. भला आदमी; सज्जन; शरीफ़ 3. पति 4. प्रियतम; यार।

सजना (सं.) [क्रि-अ.] 1. सज्जित होना; सँवरना; अलंकृत होना 2. उत्तम वस्त्रादि धारण करना; सुशोभित होना 3. तैयार होना।

सजल (सं.) [वि.] 1. जल से युक्त; भीगा हुआ 2. तरल पदार्थ से युक्त 3. आँसू भरा; आँसुओं से युक्त 4. जिसमें चमक या आब हो; चमकदार।

सजवाई [सं-स्त्री.] 1. सजवाने की क्रिया 2. सुसज्जित करवाने का भाव 3. सजाने की मज़दूरी।

सजवाना [क्रि-स.] किसी के द्वारा किसी वस्तु को सुसज्जित कराना; सुसज्जित करवाना।

सज़ा (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अपराध आदि के कारण अपराधी को मिलने वाला दंड 2. प्रत्यपकार; बुराई का बदला 3. जुरमाना; अर्थदंड 4. कारागार या जेल में रखे जाने का दंड।

सजा1 [वि.] 1. सँवरा हुआ 2. सुंदर; सुशोभित होने वाला।

सजा2 (अ.) [सं-पु.] 1. पक्षियों की चहक या कलरव 2. कविता; छंद 3. ऐसा वाक्य या पद जो किसी का नाम हो तथा जिसका कुछ अर्थ भी होता हो।

सजाई [सं-स्त्री.] 1. सजाने की क्रिया या भाव 2. सजाने का पारिश्रमिक।

सज़ा-ए-मौत (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी जघन्य अपराध पर मिलने वाला प्राणदंड; मृत्युदंड 2. फाँसी की सज़ा।

सजात (सं.) [वि.] 1. जो एक साथ उत्पन्न हुए हों; सहजात 2. जो उत्पत्ति, उद्गम या आपेक्षित स्थिति के विचार से एक प्रकार या वर्ग के हों।

सजातीय (सं.) [वि.] 1. एक ही जाति के; एक ही गोत्र के 2. एक वर्ग या वर्ण के 3. समान; सदृश; समान प्रकार के।

सजाना (सं.) [क्रि-स.] 1. सुसज्जित करना; सँवारना; शृंगार करना 2. वस्तुओं को ऐसे क्रम से रखना कि वे आकर्षक और सुंदर लगें 3. विभूषित करना; अलंकृत करना।

सज़ायाफ़्ता (फ़ा.) [वि.] 1. जिसे सज़ा मिल चुकी हो; दंडप्राप्त; दंडित 2. जो कारावास या जेल में रह चुका हो।

सज़ायाब (फ़ा.) [वि.] 1. जो दंड या सज़ा पाने के योग्य हो 2. दंडनीय 3. जो कारागार का दंड भोग चुका हो; सज़ायाफ़्ता।

सजावट [सं-स्त्री.] 1. सजे होने की क्रिया या भाव 2. सज्जा; अलंकरण; शोभा; सुंदरता 3. छवि; जलाल 4. तैयारी 5. ठाठबाट 6. भव्यता; रौनक; सजधज 7. सौंदर्य 8. विन्यास।

सजावटी [वि.] 1. जिसकी सजावट की गई हो; उत्सवपूर्ण; अलंकृत 2. जो सजावट में काम आता हो 3. भव्य; सुंदर 4. शोभाकारी; तड़कभड़कदार 5. दिखावटी; पाखंडपूर्ण।

सजावल (तु.) [सं-पु.] 1. सरकारी कर उगाहने वाला अधिकारी; तहसीलदार 2. राजकर्मचारी 3. जमादार।

सज़ावार (फ़ा.) [वि.] 1. जो दंड का भागी हो 2. जो सज़ा दिए जाने के योग्य हो; दंडनीय 3. उचित; उपयुक्त 4. वाज़िब 5. बेहतर या शुभ परिणाम देने वाला।

सजिल्द (सं.+अ.) [वि.] 1. (पुस्तक या ग्रंथ) जिल्द वाला; जिल्ददार 2. जिसपर जिल्द या आवरण चढ़ाया गया हो।

सज़ीदा (फ़ा.) [वि.] लायक; पात्र; योग्य।

सजीला [वि.] 1. सुंदर; छबीला; छैला 2. सज-धज वाला; बन-ठन कर रहने वाला 3. सुडौल; आकर्षक; तरहदार 4. सुंदर परिधान पहनने वाला।

सजीव (सं.) [वि.] 1. जिसमें जीवन या प्राण हो; जीवनयुक्त; सप्राण 2. ओजपूर्ण 3. तेज़; फुरतीला 4. जीवंत; तेजस्वी।

सजीवता (सं.) [सं-स्त्री.] सजीव होने की अवस्था, भाव या गुण; सजीवपन।

सजीवन (सं.) [सं-पु.] (रामायण) संजीवनी नाम की एक बूटी जिसके उपयोग से मृतप्राय व्यक्ति पुनः चैतन्य और स्वस्थ हो जाता है।

सजूरी [सं-स्त्री.] एक प्रकार का मीठा व्यंजन।

सज्जन (सं.) [सं-पु.] 1. शरीफ़ आदमी; भला आदमी 2. सत्पुरुष 3. अच्छे कुल का व्यक्ति; प्रिय व्यक्ति 4. अच्छे आचरण वाला व्यक्ति।

सज्जनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सज्जन होने का भाव; भलमनसाहत 2. सदाशयता; सभ्यता।

सज्जा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सजाने की क्रिया या भाव; सजावट 2. वेषभूषा; परिधान 3. साज-समान; सजाने की सामग्री; सजावट के उपकरण।

सज्जाद (अ.) [वि.] सिजदा करने वाला; आराधक; उपासक; पूजक।

सज्जादा (अ.) [सं-पु.] 1. नमाज़ पढ़ने का कपड़ा या आसन; नमाज़ दरी 2. जानमाज़; मुसल्ला 3. पीर या साधु की गद्दी।

सज्जित (सं.) [वि.] 1. सजा हुआ 2. आवश्यक साधनों से युक्त; (इक्विप्ड)।

सज्जी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का प्रसिद्ध क्षार युक्त मिट्टी जो सफ़ेद लिए हुए भूरे रंग की होती है।

सज्ञान (सं.) [वि.] 1. ज्ञानयुक्त; ज्ञानवान 2. बुद्धिमान; समझदार।

सटक [सं-स्त्री.] 1. सटकने की क्रिया; धीरे से चंपत होने या खिसकने का व्यापार 2. तंबाकू पीने का लंबा लचीला नैचा जो छल्लेदार तार देकर बनाया जाता है 3. पतली लचने वाली छड़ी।

सटकन [सं-स्त्री.] हटने या सटकने की क्रिया या भाव।

सटकना [क्रि-अ.] धीरे से खिसक जाना; रफूचक्कर होना; चल देना; चंपत होना। [क्रि-स.] अनाज के बालों में से अन्न निकालने के लिए उसे कूटने की क्रिया; डाँठ कूटना या पीटना।

सटकाना [क्रि-स.] किसी को छड़ी, कोड़े आदि से मारना जिसमें 'सट' शब्द हो।

सटकार [सं-स्त्री.] 1. सटकाने की क्रिया या भाव 2. फटकारने या झटकारने की क्रिया 3. गौ आदि को हाँकने की क्रिया।

सटकारना [क्रि-स.] 1. पतली लचीली छड़ी या कोड़े आदि से किसी को सट से मारना; सट-सट मारना 2. झटकारना; फटकारना।

सटकारा [वि.] चिकना और लंबा।

सटकारी [सं-स्त्री.] लचने वाली पतली छड़ी; साँटी।

सटना [क्रि-अ.] 1. दो वस्तुओं का आपस में मिलना; पास आना 2. चिपकना; छूना 3. साथ होना 4. जुड़ना; भिड़ना 5. मारपीट होना।

सटपट [सं-स्त्री.] 1. सिटपिटाने की क्रिया 2. संकोच; शील; हिचकिचाहट 3. छोटा-मोटा काम 4. असमंजस; दुविधा 5. भय; डर 6. घबराहट।

सटपटाना [क्रि-अ.] 1. 'सटपट' की ध्वनि करना 2. घबराना; भौचक रहना; सहमना।

सटपटाहट [सं-स्त्री.] 1. सटपट की ध्वनि 2. संकोच और घबराहट की स्थिति।

सटर-पटर [वि.] 1. निकम्मा 2. व्यर्थ का।

सटा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साधु-संतों के सिर के लंबे-उलझे बाल या जटा 2. कलँगी; शिखा; जूड़ा 3. शेर की गरदन के बाल; अयाल 4. सुअर के बाल 5. कबरी। [वि.] 1. जो बहुत निकट हो; मिला हुआ 2. अंतरहीन 3. संलग्न; अपृथक 4. छूता हुआ।

सटाना [क्रि-स.] 1. मिलाना; पास-पास लाना 2. जोड़ना; चिपकाना 3. दो वस्तुओं को बहुत निकट लाना 4. भिड़ाना; लगाना 5. आसपास रखना।

सटिया [सं-स्त्री.] 1. सोने या चाँदी की एक प्रकार की चूड़ी 2. चाँदी की एक प्रकार की कलम जिससे स्त्रियाँ माँग में सिंदूर भरती हैं 3. साटी; छड़ी 4. अभिसंधि; गुप्त वार्ता या षड्यंत्र करना।

सटीक (सं.) [वि.] 1. बिलकुल ठीक; उपयुक्त 2. टीका सहित; जिसमें मूल पाठ के साथ टीका भी हो 3. व्याख्या सहित।

सटोरिया [सं-पु.] सट्टेबाज़; सट्टा खेलने वाला व्यक्ति।

सट्टक (सं.) [सं-पु.] 1. प्राकृत भाषा में प्रणीत छोटा रूपक; एक उपरूपक 2. जीरा मिला हुआ मट्ठा।

सट्टा (सं.) [सं-पु.] 1. एकाधिक पक्षों में किसी निश्चित कार्य या शर्त पूरा करने के लिए किया गया इकरारनामा 2. खेत की उपज के बँटवारे को लेकर होने वाला इकरारनामा 3. वह स्थान जहाँ लोग वस्तुएँ ख़रीदने-बेचने के लिए एकत्र होते हैं; हाट; बाज़ार 4. बाज़ार की तेजी-मंदी के अनुमान के आधार पर अधिक लाभ को दृष्टि से की हुई ख़रीद-फ़रोख्त।

सट्टा-बट्टा [सं-पु.] 1. चालबाज़ी 2. स्त्री व पुरुष के बीच अनुचित संबंध 3. मेल-जोल।

सट्टी [सं-स्त्री.] वह बाज़ार जिसमें एक ही मेल की बहुत-सी चीज़ों को लोग दूर-दूर से लाकर बेचते हों; हाट।

सट्टेबाज़ (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. ज़ुआरी; सटोरिया 2. ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए सट्टे की तरह व्यापार करने वाला व्यक्ति 3. तेज़ी-मंदी के हिसाब से ख़रीद-बिक्री करने वाला व्यक्ति 4. दाँव खेलने वाला व्यक्ति।

सट्टेबाज़ी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सट्टा खेलने का काम 2. सट्टे का व्यसन या लत 3. सट्टेबाज़ का काम।

सठमति (सं.) [वि.] स्वभाव से दुष्ट; दुष्ट प्रकृतिवाला।

सठियाना [क्रि-अ.] 1. साठ वर्ष की उम्र का होना 2. बुड्ढा होना; बूढ़ा हो जाना 3. {ला-अ.} साठ वर्ष से अधिक की आयु होने पर मानसिक शक्ति का कमज़ोर होना या याददाश्त क्षीण होना।

सठियाव [सं-पु.] 1. सठिया जाने की अवस्था या भाव 2. वह अवस्था जब व्यक्ति साठ वर्ष का होने के बाद किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं रह जाता 3. जराजीर्णता।

सठोरा [सं-पु.] सोंठौरा।

सड़क (अ.) [सं-स्त्री.] 1. रास्ता 2. आने-जाने का पक्का मार्ग 3. पथ; पंथ।

सड़न [सं-स्त्री.] 1. सड़ने की क्रिया या भाव 2. गंदगी 3. सड़न के कारण उत्पन्न दुर्गंध।

सड़ना [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ का ख़राब होना 2. घटक तत्वों का अलग होना 3. {ला-अ.} बहुत दुर्दशा को प्राप्त होना; दुख और यंत्रणा में पड़े रहना, जैसे- जेल में सड़ना।

सड़सड़ [सं-स्त्री.] कोड़े लगने पर उत्पन्न ध्वनि।

सड़ा-गला [वि.] 1. दूषित; ख़राब 2. जिससे दुर्गंध आ रही हो 3. घिनौना; बदबूदार 4. जीर्ण-शीर्ण।

सड़ाना [क्रि-स.] 1. ख़राब करना 2. दूषित करना 3. सड़ने में प्रवृत्त करना 4. {ला-अ.} बहुत अधिक कष्ट और दुर्दशा में रखना; बुरी गत बनाना।

सड़ायँध [सं-स्त्री.] सड़ी हुई चीज़ की गंध।

सड़ाव [सं-पु.] सड़ने की क्रिया या भाव; सड़न।

सड़ासड़ [अव्य.] सड़ शब्द के साथ; जिसमें सड़-सड़ शब्द हो।

सड़ियल [वि.] 1. सड़ा हुआ; गला हुआ 2. निकम्मा; रद्दी; ख़राब 3. नीच; तुच्छ 4. जला-भुना उत्तर देने वाला।

सत (सं.) [वि.] 1. सच; सत्य 2. साधु; सज्जन 3. धार्मिक; पवित्र 4. वास्तविक; नित्य; शाश्वत 5. पंडित; विद्वान 6. उत्तम; श्रेष्ठ।

सतगुरु (सं.) [सं-पु.] 1. सच्चा गुरु; अच्छा गुरु 2. परमात्मा; ईश्वर 3. आध्यात्मिक गुरु।

सतत (सं.) [वि.] लगातार होने वाला; निरंतर चलते रहने वाला। [क्रि.वि.] 1. लगातार; निरंतर 2. अनवरत; बराबर।

सततरत (सं.) [वि.] हमेशा किसी कार्य में लगा रहने वाला।

सतनजा [सं-पु.] सात भिन्न प्रकार के अनाजों का मेल; वह मिश्रण जिसमें सात भिन्न-भिन्न प्रकार के अनाज हों।

सतपदी (सं.) [सं-स्त्री.] सप्तपदी।

सतपुरुष (सं.) [सं-पु.] 1. श्रेष्ठ व्यक्ति 2. अच्छा पुरुष 3. सच्चा और आध्यात्मिक पुरुष।

सतफेरा [सं-पु.] विवाह के समय होने वाला सप्तपदी नामक कर्म; सप्तपदी; सातफेरे।

सतमासा [सं-पु.] 1. सात माह पर उत्पन्न शिशु; वह बच्चा जो गर्भ से सातवें महीने में उत्पन्न हुआ हो 2. शिशु के गर्भ में आने पर सातवें महीने में की जाने वाली रस्म। [वि.] जो गर्भ में सात महीने रहने के उपरांत जनमा हो।

सतयुग (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) वह समय जब लोग सुखी और प्रसन्न होते थे 2. युग या काल का एक मिथक; सत्ययुग।

सतयुगी (सं.) [वि.] 1. सत्ययुग का; सत्ययुग जैसा 2. धार्मिक और सदाचारी 3. बहुत प्राचीन; पुराना।

सतर1 (सं.) [क्रि.वि.] जल्दी; अविलंब।

सतर2 (अ.) [सं-पु.] 1. मनुष्य का ढका रहने वाला अंग; गुप्त इंद्रिय 2. ओट; आड़; परदा 3. छिपाव। [सं-स्त्री.] लकीर; रेखा [वि.] 1. टेढ़ा; वक्र 2. क्रुद्ध; कुपित।

सतरंगा [सं-पु.] इंद्रधनुष। [वि.] 1. जिसमें सात रंग हों; सात रंगों वाला 2. रंगारंग; विविध रंग का; बहुरंगा।

सतरौंहाँ [वि.] 1. कुपित; क्रोधयुक्त 2. कोपसूचक।

सतर्क (सं.) [वि.] 1. तर्क से युक्त 2. सावधान; सचेत; चौकन्ना।

सतर्कता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सतर्क होने की अवस्था, भाव या गुण 2. सावधानी।

सतर्ष (सं.) [वि.] 1. प्यासा 2. तृषित।

सतलज (सं.) [सं-स्त्री.] पंजाब प्रांत में बहने वाली एक नदी; शतद्रु नदी।

सतलड़ी [सं-स्त्री.] गले में पहनने की सात लड़ियों की माला या हार।

सतवंती (सं.) [सं-स्त्री.] सती; पतिव्रता।

सतसई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसा ग्रंथ जिसमें सात सौ पद हों 2. सात सौ पदों का संग्रह, जैसे- बिहारी सतसई 3. सप्तशती।

सतह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु का ऊपरी भाग; पटल 2. बाहर या ऊपर का फैलाव, जैसे- समुद्र की सतह 3. बाह्य तल 4. फ़र्श 5. परत 6. किसी चीज़ का स्तर।

सतही (अ.) [वि.] 1. सतह से संबंधित; सतह का; ऊपरी 2. सामान्य स्तर का; हलका, जैसे- सतही विचार 3. उथला; जिसमें गहनता न हो 4. विचार से रहित 5. पाखंडपूर्ण; दिखावटी।

सतांग (सं.) [सं-पु.] रथ; यान।

सतानवे [वि.] संख्या '97' का सूचक।

सताना (सं.) [क्रि-स.] 1. संताप देना; संतप्त करना 2. मानसिक क्लेश पहुँचाना; परेशान करना 3. तंग करना; दुख देना।

सतार (सं.) [सं-पु.] जैन ग्रंथों के अनुसार एक स्वर्ग का नाम। [वि.] 1. तारों से युक्त 2. जिसमें तारे टँके या लगे हुए हों।

सतालू (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का फलदार पेड़ 2. उक्त पेड़ का फल; आड़ू; शफतालू।

सतासत (सं.) [वि.] 1. वास्तविक एवं अवास्तविक 2. अच्छा एवं बुरा।

सती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) दक्ष प्रजापति की कन्या जिनका शिव से ब्याह हुआ था 2. पतिव्रता स्त्री; साध्वी 3. (हिंदूधर्म) वह स्त्री जो पति के साथ चिता में जले; सहगामिनी स्त्री। [सं-पु.] 1. जो सत-धर्म का पालन करता हो 2. महात्मा; तपस्वी; साधु 3. सच्चा; सत्यनिष्ठ। [वि.] 1. पतिव्रता; साध्वी 2. पति के साथ जलकर मरने वाली; सहगामिनी।

सतीत्व (सं.) [सं-पु.] सती होने का भाव या धर्म; पातिव्रत्य।

सतीत्वहरण (सं.) [सं-पु.] स्त्री के साथ बलात्कार कर सतीत्व बिगाड़ने की क्रिया।

सतीपन (सं.) [सं-पु.] सतीत्व।

सतीप्रथा (सं.) [सं-पु.] पति की मृत्यु के बाद पत्नी का पति के शव के साथ चिता पर जलने की एक प्राचीन सामाजिक परंपरा या प्रचलन।

सतीर्थ (सं.) [सं-पु.] 1. एक ही आचार्य से पढ़ने वाला; सहपाठी 2. शिव का एक नाम।

सतीश (सं.) [सं-पु.] शिव नामक देवता।

सतून (सं.) [सं-पु.] स्तंभ; खंभा।

सतृष्ण (सं.) [वि.] 1. तृष्णा-युक्त; तृष्णापूर्ण 2. पिपासा 3. तृष्णापूर्वक।

सतेज (सं.) [वि.] तेज से युक्त; तेज वाला; तेजोमय।

सतोगुण (सं.) [सं-पु.] 1. प्रकृति के तीन गुणों में से एक 2. अच्छे कर्मों की ओर प्रवृत्त करने वाला गुण; सत्वगुण 3. विशुद्ध होने का गुण।

सतोगुणी (सं.) [वि.] सत्वगुण वाला; उत्तम प्रकृति का; सात्विक।

सत्कर्ता (सं.) [वि.] 1. सत्कर्म करने वाला; अच्छा काम करने वाला 2. आदर-सत्कार करने वाला।

सत्कर्म (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छा या शुभ काम; भलाई; सुकर्म 2. नेकी का काम; पुण्य कर्म 3. उपकार; सत्कार 4. वेदविहित कर्म 5. प्रायश्चित 6. अंत्येष्टि।

सत्कार (सं.) [सं-पु.] 1. आवभगत 2. आदर; सम्मान 3. अतिथि, अभ्यागत का सम्मान और सेवा 4. दान आदि देकर किया गया सम्मान।

सत्कारक (सं.) [वि.] आदर सम्मान या आवभगत करने वाला; ख़ातिरदारी करने वाला; सत्कर्ता।

सत्कारी (सं.) [वि.] आदर सम्मान या आवभगत करने वाला; ख़ातिरदारी करने वाला; सत्कारक।

सत्कार्य (सं.) [सं-पु.] अच्छा काम। [वि.] 1. सत्कार करने योग्य 2. जिसका सत्कार करना हो।

सत्कार्य-प्रिय (सं.) [वि.] अच्छे कर्म करने वाला; अच्छे कार्य करना जिसे प्रिय हो।

सत्कीर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुयश 2. प्रसिद्धि; उत्तम कीर्ति 3. नेकनामी।

सत्कुल (सं.) [सं-पु.] 1. ऊँचा या बड़ा ख़ानदान 2. उच्च कुल। [वि.] 1. कुलीन 2. जो अच्छे कुल में पैदा हुआ हो।

सत्कृत (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह किया हुआ 2. जिसका आदर-सत्कार किया गया हो 3. अच्छे व उचित कार्य करने वाला 4. अलंकृत; सजाया हुआ; बनाया हुआ। [सं-पु.] 1. सत्कर्म; अच्छा काम 2. शिव 3. आतिथ्य।

सत्कृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सद्गुण; सदाचार 2. पुण्य कर्म; अच्छा काम। [वि.] सत्कर्मा।

सत्त (सं.) [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ का सारतत्व 2. सारपूर्ण भाग 3. अर्क; रस; निचोड़ 4. मुख्यतत्व 5. ताकत; शक्ति; बल।

सत्तर [वि.] संख्या '70' का सूचक।

सत्ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्तित्व; हस्ती 2. अधिकार; प्रभुत्त्व 3. प्रतिष्ठा के बल पर आज्ञा-पालन कराने की शक्ति और अधिकार 4. शासकीय अधिकार 5. सरकार; शासन।

सत्ताईस [वि.] संख्या '27' का सूचक।

सत्ताधारी (सं.) [सं-पु.] सत्ताप्राप्त अधिकारी; प्राधिकारी। [वि.] जिसके हाथ में सत्ता हो; सत्तावान।

सत्ताधिकारी (सं.) [सं-पु.] 1. शासन का अधिकार पाने वाला 2. सत्ता का अधिकारी।

सत्तापक्ष (सं.) [सं-पु.] सत्ता चलाने वाला पक्ष या दल।

सत्तापक्षीय (सं.) [वि.] 1. सत्ता पक्ष से संबंध रखने वाला 2. सत्ता पक्ष का।

सत्तारूढ़ (सं.) [वि.] जिसे सत्ता प्राप्त हो; सत्तासीन।

सत्तालोलुप (सं.) [वि.] किसी भी प्रकार से सत्ता प्राप्त करने की चाह रखने वाला।

सत्तावन [वि.] संख्या '57' का सूचक।

सत्तावाद (सं.) [सं-पु.] 1. वह मत जिसके अनुसार किसी सत्ताधारी की सारी बातें मान लेनी चाहिए 2. सत्ता या शासक वर्ग की सारी बातें बिना विरोध मानने का वाद।

सत्तू (सं.) [सं-पु.] भुने हुए चने, जौ आदि को पीस कर बनाया गया आटा या चूर्ण।

सत्पथ (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम मार्ग 2. सदाचार; अच्छी चाल-चलन 3. उत्तम संप्रदाय या सिद्धांत; अच्छा पंथ।

सत्य (सं.) [वि.] 1. सच 2. सत संबंधी; सत का 3. असल; वास्तविक 4. ईमान 5. खरा; विशुद्ध 6. यथार्थ। [सं-पु.] 1. यथार्थ और वास्तविक बात 2. न्यायसंगत बात 3. (पुराण) सात लोकों में सबसे ऊपर का लोक 4. सतयुग 5. ईश्वर।

सत्यंकार (सं.) [सं-पु.] 1. वचन को सत्य करना; वादा पूरा करना 2. वादा पूरा करने के लिए ज़मानत के तौर पर कुछ पेशगी देना 3. किसी निश्चित संविदा को सत्य ठहराना।

सत्यकाम (सं.) [वि.] 1. सत्य का प्रेमी; सत्यवादी 2. उत्तम बातों की कामना करने वाला; ईमानदार 3. सत्य का पालन करने वाला।

सत्यजित (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) तीसवें मन्वंतर के एक इंद्र का नाम 2. एक दानव; एक यक्ष का नाम।

सत्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सत्य होने की अवस्था या भाव 2. सच्चाई 3. यथार्थ; वास्तविकता।

सत्यदेव (सं.) [सं-पु.] सत्यनारायण।

सत्यनारायण (सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु नामक देवता का एक नाम 2. सत्यदेव। [वि.] 1. सत्य पर अडिग रहने वाला 2. सत्यव्रत।

सत्यनिष्ठ (सं.) [वि.] 1. सत्य पर निष्ठा रखने वाला 2. सत्य का प्रेमी 3. ईमानदार; न्यायप्रिय।

सत्यनिष्ठा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सत्यनिष्ठ होने की अवस्था या भाव 2. ईमानदारी; न्यायप्रियता।

सत्यमय (सं.) [वि.] सत्य से युक्त; जो सत्य हो।

सत्ययुग (सं.) [सं-पु.] पौराणिक काल गणना के अनुसार चार युगों में से पहला युग; कृतयुग।

सत्यलोक (सं.) [सं-पु.] पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऊपर के सात लोकों में से प्रथम लोक जहाँ ब्रह्मा रहते हैं।

सत्यवादिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सदा सत्य बोलने के नियम का पालन करना 2. सत्यवादी होने का गुण या भाव।

सत्यवादी (सं.) [वि.] 1. जो हमेशा सत्य बोलता हो; सत्य कहने वाला 2. प्रतिज्ञा या दिए हुए वचन पर दृढ़ रहने वाला 3. स्पष्टवादी 4. धर्म पर दृढ़ रहने वाला।

सत्यवान (सं.) [वि.] सत्य का पालन व आचरण करने वाला।

सत्यव्रत (सं.) [सं-पु.] 1. सत्य बोलने की प्रतिज्ञा या नियम 2. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम 3. त्रेतायुग में सूर्यवंश के पच्चीसवें राजा 4. महादेव; शंकर।

सत्यव्रती (सं.) [वि.] सत्य बोलने का व्रत लेने वाला।

सत्यशील (सं.) [वि.] सत्य का पालन करने वाला; सच्चा; सत्यव्रती।

सत्यसंध (सं.) [वि.] सत्यप्रतिज्ञ; वचन को पूरा करने वाला। [सं-पु.] 1. रामचंद्र का एक नाम 2. भरत का एक नाम 3. जनमेजय का एक नाम 4. स्कंद का एक अनुचर 5. धृतराष्ट्र का एक पुत्र।

सत्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सच्चाई; सत्यता 2. दुर्गा का एक नाम 3. सीता का एक नाम 4. व्यास की माता सत्यवती 5. द्रौपदी का एक नाम 6. कृष्ण की पत्नी सत्यभामा 7. विष्णु की माता।

सत्यांश (सं.) [सं-पु.] 1. सत्य का अंश 2. सत्य का भाग या हिस्सा 3. सच का अंग।

सत्याग्रह (सं.) [सं-पु.] 1. सत्य का आग्रह 2. किसी सत्य या न्यायपूर्ण पक्ष के लिए किया गया शांति पूर्वक आग्रह 3. एक अहिंसात्मक आंदोलन जो किसी सत्ता या अधिकारी के अन्यायपूर्ण व्यवहार के ख़िलाफ किया जाता है।

सत्याग्रही (सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्तिगत या सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए सत्याग्रह आंदोलन करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. सत्याग्रह करने वाला 2. शांतिपूर्ण संघर्ष करने वाला; अहिंसक विरोध करने वाला।

सत्यानाश (सं.) [सं-पु.] सर्वनाश; विनाश; बरबादी; मटियामेट।

सत्यानाशी (सं.) [वि.] सर्वनाश करने वाला; चौपट करने वाला।

सत्यानृत (सं.) [सं-पु.] 1. सच और झूठ 2. बात या काम जो ऊपर से सच दिखता हो लेकिन वास्तव में झूठ हो; झूठ और सच दोनों तरह की बात 3. रोज़गार, व्यापार। [वि.] जिसमें झूठ और सच का मेल हो।

सत्यापक (सं.) [वि.] सत्यापित करने वाला; सत्य ठहराने वाला।

सत्यापन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी बात या वस्तु की सच्चाई की पुष्टि करना; ठीक सिद्ध करना; प्रमाणीकरण; (सर्टीफ़िकेशन) 2. सत्य की जाँच-पड़ताल 3. सौदे की स्वीकृति 4. मिलान करके किसी चीज़ को प्रमाणित करना; सत्यप्रमाणन; (वेरीफ़िकेशन) 5. किसी दस्तावेज़ या प्रमाणपत्र के ठीक होने पर हस्ताक्षर करना; अधिप्रमाणन; (एटेस्टेशन) 6. प्रमाण देकर किसी कथन की सच्चाई दिखाना 7. पुष्टिकरण; तसदीक 8. प्रयोग; साक्ष्य।

सत्यापित (सं.) [वि.] जिसकी सत्यता का परीक्षण हो चुका हो; (वेरिफ़ाइड)।

सत्र (सं.) [सं-पु.] 1. अधिवेशन; सभा 2. अध्ययन सत्र 3. एक नियमित क्रम में कुछ अवकाश के साथ चलने वाली बैठक या सभा; (सेशन) 4. वह निश्चित समय या काल जिसमें कोई कार्य चलता रहता है, जैसे- संसद का शीतकालीन सत्र; (सेशन) 5. निश्चित समय; कालावधि, जैसे- प्रथम सत्र; (टर्म)।

सत्र-न्यायालय (सं.) [सं-पु.] किसी जिले या जनपद का वह न्यायालय जिसमें विशिष्ट गुरुतर अपराधों पर विचार होता है तथा निर्णय होने तक सुनवाई चलती है; (सेशन कोर्ट)।

सत्रप (सं.) [वि.] 1. जो संकोच करता हो; लज्जाशील 2. विनम्र।

सत्रह [वि.] संख्या '17' का सूचक।

सत्रावसान (सं.) [सं-पु.] विधानमंडल आदि के किसी अधिवेशन का अनिश्चित काल तक स्थगन; (प्रोरोगेशन)।

सत्रिक (सं.) [वि.] 1. सत्र से संबंधित; सत्र का 2. निर्धारित काल पर होते रहने वाला; (पीरिययॉडिक) 3. किसी सत्र या नियत काल तक निरंतर होते रहने वाला।

सत्व (सं.) [सं-पु.] 1. अस्तित्व; सत्ता 2. सत्ता से युक्त होने का भाव 3. किसी पदार्थ से निकाला गया सारतत्व; सत्त; रस; अर्क 4. चित्त या मन की प्रवृत्ति 5. पदार्थ की ख़ासियत, विशिष्टता या गुण 6. प्राणतत्व; चैतन्य; जीवनी-शक्ति 7. शक्ति; स्फूर्ति 8. मन की धीरता; दृढ़ता।

सत्वगुण (सं.) [सं-पु.] 1. सत्व अर्थात अच्छे कर्मों की ओर मोड़ने वाला गुण 2. तीनों गुणों (सतोगुण, तमोगुण, रजोगुण) में से श्रेष्ठ गुण।

सत्वर (सं.) [वि.] 1. शीघ्र; जल्द; त्वरापूर्वक 2. झटपट; तुरंत 3. तेज़ गति से।

सत्वस्थ (सं.) [वि.] 1. अपनी प्रकृति में स्थित; दृढ़ 2. धैर्यवान; अविचलित 3. बलवान 4. प्राणवान; जीवनी-शक्ति वाला।

सत्वस्य (सं.) [वि.] परम सत्य की अनुभूति होने के उपरांत आनंदमग्न व्यक्ति।

सत्संग (सं.) [सं-पु.] 1. भली संगत, साधुओं या सज्जनों के साथ उठना-बैठना 2. अच्छा साथ; अच्छी सोहबत 3. संत-महात्माओं का साथ और धार्मिक चर्चा या वार्ता 4. वह जनसमूह या समाज जिसमें निरंतर कथा-वार्ता और राम-नाम आदि का पाठ हो।

सत्संगी (सं.) [वि.] 1. भली संगत, साधुओं या सज्जनों के साथ उठने-बैठने वाला 2. धार्मिक समाज या आयोजनों में जाने वाला 3. धार्मिक या आध्यात्मिक आयोजन करने वाला 4. सभी से मेल-जोल रखने वाला 5. धार्मिक प्रवृत्ति वाला।

सदका (अ.) [सं-पु.] 1. ईश्वर के नाम दरिद्रों को दी जाने वाली वस्तु; ख़ैरात 2. चढ़ावा; दान 3. वह चीज़ जो वारकर किसी को दी जाए; निछावर; वारफेर; उतारा 4. नज़र या रोग आदि के निवारण के लिए टोने-टोटके के रूप में किसी के सिर से उतार कर दी जाने वाली या कहीं चौराहे पर रख दी जाने वाली वस्तु 5. अनुग्रह; प्रसाद।

सद्गति (सं.) [सं-पु.] 1. हवा; पवन 2. सूर्य। [सं-स्त्री.] मुक्ति। [वि.] सदा गतिशील।

सदन (सं.) [सं-पु.] 1. घर; आवास; निवास-स्थान 2. मकान 3. प्राणियों का आश्रय 4. सभा, लोकसभा, राज्यसभा आदि का भवन 5. यज्ञ-मंडप 6. विराम; ठहराव।

सदफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वह सीपी जिसमें से मोती निकलता है 2. सीप।

सदमा (अ.) [सं-पु.] 1. आघात; चोट; धक्का 2. मानसिक दुख; आघात 3. किसी के मरने का भारी शोक 4. बड़ी हानि।

सदय (सं.) [वि.] दयावान; दयालु; दयापूर्ण।

सदर (अ.) [सं-पु.] 1. सामने का भाग 2. छाती 3. सहन; आँगन 4. मुख्य; प्रधान 5. वह स्थान जहाँ किसी विभाग का मुख्यालय हो; केंद्रस्थल 6. प्रधान व्यक्ति या सभापति के बैठने या रहने का स्थान 7. लश्कर; छावनी। [वि.] 1. विशिष्ट; ख़ास 2. श्रेष्ठ; बड़ा 3. प्रधान; सभापति 4. सत्ताधारी।

सदर-आज़म (अ.) [सं-पु.] 1. प्रधानमंत्री; वज़ीरे-आज़म 2. अमात्य 3. प्रधान जज।

सदर-आला (अ.) [सं-पु.] दीवानी अदालत में जज से छोटा अधिकारी।

सदर-जहान (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह कल्पित जिन्न या प्रेत जिसकी मुस्लिम समाज की स्त्रियों द्वारा पूजा की जाती है।

सदर-नशीन (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] सभापति; प्रधान; मुखिया। [वि.] गद्दी पर बैठने वाला।

सदरी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वह कुरती जिसमें आस्तीन नहीं होती है 2. बिना आस्तीन की मिरजई; फतुही। [वि.] 1. छाती या सीने का 2. सीने में छिपा हुआ।

सदस्य (सं.) [सं-पु.] 1. किसी समाज या संस्था से संबंध रखने वाला व्यक्ति; समाज या संस्था में सम्मिलित व्यक्ति 2. विधिदर्शी 3. प्राचीन समय में यज्ञ का विधान देखने वाला व्यक्ति 4. सभासद; पंच 5. पार्षद; (मेंबर)।

सदस्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी संगठन या संस्था का सदस्य या अंग होने की अवस्था या भाव; (मेंबरशिप) 2. किसी पत्र या पत्रिका का ग्राहक या पाठक होने की अवस्था; (सब्सक्रिप्शन)।

सदा1 (सं.) [अव्य.] 1. हमेशा; नित्य; शाश्वत 2. हर समय; निरंतर; अविराम; लगातार 3. किसी भी स्थिति में।

सदा2 (अ.) [सं-स्त्री.] 1. पुकार; आवाहन; रट 2. ध्वनि; शब्द; आवाज़; प्रतिध्वनि 3. अज़ान 4. याचना; फ़रियाद 5. आहट 6. संगीत में कोई मधुर स्वर लहरी 7. माँगने की आवाज़।

सदाक़त (अ.) [सं-पु.] 1. सत्यता; सच्चाई; खरापन 2. गवाही 3. तसदीक।

सदागति (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो सदा गतिशील या प्रवाहशील रहता हो 2. वायु; पवन 3. शारीरिक वात 4. सूर्य 5. विभु; ब्रह्म 6. चरम सुख; निर्वाण; मोक्ष। [वि.] सदा चलते रहने वाला।

सदाचरण (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छा व्यवहार या चालचलन; सादगीपूर्ण बरताव 2. सात्विक व्यवहार; सदाचार 3. उत्तम व्यवहार; सद्व्यवहार।

सदाचार (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छा और शुभ आचरण 2. उत्तम व्यवहार 3. अच्छा चाल-चलन 4. शिष्ट व्यवहार।

सदाचारिता (सं.) [सं-स्त्री.] सदाचारी होने का भाव।

सदाचारी (सं.) [वि.] 1. अच्छे चरित्र या आचरण वाला पुरुष; सच्चरित्र; चरित्रवान 2. अच्छे चाल चलन का आदमी; सद्वृत्तिशील 3. धर्मात्मा; पुण्यात्मा।

सदात्मा (सं.) [वि.] 1. अच्छे स्वभाव का 2. सज्जन 3. नेक, ईमानदार 4. छलहीन; उच्चाशय।

सदानंद (सं.) [वि.] 1. सदैव आनंद में रहने वाला 2. सदैव ख़ुशी या आनंद प्रदान करने वाला। [सं-पु.] सदैव रहने वाला आनंद; परम सुख।

सदापर्णी (सं.) [वि.] सदा हरा रहने वाला; सदाहरित; सदाबहार।

सदाफल (सं.) [सं-पु.] 1. गूलर; ऊमर 2. श्रीफल; बेल; बिल्व 3. नारियल 4. कटहल 5. एक प्रकार का बड़ा नीबू; चकोतरा। [वि.] जिसमें प्रत्येक ऋतु में फल लगता हो; सदा फलता रहने वाला।

सदाबहार (सं.+फ़ा.) [वि.] 1. सदा हरा-भरा रहने वाला 2. सदाहरित 3. जिसमें हमेशा फूल लगते रहते हों।

सदारत (अ.) [सं-पु.] 1. सदर या प्रधान होने का भाव या पद 2. सभापतित्व।

सदावर्त (सं.) [सं-पु.] 1. लिए गए व्रत के अनुसार गरीबों में एक निश्चित समय सीमा तक प्रतिदिन भोजन और अन्य ज़रूरी वस्तुएँ बाँटने का कार्य या नियम; रोज़ की ख़ैरात 2. वह अन्न, भोजन, वस्त्र आदि जो सदावर्त के दौरान नियम से नित्य गरीबों को बाँटा जाए; ख़ैरात 3. नित्य दिया जाने वाला दान।

सदाशय (सं.) [वि.] 1. जिसका भाव उदार और श्रेष्ठ हो; ऊँचे विचारवाला; भलामानस; सज्जन; उच्चाशय 2. निःस्वार्थ। [सं-पु.] अच्छे आशय वाला व्यक्ति।

सदाशयता (सं.) [सं-स्त्री.] उत्तम विचारों वाला होने का गुण; सदाशय होने की अवस्था, गुण या भाव; उदारता; सज्जनता; भलमनसाहत।

सदाशिव (सं.) [वि.] दयालु; कल्याण करने वाला। [सं-पु.] शिव का एक नाम।

सदा-सुहागिन (सं.) [वि.] (आशीर्वादसूचक शब्द) जो आजीवन सौभाग्यवती रहे; जो कभी विधवा न हो। [सं-स्त्री.] 1. सिंदूरपुष्पी का पौधा 2. एक प्रकार के मुसलमान फ़कीर जो स्त्रियों के वेश में घूमते हैं।

सदिच्छा (सं.) [सं-स्त्री.] सद्भाव से प्रेरित इच्छा; शुभेच्छा।

सदिश (सं.) [सं-पु.] (भौतिक विज्ञान) ऐसी राशियाँ जिनमें परिमाण और दिशा दोनों विद्यमान हों; (वेक्टर), जैसे- बल, वेग आदि।

सदी (अ.) [सं-स्त्री.] सौ वर्ष का समय; शताब्दी; शती; (सेंचुरी), जैसे- बीसवीं सदी (1901-2000 सन)।

सदुपदेश (सं.) [सं-पु.] अच्छा उपदेश, उत्तम शिक्षा; अच्छी सलाह; सुपरामर्श; सत्परामर्श।

सदुपयोग (सं.) [सं-पु.] किसी चीज़ का उचित इस्तेमाल; ठीक कार्य में किया गया औचित्यपूर्ण उपयोग।

सदृश (सं.) [वि.] रंग-रूप, आकार-प्रकार में समान; के अनुरूप; के समान।

सदेह (सं.) [वि.] 1. देहयुक्त; सशरीर 2. प्रत्यक्ष; मूर्तिमान। [क्रि.वि.] शरीर सहित या बिना शरीर त्यागे।

सदैव (सं.) [अव्य.] हमेशा; सदा; सर्वदा; हरदम।

सदोष (सं.) [वि.] 1. जिसने दोष या अपराध किया हो; दोषी; अपराधी 2. जिसमें कोई कमी, खोट या दोष हो।

सद्गति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्तम गति; अच्छी अवस्था; भली हालत 2. मरणोपरांत मिलने वाली मुक्ति या मोक्ष।

सद्गुण (सं.) [सं-पु.] अच्छा गुण; अच्छाई; सदाचार।

सद्गुरु (सं.) [सं-पु.] 1. श्रेष्ठ और अच्छा गुरु 2. धार्मिक क्षेत्र में, साधना का मार्ग बताने वाला गुरु 3. धर्मगुरु।

सद्ज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा ज्ञान जो मानव कल्याण के लिए प्रेरित करे 2. सच्चा ज्ञान 3. विज्ञान; तार्किकता 4. संकुचित सोच से मुक्त होने का ज्ञान।

सद्धर्म (सं.) [सं-पु.] उत्तम धर्म; उत्तम कर्म मानवता के लिहाज़ से जो करणीय हो ऐसा कर्तव्य।

सद्बुद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी बुद्धि जो सबके लिए कल्याण की कामना करती हो; वह बुद्धि जो सबके हित की बात सोचती हो 2. बुद्धिमता; समझदारी 3. तार्किकता; वैज्ञानिकता 4. सदाचारिता; समाज कल्याण भावना।

सद्भाव (सं.) [सं-पु.] 1. शुभ और अच्छा भाव; हित की भावना 2. दो पक्षों में मैत्रीपूर्ण स्थिति; मेल-जोल 3. छल-कपट, द्वेष आदि से रहित भाव या विचार।

सद्भावना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मंगल और शुभ भावना 2. किसी के हित की कामना; सहानुभूति 3. मित्रता; प्रेम; वात्सल्य 4. कपट रहित विचार; (गुडविल)।

सद्म (सं.) [सं-पु.] 1. रुकने, ठहरने या रहने का स्थान; घर; मकान 2. मंदिर; देवालय 3. धरती; गगन।

सद्य (सं.) [अव्य.] 1. आज ही 2. इसी समय; अभी 3. तुरंत; शीघ्र; झट; तत्काल।

सद्रूप (सं.) [वि.] 1. सुंदर शरीरवाला; सुडौल आकार वाला 2. अच्छे आचरणवाला; सदाचारी; सज्जन।

सद्वृत्त (सं.) [वि.] 1. सदाचारी; शिष्ट 2. सुंदर वर्तुलाकार; सुंदर घेरेदार; जिसका घेरा सुंदर और वर्तुल हो।

सद्वृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] भले और कल्याणकर कार्यों में नियोजित वृत्ति; शुभ और उत्तम वृत्ति; शोभनीय आचार; सदाचार; सद्व्यवहार।

सधना (सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी कार्य या बात का पूरा होना; सिद्ध होना 2. उद्देश्य पूरा होना; काम पूरा होना 3. काम या मतलब निकलना 4. अभ्यस्त होना 5. निशाना ठीक होना; लक्ष्य पर एकदम सही लगना।

सधर (सं.) [सं-पु.] ऊपरी होंठ।

सधर्मी (सं.) [वि.] 1. समान धर्म का अनुयायी; समान धर्म को मानने वाला 2. समान गुणों से युक्त।

सधवा (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसका पति जीवित हो; सौभाग्यवती; सुहागिन।

सधाना [क्रि-स.] 1. साधने का काम किसी अन्य से कराना; दूसरे को साधने में प्रवृत्त करना; किसी अन्य से अपना उद्देश्य पूर्ण करना 2. जंगली पशु-पक्षियों को अपने पास या साथ रखकर पालतू बनाना और उन्हें विशिष्ट प्रकार के आचरण सिखाना।

सधुक्कड़ी [वि.] साधुओं का-सा या साधुओं की तरह का, जैसे- सधुक्कड़ी भाषा या कविता।

सन1 (सं.) [सं-पु.] 1. एक पौधा जिसके रेशे से टाट, रस्सी, बोरे आदि बनाए जाते हैं 2. ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों में से एक मानस-पुत्र।

सन2 (अ.) [सं-पु.] 1. साल; वर्ष 2. संवत्सर 3. गणना में कोई विशिष्ट वर्ष, जैसे- हिजरी सन, ईसवी सन।

सनई [सं-स्त्री.] 1. जूट की जाति का एक प्रकार का छोटा पौधा; सन 2. सनई के पौधे का रेशा; श्वेतपुष्पा।

सनक [सं-स्त्री.] 1. पागलों की-सी प्रवृत्ति, धुन या आचरण; झक 2. जुनून। [मु.] -सवार होना : किसी काम या बात की धुन चढ़ना।

सनकना [क्रि-अ.] 1. पागल या उन्मत्त हो जाना; पगलाना; झक्की हो जाना 2. वेग से हवा में जाना या फेंका जाना।

सनकी [वि.] सनक से भरा; जिसे किसी प्रकार की सनक या धुन हो; ख़ब्ती; धुनी; झक्की।

सनत्कुमार (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों में से एक; वैधात्र 2. जैनों के बारह सार्वभौमों या चक्रवर्तियों में से एक 3. जैनों के अनुसार तीसरे स्वर्ग का नाम 4. सदैव युवावस्था में रहने वाला तपस्वी।

सनद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी चीज़ या बात जिसपर भरोसा किया जाए; सबूत; प्रमाण 2. प्रामाणिक कथन 3. प्रमाणपत्र 4. उपाधि; डिग्री।

सनदयाफ़्ता (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसे सनद मिली हो 2. प्रमाणपत्र प्राप्त 3. पंजीकृत।

सनना (सं.) [क्रि-अ.] 1. जल आदि किसी तरल पदार्थ के योग से किसी चूर्ण (आटा, बेसन आदि) का गूँथा जाना 2. गीली वस्तु के साथ मिलना; आप्लावित होना; ओतप्रोत होना 3. एक में मिलना; एकाकार होना।

सनम (अ.) [सं-पु.] प्रियतम; प्रेमी; प्रेयसी; माशूक।

सनसनाहट [सं-स्त्री.] 1. 'सन-सन' होने की क्रिया या भाव; झुनझुनी 2. हवा चलने से उत्पन्न आवाज़ 3. नए घड़े में पानी भरने से पैदा होने वाली सन-सन की आवाज़ 4. पानी उबलने पर होने वाली सन-सन की ध्वनि।

सनसनी [सं-स्त्री.] 1. सनसनाहट; झुनझुनी 2. किसी घटना के कारण फैलने वाली उत्तेजना या घबराहट; खलबली 3. कंपन; रोमांच; आतंक 4. भय और आश्चर्य से उत्पन्न होने वाली स्तब्धता; सन्नाटा।

सनसनीखेज़ (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. सनसनी उत्पन्न करने वाला 2. घबराहट पैदा करने वाला; भय उत्पन्न करने वाला 3. उत्तेजनापूर्ण; उद्वेगपूर्ण 4. आश्चर्यजनक 5. रोमांचक।

सनाढ्य (सं.) [सं-पु.] ब्राह्मणों की एक शाखा जो गौड़ों के अंतर्गत होती है।

सनातन (सं.) [सं-पु.] 1. अत्यंत प्राचीन काल 2. बहुत दिनों से चला आया हुआ क्रम, व्यवहार या परंपरा। [वि.] 1. बहुत दिनों से चला आया हुआ 2. जो परंपरा के अनुसार आचार-विचार आदि में निष्ठा रखता हो; परंपरानिष्ठ 3. सदा बना रहने वाला; नित्य; शाश्वत; चिरंतन 4. निश्चल; स्थिर 5. अनंत; अनादि।

सनातन धर्म (सं.) [सं-पु.] 1. पुराना धर्म या परंपरागत धर्म 2. वर्तमान हिंदू धर्म जिसके संबंध में उसके अनुयायियों का विश्वास है कि यह बहुत प्राचीन काल से चला आ रहा है तथा विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा-उपासना, मूर्तिपूजा, पुराण, तंत्र, तीर्थ, श्राद्ध तथा तर्पण आदि इसके प्रमुख अंग हैं; पारंपरिक हिंदू धर्म।

सनातनी (सं.) [वि.] 1. सनातन धर्म से संबंधित 2. परंपरा से आया हुआ 3. प्राचीन; सनातन 4. सनातन धर्मावलंबियों में प्रचलित। [सं-पु.] सनातन धर्म का अनुयायी या समर्थक। [सं-स्त्री.] पौराणिक देवियाँ- लक्ष्मी, दुर्गा तथा सरस्वती।

सनाथ (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई स्वामी हो 2. जिसकी कोई रक्षा करने वाला हो; जिसके अभिभावक या माता-पिता हों।

सनाय (अ.) [सं-स्त्री.] एक वनस्पति जिसकी पत्तियाँ रेचक या दस्तावर होती हैं; सोनामुखी।

सनीचर (सं.) [सं-पु.] 1. शनि नामक ग्रह; शनैश्चर 2. (ज्योतिष) एक देवता 3. शनिवार 4. {ला-अ.} जिसके आने से कार्य में व्यवधान उत्पन्न होता हो।

सन्न [वि.] 1. संज्ञाशून्य; जड़; संवेदनारहित 2. स्तंभित; स्तब्ध; भौचक्का 3. निरुत्तर; चुप; मौन 4. निशक्त; बैठा हुआ। [सं-पु.] चिरौंजी का वृक्ष; पियाल वृक्ष।

सन्नत (सं.) [वि.] 1. झुका हुआ; नत 2. नीचे आया हुआ 3. खिन्न। [सं-पु.] (पुराण) राम की सेना का एक बंदर।

सन्नद्ध (सं.) [वि.] 1. बँधा हुआ; कसा या जकड़ा हुआ 2. कवच आदि बाँधकर युद्ध हेतु तैयार 3. आमादा; उद्यत 4. पास का; समीप का।

सन्नद्धता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तत्पर या सन्नद्ध होने की अवस्था, क्रिया या भाव; तत्परता 2. मुस्तैदी; आमादगी।

सन्नयन (सं.) [सं-पु.] 1. निकट ले आना; समीप लाना 2. संबद्ध करने की क्रिया।

सन्नाटा (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा वातावरण जिसमें कोई शब्द या ध्वनि न हो; नीरवता; निःशब्दता; स्तब्धता 2. मौन; चुप्पी 3. निर्जनता; एकांतता।

सन्नाह (सं.) [सं-पु.] 1. लोहे आदि का बना वह आवरण जो लड़ाई के समय हथियारों से योद्धा को सुरक्षा प्रदान करता है; कवच; अंगरक्षी; बख़्तर; अंगत्राण 2. युद्ध जैसी सज्जा 3. उद्योग; प्रयत्न।

सन्निकट (सं.) [अव्य.] 1. निकट; नज़दीक; समीप 2. बहुत पास।

सन्निकर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. नाता; रिश्ता 2. संबंध; लगाव 3. सामीप्य; समीपता 4. (न्याय दर्शन) इंद्रियों का विषयों के साथ संबंध 5. निकट खींचना; समीप लाना।

सन्निधाता (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो एकत्र या जमा करता हो 2. वह जो अपनी निगरानी में रखे 3. प्राचीन भारत में वह अधिकारी जो लोगों को न्यायपीठ के समक्ष सविवरण उपस्थित करता था 4. प्राचीन भारत में राजकोष का प्रधान अधिकारी।

सन्निधान (सं.) [सं-पु.] 1. वह अवस्था जिसमें दो या दो से अधिक चीज़ें साथ-साथ या आमने-सामने रहती हों 2. निकटता; समीपता 3. स्थापित करना; स्थापन 4. किसी वस्तु के रखने का स्थान 5. वह स्थान जहाँ धन एकत्र किया जाए; निधि 6. ग्रहण करना; भार लेना 7. पड़ोस।

सन्निधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आमने सामने की स्थिति; सन्निधान 2. समीपता; निकटता 3. पड़ोस।

सन्निपात (सं.) [सं-पु.] 1. नीचे आना, गिरना या उतरना 2. जुड़ना; मिलना 3. भिड़ना; टकराना 4. घटनाओं का एक साथ घटित होना 5. एक प्रकार का ज्वर जिसमें कफ़, पित्त और वात तीनों बिगड़ जाते हैं; त्रिदोष; सरसाम।

सन्निपाती (सं.) [वि.] 1. सन्निपात के रूप में होने वाला; सामवायिक 2. आक्रामक; आघातक 3. समान; समकालीन।

सन्निविष्ट (सं.) [वि.] 1. एक साथ बैठा या मिला हुआ 2. जमा हुआ; रखा हुआ 3. स्थापित; प्रतिष्ठित 4. लगा हुआ; जड़ा हुआ 5. अँटा हुआ; आया हुआ 6. समाया हुआ; प्रविष्ट 7. जिसने शिविर या पड़ाव डाला हो 8. किसी के बीच में जोड़ा, बढ़ाया या लगाया हुआ; पास का।

सन्निवेश (सं.) [सं-पु.] 1. एक साथ बैठने की अवस्था 2. जमना; स्थित होना; बैठना 3. लगाना; जड़ना; बैठाना 4. अँटना; भीतर आना; समाना 5. आसन; बैठकी 6. रहने की जगह; निवास; घर 7. पुर या ग्राम के लोगों के एकत्र होने का स्थान; चौपाल 8. एकत्र होना; जुटना 9. समूह; समाज 10. योजना; व्यवस्था 11. स्तंभ, मूर्ति आदि की स्थापना 12. संचय; समुच्चय 13. डेरा डालना; शिविर स्थापित करना।

सन्निवेशन (सं.) [सं-पु.] 1. प्रवेश करना या कराना 2. एक साथ बैठना; एकत्र होना या करना 3. सजाना; जमाना; बैठाना; लगाना; जड़ना 4. टिकाना; ठहराना; अड़ाना 5. स्थापित करना 6. वास; निवास 7. विधान; व्यवस्था।

सन्निहित (सं.) [वि.] 1. समीपस्थ, निकट या साथ का; पड़ोस का 2. साथ या पास रखा हुआ; ठहरा हुआ; स्थित 3. आसन्न; उपस्थित 4. ठहराया या टिकाया हुआ; जमाया हुआ।

सन्मन (सं.) [सं-पु.] जो मन सद्भाव पूर्ण हो; शुद्ध मन। [वि.] अच्छा; सच्चे मनवाला।

सन्मार्ग (सं.) [सं-पु.] उत्तम मार्ग; सत्पथ; सुमार्ग; कल्याणकारी मार्ग।

सन्मुख (सं.) [अव्य.] सम्मुख; सामने; समझ।

सपंक (सं.) [वि.] 1. कीचड़ से भरा हुआ 2. जिसे पार करना बहुत कठिन हो; बीहड़; विकट।

सपत्नी (सं.) [सं-स्त्री.] किसी स्त्री के पति की दूसरी पत्नी; सौत; सौतन।

सपत्नीक (सं.) [वि.] जो अपनी पत्नी के साथ हो; पत्नीसहित; सभार्या।

सपना (सं.) [सं-पु.] 1. नींद की स्थिति में दिखाई देने वाला दृश्य, बात या घटना 2. स्वप्न; ख़्वाब 3. {ला-अ.} कामना; साध 4. {ला-अ.} झूठी आशा; कल्पना। [मु.] सपने देखना : कल्पनाएँ करना। सपने पालना : आशाएँ सँजोना।

सपरदाई (सं.) [सं-पु.] नाचने-गाने वाली तवायफ़ के साथ तबला, सारंगी आदि वाद्ययंत्र बजाने वाला व्यक्ति; समाजी; साज़िंदा।

सपरना [क्रि-अ.] 1. किसी काम का पूरा होना; समाप्त होना; निबटना 2. काम का किया जा सकना; हो सकना 3. संबंध, व्यवहार आदि का ठीक तरह से चलते रहना; निभना; चलना 4. स्नान करना।

सपराना [क्रि-स.] काम पूरा करना; निबटाना; पार लगाना; समाप्त करना।

सपरिवार (सं.) [वि.] परिवार के समस्त सदस्यों के साथ; परिवारयुक्त; बीवी-बच्चों के साथ।

सपा [सं-पु.] भारत का एक राजनीतिक दल; समाजवादी पार्टी का संक्षिप्त रूप।

सपाट (सं.) [वि.] 1. जिसकी सतह बराबर या समतल हो 2. जिसमें कोई उभार न हो 3. (खेत या मैदान) जो क्षितिज में दूर तक चला गया हो; क्षैतिज; (हॉरिजेंटल) 4. {ला-अ.} जिसमें विविधता या रोचकता न हो; अरोचक 5. {ला-अ.} जिसमें गहरा भाव या व्यंजना न हो।

सपाटा [सं-पु.] 1. चलने या दौड़ने का वेग 2. तेज़ गति; दौड़ 3. झोंका; तेज़ी 4. झपट 5. थप्पड़; तमाचा।

सपाटू [सं-पु.] 1. एक तरह का मीठा फल; चीकू 2. उक्त फल का वृक्ष।

सपाद (सं.) [वि.] 1. चरण सहित 2. पूर्ण के साथ चतुर्थांशयुक्त; सवाया।

सपिंड (सं.) [सं-पु.] हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार एक ही कुल या ख़ानदान के वे लोग जो एक ही पितरों का पिंडदान करते हैं।

सपिंडी (सं.) [सं-स्त्री.] मृतक के निमित्त वह श्राद्ध कर्म जिसमें उसे अन्य पितरों या परिवार के मृत प्राणियों में सम्मिलित किया जाता है।

सपूत (सं.) [सं-पु.] गुणवान और योग्य पुत्र; अच्छा पुत्र; लायक बेटा; होनहार बेटा।

सपोर्ट (इं.) [सं-पु.] 1. समर्थन; हिमायत 2. मदद; सहायता 3. साथ; सहारा; अवलंब 4. टेक; खंभा। -करना [क्रि-स.] 1. समर्थन करना 2. सहायता देना 3. भरण-पोषण करना।

सपोर्टर (इं.) [वि.] 1. समर्थक; हिमायती 2. सहायक; मददगार 3. अनुयायी।

सप्त (सं.) [वि.] छह से एक अधिक; सात।

सप्तक (सं.) [सं-पु.] जिसमें सात वस्तुएँ हों। [सं-पु.] 1. एक ही तरह की सात वस्तुओं, कृतियों आदि का संग्रह 2. संगीत में सात स्वरों- षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत तथा निषाद का समूह।

सप्तद्वीप (सं.) [सं-पु.] (पुराण) पृथ्वी के सात बड़े और मुख्य विभाग या खंड- जम्बू, कुश, प्लक्ष, कौंच, शाल्मलि, शाक और पुष्कर द्वीप।

सप्तपदी (सं.) [सं-स्त्री.] विवाह की एक रीति जिसमें वर और वधू अग्नि के चारों ओर सात परिक्रमाएँ करते हैं जिनसे विवाह पक्का हो जाता है; भाँवर; भँवरी।

सप्तभुज (सं.) [सं-पु.] वह जिसकी सात भुजाएँ हों; सप्तकोण; (हेप्टेगन)।

सप्तम (सं.) [वि.] क्रम में छह के बाद सातवाँ।

सप्तमी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चांद्र मास के किसी पक्ष की सातवीं तिथि 2. (व्याकरण) अधिकरण कारक की विभक्ति।

सप्तरंगी (सं.) [वि.] 1. सात रंगों वाला; सतरंगी 2. इंद्रधनुष।

सप्तर्षि (सं.) [सं-पु.] 1. आकाश में सात तारों का समूह 2. 'शतपथ ब्राह्मण' के अनुसार सात ऋषियों (गौतम, भारद्वाज, विश्वामित्र, जमदग्नि, वसिष्ठ, कश्यप और अत्रि) का समूह या मंडल 3. 'महाभारत' के अनुसार सात ऋषियों (मरिचि, अत्रि, अंगिरा, पुलह, क्रतु, पुलस्त्य और वसिष्ठ) का समूह या मंडल।

सप्तलोक (सं.) [सं-पु.] (पुराण) सात लोक- भूलोक, भुवर्लोक, स्वलोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और सत्यलोक।

सप्तशती (सं.) [सं-स्त्री.] सात सौ छंदों का समूह विशेषकर; सतसई।

सप्तसिंधु (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन आर्यावर्त की सात प्रसिद्ध नदियाँ- सिंधु, परुष्णी, शतुद्री, वितस्ता, सरस्वती, यमुना और गंगा 2. (पुराण) सात समुद्र- लवण, इक्षु, दधि, दुग्ध, मधु, मदिरा और घृत।

सप्ताह (सं.) [सं-पु.] 1. सात दिनों का समय; सात दिन 2. सोमवार से रविवार तक के दिन; हफ़्ता 3. भागवत आदि की पूरी कथा सात दिन के अंदर पूरी करना।

सप्ताहांत (सं.) [सं-पु.] सप्ताह का अंतिम भाग; शनिवार का आधा और रविवार का पूरा दिन; (वीकेंड)।

सप्रतिबंध (सं.) [वि.] सशर्त; शर्तबंद; सोपाधिक।

सप्रयास (सं.) [क्रि.वि.] प्रयास करते हुए; प्रयत्नपूर्वक।

सप्रश्न (सं.) [वि.] प्रश्नयुक्त; प्रश्न के साथ; सवाल सहित।

सप्राण (सं.) [वि.] 1. प्राणों से युक्त; श्वासयुक्त 2. जीवंत; जीवित 3. बलिष्ठ 4. सक्रिय; उत्साही।

सप्रेम (सं.) [वि.] प्रेम भावना के साथ; प्रेम सहित।

सप्लाई (इं.) [सं-स्त्री.] 1. आपूर्ति; पूर्ति 2. सामग्री।

सप्लायर (इं.) [सं-पु.] 1. वस्तु या माल की आपूर्ति करने वाला व्यक्ति; आपूर्तिकर्ता; संभरक 2. विक्रेता; वितरक 3. उपलब्ध कराने वाला व्यक्ति 4. रसद या ज़रूरत का सामान देने वाला व्यक्ति या विभाग।

सप्लीमेंट (इं.) [वि.] 1. अतिरिक्त 2. परिपूरक; अनुपूरक; पूरक। [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नियमित पृष्ठ संख्या से अतिरिक्त लगाए जाने वाले पृष्ठ; विशेष अवसरों पर प्रस्तुत सामग्री वाले अतिरिक्त पृष्ठ।

सप्लीमेंटरी (इं.) [वि.] 1. पूरक; न्यूनता पूरक 2. अतिरिक्त 3. अधिक।

सफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. पंक्ति; कतार 2. नमाज़ पढ़ने वालों की पाँत।

सफ़दर (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वीर योद्धा 2. हज़रत अली की पदवी; अली 3. आम की एक किस्म। [वि.] सैनिकों की सफ़ों या कतारों को तोड़ने वाला।

सफ़र (अ.) [सं-पु.] 1. यात्रा 2. रवानगी; कूच; प्रस्थान 3. यात्रा के समय तय की जाने वाली दूरी 4. हिजरी सन का दूसरा महीना।

सफ़रनामा (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] यात्रा का वर्णन; भ्रमणवृतांत; यात्रा-विवरण।

सफ़रमैना (अ.) [सं-पु.] सेना के वे सिपाही जो सुरंग लगाने तथा खाई आदि खोदने के लिए सेना के आगे चलते हैं; (सैपरमैन)।

सफ़री (फ़ा.) [वि.] 1. सफ़र संबंधी 2. सफ़र में काम आने वाला। [सं-पु.] 1. यात्री; मुसाफ़िर 2. अमरूद। [सं-स्त्री.] 1. यात्रा व्यय; राह ख़र्च 2. यात्रा में काम आने वाली चीज़।

सफल (सं.) [वि.] 1. जिसने उद्देश्य सिद्ध कर लिया हो; कामयाब; पूर्णकाम; पूर्णमनोरथ; (सक्सेसफुल) 2. फलवाला; फलयुक्त; सार्थक।

सफलता [सं-स्त्री.] 1. सफल होने की अवस्था या भाव; अभीष्ट सिद्धि; कामयाबी; (सक्सेस) 2. कार्य पूरा होने की अवस्था या प्राप्ति; संकल्पपूर्ति 3. पूरा होने का भाव; पूर्णता 4. सार्थकता।

सफलित (सं.) [वि.] सार्थक; फलित; सफलीभूत।

सफलीभूत (सं.) [वि.] 1. जिसे सफलता मिली हो; जो सफल हुआ हो 2. जो सिद्ध या पूर्ण किया जा चुका हो।

सफ़हा (अ.) [सं-पु.] 1. तल; पृष्ठ 2. पार्श्व 3. पुस्तक का पृष्ठ; पन्ना; वरक 4. {ला-अ.} चौड़ाई; विस्तार।

सफ़ा (अ.) [वि.] 1. पवित्र; पाक; निर्मल; शुद्ध 2. साफ़; स्पष्ट; स्वच्छ 3. ख़ाली; रहित। [सं-पु.] किताब का पृष्ठ; पन्ना; कागज़।

सफ़ाई (अ.) [सं-स्त्री.] 1. साफ़ होने की अवस्था या भाव; स्वच्छता; निर्मलता 2. दोष या त्रुटि आदि से रहित अवस्था 3. {ला-अ.} छलहीनता; निष्कपटता 4. आरोपों के उत्तर में निर्दोष साबित होने के लिए बोला गया कथन 5. विवाद, झगड़े आदि का निपटारा। [मु.] -देना : निर्दोष होने की दलील या तर्क देना।

सफ़ाचट (अ.+हिं.) [वि.] 1. बहुत साफ़; एकदम स्वच्छ; चिकना 2. जिसके ऊपर कुछ भी लगा या जमा हुआ न रह गया हो।

सफ़ाया (अ.) [सं-पु.] 1. पूरी सफ़ाई हो जाना 2. कुछ बाकी न रह जाना; समाप्ति 3. पूर्ण विनाश; नाश 4. वध; संहार 5. उपभोग से समाप्त हो जाना; ख़तम हो जाना।

सफ़ारी (इं.) [सं-स्त्री.] शिकार या भ्रमण के लिए जंगल में जाने वाला कारवाँ (विशेषकर अफ़्रीका में); भ्रमण; यात्रा।

सफ़ारी सूट (इं.) [सं-पु.] एक विशेष परिधान या सूट जिसमें एक ही कपड़े का बुशशर्ट और उसी कपड़े का पैंट बनाकर पहना जाता है।

सफ़ीना (अ.) [सं-पु.] 1. नाव; कश्ती 2. अदालत का परवाना; समन; हुकुमनामा; आदेशपत्र 3. किताब।

सफ़ीर (अ.) [सं-पु.] 1. पत्रवाहक 2. संदेशवाहक 3. एलची, राजदूत।

सफ़ेद (फ़ा.) [वि.] 1. श्वेत; धवल; दुग्ध; दूधिया 2. गोरा; चिट्टा; धौला 3. उज्ज्वल; उजला 4. चूने के रंग का 5. जो रंगीन न हो।

सफ़ेदझूठ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ऐसा झूठ जो सहज ही झूठ प्रतीत होता हो 2. कोरा झूठ; बे सिर पैर की बात।

सफ़ेददाग (फ़ा.+अ.) [सं-पु.] 1. श्वेतकुष्ठ नामक रोग 2. उक्त रोग के कारण शरीर पर होने वाला सफ़ेद दाग या धब्बा।

सफ़ेदपोश (फ़ा.) [वि.] 1. जो सफ़ेद कपड़े पहनता हो 2. भलामानस; शिष्ट 3. बुद्धिजीवी। [सं-पु.] सभ्य व्यक्ति; भला आदमी।

सफ़ेदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक बहुत लंबा सफ़ेद तने वाला वृक्ष; नीलगिरि वृक्ष; (यूकलिप्टस) 2. पेंट-वार्निश उद्योग में सफ़ेद रंग बनाने के काम आने वाला एक रासायनिक पदार्थ 3. आम की एक प्रसिद्ध किस्म 4. एक तरह का ख़रबूज़ा।

सफ़ेदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सफ़ेद होने का भाव या गुण; धवलता; श्वेतिमा; उज्ज्वलता; उजलापन 2. दीवार पर की जाने वाली सफ़ेद रंग की पुताई; चूने की पुताई; कलई 3. सफ़ेद रंग का स्राव।

सफ़्फ़ाक (अ.) [वि.] 1. कत्ल करने वाला; ख़ूनी; रक्तपात करने वाला 2. निर्दय; क्रूर 3. ज़ालिम।

सब1 (सं.) [वि.] 1. कुल; समस्त; पूरा; सारा 2. अवधि, मात्रा, मान आदि से जितना है; वह कुल; संख्या की दृष्टि से हर एक।

सब2 (इं.) [पूर्वप्रत्य.] शब्द के पहले लगा कर किसी बड़े अफ़सर के अधीन रहकर उसी की तरह के कर्तव्यों का निर्वाह करने वाले अधिकारी या कर्मी का अर्थ देने वाला प्रत्यय, जैसे- सबइंसपेक्टर।

सब-एडीटर (इं.) [सं-पु.] उप-संपादक।

सबक (अ.) [सं-पु.] 1. पाठ 2. शिक्षा; उपदेश; सीख; नसीहत 3. अनुभव 4. चेतावनी के साथ मिलने वाला दंड। [मु.] -सिखाना : दंड देना।

सबद1 (सं.) [सं-पु.] 1. शब्द; आवाज़; ध्वनि 2. किसी संत या महात्मा के उपदेश; किसी संत कवि की वाणी या भजन, जैसे- कबीर के सबद।

सबद2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] डलिया; टोकरी।

सबब (अ.) [सं-पु.] कारण; हेतु; वजह। [अव्य.] के कारण; की वजह से।

सबरा [सं-पु.] वह औज़ार जिससे कसेरे बरतन में टाँका लगाते हैं।

सबल (सं.) [वि.] 1. जिसमें शक्ति हो; बलशाली; बलवान 2. प्रबल; सशक्त; बलिष्ठ 3. जिसके साथ सेना हो।

सबा (अ.) [सं-स्त्री.] पूर्वी हवा; पूरब से पश्चिम की ओर चलने वाली हवा; बयार।

सबात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. स्थायित्व; स्थिरता; ठहराव 2. दृढ़ता; मज़बूती।

सबिंग (इं.) [क्रि-स.] किसी भी समाचार को भाषा, शैली व तथ्यात्मक रूप से ठीक करते हुए गलतियों को सुधारकर उसे सरल भाषा में प्रकाशन योग्य बनाना या होना।

सबील (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मार्ग; सड़क 2. युक्ति; उपाय; साधन 3. प्रबंध; व्यवस्था 4. ढंग; तरीका 5. वह स्थान जहाँ धार्मिक अवसरों पर लोगों को पानी या शरबत पिलाया जाता है; प्याऊ; पौसरा।

सबू (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मिट्टी का घड़ा; मटका; घट; गगरी; कुंभ 2. शराब की मटकी।

सबूचा (फ़ा.) [सं-पु.] छोटे आकार का घड़ा या मटकी।

सबूत (अ.) [सं-पु.] वह बात या वस्तु जिससे कोई बात साबित या प्रमाणित होती हो; प्रमाण।

सब्ज़ (फ़ा.) [वि.] 1. हरा; हरित 2. कच्चा और ताज़ा (फल-फूल, सब्ज़ी आदि) 3. समृद्ध; उर्वर (क्षेत्र) 4. हरा-भरा; लहलहाता हुआ।

सब्ज़कदम (फ़ा.) [वि.] 1. (व्यंग्य) (वह) जिसके कदम अशुभ माने जाने हों; मनहूस 2. (उपहास) (वह) जिसका कहीं पर आगमन अमंगल करता हो; जिसके चरण बुरे हों।

सब्ज़पोश (फ़ा.) [वि.] जो सब्ज़ या हरे रंग के कपड़े पहने हो।

सब्ज़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. हरियाली; हरीतिमा; हरी घास 2. पन्ना नामक रत्न 3. नीलकंठ 4. स्याह रंग की झलक लिए हुए सफ़ेद रंग का घोड़ा 5. चेहरे पर दाढ़ी-मूँछों के कारण दिखने वाली हरियाली 6. एक तरह का ख़रबूज़ा या आम 7. तुलसी की जाति का एक पौधा जो मुसलमानों द्वारा पवित्र माना जाता है; मरुआ।

सब्ज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. हरी तरकारी; साग-भाजी; शाक 2. सब्ज़ होने की अवस्था; हरापन; हरियाली 3. पकाई हुई सब्ज़ी, जैसे- आलू-गोभी की सब्ज़ी।

सब्ज़ीमंडी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ सब्ज़ी, तरकारी, साग-पात आदि चीज़ें बिकती हैं; सब्ज़ी ख़रीदने-बेचने का बाज़ार।

सब्जेक्ट (इं.) [सं-पु.] 1. विषय; मामला 2. (व्याकरण) कर्ता; उद्देश्य।

सब्त (अ.) [सं-पु.] 1. लेख; लिखावट 2. किसी लेख या दस्तावेज़ पर लगाई जाने वाली मोहर।

सब्र (अ.) [सं-पु.] 1. संतोष; धीरज; धैर्य 2. सहनशीलता; सहन करने की क्षमता; बरदाश्त करने की क्षमता 3. तसल्ली।

सभय (सं.) [वि.] डरा हुआ; भयभीत। [क्रि.वि.] भयपूर्वक; डरते हुए।

सभा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक स्थान पर बैठे हुए लोगों का समूह 2. समिति; परिषद 3. मजलिस; गोष्ठी 4. विशिष्ट प्रयोजन के लिए एकत्र कुछ लोगों की मंडली 5. गठित संस्था; दरबार।

सभागार (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ सभा होती है; सभाभवन; सभागृह।

सभागृह (सं.) [सं-पु.] सार्वजनिक या बड़ी सभाएँ करने का स्थान या भवन; सभाभवन; सभागार; (ऑडिटोरियम)।

सभाचतुर (सं.) [वि.] 1. सभा या सभ्य समाज में बातचीत करने में कुशल 2. अपने वाकचातुर्य से लोगों को प्रभावित करने वाला।

सभाचातुरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सभाचतुर होने की अवस्था, गुण या भाव 2. सभा या समाज में व्यवहार करने की पटुता या कौशल।

सभापति (सं.) [सं-पु.] सभा का प्रधान या मुखिया; सभाध्यक्ष; मीरे मजलिस; (चेयरमैन,प्रेज़ेडेंट)।

सभापतित्व (सं.) [सं-पु.] सभापति होने का भाव या दायित्व; सभा की अध्यक्षता।

सभाभवन (सं.) [सं-पु.] सभागृह; सभागार।

सभामंडप (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ कोई सभा या समाज एकत्र होता है; सभागृह; सभाकक्ष 2. देव मंदिरों में गर्भगृह के सामने का वह स्थान जहाँ भक्त लोग बैठकर भजन, कीर्तन आदि करते हैं।

सभासद (सं.) [सं-पु.] किसी सभा या संस्था का सदस्य; (मेंबर)।

सभी [वि.] 1. समस्त; सब 2. सारे 3. सब के सब; एक साथ; सब लोग।

सभेय (सं.) [सं-पु.] 1. सभा का सदस्य; सभासद 2. सभ्य या शिष्ट व्यक्ति। [वि.] सभा या शिष्ट समाज के योग्य।

सभ्य (सं.) [वि.] 1. सभा से संबंध रखने वाला 2. शिष्ट; शरीफ़; भले आदमियों की तरह व्यवहार करने वाला 3. सुशील; विनम्र 4. सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक आदि सभी दृष्टियों से उन्नत व उत्तम।

सभ्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी देश या समाज की आत्मिक और भौतिक उन्नति को दर्शाने वाली विशेषताओं का सामूहिक रूप 2. सभ्य होने की अवस्था भाव; शिष्टता; तहज़ीब; अदब; कायदा; शराफ़त; शालीनता 3. बुद्धिमान होने का गुण; विचारशीलता 4. समता और बंधुत्व की भावना 5. जीवनशैली; आचार-विचार।

सम1 (सं.) [वि.] 1. बराबर; एक-सा; एक ही; समकोटीय 2. पक्षपात रहित; निष्पक्ष; बिना भेदभाव वाला 3. एकरूप जिसका तल बराबर हो; जो ऊबड़-खाबड़ न हो; जिसमें उतार-चढ़ाव न हो 4. समान; तुल्य 5. जिसे दो से भाग देने पर शेष कुछ न बचता हो (संख्या); जो दो से विभाजित हो जाए; (ईवन)। [क्रि.वि.] के समान; बराबर, जैसे- पुत्रसम समझना। [सं-पु.] 1. चौरस मैदान 2. वह बिंदु जिसपर मध्याह्न रेखा विषुवत रेखा से मिलती है 3. एक काव्यालंकार 4. (अंकगणित) वर्गमूल निकालने की क्रिया में अंक के ऊपर दी जाने वाली रेखा 5. सादृश्य; समानता।

सम2 (अ.) [सं-पु.] विष; ज़हर।

समंजन (सं.) [सं-पु.] 1. ठीक करना या बैठाना; एक चीज़ को दूसरी चीज़ से मिलाना 2. लेन-देन का हिसाब बैठाना; लेखा-जोखा बराबर करना 3. तालमेल बैठाना; (एडजस्टमेंट) 4. नए माहौल या परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं को ढालने की क्रिया।

समंजस (सं.) [वि.] 1. वाजिब; उचित; ठीक 2. आस-पास की बातों, वस्तुओं आदि के साथ ठीक जान पड़ने या मेल खाने वाला 3. जिसे किसी बात का अभ्यास हो; अभ्यस्त 4. सही; सच; यथार्थ 5. स्वस्थ 6. संगत; सामंजस्य; सामंजस्यपूर्ण।

समंजित (सं.) [वि.] जो ठीक करके परिस्थितियों के अनुकूल किया या बनाया गया हो।

समंद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बादामी रंग का वह घोड़ा जिसकी अयाल, दुम और पुट्ठे काले हों 2. उत्तम नस्ल का घोड़ा।

समंदर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. समुद्र; सागर 2. फ़ारसी कवि-परंपरा के अनुसार एक कल्पित जानवर जो आग के कुंड से पैदा होता है और तुरंत मर जाता है।

समकक्ष (सं.) [वि.] 1. तुलना में बराबर का; समान गुण का; समान आकार का 2. समान योग्यता का; समान महत्व का।

समकक्षता (सं.) [सं-स्त्री.] समकक्ष या समान होने का भाव; समानता; बराबरी; एकरूपता।

समकालिक (सं.) [वि.] 1. एक ही समय में होने वाला; युगपत 2. वर्तमानकाल का; समकालीन; आधुनिक 3. समसामयिक।

समकालीन (सं.) [वि.] 1. वर्तमान काल का; एक ही समय का; आधुनिक 2. एक समय में होने वाला; उसी समय होने वाला; सहवर्ती; युगपत 3. समसामयिक; (कंटेंपररी)।

समकालीनता (सं.) [सं-स्त्री.] समकालीन होने की अवस्था या भाव।

समकोण (सं.) [सं-पु.] 1. (ज्यामिति) नब्बे अंश का कोण; (राइट एंगल) 2. आयत। [वि.] (ज्यामिति) जिसके आमने-सामने के सभी कोण समान हो; बराबर कोणों वाला (क्षेत्र)।

समकोणीय (सं.) [वि.] 1. जिसके चारों कोण बराबर हों 2. खड़ा हुआ; (रैक्टैंग्यलर)।

समक्ष (सं.) [अव्य.] आँखों के सामने; सम्मुख; प्रत्यक्ष; सामने।

समक्षणिक (सं.) [वि.] एक ही पल या क्षण में होने वाले।

समगामी (सं.) [वि.] साथ-साथ चलने वाले; एक ही दिशा में जाने वाले।

समग्र (सं.) [वि.] 1. आदि से अंत तक; समस्त; संपूर्ण 2. समूचा; सारा; सब; सकल।

समग्रता (सं.) [सं-स्त्री.] संपूर्णता; सकलता।

समचतुर्भुज (सं.) [सं-पु.] (ज्यामिति) वह चतुर्भुज जिसकी चारों भुजाएँ बराबर हों।

समछंद (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) वह छंद जिसके चारों चरण समान हों।

समझ (सं.) [सं-स्त्री.] जानने और समझने की शक्ति; मेधा; अक्ल; बुद्धि; ज्ञान प्राप्ति की आंतरिक शक्ति।

समझदार (सं.) [वि.] जिसमें समझ हो; अक्लमंद; बुद्धिमान।

समझदारी [सं-स्त्री.] समझदार होने का गुण; विचारशीलता; बुद्धिमत्ता; विवेक।

समझना (सं.) [क्रि-स.] 1. कोई बात अच्छी तरह विचार करके जानना; बुद्धि से ग्रहण करना 2. किसी का स्वरूप आदि देखकर उसके संबंध में कल्पना करना 3. विचार और मनन करना।

समझाना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी तथ्य से भलीभाँति परिचित या अवगत कराना 2. अच्छी तरह बोध कराना 3. कोई कठिन बात सरल करके बताना; सीख देना।

समझौता [सं-पु.] 1. लेन-देन, विवाद आदि से संबंधित पक्षों में निपटारा या निर्णय कराना 2. परस्पर मेलमिलाप; सुलह; संधि 3. करार या निश्चय; निपटारा।

समझौतावादी [वि.] जिसका दृष्टिकोण समझौता करना रहता हो।

समतल (सं.) [वि.] जिसका तल बराबर हो; जिसका तल ऊबड़-खाबड़ न हो; सपाट।

समता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समान या सम होने का गुण; समानता; सादृश्य; अनुरूपता; बराबरी; तुल्यता; समत्व; (इक्वैलिटी) 2. ऐसी स्थिति जिसमें कोई अंग या पक्ष अनुपयुक्त या कमतर न रहे; संतुलन 3. चौरस होने का भाव 4. अभिन्नता; भेदभावहीनता।

समतामूलक (सं.) [वि.] 1. जिसमें समता का भाव हो; समता पर आधारित; भेदभावरहित 2. जिसमें वर्गभेद न हो; जिसमें विषमता न हो (समाज) 3. {व्यं-अ.} जिसमें शोषण न हो।

समतावाद (सं.) [सं-पु.] वह सिद्धांत या मत जिसमें यह माना जाता है कि समाज के सभी वर्गों या व्यक्तियों में आर्थिक, सामाजिक आदि स्तरों पर समानता हो; समता या बराबरी पर बल देने वाला विचार।

समतुल्य (सं.) [वि.] बराबर; समान; समान कोटि या स्तर का; समकक्ष; समरूप; सदृश।

समतुल्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बराबरी; समानता; साम्य 2. मेल; संयोग; अनुकूलता; संयोजन 3. सादृश्य।

समतोल (सं.) [वि.] महत्व आदि की दृष्टि से समान; समतुल्य।

समत्व (सं.) [सं-पु.] 1. सम या समान होने की अवस्था या भाव; समता; तुल्यता; बराबरी 2. अनुकूलता; एक ही तरह की बनावट।

समदर्शी (सं.) [वि.] 1. वह जो सभी को समान दृष्टि से देखता हो; न्यायप्रिय 2. वह जो सबके साथ समान व्यवहार करता हो; समव्यवहारी 3. जो देखने में किसी प्रकार का भेदभाव न रखता हो; पक्षपातहीन 4. स्थिरचित्त; धैर्यशील।

समद्विबाहु (सं.) [वि.] (ज्यामिति) जिसकी दोनों भुजाएँ बराबर हों।

समधरातल (सं.) [सं-पु.] ऐसा धरातल जिसकी ऊपरी परत समतल हो।

समधिन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संबंध के अनुसार किसी के पुत्र या पुत्री की सास 2. समधी की पत्नी।

समधियाना [सं-पु.] पुत्र या पुत्री की ससुराल; समधी का घर।

समधी (सं.) [सं-पु.] 1. संबंध के अनुसार किसी के पुत्र या पुत्री का ससुर 2. वर-वधू के पिता का परस्पर संबंध।

समन1 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] चमेली का पौधा या फूल।

समन2 (इं.) [सं-पु.] प्रतिवादी को अदालत में हाज़िर होने के लिए अदालत की ओर से भेजी गई लिखित सूचना।

समनाम (सं.) [वि.] जिसका नाम किसी और के नाम के समान हो; एक ही नाम वाले।

समन्वय (सं.) [वि.] 1. सम्मिलित होने की क्रिया या भाव; समान रूप से मिलना 2. एक को दूसरे में विलय करना 3. कार्य और कारण का निर्वाह या संबंध 4. एक दूसरे से तालमेल बिठाना।

समन्वयक (सं.) [वि.] 1. समन्वय करने वाला; मिलाने वाला 2. सामंजस्य या तालमेल बैठाने वाला 3. सम्मिलित या एकजुट करने वाला।

समन्वयवादी (सं.) [वि.] 1. समन्वय संबंधी 2. समन्वय के सिद्धांत को मानने वाला।

समन्वित (सं.) [वि.] 1. जिसका समन्वय हुआ हो 2. जिसमें सामंजस्य हो 3. किसी के अंतर्गत स्थित।

समपाद (सं.) [वि.] (कविता या छंद) जिसके समस्त चरण या पद बराबर हों; समपद। [सं-पु.] 1. धनुष चलाने के समय खड़े होने का ढंग 2. रतिक्रिया का एक आसन 3. एक प्रकार का छंद 4. नृत्य की एक गति।

समपार्श्व (सं.) [वि.] (ज्यामिति) दोनों तरफ़ एक-सा; सममित; बराबर; संतुलित; (सिमैट्रिकल)।

समबाहु (सं.) [सं-पु.] जिसकी सभी भुजाएँ बराबर हों; समभुज।

समभाव (सं.) [सं-पु.] 1. समानता की सूचक स्थिति; बराबरी 2. सभी को समान समझने की वृत्ति।

समय (सं.) [सं-पु.] 1. काल; वक्त; बेला 2. अवसर; मौका 3. अवकाश; फुरसत 4. अवधि; काल चक्र 5. दिन और रात के अनुसार काल का कोई मान 6. किसी बात या काम का निश्चित काल 7. कोई धार्मिक या साहित्यिक परंपरा या प्रथा, जैसे- कवि समय 8. उत्कर्ष काल।

समयनिष्ठ (सं.) [वि.] प्रत्येक कार्य समय पर करने वाला; समय का ध्यान करके काम करने वाला; समय का पालन करने वाला; (पंक्चुअल)।

समयनिष्ठा (सं.) [सं-स्त्री.] पूर्व-निर्धारित समय पर या समय से पूर्व किसी आवश्यक कार्य को पूर्ण करने की भावना; (पंक्चुऐलिटी)।

समयपालन (सं.) [सं-पु.] नियत या निश्चित समय पर कार्य करने की क्रिया या भाव।

समयपूर्व (सं.) [वि.] निर्धारित समय से पहले होने वाला; पूर्वजात।

समयबद्ध (सं.) [वि.] जिसका निर्धारित अवधि में पूर्ण किया जाना आवश्यक हो (कार्य)।

समयबद्धता (सं.) [सं-स्त्री.] निर्धारित अवधि में कार्य पूर्ण करने की अवस्था या भाव।

समयमुक्त (सं.) [वि.] जो समय से न बँधा हो; काल निरपेक्ष।

समयसारणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समय सूचित करने के लिए बनाई गई सारणी 2. भिन्न-भिन्न समय पर एक निश्चित क्रम में होने वाले कार्यों की विवरण सूची 3. रेलगाड़ियों के संचालन या पहुँचने-छूटने का समय दर्शाने वाली सूची 4. विद्यालय या महाविद्यालयों में पढ़ाई या परीक्षा आरंभ होने के निर्धारित समय की सूची; (टाइमटेबल)।

समय सीमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समय की सूचक सीमा 2. किसी कार्य के लिए नियत किया गया समय; अंतिम बिंदु; (टाइम लिमिट)।

समयानुकूल (सं.) [वि.] 1. जो समय के अनुसार हो; समयोचित 2. अवसरानुकूल; कालानुकूल 3. मौके को ध्यान में रखते हुए।

समयानुसार (सं.) [वि.] 1. जो समय या आवश्यकता के अनुरूप उचित हो; समयोचित 2. सामयिक; सही। [क्रि.वि.] 1. समय के अनुसार; युगानुसार 2. समय-समय पर।

समयानुसारी (सं.) [वि.] 1. समय के अनुसार होने वाला 2. प्रस्तुत समय में प्रचलित प्रथा या परंपरा के अनुसार कार्य करने या चलने वाला।

समर1 (सं.) [सं-पु.] 1. युद्ध; संग्राम; लड़ाई; रण; जंग 2. कामोद्वेग 3. कामदेव; मनोज।

समर2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वृक्ष का फल; मेवा 2. किसी कार्य का परिणाम; नतीजा 3. सत्कर्म का सुफल।

समरक्षेत्र (सं.) [सं-पु.] 1. युद्ध या लड़ाई का मैदान; युद्ध भूमि 2. मोर्चा; (बैटल फील्ड)।

समरनीति (सं.) [सं-स्त्री.] युद्धनीति; रणनीति।

समरभूमि (सं.) [सं-स्त्री.] रणभूमि; युद्धक्षेत्र।

समरशय्या (सं.) [सं-स्त्री.] योद्धा के युद्धक्षेत्र में घायल होकर ज़मीन पर गिरने की अवस्था।

समरस (सं.) [वि.] 1. एक ही प्रकार के रस या स्वादवाला (पदार्थ) 2. जिसमें विविधता न हो; एक-सा; अपरिवर्तनीय 3. एक ही विचार का 4. सुख-दुख में एक जैसा रहने वाला; समान भाव वाला; संतुलित।

समरसता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समरस होने का गुण या भाव 2. सामंजस्य 3. सदा एक समान रहने की स्थिति; संतुलन; समरस्य।

समरांगण (सं.) [सं-पु.] युद्ध या लड़ाई का मैदान; युद्धक्षेत्र; रणभूमि; मैदान-ए-जंग।

समरूप (सं.) [वि.] 1. रूप और आकार-प्रकार में किसी के समान; सदृश 2. (व्याकरण) जो उच्चारण और वर्तनी में किसी अन्य शब्द के समान हो लेकिन व्युत्पत्ति और अर्थ के अनुसार भिन्न हो (शब्द)।

समरूपता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समरूप होने का गुण या भाव; रूप की समानता; एकरूपता 2. सादृश्य।

समर्चना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सम्यक या भली प्रकार से की जाने वाली अर्चना; पूजा 2. आदर-सत्कार।

समर्थ (सं.) [वि.] 1. सक्षम 2. बलवान; शक्तिशाली 3. कार्य संपादन की शक्ति या योग्यता रखने वाला 4. धनवान।

समर्थक (सं.) [वि.] 1. जो समर्थन करता हो; सहयोग करने वाला; अनुमोदक 2. पोषण या पुष्टि करने वाला।

समर्थता (सं.) [सं-स्त्री.] क्षमता या सामर्थ्य से पूर्ण होने की अवस्था या भाव; ताकत; शक्ति; सक्षमता।

समर्थन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के मत या विचार पर सहमति जताने की क्रिया; अनुमोदन; (सपोर्ट) 2. पुष्टि करना; ताईद करना 3. किसी की बात या प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करना; पक्ष लेना 4. किसी मत का पोषण; प्रतिपादन 5. विचार करना; विवेचन 6. सामंजस्य स्थापित करना।

समर्थित (सं.) [वि.] 1. जिसका पक्ष लिया गया हो; जिसका समर्थन किया गया हो; अनुमोदित; सिफ़ारिशी 2. जिसकी पुष्टि की गई हो; प्रमाणसिद्ध; प्रमाणित; सत्यापित; संपुष्ट।

समर्पक (सं.) [वि.] 1. जो समर्पण करता हो; समर्पण करने वाला 2. अन्यत्र पहुँचाने के लिए कोई माल देने या भेजने वाला।

समर्पण (सं.) [सं-पु.] 1. सौंप देने का भाव 2. किसी को आदरपूर्वक कुछ देने का भाव 3. भेंट या नज़र करना 4. अपने अधिकार आदि को दूसरे के हाथों में देना; सौंपना 5. सेना द्वारा या किसी अपराधी द्वारा अपने आप को सौंपना; आत्मसमर्पण।

समर्पण मूल्य (सं.) [सं-पु.] अवधि पूर्ण होने के पूर्व ही बीमा रद्द कराने पर बीमा कराने वाले को उसके बदले में दिया जाने वाला धन।

समर्पित (सं.) [वि.] 1. जो समर्पण किया गया हो 2. आदरपूर्वक सौंपा गया; अर्पित 3. स्थापित।

समर्प्य (सं.) [वि.] 1. समर्पण किए जाने योग्य 2. जिसे समर्पण करना हो।

समलैंगिक (सं.) [वि.] 1. समान यौन वर्ग या लिंग के प्रति आकर्षित होने वाला 2. जो समलिंगी हो। [सं-पु.] समलिंगी व्यक्ति; (होमोसेक्सुअल; गे; लेस्बियन)।

समवयस्क (सं.) [वि.] समान वय या अवस्था वाला; एक ही उम्र का; बराबर की उमर का; हमउम्र।

समवर्ग (सं.) [वि.] 1. एक ही वर्ग या श्रेणी का; समकोटि 2. समान स्तर का 3. समान विशिष्टता का।

समवर्ती (सं.) [वि.] 1. साथ-साथ होने या रहने वाला 2. साथ-साथ चलने वाला 3. समकालीन; समांतर 4. समान रूप से स्थित।

समवलंब (सं.) [सं-पु.] (ज्यामिति) ऐसा चतुर्भुज जिसकी दोनों लंबी रेखाएँ समान हों।

समवाय (सं.) [सं-पु.] 1. समुदाय; समूह; झुंड 2. राशि; ढेर 3. एक विशेष प्रकार के समूहों का घनिष्ठ और नित्य संबंध 4. नियमों के अधीन कोई व्यापारिक संस्था; (कंपनी)।

समवायी (सं.) [वि.] 1. गहनता से संबद्ध 2. जिसके साथ अभेद्य संबंध हो 3. जो इकट्ठा किया गया हो राशिमय; बहुल 4. जिसके साथ सदैव का या नित्य संबंध हो; घनिष्ठ। [सं-पु.] हिस्सेदार; साझेदार।

समवृत्त (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) वह छंद जिसके चारों चरण समान हों।

समवेक्षित (सं.) [वि.] विचारित; विवेचित।

समवेत (सं.) [वि.] 1. एक में मिला हुआ 2. एक जगह इकट्ठा किया हुआ; एकत्र 3. जमा किया हुआ; संचित।

समवेत गान [सं-पु.] किसी गाने को कई लोगों द्वारा मिलकर एक साथ गाया जाना; सहगान; (कोरस)।

समशीतोष्ण (सं.) [वि.] 1. जहाँ शीत और गरमी समान रूप से होती हो (स्थान) 2. सह्य; सुखद।

समशीतोष्ण कटिबंध (सं.) [सं-पु.] पृथ्वी पर भूमध्य रेखा के नीचे तथा उष्णकटिबंध और शीत कटिबंध के बीच में पड़ने वाले प्रदेश; (टेंपरेट ज़ोन)

समशील (सं.) [वि.] शील, स्वभाव प्रकृति आदि की दृष्टि से समान; समव्यवहारी; समस्वभावी।

समष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सबका सम्मिलित और सामूहिक रूप 2. सब अंगों, व्यक्तियों, सदस्यों आदि का समूहिक रूप; समाज 3. एक जैसी वस्तुओं का समूह।

समष्टिवाद (सं.) [सं-पु.] आधुनिक राजनीति में समाजवाद या साम्यवाद की वह शाखा जिसका सिद्धांत यह है कि समस्त पदार्थों के उत्पादन और वितरण का सारा अधिकार समष्टि रूप में संपूर्ण राष्ट्र के हाथ में होना चाहिए; (कलेक्टिविज़म)।

समष्टिवादी (सं.) [सं-पु.] समष्टिवाद के सिद्धांत का समर्थक।

समसमुन्नत (सं.) [वि.] 1. जो थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पूर्व की अपेक्षा कुछ ऊँचा उठता हुआ जाता हो 2. जो सीढ़ीनुमा ऊँचा होता जाता हो।

समसामयिक (सं.) [वि.] समकालीन; वर्तमान समय का।

समस्त (सं.) [वि.] 1. आदि से अंत तक जितना हो वह सब; संपूर्ण; सभी; पूरा; कुल 2. किसी के साथ मिला हुआ; संयुक्त 3. संक्षिप्त; समास-युक्त।

समस्तपद (सं.) [सं-पु.] समास से निर्मित पद; सामासिक पद।

समस्थानिक (सं.) [सं-पु.] (रसायनविज्ञान) एक ही तत्व के दो परमाणु जिनका परमाणु क्रमांक तो समान होता है किंतु परमाणु भार में अंतर होता है; (आइसोटोप)।

समस्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जटिल स्थिति; उलझा हुआ मामला; (प्रॉब्लम) 2. कठिन विषय या प्रश्न; कठिन या विकट प्रसंग 3. कठिनाई; मुसीबत; संकट 4. उलझन; असमंजस 5. शंका; सवाल 6. कवियों के काव्य-रचना कौशल की परीक्षा की ख़ातिर पूरा करने के लिए दिया जाने वाला किसी छंद या श्लोक का अंतिम चरण 7. दुविधा; पहेली।

समस्यापूर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] विशेषतः संस्कृत साहित्य में प्रचलित एक विशेष विधा जिसमें प्रदत्त छंद के चरण या चरणांश के आधार पर उसे अंत में रखते हुए छंद की पूर्ति की जाती है।

समस्वर (सं.) [सं-पु.] बराबर स्वर में; उच्चारण में समान; बराबर आवाज़ में।

समा1 (सं.) [सं-स्त्री.] वर्ष; साल; ऋतु; काल; समय।

समा2 (अ.) [सं-पु.] खुले स्थान में ऊपर की ओर दिखाई देने वाला ख़ाली स्थान; अंबर; आकाश; गगन; नभ; व्योम; फ़लक।

समाँ (अ.) [सं-पु.] सुंदर और मोहक दृश्य; दृश्यावली।

समांग (सं.) [वि.] 1. जिसके समस्त अवयव एक अनुपात में हों; जिसके अंग समान हों 2. जिसकी संरचना सम या संतुलित हो; (होमोजीनियस)

समांगीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. समांग करने की क्रिया; एक समान बनाना; मिलाना 2. समान प्रकृति का बनाना।

समांतर (सं.) [वि.] 1. (दो या अधिक रेखाएँ) जो एक सिरे से दूसरे सिरे तक समान अंतर पर रहें; समदिशीय; (पैरेलल) 2. बराबर 3. समांतरालीय 4. समवर्ती; समस्थित।

समाई1 [सं-स्त्री.] 1. सामर्थ्य; शक्ति; बूता; समर्थता 2. वह अवकाश जिसमें कोई चीज़ समाती हो।

समाई2 (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सुनी हुई वार्ता; श्रुति पर आधारित बात 2. सामान्य लोगों द्वारा बोलने में सुना गया वह शब्द जिसकी व्युत्पत्ति व्याकरण के नियमों से सिद्ध न हो।

समाकलक (सं.) [वि.] 1. समाकलन करने वाला 2. विनिमय या समाशोधन करने वाला।

समाकलन (सं.) [सं-पु.] 1. एक ही तरह की इकट्ठी की गई अनेक वस्तुओं का मिलान करके उनकी व्यवस्था या क्रम देखना; आशोधन; समाशोधन 2. किसी से रकम प्राप्त करके उसके खाते में जमा में लिखना; (क्रेडिट) 3. विनिमय; अदलाबदली।

समाख्यान (सं.) [सं-पु.] 1. किसी घटना की मुख्य-मुख्य बातों को क्रम से कहना; विवरण; व्याख्या 2. नाम लेना; उल्लेख करना 3. आख्या; नाम।

समागत (सं.) [वि.] 1. जिसका आगमन हुआ हो; आगत; आया हुआ 2. प्रत्यावर्तित; वापस आया हुआ।

समागम (सं.) [सं-पु.] 1. नज़दीक या पास आना; आगमन 2. सामने आना; मिलना; एकत्र होना 3. सम्मेलन; सभा 4. मैथुन; संभोग।

समाचार (सं.) [सं-पु.] 1. सूचना; ख़बर 2. हाल-चाल; वृत्तांत 3. नई या ताज़ा सूचना।

समाचारपत्र (सं.) [सं-पु.] देश-विदेश की सूचना या समाचार को जन-जन तक प्रसारित करने के लिए नियमित समय पर प्रकाशित होने वाला पत्र; अख़बार; (न्यूज़पेपर)।

समाचारवाचक (सं.) [सं-पु.] टेलीविज़न या रेडियो पर प्रसारण के लिए समाचार पढ़ने वाला व्यक्ति; उद्घोषक; (न्यूज़रीडर)।

समाचार संपादक (सं.) [सं-पु.] समाचार विभाग का सर्वोच्च प्रभारी अधिकारी; किसी ख़बर, घटना आदि के विवरण को काट-छाँटकर छपने योग्य बनाने वाला अधिकारी; (न्यूज़ एडिटर)।

समाज (सं.) [सं-पु.] 1. एक स्थान पर रहने वाले लोगों का वर्ग या समुदाय 2. समूह; समुदाय 3. किसी विशेष उद्देश्य से स्थापित की गई संस्था या सभा 4. किसी संप्रदाय के लोगों का समुदाय 5. सभा; गोष्ठी; मंडली।

समाजवाद (सं.) [सं-पु.] ऐसा सिद्धांत जिसमें यह मान्यता है कि सामाजिक विषमता को दूर कर समता स्थापित करनी चाहिए; भूमि और उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व से संबंधित सामाजिक व्यवस्था का एक सिद्धांत; (सोशलिज़म)।

समाजवादी (सं.) [सं-पु.] वह जो समाजवाद का समर्थक या अनुयायी हो। [वि.] 1. समाजवाद से संबंधित; समाजवाद का 2. समाजवाद को मानने वाला; (सोशलिस्ट)।

समाज विज्ञान (सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान या शास्त्र जो मनुष्य को सामाजिक प्राणी के रूप में स्वीकार कर उसके समाज और संस्कृति के उद्भव, विकास, संघटन तथा समस्याओं आदि का विवेचन और निष्कर्ष प्रस्तुत करता है; (सोशियोलॉजी)।

समाज विरोधी (सं.) [वि.] 1. समाज या सामाजिक भावना को क्षति पहुँचाने वाला 2. मनुष्य का अपने स्वार्थों के लिए उपयोग करने वाला 3. समाज को क्षति पहुँचाने वाले काम करने वाला; अपराधी वृत्ति वाला।

समाजशास्त्र (सं.) [सं-पु.] समाज विज्ञान।

समाजशास्त्री (सं.) [सं-पु.] वह जो समाजशास्त्र का अच्छा ज्ञाता हो; समाज से संबंधित तथ्यों का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति; समाजविज्ञानी।

समाजशास्त्रीय (सं.) [वि.] समाजशास्त्र से संबंधित; समाजशास्त्र का।

समाजसेवा (सं.) [सं-पु.] समाज का हित एवं सुधार करने का कार्य; सामाजिक कुरीतियों को मिटाने का कार्य; लोकोपकार; जनसेवा; परोपकार; (सोशलवर्क)‌।

समाजसेवी (सं.) [वि.] 1. समाज सेवा करने वाला; सुधारवादी; लोकोपकारी; जनसेवी; प्रजाहितैषी; (सोशल वर्कर) 2. सामाजिक कुरीतियों को मिटाने वाला 3. परोपकारी; दयालु। [सं-पु.] समाज सेवा करने वाला व्यक्ति।

समाजी [सं-पु.] 1. पुराने समय में वह व्यक्ति जो वेश्याओं के यहाँ तबला, सारंगी आदि बजाता था; सपरदाई 2. किसी समाज, विशेषतः आर्यसमाज का अनुयायी।

समाजीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. वह प्रक्रिया जिसमें मनुष्य दूसरों से अंतःक्रिया करता हुआ समाज के रीति-रिवाजों, विश्वासों, परंपराओं आदि को सीखता है 2. किसी कार्य या बात को ऐसा रूप देना कि उस पर संपूर्ण समाज का अधिकार हो जाए और सब लोग उससे लाभ उठा सकें 3. जन्म से लेकर मृत्यु तक निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया जो मनुष्य को सामाजिक सदस्य बनाती है।

समातत (सं.) [वि.] 1. फैलाया हुआ 2. ताना हुआ (धनुष आदि) 3. निरंतर; लगातार; अविच्छिन्न।

समादर (सं.) [सं-पु.] 1. यथेष्ट सम्मान; उचित आदर; सत्कार 2. प्रतिष्ठा; ख़ातिर।

समादृत (सं.) [वि.] जिसका ख़ूब आदर, सम्मान हुआ हो; सम्मानित।

समादेश (सं.) [सं-पु.] 1. अधिकारपूर्वक दी गई आज्ञा; कोई काम करने का आदेश; धर्मादेश; राज्यादेश 2. निषेधाज्ञा; व्यादेश 3. निर्देश; (कमांड) 4. न्यायालय द्वारा कोई काम रोकने के लिए दिया गया आदेश; (इनजंक्शन) 5. उच्च न्यायालय द्वारा किसी अधीनस्थ न्यायालय को दिया जाने वाला विधि संबंधी आदेश।

समादेशक (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो किसी को कोई काम करने का आदेश दे 2. सेना का वह प्रधान अधिकारी जिसके आदेश से सेना के सब काम होते हैं; (कमांडर)।

समादेश याचिका (सं.) [सं-स्त्री.] किसी राजनीतिक या विधिक आदेश के क्रियान्वयन को रोकने के लिए उच्च न्यायालय में दाख़िल की गई याचिका या दरख़ास्त; (रिट)।

समाधान (सं.) [सं-पु.] 1. किसी समस्या का हल निकालने की क्रिया; समझौता 2. निर्णय; फ़ैसला; निष्कर्ष 3. सुलझाव; हल 4. मतभेद दूर करना 5. संदेह निवारण; निराकरण 6. (नाट्यशास्त्र) मुख संधि का एक अंग; बीज स्थापन।

समाधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी विषय या विचार पर पूर्ण एकाग्र होने की स्थिति; विषय मुक्त चित्त दशा 2. ईश्वर के ध्यान में लीन होना 3. योगक्रिया का अंतिम चरण 4. ऐसा स्मारक जहाँ कोई मृतक या उसकी अस्थियाँ गड़ी हों।

समाधिक (सं.) [वि.] 1. औचित्य, सीमा आदि से बढ़ा हुआ; अतिशय 2. ज़्यादा; अधिक; बहुत।

समाधि क्षेत्र (सं.) [सं-पु.] समाधि स्थल; ऐसा स्थान जहाँ योगियों, संन्यासियों की समाधि बनाई जाती है।

समाधित (सं.) [वि.] 1. जिसने समाधि ली हो; जिसने समाधि लगाई हो; समाधि अवस्था को प्राप्त; समाधिस्थ; ब्रह्मलीन 2. तुष्ट या प्रसन्न किया हुआ।

समाधि लेख (सं.) [सं-पु.] मृत व्यक्ति का परिचय देने के लिए किसी कब्र या समाधि के पत्थर पर स्मृति के लिए लिखा जाने वाला लेख; (एपिटैफ़)।

समाधि शिला (सं.) [सं-स्त्री.] वह पत्थर जो किसी समाधि पर उसका विवरण देने के लिए लगाया जाता है।

समाधिस्थ (सं.) [वि.] 1. जो समाधि में स्थित हो; जो समाधि लगाए हुए हो 2. ध्यानरत; ध्यान में लीन।

समान (सं.) [वि.] 1. सदृश; बराबर; एक-सा; समकोटीय; (सिमिलर) 2. तुल्य; बराबर; (इक्वल) 3. गुण, मान और आकार में एक-दूसरे के जैसा 4. एक जैसा; समान मात्रा का 5. समतल; समभार; समशक्तिशाली 6. उम्र या पद आदि में बराबर 7. महत्व में किसी के अनुरूप। [सं-पु.] शरीर में स्थित पाँच प्राणवायु में से एक जो नाभि में स्थित मानी जाती है।

समानक (सं.) [वि.] 1. सभी प्रकार या दृष्टि से किसी के तुल्य या बराबर; समान 2. समान अर्थ रखने वाला; समानार्थक 3. जिसमें मानक नियमों का पूर्ण पालन किया गया हो।

समानकोणीय (सं.) [वि.] जिसके समस्त कोण आपस में बराबर हों, जैसे- समकोणिक बहुभुज।

समानता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समान होने का गुण या भाव; समानत्व; (सिमिलैरिटी) 2. बराबरी; तुल्यता; (इक्वैलिटी) 3. अधिकार या पद आदि में समान 4. अवस्था में बराबर या तुल्य 5. सादृश्य।

समानधर्मा (सं.) [वि.] समान गुण, धर्म, प्रकृति वाला; एक से गुण वाला।

समान स्थान (सं.) [वि.] 1. जो एक जैसे स्थान पर हो; बराबर का 2. समान महत्व का। [सं-पु.] 1. मध्य स्थान 2. (भूगोल) वह क्षेत्र जहाँ रात और दिन का मान एक समान होता है।

समाना (सं.) [क्रि-अ.] 1. अंदर आना; किसी के अंदर पहुँचकर भर जाना; लीन हो जाना 2. भरना; अटना 3. पहुँचना; कहीं से चलकर आना 4. व्याप्त होना, जैसे- मन में डर समाना। [क्रि-स.] 1. अंदर करना; भरना 2. जड़ना 3. अटाना।

समानांतर (सं.) [वि.] दो या दो से अधिक रेखाएँ जो एक सिरे से दूसरे सिरे तक बराबर दूरी पर रहें; समांतर; (पैरेलल)।

समानाधिकरण (सं.) [सं-पु.] 1. (व्याकरण) एक ही कारक विभक्ति से युक्त शब्द या पद, जैसे- देश के महान क्रांतिकारी भगत सिंह को सभी याद करते हैं, यहाँ 'देश के महान क्रांतिकारी' पद 'भगत सिंह' का समानाधिकरण है क्योंकि 'को' विभक्ति दोनों पक्षों पर लगती है 2. समान श्रेणी; समान आधार। [वि.] 1. समान कारक विभक्ति से युक्त 2. समान आधार का; समान श्रेणी का।

समानार्थ (सं.) [सं-पु.] समान अर्थ। [वि.] एक अर्थ वाले; पर्याय।

समानार्थक (सं.) [वि.] (शब्द) एक समान अर्थ रखने वाले; पर्यायवाची; (सिनॉनिमस)।

समानार्थी (सं.) [सं-पु.] 1. वे शब्द जिनका अर्थ समान हो 2. एक ही अर्थ देने वाले शब्द।

समानुपात (सं.) [सं-पु.] जिसका अनुपात समान या बराबर हो; (प्रपोर्शन)।

समानुपातिक (सं.) [वि.] समान अनुपात संबंधी; समानुपात की दृष्टि से होने वाला; (प्रपोर्शनेट)।

समापक (सं.) [वि.] 1. समापन करने वाला; समाप्त करने वाला 2. पूरा करने वाला।

समापत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संयोगवश एक ही समय में और एक ही स्थान पर कई लोगों का उपस्थित होना; मिलना 2. मौका; अवसर 3. पूर्ति; अंत; समाप्ति 4. मूल रूप का ग्रहण या प्राप्ति 5.(योग) ध्यान का एक अंग 6. युद्ध, दंगे, दुर्घटना आदि के कारण लोगों के प्राणों या शरीर पर आने वाला संकट; (कैज़ुएलिटी)।

समापन (सं.) [सं-पु.] 1. अंत; समाप्त करने की क्रिया 2. पूरा करना; पूर्ण 3. अवसान; अंजाम; आख़िर 4. विचार-विमर्श आदि का अंत करना; उपसंहार; इति; (बाइंडअप) 5. निष्पादन; निपटारा 6. संपादन।

समापनोत्सव (सं.) [सं-पु.] किसी कार्य के पूर्ण हो जाने पर किया जाने वाला उत्सव।

समापर्वतक (सं.) [सं-पु.] (गणित) वह राशि या संख्या जिससे दो या अधिक संख्याओं को भाग देने पर शेष कुछ न बचता हो; (कॉमन फ़ैक्टर)। [वि.] समापवर्तन करने वाला।

समापवर्तन (सं.) [सं-पु.] (गणित) राशियों या संख्याओं से समापवर्तक निकालने की क्रिया।

समापिका क्रिया (सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) दो प्रकार की कियाओं में से एक प्रकार की क्रिया जिससे किसी कार्य का समाप्त होना सूचित होता है; पूर्वकालिक क्रिया के बाद होने वाली क्रिया।

समाप्त (सं.) [वि.] 1. (कार्य आदि) जिसे पूरा कर दिया गया हो 2. जिसका अंत हो गया हो; ख़तम 3. जिसका कार्यकाल बीत चुका हो 4. (वस्तु) जो बिक चुकी हो।

समाप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समाप्त होने की अवस्था या भाव 2. पूरा या ख़तम होना 3. अवधि, सीमा आदि का अंत होना 4. अंत; अवसान; शेष न रहना।

समायत (सं.) [वि.] 1. फैला हुआ 2. बढ़ा हुआ 3. बड़ा; विस्तृत; विशाल।

समायोग (सं.) [सं-पु.] 1. संयोग 2. भीड़; जनसमूह 3. संबंध; तैयारी 4. ताल-मेल; समायोजन।

समायोजक (सं.) [वि.] 1. समायोजन करने वाला, ढंग या क्रम से रखने वाला 2. मिलाने वाला; व्यवस्था कराने वाला; संभरक; (सप्लायर)।

समायोजन (सं.) [सं-पु.] 1. समायोग; मिलाना; संयोग होने की अवस्था 2. कोई चीज़ ठीक ढंग से रखना 3. आवश्यक वस्तुओं को लोगों तक पहुँचाना; संभरण; (सप्लाई)।

समायोजित (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जिसका समायोजन किया गया हो; मिलाया हुआ 2. किसी के पास पहुँचाया हुआ 3. उपलब्ध कराया हुआ।

समारंभ (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह आरंभ होना 2. समारोह 3. अंगलेप 4. साहसिक कार्य 5. साहसिक कार्य करने का उत्साह या भाव।

समारोह (सं.) [सं-पु.] 1. उत्सव; शुभ कार्यक्रम; (फ़ंक्शन) 2. धूमधाम 3. चढ़ाई करना; सवार होना; ऊपर जाना।

समारोही (सं.) [वि.] समारोह संबंधी।

समालोचक (सं.) [वि.] 1. अच्छी-तरह देखने वाला; सम्यक परीक्षा या परीक्षण करने वाला 2. किसी चीज़ के गुण-दोषों की सम्यक विवेचना करने वाला 3. (साहित्य) किसी कृति, रचना या ग्रंथ आदि के गुण-दोषों तथा महत्व आदि का प्रतिपादन करने वाला; समीक्षा या समालोचना करने वाला; समीक्षक; (क्रिटिक)। [सं-पु.] समालोचना करने वाला व्यक्ति।

समालोचना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सम्यक प्रकार से देखना; अच्छी तरह देखना 2. किसी वस्तु, व्यक्ति आदि के गुण-दोषों का किया जाने वाला सम्यक विवेचन 3. साहित्यिक रचना के गुण-दोषों के विवेचन करने की कला; आलोचना; समीक्षा; (क्रिटिसिज़म) 4. किसी पुस्तक या ग्रंथ के गुण-दोषों का विचार प्रस्तुत करने वाला लेख या ग्रंथ; (रिव्यू)।

समालोचनात्मक (सं.) [वि.] 1. जिसकी सम्यक विवेचना की गई हो 2. (लेख या टिप्पणी) जिसमें समालोचना की गई हो; आलोचनात्मक; समीक्षात्मक 3. गुण-दोष की परख किया हुआ; निरीक्षण किया हुआ।

समावरण (सं.) [सं-पु.] कोई छोटा सूचनात्मक लेख, टिप्पणी आदि जो किसी बड़े पत्र के साथ एक ही लिफ़ाफ़े में रखकर भेजा जाता है; समावृत्त; अंतर्गतक; संलग्नक; (एन्क्लोज़र)।

समावर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. वापस होना; लौटना 2. एक प्राचीन वैदिक संस्कार जिसमें शिक्षार्थी के गुरुकुल से स्नातक होकर लौटने के समय होता था 3. अध्ययन पूरा करके घर लौटना; दीक्षांत 4. वर्तमान समय में विश्वविद्यालयों में होने वाला वह समारोह जिसमें उच्च शिक्षा में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को उपाधि तथा प्रमाण-पत्र आदि प्रदान किए जाते हैं; (कनवोकेशन)।

समाविष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसका समावेश हो चुका हो; समाहित; मिलाया हुआ 2. पूर्णतः प्रविष्ट; दाख़िल; व्याप्त 3. अंतराविष्ट; अंतर्भूत 4. बैठा हुआ; आसीन 5. गृहीत; ग्रस्त 6. शामिल; संयोजित; शरीक; सम्मिलित 7. आत्मसात।

समावृत्त (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह ढका या छाया हुआ 2. जो समापवर्तन संस्कार के उपरांत गुरुकुल से लौटा हो 3. लौटा हुआ; वापस 4. घिरा हुआ; लपेटा हुआ; वलयित 5. कोई छोटा सूचनात्मक लेख या टिप्पणी जो किसी बड़े पत्र के साथ एक ही लिफ़ाफ़े में रखकर भेजा गया हो 6. जुटना; एकत्र होना 7. सुरक्षित, अवरुद्ध या बंद किया हुआ।

समावेश (सं.) [सं-पु.] 1. एक जगह जाना; साथ रहना; सम्मिलित होना 2. पहुँचना; मिलना 3. अंतर्भाव; शामिल होना।

समाश्रय (सं.) [सं-पु.] 1. आश्रय; सहारा 2. सहायता; मदद।

समाश्रित (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो भरण-पोषण के लिए किसी अन्य पर आश्रित हो; भृत्य; सेवक। [वि.] 1. जिसने किसी स्थान पर अच्छी तरह आश्रय ग्रहण किया हो 2. जो सहारे पर हो; अवलंबित 3. निवसित; बसा हुआ 4. सज्जित किया हुआ 5. एकत्रित।

समास (सं.) [सं-पु.] 1. योग; मिलाप; मेल 2. युति; संधि 3. (व्याकरण) दो या अधिक शब्दों या पदों को मिलाकर एक शब्द बनाना; शब्द संयोजन 4. समर्थन 5. संग्रह 6. संक्षिप्त करना।

समासीन (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह आसीन या बैठा हुआ 2. एक साथ बैठा हुआ; निकट आसीन।

समासोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का अर्थालंकार जिसमें समान कार्य, समान लिंग और समान विशेषण आदि के द्वारा किसी प्रस्तुत वर्णन से अप्रस्तुत का ज्ञान होता है।

समाहना (सं.) [क्रि-अ.] सामना करना; सामने आना।

समाहरण (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत-सी चीज़ों को एक जगह इकट्ठा करना; संग्रह 2. समूह; राशि; ढेर 3. मिलना; मिलाप 4. शब्दों या वाक्यों का परस्पर संयोग 5. (व्याकरण) द्वंद्व और द्विगु समासों का समष्टि विधायक एक उपभेद 6. संक्षेपण; संकोचन 7. वर्णमाला के दो अक्षरों का शब्दांश में योग; प्रत्याहार।

समाहर्ता (सं.) [वि.] 1. समाहार करने वाला; संग्रह करने वाला; संग्रहकर्ता 2. जमाने वाला; मिलाने वाला 3. उपसंहार करने वाला 4. समावेश करने वाला। [सं-पु.] मध्यकाल में वह राजकर्मचारी जो कर उगाहने का काम करता था; करसंग्राहक; (कलेक्टर)।

समाहार (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत-सी चीज़ों को एकत्र करके मिलाना; इकट्ठा करना; समावेश; मिलाप; संग्रह 2. उपसंहार 3. संधि; जोड़; युति 4. शब्दों या वाक्यों का योग 5. समूह; ढेर; राशि 6. द्वंद्व समास का एक भेद 7. संक्षेप 8. सांसारिक विषयों से इंद्रियों को पृथक करना 9. समाहरण 10. कर या चंदा आदि उगाहना।

समाहित (सं.) [वि.] 1. एकत्र किया हुआ; संगृहीत 2. तय किया हुआ; निश्चित 3. समाप्त 4. स्वीकृत।

समिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सभा; समाज 2. मनोनीत सदस्यों की परिषद; (कमेटी)।

समिद्ध (सं.) [वि.] 1. जलता हुआ; प्रज्वलित; प्रदीप्त 2. उत्तेजनायुक्त; उत्तेजित 3. अग्नि में डाला हुआ; अग्नि में न्यस्त।

समिध (सं.) [सं-पु.] अग्नि; आग।

समिधा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. यज्ञ या हवनकुंड में जलाई जाने वाली लकड़ी 2. हवन आदि की सामग्री।

समिश्र (सं.) [वि.] 1. मिलने वाला 2. मिश्रित होने वाला।

समीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. संख्याओं या वस्तुओं को समान करने की क्रिया या भाव; बराबर करना 2. गणित में ज्ञात राशियों या संख्याओं से अज्ञात संख्याओं को निकालने की क्रिया 3. यह सिद्ध करना कि अमुक-अमुक राशियाँ या मान बराबर हैं; (इक्वेशन) 4. विभिन्न घटकों में समानता स्थापित करने की क्रिया।

समीक्षक (सं.) [वि.] 1. समीक्षा करने वाला; समालोचक 2. सम्यक रूप से देखने वाला।

समीक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. दर्शन; देखना 2. अनुसंधान; अन्वेषण; जाँच-पड़ताल 3. आलोचना; समीक्षा।

समीक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छी तरह देखने की क्रिया 2. छानबीन या जाँच-पड़ताल 3. गुण-दोषों का अध्ययन 4. परीक्षण 5. खोज; अनुसंधान 6. रचना, पुस्तक आदि का विवेचन या समालोचना।

समीक्षाकार (सं.) [सं-पु.] समीक्षा करने वाला व्यक्ति।

समीक्षात्मक (सं.) [वि.] जिसमें समीक्षा की गई हो; जिसमें सम्यक मूल्यांकन किया गया हो; समालोचनात्मक।

समीक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसकी समीक्षा की गई हो 2. जिसे भलीभाँति देखा परखा गया हो।

समीचीन (सं.) [वि.] 1. यथार्थ 2. उचित; ठीक; वाज़िब 3. न्यायसंगत 4. तर्क-पूर्ण; समयोचित।

समीज [सं-स्त्री.] स्त्रियों का कुरते या कमीज़ के नीचे पहना जाने वाला वस्त्र।

समीप (सं.) [वि.] करीब; निकट; नज़दीक; पास।

समीपतर (सं.) [वि.] बहुत करीब; अति निकट; पास में; काफ़ी नज़दीक।

समीपता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समीप होने की अवस्था या भाव; निकटता; सामीप्य; नज़दीकी 2. अंतरंगता; अपनत्व।

समीपवर्ती (सं.) [वि.] 1. जो किसी के निकट या पास में स्थित हो 2. पास या निकट का 3. समीप रहने वाला 4. निकटस्थ; समीपस्थ।

समीपस्थ (सं.) [वि.] जो समीप में स्थित या स्थापित हो; निकट रहने वाला; पास का; निकट का; समीपवर्ती।

समीर (सं.) [सं-पु.] 1. वायु; हवा; पवन 2. प्राणवायु 3. शमी नामक वृक्ष।

समीरण (सं.) [सं-पु.] 1. समीर; पवन; हवा 2. प्रोत्साहन; प्रेरण; प्रेषण 3. पथिक; बटोही 4. शरीर में उपस्थित वायु 5. चलना; गतिशील करना 6. मरुवा नामक पौधा। [वि.] 1. गतिशील; चलने वाला 2. उद्दीपन करने वाला।

समुचित (सं.) [वि.] 1. उचित; ठीक; यथेष्ट; वाज़िब 2. जो हर तरह से उत्तम हो; योग्य; उपयुक्त 3. जो पसंद आ जाए।

समुच्चय (सं.) [सं-पु.] 1. कुछ वस्तुओं का एक में मिलना; (कॉम्बिनेशन) 2. समूह; राशि; ढेर 3. वस्तुओं आदि का एक जगह एकत्र होना 4. शब्दों या वाक्यों का योग।

समुच्चयकर्ता (सं.) [वि.] 1. एक साथ मिलाने वाला; इकट्ठा करने वाला 2. समूह बनाने वाला।

समुच्चयन (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर करने की क्रिया या भाव 2. इकट्ठा करने या समूह बनाने की क्रिया।

समुच्चय-बोधक (सं.) [वि.] (व्याकरण) जो दो वाक्यों के बीच 'और', 'तथा', 'किंतु', 'परंतु' आदि योजकों के माध्यम से संबंध स्थापित करता हो (अवयव)।

समुच्चित (सं.) [वि.] 1. क्रमिक रूप से एकत्रित किया गया; ढेर लगाया हुआ; पुंजीभूत 2. संगृहीत।

समुज्ज्वल (सं.) [वि.] जो अधिक उज्ज्वल हो; चमकीला; कांतियुक्त।

समुत्थान (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर उठने की क्रिया 2. उन्नति; उत्थान; वृद्धि 3. उद्भव; उत्पत्ति; आरंभ।

समुत्सुक (सं.) [वि.] विशेष रूप से इच्छुक; उत्कंठित; उत्सुक; अधीर।

समुदाय (सं.) [सं-पु.] 1. समूह; झुंड़ 2. दल 3. किसी समाज, वर्ग, जाति, बिरादरी आदि के लोगों का समूह।

समुद्यत (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह से तैयार 2. जो पूरी तरह से उद्यत हो।

समुद्र (सं.) [सं-पु.] 1. एक विशाल जलराशि जो पृथ्वी पर प्रायः तीन-चौथाई हिस्से में व्याप्त है; सागर; अंबुधि; जलधि; रत्नाकर 2. {ला-अ.} किसी वस्तु का बहुत बड़ा आगार या भंडार।

समुद्रगामी (सं.) [वि.] 1. समुद्र के मार्ग से जाने वाला; समुद्र में यात्रा करने वाला 2. समुद्री व्यापार करने वाला।

समुद्रफेन (सं.) [सं-पु.] समुद्र की लहरों पर का झाग।

समुद्रमंथन (सं.) [सं-पु.] 1. एक पौराणिक कथानुसार देवताओं और दैत्यों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था जिसमें उन्हें चौदह रत्न प्राप्त हुए थे 2. {ला-अ.} किसी वस्तु को खोजने के लिए की जाने वाली छान-बीन।

समुद्री (सं.) [वि.] 1. समुद्र का; समुद्र से संबंधित 2. जो समुद्र में उत्पन्न होता हो 3. समुद्र की ओर से आने वाली (वायु) 4. समुद्रीय; दरियाई 5. समुद्री सेना से संबंधित।

समुद्रीय (सं.) [वि.] 1. समुद्र का; समुद्र संबंधी 2. समुद्र से उत्पन्न 3. समुद्र में या उसके तट पर रहने या होने वाला 4. नौसेना का; जंगी जहाज़ों का।

समुन्नत (सं.) [वि.] 1. उन्नत; ऊँचा 2. विशेष प्रकार से विकसित 3. ऊपर उठाया हुआ 4. गौरवान्वित 5. ख़ूब बढ़ा-चढ़ा हुआ; जो आगे बढ़ा हुआ हो।

समुन्नति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊपर उठने की क्रिया; उन्नति, उत्थान 2. उच्चता; ऊँचाई।

समुपस्थित (सं.) [वि.] 1. उपस्थित; सामने आया हुआ 2. प्रकट; आसीन 3. सामयिक।

समुल्लास (सं.) [सं-पु.] 1. उल्लास; उमंग; आनंद; प्रसन्नता 2. ग्रंथ आदि का परिच्छेद या प्रकरण।

समूचा (सं.) [वि.] संपूर्ण; पूरा; कुल आदि से अंत तक जितना हो सब; जिसके खंड न किए गए हों।

समूढ़ (सं.) [सं-पु.] 1. समूह; ढेर 2. आगार; भंडार। [वि.] 1. ढेर के रूप में रखा हुआ 2. एकत्र किया हुआ; एकत्रित; संगृहीत 3. जो अभी उत्पन्न हुआ हो 4. विवाहित 5. जो भोगा हुआ हो; भुक्त।

समूर (सं.) [सं-पु.] 1. हिरण का चर्म 2. साँभर नाम का हिरन 3. समूरु।

समूल (सं.) [वि.] 1. मूल-सहित; जड़-समेत 2. जिसमें जड़ हो; जिसका कोई मुख्य हेतु या कारण हो।

समूल्य (सं.) [वि.] सशुल्क; जिसका मूल्य चुकाया जाना हो।

समूह (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत से व्यक्तियों का जमघट; समुदाय; झुंड; (ग्रुप) 2. एक ही प्रकार की वस्तुओं या जीवों का अधिक मात्रा में एक जगह होने की स्थिति, जैसे- पशु-पक्षियों का समूह।

समूहगान (सं.) [सं-पु.] 1. एक साथ मिलकर गाना; समूह गायन; (कोरस) 2. कीर्तन; वृंदगान।

समूहतः (सं.) [क्रि.वि.] सामूहिक रूप से; समूह के रूप में।

समूहन (सं.) [सं-पु.] 1. इकट्ठा करने की क्रिया; बटोरना 2. राशि; ढेर। [वि.] 1. एकत्र करने वाला 2. समागम करने वाला।

समूहना (सं.) [सं-पु.] 1. कई वस्तुओं आदि को मिलाकर एक समूह में रखना 2. राशि; ढेर।

समूहीकरण (सं.) [सं-पु.] वस्तुओं का ढेर या समूह बनाने की क्रिया।

समृद्ध (सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक धन-संपत्ति वाला; संपन्न 2. फलता-फूलता हुआ; भरा-पूरा 3. सशक्त; सफल 4. प्रभावशील 5. अधिक; बहुत।

समृद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समृद्ध होने की अवस्था या भाव 2. बहुत अधिक धन या संपत्ति होना; अमीरी; ऐश्वर्य 3. बहुलता; अधिकता 4. शक्ति; सफलता 5. उन्नति।

समृद्धिशाली (सं.) [वि.] 1. जिसके पास बहुत अधिक धन-संपत्ति हो; वैभवपूर्ण; ऐश्वर्यशाली 2. सौभाग्यशाली 3. ख़ुशहाल।

समेकन (सं.) [सं-पु.] 1. मिलाकर एक करना; संयुक्त करना; एकीकरण 2. एकाधिक पदार्थों का गलकर या किसी अन्य रूप में एक हो जाना; (फ़्यूजन)।

समेकित (सं.) [वि.] 1. जिसका समेकन किया गया हो 2. मिलाकर एक किया हुआ; परस्पर मिलाया हुआ; संयुक्त।

समेट [सं-स्त्री.] 1. समेटने की क्रिया या भाव 2. समेटी हुई या इकट्ठी की हुई वस्तुएँ; बटोर 3. संकुचन।

समेटना [क्रि-स.] 1. बिखरी या फैली हुई वस्तु को इकट्ठा करना; बटोरना 2. (कार्य आदि का) समापन करना 3. (दरी या कालीन आदि को) तह करके रखना।

समेत (सं.) [वि.] 1. किसी के साथ मिला हुआ; संयुक्त 2. एकत्रित 3. समवेत; युक्त; सहित। [क्रि.वि.] सहित; साथ, जैसे- हथियारों समेत जाना।

समोसा (फ़ा.) [सं-पु.] तीन कोनों वाला एक पकवान जो मैदे के अंदर आलू आदि भरकर बनाया जाता है।

सम्मत (सं.) [वि.] 1. जिसकी राय मिलती हो; सहमत; राज़ी; जिसपर सहमति हो 2. मान्य।

सम्मति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सलाह; राय 2. अनुमति; अनुज्ञा 3. किसी विषय में प्रकट किया गया अपना विचार या मत 4. कामना; इच्छा।

सम्मन (इं.) [सं-पु.] 1. अदालत में हाज़िर होने के लिए प्रतिवादी या गवाह को अदालत द्वारा लिखित में भेजी जाने वाली सूचना या आदेश 2. आज्ञापत्र; बुलावा; तलबी।

सम्मान (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के प्रति होने वाला आदरपूर्ण भाव 2. आदर; गौरव; इज़्ज़त 3. प्रतिष्ठा; मान; रुतबा।

सम्मानजनक (सं.) [वि.] 1. जो सम्मान के योग्य हो; जिसका सम्मान किया गया हो 2. प्रतिष्ठित; मान्य; गौरवपूर्ण 3. उचित; श्रेष्ठ; उत्तम 4. वह (शब्द या स्थिति) जो आदर का भाव पैदा करे।

सम्माननीय (सं.) [वि.] 1. आदर के योग्य; आदरणीय; माननीय 2. पूजित; उपाधित।

सम्मानभाजन (सं.) [सं-पु.] सम्मान का पात्र; सम्मान के योग्य।

सम्मानसूचक (सं.) [वि.] 1. जो सम्मान का प्रतीक हो; आदरपूर्ण 2. जिससे सम्मान बढ़ता हो 3. प्रतिष्ठा देने वाला; मान बढ़ाने वाला।

सम्मानार्थ (सं.) [सं-पु.] सम्मान के लिए; प्रतिष्ठा की ख़ातिर।

सम्मानित (सं.) [वि.] 1. जिसका सम्मान किया गया हो; जिसको सम्मान दिया जाता हो 2. मान्य; प्रतिष्ठित 3. माननीय; आदरणीय।

सम्मान्य (सं.) [वि.] जिसका सम्मान किया जाना उचित और आवश्यक हो; आदरणीय।

सम्मार्जनी (सं.) [सं-स्त्री.] झाडू; कूँचा; बुहारी।

सम्मित (सं.) [वि.] 1. समान आकार का; सुडौल 2. समान माप और परिमाण आदि का; (सिमैट्रिकल) 3. जिसके अंगों में एकरूपता हो 4. मापा हुआ 5. एक जैसा; अनुरूप; सदृश।

सम्मिलन (सं.) [सं-पु.] 1. दो व्यक्तियों या वस्तुओं का मिलना; एकत्र होना 2. मुलाकात; मिलन; मेल-मिलाप 3. समावेश; समागम।

सम्मिलित (सं.) [वि.] 1. किसी के साथ मिला या मिलाया हुआ; युक्त; एकत्र 2. मिश्रित 3. शामिल; समाविष्ट 4. सामूहिक; मिल-जुलकर।

सम्मिश्र (सं.) [वि.] 1. मिश्रित; मिलाजुला 2. एक में मिलाया हुआ 3. मिलावटी।

सम्मिश्रक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी प्रकार का सम्मिश्रण करने वाला व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जो औषधियों का मिश्रण प्रस्तुत करता हो; (कंपाउंडर)।

सम्मिश्रण (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह मिलाने की क्रिया 2. मेल; मिलावट 3. कई प्रकार की औषधियों को एक में मिलाना।

सम्मिश्रित (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह मिला हुआ; मिश्रित; मिला-जुला; (मिक्स्ड) 2. एक साथ किया हुआ; संकरित 3. उचित प्रकार से संबद्ध; युक्त।

सम्मुख (सं.) [वि.] 1. जो आँखों के सामने विद्यमान हो 2. अभिमुख। [अव्य.] सामने; समक्ष।

सम्मेलन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विशेष उद्देश्य या विषय पर विचार करने हेतु एकत्र होने वाले व्यक्तियों का समूह (कॉन्फ़्रेंस); समारोह; अधिवेशन; सभा 2. मिलाप; संगम 3. जमघट; जमावड़ा।

सम्मोह (सं.) [सं-पु.] 1. मोह; प्रेम 2. धोखा; भ्रम 3. बेहोशी; मूर्छा 4. विकलता; घबराहट।

सम्मोहक (सं.) [वि.] 1. जो मोहक या सुंदर हो; आकर्षक; मनोहर 2. सम्मोहन करने वाला; वश में करने वाला; (हिप्नोटिक) 3. मुग्ध करने वाला 4. प्रलोभन देने वाला 5. भ्रामक; विमोहक 6. संज्ञाहीन करने वाला 7. कामाकर्षित करने वाला; चित्ताकर्षक।

सम्मोहन (सं.) [सं-पु.] 1. मोहने या मुग्ध करने की क्रिया 2. किसी को अपने कब्ज़े या वश में करने की क्रिया; वशीकरण 3. कामदेव का एक बाण 4. एक विशेष प्रकार की भाव दशा जिससे व्यक्ति बेसुध होकर बँध जाता है।

सम्मोहनकारी (सं.) [वि.] 1. सम्मोहन करने वाला; वश में करने वाला; (हिप्नोटिक) 2. अभिमंत्रित करने वाला 3. आसक्ति पैदा करने वाला; लुभाने वाला; आकर्षण में बाँधने वाला 4. भ्रम पैदा करने वाला।

सम्मोहित (सं.) [वि.] 1. जिसे सम्मोहन द्वारा वश में किया गया हो; मोहित 2. आसक्त मुग्ध; वशीकृत 3. बेहोश किया हुआ; भ्रमित।

सम्यक (सं.) [वि.] 1. सब; पूरा; समस्त 2. ठीक; उचित; उपयुक्त; सही 3. मनोनुकूल।

सम्राज्ञी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साम्राज्य के शासन सूत्र का संचालन करने वाली स्त्री; साम्राज्य पर शासन करने वाली नारी 2. सम्राट या शासक की पत्नी।

सम्राट (सं.) [सं-पु.] साम्राज्य का स्वामी या मालिक; शासक; राजाधिराज।

सयाना [वि.] 1. बुद्धिमान; चतुर; होशियार 2. वयस्क; प्रौढ़ 3. धूर्त; चालाक; कपटी 4. दूरदर्शी; विवेकवान 5. अभिमंत्रक। [सं-पु.] 1. बड़ी उम्र का अनुभवी व्यक्ति 2. अंधविश्वास फैलाने वाला ओझा; फ़कीर।

सयानापन [सं-पु.] 1. सयाना होने की अवस्था 2. बुद्धिमानी; अक्लमंदी; चतुराई 3. चालाकी 4. दूरदर्शिता; विवेक।

सर1 (सं.) [सं-पु.] ताल; बड़ा तालाब।

सर2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिर; चोटी; शीर्ष भाग 2. सिरा 3. चरम सीमा। [वि.] 1. काबू में किया हुआ 2. दबाया हुआ 3. पराजित; दमन किया हुआ; जीता हुआ 4. श्रेष्ठ; अभिभूत। [क्रि.वि.] सामने; ऊपर।

सर3 (इं.) [सं-पु.] 1. श्रीमान; महोदय; जनाब 2. ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली एक सम्मान सूचक उपाधि 3. अध्यापकों के लिए एक संबोधन।

सरंजाम (फ़ा.) [सं-पु.] 1. काम का पूरा होना; कार्य पूर्ति 2. अंत; परिणाम 3. प्रबंध; व्यवस्था।

सरक (सं.) [सं-पु.] 1. सरकने की क्रिया 2. गमन; चलना; खिसकना 3. चुपचाप निकलना 4. मदिरा; शराब।

सरकंडा [सं-पु.] 1. एक पौधा जिसके तने में गाँठें होती हैं; गाँठदार सरपत 2. मूँज; सरई।

सरकना [क्रि-अ.] 1. खिसकना; रेंगना 2. ज़मीन से सटे हुए आगे बढ़ना 3. धँसना; फिसलना 4. पलायन करना; हट जाना 5. {ला-अ.} काम का शुरू होना या चलना 6. समय गुज़रना।

सरकश (फ़ा.) [वि.] 1. आज्ञा का उल्लंघन करने वाला 2. किसी के विरुद्ध सिर उठाने वाला 3. विद्रोही; बागी; उद्दंड; उद्धत 4. अशिष्ट; घमंडी 5. जिसपर नियंत्रण करना कठिन हो; जो किसी से दबता न हो 6. दुष्ट और पाजी।

सरकशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आज्ञा का उल्लंघन; अवज्ञा 2. धृष्टता; उद्दंडता 3. विद्रोह 4. अशिष्टता; दुष्टता।

सरकार (फ़ा.) [सं-स्त्री.] देश का शासन करने वाली संस्था या सत्ता; शासन; हुकूमत; (गवर्नमेंट)। [सं-पु.] 1. शासक, राजा, मालिक 2. बड़े व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होने वाला एक संबोधन; हुज़ूर।

सरकारी (फ़ा.) [वि.] 1. सरकार संबंधी; सरकार का 2. जिसका दायित्व या भार सरकार पर हो 3. शासकीय; राजकीय।

सरख़त (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किराया या अन्य लेन-देन संबंधी हिसाब लिखने की छोटी बही; किरायानामा 2. किसी प्रकार का अधिकार पत्र अथवा प्रमाण-पत्र 3. परवाना; आज्ञापत्र।

सरगना (फ़ा.) [वि.] 1. मुखिया; सरदार 2. नेता; (लीडर) 3. अगुवाई करने वाला।

सरगम (सं.) [सं-पु.] 1. (संगीत) सात सुरों का समूह; स्वर-ग्राम; सप्तक 2. सातों सुरों के उतार-चढ़ाव या आरोह-अवरोह का क्रम 3. किसी गीत या ताल में लगने वाले स्वरों का उच्चारण।

सरगरमी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. उत्साह; उमंग 2. जोश; आवेश 3. तन्मयता; तल्लीनता 4. तत्परता; कटिबद्धता।

सरगोशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कान में कोई बात बताना 2. किसी की शिकायत करना।

सरज़मीं (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मातृभूमि 2. स्वदेश; मुल्क 3. धरती; भूमि; ज़मीन।

सरजा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सरदार 2. सिंह; शेर 3. छत्रपति शिवाजी की उपाधि।

सरज़ोर (फ़ा.) [वि.] 1. प्रबल 2. उद्दंड; अवज्ञाकारी; बेकाबू; बागी।

सरण (सं.) [सं-पु.] 1. गमन; धीरे-धीरे आगे बढ़ना या चलना 2. रेंगना 3. खिसकना 4. सरकना।

सरणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रास्ता; मार्ग 2. लकीर; रेखा 3. पगडंडी 4. परिपाटी; प्रथा; ढर्रा।

सरताज (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिर पर पहनने का ताज; मुकुट; शिरोभूषण 2. अपने वर्ग या समूह में श्रेष्ठ व्यक्ति या वस्तु; शिरोमणि 3. सरदार। [वि.] अग्रगण्य; प्रधान; मुख्य।

सरदई [वि.] सरदे (ख़रबूज़े) के रंग का कुछ हरापन लिए हुए पीला।

सरदा (फ़ा.) [सं-पु.] कश्मीर तथा अफ़गानिस्तान में होने वाला ख़रबूज़े की जाति का एक फल जो ख़रबूज़े की अपेक्षा अधिक मीठा तथा आकार में बड़ा होता है।

सरदार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी दल, मंडली आदि का अगुआ; नायक; नेता या प्रमुख 2. रईस; अमीर 3. छोटा शासक 4. सिक्खों की एक उपाधि।

सरदारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सरदार का पद, भाव या स्थिति; सरदारपन; नायकत्व 2. सरदार से संबंधित।

सरदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जाड़ा; ठंड 2. जाड़े का मौसम; शीत ऋतु 3. प्रतिश्याय; ज़ुकाम।

सरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. सरकना; खिसकना 2. गतिमान होना 3. कार्य आदि का पूर्ण होना; निर्वाह होना 4. उपयोग में आना 5. निसृत होना; निकलना 6. परस्पर सद्भाव बना रहना; निभना; पटना।

सरनाम (फ़ा.) [वि.] जिसका बहुत नाम हो; यशस्वी; मशहूर; प्रसिद्ध; नामवर।

सरनामा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी लेख आदि का शीर्षक 2. किसी पत्र आदि में संबोधन के रूप में लिखा जाने वाला पद 3. भेजे जाने वाले पत्र पर लिखा जाने वाला पता।

सरनेम (इं.) [सं-पु.] नाम के साथ लगाया जाने वाला वंश, जाति या गोत्र सूचक शब्द; कुलनाम; उपनाम।

सरपंच (फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] 1. ग्राम पंचायत का मुखिया या सभापति 2. ग्राम-प्रधान; पंचों में बड़ा और मुख्य व्यक्ति।

सरपट (सं.) [सं-पु.] बहुत तेज़ चाल, जैसे- घोड़े आदि की चाल। [क्रि.वि.] बहुत तेज़ चलते अथवा दौड़ते हुए, जैसे- सरपट साइकिल दौड़ाते हुए जाना।

सरपत (सं.) [सं-पु.] कुश की तरह की एक लंबी घास जो छप्पर आदि छाने के काम में आती है; सेंठा; सरकंडा।

सरपरस्त (फ़ा.) [वि.] 1. जो पालन-पोषण या देख-भाल करे; संरक्षक 2. अभिभावक।

सरपेच (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पगड़ी के ऊपर लगाई जाने वाली एक जड़ाऊ कलगी 2. लगभग दो-ढाई अंगुल चौड़ा जरीदार गोटा।

सरफ़राज़ (फ़ा.) [वि.] 1. जो ऊँचे ओहदे या पद पर हो; सम्मानित 2. माननीय; प्रतिष्ठित 3. जिसकी तारीफ़ हुई हो; प्रसिद्ध 4. {अशि.} जिसके साथ पहला संभोग हो (वेश्या) 5. {शा-अ.} जिसका सिर ऊँचा हो।

सरफ़रोश (फ़ा.) [वि.] 1. जान की बाज़ी लगा देने वाला; जान पर खेलने वाला 2. बलिदानी; वीर; साहसी 3. जो किसी आदर्श के लिए अपना सिर न्योछावर कर सकता हो।

सरफ़रोशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बलिदान होना; जान देने को तैयार होना 2. वीरता; आत्मबलि 3. साहस; हिम्मत 4. सिर कटाना।

सरब (सं.) [सं-पु.] 1. तीरंदाज़ी; बाण विद्या 2. तीर चलाना।

सरमाया (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मूल-धन; पूँजी 2. संपत्ति; धन-दौलत।

सरमायादार (फ़ा.) [वि.] 1. पूँजीपति; (कैपिटलिस्ट) 2. धनवान; धनी; मालदार।

सरमायादारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सरमायादार होना या होने की अवस्था 2. पूँजीवाद।

सरयू (सं.) [सं-स्त्री.] भारत में उत्तरप्रदेश राज्य की प्रसिद्ध नदी।

सरल (सं.) [वि.] 1. सीधा; ऋजु; जो टेढ़ा न हो 2. जिसके मन में छल-कपट न हो 3. सच्चा; भोला; ईमानदार 4. आसान; सहज।

सरलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सरल होने की अवस्था, गुण या भाव 2. स्वभाव या व्यवहार आदि का सीधापन; सिधाई; भोलापन 3. सुगमता; आसानी।

सरला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तुलसी की एक प्रजाति; काली तुलसी 2. चीड़ का वृक्ष।

सरलीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कठिन विषय या प्रसंग आदि को सरल बनाने की क्रिया या भाव; सहजीकरण 2. (गणित) किसी कठिन भिन्न को सरल रूप में परिणत कर देना 3. किसी गंभीर समस्या को अपने अनुरूप समाधान में प्रस्तुत करने का प्रयत्न।

सरलीकृत (सं.) [वि.] 1. जिसका सरलीकरण किया गया हो; सहजीकृत 2. जिसे आसान बनाया गया हो।

सरवत (अ.) [सं-स्त्री.] अमीरी; मालदारी; संपन्नता; धनाढ्यता।

सरवर (फ़ा.) [सं-पु.] सरदार; अधिपति; सर्वश्रेष्ठ; नायक; प्रधान।

सरवरिया [सं-पु.] सरयूपारी ब्राह्मण। [वि.] सरवार या सरयू के पार का।

सरस (सं.) [वि.] 1. जो रस या जल से युक्त हो; रसीला; रसयुक्त 2. गीला; आर्द्र; तर 3. हरा और ताज़ा 4. सुंदर; मोहक; मनोहर; शोभनीय; रोचक 5. आनंदप्रद; कलात्मक 6. मधुर; मीठा, जैसे- सरस गायन 7. (रचना या कृति) जिसमें भावों को उद्दीप्त करने की क्षमता हो; भावपूर्ण; रसपूर्ण; माधुर्यपूर्ण 8. {ला-अ.} रसिक; सहृदय। [सं-पु.] सरोवर; तालाब।

सरसता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सरस होने की अवस्था या गुण 2. रसीलापन; रसिकता; रसात्मकता 3. सुंदरता 4. मधुरता; मिठास 5. काव्य या कृति का भावमयी और माधुर्यपूर्ण होने का गुण; भावपूर्णता।

सरसना (सं.) [क्रि-अ.] 1. हरा-भरा होना; पनपना 2. बढ़ना; अधिक होना 3. शोभायमान होना 4. रसपूर्ण होना; सरस होना 5. सजल होना 6. कोमलता से युक्त 7. मनोहर होना।

सरसब्ज़ (फ़ा.) [वि.] 1. हरा-भरा; उर्वर; लहलहाता हुआ; जो सूखा न हो 2. वनस्पतियों और हरियाली से युक्त 3. {ला-अ.} संतुष्ट; प्रसन्न; ख़ुशहाल; फलता-फूलता।

सरसर (अ.) [सं-स्त्री.] आँधी; तेज़ हवा।

सरसराना [क्रि-अ.] 1. 'सर-सर' की ध्वनि होना 2. हवा का तेज़ी से चलना 3. साँप आदि जंतुओं का रेंगना 4. शीघ्रता से कार्य करना। [क्रि-स.] 'सर-सर' की आवाज़ करना।

सरसराहट [सं-स्त्री.] 1. हवा आदि चलने से होने वाली ध्वनि 2. साँप आदि के रेंगने की आवाज़ 3. शरीर के किसी अंग में होने वाली सुरसुराहट।

सरसरी (फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. चलताऊ; मोटे तौर पर 2. जल्दी में; स्थूल रूप से 3. बिना गंभीरता के।

सरसाम (फ़ा.) [सं-पु.] सन्निपात नामक रोग।

सरसिज (सं.) [सं-पु.] कमल। [वि.] ताल में उत्पन्न होने या पाया जाने वाला।

सरसी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा तालाब; जलाशय; बावड़ी; ताल; तलैया 2. एक प्रकार का मात्रिक छंद।

सरसीरुह (सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. सारस नामक पक्षी 3. (संगीत) कर्नाटक पद्धति का एक राग।

सरसेटना [क्रि-स.] किसी को डाँटना, फटकारना या खरी-खोटी सुनाना।

सरसों (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तिलहन समूह का एक प्रसिद्ध पौधा जिसके फूल पीले और दाने काले और पीले रंग के होते हैं 2. उक्त दानों को पेरकर निकाला गया तेल।

सरस्वती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) विद्या और वाणी की देवी जिनका वाहन हंस है; वीणावादिनी; ज्ञानदा; वाग्देवी; वागीशा; वागीश्वरी; भारती; शारदा; विमला 2. उत्तम गुणों वाली स्त्री 3. विद्या; इल्म 4. पंजाब की एक प्राचीन नदी 5. एक प्रकार का राग।

सरहंग (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सेना का अधिकारी; सेनानायक; सेनापति; कोतवाल 2. पहलवान; मल्ल 3. सैनिक; पैदल सिपाही 4. पहरेदार; चोबदार। [वि.] बलवान; शक्तिशाली।

सरहथ (सं.) [सं-पु.] बड़ी मछलियों का शिकार करने में प्रयुक्त बरछी के आकार-प्रकार का एक हथियार।

सरहद (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी देश, राज्य या भूखंड की सीमा 2. अंतिम सीमा; सीमा की समाप्ति 3. सीमा बताने वाली रेखा; सीमा की समाप्ति बताने के लिए अंकित चिह्न 4. उक्त सीमा के आस-पास के प्रदेश।

सरहदी (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. सरहद या सीमा का; सीमा से संबंधित 2. सीमांत; सीमावर्ती 3. सरहद या सीमापार का रहने वाला।

सरहरी (सं.) [सं-स्त्री.] मूँज या सरपत की जाति की एक वनस्पति जिसका तना पतला, चिकना और बिना गाँठ का होता है।

सरापा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. (पद्य या कविता में) सिर से लेकर पैर तक के अंगों अथवा रूप-आकृति का वर्णन 2. नख-शिख; सर्वांग। [अव्य.] 1. सिर से पैर तक; अपादमस्तक 2. ऊपर से नीचे तक 3. आदि से अंत तक।

सराफ़ (अ.) [सं-पु.] दे. सर्राफ़।

सराफ़ा (सं.) [सं-पु.] दे. सर्राफ़ा।

सराफ़ी [सं-स्त्री.] 1. सर्राफ़ का रोज़गार या व्यवसाय 2. महाजनी लिपि।

सराबोर (फ़ा.) [वि.] तरबतर; अच्छी तरह भीगा हुआ।

सराय (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. यात्रियों के ठहरने का स्थान; मुसाफ़िरख़ाना 2. मध्ययुग में यात्रियों, सौदागरों आदि के रुकने, खाने-पीने, मनोरंजन हेतु उपलब्ध जगह।

सरावगी (सं.) [सं-पु.] श्रावक धर्मावलंबी; जैन धर्म पर विश्वास करने वाला; जैन मतानुयायी।

सरासर (फ़ा.) [अव्य.] 1. एक सिरे से दूसरे सिरे तक 2. पूरी तरह; पूर्णतया; बिलकुल 3. यहाँ से वहाँ तक 4. प्रत्यक्षतः; स्पष्टतः।

सरासरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सरासर होने की अवस्था या भाव 2. (किसी काम में) शीघ्रता; जल्दी; फ़ुरती 3. अनुमान। [क्रि.वि.] 1. जल्दी या हड़बड़ी में 2. अनुमानतः।

सराहत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. व्याख्या; टीका 2. स्पष्टता; स्पष्टीकरण 3. विशुद्धता।

सराहना [क्रि-स.] प्रशंसा या तारीफ़ करना; बड़ाई करना; बखान करना; गुणगान करना। [सं-स्त्री.] तारीफ़; प्रशंसा; बड़ाई।

सराहनीय (सं.) [वि.] प्रशंसा के योग्य; तारीफ़ के लायक; प्रशंसनीय।

सरि (सं.) [सं-स्त्री.] झरना; निर्झर; जलप्रपात।

सरितराज [सं-पु.] समुद्र; सागर।

सरिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नदी 2. जल की धारा या प्रवाह।

सरिया [सं-पु.] 1. लोहे या इस्पात की गोल छड़ जो भवन आदि के निर्माण में प्रयोग की जाती है 2. सलाख; (बार) 3. सरकंडे की लंबी और पतली छड़।

सरी2 (फ़ा.) [वि.] अध्यक्षता; सरदारी।

सरीखा (सं.) [वि.] गुण, रूप आदि में किसी के समान; सदृश; तुल्य; बराबर।

सरीसृप (सं.) [वि.] रेंगने वाला; (रेप्टाइल)। [सं-पु.] 1. रेंगने वाले जंतु, जैसे- साँप, कीड़े-मकोड़े आदि 2. कशेरुकी वर्ग के जीव-जंतु (छिपकली आदि)।

सरीह (सं.) [वि.] 1. प्रकट; स्पष्ट 2. खुला हुआ।

सरुज (सं.) [वि.] रोगयुक्त; रोगी।

सरूर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सुरूर; हलका नशा; ख़ुमार 2. प्रसन्नता; आनंद; ख़ुशी।

सरेआम (फ़ा.+अ.) [अव्य.] खुलेआम; सबके सामने; सार्वजनिक रूप से।

सरेखना [क्रि-स.] 1. अच्छी तरह समझा कर सुपुर्द करना 2. किसी को सहेजने में प्रवृत्त करना।

सरेबाज़ार (फ़ा.) [अव्य.] जनता के सामने; खुले बाज़ार में; लोगों के सामने।

सरो (फ़ा.) [सं-पु.] कश्मीर, अफ़गानिस्तान और फ़ारस आदि पश्चिमी एशियाई क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक सीधा छतनार पेड़ जो बगीचों में शोभा के लिए लगाया जाता है; बनझाऊ।

सरोकार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वास्ता; संबंध 2. परस्पर व्यवहार का संबंध; लगाव 3. मतलब; प्रयोजन।

सरोज (सं.) [वि.] 1. कमल 2. एक प्रकार का छंद। [वि.] सर या जलाशय से उत्पन्न होने वाला।

सरोजिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह सरोवर या ताल जो कमल से भरा हो 2. कमलों का समूह; कमलवन 3. कमल का पौधा या फूल।

सरोद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. (संगीत) वीणा की तरह का एक प्रकार का वाद्य यंत्र 2. गायन एवं नृत्य की क्रिया।

सरोपा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिर और पैर 2. सिर से पैर तक के वस्त्राभूषण; ख़िलअत 3. सिख समुदाय में किसी का सम्मान करने के लिए दिया जाने वाला उपहार जो आम तौर पर सिर पर बाँधी जाने वाली पगड़ी या कंधे पर रखा जाने वाला दुपट्टा या कंधावर का कपड़ा होता है।

सरोवर (सं.) [सं-पु.] 1. जलाशय; तालाब 2. झील; बड़ा ताल।

सरौता (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का औज़ार जिससे सुपारी काटी जाती है; शंकुला 2. कच्चे आम काटने का एक उपकरण जो लोहे का होता है और काठ में जड़ा होता है।

सर्कस (इं.) [सं-पु.] 1. जादूगरों, नटों आदि की मंडली जो मनोरंजक करतब दिखाते हैं; पशुओं और कलाबाज़ों आदि का कौशल दिखाने वाला दल तथा उसके द्वारा दिखाए जाने वाले करतब, प्रदर्शन आदि 2. कौतुकागार; प्रतियोगियों का स्थान 3. चौक; चौराहा 4. अखाड़ा; दंगल।

सर्किट (इं.) [सं-पु.] 1. विद्युत धारा के प्रवाहित होने का पूरा पथ; परिपथ 2. घेरा; चक्कर; दौरा 3. परिक्रमा पथ।

सर्किल (इं.) [सं-पु.] 1. गोलाकार घेरा; वृत्त 2. चक्र; चक्कर; फेरा 3. मंडल; इलाका 4. मंडली; गोष्ठी 5. समाज; समुदाय।

सर्कुलर (इं.) [वि.] वृत्ताकार; मंडलाकार; गोलाकार। [सं-पु.] अनेक मनुष्यों को भेजा हुआ पत्र; गश्ती चिट्ठी; परिपत्र।

सर्कुलेशन (इं.) [सं-पु.] प्रसार संख्या; समाचार पत्र-पत्रिकाओं की औसत प्रसार संख्या।

सर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. निर्माण; सृजन; रचना 2. (किसी ग्रंथ या काव्य का) अध्याय; परिच्छेद 3. प्रकृति; सृष्टि 4. गमन; चलना 5. जीव; प्राणी 6. प्रवृत्ति; स्वभाव 7. संकल्प; निश्चय प्रयत्न; चेष्टा 8. प्रवाह; बहाव 9. अस्त्र आदि चलाना 10. झुकाव; रुझान 11. उद्गम; मूल 12. आगे बढ़ाना।

सर्गबद्ध (सं.) [वि.] (महाकाव्य) जो कई सर्गों में विभक्त हो; ऐसी रचना जो कई सर्गों से मिलकर बनी है।

सर्जक (सं.) [वि.] 1. सर्जन करने वाला; रचयिता; स्रष्टा 2. रूप देने वाला 3. लेखक।

सर्जन1 (सं.) [सं-पु.] 1. रचना; नवनिर्माण; (क्रिएशन) 2. उत्पादन 3. किसी वस्तु को चलाना या छोड़ना 4. उत्पन्न करना; जन्म देना 5. त्याग; निकालना।

सर्जन2 (इं.) [सं-पु.] रोग के उपचार के लिए शरीर के किसी अंग की शल्यक्रिया या ऑपरेशन करने वाला चिकित्सक; शल्यचिकित्सक।

सर्जनशील (सं.) [वि.] 1. निर्माण या सृजन की ओर उन्मुख 2. सर्जन करने वाला 3. सृजन में प्रवृत्त।

सर्जनात्मक (सं.) [वि.] 1. सर्जना संबंधी; रचना का 2. बुद्धि और कल्पना के योग से लिखा गया; रचनात्मक (साहित्य)।

सर्द (फ़ा.) [वि.] 1. अधिक ठंडा, जैसे- सर्द हवा 2. ढीला; शिथिल 3. उत्साह या आवेग से रहित 4. मंद; धीमा; सुस्त 5. स्वाद रहित; फीका।

सर्दी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. सरदी।

सर्प (सं.) [सं-पु.] 1. सरीसृप वर्ग का एक लंबा, ज़हरीला और मांसाहारी जीव जो बिलों आदि में रहता है; भुजंग; साँप 2. (पुराण) ग्यारह रुद्रों में से एक।

सर्पदंश (सं.) [सं-पु.] विषैले साँप का काटना।

सर्पयज्ञ (सं.) [सं-पु.] (पुराण) राजा जनमेजय का वह यज्ञ जो सर्पों का नाश करने के लिए किया गया था; नाग-यज्ञ।

सर्पराज (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) सर्प जाति के राजा वासुकि 2. नाग; (कोबरा)।

सर्पविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह अध्ययन क्षेत्र जिसमें साँपों की विभिन्न प्रजातियों, उनके व्यवहार आदि का विवेचन किया जाता है 2. साँपों को पकड़ने या उन्हें वश में करने की विद्या।

सर्पाकार (सं.) [वि.] 1. सर्प या साँप के आकार का; सर्पकाय 2. घुमावदार; मोड़दार; सर्पिल।

सर्पिल (सं.) [वि.] 1. सर्पाकार; सर्प जैसा 2. साँप की चाल की तरह टेढ़ा-मेढ़ा 3. मोड़दार; घुमावदार; लहरदार 4. {ला-अ.} कुटिल; चालाक; पेचदार।

सर्फ़ (अ.) [वि.] व्यय किया हुआ; ख़र्च किया हुआ।

सर्फ़िंग (इं.) [सं-पु.] 1. समुद्र में लहरों पर की जाने वाली क्रीड़ा; जलआरोहण; लहर क्रीड़ा 2. (कंप्यूटर) इंटरनेट पर वेबसाइट के माध्यम से सूचना-संपर्क स्थापित करना, मनोरंजन करना या जानकारी प्राप्त करना।

सर्राटा [सं-पु.] 1. हवा चलने की 'सर-सर' ध्वनि 2. किसी के तेज़ चलने से होने वाला 'सर सर' शब्द।

सर्राना [क्रि-स.] 'सर्र-सर्र' शब्द करते हुए आगे बढ़ना।

सर्राफ़ (अ.) [सं-पु.] 1. सोने-चाँदी के गहने या बरतनों का व्यापारी 2. रुपए या गहनों इत्यादि का लेन-देन करने वाला; कुछ सामान या गहने बंधक रखकर कर्ज़ देने वाला 3. कमीशन काटकर रुपए बदलने का काम करने वाला दुकानदार; मुद्रा व्यापारी 4. सुनार समुदाय में एक कुलनाम या सरनेम।

सर्राफ़ा (अ.) [सं-पु.] 1. सराफ़ी का कार्य या व्यवसाय; सोने-चाँदी का धंधा 2. सर्राफ़ों का बाज़ार या कोठी; सराफ़ा 3. सोने-चाँदी का बाज़ार; मुद्रा बाज़ार 4. रुपए-पैसे का लेन-देन।

सर्व (सं.) [वि.] 1. समस्त; सब; सारा; संपूर्ण; कुल 2. आदि से अंत तक; शुरू से आख़िर तक 3. सृष्टीय; वैश्विक। [सर्व.] सब, जैसे- सर्वलोक।

सर्वऋतु (सं.) [वि.] सभी ऋतुओं में सुलभ; बारहमासी।

सर्वकाम (सं.) [वि.] सभी प्रकार की इच्छा या कामना रखने वाला। [सं-पु.] शिव का एक नाम।

सर्वक्षार (सं.) [सं-पु.] 1. मोखा; मुष्कक वृक्ष 2. एक प्रकार का क्षार; महाक्षार 3. सब कुछ नष्ट कर देना या काम लायक न रहने देना।

सर्वगत (सं.) [वि.] 1. जो सर्वत्र व्याप्त हो; सर्वव्यापक; अंतर्यामी 2. जो किसी वर्ग, समूह या समष्टि के सभी अंगों, सदस्यों आदि में सामान्य रूप से पाया जाता हो।

सर्वगुण (सं.) [सं-पु.] (मानवता या व्यक्तित्व से संबंधित) समस्त गुण। [वि.] सभी गुणों से युक्त।

सर्वग्रास (सं.) [सं-पु.] 1. सब कुछ खा जाना; पचा जाना 2. (पौराणिक मान्यता) सूर्य या चंद्रमा का पूर्णग्रहण; खग्रास।

सर्वग्रासी (सं.) [वि.] 1. सब कुछ खा जाने वाला 2. सब कुछ समाहित करने वाला; अपने वश में करने वाला 3. सर्वस्व हर लेने वाला।

सर्वग्राही (सं.) [वि.] 1. सब कुछ समाहित या ग्रहण कर लेने वाला 2. सबको खा जाने वाला; सर्वग्रासी।

सर्वजनीन (सं.) [वि.] 1. प्रायः सभी व्यक्तियों, अवसरों, अवस्थाओं आदि में पाया जाने वाला या उनसे संबंध रखने वाला; सार्वजनिक 2. विश्वव्यापी; प्रसिद्ध 3. सबका कल्याण करने वाला; सर्वहितकारी।

सर्वजित (सं.) [सं-पु.] 1. सबको जीतने वाला अर्थात काल; मृत्यु 2. साठ संवत्सरों में से इक्कीसवाँ संवत्सर। [वि.] 1. सबको जीतने वाला; अजेय 2. सबसे बढ़ा-चढ़ा; सबसे श्रेष्ठ या उत्तम।

सर्वजेता (सं.) [सं-पु.] वह जिसको किसी प्रतियोगिता में पहला स्थान मिला हो या जिसने सभी प्रतियोगियों को हरा दिया हो; सर्वविजेता; (चैंपियन)।

सर्वज्ञ (सं.) [वि.] 1. सब कुछ जानने वाला 2. जिसे सब बातों का ज्ञान हो; सर्वज्ञानी।

सर्वज्ञता (सं.) [सं-स्त्री.] सब कुछ जानना; सर्वज्ञ होने की अवस्था, गुण या भाव।

सर्वज्ञाता (सं.) [वि.] सबके मन में रहने और सबके मन की बात जानने वाला; सर्वज्ञानी।

सर्वतंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. सभी प्रकार के शास्त्रीय सिद्धांत 2. वह जिसने सभी शास्त्रों का अध्ययन किया हो और उनमें निष्णात हो। [वि.] जिसे सब शास्त्र मानते हों; सर्वशास्त्रसम्मत।

सर्वतः (सं.) [क्रि.वि.] 1. सभी ओर; चारों तरफ़ 2. सभी प्रकार से; हर तरह से 3. पूरी तरह से; पूर्ण रूप से।

सर्वतोभद्र (सं.) [वि.] 1. सब ओर से मंगलकारक; सर्वांश में शुभ या उत्तम 2. जिसके सिर, दाढ़ी, मूँछ आदि सब के बाल मुड़े हों। [सं-पु.] 1. वह चौखूँटा मंदिर जिसके चारों ओर दरवाज़े हों और जिसकी परिक्रमा की जा सकती हो 2. युद्ध में एक प्रकार की सैनिक व्यूह रचना 3. एक प्रकार का चौखूँटा मांगलिक चिह्न जो पूजा के वस्त्र पर बनाया जाता है 4. एक प्रकार का चित्रकाव्य 5. एक प्रकार की पहेली जिसमें शब्द के खंडाक्षरों के भी अलग-अलग अर्थ लिए जाते हैं 6. विष्णु का रथ 7. बाँस 8. एक गंध-द्रव्य 9. मुंडन कराना; क्षौरकर्म कराना 10. हठयोग में बैठने का एक आसन या मुद्रा।

सर्वतोभाव (सं.) [क्रि.वि.] 1. सभी प्रकार से; संपूर्ण रूप से 2. अच्छी तरह; भली-भाँति।

सर्वतोमुख (सं.) [वि.] 1. जिसके चारों ओर मुख हों 2. जो सब दिशाओं में प्रवृत्त हो 3. पूर्ण व्यापक।

सर्वतोमुखी (सं.) [वि.] 1. जिसका मुख सब ओर हो 2. व्यापक; पूर्ण 3. जो सब ओर प्रवृत्त हो 4. हर प्रकार के कार्यो में दक्ष; निपुण।

सर्वत्र (सं.) [क्रि.वि.] 1. सब स्थानों पर; सब जगह; हर तरफ़ 2. पूर्ण रूप से।

सर्वथा (सं.) [अव्य.] सब प्रकार से; हर विचार और दृष्टि से; बिल्कुल; सरासर; पूरा।

सर्वदर्शिता (सं.) [सं-स्त्री.] सर्वदर्शी होने का भाव या अवस्था।

सर्वदर्शी (सं.) [वि.] 1. जगत में घटित सभी घटनाओं को देखने वाला; सर्वद्रष्टा 2. सभी विषयों और वस्तुओं का ज्ञान रखने वाला। [सं-पु.] (पुराण) ईश्वर; परमात्मा।

सर्वदल (सं.) [सं-पु.] किसी विषय पर विचार करने अथवा किसी क्षेत्र में काम करने वाले सभी दल या वर्ग।

सर्वदलीय (सं.) [वि.] 1. सभी दलों से संबंधित; सभी दलों का 2. जिसमें सभी दलों का सहयोग हो; सभी दलों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाने वाला।

सर्वदा (सं.) [अव्य.] हमेशा; सदा।

सर्वदेशीय (सं.) [वि.] 1. सभी देशों से संबंधित 2. सभी देशों में पाया जाने वाला 3. जिसमें सभी देश सम्मिलित हों।

सर्वदैव (सं.) [क्रि.वि.] हर एक पल या हर समय; निरंतर; नित्य; सदैव; सर्वदा।

सर्वनाम (सं.) [सं-पु.] 1. (व्याकरण) सभी नामों या संज्ञाओं का स्थानापन्न शब्द, जैसे- तुम, हम, वह, यह आदि 2. उक्त शब्द-भेद का कोई शब्द।

सर्वनाश (सं.) [सं-पु.] 1. पूरी तरह से होने वाला नाश जिसमें कुछ भी शेष न बचे; विनाश; विध्वंस; बरबाद 2. सबकुछ नष्ट होने का भाव।

सर्वनाशी (सं.) [वि.] सर्वनाश या विध्वंस करने वाला; तबाही मचाने वाला।

सर्वपति (सं.) [सं-पु.] वह जो सबका स्वामी हो; ईश्वर।

सर्वप्रथम (सं.) [वि.] 1. गणना या क्रम में जो सबसे पहले हो 2. श्रेष्ठ; प्रधान।

सर्वप्रमुख (सं.) [वि.] 1. जो सबमें प्रमुख हो; सर्वप्रधान 2. मुख्य; प्रधान।

सर्वप्रिय (सं.) [वि.] जो सभी को प्रिय हो; जो सभी को अच्छा लगे; लोकप्रिय; (पॉपुलर)।

सर्वप्रियता (सं.) [सं-स्त्री.] लोकप्रिय होने की अवस्था या भाव; लोकप्रियता; जनप्रियता।

सर्वभक्षी (सं.) [वि.] सब कुछ भक्षण करने या खाने वाला; सर्वभक्ष्य; अमिताशन।

सर्वभूत (सं.) [वि.] जो सर्वत्र हो; सर्वव्यापक। [सं-पु.] 1. परमात्मा 2. सब प्राणी।

सर्वभोगी (सं.) [वि.] 1. सब का भोग करने वाला; सब का आनंद लेने वाला 2. जो मांस, शाक आदि सब कुछ खाता हो; सर्वाहारी।

सर्वमंगल (सं.) [वि.] 1. जो सबके लिए मंगलमय हो; कल्याणकारी; शुभ।

सर्वमंगला (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक देवी जिन्होंने अनेक असुरों का वध किया और जो आदि शक्ति मानी जाती हैं; देवी दुर्गा 2. धन की अधिष्ठात्री देवी जो विष्णु की पत्नी कही गई हैं; देवी लक्ष्मी। [वि.] जो सब के लिए मंगलमयी या कल्याणकारी हो।

सर्वमय (सं.) [वि.] 1. जिसमें सब अंतर्भूत या समाविष्ट हों 2. जिसमें समस्त विश्व समाया हो; विश्वमय।

सर्वमान्य (सं.) [वि.] 1. सब के द्वारा मान्य; जिसे सब लोग मानते हों 2. जिससे सब सहमत हों, जैसे- सर्वमान्य प्रस्ताव।

सर्ववर्तुल (सं.) [वि.] ऐसा आकार जिसके तल का प्रत्येक बिंदु उसके अंदर के मध्य बिंदु से समान दूरी पर हो; गोल; (स्फ़ेरिकल)।

सर्वविदित (सं.) [वि.] 1. जिसे सभी जानते हों; जिससे सभी परिचित हों; प्रसिद्ध 2. जिसकी सूचना सभी को दी गई हो।

सर्वव्यापक (सं.) [वि.] जो हर जगह व्याप्त हो; सर्वत्र व्याप्त; विश्वव्यापी।

सर्वव्यापकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सर्वव्यापक होने की क्रिया, अवस्था या भाव 2. वह जिसकी व्याप्ति चारों ओर हो।

सर्वव्यापीकरण (सं.) [सं-पु.] सर्वव्यापी करने या बनाने की क्रिया या भाव।

सर्वव्याप्त (सं.) [वि.] 1. जो सभी स्थानों और सभी वस्तुओं में व्याप्त हो 2. सब कुछ ढकने या आच्छादित करने वाला।

सर्वव्याप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सब जगह व्याप्त होने की अवस्था 2. सब में होने का भाव।

सर्वशक्तिमान (सं.) [सं-पु.] ईश्वर का एक नाम। [वि.] 1. सबसे अधिक बलशाली या ताकतवर 2. जिसमें सभी शक्तियाँ निहित हों।

सर्वश्री (सं.) [वि.] एक आदरसूचक विशेषण जिसका प्रयोग अनेक व्यक्तियों का नाम एक साथ आने पर सभी के लिए आरंभ में केवल एक बार लिखा जाता है।

सर्वसम्मत (सं.) [वि.] 1. जिसके पक्ष में सभी की सहमति हो 2. जो सभी को मान्य हो; जो सभी की सम्मति से हुआ हो।

सर्वसम्मति (सं.) [सं-स्त्री.] जिसपर सभी की एक राय या सम्मति हो; मतैक्य।

सर्वसाधारण (सं.) [सं-पु.] आम आदमी; आम जनता; सभी प्रकार के सामान्य लोग। [वि.] 1. जो सब में सामान्य रूप से पाया जाता हो 2. जो सब लोगों के लिए हो; सार्वजनिक।

सर्वसुलभ (सं.) [वि.] जो सब को सुलभ हो; सब को आसानी से प्राप्त होने वाला।

सर्वस्व (सं.) [सं-पु.] 1. सब कुछ 2. सारी धन-संपत्ति 3. अमूल्य निधि या पदार्थ।

सर्वस्वीकृत (सं.) [वि.] 1. सभी के द्वारा स्वीकार या मंज़ूर किया हुआ 2. सभी के द्वारा मान्यता प्राप्त।

सर्वहारा (सं.) [सं-पु.] 1. समाज का वह वर्ग जो मज़दूरी करके जीवन निर्वाह करता है 2. जो अपना सब कुछ गँवाकर निर्धन हो चुका हो। [वि.] 1. जिसका सब कुछ हर लिया गया हो 2. जो अपना सब कुछ खो चुका हो।

सर्वहितकारी (सं.) [वि.] 1. सभी का हित करने वाला (व्यक्ति) 2. जिसमें सबका हित हो (कार्य)।

सर्वांग (सं.) [सं-पु.] 1. सब या संपूर्ण अंग 2. अंगों का समूह; पूरा शरीर 3. सभी वेदांग।

सर्वांगपूर्ण (सं.) [वि.] 1. अपने सभी अंगों या अवयवों से युक्त 2. सभी तरह या सभी प्रकार से पूर्ण।

सर्वांगसम (सं.) [वि.] (गणित) जिनके सभी अंग या अवयव समान हों; सर्वसम।

सर्वांगीण (सं.) [वि.] 1. जो सभी अंगों से युक्त हो 2. सभी अंगों से संबंधित; सब अंगों का 3. हर दृष्टि से या हर बात में 4. समस्त शरीर में व्याप्त।

सर्वांश (सं.) [वि.] 1. संपूर्ण अंश 2. पूर्ण।

सर्वात्मवाद (सं.) [सं-पु.] ऐसा सिद्धांत या विचार जो यह मानता है कि सृष्टि के समस्त पदार्थ एक ही आत्मा से युक्त हैं।

सर्वात्मा (सं.) [सं-पु.] सबकी आत्मा; संपूर्ण विश्व की आत्मा; संपूर्ण विश्व में व्याप्त चेतन सत्ता; ब्रह्म।

सर्वाधिक (सं.) [वि.] 1. संख्या या गणना में सबसे अधिक 2. सबसे बढ़ा हुआ।

सर्वाधिकार (सं.) [सं-पु.] 1. सब कुछ करने का अधिकार; पूर्णाधिकार 2. सब प्रकार के अधिकार; पूर्ण प्रभुत्व; पूर्ण स्वामित्व।

सर्वाधिकारी (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो समस्त अधिकार या स्वत्व रखता हो 2. शासक या अध्यक्ष 3. सबसे बड़ा अधिकारी।

सर्वाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] सबका स्वामी; अधिपति; शासक; प्रधान; अधिकारी।

सर्वास्तिवाद (सं.) [सं-पु.] 1. एक दार्शनिक सिद्धांत जिसके अनुसार जगत की सभी वस्तुओं की वास्तविक सत्ता है, वे असत नहीं हैं 2. बौद्ध दर्शन के वैभाषिक सिद्धांतों के चार भेदों में से एक।

सर्वास्तिवादी (सं.) [वि.] सर्वास्तिवाद का समर्थक या अनुयायी।

सर्विस (इं.) [सं-स्त्री.] 1. नौकरी; सेवा; कार्य 2. मदद 3. मरम्मत।

सर्वे (इं.) [सं-पु.] 1. भूमि आदि की पैमाइश; मापन 2. निरीक्षण; अवलोकन।

सर्वेक्षक (सं.) [सं-पु.] 1. सर्वेक्षण करने वाला; (सर्वेयर) 2. कुछ लोगों पर निगरानी रखते हुए उनके कामों का निरीक्षण करने वाला अधिकारी; (ओवरसियर)।

सर्वेक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय के सभी अंगों का वस्तुनिष्ठ और वैज्ञानिक निरीक्षण; (सर्वे) 2. आधिकारिक निरीक्षण; परिदर्शन 3. भूमि मापन और निरीक्षण।

सर्वेश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. सबका स्वामी; सबका मालिक 2. जिसका राज्य बहुत दूर-दूर तक फैला हो; चक्रवर्ती राजा; एकाधिपति 3. एक प्रकार की औषधि 4. ईश्वर।

सर्वेश्वरवाद (सं.) [सं-पु.] एक दार्शनिक मत जिसके अनुसार जगत के सभी तत्वों में ईश्वर वर्तमान है और ईश्वर ही सब कुछ है अर्थात ईश्वर ही जगत और जगत ही ईश्वर है; सर्वात्मवाद; (पैंथिज़म)।

सर्वेश्वरवादी (सं.) [वि.] सर्वेश्वरवाद का अनुयायी या समर्थक; ब्रह्मवादी।

सर्वेसर्वा (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसे किसी मामले में सब कुछ करने का अधिकार हो 2. सर्वप्रधान कर्ता-धर्ता; अगुवा; सरगना; प्रभारी; अधिष्ठाता 3. वह जो किसी घर, दल या समाज आदि का प्रमुख हो; मुखिया; प्रमुख; प्रधान।

सर्वोच्च (सं.) [वि.] 1. जो सबसे ऊँचा या बड़ा हो 2. पद या मर्यादा आदि की दृष्टि से जो सबसे उच्च स्थान पर हो तथा दूसरों को अपने अधीन रखता हो।

सर्वोच्चता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सर्वोच्च होने की अवस्था या भाव 2. सर्वोपरि सत्ता।

सर्वोच्च न्यायालय (सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश, राज्य का सबसे ऊँचा और बड़ा न्यायालय जिसके अधीन वहाँ की सारी न्यायपालिका हो और जो विविध प्रदेशों के उच्च न्यायालयों के निर्णयों पर पुनर्विचार कर सकता हो; उच्चतम न्यायालय 2. भारतीय संघ का प्रधान न्यायालय; (सुप्रीम कोर्ट)।

सर्वोत्कृष्ट (सं.) [वि.] जो सबसे उत्कृष्ट हो सर्वोत्तम; सर्वश्रेष्ठ।

सर्वोत्कृष्टता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सर्वोत्कृष्ट होने की अवस्था या भाव 2. परिपूर्णता; सर्वगुण संपन्नता 3. औरों से बढ़कर; अत्यंत उत्तम; श्रेष्ठ।

सर्वोत्तम (सं.) [वि.] सबसे उत्तम; सबसे बढ़कर; सर्वश्रेष्ठ।

सर्वोदय (सं.) [सं-पु.] 1. सभी लोगों का उदय अर्थात उन्नति 2. भारत की सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक आदि समस्याओं के निराकरण के लिए महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया एक जन आंदोलन 3. सभी के उदय या उत्थान की भावना से आचार्य विनोबा भावे द्वारा प्रवर्तित स्वतंत्र भारत का एक संगठन।

सर्वोपयोगी (सं.) [वि.] जो सभी के लिए उपयोगी हो; जो सभी लोगों के उपयोग में आता हो या आ सकता हो।

सर्वोपरि (सं.) [वि.] 1. जो सबसे ऊपर या बढ़कर हो 2. अधिकार, प्रभाव आदि की दृष्टि से अपने कार्य क्षेत्र में जो सबसे ऊपर हो।

सर्षप (सं.) [सं-पु.] 1. सरसों 2. सरसों के बराबर मान या तौल 3. एक प्रकार का विष।

सल (सं.) [सं-पु.] 1. जल; पानी 2. सरल वृक्ष 3. बोंट नामक कीड़ा जो प्रायः घास में रहता है।

सलई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शल्लकी वृक्ष; चीड़ 2. चीड़ का गोंद; कुंदुरू।

सलज्ज (सं.) [वि.] जिसे लज्जा हो; लज्जाशील; लज्जायुक्त; शरमीला।

सलज्जता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लज्जित होने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. लज्जा या शर्म के साथ।

सलमा (अ.) [सं-पु.] एक प्रकार का सुनहला या रूपहला चमकीला और चपटा तार जो टोपी, साड़ी आदि में बेलबूटे बनाने के काम में आता है; बादला; कंदला।

सलवट [सं-स्त्री.] 1. सिलवट; सिकुड़न 2. सिकुड़ने से पड़ी हुई लकीर; शिकन।

सलवार [सं-पु.] एक प्रकार का ढीला पाजामा; स्त्रियों द्वारा कुर्ते के साथ पहना जाने वाला एक वस्त्र।

सलहज [सं-स्त्री.] पत्नी के भाई अर्थात साले की पत्नी।

सलाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी धातु, शीशा या काठ की पतली छड़ या तीली 2. स्वेटर बुनने की तीली 3. माचिस की तीली; दियासलाई।

सलाख़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. धातु आदि की मोटी-लंबी छड़; सलाई; शलाका 2. रेखा।

सलाद (इं.) [सं-पु.] कटे हुए कच्चे फल, सब्ज़ी, कंद आदि के साथ नमक, मिर्च, खटाई आदि मिलाकर तैयार किया जाने वाला एक खाद्य।

सलाम (अ.) [सं-पु.] 1. नमस्कार; प्रणाम 2. अभिवादन करने की एक फ़ारसी शैली जिसमें दाहिने हाथ की उँगलियों को माथे पर लगाते हैं।

सलामअलैकुम (अ.) [सं-स्त्री.] 1. एक पद जिसका अर्थ है- तुम सलामत रहो; तुम पर सलामती हो 2. मुसलमानों द्वारा एक-दूसरे को किया जाने वाला अभिवादन; नमस्कार।

सलामत (अ.) [वि.] 1. विपदा या हानि से बचा हुआ सुरक्षित; महफ़ूज 2. सकुशल 3. जीवित; स्वस्थ 4. पूर्ण; पूरा; अखंड। [क्रि.वि.] कुशलतापूर्वक, जैसे- सलामत रहो।

सलामती (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सलामत होने की अवस्था या भाव 2. रक्षा 3. स्वास्थ्य; तंदुरुस्ती 4. कुशल; क्षेम।

सलामी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सलाम करने की क्रिया या भाव 2. सैनिकों या सिपाहियों द्वारा किसी प्रतिष्ठित अतिथि के आगमन पर एक साथ अभिवादन करना 3. किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के सम्मान में या किसी अतिथि के आगमन पर उसके सम्मानार्थ बंदूकों, तोपों आदि का दागा जाना 4. मकान या दुकान आदि किराए पर देते समय पगड़ी के रूप में लिया जाने वाला धन। [वि.] 1. झुकने वाला; ढालुआँ 2. {ला-अ.} प्रारंभिक; शुरुआती।

सलाह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. राय; मशविरा 2. आपसी विचार-विमर्श; परामर्श 3. सुझाव; सम्मति 4. नसीहत; उपदेश।

सलाहकार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. सलाह या राय देने वाला; परामर्श देने वाला; परामर्शदाता 2. मंत्रणा में सम्मिलित होने वाला।

सलिल (सं.) [सं-पु.] 1. जल; पानी 2. वर्षा; वर्षा का जल 3. अश्रु 4. वायु 5. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र।

सलिला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नदी; सरिता 2. प्रवाह; धारा।

सलीका (अ.) [सं-पु.] 1. कार्य संपादन का स्वाभाविक ढंग या तरीका 2. शिष्टता; तमीज़; शऊर 3. तहज़ीब; सभ्यता 4. योग्यता; हुनरमंदी 5. आचरण; व्यवहार।

सलीकामंद (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें सलीका हो; शऊरदार; शिष्ट 2. सभ्य 3. सुघड़; हुनरमंद।

सलीकेदार (अ.+फ़ा.) [वि.] जिसमें सलीका हो; शऊरदार; सलीकामंद।

सलीता [सं-पु.] एक प्रकार का बहुत मोटा कपड़ा।

सलीब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सूली; (क्रॉस) 2. सूली के ढंग का एक छोटा यंत्र जिसे प्रायः ईसाई धर्मावलंबी गले में धारण करते हैं।

सलीम (अ.) [वि.] 1. शांत; गंभीर 2. सहनशील; शांतिप्रिय 3. सरल; विनीत 4. ठीक; दुरुस्त।

सलील (सं.) [वि.] 1. लीलारत; क्रीड़ाशील; खिलाड़ी 2. किसी प्रकार की भाव भंगिमा से युक्त।

सलीस (अ.) [वि.] 1. कोमल; नरम; मृदुल 2. सरल; सुगम; आसान 3. सभ्य; शिष्ट; तमीज़दार 4. क्लिष्ट शब्दावली से रहित गद्य या पद्य; सुबोध; बालबोध।

सलूक (अ.) [सं-पु.] 1. तौर-तरीका; ढंग 2. लोगों के साथ रखा जाने वाला मेल-मिलाप 3. किसी के साथ किया जाने वाला व्यवहार।

सलोना [वि.] 1. मन को मोहित करने वाला; सुंदर 2. नमकवाला; नमकीन; लावण्ययुक्त।

सलोनी [वि.] 1. लावण्ययुक्त; नमकीन 2. {ला-अ.} आकर्षक; सुंदर।

सलोनो (सं.) [सं-स्त्री.] श्रावण शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक त्योहार; रक्षाबंधन; राखी।

सल्तनत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी शासक द्वारा शासित क्षेत्र; राज्य; बादशाहत 2. बादशाह या सुलतान का अधिकार या अधिकार-क्षेत्र 3. साम्राज्य; रियासत; रजवाड़ा 4. इंतज़ाम; प्रबंध 5. सुविधा; आराम।

सवत्स (सं.) [वि.] जो अपने संतान के साथ हो; संतानयुक्त।

सवर्ण (सं.) [सं-पु.] 1. हिंदुओं में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तीनों जातियों के लोगों की सामूहिक संज्ञा 2. भारतीय शासन व्यवस्था के अनुसार वह व्यक्ति जो सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा न हो। [वि.] 1. समान, सदृश 2. समान वर्ण या जाति का 3. किसी के समान रंग-रूप का 4. (व्याकरण) अक्षरों के समान वर्ग से संबद्ध; एक ही स्थान से उच्चारित होने वाला।

सवा (सं.) [वि.] एक और चौथाई भाग; चतुर्थांश से युक्त; जिसमें पूरे के साथ एक चौथाई और लगा हो, जैसे- सवा चार।

सवाई [सं-पु.] राजस्थान के महाराजाओं की एक उपाधि, जैसे- सवाई मानसिंह। [सं-स्त्री.] 1. ऋण का एक प्रकार जिसमें चतुर्थांश के रूप में ब्याज देना पड़ता है 2. एक प्रकार का रोग।

सवाक (सं.) [वि.] वाणी के साथ; ध्वनि या वाणी युक्त।

सवाब (अ.) [सं-पु.] 1. सत्कर्म का परलोक में मिलने वाला फल; पुण्य 2. नेकी; भलाई।

सवाया [वि.] 1. किसी परिमाप या परिमाण में उसका एक चौथाई अंश और जोड़कर; सवा गुना 2. अपेक्षाकृत कुछ अधिक 3. पूर्व की अपेक्षा कुछ अधिक।

सवार (फ़ा.) [सं-पु.] किसी वाहन पर बैठा या आरूढ़ व्यक्ति; घोड़े या किसी अन्य पशु पर चढ़ा व्यक्ति; वह जो किसी के ऊपर चढ़ा या बैठा हो; अवरोही; अश्वारोही सैनिक। [मु.] -होना : अभिभूत या वशीभूत कर लेना।

सवारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सवार होने की अवस्था, भाव या क्रिया 2. ऐसा साधन जिसपर लोग सवार होते हैं, जैसे- गाड़ी, घोड़ा, मोटर आदि 3. गाड़ी आदि पर सवार होने वाला व्यक्ति 4. देवमूर्तियों की झाँकियों के लिए निकाला गया जुलूस।

सवारीगाड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह रेलगाड़ी जो यात्रियों को लाती और ले जाती हो 2. यात्रियों के सवार होने वाली गाड़ी; मुसाफ़िर गाड़ी 3. वह रेलगाड़ी जो हर स्टेशन पर रुकती है; (पैसिंजर गाड़ी; ट्रेन)।

सवाल (अ.) [सं-पु.] 1. प्रश्न 2. वह जिज्ञासा जो पूछी जाए 3. {ला-अ.} याचना; प्रार्थना; निवेदन। [मु.] -ठोंकना : ज़ोरदार प्रश्न करना।

सवालिया [वि.] 1. सवाल के रूप में होने वाला; प्रश्नात्मक; प्रश्नयुक्त 2. जिसमें कोई बात पूछी गई हो; प्रश्नसूचक 3. (व्याकरण) वह वाक्य जो पाठक या श्रोता से उत्तर की अपेक्षा रखता हो।

सविकल्प (सं.) [वि.] 1. विकल्प सहित; ऐच्छिक 2. संदेहयुक्त; संदिग्ध 3. इच्छानुकूल।

सविता (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; दिवाकर 2. आक; अर्क; मदार 3. अट्ठाईस व्यासों में से एक।

सविनय (सं.) [वि.] विनययुक्त; विनय से पूर्ण; विनम्रतापूर्वक; शिष्टतापूर्ण।

सविनय अवज्ञा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विनम्रता के साथ तिरस्कार या उल्लंघन 2. राज्य की ओर से जारी किसी कानून का नम्रतापूर्वक विरोध या अवमानना।

सवेतन (सं.) [वि.] जिसके साथ वेतन भी हो; वैतनिक।

सवेरा (सं.) [सं-पु.] 1. सुबह; प्रातःकाल; प्रभात 2. निश्चित समय के पहले का समय।

सवैया [सं-पु.] 1. तौलने का एक बाट जो सवा सेर का होता है 2. एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में सात भगण और एक गुरु होता है 3. वह पहाड़ा जिसमें एक, दो, तीन आदि संख्याओं का सवाया रहता है 4. ऋण के रूप में अनाज, धन आदि देने की एक प्रणाली जिसमें दिए हुए मान का सवाया वसूल किया जाता है।

सव्यसाची (सं.) [वि.] जो दोनों हाथों से काम करने में निपुण हो। [सं-पु.] (महाभारत) पांडु का मँझला पुत्र; अर्जुन।

सशंक (सं.) [वि.] 1. जिसके मन में कोई शंका हो; शंकालु; शंकित 2. भयभीत; भीरु; डरपोक 3. आतंकित।

सशंकित (सं.) [वि.] 1. किसी वस्तु या विषय के संदर्भ में शंकित; शंकायुक्त; संदिग्ध 2. किसी आशंका के कारण डरा हुआ; भयभीत।

सशक्त (सं.) [वि.] जिसमें शक्ति हो; मज़बूत; शक्तिशाली; बलवान।

सशक्तीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी को शक्तिसंपन्न (मज़बूत) करने की क्रिया या भाव।

सशरीर (सं.) [वि.] शरीरयुक्त; मूर्त। [अव्य.] शरीर के साथ।

सशर्त (सं.) [वि.] 1. शर्त के साथ; शर्तिया 2. प्रतिबंधित 3. नियमबद्ध।

सशस्त्र (सं.) [वि.] 1. जिसके पास शस्त्र हों; शस्त्रयुक्त; हथियार-सहित 2. जिसमें शस्त्रों का प्रयोग हुआ हो, जैसे- सशस्त्र क्रांति।

ससंकोच (सं.) [वि.] संकोचयुक्त; संकोच के साथ।

ससम्मान (सं.) [क्रि.वि.] 1. सत्कार के साथ या आवभगत के साथ; सत्कारपूर्वक; सादर 2. इज़्ज़त के साथ; बाइज़्ज़त।

ससीम (सं.) [वि.] 1. जिसकी सीमा या हद हो 2. सीमित; (लिमिटेड)।

ससुर (सं.) [सं-पु.] 1. पति या पत्नी के पिता; श्वसुर 2. ससुर के समकक्ष संबंधी, जैसे- चचिया ससुर, ममिया ससुर आदि।

ससुरा (सं.) [सं-पु.] 1. ससुर 2. तुच्छ व्यक्ति या वस्तु के लिए एक प्रकार की गाली।

ससुराल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्वसुर या ससुर का घर; पति या पत्नी के माता-पिता का घर 2. {ला-अ.} जेल; कैदख़ाना।

ससुरी (सं.) [सं-स्त्री.] तुच्छ व्यक्ति या वस्तु के लिए एक प्रकार की गाली।

सस्ता (सं.) [वि.] 1. जिसका मूल्य अपेक्षाकृत कम हो 2. जिसके मूल्य में गिरावट आई हो; अल्पमूल्य 3. जो सहजता से प्राप्त हो सके 4. कम अच्छा; घटिया; तुच्छ 5. अशिष्ट; फूहड़ 6. साधारण; मामूली। [मु.] सस्ते में छूटना : बहुत कम हानि होना।

सस्तापन [सं-पु.] 1. सस्ते होने की क्रिया या भाव; सस्ती 2. {ला-अ.} अपने आचरण या व्यवहार से स्वयं को ओछा सिद्ध करना।

सस्ती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सस्ते होने की अवस्था या भाव; सस्तापन 2. कम दाम में प्राप्त वस्तु 3. मँहगाई न होना; जो वस्तु महँगी न हो।

सस्पृहा (सं.) [वि.] स्पृहायुक्त; इच्छुक; इच्छायुक्त।

सस्पेंड (इं.) [सं-पु.] निलंबित।

सस्मित (सं.) [क्रि.वि.] 1. हँसी या मुस्कराहट से युक्त 2. मुस्कराता हुआ; हँसता हुआ।

सस्वर (सं.) [वि.] स्वर के साथ; स्वरबद्ध; लयबद्ध।

सह (सं.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो किसी शब्द के अंत में युक्त होकर सहिष्णु, सहन करने वाला का अर्थ देता है, जैसे- तापसह, अग्निसह। [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो किसी शब्द के आरंभ में युक्त होकर सहकर्मी या सहायक का बोध कराता है, जैसे- सहकर्मी, सहसंपादक।

सहअस्तित्व (सं.) [सं-पु.] 1. एक दूसरे के विकास में सहयोग करते हुए साथ-साथ रहना; सहजीवन 2. विश्व के सभी राष्ट्रों का मिल-जुलकर शांतिपूर्वक रहना एवं युद्ध आदि से परहेज़ करना 3. अलग-अलग प्रकार के दो पौधों का परस्पराश्रित होकर एक दूसरे का पोषण करना; (सिंबायोसिस)।

सहकर्मी (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्यालय आदि में साथ काम करने वाला व्यक्ति 2. वह जो साथ मिलकर काम करे।

सहकार (सं.) [सं-पु.] 1. एकाधिक लोगों के साथ मिलकर कोई काम करने की वृत्ति, क्रिया या भाव; सहयोग; सहभाग; सहयोगिता; सहकारिता; (कोऑपरेशन) 2. सहायक; मददगार 3. सुगंधियुक्त पदार्थ 4. कलमी आम का पेड़ या आम का रस। [वि.] 'हकार' की ध्वनि से युक्त।

सहकारिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहकारी या सहायक होने का भाव; सहयोगिता; (कोऑपरेशन) 2. साथ मिलकर काम करना; सहकारी होना।

सहकारी (सं.) [वि.] 1. सहकार संबंधी; सहकार का 2. एक साथ काम करने वाला; सहयोगी 3. सहायक; मददगार 4. सहकर्मी।

सहगमन (सं.) [सं-पु.] 1. साथ जाने की क्रिया 2. एक मध्यकालीन प्रथा जिसके अनुसार पत्नी का अपने पति के शव के साथ चिता में जलकर प्राण दे देने का विधान था; सतीप्रथा।

सहगल [सं-पु.] 1. एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम 2. पंजाब एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की एक उपजाति।

सहगान (सं.) [सं-पु.] 1. एकाधिक व्यक्तियों का साथ मिलकर गाना 2. ऐसा गीत जिसे कई व्यक्ति मिलकर गाते हों; समवेतगान।

सहगामिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साथ-साथ चलने वाली 2. सहचरी; पत्नी 3. (प्राचीन काल में) वह स्त्री जो पति की चिता पर सती हो जाती थी 4. साथिन; सहेली।

सहगामी (सं.) [वि.] 1. सफ़र में साथ देने वाला; साथ चलने वाला; साथी; हमसफ़र; हमराही 2. अनुकरण करने वाला; अनुयायी।

सहचर (सं.) [वि.] 1. साथ-साथ चलने वाला; सहयात्री 2. साथ रहने वाला; साथी। [सं-पु.] 1. मित्र; साथी 2. पति 3. सेवक।

सहचरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साथ रहने वाली स्त्री; साथ-साथ विचरण करने वाली स्त्री 2. सखी; सहेली; साथिन 3. पत्नी।

सहचार (सं.) [सं-पु.] 1. एकाधिक व्यक्तियों का साथ चलना 2. साथ; संग; सोहबत 3. विभिन्न व्यक्तियों के विचारों में समन्वय, सामंजस्य या संगति की अवस्था 4. न्याय में हेतु के साथ साध्य का अनिर्वाय होना।

सहचारिणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साथ में रहने वाली; सहचरी; सखी 2. पत्नी; जोरू।

सहचारिता (सं.) [सं-स्त्री.] सहचारी होने की अवस्था, गुण या भाव।

सहचारी (सं.) [वि.] साथ चलने या रहने वाला। [सं-पु.] 1. संगी; साथी 2. सेवक; नौकर।

सहज (सं.) [वि.] 1. जो किसी के साथ उत्पन्न हुआ हो; जन्मजात 2. सरल; सुगम; स्वाभाविक 3. सामान्य; साधारण।

सहजज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. प्रकृति प्रदत्त ज्ञान; सहज बुद्धि 2. आत्म चेतना शक्ति।

सहजता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहज होने की अवस्था या भाव 2. स्वाभाविकता; सरलता 3. साधारणता; सामान्यता।

सहजधर्मी (सं.) [सं-पु.] जो सहज बातों को ही धर्म का विषय मानता हो।

सहजधारी [सं-पु.] सिख धर्म का वह अनुयायी जो सिर तथा दाढ़ी के बाल न बढ़ाता हो।

सहजध्यान (सं.) [सं-पु.] 1. हठयोग और बौद्ध तांत्रिकों के अनुसार वह स्थिति जिसमें मनुष्य समस्त बाह्याडंबरों से मुक्त होकर सरलतापूर्वक जीवन निर्वाह करता है 2. वह अवस्था जिसमें मनुष्य बिना किसी आसन या मुद्रा का प्रयोग किए ईश्वर का साक्षात्कार कर लेता है; जीवनमुक्ति।

सहजपंथ [सं-पु.] गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय का एक वर्ग जो हिंदू तथा बौद्ध तांत्रिकों से प्रभावित है।

सहजबुद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] जन्म-जात बुद्धि; नैसर्गिक या प्राकृतिक बुद्धि।

सहज समाधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हठयोग और बौद्ध तांत्रिकों के अनुसार वह स्थिति जिसमें मनुष्य समस्त बाह्याडंबरों से मुक्त होकर सरलतापूर्वक जीवन निर्वाह करता है 2. वह अवस्था जिसमें मनुष्य बिना किसी आसन या मुद्रा का प्रयोग किए ईश्वर का साक्षात्कार कर लेता है; जीवनमुक्ति।

सहजात (सं.) [वि.] 1. साथ-साथ जन्म लेने वाला या उत्पन्न होने वाला 2. समवयस्क; सहोदर 3. एक ही माता-पिता से पैदा हुए।

सहजातिक (सं.) [वि.] समान जाति से संबंधित; समान जाति या प्रकार के।

सहजिया [सं-पु.] वह जो सहजपंथ का अनुयायी हो; सहजपंथ को मानने वाला व्यक्ति।

सहजीवन (सं.) [सं-पु.] 1. एक दूसरे के विकास में सहयोग करते हुए साथ-साथ रहना 2. देशों या राष्ट्रों का मिलजुल कर शांतिपूर्वक रहना; सहअस्तित्व।

सहजीवी (सं.) [वि.] किसी के साथ रहकर जीवन बिताने वाला; साथ रहने वाला।

सहत्व (सं.) [सं-पु.] 1. एक होने का भाव या अवस्था; एकता 2. मेलजोल।

सहदेव (सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) राजा पांडु के पाँच पुत्रों में से सबसे छोटे पुत्र 2. जरासंध का पुत्र।

सहधर्मिणी (सं.) [सं-स्त्री.] पत्नी; भार्या।

सहधर्मी (सं.) [वि.] 1. एक ही धर्म के अनुयायी या मानने वाले 2. समान धर्मवाला 3. समान कर्तव्योंवाला। [सं-पु.] पति।

सहन1 (सं.) [सं-पु.] 1. सहने की क्रिया या भाव; बर्दाश्त 2. सहिष्णुता।

सहन2 (अ.) [सं-पु.] 1. घर के बीच खुला भाग 2. आँगन या चौक 3. बड़ा थाल 4. एक रेशमी कपड़ा 5. घर के सामने खुली हुई समतल भूमि।

सहनशक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] सहने की शक्ति या सामर्थ्य।

सहनशील (सं.) [वि.] 1. अत्याचार, दुर्व्यवहार, संकट आदि को सहन करने की स्वाभाविक क्षमता रखने वाला; सहिष्णु 2. धैर्यवान; संतोषी।

सहनशीलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहनशील होने की अवस्था, भाव या गुण; सहिष्णुता 2. संतोष; सब्र।

सहना [क्रि-स.] 1. किसी अप्रिय घटना या बात को बर्दाश्त करना; सहन करना, झेलना 2. किसी परिणाम या फल की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर लेना, भार वहन करना।

सहनीय (सं.) [वि.] सहन या बर्दाश्त करने योग्य; जिसे सहा जा सके।

सहपथिक (सं.) [सं-पु.] 1. सहयात्री; साथ यात्रा करने वाला व्यक्ति 2. साथ चलने वाला व्यक्ति।

सहपरीक्षक (सं.) [सं-पु.] उन परीक्षकों में से कोई एक जो मिलकर परीक्षा लेता हो।

सहपाठी (सं.) [सं-पु.] 1. साथ पढ़ने वाला छात्र 2. जो एक ही कक्षा में पढ़ते हों; (क्लासफ़ेलो) 3. एक ही गुरु से या एक ही विद्यालय में साथ-साथ शिक्षाग्रहण करने वाले विद्यार्थी।

सहप्रतिवादी (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसे किसी मुकदमे में मुख्य प्रतिवादी के साथ गौण रूप से उत्तरदायी ठहराया जाता है।

सहबद्ध (सं.) [वि.] साथ में बँधा या लगा हुआ।

सहबाला (फ़ा.) [सं-पु.] (हिंदू विवाह) वह छोटा बालक जो विवाह के समय दूल्हे के साथ पालकी पर अथवा उसके पीछे घोड़े पर बैठकर जाता है।

सहभागिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहभागी होने की अवस्था या भाव; हिस्सेदारी 2. साँठ-गाँठ।

सहभागिनी (सं.) [वि.] किसी के साथ किसी काम में समानता या बराबरी के भाव से सम्मिलित होने या सहयोग करने वाली; सहकर्मी। [सं-स्त्री.] पत्नी; भार्या।

सहभागी (सं.) [वि.] किसी के साथ समानता के भाव से सम्मिलित होने वाला। [सं-पु.] वह जो व्यापार, संपत्ति आदि में समान रूप से भागीदार हो; हिस्सेदार; साझीदार।

सहभाजन (सं.) [सं-पु.] साझा करना; अंश या हिस्सा बटाना।

सहभोज (सं.) [सं-पु.] बहुत से लोगों का एक साथ भोजन करना; सामूहिक भोज।

सहम (फ़ा.) [सं-पु.] 1. डर; भय; ख़ौफ़; सिहर 2. लिहाज़; संकोच।

सहमत (सं.) [वि.] 1. जिसका मत (विचार) दूसरे के साथ मिलता हो; जिसकी राय दूसरे से मिलती हो; एकमत; राज़ी; रज़ामंद 2. जो दूसरे के मत को ठीक मानकर उसकी पुष्टि करता हो 3. जो दूसरे के साथ वार्ता, संधि या समझौते के लिए तैयार हो।

सहमति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहमत होने की क्रिया या भाव 2. समान विचार; मतैक्य 3. किसी विषय आदि में लोगों का एकमत होना।

सहमना (फ़ा.) [क्रि-अ.] भयभीत होना; डरना; घबरा जाना; शंकित होना।

सहमरण (सं.) [सं-पु.] साथ-साथ मरना।

सहमा (फ़ा.) [वि.] 1. डरा हुआ; भयभीत 2. घबराया हुआ; ख़ौफ़ज़दा।

सहमाना (फ़ा.) [क्रि-स.] 1. डराना; भयभीत करना 2. घबड़ाहट में डालना।

सहयात्री (सं.) [सं-पु.] साथ-साथ यात्रा करने वाला; हमराही; सहपंथी। [वि.] साथ-साथ यात्रा करने वाला।

सहयोग (सं.) [सं-पु.] 1. सहायता; मदद 2. मिल-जुलकर काम करने की क्रिया या भाव।

सहयोगी (सं.) [सं-पु.] सहयोग या सहायता करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. सहयोग करने वाला 2. साथ काम करने वाला 3. सहायक; मददगार।

सहयोजन (सं.) [सं-पु.] 1. साथ मिलाने की क्रिया या भाव 2. सहयोगी के रूप में सम्मिलित करना 3. किसी समिति या संस्था के वर्तमान सदस्यों द्वारा किसी अनिर्वाचित या बाहरी व्यक्ति को सदस्य या सहयोगी के रूप में सम्मिलित किए जाने का काम।

सहयोजित (सं.) [वि.] सहायतार्थ मिलाया गया; आमेलित; जोड़ा हुआ; विनियुक्त।

सहर1 [सं-पु.] 1. जादू; टोना 2. एक पौधा जिसके डंठल डंडे के आकार के होते हैं।

सहर2 (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रातःकाल; प्रभात; भोर; तड़का 2. जागरण; जागना।

सहरख़ेज़ (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. बहुत सवेरे उठने का अभयस्त 2. सुबह जल्दी उठकर लोगों की चीज़ें उठा ले जाने वाला; उचक्का।

सहरगही (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] वह भोजन जो किसी दिन निर्जल व्रत करने के पूर्व बहुत तड़के ही किया जाता है; सहरी; सरघी।

सहरा (अ.) [सं-पु.] 1. अरण्य; कानन; जंगल; वन 2. ख़ाली मैदान।

सहरी1 (सं.) [सं-स्त्री.] शफरी; मछली।

सहरी2 (अ.) [सं-स्त्री.] निर्जल व्रत के दिन बहुत तड़के किया जाने वाला भोजन; सहरगही। [वि.] प्राभातिक; प्रातःकालीन।

सहर्ष (सं.) [क्रि.वि.] ख़ुशी के साथ; हर्ष के साथ; प्रसन्नतापूर्वक।

सहल (अ.) [वि.] जो कठिन न हो; सरल; सहज; आसान; सुगम।

सहलग्न (सं.) [वि.] साथ लगा हुआ; किसी के साथ जुड़ा हुआ।

सहलाना (सं.) [क्रि-स.] 1. शरीर के अंगों पर हाथ फेरना तथा बार-बार रगड़ना 2. सिर आदि पर प्रेमपूर्वक हाथ फेरना।

सहलाहट [सं-स्त्री.] सहलाने की क्रिया या अवस्था; सहलाई।

सहलेखक (सं.) [सं-पु.] उन दो लेखकों में से कोई एक जिन्होंने मिलकर कोई ग्रंथ या लेख आदि लिखा हो।

सहवर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. साथ में होना 2. साथ रहना।

सहवर्ती (सं.) [वि.] 1. साथ में रहने या होने वाला; निकटस्थ 2. किसी के साथ वर्तमान रहने वाला; समकालीन।

सहवास (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के साथ रहना; एकत्र बसना; एक ही आवास में साथ-साथ रहना 2. काम-क्रीड़ा; रति; संभोग।

सहवासी (सं.) [वि.] साथ रहने वाला। [सं-पु.] संगी; साथी; मित्र; दोस्त।

सहशिक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] बालकों एवं बालिकाओं को एक साथ दी जाने वाली शिक्षा; (को-एजुकेशन)।

सहसंबंध (सं.) [सं-पु.] परस्पर संबंध; आपसी ताल्लुक।

सहसा (सं.) [अव्य.] अचानक; अकस्मात; एकाएक; एकदम; शीघ्रता से; तीव्र वेग से।

सहसान (सं.) [सं-पु.] 1. मयूर; मोर 2. यज्ञ। [वि.] सहनशील।

सहस्र (सं.) [वि.] 1. संख्या '1000' का सूचक 2. {ला-अ.} बहुत; अनेक; अनंत; अगणित।

सहस्रदल (सं.) [सं-पु.] हज़ार दलोंवाला अर्थात कमल; शतपत्र। [वि.] सहस्त्र पंखुड़ियों वाला।

सहस्रपाद (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. विष्णु 3. महाभारत में उल्लिखित एक ऋषि 4. सारस नामक पक्षी।

सहस्रफन (सं.) [सं-पु.] शेषनाग। [वि.] अनेक फनवाला।

सहस्रबाहु (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) शिव 2. राजा बलि के सबसे बड़े पुत्र का नाम 3. विष्णु 4. कार्तवीर्य। [वि.] हज़ार भुजाओंवाला।

सहस्रमुखी (सं.) [वि.] हज़ार मुखवाला।

सहस्राक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) इंद्र 2. विष्णु 3. शिव 4. उत्पलाक्षी देवी का पीठ स्थान। [वि.] 1. हज़ार आँखों वाला 2. सतर्क।

सहस्राब्दि (सं.) [सं-स्त्री.] दस शताब्दियों या हज़ार वर्षों का समूह।

सहस्रार (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का कल्पित कमल जो हज़ार दलों का माना जाता है 2. जैन मतानुसार बारहवें स्वर्ग का नाम 3. हठयोग के अनुसार मानव शरीर के भीतर के सात चक्रों में से सातवाँ चक्र जो हज़ार दलों का माना गया है 4. विचार और शारीरिक विकास करने वाली ग्रंथियों का केंद्र।

सहस्रार्जुन (सं.) [सं-पु.] हैहय वंश में उत्पन्न एक पौराणिक राजा जिसे परशुराम ने मारा था; कार्तवीर्य अर्जुन।

सहस्री (सं.) [वि.] जिसके पास हज़ार योद्धा, घोड़े, हाथी आदि हों; हज़ार रुपए के मूल्य का।

सहस्वामित्व (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु पर एकाधिक व्यक्तियों का एक साथ मान्य अधिकार या समान प्रभुत्व; साझेदारी; (को-ओनरशिप)।

सहांश (सं.) [सं-पु.] किसी के साथ रहने या होने पर मिलने वाला अंश या भाग।

सहाध्यायी (सं.) [सं-पु.] साथ-साथ अध्ययन करने वाले विद्यार्थी; सहपाठी। [वि.] किसी के साथ अध्ययन करने वाला या जिसने किसी के साथ अध्ययन किया हो।

सहानुभूति (सं.) [सं-स्त्री.] किसी के दुःख आदि की अनुभूति; हमदर्दी; संवेदना; किसी दुखी व्यक्ति के प्रति प्रकट की जाने वाली दया; करुणा।

सहाय (सं.) [सं-पु.] 1. सहचर; साथी 2. जो दूसरों की सहायता करता हो 3. मित्र 4. संरक्षक 5. आश्रय।

सहायक (सं.) [वि.] 1. किसी की सहायता करने वाला; मदद देने वाला; मददगार 2. किसी कार्य को करने में प्रयुक्त साधन 3. किसी अधिकारी आदि के मातहत; (असिस्टेंट)।

सहायता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहाय होने की अवस्था या भाव 2. सहयोग; मदद; अनुदान।

सहायतार्थ (सं.) [अव्य.] 1. सहायता के निमित्त 2. किसी संस्था, न्यास या व्यक्ति को सहयोग की दृष्टि से दिया जाने वाला धन या वस्तु।

सहारा (सं.) [सं-पु.] 1. अवलंब; आधार; टेक; आश्रय 2. सहायता; मदद 3. समर्थन 4. भरोसा 5. ऐसी बात, व्यक्ति या वस्तु जिससे किसी कार्य को करने में सहायता मिले।

सहालग (सं.) [सं-पु.] 1. वह वर्ष जो ज्योतिष के हिसाब से शुभ माना जाता है 2. वे मास या दिन जिसमें विवाह के मुहूर्त हों; शादी, विवाह आदि के शुभ दिन।

सहिक (सं.) [सं-पु.] 1. वह कथन जिसमें किसी मत या सिद्धांत का दृढ़तापूर्वक निरूपण किया गया हो 2. ऐसी प्रतिकृति जो ठीक मूल आकृति जैसी हो। [वि.] 1. जो सचमुच वर्तमान हो; सत्ता से युक्त; वास्तविक 2. निःसंकोच; निश्चित; निर्द्वंद्व 3. गणित में 'शून्य' की अपेक्षा अधिक, जिसे 'धन' कहा जाता है।

सहिष्णु (सं.) [वि.] सहनशील; पीड़ा; कष्ट आदि सहन करने की क्षमता से युक्त; क्षमाशील।

सहिष्णुता (सं.) [सं-स्त्री.] सहिष्णु होने की अवस्था, गुण या भाव; सहनशीलता; क्षमाशीलता।

सही (अ.) [वि.] 1. जो झूठ या मिथ्या न हो 2. यथार्थ; वास्तविक 3. शुद्ध; ठीक 4. सत्य; सच; प्रामाणिक 5. उपयुक्त और सुंदर 6. सत्य या ठीक होने का सूचक चिह्न 7. हस्ताक्षर।

सही-सलामत (अ.) [वि.] 1. जिसे कोई रोग या विकार न हो; निरोग; भला चंगा; स्वस्थ 2. जिसमें कोई दोष या न्यूनता न आई हो; दोषरहित 3. निरापद; सुरक्षित। [क्रि.वि.] 1. सकुशल 2. कुशलपूर्वक।

सहूलियत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सुभीता; सुविधा 2. व्यवहार या आचरण में सभ्यता या नरमी।

सहृदय (सं.) [वि.] 1. कोमल हृदयवाला; जो दूसरों के सुख-दुख की अनुभूति करता हो; दयालु 2. सदैव प्रसन्न रहने वाला; प्रसन्नचित्त 3. साहित्य का प्रेमी; रसिक 4. सच्चा 5. भला; सज्जन; समझदार।

सहृदयता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहृदय होने की अवस्था, गुण या भाव 2. दयालुता 3. कोमलता 4. रसज्ञता।

सहेजना (अ.) [क्रि-स.] सँजोना; सँभालना; करीने से चीज़ों को रखना।

सहेजवाना [क्रि-स.] सहेजने के कार्य में दूसरे को प्रवृत्त करना या सहेजने का काम दूसरे से कराना।

सहेतुक (सं.) [वि.] जिसका कोई हेतु हो; जिसका कुछ उद्देश्य या मतलब हो।

सहेली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साथ में रहने वाली स्त्री; सहचरी 2. संगिनी; मित्र; सखी 3. {अ-अ.} गौरैया जैसी एक छोटी चिड़िया।

सहोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का काव्यालंकार जिसमें 'सह', 'संग', 'साथ' आदि शब्दों का व्यवहार होता है, अनेक कार्य साथ ही होते हुए दिखाए जाते हैं तथा इन कार्यों में क्रिया प्रायः एक ही होती है।

सहोदर (सं.) [सं-पु.] सगा भाई। [वि.] 1. एक ही माँ के गर्भ से उत्पन्न 2. संबंध के विचार से सगा।

सह्य (सं.) [वि.] 1. जो सहा जा सके; सहने योग्य 2. सहन करने में समर्थ।

सह्याद्रि (सं.) [सं-पु.] दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध पर्वत जो महाराष्ट्र प्रांत में है; सतपुड़ा।

सा (सं.) [वि.] 1. तुल्य; बराबर; सादृश्य 2. एक परिणामसूचक शब्द, जैसे- थोड़ा-सा, ज़रा-सा आदि। [अव्य.] 1. समानता होने पर भी कुछ कमी का भाव सूचित करने वाला शब्द 2. किसी की तरह या किसी के प्रकार का; बहुत कुछ मिलता-जुलता 3. निश्चयात्मक सूचना के लिए प्रयुक्त, जैसे- कौन-सा 4. किसी अनिश्चित मात्रा या मान पर ज़ोर देने के लिए प्रयुक्त 5. पूरा न होने पर भी बहुत कुछ। [सं-पु.] (संगीत) षड्ज स्वर का सूचक शब्द।

साँई [सं-पु.] 1. स्वामी; मालिक; ईश्वर; परमात्मा 2. पति 3. मुसलमान फ़कीर।

साँकड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. मोटी चपटी ज़ंजीर की भाँति का एक आभूषण जिसे प्रायः मारवाड़ी स्त्रियाँ पैर में पहनती हैं 2. {ला-अ.} क्षुद्र स्वभाव या वृत्ति का; संकीर्ण।

साँकल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दरवाज़े की कुंडी; ज़ंजीर; सिटकनी 2. शृंखला 3. पशुओं के गले की ज़ंजीर 4. गले में पहनी जाने वाली सोने-चाँदी की ज़ंजीर, सिकड़ी।

साँग [सं-पु.] 1. उत्तर प्रदेश का एक लोकनाट्य; स्वाँग 2. जाट जाति में प्रचलित एक गीति काव्य।

साँचा (सं.) [सं-पु.] 1. वह उपकरण जिसमें कोई गीली चीज़ रखकर किसी विशिष्ट आकार-प्रकार की कोई चीज़ बनाई जाती है, जैसे- ईंट या मूर्ति आदि 2. छापा; ठप्पा। [मु.] साँचे में ढला होना : रूप, आकार-प्रकार आदि में अत्यंत सुंदर होना।

साँझ (सं.) [सं-स्त्री.] सूर्यास्त के आस-पास का समय; संध्याकाल; शाम; सायंकाल।

साँठ [सं-पु.] 1. ईख; गन्ना 2. सरकंडा 3. मेल; योग 4. पैरों में पहना जाने वाला साँकड़ा नामक एक आभूषण 5. सोंटा; डंडा 6. फ़सल से अनाज अलग करने के लिए पीटने वाला डंडा।

साँड़ [सं-पु.] 1. बिना बधिया किया हुआ बैल; वृषभ 2. हिंदू धर्म में मृतक की स्मृति में दाग कर छोड़ा हुआ वृषभ। [वि.] 1. शक्तिशाली 2. आवारा; लंपट।

साँप (सं.) [सं-पु.] 1. सर्प; विषधर; एक रेंगने वाला लंबा और ज़हरीला जंतु जो बिलों आदि में रहता है; भुजंग 2. {ला-अ.} समय का लाभ उठाने वाला; दुष्ट और विश्वासघाती। [मु.] -छछूँदर की दशा : दोनों तरफ़ से संकट होना। -सूँघ जाना : बेसुध होना; मरणासन्न होना; एकदम चुप हो जाना।

साँपिन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मादा साँप 2. एक प्रकार का चक्राकार चिह्न या भौंरी जो सामुद्रिक के अनुसार शुभ मानी जाती है 3. {ला-अ.} विश्वासघातिनी स्त्री; दुष्ट स्त्री।

साँभर1 (सं.) [सं-पु.] 1. राजस्थान स्थित खारे पानी की एक झील 2. उक्त झील के पानी से निर्मित लवण 3. एक प्रकार का बारहसिंघा।

साँभर2 (त.) [सं-पु.] मसालेदार दाल जैसा एक प्रकार का दक्षिण भारतीय व्यंजन।

साँय-साँय (सं.) [अव्य.] सन्नाटे की अनुगूँज; निर्जन स्थान में हवा चलने से होने वाली 'सन-सन' ध्वनि।

साँवरिया [सं-पु.] 1. प्यारा; प्रियतम; पति; सनम 2. लोकभाषा में कृष्ण का एक प्रचलित नाम। [वि.] श्याम वर्ण का; साँवला।

साँवला (सं.) [सं-पु.] 1. हलका काला रंग 2. कृष्ण 3. प्रेमी; साजन। [वि.] जिसका रंग हलका काला या कुछ-कुछ काला हो; कृष्ण वर्ण का; श्याम या श्यामल रंग का।

साँवलापन [सं-पु.] 1. साँवला होने की अवस्था, गुण या भाव 2. वर्ण की श्यामता या श्यामलता।

साँवली (सं.) [वि.] श्याम वर्ण की; साँवले रंग की; श्यामा।

साँवाँ (सं.) [सं-पु.] ज्येष्ठ मास में तैयार होने वाली कंगनी या चेना की जाति का एक प्रकार का अन्न जो घटिया और सस्ता होता है।

साँस (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाक या मुँह के द्वारा बाहर से खींचकर अंदर फेफड़ों तक और वहाँ से उसे फिर बाहर निकाली जाने वाली हवा; प्राणवायु; श्वास; दम 2. {ला-अ.} बहुत थकने के बाद थोड़ी देर विश्राम के लिए लिया गया अवकाश; फ़ुरसत। [मु.] -उखड़ना : साँस लेने की क्रिया का बीच में कुछ समय के लिए रुकना। -ऊपर-नीचे होना : चिंता, भय आदि के कारण साँस का बीच-बीच में रुकना। -लेना : कार्य करते समय बीच में कुछ देर के लिए सुस्ताना।

साँसत [सं-स्त्री.] 1. बहुत अधिक शारीरिक कष्ट; यातना; पीड़ा 2. मुसीबत; झंझट 3. फ़जीहत; बुरी हालत।

साँसत-घर [सं-पु.] 1. जेल के अंदर की वह छोटी-सी और अंधकारपूर्ण कोठरी जिसमें कैदी को अकेला रखा जाता है; काल-कोठरी 2. प्रकाशरहित और तंग कमरा।

साँसा1 [सं-पु.] 1. साँस; श्वास 2. जीवन; ज़िंदगी।

साँसा2 (सं.) [सं-पु.] 1. संशय; संदेह; शक 2. भय; डर 3. चिंता; फ़िक्र।

साँसी [सं-पु.] एक जंगली और यायावर जाति।

सांकर्य (सं.) [सं-पु.] घालमेल; मिश्रण; घपला; मिलावट।

सांकेतिक (सं.) [वि.] 1. संकेत संबंधी 2. जो संकेत रूप में हो; इशारे का 3. अभिधा से अतिरिक्त किंतु अभिधा से संबंधित अर्थ।

सांख्यिक (सं.) [वि.] अंकों से संबद्ध; अंकों में होने वाला।

सांख्यिकी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी विषय से संबंधित आँकड़े एकत्र करने और उन्हें व्यवस्थित रूप से रखकर कुछ निष्कर्ष निकालने की विद्या 2. इस प्रकार एकत्रित और व्यवस्थित आँकड़ों का समूह; (स्टैटिस्टिक्स)।

सांख्यिकीय (सं.) [वि.] सांख्यिकी से संबंधित।

सांग (सं.) [वि.] सभी अंगों से युक्त; प्रत्येक अवयव से पूर्ण; संपूर्ण; पूरा।

सांगोपांग (सं.) [अव्य.] 1. सभी अंगों, उपांगों से युक्त; संपूर्ण 2. पूरी और ठीक तरह से।

सांघातिक (सं.) [वि.] 1. संघात से संबंधित 2. ऐसा प्रहार जो जान लेवा हो; घातक; ऐसा कार्य जिससे प्राणों पर संकट आ सकता हो; जोखिमभरा; हननकारक।

सांत्वना (सं.) [सं-स्त्री.] दुखी और शोकाकुल व्यक्ति को समझाने-बुझाने और ढाढ़स देने की क्रिया; तसल्ली; आश्वासन; तुष्ट करने वाले शब्द और कथन।

सांद्र (सं.) [वि.] 1. गाढ़ा; घना 2. एक में गुँथा हुआ। [सं-पु.] 1. जंगल; वन 2. झुंड; राशि।

सांध्य (सं.) [वि.] 1. संध्या से संबंधित 2. संध्याकाल में होने वाला।

सांप्रतिक (सं.) [वि.] 1. जो इस समय चल रहा हो; आजकल होने या चलने वाला 2. वर्तमान का 3. जो वर्तमान की आवश्यकता को देखते हुए ठीक हो।

सांप्रदायिक (सं.) [वि.] 1. संप्रदाय संबंधी; (कम्यूनल) 2. किसी संप्रदाय का 3. संकुचित संप्रदाय-निष्ठावाला 4. दूसरे संप्रदाय के प्रति असहिष्णु 5. विभिन्न संप्रदायों के आपसी विरोध के फलस्वरूप होने वाला।

सांप्रदायिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सांप्रदायिक होने का भाव 2. अपने संप्रदाय या धर्म को श्रेष्ठ मानते हुए दूसरे संप्रदाय या धर्म को गलत ठहराना या द्वेष रखना; अपने संप्रदाय के हित और अन्य संप्रदाय के अहित में संलग्न होने का भाव 3. संप्रदायवाद; (कम्यूनलिज़म)।

सांवादिक (सं.) [वि.] 1. संवाद से संबंधित; संवाद का 2. बोलचाल या व्यवहार में प्रचलित 3. समाचार या ख़बर से संबंध रखने वाला। [सं-पु.] 1. संवाददाता; पत्रकार 2. समाचार पत्र-पत्रिका बेचने वाला।

सांसद (सं.) [सं-पु.] संसद का सदस्य। [वि.] जो संसद या उसकी मर्यादा के अनुकूल हो; पूर्णभद्रोचित।

सांसर्गिक (सं.) [वि.] 1. संसर्ग से संबंधित 2. संसर्ग से होने वाला; संसर्गजन्य; संपर्कजन्य।

सांसारिक (सं.) [वि.] संसार का; लौकिक; ऐहिक; जिसका संबंध संसार की विषयों एवं वस्तुओं से हो।

सांसारिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सांसारिक होने का भाव 2. दुनियादारी 3. भवचक्र; भवजाल; मायाजाल।

सांस्कृतिक (सं.) [वि.] संस्कृति से संबंध रखने वाला; संस्कृति संबंधी।

साइंटिस्ट (इं.) [सं-पु.] 1. एक या एकाधिक विज्ञान की अद्यतन जानकारी रखने वाला व्यक्ति; विज्ञान का ज्ञाता; विज्ञान वेत्ता; वैज्ञानिक 2. तार्किक एवं क्रमिक रूप से विचार या कार्य करने वाला व्यक्ति।

साइंस (इं.) [सं-पु.] 1. ऐसा विषय जिसमें रसायन, भौतिकी एवं प्राणी-जगत का ज्ञान निहित होता है 2. किसी विषय या वस्तु का क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित ज्ञान।

साइकिल (इं.) [सं-स्त्री.] 1. दो पहियों वाली एक हलकी सवारी; (बाइसिकिल); दोनों पैरों से चलाई जाने वाली; पैर-गाड़ी 2. घटना-चक्र; घटना-आवर्तन।

साइकोलॉजी (इं.) [सं-पु.] व्यक्तियों के मन की प्रकृति; वृत्तियों आदि का अध्ययन एवं विवेचन करने वाला विज्ञान; मनोविज्ञान; मनोभाव विद्या; (साइकॉंलजी)।

साइत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मुहूर्त; शुभ समय 2. पल; क्षण; घड़ी।

साइन (इं.) [सं-पु.] 1. हस्ताक्षर 2. किसी भावी घटना का पूर्व संकेत 3. चिह्न।

साइनबोर्ड (इं.) [सं-पु.] किसी संस्था या प्रतिष्ठान आदि के नाम और पते को सूचित करने वाला पट या तख़ता; नामपट्ट।

साइनाइड (इं.) [सं-पु.] एक विषैला रासायनिक पदार्थ।

साई1 [सं-स्त्री.] किसी कार्य के संपादन के लिए बात पक्की होने पर दिया जाने वाला अग्रिम धन; पेशगी; बयाना; हलवाई, गाने-बजाने वाले आदि से किसी कार्यक्रम की बात पक्की होने पर दिया जाने वाला अग्रिम धन।

साई2 (अ.) [वि.] कोशिश करने वाला; प्रयत्नशील।

साईस (अ.) [सं-पु.] वह जो घोड़े की देख-रेख करता है; घोड़े का रख रखाव करने वाला व्यक्ति।

साक (सं.) [सं-पु.] शाक; सब्ज़ी; साग; भाजी; तरकारी।

साकला (सं.) [सं-पु.] दे. साकल्य।

साकल्य (सं.) [सं-पु.] 1. जौ, तिल आदि के दानों का मिश्रण जिससे हवन किया जाता है 2. सकल या संपूर्ण की अवस्था या भाव; संपूर्णता; सकलता; समग्रता का भाव।

साका (सं.) [सं-पु.] 1. संवत; शाका 2. ख्याति; कीर्ति; यश 3. धाक; रोब; दबदबा 4. कोई बड़ा कार्य जिसे करने वाले की बहुत प्रसिद्धि हो 5. कीर्तिस्मारक। [मु.] -चलाना या बाँधना : धाक या रोब जमाना।

साकार (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई आकार हो 2. ऐसा अमूर्त तत्व जो मूर्त रूप धारण करके पृथ्वी पर अवतरित हुआ हो 3. ऐसी योजना जिसे क्रियात्मक आकार या रूप प्राप्त हुआ हो 4. स्थूल।

साकिन (अ.) [वि.] 1. स्थान विशेष का निवासी 2. स्थिर; अचल; गतिहीन।

साकी (अ.) [सं-पु.] 1. वह जो लोगों को पीने के लिए शराब का पात्र भरकर देता हो 2. वह जो दूसरों को हुक्का पिलाता हो 3. {ला-अ.} प्रेमिका या प्रिया के लिए प्रयुक्त शब्द।

साकेत (सं.) [सं-पु.] अयोध्या का प्राचीन नाम; उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के किनारे स्थित एक हिंदू तीर्थ स्थान; अयोध्या।

साक्ष (सं.) [वि.] 1. अक्ष या नेत्रयुक्त; आँखों वाला 2. अक्षमाला या जप के मनकों से युक्त।

साक्षर (सं.) [वि.] 1. शिक्षित; (लिटरेट) 2. अक्षरों से युक्त 3. अक्षरों को लिखने एवं पढ़ने में सक्षम।

साक्षरता (सं.) [सं-स्त्री.] साक्षर होने की अवस्था या भाव; (लिटरेसी)।

साक्षात (सं.) [वि.] मूर्तिमान; साकार। [अव्य.] 1. आँखों के सामने; प्रत्यक्ष 2. सम्मुख या मुँह की सीध में 3. शरीरधारी व्यक्ति के रूप में 4. सीधे; बिना किसी माध्यम के।

साक्षात्कार (सं.) [सं-पु.] 1. आँखों के सामने उपस्थित होना; सामने आना 2. भेंट; मुलाकात 3. मिलन; देखा-देखी 4. अनुभूति; ज्ञान।

साक्षी (सं.) [सं-स्त्री.] किसी बात को प्रमाणित करने के लिए दी जाने वाली गवाही। [वि.] जिसने घटना आदि को घटते हुए अपनी आँखों से देखा हो; प्रत्यक्षदर्शी; चश्मदीद।

साक्ष्य (सं.) [सं-पु.] 1. जो कुछ आँखों से देखा गया हो 2. उक्त दृश्य का कथन; प्रमाण; गवाही।

साक्ष्य-प्रविधि (सं.) [सं-स्त्री.] वह कानून जिसमें साक्ष्य या सबूत देने के नियमों आदि की व्यवस्था हो; (लॉ ऑव एविडेंस)।

साक्ष्य-विधान [सं-पु.] दे. साक्ष्य-प्रविधि।

साक्ष्यांकन (सं.) [सं-पु.] किसी पत्र, लेख, हस्ताक्षर आदि के संबंध में साक्षी के रूप में लिखवाना कि यह सही और वास्तविक है; प्रमाणीकरण।

साख (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धाक; रोब 2. वह मर्यादा या प्रतिष्ठा जिसके कारण कोई व्यक्ति लेन देन कर सकता हो; लेन-देन का खरापन या प्रामाणिकता 3. विश्वास; भरोसा।

साखी (सं.) [सं-पु.] 1. साक्षी; गवाह; प्रत्यक्षदर्शी; (विटनस) 2. वह जो आपसी झगड़ों का निपटारा करता है; पंच 3. मित्र; दोस्त। [सं-स्त्री.] 1. साक्ष्य; गवाही 2. संतों की वाणी; ज्ञान संबंधी दोहे या पद, जैसे- कबीर की साखी 3. संस्मरण। [मुहा.] -पुकारना : गवाही देना।

साखू (सं.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध वृक्ष जिसकी लकड़ी इमारत बनाने के काम आती है; शालवृक्ष। [सं-स्त्री.] साखू की लकड़ी।

साख्ता (फ़ा.) [वि.] 1. बनाया हुआ; निर्मित 2. कृत्रिम 3. कूट; नकली; जाली।

साग (सं.) [सं-पु.] 1. कुछ विशिष्ट प्रकार के पौधों की पत्तियाँ जिन्हें सब्ज़ी की तरह पका कर खाया जाता है; शाक 2. तरकारी; भाजी।

साग-पात [सं-पु.] 1. रूखा-सूखा भोजन 2. पकाई हुई भाजी या तरकारी 3. खाने योग्य शाक, पत्ते आदि 4. {ला-अ.} तुच्छ या हेय वस्तु। [मु.] -समझना : बहुत ही तुच्छ या निकम्मा समझना।

सागर (सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र; जलधि; उदधि 2. गहरा एवं अथाह जल 3. संन्यासियों का एक भेद 4. एक प्रकार का मृग।

सागरसुता (सं.) [सं-पु.] लक्ष्मी।

सागवान (सं.) [सं-पु.] दे. सागौन।

सागूदाना [सं-पु.] साबूदाना।

सागौन (सं.) [सं-पु.] वर्ष भर हरा रहने वाला एक प्रसिद्ध वृक्ष जिसकी लकड़ी मेज़, कुरसी, दरवाज़े का पल्ला आदि बनाने में प्रयुक्त की जाती है; सागवान।

साग्र (सं.) [वि.] आदि से लेकर आरंभ तक; पूरा; सब; कुल; समग्र।

साग्रह (सं.) [क्रि.वि.] आग्रहपूर्वक; निवेदन के साथ; ज़ोर देकर।

साचित्य (सं.) [सं-पु.] 1. सचेत होने की अवस्था या भाव 2. सचेतता; सजगता; (कॉशन)।

साज़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सजाने की क्रिया या भाव 2. सजावट की सामग्री 3. सज्जा; सजावट; सज-धज 4. संगीत में प्रयुक्त वाद्य यंत्र 5. युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले अस्त्र-शस्त्र; युद्ध सामग्री; आयुध 6. सवारी के लिए घोड़े को तैयार करने का सामान 7. मेलजोल 8. अनुकूलता। [वि.] बनाने वाला; मरम्मत करने वाला।

साज़गार (फ़ा.) [वि.] 1. अनुकूल; उपयुक्त 2. मुबारक; शुभान्वित 3. जो बात पसंद या रास आ जाए।

साजन (सं.) [सं-पु.] 1. पति; स्वामी 2. प्रेमी 3. सज्जन; सुजन 4. ईश्वर।

साज़-बाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] मिली-भगत; साज़िश; साँठगाँठ।

साज़-संगीत (फ़ा.+सं.) [सं-पु.] वाद्य-संगीत; 'कंठ-संगीत' से भिन्न।

साज़-सज्जा (फ़ा.+सं.) [सं-स्त्री.] सजावट की सामग्री।

साज़-सामान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सामग्री; उपकरण; असबाब 2. सजावट की सामग्री 3. ठाट-बाट।

साज़िदा (फ़ा.) [सं-पु.] साज़ बजाने वाला।

साज़िश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] षड्यंत्र; कुचक्र; किसी को हानि पहुँचाने की गुप्त योजना; दुरभिसंधि।

साज़िशकर्ता (फ़ा.+सं.) [सं-पु.] साज़िश करने वाला व्यक्ति। [वि.] साज़िश करने वाला; षड्यंत्री; कुचक्री।

साज़िशी (फ़ा.) [वि.] 1. साज़िश करने वाला; षड्यंत्री; कुचक्री; चक्रांतकारी 2. साज़िश से संबद्ध।

साझा (सं.) [सं-पु.] हिस्सेदारी; भागीदारी; साझेदारी; भाग; हिस्सा।

साझा-पत्ती [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य, व्यापार या लाभ में होने वाली हिस्सेदारी 2. कुछ लोगों में किसी वस्तु का होने वाला बँटवारा।

साझी (सं.) [सं-पु.] 1. हिस्सेदार; भागीदार; साझेदार 2. व्यापार आदि में जिसका हिस्सा हो।

साझेदार [सं-पु.] 1. हिस्सेदार; भागीदार; शरीक होने वाला; साझी 2. व्यापार आदि में जो भागीदार या हिस्सेदार हो।

साझेदारी [सं-स्त्री.] 1. साझेदार होने की अवस्था या भाव 2. हिस्सेदारी; भागीदारी; साझीदारी।

साटन (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का चिकना व चमकदार कपड़ा; बढ़िया रेशमी कपड़ा।

साटना [क्रि-स.] 1. किसी को किसी काम के लिए गुप्त रूप से अपनी ओर मिलाना 2. जोड़ना; चिपकाना; सटाना।

साटा [सं-पु.] 1. सट्टेबाजी आदि निंदनीय कृत्य से अर्जित किया हुआ धन 2. वह अनुबंध जिससे अनुचित तरीके से धनोपार्जन किया जाए।

साठ [वि.] संख्या '60' का सूचक।

साठ-नाठ [सं-स्त्री.] 1. मेलजोल; सामंजस्य 2. अनुचित संबंध 3. चाल; षड्यंत्र। [वि.] 1. गरीब; निर्धन 2. फीका; नीरस; बेस्वाद 3. नष्ट 4. छिन्न-भिन्न; तितर-बितर।

साठा [वि.] साठ वर्ष की उम्रवाला। [सं-पु.] 1. ईख; गन्ना 2. धान की एक प्रजाति 3. आलू की एक प्रजाति 4. बहुत लंबा चौड़ा खेत 5. एक प्रकार की मधुमक्खी।

साड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] भारतीय स्त्रियों का एक परिधान।

साढ़ी1 [सं-स्त्री.] दूध या दही के ऊपर जमने वाली परत; मलाई।

साढ़ी2 (सं.) [सं-स्त्री.] शाल वृक्ष की गोंद।

साढ़ू (सं.) [सं-पु.] पत्नी की बहन का पति; साली का पति।

साढ़े [वि.] किसी संख्या के सूचक शब्द के साथ लगकर उससे आधे अधिक का सूचक शब्द, जैसे- दस और आधा = साढ़े दस।

साढ़ेसाती [सं-स्त्री.] (ज्योतिष) ऐसी अंधविश्वासपूर्ण धारणा है कि शनि जब किसी राशि से बारहवें, प्रथम तथा दूसरे घर में भ्रमण करता है तब उस राशि पर शनि की साढ़ेसाती कही जाती है। यह दशा अशुभ तथा संकटदायक होती है।

सात [वि.] संख्या '7' का सूचक।

सातत्य (सं.) [सं-पु.] सदा या सतत होते रहने की क्रिया या भाव; निरंतरता।

सात्म्य (सं.) [सं-पु.] 1. एकरूपता; सरूपता 2. प्रकृति के अनुकूल होने का भाव 3. अनुकूल आहार और अभ्यास 4. आयुर्वेद में रोग के पाँच निदानों में से चौथा; उपशम।

सात्वती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाटक की चार प्रकार की वृत्तियों में से एक 2. शिशुपाल की माँ का नाम 3. सुभद्रा का एक नाम।

सात्विक (सं.) [वि.] 1. जिसमें सत्व गुण हो; सतोगुणी; सत्वगुण-प्रधान 2. पवित्र; निर्मल 3. वास्तविक; सत्यनिष्ठ।

सात्विकता (सं.) [सं-स्त्री.] सात्विक होने का भाव; सत्व गुण से पूर्ण होने का भाव।

साथ (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी अवस्था जिसमें दो या उससे अधिक वस्तुएँ निकट स्थित हों 2. मित्रता; मेल; संगति; सहचार 3. समूह।

साथ-साथ (सं.) [अव्य.] 1. एक साथ चलना, रहना आदि 2. समानांतर।

साथिन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साथी स्त्री; साथ रहने वाली स्त्री 2. सखी; सहेली।

साथी (सं.) [सं-पु.] वे दो या अधिक व्यक्ति जिनका आपस में साथ हो; साथ देने वाला; साथ रहने वाला; दोस्त; सखा; संगी; मित्र।

सादगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सादा होने की अवस्था, भाव या गुण 2. सरलता; सादापन; आडंबर या कृत्रिमता का अभाव 3. भोलापन; निश्छलता।

सादर (सं.) [अव्य.] आदरपूर्वक; आदर के साथ; इज़्ज़त से।

सादरा [सं-पु.] एक प्रकार की गायन शैली जिसके पद अनेक राग-रागिनियों में निबद्ध होते हैं।

सादा (फ़ा.) [वि.] 1. बिना किसी अतिरिक्त दिखावे का; आडंबरहीन; जो अपने स्वाभाविक रूप में हो 2. जिसमें किसी प्रकार की उलझन या झंझट न हो; सरल 3. जिसपर किसी प्रकार का अंकन या सजावट न हो; कोरा; बेदाग 4. छल-प्रपंच से रहित; निश्छल 5. सहृदय; भोला।

सादापन (फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] सादा होने की अवस्था, गुण या भाव; सरलता; निष्कपटता।

सादिक (अ.) [वि.] 1. सत्यवादी; सच्चा 2. न्यायनिष्ठ 3. स्वामिभक्त; वफ़ादार 4. ठीक; दुरुस्त।

सादिर (अ.) [वि.] 1. बाहर निकलने वाला 2. जारी किया हुआ (हुक्म आदि)।

सादी1 [सं-स्त्री.] 1. पतंग की बिना माँझे वाली डोर 2. लाल नामक एक पक्षी; मुनियाँ; सदिया।

सादी2 (सं.) [सं-पु.] रथ चलाने वाला व्यक्ति; सारथी।

सादृश्य (सं.) [सं-पु.] 1. सदृश्य या समान होने की अवस्था, गुण या भाव 2. एकरूपता; प्रतिमूर्ति 3. तुल्यता; बराबरी।

साध (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लालसा; मन्नत; अभिलाषा 2. किसी स्त्री के गर्भवती होने पर सातवें महीने में होने वाला एक उत्सव। [सं-पु.] 1. साधु; संत 2. सज्जन 3. उत्तर भारत का एक संप्रदाय।

साधक (सं.) [सं-पु.] 1. योगी; तपस्वी 2. साधन; ज़रिया। [वि.] 1. साधना करने वाला 2. कार्य आदि में सहायता देने वाला; सहायक 3. साधन के रूप में होने वाला।

साधन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य को पूर्ण करने का ज़रिया या माध्यम 2. किसी कार्य को पूरा करने की युक्ति या तरकीब 3. किसी वस्तु आदि को तैयार करने का सामान; सामग्री।

साधना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कार्य सिद्ध या संपन्न करने की क्रिया 2. एकाग्र तप; कठिन परिश्रम 3. सिद्धि 4. आराधना; उपासना 5. तीर से निशाना लगाना; शरसंधान।

साधनात्मक (सं.) [वि.] जो साधना के उद्देश्य से हुआ हो।

साधनाश्रम (सं.) [सं-पु.] वह स्थान या आश्रम जहाँ योग या साधना की जाती हो।

साधनिक (सं.) [वि.] 1. साधन संबंधी; साधन का 2. (वह व्यक्ति) जो किसी राज्य या संस्था के प्रबंध, कार्य आदि से संबंध रखता है 3. एक या एकाधिक साधनों से युक्त।

साधनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीवार या भूमि की सतह की सीध नापने का एक औज़ार जो लोहे या लकड़ी का बना होता है 2. राज; मेमार।

साधर्म्य (सं.) [सं-पु.] समान धर्म, स्वभाव, पद या गुण से युक्त होने की अवस्था या भाव; एकधर्मता।

साधार (सं.) [वि.] 1. आधार या नींव पर स्थित; किसी पर टिका हुआ; आश्रित; जिसका कोई आधार हो; आधारयुक्त 2. तथ्य पर आधारित (विचार या कथन); तथ्यपूर्ण।

साधारण (सं.) [वि.] 1. सामान्य; आम; औसत दरजे का 2. प्रकार या प्रकृति आदि की दृष्टि से अन्य देश-काल जैसा; सार्वत्रिक; सार्वलौकिक 3. जिसमें औरों की अपेक्षा कोई विशेषता या उत्कृष्टता न हो; निर्विशेष 4. सरल; सहज; सुगम।

साधारणतः (सं.) [अव्य.] साधारणतया; सामान्यतया; आमतौर पर; बहुधा; प्रायः।

साधारणतया (सं.) [अ‍व्य.] साधारण रूप से; आम तौर पर; साधारणतः; बहुधा; प्रायः।

साधारणता (सं.) [अव्य.] 1. साधारण होने की अवस्था, गुण, या भाव 2. सामान्य या सार्वजनिक होने का भाव।

साधारणीकरण (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) किसी अवस्था विशेष के उत्पन्न होने पर उसके साथ तादात्म्य स्थापित हो जाना; एकात्मता; सामान्यीकरण; व्यापकीकरण।

साधिकार (सं.) [वि.] 1. आधिकारिक रूप से कहा या किया हुआ 2. जिसे कोई अधिकार प्राप्त हो; अधिकृत। [अव्य.] अधिकारपूर्वक; आधिकारिक रूप से।

साधित (सं.) [वि.] साधा या सिद्ध किया हुआ; शोधित; शुद्ध किया हुआ।

साधी [वि.] साधक; साधने या सिद्ध करने वाला।

साधु (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम आचरण तथा उत्तम प्रकृति वाला पुरुष 2. उत्तम कुल में उत्पन्न व्यक्ति; कुलीन व्यक्ति; आर्य 3. सदाचारी 4. संत; महात्मा 5. सज्जन व भला पुरुष। [वि.] 1. उत्तम; अच्छा; भला 2. विरक्त; धार्मिक; सदाचारी।

साधुता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साधु होने की अवस्था, गुण या भाव; परहित की भावना 2. सज्जनता; साधुपन; भलमनसाहत 3. सरलता; सहजता 4. सीधापन; सिधाई।

साधु भाषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्तम भाषा 2. शिष्ट भाषा।

साधुमती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तांत्रिकों की एक देवी 2. बोधिसत्वों की एक श्रेणी।

साधुवाद (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के उत्तम कार्य के लिए वाह-वाह कह कर शाबाशी देना; प्रशंसा करना 2. शाबाशी या प्रशंसासूचक शब्द।

साधु-संन्यासी (सं.) [सं-पु.] 1. दूसरों के कल्याणार्थ सदैव तत्पर रहने वाला व्यक्ति; संत; महात्मा 2. सांसारिक मोह से विरक्त; त्यागी 3. शांत; सदाचारी; नेक; सज्जन।

साधू (सं.) [सं-पु.] दे. साधु।

साध्य (सं.) [वि.] 1. जिसका साधन हो सके; जो पूरा या सिद्ध किया जा सके 2. आसान; सहज; सुगम 3. चिकित्सा के द्वारा जिसका निवारण किया जा सके 4. जिसका प्रतिकार संभव हो। [सं-पु.] 1. काम करने की योग्यता, शक्ति या सामर्थ्य 2. जिसे सिद्ध करना हो; लक्ष्य या उद्देश्य 3. (न्याय दर्शन) वह जिसका अनुमान किया जाए 4. वह जिसे प्रमाणित किया जाना हो।

साध्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साध्य होने की अवस्था, गुण या भाव 2. शक्यता; संभावना 3. रोग आदि को ठीक किए जाने की स्थिति में होना।

साध्यवसाना [सं-स्त्री.] (साहित्य) लक्षणा का एक भेद जिसमें उपमान को इस प्रकार उपस्थित किया जाता है कि उपमेय से उसका कोई भेद नहीं रह जाता है।

साध्यवाद (सं.) [सं-पु.] एक विचारधारा या सिद्धांत जो यह मानता है कि प्रत्येक कार्य के पीछे कोई न कोई उद्देश्य अवश्य रहता है।

साध्या (सं.) [सं-स्त्री.] किसी दीवानी मुकदमे आदि में वे विचारणीय बातें जिसे एक पक्ष मानता हो और जिन्हें दूसरा पक्ष न मानता हो।

साध्वी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जैन भिक्षुणी 2. पतिव्रता स्त्री; नारी। [वि.] पवित्र आचरणवाली; शुद्ध आचरणवाली।

सान (सं.) [सं-पु.] पत्थर का वह गोलाकार टुकड़ा जिसपर रगड़कर धारदार हथियारों की धार तेज़ की जाती है।

सानंद (सं.) [क्रि.वि.] प्रसन्नता के साथ; आनंदपूर्वक। [वि.] आनंदित; प्रसन्न। [सं-पु.] 1. एक प्रकार की समाधि 2. (संगीत) सोलह प्रकार के ध्रुवकों में से एक।

सानना [क्रि-स.] 1. दो वस्तुओं को आपस में मिलाना; मिश्रित करना; सम्मिलित करना 2. गूँथना 3. {ला-अ.} किसी व्यक्ति को अपराध आदि में लपेटना या सम्मिलित करना।

सानी1 (सं.) [सं-स्त्री.] वह भोजन जो पानी में सानकर पशुओं को देते हैं; भूसे में पानी, चोकर आदि मिला कर तैयार किया हुआ चारा।

सानी2 (अ.) [वि.] 1. दूसरा 2. बराबरी का; मुकाबले का; जोड़ का; समान; तुल्य।

सानी-चारा [सं-पु.] मवेशियों के लिए सानकर तैयार किया गया भोजन; पशुओं का भूसी, खली आदि मिला हुआ चारा।

सानु (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत शिखर 2. छोर; सिरा 3. पत्थर 4. जंगल; वन 5. पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि 6. मुनि; विद्वान 7. मार्ग 8. सूर्य। [वि.] 1. लंबा-चौड़ा 2. सपाट; चौरस।

सानुज (सं.) [क्रि.वि.] अनुज अर्थात छोटे भाई के साथ। [सं-पु.] 1. तुंबुरु नामक वृक्ष 2. प्रपौंड्रिक नामक वृक्ष; पुंडेरी।

सानुनासिक (सं.) [वि.] 1. ऐसे वर्ण या अक्षर जिनके उच्चारण में मुँह के अतिरिक्त नाक से अनुस्वरात्मक ध्वनि निकलती है 2. नाक के योग से बोलने या गाने वाला।

सानुपातिक (सं.) [वि.] अनुपात सहित।

सानुप्रास (सं.) [वि.] जिसमें अनुप्रास हो; अनुप्रास से युक्त।

सान्निध्य (सं.) [सं-पु.] 1. समीप होने की अवस्था या भाव; सामीप्य; निकटता 2. मोक्ष का एक प्रकार।

सापेक्ष (सं.) [वि.] 1. किसी की अपेक्षा करने वाला; आपेक्षिक; अपेक्षासहित 2. जो दूसरे पर आधारित या आश्रित हो; दूसरे पर अवलंबित; परावलंबित।

सापेक्षता (सं.) [सं-स्त्री.] सापेक्ष होने की क्रिया, अवस्था या भाव।

सापेक्षवाद (सं.) [सं-पु.] 1. वह सिद्धांत या विचारधारा जिसमें दो वस्तुओं या दो बातों को एक दूसरे का अपेक्षक माना जाता है 2. आइंस्टाइन द्वारा प्रतिपादित एक सिद्धांत; सापेक्षतावाद; आपेक्षिकतावाद; (थ्योरी ऑव रिलेटिविटी)।

साप्ताहिक (सं.) [वि.] 1. सप्ताह संबंधी 2. हर सातवें दिन होने वाला; हफ़्तेवार; (वीकली)।

साफ़ (अ.) [वि.] 1. धूल या मैल आदि से रहित; निर्मल; स्वच्छ; उज्ज्वल 2. दोष या विकार से रहित; बेदाग; निष्कलंक; निर्दोष 3. जिसमें किसी प्रकार का कोई खोट या मिलावट न हो; शुद्ध; पवित्र; ख़ालिस 4. निश्छल; निष्कपट 5. असंदिग्ध; निश्चित 6. पढ़ने, सुनने, समझने में सहज 7. समतल; बराबर 8. दो टूक; पक्का 9. {ला-अ.} जिसमें कुछ भी सामर्थ्य न बचा हो 10. {ला-अ.} पूरी तरह से समाप्त किया हुआ (खाद्य पदार्थ आदि) 11. {ला-अ.} पूरी तरह चुकता किया हुआ (ऋण आदि)। [अव्य.] 1. कुशलतापूर्वक; सफ़ाई से 2. खुले तौर पर 3. स्पष्ट रूप से 4. निर्दोष भाव से 5. निरा; बिलकुल।

साफ़गोई (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] बात को बिना लाग-लपेट के कहना; बिलकुल साफ़-साफ़ कहना; स्पष्टवादिता।

साफल्य (सं.) [सं-पु.] 1. सफल होने की अवस्था या भाव 2. सफलता; कामयाबी 3. कृतकार्यता 4. लाभ; प्राप्ति।

साफ़-सुथरा (अ.+हिं.) [वि.] स्वच्छ; निर्मल; बेदाग; जो पूर्णतया स्वच्छ हो।

साफ़ा (अ.) [सं-पु.] 1. सिर पर बाँधने के काम में लाया जाने वाला एक प्रकार का कपड़ा; पगड़ी; मुरेठा 2. कपड़ों में साबुन लगाकर साफ़ करने की क्रिया।

साफ़ी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. रूमाल; दस्ती 2. छानने का कपड़ा 3. गाँजा पीने की चिलम के नीचे लपेटा जाने वाला कपड़ा 4. सफ़ाई के काम में आने वाला कपड़ा। [वि.] शुद्ध करने वाला।

साबर (सं.) [सं-पु.] 1. साँभर मृग का चमड़ा 2. शबर नामक एक जाति 3. एक मंत्र जिसे शिवकृत माना जाता है 4. मिट्टी खोदने का एक औज़ार; सबरी।

साबिक (अ.) [वि.] जो व्यतीत हो गया हो; पिछला; पूर्व का; गत।

साबिका (अ.) [सं-पु.] जान-पहचान; पारस्परिक व्यवहार के कारण होने वाला संबंध, संपर्क या सरोकार।

साबित (फ़ा.) [वि.] प्रमाणित; सिद्ध; जिसका सबूत या प्रमाण मिल चुका हो।

साबिर (अ.) [वि.] 1. हर परिस्थिति में दैवीय शक्ति पर निर्भर रहने वाला 2. सब्र करने वाला; सहनशील।

साबुत (फ़ा.) [वि.] 1. जो खंडित न हुआ हो; जो पूर्ण इकाई के रूप में हो; अखंड 2. संपूर्ण; सब; समस्त; समूचा 3. ठीक; दुरुस्त।

साबुन (अ.) [सं-पु.] शरीर या कपड़े आदि पर जमे मैल को साफ़ करने के लिए प्रयुक्त एक प्रसाधन; (सोप)।

साबूदाना [सं-पु.] सागू नामक वृक्ष के तने के गूदे को पीसकर तैयार किए गए आटे से निर्मित दाना; सागूदाना।

साभार (सं.) [अव्य.] आभार के साथ; कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए; अहसान प्रकट करते हुए।

साभिप्राय (सं.) [वि.] 1. अभिप्राय सहित; अभिप्राय से युक्त 2. जिसका कोई विशेष उद्देश्य या प्रयोजन हो 3. जानबूझकर किया हुआ 4. विशेष अर्थयुक्त।

साम (सं.) [सं-पु.] 1. सामवेद 2. सामवेद का हर मंत्र 3. विरोधी या विपक्षी को मीठी तथा संतुष्ट करने वाली बातों द्वारा अपने पक्ष में करने की नीति।

सामंजस्य (सं.) [सं-पु.] 1. तालमेल; अनुकूलता 2. समंजस होने की अवस्था या भाव 3. अनुरूपता; उपयुक्तता 4. मेल; संगति; एकरसता।

सामंजस्यमूलक [वि.] अनुकूलता पर आधारित।

सामंत (सं.) [सं-पु.] 1. किसी राजा के अधीन रहने वाला ऊँचे ओहदे वाला सरदार जो अपने क्षेत्र में राजा जैसा ही व्यवहार करता हो; राजा को कर देने वाला अधिकार भोगी भू-प्रमुख 2. वीर; योद्धा। [वि.] 1. सीमा पर रहने वाला 2. पड़ोस में रहने वाला।

सामंतवाद (सं.) [सं-पु.] वह शासन प्रणाली जिसके अंतर्गत सामंतों या ज़मींदारों आदि को कृषि भूमि एवं किसानों से संबंधित बहुत अधिक अधिकार प्राप्त होते थे और इसके बदले में वे राज्य को आर्थिक एवं सैन्य सहायता देते थे; (फ़्यूडल सिस्टम)।

सामंतवादी (सं.) [वि.] 1. सामंतवाद से संबंधित 2. सामंती; सामंतवाद का 3. सामंतवाद का समर्थक।

सामंती (सं.) [वि.] सामंत का; सामंत से संबद्ध। [सं-स्त्री.] सामंत होने की अवस्था या भाव; पद।

सामग्री (सं.) [सं-स्त्री.] वे आवश्यक वस्तुएँ जो किसी काम में प्रयुक्त होती हैं; सामान; माल; असबाब; साधन।

सामधेनी (सं.) [सं-स्त्री.] यज्ञ या हवन में आग प्रज्वलित करने तथा हवा करने के लिए प्रयोग में आने वाली बाँस की नली।

सामना [सं-पु.] 1. किसी के समक्ष होने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. भेंट; मुलाकात 3. प्रतियोगिता; मुकाबला 4. लड़ाई; मुठभेड़; भिड़ंत।

सामने (सं.) [अव्य.] 1. सम्मुख; आगे; सीधे 2. किसी की उपस्थिति में; समक्ष; मौजूदगी में।

सामयिक (सं.) [वि.] 1. समय से संबंधित 2. वर्तमान समय का; समकालीन; समयानुसार 3. अवसर या समय के हिसाब से उचित, उपयुक्त और ठीक; अवसरानुकूल 4. मौसमी 5. बहुचर्चित।

सामयिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामयिक या समकालीन होने की अवस्था या भाव 2. वर्तमान समय या परिस्थिति आदि के विचार से उपयुक्त दृष्टिकोण या सोच।

सामरिक (सं.) [वि.] समर या युद्ध से संबंधित; युद्ध का।

सामर्थ्य (सं.) [सं-पु.] 1. समर्थ होने की अवस्था या भाव 2. शक्ति; ताकत 3. योग्यता; क्षमता।

सामर्थ्यवान (सं.) [वि.] जो समर्थ हो; शक्तिशाली।

सामवेद (सं.) [सं-पु.] आर्यों के चार वेदों में से तीसरा जिसमें यज्ञ आदि के समय गाए जाने वाले स्तोत्र हैं।

सामवेदी (सं.) [सं-पु.] सामवेद का ज्ञाता और अनुयायी व्यक्ति।

सामाजिक (सं.) [वि.] 1. समाज से संबंध रखने वाला; समाज संबंधी; (सोशल) 2. समाज के संपर्क से होने वाला 3. सभ्य 4. प्राचीन काल में 'सभा' नामक संस्था से संबंध रखने वाला। [सं-पु.] 1. (साहित्य) काव्य, नाटक आदि का श्रोता या दर्शक; रसिक; सहृदय 2. प्राचीन काल में 'सभा' नामक संस्था का सदस्य 3. जीविकोपार्जन के लिए तरह-तरह के खेल-तमाशे दिखाने वाला व्यक्ति 4. उक्त खेल-तमाशे के दर्शक।

सामाजिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामाजिक होने की अवस्था या भाव; लौकिकता 2. सामाजिक संबंधों का निर्वाह 3. मनुष्य में सामाजिक बनने की प्रवृत्ति।

सामाजीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. समाज के रीति-रिवाज, परंपरा आदि के अनुरूप स्वयं को ढालने की क्रिया 2. समाजशास्त्र एवं मनोविज्ञान का एक सिद्धांत।

सामान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य आदि में उपयोगी वस्तुएँ; उपकरण; सामग्री 2. गृहस्थी के उपयोग की वस्तुएँ; माल; असबाब।

सामान्य (सं.) [सं-पु.] समानता; सादृश्य। [वि.] 1. साधारण; मामूली; आम; अदना; जिसमें कोई विशेषता न हो 2. क्षुद्र; तुच्छ।

सामान्यतः (सं.) [अव्य.] सामान्य या साधारण रीति से; साधारणतः; आम तौर से; मामूली तौर से।

सामान्यतया (सं.) [अव्य.] सामान्य रूप से; आमतौर से; सामान्यतः; प्रायः।

सामान्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (साहित्य) वह नायिका जो धन लेकर किसी से प्रेम करती है 2. ऐसी स्त्री जो सर्वसाधारण के लिए सुलभ हो; गणिका; वेश्या।

सामान्यीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विशिष्ट तत्व को इस प्रकार प्रस्तुत करना कि वह साधारण प्रतीत हो; साधारणीकरण 2. व्यापकीकरण।

सामासिक (सं.) [वि.] 1. समास संबंधी; समास का 2. सामूहिक; अनेक तत्वों या हिस्सों से बना हुआ 3. मिश्रित; (कंपोज़िट) 4. संक्षिप्त।

सामिष (सं.) [वि.] जिसमें मांस मिला हो; मांस से युक्त; मांस, गोश्त आदि के सहित।

सामी [सं-पु.] अरब, असीरिया, फिनीशिया, बेबीलोन एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्र के निवासी। [सं-स्त्री.] उक्त क्षेत्र की प्राचीन भाषा।

सामीप्य (सं.) [सं-पु.] 1. समीप होने का भाव; समीपता 2. निकटता; अंतरंगता 3. मुक्ति या मोक्ष की एक अवस्था।

सामुदायिक (सं.) [वि.] 1. समुदाय से संबंधित 2. समुदाय का 3. समुदाय में होने वाला 4. समुदाय के प्रयत्न से होने वाला।

सामुदायिक केंद्र (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ लोग सामुदायिक विचार-विमर्श, मनोरंजन आदि के उद्देश्य से एकत्रित होते हैं; समाज-सदन; समाज-भवन।

सामुदायिकता (सं.) [सं-स्त्री.] सामुदायिक होने की स्थिति या भाव; सामूहिकता; एकजुटता।

सामुद्र (सं.) [वि.] 1. समुद्र से उत्पन्न 2. समुद्र का; समुद्र संबंधी।

सामुद्रिक (सं.) [सं-पु.] 1. (ज्योतिष) वह विद्या जिसमें मनुष्य की हथेली की रेखाओं तथा शरीर पर पाए जाने वाले चिह्नों को देखकर शुभाशुभ फल बताए जाते हैं 2. उक्त शास्त्र का विद्वान 3. नाविक। [वि.] समुद्र संबंधी; समुद्र से संबंध रखने वाला।

सामूहिक (सं.) [वि.] 1. समूह संबंधी; समूह से संबंध रखने वाला 2. समूह में एकत्र 3. समूह द्वारा होने वाला या किया जाने वाला।

सामोद (सं.) [वि.] प्रसन्न; ख़ुश; आनंदित; पुलकित।

साम्मुख्य (सं.) [सं-पु.] सामना; मुलाकात; दो या कई व्यक्तियों के आपस में मिलने की क्रिया।

साम्य (सं.) [सं-पु.] 1. समान होने का भाव 2. समानता; सादृश्य 3. बराबरी; एकमतता 4. निष्पक्षता; पक्षपातहीनता।

साम्यभाव (सं.) [सं-पु.] 1. समानता का भाव 2. बराबरी तथा समतुल्यता का भाव।

साम्यमूलक (सं.) [वि.] जिसमें साम्य या समदर्शिता का पालन किया गया हो; साम्यिक।

साम्यवाद (सं.) [सं-पु.] मार्क्स द्वारा स्थापित एक सिद्धांत जो वर्गहीन समाज की स्थापना पर बल देता है तथा जिसके अंतर्गत संपत्ति पर समाज का अधिकार होता है; मार्क्सवाद।

साम्यवादी (सं.) [सं-पु.] साम्यवाद का पक्षधर या समर्थक; मार्क्सवादी; वामपंथी; (कम्यूनिस्ट)। [वि.] साम्यवाद संबंधी; साम्यवाद का।

साम्यावस्था (सं.) [सं-पु.] 1. साम्य या संतुलन की स्थिति 2. (सांख्य दर्शन) सत्व, रज एवं तम तीनों गुणों के समान होने की अवस्था, प्रकृति।

साम्राज्य (सं.) [सं-पु.] 1. एक विशाल राज्य जिसके अधीन अनेक छोटे-छोटे राज्य या देश हों 2. सार्वभौम राज्य; सल्तनत 3. किसी क्षेत्र (स्थान, कार्य आदि) विशेष में स्थापित पूर्ण अधिकार या आधिपत्य।

साम्राज्यवाद (सं.) [सं-पु.] 1. साम्राज्य को बढ़ाने की प्रवृत्ति या नीति; राजनीतिक छल-बल अथवा आर्थिक आधिपत्य द्वारा साम्राज्य स्थापित करने की प्रवृत्ति या नीति 2. एक राष्ट्र का अन्य राष्ट्रों को अपने अधीन कर अपना हित साधने का सिद्धांत।

साम्राज्यवादी (सं.) [सं-पु.] साम्राज्यवाद के सिद्धांतों का अनुयायी या समर्थक व्यक्ति। [वि.] साम्राज्यवाद संबंधी; साम्राज्यवाद का; साम्राज्यवाद के सिद्धांतों का अनुयायी या समर्थक।

सायंकाल (सं.) [सं-पु.] संध्या का समय; शाम; दिन का अंतिम प्रहर।

सायंकालिक (सं.) [वि.] दे. सायंकालीन।

सायंकालीन (सं.) [वि.] संध्याकाल से संबंधित; संध्या के समय का; शाम का।

सायत (अ.) [सं-स्त्री.] किसी कार्य के लिए निश्चित शुभ मुहूर्त; शुभ समय; साइत।

सायन (सं.) [सं-पु.] वर्ष में दो बार आने वाला वह समय (22 मार्च और 22 सितंबर) जब सूर्य के भूमध्य रेखा पर पहुँचने पर दिन और रात दोनों बराबर होते हैं; विषुव; (ईक्वीनॉक्स)। [वि.] 1. जो अयन से युक्त हो 2. (ज्योतिष) जो राशिचक्र की गति पर आश्रित हो।

सायबर कैफ़े (इं.) [सं-पु.] वह केंद्र या स्थान जहाँ शुल्क अदा करके इंटरनेट की सुविधा का उपयोग किया जाता है।

सायबान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मकान के आगे का वह छप्पर जो छाया देने के लिए बनाया गया हो 2. कपड़े आदि का परदा 3. धूप या वर्षा से बचाव के लिए बनाया गया छाजन।

सायर (अ.) [सं-पु.] 1. वह भूमि जिसकी आय पर कर नहीं लगता है 2. अतिरिक्त और फुटकर आय 3. ब्रिटिश शासन काल में जमींदारों की आमदनी की वे मदें जो कर मुक्त थीं, जैसे- जंगल, बाग, नदी आदि से होने वाली आय की मदें। [वि.] प्रकीर्णक; फुटकर।

साया (फ़ा.) [सं-पु.] 1. परछाँई; छाँह 2. छाया; प्रतिबिंब 3. (अंधविश्वास) भूत-प्रेत बाधा 4. घाघरे जैसा एक पश्चिमी पहनावा 5. छोटा लहँगा जिसे स्त्रियाँ साड़ियों के नीचे पहनती हैं 6. {ला-अ.} शरण; आश्रय।

सायादार (फ़ा.) [वि.] छाया देने वाला; छायादार; जिसमें छाया हो।

सायास (सं.) [अव्य.] परिश्रम या प्रयत्नपूर्वक; आयासपूर्वक।

सायुज्य (सं.) [सं-पु.] 1. इस प्रकार से मिलना कि दोनों में कोई अंतर या भेद न रह जाए; संपूर्ण मिलन 2. किसी रासायनिक प्रक्रिया द्वारा दो प्रकार के पदार्थों का मिलकर एक हो जाना; समेकन; (फ़्यूजन) 3. मुक्ति का एक प्रकार जिसमें जीवात्मा परमात्मा में लीन हो जाती है 4. एकरूपता; सादृश्य।

सार (सं.) [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ का मुख्य या मूल भाग; तत्व; सत्त 2. अर्थ; निष्कर्ष; तात्पर्य 3. अर्क; रस 4. शक्ति; बल; ताकत 5. ताज़ा मक्खन; नवनीत 6. जुआ खेलने का पासा। [वि.] 1. जो मूल तत्व के रूप में हो 2. श्रेष्ठ; उत्तम; बढ़िया 3. असली; वास्तविक।

सारंग (सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु का धनुष 2. चातक पपीहा 3. मोर 4. कबूतर 5. खंजन 6. कोयल 7. बादल 8. बिजली; विद्युत 9. जल 10. सागर 11. सूर्य 12. चंद्रमा 13. (संगीत) संपूर्ण जाति का एक राग 14. सारंगी नामक वाद्य 15. चंदन 16. कपूर 17. साँप।

सारंगिया [सं-पु.] सारंगी बजाने वाला व्यक्ति।

सारंगी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का प्रसिद्ध वाद्ययंत्र जिसके तारों को गज़ से घिसकर संगीत पैदा किया जाता है।

सारकथन (सं.) [सं-पु.] वह बात जिसे सार के रूप में कहा जाए।

सारकोमा (इं.) [सं-पु.] कैंसर जैसी एक खतरनाक बीमारी; संकटार्बुद।

सार-गंध (सं.) [सं-पु.] चंदन।

सारगर्भित (सं.) [वि.] जिसमें कुछ महत्व की बात हो; सारपूर्ण; तत्वपूर्ण; सारयुक्त।

सारग्राहिता (सं.) [सं-स्त्री.] सारग्राही होने का गुण, भाव या अवस्था।

सारग्राही (सं.) [वि.] जो वस्तुओं और विषयों का तत्व या सार ग्रहण करता हो।

सारजेंट (सं.) [सं-पु.] 1. एक सैनिक पदाधिकारी; हवलदार 2. परिचारक।

सारण (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का गंध द्रव्य; गंधप्रसारिणी 2. आम्रातक वृक्ष; अमड़ा 3. आँवला 4. अतिसार; दस्त की बीमारी 5. पारा आदि रसों का संस्कार; दोषशुद्धि 6. गंध; महक 7. शरद ऋतु की वायु 8. रावण के एक मंत्री का नाम जो रामचंद्र की सेना में उनका भेद लेने गया था। [वि.] रेचक; प्रवाहित करने या बहाने वाला।

सारणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तुलनात्मक या विश्लेषणात्मक अध्ययन के लिए प्रयुक्त अनेक पंक्तियों एवं स्तंभों की व्यवस्थित तालिका; (टेबल) 2. ग्रह गति बताने वाला ग्रंथ; तालिका 3. छोटी नदी; क्षुद्र नदी 4. जल-प्रणाली; नहर।

सारणीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. सारणी बनाने की क्रिया या भाव 2. तथ्यों को सारणी के रूप में प्रस्तुत करना; सारणीयन 3. सारणीबद्ध जानकारी।

सारणीकृत (सं.) [वि.] 1. सारणी के रूप में प्रस्तुत किया हुआ 2. जिसका सारणीयन किया जा चुका हो।

सारणीबद्ध (सं.) [वि.] सारणीकृत।

सारथित्व (सं.) [सं-पु.] 1. सारथी का भाव; सारथ्य 2. सारथी का काम या पद।

सारथी (सं.) [सं-पु.] 1. रथ हाँकने वाला; रथ चालक; रथवान; सूत 2. समुद्र; सागर 3. सारा कारोबार देखने वाला व्यक्ति।

सारनाथ (सं.) [सं-पु.] एक बौद्ध तीर्थस्थल; वाराणसी के उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित वह प्राचीन नगर जहाँ से गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म का प्रचार आरंभ किया था।

सारबान (फ़ा.) [सं-पु.] ऊँट चलाने या हाँकने का काम करने वाला व्यक्ति।

सारभाग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी तथ्य, कथन आदि का प्रमुख अंश 2. निचोड़ 3. सारांश।

सारभाटा (सं.) [सं-पु.] समुद्र में ज्वार के बाद लहरों की वह स्थिति जब वे उतार पर होती हैं।

सारभूत (सं.) [वि.] 1. सार के रूप में आया हुआ 2. श्रेष्ठ; सर्वोत्तम।

सारलेख [सं-पु.] किसी विषय पर लिखा गया महत्वपूर्ण या सारगर्भित लेख।

सारल्य (सं.) [वि.] 1. सरल होने की अवस्था, गुण या भाव 2. सरलता; सीधापन।

सारवती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में तीन भगण और एक गुरु होता है 2. समाधि का एक प्रकार। [वि.] 1. सारयुक्त 2. मज़बूत; ठोस 3. रसीली 4. उपजाऊ।

सारवत्ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सारग्राही या सारवान होने का भाव, अवस्था या प्रवृति 2. सारग्रहिता।

सारवान (सं.) [वि.] 1. जिसमें सार या तत्व हो; सारयुक्त 2. सार अर्थात् द्रव, रस या निर्यासयुक्त 3. महत्वपूर्ण; मूल्यवान 4. मज़बूत; द्दढ़; ठोस 5. पोषक 6. उर्वर; उपजाऊ।

सारस (सं.) [सं-पु.] 1. हंस की जाति का एक सफ़ेद पक्षी जो प्रायः जलाशयों आदि में रहता है 2. चंद्रमा 3. कमल 4. करधनी नामक आभूषण। [वि.] सर या तालाब से संबंधित।

सारसंग्रह (सं.) [सं-पु.] किसी विषय का संक्षिप्त संग्रह या ऐसा संग्रह जिसमें सार रूप में विचार प्रकट किए गए हों।

सारसी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (काव्यशास्त्र) आर्या छंद का तेइसवाँ भेद जिसमें पाँच गुरु और अड़तालीस लघु मात्राएँ होती हैं 2. मादा सारस पक्षी।

सारस्वत (सं.) [सं-पु.] 1. पंजाब में सरस्वती नदी के तट पर का प्राचीन प्रदेश 2. इस प्रदेश के निवासी 3. उक्त स्थान पर रहने वाले ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम। [वि.] 1. सरस्वती से संबंधित; सरस्वती का 2. शास्त्रीय विद्या से संबंधित 3. सरस्वती के तट का।

सारहीन (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई सार या तत्व न हो; सार-शून्य; निःसार; जिसमें कोई उत्तम तत्व न हो 2. महत्वहीन।

सारा (सं.) [वि.] जितना हो वह सब; समस्त; कुल; संपूर्ण; समग्र; पूरा; आदि से अंत तक; सब कुछ। [सं-स्त्री.] 1. दूब; कुश 2. थूहड़; सेहुँड़ का पेड़।

सारांश (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु या विषय का ऐसा संक्षिप्त रूप जिससे उसके गुण-धर्म एवं स्वरूप आदि का बोध हो सके; निचोड़; समस्तिका 2. किसी विस्तृत लेख के मुख्य बिंदुओं का संग्रह; (समरी) 3. सार संग्रह 4. परिणाम; नतीजा 5. तात्पर्य; मतलब 6. उपसंहार।

सारांशक (सं.) [वि.] किसी लेख आदि का सार-संक्षेप तैयार करने वाला।

सारि (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का पासा जिससे जुआ खेला जाता है; सार।

सारिक (सं.) [वि.] 1. सारांश के रूप में एक जगह एकत्र किया हुआ 2. जो कम शब्दों में लिखा या कहा गया हो; संक्षिप्त।

सारिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मैना नामक पक्षी 2. दूती।

सारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सारिका; मैना पक्षी 2. जुआ खेलने का पासा।

सारूप्य (सं.) [सं-पु.] 1. एकरूप होने की अवस्था; एकरूपता 2. एकाधिक वस्तुओं के आकार आदि में समानता; सरूपता 3. (अध्यात्म) एक प्रकार की मुक्ति जिसमें भक्त अपने उपास्य देव का रूप प्राप्त कर लेता है।

सारोपा (सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) में लक्षणा नामक शब्द शक्ति का एक भेद।

सार्थक (सं.) [वि.] 1. जिसका कुछ अर्थ हो; अर्थवान; अर्थवाला 2. काम का; लाभप्रद; उपयोगी 3. किसी प्रयोजन या उद्देश्य को पूरा करने वाला 4. सफल।

सार्थकता (सं.) [वि.] सार्थक होने की अवस्था या भाव; उपयोगिता; सफलता; उद्देश्यपूर्ति।

सार्थवाह (सं.) [सं-पु.] गाड़ियों पर अपना माल लाद कर पूरे काफ़िले या सार्थ के साथ उस माल को दूर-दूर तक बेचने जाने वाला व्यापारी; व्यवसायी।

सार्ध (सं.) [वि.] 1. जिसमें पूरे के अतिरिक्त आधा भी मिला या लगा हो; अर्धयुक्त; साढ़े 2. किसी पूर्ण संख्या के साथ आधा मिलकर ड्योढ़ा बना हुआ (अंक)।

सार्व (सं.) [वि.] 1. सबसे संबंध रखने वाला 2. जो सबके लिए उचित या उपयुक्त हो। [सं-पु.] 1. बुद्ध 2. जिन।

सार्वकालिक (सं.) [वि.] 1. जिसका संबंध सभी कालों से हो; सब कालों में रहने वाला; शाश्वत; सब समयों का; सर्वकाल संबंधी 2. सब समय या काल के लिए उपयुक्त।

सार्वजनिक (सं.) [वि.] 1. सबसे संबंध रखने वाला; सबके काम आने वाला 2. सबके लिए उपयुक्त; सर्वोपयोगी 3. सर्वसाधारण संबंधी; आम; जो जनता का हो।

सार्वजनीन (सं.) [वि.] सार्वजनिक; सार्वलौकिक; सभी जनों से संबंधित।

सार्वजन्य (सं.) [वि.] 1. सबसे संबंध रखने वाला 2. जिससे सब लोगों को लाभ हो; लोक हितकर।

सार्वत्रिक (सं.) [वि.] 1. सभी जगह लागू होने वाला या सब जगह एक जैसे होने वाला 2. प्रत्येक स्थिति एवं अवस्था में होने वाला; सर्वत्रव्यापी 3. सब स्थानों से संबद्ध; सब स्थानों में होने वाला।

सार्वदेशिक (सं.) [वि.] 1. जो सब देशों में होता हो 2. सभी देशों से संबद्ध 3. जो सब देशों को अपना मानता हो; विश्वप्रेमी।

सार्वनामिक (सं.) [वि.] 1. सर्वनाम से संबंधित 2. सर्वनाम से बना हुआ।

सार्वभौतिक (सं.) [वि.] 1. सभी तत्वों या भूतों से संबंधित 2. सब प्राणियों से संबंध रखने वाला।

सार्वभौम (सं.) [वि.] 1. संपूर्ण भूमि से संबंध रखने वाला; संपूर्ण भूमि का 2. (योग) मन की सभी स्थितियों, अवस्थाओं से संबंध रखने वाला।

सार्वभौमिक (सं.) [सं-पु.] 1. समस्त पृथ्वी पर फैला हुआ 2. वह जो स्थानिक, राष्ट्रीय, जातीय और अन्य संकुचित भावनाओं से मुक्त हो।

सार्वराष्ट्रीय (सं.) [वि.] 1. अनेक राष्ट्रों से संबंध रखने वाला; अंतरराष्ट्रीय; (इंटरनेशनल) 2. सभी राष्ट्रों से मान्यता प्राप्त।

सार्विक (सं.) [वि.] 1. सर्व संबंधी; सबका 2. सब जगह समान रूप से होने या पाया जाने वाला 3. किसी राष्ट्र, समाज या जाति के सब सदस्यों में समान रूप से मिलने या होने वाला; आम।

साल1 [सं-पु.] 1. सालने या सलने की क्रिया या भाव 2. चारपाई के पावों में किया हुआ वह चौकोर छेद जिसमें पाटी आदि बैठाई जाती है 3. सुराख़; छेद 4. ज़ख़्म; घाव 5. दुख; पीड़ा; वेदना।

साल2 (सं.) [सं-पु.] 1. साल का वृक्ष 2. एक प्रकार की मछली।

साल3 (फ़ा.) [सं-पु.] बारह माह का समय; वर्ष; बरस।

सालगिरह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जन्मदिन; (बर्थडे) 2. वर्षगाँठ; वर्ष का वह दिन या तारीख़ जब कोई विशेष मांगलिक कार्य संपन्न हुआ हो, जैसे- विवाह की सालगिरह।

सालना (सं.) [क्रि-अ.] 1. कष्टकर होना; पीड़ा होना 2. काँटे आदि का किसी अंग में चुभकर पीड़ा उत्पन्न करना 3. गड़ना; चुभना; वेधना। [क्रि-स.] 1. कोई नुकीली चीज़ अंदर धँसाना या गड़ाना; चुभाना 2. किसी को दुख देना।

सालम मिसरी [सं-स्त्री.] एक प्रकार का कंद जो पौष्टिक होता है तथा दवा के काम आता है; वीरकंदा; सुधामूली।

सालसा [सं-पु.] 1. पाश्चात्य शैली के नृत्य की एक विधा 2. रक्तशोधक औषधियों में बना हुआ पाश्चात्य विधि से बनाया गया एक काढ़ा।

साला1 (सं.) [सं-पु.] 1. संबंध के विचार से पत्नी का भाई 2. पुरुषों को दी जाने वाली एक प्रकार की गाली।

साला2 (फ़ा.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो संख्यावाची शब्दों के अंत में जुड़कर नियत वर्ष में होने का अर्थ देता है, जैसे- दोसाला, तीनसाला आदि।

सालाना (फ़ा.) [वि.] वार्षिक; प्रत्येक साल होने वाला; हर एक साल बाद निश्चित तिथि को होने वाली (घटना)।

सालार (फ़ा.) [सं-पु.] सेनापति; फ़ौजियों का नेता; मार्गदर्शक; अगुआ; नायक; नेता; सरदार।

सालिम (अ.) [वि.] जो कहीं से खंडित न हो; संपूर्ण; समूचा; सारा; दृढ़; पक्का।

सालिया (फ़ा.) [वि.] हर साल लिया या दिया जाने वाला (कोई कर या शुल्क); वार्षिक।

सालिसनामा (अ.) [सं-पु.] वह कागज़ जिसपर पंचों द्वारा किसी विवाद का निर्णय लिखा जाता है; पंचनामा।

साली1 [सं-स्त्री.] 1. संबंध के विचार से पत्नी की बहन 2. हठयोगियों की भाषा में वासना या माया 3. स्त्रियों को दी जाने वाली एक प्रकार की गाली।

साली2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह ज़मीन जो सालाना देने के हिसाब से ली जाती है 2. वह निश्चित राशि जो नाई, बढ़ई आदि को उनके काम के बदले मज़दूरी के रूप में प्रति वर्ष दी जाती है

सालू [सं-पु.] 1. एक प्रकार का लाल रंग का कपड़ा जिसे स्त्रियाँ मांगलिक अवसरों पर ओढ़ती हैं 2. ओढ़नी; शाल।

सालोक्य (सं.) [सं-पु.] (अध्यात्म) पाँच प्रकार की मुक्तियों में से एक प्रकार की मुक्ति जिसमें जीव को इष्टदेव का लोक प्राप्त होता है।

साल्व (सं.) [सं-पु.] 1. आधुनिक पंजाब राज्य का मध्य क्षेत्र 2. एक प्राचीन जाति जो पंजाब के उक्त क्षेत्र में निवास करती थी 3. एक दैत्य जिसका विष्णु ने वध किया था। [वि.] साल्व देश से संबंधित।

साव (सं.) [सं-पु.] 1. बालक; पुत्र; शिशु 2. तर्पण; पितरों को जल देना।

सावकाश (सं.) [वि.] जिसे अवकाश या मौका हो; अवकाशयुक्त। [सं-पु.] अवकाश; फ़ुरसत; छुट्टी। [अव्य.] अवकाश के समय; छुट्टी या फ़ुरसत मिलने पर; धीरे-धीरे।

सावधान (सं.) [वि.] ध्यानपूर्वक काम करने वाला; सचेत; सतर्क; ख़बरदार; जागरूक; होशियार; चौकस [क्रि.वि.] सचेत; जागरूक।

सावधानी (सं.) [सं-स्त्री.] सतर्कता; चौकसी; होशियारी; सचेतता।

सावधि (सं.) [वि.] जिसकी कोई निश्चत अवधि हो; जो किसी तय अवधि के लिए हो।

सावधिक (सं.) [वि.] निर्धारित अवधि में संपन्न होने वाला; नियत अवधि के बाद निकलने वाला; सावधि।

सावन (सं.) [सं-पु.] 1. वर्ष का एक महीना जो आषाढ़ के बाद और भाद्रपद के पहले आता है; श्रावण मास 2. श्रावण मास में गाया जाने वाला एक प्रकार का लोकगीत; कजली 3. वरुण 4. पूरा एक दिन और एक रात का समय; चौबीस घंटे का समय; एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक का समय।

सावनी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का गीत जिसे सावन महीने में गाया जाता है; कजली 2. सावन के महीने में वर पक्ष की ओर से वधू के लिए भेजे जाने वाले कपड़े, मिठाइयाँ आदि 3. एक प्रकार का फूल 4. सावन में होने वाली फ़सल। [वि.] 1. सावन का; सावन से संबंधित 2. सावन में होने वाला।

सावनी कल्याण [सं-पु.] (संगीत) एक प्रकार का संकर राग जो सावनी और कल्याण राग के मेल से बना है।

सावर्ण (सं.) [वि.] समान वर्ण या जाति संबंधी; सवर्ण संबंधी।

सावित्र (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. शिव 3. वसु 4. अग्नि का एक रूप 5. यज्ञोपवीत; उपनयन संस्कार 6. एक प्रकार की आहुति या होम 7. हस्त नक्षत्र 8. मेरु पर्वत का एक शिखर 9. दसवें कल्प का नाम। [वि.] 1. सविता या सूर्य संबंधी; सविता का 2. सविता या सूर्य से उत्पन्न; सूर्यवंशीय।

सावित्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्य को समर्पित ऋग्वैदिक गायत्री मंत्र 2. सूर्य की किरण; सूर्यरश्मि 3. (पुराण) सूर्य की एक पुत्री जिनका ब्रह्मा से विवाह हुआ था 4. (पुराण) मत्स्य नरेश अश्वपति की कन्या जिसने अपने सतीत्व के बल पर यमराज के हाथ से अपने पति सत्यवान को छुड़ाया था 5. उपनयन संस्कार 6. सधवा स्त्री 7. सरस्वती नदी 8. यमुना नदी 9. अनामिका उँगली 10. आँवला।

साश्रु (सं.) [वि.] आँसुओं से भरा हुआ; अश्रुपूर्ण; रोता हुआ। [क्रि.वि.] आँखों में आँसू भरकर; आँसुओं से युक्त होकर।

साष्टांग (सं.) [वि.] आठों अंगों से युक्त। [क्रि.वि.] आठों अंगों सहित; दंडवत, जैसे- साष्टांग प्रणाम।

साष्टांग प्रणाम (सं.) [सं-पु.] सिर, हाथ, पैर, हृदय, आँख, जाँघ, वचन और मन इन आठों से युक्त होकर भूमि पर सीधे लेटकर किया जाने वाला प्रणाम; दंडवत।

सास (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संबंध के विचार से पति या पत्नी की माँ 2. उक्त संबंध में पड़ने वाली स्त्री, जैसे- ममिया सास, चचिया सास।

साह (सं.) [सं-पु.] 1. सज्जन; साधु पुरुष; भला आदमी; सत्पुरुष 2. साहूकार; महाजन; वणिक 3. प्रतिष्ठित और धनी व्यक्ति 4. चीते जैसा एक पहाड़ी हिंसक जानवर 5. दरवाज़े के चौखट में दहलीज के ऊपर आमने-सामने लगने वाले लकड़ी या पत्थर के लंबे टुकड़े। [वि.] 1. जो साहस और सफलतापूर्वक प्रतिरोध करे 2. निरोध या दमन करने वाला।

साहचर्य (सं.) [सं-पु.] सहचर होने की अवस्था या भाव; सहगमन; सहचारिता; मेल-मिलाप; संग-साथ; मित्रता।

साहचर्यात्मक (सं.) [वि.] जिसमें साहचर्य हो; साहचर्ययुक्त; साहचर्यमय।

साहनी (सं.) [सं-पु.] 1. परिषद; दरबार 2. प्राचीन भारत में एक प्रकार के राज्य कर्मचारी जो किसी सैनिक विभाग में अधिकारी होते थे 3. मध्यकालीन भारत में नगर व्यवस्था से संबद्ध राजकर्मचारी 4. साथी; संगी 5. एक कुलनाम या सरनेम। [सं-स्त्री.] सेना; फ़ौज।

साहब (अ.) [सं-पु.] 1. स्वामी; मालिक; प्रभु 2. शिष्ट समाज में पेशे आदि के साथ लगाया जाने वाला आदरसूचक शब्द, जैसे- डॉक्टर साहब, वकील साहब, मास्टर साहब आदि।

साहबज़ादा (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी बड़े या प्रतिष्ठित व्यक्ति का पुत्र; रईस या सेठ की औलाद 2. पुत्र; बेटा 3. {ला-अ.} अनुभवहीन युवक।

साहब सलामत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. एक-दूसरे से मिलने के समय होने वाला अभिवादन; बंदगी; सलाम 3. आपसी मेलजोल; परस्पर अभिवादन का संबंध।

साहबाना (अ.) [वि.] साहब का; साहबी ढंग का; साहबी।

साहबी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. साहब होने की अवस्था या भाव 2. स्वामित्व का भाव 3. साहबपन; अफ़सरी 4. उच्च पद 5. ईश्वरत्व।

साहस (सं.) [सं-पु.] 1. मन की दृढ़ इच्छा जो बड़े से बड़ा काम करने को प्रवृत्त करती है; हिम्मत 2. प्राचीन भारत में बलपूर्वक किया जाने वाला कोई नीतिविरुद्ध एवं अत्याचारपूर्ण कार्य, जैसे- लूट-पाट, डकैती आदि 3. वैदिक काल में पवित्र यज्ञ की अग्नि 4. अर्थशास्त्र में उत्पत्ति हेतु आवश्यक माने गए पाँच साधनों में से एक।

साहसकारी (सं.) [वि.] 1. साहस करने वाला 2. विवेकहीन; अविवेकी; बिना सोचे-समझे कार्य करने वाला।

साहसिक (सं.) [वि.] 1. साहस से संबंधित 2. साहसी; पराक्रमी; बहादुर; वीर; हिम्मती; निडर; निर्भीक 3. प्राचीन भारत में अत्याचारी, मिथ्याचारी, भयानक कृत्य करने वाले के लिए भी प्रयुक्त।

साहसी (सं.) [वि.] 1. जिसमें साहस हो; हिम्मती; दिलेर; पराक्रमी 2. अविवेकी; उद्धत 3. क्रूर; निष्ठुर।

साहस्र (सं.) [वि.] 1. सहस्र या हज़ार से संबंधित; सहस्र का 2. एक हज़ार में ख़रीदा हुआ 3. सहस्रगुणित; हज़ारगुना 4. हज़ार से युक्त। [सं-पु.] 1. एक हज़ार सैनिकों की टुकड़ी 2. एक हज़ार का समूह।

साहस्रिक (सं.) [सं-पु.] इकाई का हज़ारवाँ अंश। [वि.] 1. सहस्र संबंधी; सहस्र का 2. साहस्र।

साहस्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक ही तरह की एक हज़ार वस्तुओं का समूह या ढेर 2. एक हज़ार वर्षों का समूह; सहस्राब्दी।

साहा (सं.) [सं-पु.] 1. (ज्योतिष) विवाह के लिए शुभ वर्ष 2. विवाह आदि शुभ कार्यों के लिए निश्चित लग्न या मुहूर्त; किसी कार्य के लिए शुभ मुहूर्त 3. बंगालियों में एक कुलनाम या सरनेम।

साहाय्य (सं.) [सं-पु.] सहायता; मदद; सहयोग; मैत्री।

साहित्य (सं.) [सं-पु.] 1. सहित या साथ होने की अवस्था 2. शब्द और अर्थ की सहितता; सार्थक शब्द 3. सभी भाषाओं में गद्य एवं पद्य की वे समस्त पुस्तकें जिनमें नैतिक सत्य और मानवभाव बुद्धिमत्ता तथा व्यापकता से प्रकट किए गए हों; वाङ्मय 4. किसी विषय के ग्रंथों का समूह; शास्त्र 5. किसी एक स्थान पर एकत्र किए हुए लिखित उपदेश, परामर्श या विचार आदि; लिपिबद्ध विचार या ज्ञान 6. समस्त शास्त्रों, ग्रंथों का समूह; (लिटरेचर)।

साहित्यकार (सं.) [वि.] साहित्य की रचना करने वाला; साहित्यसेवी। [सं-पु.] वह जो साहित्य रचता हो; लेखक, कवि, निबंधकार आदि।

साहित्यगत (सं.) [वि.] 1. साहित्य से संबंधित 2. साहित्य के अंतर्गत।

साहित्यजीवी (सं.) [वि.] साहित्य सेवा से अपनी जीविका चलाने वाला (लेखक, साहित्यकार, रचनाकार, सृजक)।

साहित्यशास्त्र (सं.) [सं-पु.] वह विद्या या शास्त्र जिसमें किसी साहित्यिक रचना के विभिन्न अंगों तथा अपेक्षित विशेषताओं का विस्तृत ढंग से विवेचन किया जाता है।

साहित्यिक (सं.) [वि.] 1. साहित्य से संबंधित; साहित्य का 2. साहित्य के अंतर्गत; साहित्य के अनुरूप 3. साहित्य का ज्ञाता या पारखी 4. साहित्य रचना में संलग्न; साहित्यिक गतिविधियों में लगा हुआ; साहित्यकार।

साहित्यिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साहित्यिक होने की अवस्था या भाव; साहित्य के लिए अपेक्षित विशेषताओं से युक्त होने का भाव 2. रचनात्मकता।

साहित्येतर (सं.) [वि.] वह जो साहित्य से इतर या भिन्न हो; जो साहित्य के अंतर्गत न आता हो।

साहिब (अ.) [सं-पु.] दे. साहब।

साहिबी (अ.) [वि.] दे. साहबी।

साहिर (अ.) [सं-पु.] जादूगर; वह व्यक्ति जो जादू दिखाता हो।

साहिल (अ.) [सं-पु.] नदी या समुद्र का तट; किनारा; कूल।

साही (सं.) [सं-स्त्री.] नेवले की-सी आकृति का एक जानवर जिसके पूरे शरीर पर लंबे-लंबे काँटे होते हैं और जो ज़मीन में माँद बनाकर रहता है।

साहुल (फ़ा.) [सं-पु.] 1. दीवारों की सीध नापने का एक डोरीदार यंत्र 2. डोरी के सिरे पर लटकते लट्टू जैसा एक उपकरण जिससे समुद्र की गहराई नापी जाती है।

साहू [सं-पु.] 1. सेठ; साहूकार; महाजन; व्यापारी; धनी व्यक्ति 2. एक जाति विशेष।

साहूकार [सं-पु.] 1. ब्याज आदि पर पैसे का लेन-देन करने वाला व्यक्ति 2. बड़ा महाजन या व्यापारी 3. धनाढ्य; धनी व्यक्ति; कोठीवाला।

साहूकारा [सं-पु.] 1. साहूकार या महाजनी का कारोबार; कर्ज़ देने का धंधा 2. धनाढ्य व्यापारी 3. वह बाज़ार जहाँ साहूकारी होती हो।

साहूकारी [वि.] 1. साहूकार होने की अवस्था या भाव 2. ब्याज आदि पर पैसे के लेन-देन वाला काम; महाजनी।

सिंक (इं.) [सं-पु.] बरतन साफ़ करने का बड़ा-सा तसला जिसमें ऊपर नल लगे रहते हैं और पेंदे में एक पाइप लगा रहता है जिससे गंदा पानी नाली में चला जाता है; (वॉश बेसिन)।

सिंगल (इं.) [वि.] 1. अकेला; एकल 2. एक; एकमात्र 3. अविवाहित (पुरुष या स्त्री)।

सिंगा [सं-पु.] सींग जैसा एक बाजा जिसे फूँककर बजाया जाता है; शृंग; रणसिंगा।

सिंगार (सं.) [सं-पु.] शृंगार; प्रसाधन सामग्री का इस्तेमाल करके सजना; नए आभूषणों से सजना या सजाना।

सिंगारिया [सं-पु.] 1. मंदिर में किसी देवी-देवता की मूर्ति का शृंगार करने वाला व्यक्ति 2. पुजारी। [वि.] शृंगार करने वाला।

सिंगिया [सं-पु.] एक प्रकार का विष जो पौधे की जड़ के रूप में होता है।

सिंगी (सं.) [सं-पु.] जानवरों के सींगों से बनाया जाने वाला एक बाजा जिसे फूँक मारकर बजाया जाता है। [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की प्रसिद्ध मछली 2. सींग से बनाई जाने वाली एक नली जिसका प्रयोग शरीर से रक्त चूसकर ज़हर निकालने के लिए किया जाता है।

सिंगौटा [सं-पु.] धातु का वह आवरण जो बैलों आदि के सींगों की नोक पर चढ़ाया जाता है; बैल के सींगों में पहनाया जाने वाला एक आभूषण।

सिंघाड़ा (सं.) [सं-पु.] पानी में होने वाली एक लता का फल जिसमें तीन काँटेदार कोने होते हैं; पानी फल।

सिंचन (सं.) [सं-पु.] सींचने की क्रिया या भाव; सिंचाई।

सिंचना [क्रि-अ.] सिंचाई होना; जल का छिड़काव होना।

सिंचाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सींचने का कार्य जिसमें फ़सल की वृद्धि के लिए किसी जलस्रोत से खेत में जल पहुँचता या पहुँचाया जाता है 2. खेत सींचने का पारिश्रमिक।

सिंचित (सं.) [वि.] जिसकी सिंचाई हो चुकी हो; सींचा हुआ।

सिंथेटिक (इं.) [वि.] रसायनों या रासायनिक प्रक्रियाओं से बना; कृत्रिम; बनावटी।

सिंदूर (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का लाल रंग का चूर्ण जिसे विवाहित हिंदू स्त्रियाँ अपनी माँग में भरती हैं 2. एक वृक्ष। [मु.] -भरना : विवाह के समय वर का वधू की माँग में सिंदूर डालना।

सिंदूरदान (सं.) [सं-पु.] विवाह के समय वर द्वारा वधू की माँग में सिंदूर डालना।

सिंदूरदानी (सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] सिंदूर रखने की डिबिया।

सिंदूरिया (सं.) [वि.] सिंदूर के रंग का; सिंदूरी; गाढ़ा लाल।

सिंदूरी (सं.) [सं-पु.] 1. हलका पीलापन लिए हुए चमकीला लाल रंग 2. लाल हल्दी 3. आम की एक प्रजाति 4. बलूत की जाति का एक वृक्ष। [वि.] सिंदूर के रंग का।

सिंध (सं.) [सं-पु.] पाकिस्तान की दक्षिणी पूर्वी सीमा पर स्थित एक प्रांत।

सिंधिया [सं-पु.] मध्यप्रदेश में मराठों का कुलनाम या सरनेम, यह मराठी 'शिंदे' का हिंदीकृत रूप है।

सिंधी (सं.) [सं-पु.] 1. सिंध देश का निवासी 2. सिंध प्रांत का घोड़ा। [सं-स्त्री.] सिंध देश की भाषा। [वि.] सिंध प्रांत का; सिंध प्रांत से संबंधित।

सिंधु (सं.) [सं-पु.] 1. सागर; समुद्र 2. पंजाब की एक प्रसिद्ध नदी 3. सिंध नामक प्रदेश।

सिंधुद्वार (सं.) [सं-पु.] मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और उसके आसपास के क्षेत्र का पुराना नाम।

सिंधुर (सं.) [सं-पु.] हाथी; गज।

सिंधुरगामिनी (सं.) [वि.] जिसकी चाल हथिनी जैसी झूमती हुई हो। [सं-स्त्री.] गजगामिनी।

सिंधुरवदन (सं.) [सं-पु.] गणेश; गजानन; (पुराण) शिव और पार्वती का पुत्र।

सिंधूरा (सं.) [सं-पु.] (संगीत) शाम के समय या कुछ रात होने पर गाया जाने वाला ओड़व संपूर्ण जाति का एक राग।

सिंधोरा (सं.) [सं-पु.] सिंदूर रखने की काठ की डिबिया; सिंदूरदानी।

सिंह (सं.) [सं-पु.] 1. एक बलवान और हिंसक जानवर; शेर; केशरी; मृगेंद्र 2. बारह राशियों में से पाँचवीं राशि 3. जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी का चिह्न 4. वास्तुकला में उक्त प्रकार की आकृति, जैसे- सिंहद्वार 5. {ला-अ.} वीर और श्रेष्ठ पुरुष।

सिंहद्वार (सं.) [सं-पु.] दुर्ग, महल आदि का वह बड़ा द्वार जिसके बाहरी तरफ़ दोनों ओर सिंह की आकृतियाँ बनी होती हैं; बड़ा या मुख्य द्वार; सदर फाटक।

सिंहनाद (सं.) [सं-पु.] 1. शेर की दहाड़, गर्जना या हुँकार 2. ज़ोर देकर या ललकार कर कही जाने वाली बात 3. युद्ध या प्रतियोगिता के समय की जाने वाली ललकार; युद्धध्वनि।

सिंहनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सिंह की मादा; शेरनी 2. एक प्रकार का छंद 3. {ला-अ.} वीर और साहसी नारी।

सिंहपौर [सं-पु.] मुख्य द्वार; सदर फाटक; सिंहद्वार।

सिंहल (सं.) [सं-पु.] 1. टिन; राँगा 2. भारत के दक्षिण में स्थित एक मिथकीय द्वीप जिसे कुछ लोग आधुनिक श्रीलंका मानते हैं; लंकाद्वीप।

सिंहलक (सं.) [वि.] सिंहल का; सिंहल संबंधी। [सं-स्त्री.] 1. पीतल 2. दालचीनी।

सिंहली (सं.) [सं-पु.] 1. सिंहल द्वीप पर रहने वाला व्यक्ति 2. वर्तमान में श्रीलंकाई 3. सिंहल द्वीप का हाथी। [सं-स्त्री.] 1. सिंहल द्वीप की भाषा 2. एक तरह की पिप्पली। [वि.] सिंहल संबंधी; सिंहल का।

सिंहस्थ (सं.) [सं-पु.] (ज्योतिष) 1. सिंह राशि में स्थित कोई ग्रह 2. वह समय जब बृहस्पति सिंह राशि में स्थित रहता है। [वि.] सिंह राशि में स्थित।

सिंहावलोकन (सं.) [सं-पु.] 1. शेर की तरह पीछे देखते हुए आगे बढ़ना; सिंह का दृष्टिपात 2. आगे बढ़ते हुए पिछली बातों पर पुनः दृष्टिपात करना; पुनर्विचार 3. {ला-अ.} (साहित्य) संक्षेप में पिछली बातों का वर्णन; (रिट्रास्पेक्शन) 4. परस्पर संबद्ध बहुत-सी घटनाओं या तथ्यों का सारांश 5. (काव्यशास्त्र) यमक अलंकार का एक भेद जिसमें छंद का अंत भी उसी शब्द से किया जाता है जिससे उसका आरंभ होता है।

सिंहासन (सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं या राजाओं के बैठने का आसन या चौकी 2. कमलपत्र के आकार का देवासन।

सिंहिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) कश्यप की पत्नी और राहु की माता 2. दाक्षायणी देवी की एक मूर्ति 3. (काव्यशास्त्र) शोभन नाम का मात्रिक छंद 4. कंटकारी, भटकटैया और अडूसा नामक वनस्पतियाँ।

सिकंजबी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सिरके या नीबू के रस में बनाया गया शरबत या दवा 2. पानी में नीबू का रस और चीनी मिलाकर तैयार किया जाने वाला पेय; शिकंजवीन; शिकंजी।

सिकंदरा (फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. रेल के आवागमन का सूचक चिह्न; रेल का सिगनल 2. आगरा के पास मुगल सम्राट अकबर के मकबरे का स्थान।

सिकड़ी [सं-स्त्री.] 1. ज़ंजीर; शृंखला 2. दरवाज़ा बंद करने के लिए उसमें लगाई जाने वाली साँकल 3. गले में पहना जाने वाला ज़ंजीर के आकार का एक आभूषण 4. एक में एक गूँथी हुई ज़ंजीर जैसी कोई रचना।

सिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रेत; बालू 2. रेतीली भूमि 3. चीनी।

सिकली (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अस्त्र या हथियार माँजकर साफ़ करने की क्रिया 2. हथियारों की धार तेज़ करने और उन्हें चमकाने का काम 3. उक्त काम की मज़दूरी।

सिकलीगर (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] सिकली करने वाला कारीगर; हथियार तेज़ करने वाला और उनमें चमक लाने वाला कारीगर।

सिकहर [सं-पु.] छत से लटकाया जाने वाला छींका।

सिकाई [सं-स्त्री.] सेकने का काम।

सिकुड़न [सं-स्त्री.] 1. सिकुड़े हुए होने की अवस्था या भाव; संकोच; सिकुड़ा; सिमटा 2. वह स्थिति जिसमें कोई वस्तु पहले की अपेक्षा कम स्थान घेरती हो 3. सिकुड़ने का चिह्न; शिकन; सिलवट 4. शरीर के अंगों का संकुचन; आकुंचन।

सिकुड़ना [क्रि-अ.] 1. अत्यधिक ठंड से होने वाला संकुचन 2. किसी वस्तु या पदार्थ के विस्तार में होने वाला संकुचन; संकुचित होना; आकुंचित होना; सिमटना; आकार में छोटा हो जाना 3. शिकन; सिलवट पड़ना, जैसे- धोती सिकुड़ गई।

सिकोड़ना [क्रि-स.] 1. संकुचित करना; समेटना 2. शरीर के अंगों को एक-दूसरे के समीप लाना जिससे वे पहले की अपेक्षा कम जगह घेरें 3. तंग या छोटा करना।

सिक्का (अ.) [सं-पु.] 1. धातु से बना निश्चित मूल्य का पैसा; मुद्रा; रुपया-पैसा 2. किसी चीज़ का ठप्पा 3. {ला-अ.} रोब; धाक; प्रभुत्व।

सिक्त (सं.) [वि.] 1. सींचा हुआ; सिंचित 2. भीगा हुआ; तर; गीला।

सिख (सं.) [सं-पु.] 1. गुरुनानक द्वारा चलाया गया एक संप्रदाय 2. शिष्य; चेला 3. सिख धर्म का अनुयायी; सिख धर्मावलंबी; खालसा; नानकपंथी; सरदार। [सं-स्त्री.] 1. शिखा; केशों की चोटी 2. सीख; शिक्षा; उपदेश।

सिखंड [सं-पु.] 1. मोर की पूँछ 2. चोटी; शिखा; चुटिया।

सिखलाना [क्रि-स.] सिखाना।

सिखाना [क्रि-स.] 1. किसी को कुछ सीखने में प्रवृत्त करना 2. शिक्षा देना; प्रशिक्षण देना 3. {ला-अ.} दंडित करना।

सिगड़ी [सं-स्त्री.] एक प्रकार का चूल्हा जिसमें कोयले, लकड़ी आदि से आग जलाई जाती है; अँगीठी।

सिगनल (इं.) [सं-पु.] 1. संकेत; इशारा 2. रेल पथ-वाहनों आदि की गति को नियंत्रित करने के लिए लगा हुआ लाल, हरी बत्तियों का संकेतक।

सिगरेट (इं.) [सं-पु.] सूखी तंबाकू की कतरी हुई पत्तियों को कागज़ में लपेटकर बनाई हुई मोटी बत्ती जिसे सुलगाकर धूम्रपान किया जाता है; कागज़ में लपेटा गया सुरती का चूरा जिसका धुआँ पीते हैं।

सिगार (इं.) [सं-पु.] तंबाकू की सूखी पत्तियों को नली के आकार में कसकर लपेटकर बनाई गई एक प्रकार की बड़ी और मोटी सिगरेट जिसे सुलगा कर धूम्रपान किया जाता है।

सिझाना [क्रि-स.] 1. किसी खाद्य वस्तु को आँच पर पकाना; गलाना; राँधना 2. पशुओं की उतारी हुई खाल को विशिष्ट प्रक्रियाओं से पक्का और मुलायम बनाना 3. बरतन बनाने के लिए मिट्टी तैयार करना 4. {ला-अ.} शरीर को कष्ट सहने के योग्य बनाना।

सिटकिनी [सं-स्त्री.] दरवाज़े एवं खिड़कियों को अंदर से बंद करने के लिए उनमें लगाई जाने वाली एक प्रकार की कुंडी।

सिटपिटाना [क्रि-अ.] भय या घबड़ाहट के कारण सहम जाना; स्तब्ध हो जाना; हक्का-बक्का हो जाना; अचकचाना; सकपकाना; सकुचना; मंद या धीमा पड़ जाना; दब जाना; घबराना; डरना।

सिटी (इं.) [सं-पु.] नगर; शहर।

सिटीज़न (इं.) [सं-पु.] 1. नगरवासी; स्थानिक 2. बाशिंदा।

सिटीजन जर्नलिज़म (इं.) [सं-पु.] नागरिक पत्रकारिता, आमजन द्वारा संवाददाता के रूप में समाचार संकलन करना।

सिटीडेस्क (इं.) [सं-पु.] नगर-संपादक के बैठने की जगह; वह स्थान जहाँ नगरीय ख़बर संपादित होती है।

सिट्टी [सं-स्त्री.] बहुत बढ़-चढ़ कर बातें करना; वाचालता। [मु.] -पिट्टी गुम हो जाना : इस प्रकार घबरा जाना या सिटपिटा जाना कि मुँह से कोई उत्तर न निकल सके।

सिड़बिल्ला [वि.] 1. पागल; सनकी 2. मूर्ख; बेवकूफ़; बुद्धू।

सिड़ी (सं.) [वि.] सनकी; झक्की।

सित (सं.) [वि.] 1. सफ़ेद; श्वेत 2. उजला; शुभ 3. चमकदार 4. साफ़; स्वच्छ; निर्मल।

सितंबर (इं.) [सं-पु.] ईसवी सन का नवाँ महीना।

सितम (फ़ा.) [सं-पु.] ज़ुल्म; अत्याचार; निरीह व्यक्तियों से किया गया क्रूरतापूर्ण व्यवहार।

सितमगर (फ़ा.) [सं-पु.] वह जो अत्याचार करे; बेगुनाहों, दुखियों तथा गरीबों को सताने वाला व्यक्ति; अत्याचारी; अन्यायी; आततायी।

सितमज़दा (फ़ा.) [वि.] जिसपर सितम हो; अत्याचारग्रस्त; मज़लूम; पीड़ित।

सिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मिसरी; शर्करा 2. चंद्रमा का प्रकाश; चाँदनी; चंद्रिका 3. मल्लिका; चमेली 4. ज्योत्स्ना 5. चाँदी।

सितार (फ़ा.) [सं-पु.] वीणा के आकार-प्रकार का वाद्य यंत्र जिसके तारों को अँगुलियों की सहायता से बजाया जाता है।

सितारा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आकाश का तारा; नक्षत्र; ग्रह; (स्टार) 2. जूते, टोपी या किसी कपड़े पर टाँके जाने वाली सुनहले या रूपहले रंग की टिकली; चमकी 3. आतिशबाज़ी 4. {ला-अ.} मनुष्य का भाग्य जो ग्रहों, नक्षत्रों से प्रभावित माना जाता है; तकदीर।

सितारिया [सं-पु.] वह जो सितार बजाता है; सितारवादक।

सितारे हिंद (फ़ा.) [सं-पु.] ब्रिटिश शासनकाल में सरकार द्वारा भारत के किसी सम्मानित व्यक्ति को दी जाने वाली एक उपाधि।

सिद्ध (सं.) [वि.] 1. जिसकी साधना पूरी हो चुकी हो 2. कार्य जो पूरा हो चुका हो; संपन्न 3. उपलब्ध; प्राप्त 4. जिसने दक्षता प्राप्त की हो; सफ़ल। [सं-पु.] 1. ज्ञानी; पूर्ण योगी; वह जिसे योग आदि से अलौकिक शक्तियाँ प्राप्त हुई हों 2. संत; महात्मा।

सिद्धगति (सं.) [सं-स्त्री.] जैन मतानुसार वे कर्म जिनसे मनुष्य सिद्ध बनता या होता है; सिद्धिदायक कर्म। [वि.] जिसने सिद्धि प्राप्त की हो।

सिद्धनाथ (सं.) [सं-पु.] सिद्धेश्वर; महादेव; शिव।

सिद्धपुरुष (सं.) [सं-पु.] जिसे तंत्र, योग आदि विद्याओं में सिद्धि प्राप्त हो गई हो।

सिद्धहस्त (सं.) [वि.] कुशल; प्रवीण; निपुण; जिसका हाथ किसी काम में मँजा हो।

सिद्धांजन (सं.) [सं-पु.] तांत्रिकों के अनुसार एक प्रकार का कल्पित काजल।

सिद्धांत (सं.) [सं-पु.] 1. पर्याप्त तर्क-वितर्क के पश्चात निश्चित किया गया मत; उसूल; (प्रिंसिपल) 2. किसी विषय के संदर्भ में पर्याप्त प्रमाणों के आधार पर लिया गया अंतिम निर्णय जिसमें किसी परिवर्तन की गुंजाइश न हो, पक्की राय 3. ऋषियों, विद्वानों आदि परंपरा से आए हुए मत; (डॉक्ट्रिन)।

सिद्धांतवाद (सं.) [सं-पु.] अपने सिद्धांत का दृढ़तापूर्वक पालन करने पर बल देने वाली विचारधारा।

सिद्धांतवादी (सं.) [सं-पु.] अपने मान्य सिद्धांतों के अनुसार आचरण या व्यवहार करने वाला व्यक्ति; आदर्शवादी 2. सिद्धांतवाद का समर्थक या अनुयायी। [वि.] सिद्धांतवाद संबंधी।

सिद्धासन (सं.) [सं-पु.] 1. (हठयोग) एक प्रकार का योगासन 2. सिद्धपीठ।

सिद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी काम को सिद्ध करने की अवस्था या भाव 2. काम का पूरा होना; ठीक होना 3. कार्य-फल की प्राप्ति; सफलता 4. निश्चय; निर्णय 5. प्रमाणित होना 6. योग या तपस्या के द्वारा प्राप्त होने वाली दिव्य शक्ति; अलौकिक फल 7. निपुणता; दक्षता।

सिद्धिदाता (सं.) [वि.] जो सिद्धि प्रदान करे या कार्य सिद्ध करे; कार्य सिद्ध कराने वाला [सं-पु.] गणेश का एक नाम।

सिधाई (सं.) [सं-स्त्री.] सीधा होने का भाव; सरलता; भोलापन; छल-प्रपंच से दूर रहना।

सिन (अ.) [सं-पु.] अवस्था; उमर; वयस।

सिनक [सं-स्त्री.] 1. सिनकने की क्रिया या भाव 2. नाक से निकलने वाला कफ़ या मैल।

सिनकना (सं.) [क्रि-स.] नासिका मार्ग से ज़ोर से वायु निकालते हुए नाक का मैल या कफ़ बाहर निकालना।

सिनेजगत (इं.+सं.) [सं-पु.] 1. फ़िल्मी दुनिया 2. फ़िल्म उद्योग।

सिनेप्रेमी (इं.+सं.) [सं-पु.] वह जो फ़िल्म देखने का शौकीन हो; फ़िल्मप्रेमी।

सिनेमा (इं.) [सं-पु.] चलचित्र; फ़िल्म।

सिनेमाघर (इं.+हिं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ नियमित रूप से फ़िल्मों का प्रदर्शन होता है; (सिनेमा हॉल; टॉकीज़)।

सिनेमेटोग्राफ़ी (इं.) [सं-स्त्री.] चलचित्रों का छायांकन।

सिन्नी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मिठाई 2. देवता, पीर आदि के ऊपर चढ़ाई जाने वाली मिठाई 3. दुकानदार द्वारा बच्चों को दी जाने वाली टॉफ़ी आदि मीठी चीज़।

सिन्हा [सं-पु.] हिंदी प्रदेश तथा बंगालियों में प्रचलित एक कुलनाम या सरनेम।

सिप (इं.) [सं-स्त्री.] 1. घूँट; चुसकी 2. स्वीडन की एक प्रमुख समाचार संस्था।

सिपर (फ़ा.) [सं-स्त्री.] तलवार, भाला आदि का वार रोकने वाली ढाल।

सिपह (फ़ा.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में जुड़कर सेना तथा सेना से संबंधित होने का अर्थ देता है, जैसे- सिपहसालार, सिपहगरी आदि।

सिपहसालार (फ़ा.) [सं-पु.] सेना का प्रधान अधिकारी; सेनापति।

सिपारा (फ़ा.) [सं-पु.] कुरान के तीस भागों में से कोई एक विभाग या अध्याय।

सिपाह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सेना; फ़ौज।

सिपाहगरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सैनिक का पद या पेशा।

सिपाही (फ़ा.) [सं-पु.] 1. युद्ध में भाग लेने वाला; सैनिक; रक्षक; फ़ौजी 2. पुलिस विभाग के कर्मचारी जो पहरे आदि का कार्य करते हैं; (कांस्टेबल)।

सिप्पा [सं-पु.] 1. एक तरह की छोटी तोप 2. लक्ष्य-वेध; निशाना 3. सीप का अर्धांश 4. {ला-अ.} काम निकालने का उपाय; तरकीब।

सिफ़त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. व्यक्ति, वस्तु आदि की विशेषता जो उसकी प्रसिद्धि का कारण हो; गुण; ख़ासियत 2. प्रशंसा; तारीफ़ 3. प्रभाव; तासीर 4. उत्तमता; उम्दगी।

सिफ़र (अ.) [सं-पु.] 1. गिनती में वह संख्या जिसके बाद 1, 2, 3.. आदि आते हैं, शून्य; (ज़ीरो)। [वि.] 1. जिसमें कुछ भरा न हो; ख़ाली; रिक्त 2. अयोग्य; निकम्मा।

सिफ़लगी (अ.) [सं-स्त्री.] नीचता; कमीनापन; छिछोरापन।

सिफ़ला (अ.) [वि.] नीच; कमीना; छिछोरा।

सिफ़ारत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सफ़ीर या दूत का पद या कार्य 2. राजदूत का कार्यालय; दूतावास।

सिफ़ारिश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी व्यक्ति का कोई काम कर देने के लिए किसी अन्य व्यक्ति से अनुरोध करना 2. स्वयं किसी व्यक्ति या वस्तु की श्रेष्ठता की स्वीकृति देते हुए उसके पक्ष में अन्य किसी व्यक्ति या संस्थान से स्वीकृति का आग्रह करना; संस्तुति।

सिफ़ारिशी (फ़ा.) [वि.] 1. सिफ़ारिश संबंधी 2. जिसमें किसी की सिफ़ारिश की गई हो 3. ख़ुशामदी 4. सिफ़ारिश रूप में होने वाला 5. सिफ़ारिश करने वाला।

सिफ़ारिशी टट्टू (फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] 1. वह जो सिफ़ारिश से किसी पद पर पहुँचा हो 2. ख़ुशामद या सिफ़ारिश द्वारा काम निकालने वाला या जीविका चलाने वाला व्यक्ति।

सिफ़ाल (फ़ा.) [सं-पु.] मिट्टी का बरतन; ठीकरा।

सिमकार्ड (इं.) [सं-स्त्री.] मोबाइल के अंदर डाला जाने वाला एक छोटे आकार का इलेक्ट्रॉनिक कार्ड जिससे वह सक्रिय होता है।

सिमटना (सं.) [क्रि-अ.] 1. संकुचित होना; सिकुड़ना 2. पास आना; करीब आना 3. बिखरी हुई वस्तुओं का इकट्ठा होना 4. काम आदि का पूरा होना; समाप्त होना 5. लज्जा आदि के कारण सिकुड़ना; संकुचित होना।

सिमसिमी [सं-स्त्री.] एक प्रकार का तरल पदार्थ जो गीली लकड़ी जलाने पर बुदबुदों के रूप में निकलता है।

सियादत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शासन; हुकूमत 2. नेतृत्व।

सियापा [सं-पु.] 1. मनुष्य के मरने के बाद कई स्त्रियों द्वारा इकट्ठे होकर ज़ोर-ज़ोर से रोकर मातम मनाने का प्रचलन 2. मृत्यु शोक; रोना-पीटना 3. मातम।

सियार (सं.) [सं-पु.] कुत्ते की जाति का एक जंगली पशु; शृगाल; गीदड़।

सियासत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. राजनीति 2. शासन-प्रबंध; राजकाज 3. {ला-अ.} छल; फ़रेब; मक्कारी।

सियासती (अ.) [वि.] सियासत से संबंधित; राजनीति विषयक; राजनीतिक।

सियासी (अ.) [वि.] राजनीतिक; राजनीति संबंधी; शासनादि से संबंधित।

सियाह (फ़ा.) [वि.] 1. काला; कृष्ण वर्ण का; स्याह 2. {ला-अ.} बुरा; दूषित।

सियाहत (अ.) [सं-स्त्री.] यात्रा; भ्रमण; सैर; पर्यटन।

सियाहा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सरकारी ख़ज़ाने का वह रजिस्टर जिसमें ज़मीन से प्राप्त मालगुज़ारी या लगान का हिसाब लिखा जाता है 2. आय-व्यय की बही; रोजनामचा।

सियाही (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. लिखने के लिए उपयुक्त स्याही; मसि 2. श्यामता; कालापन; कालिमा; कालिख 3. अँधेरा; अंधकार 4. काजल 5. {ला-अ.} कलंक; बदनामी।

सिर (सं.) [सं-पु.] 1. जीव-जंतुओं के शरीर में गरदन के ऊपर का भाग 2. कपाल; खोपड़ी जिसमें आँख, नाक, कान आदि होते हैं 3. दिमाग; मस्तिष्क 4. किसी वस्तु का ऊपरी भाग; सिरा; चोटी। [मु.] -चढ़ाना : अनुपयुक्त व्यक्ति को अत्यधिक महत्व देकर अपने ऊपर मुसीबत मोल लेना। -आँखों पर बैठाना : (व्यक्ति अथवा वस्तु को) सम्मान और विनम्रतापूर्वक ग्रहण करना। -ऊँचा करना : मान-सम्मान में वृद्धि करना। -उठाकर जीना : गर्वपूर्वक जीना। -ओखली में देना : व्यर्थ ही जान-बूझकर जोख़िम में पड़ना। -कदमों पर होना : नतमस्तक होना। -खाना : कोई बात बार-बार कहकर किसी को परेशान करना। -का पसीना एड़ी तक आना : घोर परिश्रम करना। -खपाना : ऐसा काम या बात करना जिससे कोई लाभ न हो और व्यर्थ मस्तिष्क थक जाए। -छिपाना : रहने के लिए आश्रय ढूँढ़ना। -धुनना : पश्चाताप या शोक के कारण बहुत अधिक दुख प्रकट करना। -पर ख़ून सवार रहना : इतना अधिक क्रोध चढ़ना मानो किसी के प्राण ले लेंगे; अपने आपे में न रहना। -से पानी गुज़रना : ऐसी स्थिति में पड़ना कि कष्ट या संकट पराकाष्ठा तक पहुँच जाए। -पर भूत सवार होना : कोई काम करने के लिए विकल या पागल होना।

सिरकटा (सं.) [वि.] 1. जिसका सिर कट गया हो 2. दूसरे का सिर काटने वाला 3. {ला-अ.} बहुत अपकार करने वाला।

सिरका (फ़ा.) [सं-पु.] ईख, अंगूर, जामुन आदि के रस को धूप में रखकर खमीर बनाकर तैयार किया गया खट्टा रस जिसका उपयोग भोजन और अचार आदि बनाने में करते हैं।

सिरकी [सं-स्त्री.] 1. एक तरह की लंबी घास की सूखी हुई डंडिया; सरकंडा; सरई 2. बैलगाड़ियों पर आड़ करने के लिए बनाया जाने वाला सरकंडे का छोटा छप्पर या टट्टी।

सिरगोटी [सं-स्त्री.] गलगल नामक एक प्रकार का पक्षी।

सिरताज (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिर पर पहना जाने वाला एक आभूषण; मुकुट; ताज 2. अपने वर्ग में सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति या वस्तु; शिरोमणि 3. {ला-अ.} मालिक; सरदार।

सिरदर्द (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिर में होने वाला दर्द; माथे की पीड़ा 2. {ला-अ.} चिंता या परेशानी का कारण।

सिरधरा [सं-पु.] संरक्षक; पृष्ठपोषक। [वि.] 1. सिर पर धारण किया जाने वाला; शिरोधार्य 2. बहुत अधिक लाड़-दुलार से पला हुआ।

सिरनामा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पत्र पर लिखा हुआ पता; पत्र के प्रारंभ में पाने वाले का नाम, उपाधि, अभिवादन आदि 2. लेखों आदि का शीर्षक।

सिरपेंच (फ़ा.) [सं-पु.] 1. साफ़ा या पगड़ी 2. वह आभूषण जो पगड़ी में लगाया जाता है।

सिरफिरा [वि.] जिसका दिमाग फिर गया हो; विकृत मस्तिष्क वाला; झक्की; सनकी।

सिरफुटौवल [सं-स्त्री.] एक-दूसरे का सिर फोड़ना; मारपीट; लडाई-झगड़ा।

सिरमौर [सं-पु.] 1. मुकुट; ताज; शिरोमणि 2. प्राचीन समय में प्रचलित एक प्रकार का केश-विन्यास।

सिरहाना (सं.) [सं-पु.] 1. चारपाई में सिर की ओर का भाग 2. चारपाई में तकिए के नीचे का भाग।

सिरहाने (सं.) [क्रि.वि.] 1. सिर की ओर; सिर के पास में 2. चारपाई में सिर की ओर के भाग पर।

सिरा (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपरी भाग या छोर का अंतिम अंश; छोर; किनारा 2. आरंभ या अंत का भाग 3. शीर्ष; नोक।

सिराज (अ.) [सं-पु.] 1. दीपक; चिराग 2. सूर्य।

सिराजी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शीराज का निवासी; शीराजी 2. शीराज का घोड़ा।

सिराली [सं-स्त्री.] मोर की कलगी; मयूरशिखा।

सिरी [सं-स्त्री.] 1. भोजन के उद्देश्य से मारे गए पशु या पक्षी का सिर 2. सिर पर पहना जाने वाला एक आभूषण।

सिरोपाव [सं-पु.] पुराने समय में बादशाह या राजा की ओर से किसी को सम्मान के रूप में मिलने वाले सिर से पैर तक पहनने के सभी कपड़े; खिलअत।

सिरोही [सं-स्त्री.] 1. तलवार 2. काले रंग की एक चिड़िया 3. राजस्थान में एक जिले का नाम।

सिर्फ़ (अ.) [अव्य.] 1. निश्चित परिमाण या मात्रा में 2. मात्र 3. इतना भर; केवल 4. अकेले; कोई और नहीं।

सिल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चटनी, मसाला आदि पीसने की पत्थर की आयताकार पटिया 2. पत्थर का बड़ा लंबा टुकड़ा; शिला; पत्थर की चट्टान 3. मकान आदि में लगाई जाने वाली पटिया।

सिलन [सं-स्त्री.] 1. सिलाई 2. वह सिलाई जो कपड़े आदि पर की गई हो; सीवन।

सिलना [क्रि-अ.] सुई और धागे से कपड़े, चमड़े आदि को जोड़ना; सिलाई होना; सिला जाना।

सिलपट (सं.) [वि.] 1. चौरस; बराबर; समतल 2. घिसने से जिसके चिह्न आदि नष्ट हो गए हों; सपाट 3. बुरी तरह से नष्ट या बरबाद किया हुआ; चौपट।

सिलबट्टा [सं-पु.] पत्थर का ऐसा छोटा चोकौर टुकड़ा जिससे मसाला आदि पीसा जाता है; सिल और पीसने का लोढ़ा।

सिलवट [सं-स्त्री.] 1. मुड़ने, दबने आदि से पड़ा हुआ निशान; रेखा 2. सिकुड़ने से पड़ी हुई लकीर; सिकुड़न; शिकन।

सिलवाना [क्रि-स.] किसी कपड़े आदि की सिलाई कराना; किसी को सिलाई करने के लिए प्रवृत्त करना; किसी से सिलाई का काम कराना।

सिलसिला (अ.) [सं-पु.] 1. एक क्रम में होने वाली घटनाओं आदि का संबंध 2. एक के बाद एक चलते रहने वाला क्रम; क्रमिकता; श्रेणी; पंक्ति; कतार 3. लड़ी; शृंखला 5. व्यवस्था; तरतीब; क्रम।

सिलसिलेवार (अ.+फ़ा.) [वि.] क्रमानुसार; तरतीबवार; क्रमिक रूप से; क्रमवार; शृंखला के रूप में।

सिलह (अ.) [सं-पु.] 1. हथियार; अस्त्र-शस्त्र 2. कवच।

सिलहख़ाना (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] हथियार या अस्त्र रखने का स्थान; शस्त्रागार।

सिलहिला [वि.] 1. जो चिकना तथा फिसलनदार हो 2. कीचड़ आदि के कारण रपटनवाला; पिच्छल।

सिला1 (सं.) [सं-पु.] 1. फ़सल कटने के बाद खेत में बचे या बिखरे हुए अन्न-कण 2. उक्त प्रकार के अन्न को चुनने की वृत्ति 3. अनाज का वह गल्ला जिसे अभी फटका जाना हो।

सिला2 (अ.) [सं-पु.] 1. पुरस्कार; इनाम; पारिश्रमिक 2. बदला; प्रतिकार।

सिलाई [सं-स्त्री.] 1. सीने की क्रिया, तरीका या भाव 2. सिले हुए कपड़े आदि पर दिखने वाले टाँके; सीवन; सीयन 3. सीने की मज़दूरी या पारिश्रमिक।

सिलाह (अ.) [सं-पु.] 1. अस्त्र; शस्त्र; आयुध; हथियार 2. संधि; मित्रता; शांति।

सिलाहबंद (अ.+फ़ा.) [वि.] सशस्त्र; हथियारबंद; सिलाहपोश।

सिलाही (अ.) [सं-पु.] 1. सैनिक; सिपाही; फ़ौजी 2. कवचधारी।

सिलेंडर (इं.) [सं-पु.] 1. एक बेलनाकार खोखला पात्र 2. उक्त प्रकार का धातु निर्मित पात्र जिसमें गैस भरकर रखी जाती है।

सिलौटा [सं-पु.] मसाला आदि पीसने की सिल और उसका बट्टा; बड़ी सिल।

सिल्क1 (इं.) [सं-पु.] 1. रेशम; रेशा 2. रेशमी कपड़ा या वस्त्र।

सिल्क2 (अ.) [सं-पु.] 1. तंतु; तागा; डोरा 2. वह धागा जिसमें मोती पिरोए जाते हैं।

सिल्ला (सं.) [सं-पु.] 1. पकी हुई फ़सल के कटने के बाद खेत में गिरे हुए अनाज के दाने; खलिहान में गिरा हुआ अनाज 2. ओसाने के बाद भूसे का वह ढेर जिसमें कुछ अनाज हो।

सिल्ली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पत्थर की चौकोर पटिया जो प्रायः छत आदि बनाने में उपयोग की जाती है 2. छोटी शिला; पत्थर का टुकड़ा 3. हथियार या नाई आदि के उस्तरे की धार तेज करने का पत्थर 4. सोने, चाँदी आदि धातुओं की छोटी सिल; खंड।

सिल्वर (इं.) [सं-पु.] सफ़ेद रंग की एक मँहगी धातु; चाँदी।

सिवा (अ.) [वि.] व्यर्थ; फालतू। [अव्य.] 1. जो है या जो हो उससे हटकर; उसके अतिरिक्त; उसके अलावा 2. किसी की तुलना में और अधिक; उससे बढ़कर।

सिवान (सं.) [सं-पु.] 1. किसी राज्य आदि की सीमा; हद 2. सीमा पर स्थित भूमि।

सिविल (इं.) [वि.] 1. नागरिकों से संबंधित 2. नगर की व्यवस्था से संबंध रखने वाला 3. असैनिक; गैर-फ़ौजी 4. शिष्ट; सभ्य।

सिविलियन (इं.) [सं-पु.] 1. शासन और प्रबंध-विभाग का कर्मचारी; असैनिक कर्मचारी 2. असैनिक नागरिक।

सिसक [सं-स्त्री.] 1. सिसकने की क्रिया या भाव 2. सिसकने से उत्पन्न होने वाला शब्द।

सिसकना [क्रि-अ.] धीरे-धीरे रोना; सिसकी भरना; हूँकना; हिलकना।

सिसकारना [क्रि-अ.] 1. मुँह से सीटी जैसी सी-सी की आवाज़ निकालना 2. सीत्कार करना। [क्रि-स.] आक्रमण करने के लिए बढ़ावा देना; उकसाना; लहकारना।

सिसकारी [सं-स्त्री.] 1. सिसकारने या लहकारने की क्रिया, भाव या शब्द 2. मुँह से निकली हुई सीटी जैसी सी-सी की आवाज़ 3. सीत्कार।

सिसकी [सं-स्त्री.] 1. सिसकने या रोने की क्रिया या भाव 2. सिसकने की ध्वनि; सिसकारी; धीरे-धीरे रोने की ध्वनि।

सिस्टम (इं.) [सं-पु.] 1. व्यवस्था; प्रबंध 2. प्रणाली; पद्धति; रीति; तरीका।

सिस्टर (इं.) [सं-स्त्री.] 1. बहन 2. चिकित्सालय की परिचारिका; (नर्स) 3. ईसाई भिक्षुणी।

सिहरन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सिहरने की क्रिया, भाव या दशा 2. ठंड या भय से होने वाला कंपन; कँपकँपी; सिहरी 3. सहलाने से होने वाला रोमांच।

सिहरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. ठंड आदि से काँपना 2. भयभीत होने के कारण थरथराना 3. रोमांचित होना।

सिहराना (सं.) [क्रि-स.] 1. ऐसा कोई कार्य करना जिससे कोई सिहरे; कँपाना 2. डराना 3. रोमांचित करना।

सिहोर (सं.) [सं-पु.] 1. थूहड़ नाम का पौधा 2. एक कँटीला वृक्ष।

सी [सं-स्त्री.] अत्यधिक पीड़ा या प्रसन्नता की स्थिति में मुँह से निकलने वाला शब्द; सीत्कार। [अव्य.] 'सा' का स्त्रीलिंग रूप, जैसे- ज़रा-सी चीज़।

सींक (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घास आदि का पतला कड़ा डंठल; लंबा तिनका 2. तीली; तृण 3. नाक की कील 4. बाण; तीर।

सींका (सं.) [सं-पु.] पेड़-पौधों की पतली टहनी आदि; उपशाखा।

सींकिया [वि.] 1. बहुत अधिक दुबला-पतला; कमज़ोर 2. सींक-सा पतला 3. सींक के आकार की लंबी-लंबी धारियाँ, जैसे- सींकिया छपाई।

सींग (सं.) [सं-पु.] 1. खुरवाले पशुओं के सिर के दोनों ओर निकले कड़े नुकीले अवयव जिससे वे अपनी रक्षा करते हैं; विषाण; शृंग 2. सिंगी नाम का बाजा।

सींगदाना [सं-पु.] मूँगफली का दाना।

सींच [सं-स्त्री.] 1. सींचने की क्रिया या भाव; सिंचाई; छिड़काव 2. पेड़-पौधों को पानी देना।

सींचना (सं.) [क्रि-स.] 1. खेतों के पेड़-पौधों को पानी देना 2. तर करना; भिगोना।

सीकर (सं.) [सं-पु.] 1. पानी की बूँदें; जल-कण 2. छींटा; बूँद 3. राजस्थान का एक शहर।

सीकस (सं.) [सं-पु.] 1. बलुई ज़मीन; रेतीली धरती 2. बंजर या ऊसर भूमि।

सी-कॉपी (इं.) [सं-स्त्री.] प्रूफ़ संशोधन में इसका प्रयोग होता है, इसका अर्थ है मूल प्रति से मैटर को मिलाकर गलत अंश सुधारें।

सीक्रेट (इं.) [सं-पु.] रहस्य; राज़; मर्म; भेद। [वि.] गोपनीय; गुप्त; छिपा हुआ; गूढ़।

सीख (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शिक्षा; तालीम 2. उपदेश; हित की बात 3. अनुभव से प्राप्त होने वाला ज्ञान 4. परामर्श; सलाह; मंत्रणा। [मु.] -देना : नसीहत देना।

सीख़चा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. लोहे या इस्पात की लंबी-मोटी छड़ 2. छोटी सलाख़; सरिया।

सीखना [क्रि-स.] 1. किसी कला या हुनर का ज्ञान प्राप्त करना 2. किसी विषय का ज्ञान प्राप्त करना; शिक्षा प्राप्त करना 3. अनुभव प्राप्त करना।

सीगा (अ.) [सं-पु.] 1. ढाँचा; साँचा 2. विभाग; महकमा 3. (व्याकरण) कारक, पुरुष, लिंग और वचन।

सीज़न (इं.) [सं-पु.] 1. मौसम; ऋतु 2. वर्ष का वह समय जो किसी विशेष गतिविधि के लिए उपयुक्त माना जाता है 3. वर्ष का वह समय जब कोई विशेष गतिविधि होती है, जैसे- शादियों का सीज़न, अमरूद का सीज़न।

सीझना (सं.) [क्रि-अ.] 1. आग और पानी की सहायता से पकना 2. सब्ज़ी, दाल आदि का आँच पर गलना या पकना 3. पककर नरम होना 4. सूखे चमड़े का सिझाव या मसाले से नरम पड़ना; (सीज़निंग) 5. {ला-अ.} कष्ट या दुख सहना।

सीट (इं.) [सं-स्त्री.] 1. बैठने का स्थान 2. जगह; स्थान 3. बैठने की वस्तु, कुरसी आदि।

सीटना [क्रि-अ.] शेखी बघारना; बहुत बढ़-चढ़कर बातें करना; डींग मारना।

सीटी [सं-स्त्री.] 1. दोनों होठों को गोलाकार सिकोड़कर उनके बीच से हवा निकालने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि 2. किसी विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न उक्त प्रकार की ध्वनि 3. रेल इंजन या प्रेशरकुकर से निकलने वाली ध्वनि 4. छोटे आकार का एक वाद्य यंत्र जिसमें मुँह से फूँकने पर उक्त प्रकार की ध्वनि निकलती है। [मु.] -मारना : बुलाने या संकेत करने के लिए सीटी बजाना।

सीठना [सं-पु.] विवाह आदि के अवसर पर संबंधियों का उपहास उड़ाने के लिए गाए जाने वाले अश्लील लोकगीत; मीठी गाली।

सीठा (सं.) [वि.] फीका; बेस्वाद; नीरस; बेमज़ा।

सीठी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वादहीन या रसहीन वस्तु 2. फल आदि का चूसकर या रस निचोड़कर बचा हुआ भाग, जैसे- आम की सीठी 3. बची-खुची चीज़ 4. {ला-अ.} ऐसी वस्तु जो सारहीन हो।

सीड़ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पानी के कारण होने वाली नमी; ठंडक 2. सीलन; सील; तरी।

सीढ़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊँचे स्थान पर चढ़ने के लिए एक के ऊपर एक बना हुआ पैर रखने का स्थान; जीना 2. बाँस के दो बल्लों या काठ के लंबे टुकड़ों का बना लंबा खंभे जैसा ढाँचा जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पैर रखने के लिए डंडे लगे रहते हैं।

सीढ़ीदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] सीढ़ी से युक्त; जिसमें या जहाँ सीढ़ी बनी हो।

सीढ़ीनुमा (हिं.+फ़ा.) [वि.] जो सीढ़ी की तरह बराबर एक के बाद एक ऊँचा होता गया हो; सम-समुन्नत।

सीता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (रामायण) मिथिला नरेश जनक की कन्या जिसका विवाह रामचंद्र से हुआ था; जानकी; वैदेही 2. हल द्वारा जोतने से ज़मीन पर निर्मित रेखाकार गड्ढा 3. हल का फाल 4. कृषिकर्म 5. कृषि की अधिष्ठात्री देवी 6. राजा की व्यक्तिगत कृषि भूमि; सीर 7. प्राचीन काल में सीताध्यक्ष नामक अधिकारी द्वारा प्रजा से एकत्रित अन्न।

सीताफल (सं.) [सं-पु.] 1. शरीफा नामक फल 2. कुम्हड़ा; कद्दू; काशीफल।

सीत्कार (सं.) [सं-पु.] वह आवाज़ जो पीड़ा या आनंद के समय मुँह से निकलती है; सी-सी की ध्वनि; सिसकारी।

सीद (सं.) [सं-पु.] 1. ब्याज पर रुपए देने का व्यवसाय 2. कुसीद; सूदख़ोरी 3. दुख; कष्ट; पीड़ा।

सीदना [क्रि-अ.] 1. दुख या कष्ट पाना 2. नष्ट या बरबाद होना।

सीध (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीधे होने की अवस्था, गुण या भाव 2. सरलता; सिधाई 3. ठीक सामने का विस्तार।

सीधा (सं.) [वि.] 1. जो टेढ़ा न हो; सरल; ऋजु 2. जिसमें कपट न हो; निश्छल 3. शांत; सुशील 4. सुगम; आसान 5. अनुकूल 6. भोला-भाला 7. दाहिना; दक्षिण 8. प्रत्यक्ष। [मु.] -करना : कठोर व्यवहार करके अथवा दंड देकर किसी को अपने अनुकूल बनाना या ठीक रास्ते पर लाना।

सीधापन [सं-पु.] 1. सीधा होने की अवस्था, गुण या भाव 2. सिधाई; सरलता; निश्छलता; कपटहीनता; भोलापन।

सीधा-सादा [वि.] जो छल-कपट न जानता हो; भोला-भाला; सरल स्वभाव वाला।

सीधी (सं.) [वि.] 1. सरल; ऋजु; निश्छल; भोली-भाली 2. प्रत्यक्ष। [मु.] -आँख न देखना : क्रोधपूर्वक देखना। -सुनाना : साफ़-साफ़ कहना; खरी बात कहना।

सीधे [क्रि.वि.] 1. सामने की ओर; सीध में; सम्मुख; बिना मुड़े-झुके 2. बिना बीच में रुके; बिना कहीं और गए हुए 3. जल्दी से; तुरंत। [मु.] -मुँह बात न करना : अक्खड़पन से बात करना।

सीधे-सीधे [क्रि.वि.] 1. स्पष्ट रूप से; बिना लाग-लपेट के 2. ईमानदारी से 3. शांतिपूर्वक।

सीन (इं.) [सं-पु.] 1. दृश्य; नज़ारा 2. रंगमंच में पृष्ठभूमि वाला परदा 3. किसी घटना नाटक का दृश्य।

सीना1 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. छाती; वक्षस्थल 2. स्तन; उरोज 3. {ला-अ.} मन; हृदय। [मु.] -छलनी होना : किसी अपने की बात चुभ जाना।

सीना2 (सं.) [क्रि-स.] सुई-धागा या सूजे-रस्सी आदि की सहायता से कपड़े, प्लास्टिक, टाट, कागज़ आदि के टुकड़ों को जोड़ना; सिलाई करना।

सीनाज़ोर (फ़ा.) [वि.] 1. छाती पर सवार होकर काम करने वाला; उद्दंड 2. ज़बरदस्त; ताकतवर 3. अत्याचारी।

सीनाज़ोरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ज़बरदस्ती; उद्दंडता; अनुचित बात को बल पूर्वक उचित सिद्ध करने का प्रयास; ज़ोर-ज़बरदस्ती; अत्याचार।

सीनासाफ़ (फ़ा.) [वि.] जिसके मन में दुराव न हो; साफ़ दिल का; खरा।

सीनियर (इं.) [सं-पु.] 1. अवस्था या पद में बड़ा 2. ज्येष्ठ; उच्च; श्रेष्ठ; प्रवर 3. वयस्क व्यक्ति; बुज़ुर्ग।

सीनेट (इं.) [सं-पु.] 1. समिति 2. राज्यसभा 3. व्यवस्थापिका सभा 4. विश्वविद्यालय की प्रबंध कारिणी सभा।

सीनेटर (इं.) [सं-पु.] समिति या राज्यसभा का सदस्य।

सीप (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शंख, घोंघे आदि जैसा जलीय प्राणी का खोल; शुक्ति; सीपी 2. सीपी का चमकीला हिस्सा जिससे बटन आदि बनाए जाते हैं।

सीपिया [सं-पु.] पीलापन लिए हुए गहरा भूरा रंग।

सीपी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवपूजा, तर्पण आदि में व्यवहृत एक प्रकार का लंबोतर जलपात्र 2. सीप; शुक्ति।

सीमंत (सं.) [सं-पु.] 1. सिर में निकाली हुई माँग; स्त्रियों के सिर की माँग 2. हद; सीमारेखा 3. अस्थिसंघात; हड्डियों का जोड़।

सीमंतिनी (सं.) [सं-स्त्री.] सिर में माँग निकालने वाली स्त्री; नारी।

सीमंतोन्नयन (सं.) [सं-पु.] हिंदुओं के दस संस्कारों में से तीसरा संस्कार।

सीमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी क्षेत्र अथवा स्थान के चारों ओर के विस्तार की अंतिम रेखा; परिधि; हद; छोर 2. पराकाष्ठा 3. बाड़ 4. मर्यादा। [मु.] -बंद करना : किसी को एक देश से दूसरे देश में आने-जाने न देना।

सीमांत (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ किसी सीमा का अंत होता है; सरहद।

सीमाकर (सं.) [सं-पु.] किसी देश की सीमा पर वस्तुओं के आयात-निर्यात पर लगने वाला कर या टैक्स; सीमाशुल्क।

सीमाकरण (सं.) [सं-पु.] सीमा का अंकन या निर्धारण; (डिमार्केशन)।

सीमाचिह्न (सं.) [सं-पु.] 1. सीमा का सूचक चिह्न; सीमा या बॉर्डर का संकेत करने वाला पदार्थ।

सीमापुलिस (सं.‌+इं.) [सं-स्त्री.] सीमा की सुरक्षा के लिए नियुक्त बल या फ़ोर्स; सीमा पर तैनात पुलिस।

सीमाबद्ध (सं.) [वि.] सीमा में बँधा हुआ; किसी ख़ास सीमा तक; जिसकी सीमा तय कर दी गई हो; सीमित; नियमबद्ध।

सीमा रेखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीमा की रेखा; सीमा को तय करने वाली लकीर; सरहद 2. मर्यादा।

सीमावर्ती (सं.) [वि.] सीमा के पास का; सरहद के समीप का।

सीमा शुल्क (सं.) [सं-पु.] किसी राज्य की सीमा पर वस्तुओं के आयात-निर्यात पर लगने वाला शुल्क; सीमाकर; (कस्टम ड्यूटी)।

सीमाहीन (सं.) [वि.] जिसकी कोई सीमा न हो; असीम; सर्वव्यापी।

सीमित (सं.) [सं-स्त्री.] जिसकी सीमाएँ हों; एक निश्चित विस्तार या सीमा तक; मात्रा में नियत।

सीमेंट (इं.) [सं-पु.] चूना पत्थर, जिप्सम आदि मिश्रित एक चूर्ण जो भवन निर्माण के काम आता है; भवन निर्माण में ईंट, पत्थर आदि को जोड़ने के काम आने वाला मसाला।

सीमोल्लंघन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी निश्चित सीमा से बाहर जाना; सीमा लाँघना; सीमा का अतिक्रमण 2. किसी राज्य पर आक्रमण के उद्देश्य से अपनी सीमा पार करके उसकी सीमा में पहुँचना 3. {ला-अ.} मर्यादा के विरुद्ध कार्य या आचरण करना; मर्यादा-भंग।

सीर (सं.) [सं-पु.] 1. हल 2. सूर्य; प्रभाकर 3. जोता जाने वाला बैल 4. आक; मदार। [सं-स्त्री.] 1. किसी के साझे में भूमि जोतने-बोने की रीति 2. हिस्सेदारी; साझेदारी 3. साझे में जोती-बोई जाने वाली भूमि; साझे का खेत; वह ज़मीन जिसे भू-स्वामी या ज़मींदार आसामी की मदद से जोतता-बोता है 4. संबंध; लगाव; नाता।

सीरक (सं.) [सं-पु.] 1. हल 2. सूर्य।

सीरत (अ.) [सं-स्त्री.] स्वभाव; चरित्र; प्रकृति।

सीरदार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] स्थायी वंश परंपरा में अधिकार प्राप्त वह ज़मींदार जो अपनी ज़मीन किसी आसामी के साझे में जोतता-बोता हो।

सीरदारी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सीरदार का काम या पद 2. हिस्सेदारी; साझा।

सीरा1 (सं.) [वि.] 1. ठंडा; शीतल 2. शांत स्वभाववाला 3. मौन; चुप।

सीरा2 (फ़ा.) [सं-पु.] सूजी या आटे को भूनकर चाशनी मिलाकर बनाया गया व्यंजन; हलुआ।

सीरियल (इं.) [सं-पु.] 1. वह कहानी या लेख जो किसी पत्रिका के कई अंकों में किस्तों में प्रकाशित हो 2. ऐसी कहानी जो टेलिविज़न पर उक्त प्रकार से कई भागों में विभक्त करके दिखाई जाती हो; धारावाहिक 3. सुबह के नाश्ते या ब्रेकफ़ास्ट में अन्न से बने पौष्टिक पदार्थ, जैसे- कॉर्नफ्लेक्स, दलिया आदि। [क्रि.वि.] जो क्रमिक रूप से हो; क्रमानुसार; सिलसिलेवार।

सीरियस (इं.) [वि.] 1. गंभीर; विचारशील 2. रोगी की नाज़ुक या गंभीर अवस्था।

सीरीज़ (इं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रमिक रूप से घटित घटनाओं का समूह; श्रेणी; माला 2. किसी प्रकाशन संस्था द्वारा प्रकाशित वह पुस्तकमाला जिसका विषय, मूल्य एवं जिल्द समान हो 3. सिलसिला।

सील1 [सं-पु.] चूड़ियों को गोल और सुडौल करने के लिए प्रयुक्त लकड़ी का एक हाथ लंबा आला या औज़ार। [सं-स्त्री.] नमी के कारण ज़मीन में होने वाली सीड़।

सील2 (इं.) [सं-पु.] 1. किसी लेख या पत्र आदि पर लगाई जाने वाली मुहर; मुद्रा; छाप; ठप्पा 2. प्रायः ठंडे प्रदेशों में रहने वाला एक स्तनपायी चौपाया समुद्री जीव।

सीलन (सं.) [सं-स्त्री.] भूमि, दीवारों, कपड़ों, कागज़ों आदि में आई हुई आर्द्रता; नमी।

सीलनदार (सं.) [वि.] सीलन से भरा; नमी से युक्त।

सीला (सं.) [सं-पु.] 1. फ़सल कट चुकने के बाद खेत में बचे और बिखरे हुए अनाज के दाने 2. खेत में गिरे हुए अनाज के दानों को बीनने की वृत्ति। [वि.] आर्द्र; गीला; नम।

सीलिंग (इं.) [सं-स्त्री.] 1. (मौसमविज्ञान) बादलों के सबसे निचले स्तर की ऊँचाई 2. ज़मीन से वह अधिकतम ऊँचाई जहाँ वायुयान किसी विशेष परिस्थिति में ही उड़ सकता है 3. कमरे के अंदर की छत।

सीलिंग फ़ैन (इं.) [सं-पु.] छत का पंखा।

सीवन (सं.) [सं-स्त्री.] सिलाई का काम; सिलाई।

सीवनी (सं.) [सं-स्त्री.] वह रेखा जो लिंग के नीचे से गुदा तक जाती है; सीवन।

सीवर (इं.) [सं-पु.] जलमल निकास प्रणाली; मलमोरी; गंदा नाला।

सीस (सं.) [सं-पु.] मस्तक; माथा; सिर।

सीसताज (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह टोपी जिसे शिकार के लिए पाले गए जानवरों की आँखें, मुँह आदि बंद रखने के लिए पहनाया जाता है; कुलहा।

सीसफूल [सं-पु.] सिर पर पहना जाने वाला फूल के आकार का एक आभूषण।

सीसा (सं.) [सं-पु.] एक वजनी धातु जो मटमैले रंग की होती है; (लेड)।

सु (सं.) [पूर्वप्रत्य.] कुछ शब्दों के पहले जुड़कर उत्तम, अच्छा (सुकार्य), सुंदर (सुनयना), सहज (सुकर), शुभ (सुदिन), उचित (सुकर्म), भली प्रकार (सुसंबद्ध), अधिक (सुशिक्षित) आदि अर्थ देने वाला एक प्रत्यय।

सुँघनी [सं-स्त्री.] 1. सूँघने की चीज़ 2. तंबाकू के पत्ते को पीसकर तैयार किया गया बारीक चूर्ण जिसे चुटकी में लेकर ज़ोर से सूँघा जाता है; नास; नसवार।

सुँघाना [क्रि-स.] किसी को कुछ सूँघने में प्रवृत्त करना; किसी चीज़ की गंध ग्रहण कराने के उद्देश्य से किसी व्यक्ति की नाक के पास उस चीज़ को ले जाना; आघ्राण कराना।

सुंडा (सं.) [सं-पु.] हरे रंग का एक कीड़ा जो प्रायः सब्ज़ियों या फलों में पाया जाता है और उन्हें कुतरता है; सूँड़ी।

सुंदर (सं.) [वि.] 1. जो देखने में सुखद हो; जो मन को भा जाए; अच्छा; भला 2. ख़ूबसूरत; शोभन; सुरूप।

सुंदरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर होने की अवस्था या भाव 2. ख़ूबसूरती; सौंदर्य; मनोहरता।

सुंदरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर मुखाकृति वाली स्त्री; रूपवती नारी 2. हिरण की एक प्रजाति 3. दुर्गा का एक नाम।

सुंबा [सं-पु.] 1. तोप, बंदूक आदि की नली ठंडी करने के लिए उस पर फेरा जाने वाला गीला कपड़ा; पुचारा 2. तोप की नाल साफ़ करने का गज़ 3. एक प्रकार का भारी औज़ार जिससे लोहे में छेद किया जाता है।

सुंबी [सं-पु.] एक औज़ार; लोहा काटने की छेनी।

सुअर (सं.) [सं-पु.] लंबी नाक और छोटी पूँछ वाला एक प्रकार का पालतू या जंगली जानवर; शूकर।

सुअरनी (सं.) [सं-स्त्री.] मादा सुअर; सुअरी; शूकरी।

सुअवसर (सं.) [सं-पु.] सुंदर अवसर; अच्छा मौका; कार्य-साधन हेतु अनुकूल और उपयुक्त परिस्थितियाँ।

सुआ [सं-पु.] तोता। [सं-स्त्री.] साफ़ जल में पाई जाने वाली हरे रंग की एक मछली जिसके दाँत कठोर और मज़बूत होते हैं।

सुआसनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साथ रहने वाली स्त्री; सहचरी 2. सधवा; सुहागिन।

सुईकारी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कपड़े पर सुई और धागे की सहायता से बेल-बूटे आदि बनाने का काम 2. सूचीशिल्प।

सुकंठ (सं.) [वि.] 1. जिसकी गरदन सुंदर हो 2. कोमल और मधुर आवाज़वाला; सुरीला।

सुकन्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर कन्या; गुणवान कन्या 2. (पुराण) च्यवन ऋषि की पत्नी जो महाराज शर्याति की कन्या थी।

सुकर (सं.) [वि.] आसानी से किया जा सकने वाला (कार्य), आसान; सरल; सुगम; सहज; सुसाध्य।

सुकरात (इं.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक; प्लेटो का गुरु; (सॉक्रटीज़)।

सुकर्म (सं.) [सं-पु.] 1. श्रेष्ठ या उत्तम काम 2. पवित्र कर्म; सत्कर्म; पुण्य।

सुकर्मी (सं.) [वि.] 1. अच्छे कार्य करने वाला; सत्कर्म या सुकर्म करने वाला; सदाचारी 2. जो धर्म या पुण्य कार्य करता हो; धर्माचारी।

सुकवि (सं.) [सं-पु.] अच्छा या उत्तम कवि।

सुकाल (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छा समय; उत्कर्ष काल; स्वर्ण काल 2. ऐसा समय जब मँहगाई कम हो; सस्ती का समय 3. 'अकाल' का विलोम।

सुकीर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] सुयश; प्रसिद्धि।

सुकुमार (सं.) [वि.] 1. सुंदर और कोमल (व्यक्ति या पदार्थ) 2. सौंदर्यपूर्ण तथा कोमलतायुक्त; नाज़ुक।

सुकुमारी (सं.) [वि.] 1. सुंदर और कोमल अंगों वाली (स्त्री); किशोरी; कोमलांगिनी 2. 'सुकुमार' का स्त्रीलिंग रूप।

सुकुल (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम या श्रेष्ठ कुल; कुलीन व्यक्ति 2. ग्रामीण बोली में 'शुक्ल' कुलनाम या सरनेम का तद्भव रूप।

सुकून (अ.) [सं-पु.] 1. आराम; इतमीनान 2. शांति; अमन 3. ठहराव; विराम 4. सन्नाटा; ख़ामोशी 5. धैर्य; सब्र; संतोष।

सुकृत (सं.) [सं-पु.] 1. दया, दान आदि पुण्य कर्म; पवित्र कर्म 2. सत्कर्म 3. सौभाग्यशाली व्यक्ति। [वि.] भली-भाँति या ठीक प्रकार से किया हुआ; सुनिर्मित।

सुकृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर या अच्छी कृति 2. धर्म और पुण्य का कार्य 3. शुभ कार्य; अच्छा काम; सत्कर्म।

सुकृती (सं.) [सं-पु.] 1. धर्मात्मा या पुण्यवान व्यक्ति 2. सौभाग्यशाली व्यक्ति। [वि.] 1. जो सत्कर्म करे 2. धार्मिक; पुण्यशील 3. भाग्यवान; सौभाग्यशाली 4. बुद्धिमान।

सुख (सं.) [सं-पु.] कामना पूर्ति से होने वाला आनंद, आराम; वह अनुभूति जो अपने तन-मन को भाए; आराम की अनुभूति। [मु.] -चैन से रहना : प्रसन्न या संतुष्ट रहना; सुखी जीवन व्यतीत करना।

सुखंडी [सं-स्त्री.] प्रायः छोटे बच्चों को होने वाला एक प्रकार का रोग जिसमें उनका शरीर दुर्बल हो जाता है; सूखा रोग। [वि.] अशक्त; दुर्बल; क्षीण।

सुखकर (सं.) [वि.] सुख देने वाला; सुखद; आरामदेह।

सुखकारी (सं.) [वि.] सुख देने वाला; सुखकारक; सुखदायक; सुखदायी।

सुखजीवी (सं.) [वि.] 1. जो सुख से जीवन बिता रहा हो; सुखमय जीवन बिताने वाला 2. जो सुखपूर्वक जीवन बिताना चाहता हो 3. जो परिश्रम नहीं करना चाहता हो; आरामतलब।

सुखद (सं.) [वि.] सुख देने वाला; आनंददायी; जिससे प्रसन्नता की अनुभूति हो।

सुखदाता (सं.) [वि.] सुख या आनंद देने वाला; सुखद; सुखदायी।

सुखदायक (सं.) [वि.] सुखद; सुखदायी।

सुखदायी (सं.) [वि.] सुखकारक; सुखदायक।

सुख-दुख (सं.) [सं-पु.] 1. हर्ष और शोक 2. गम और ख़ुशी 3. आराम और कष्ट।

सुखधाम (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जो सब तरह से सुखदायक हो 2. स्वर्गलोक; बैकुंठ।

सुख़न (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बात; कथन; वार्तालाप 2. काव्य; कविता; शायरी 3. कहावत 4. प्रवचन।

सुख़नफ़हम (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. बात की तह तक पहुँचने वाला; चतुर 2. कविता आदि के मर्म को जानने वाला; काव्यमर्मज्ञ; सहृदय।

सुख़नवर (फ़ा.) [वि.] जो सुख़न अर्थात काव्य की रचना करता हो; शायर; कवि।

सुख़नसाज़ (फ़ा.) [वि.] 1. कवि; शायर 2. बातों को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करने वाला; सुवक्ता 3. झूठी बातें बनाने वाला; छली; मक्कार।

सुखपाल (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की पालकी जिसका ऊपरी भाग शिवालय के शिखर जैसा होता है।

सुखप्रद (सं.) [वि.] सुख देने वाला; सुखद; सुखदायक; सुखकारी।

सुखभोग (सं.) [सं-पु.] 1. सुख भोगना 2. परिभोग; भोगविलास।

सुखमय (सं.) [वि.] सुख से युक्त; आरामदेह।

सुखमुख (सं.) [वि.] 1. जो सुंदर बातें करता हो 2. जिसका उच्चारण सरलता से किया जाता है 3. जो मुँहज़ोर न हो।

सुखवंत (सं.) [वि.] 1. सुखी; प्रसन्न; आनंदित 2. सुखदायक; सुखद।

सुखवन [सं-स्त्री.] किसी वस्तु के सूखने या सुखाने से उसमें होने वाली कमी।

सुखशय्या (सं.) [सं-पु.] 1. सुखद शय्या; आरामदायक बिस्तर 2. मृत्युशय्या; अरथी।

सुखसाध्य (सं.) [वि.] आसानी से हो सकने वाला; सहज रूप में किया जाने योग्य; सुगम; सरलता से पूर्ण होने वाला।

सुखसार (सं.) [सं-पु.] मुक्ति; मोक्ष।

सुख-सुविधा (सं.) [सं-स्त्री.] जीवन को सुखी बनाने वाली बात या वस्तु; सुख और सहूलियत; सुख-सुभीता।

सुखस्वप्न (सं.) [सं-पु.] 1. सुख प्रदान करने वाला सपना 2. सुखमय जीवन की कल्पना; भावी सुख की ऐसी कल्पना जिसका कोई दृढ़ आधार न हो।

सुखांत (सं.) [वि.] जिसका अंत सुखपूर्ण हो, जैसे- सुखांत नाटक।

सुखाना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु की नमी या गीलापन दूर करना 2. क्षीण तथा दुर्बल करना 3. नष्ट करना।

सुखाला [वि.] सुखी; ख़ुश; प्रसन्न।

सुखावह (सं.) [वि.] 1. सुख देने वाला; सुखद 2. सरलता से होने वाला; सहज।

सुखासन (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की पालकी 2. योग साधना में एक प्रकार का आसन।

सुखित (सं.) [वि.] प्रसन्न; सुखी।

सुखिता (सं.) [सं-स्त्री.] सुखी होने की अवस्था या भाव; आनंद; सुख; प्रसन्नता।

सुखिया [वि.] सुखी।

सुखी (सं.) [वि.] जिसे सुख मिल रहा हो; सुखयुक्त; सुखपूर्ण; प्रसन्न; ख़ुशहाल। [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) सवैया छंद का एक भेद।

सुगंध (सं.) [सं-स्त्री.] सुवास; ख़ुशबू; प्रिय या अच्छी गंध। [वि.] महक से युक्त; सुगंधित; ख़ुशबूदार।

सुगंधमय (सं.) [वि.] सुगंध से युक्त; सुगंधित।

सुगंधा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तुलसी 2. सौंफ 3. स्याह जीरा 4. कपूर कचरी 5. माधव वन में स्थित देवी का एक स्थान जिसकी गणना बाईस पीठ-स्थानों में की जाती है।

सुगंधित (सं.) [वि.] सुगंध से युक्त; ख़ुशबूदार; सुवासित; सुरभित।

सुगठन (सं.) [सं-स्त्री.] सुंदर गठन; अंगसौष्ठव।

सुगठित (सं.) [वि.] 1. सुंदर गठनवाला; जो अच्छी तरह गठा हुआ और सुडौल हो 2. अच्छी तरह, योजनाबद्ध रूप से निर्मित किया हुआ; सुयोजित।

सुगढ़ (सं.) [वि.] अच्छी तरह से गढ़ा अथवा निर्मित किया हुआ; सुघड़; सुडौल; सुविन्यस्त।

सुगत (सं.) [सं-पु.] महात्मा बुद्ध का एक नाम। [वि.] जिसे सद्गति मिली हो।

सुगति (सं.) [सं-स्त्री.] शास्त्रानुसार मृत्यु के उपरांत होने वाली अच्छी गति; मुक्ति; मोक्ष; सद्गति।

सुगबुग [सं-स्त्री.] धीमी आवाज़ में होने वाली बातचीत या चर्चा।

सुगबुगाहट [सं-स्त्री.] 1. धीमी आहट 2. आंतरिक व्याकुलता; बेचैनी आतुरता; कुलबुलाहट।

सुगम (सं.) [वि.] 1. जहाँ सहजता से पहुँचा जा सके 2. जो सहजता से प्राप्त हो सके 3. सरलता से किया जाने योग्य; सरल; आसान।

सुगमता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुगम होने की अवस्था या भाव 2. सरलता; सहजता।

सुगम्य (सं.) [वि.] 1. आसानी से जाने या पाने योग्य 2. जिसे सरलता से समझा जा सके; सुबोध; सरल; आसान।

सुगर [वि.] 1. सुंदर; सुघड़ 2. सुकंठ 3. जो आसान हो; सुगम। [सं-पु.] सिंदूर।

सुग्गा [सं-पु.] 1. तोता 2. सुंदर होने के अर्थ में प्रयुक्त शब्द।

सुग्रीव (सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) किष्किंधा का वानर राजा जो बालि का भाई तथा रामचंद्र का सहायक था 2. (पुराण) विष्णु या कृष्ण के चार घोड़ों में से एक 3. इंद्र 4. शिव 5. राजहंस। [वि.] सुंदर गरदन या ग्रीवावाला।

सुघट (सं.) [सं-पु.] सुंदर घट या घड़ा। [वि.] 1. जिसका गठन और बनावट सुंदर हो; सुडौल 2. सुंदर; मनोहर 3. आसानी से होने या हो सकने वाला; सुगम।

सुघटित (सं.) [वि.] 1. जिसकी बनावट या गठन सुंदर हो; सुडौल 2. अच्छी तरह योजनाबद्ध रूप से निर्मित किया हुआ; सुयोजित।

सुघड़ (सं.) [वि.] 1. ठीक ढंग से गढ़ा हुआ; सुडौल; सुंदर 2. किसी कार्य में कुशल; निपुण; हुनरमंद 3. सलीकेदार।

सुघड़ई [सं-स्त्री.] 1. सुघड़ होने की अवस्था या भाव 2. अच्छी बनावट; सुघड़पन; सुडौलता 3. निपुणता; कुशलता; सलीका 4. चतुरता; बुद्धिमानी।

सुघड़ता [सं-स्त्री.] 1. सुघड़ होने की अवस्था, गुण, भाव 2. सुघड़पन; सुघड़ई।

सुघड़ाई [सं-स्त्री.] 1. सुंदरता; ख़ूबसूरती 2. निपुणता; कुशलता; हुनरमंदी।

सुचरित्र (सं.) [वि.] जिसका चरित्र उत्तम हो; सच्चरित्र; सदाचारी; नेकचलन।

सुचर्चित (सं.) [वि.] अच्छे संदर्भों में चर्चित; व्यापक रूप से चर्चित।

सुचारु (सं.) [वि.] अतिशय सुंदर; बेहद ख़ूबसूरत; अत्यंत मनोहर।

सुचाल [सं-स्त्री.] 1. अच्छी चाल या युक्ति 2. अच्छा व्यवहार या आचरण।

सुचालक (सं.) [वि.] (वह वस्तु) जिसमें विद्युत, ताप आदि का परिचालन सुगमता से हो सके; सुसंवाहक।

सुचाली [वि.] 1. जिसका चाल-चलन अच्छा हो; अच्छे चरित्रवाला 2. सदाचारी।

सुचितई [सं-स्त्री.] 1. चित्त की निर्मलता 2. एकाग्रता 3. शांति 4. निश्चिंतता; बेफ़िक्री 5. अवकाश; छुट्टी; फ़ुरसत।

सुचित्त (सं.) [सं-पु.] 1. स्वस्थ मन 2. एकाग्र चित्त। [वि.] 1. जो सब तरह के काम, झगड़ों आदि से निवृत्त हो चुका हो 2. एकाग्र 3. जो चिंतारहित हो; निश्चिंत; बेफ़िक्र।

सुचिमन (सं.) [वि.] जिसका मन पवित्र हो; शुद्ध हृदयवाला।

सुचिर (सं.) [वि.] 1. स्थायी 2. पुराना; प्राचीन। [सं-पु.] दीर्घ काल; लंबा समय; लंबी अवधि।

सुचेत (सं.) [वि.] चौकन्ना; सतर्क; सावधान; सचेत।

सुजन (सं.) [सं-पु.] 1. दूसरों की सहायता करने वाला आदमी; भला आदमी; सज्जन 2. स्वजन। [वि.] 1. दयालु; कृपालु 2. भला।

सुजनी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की बड़ी और मोटी चादर।

सुजन्मा (सं.) [वि.] जिसने अच्छे परिवार में जन्म लिया हो; परंपरानुसार कुलीन माने जाने वाले परिवार में जन्म लेने वाला; सुजात।

सुजागर (सं.) [वि.] 1. प्रकाशमान; चमकीला 2. सुंदर; ख़ूबसूरत; मनोहर।

सुजात (सं.) [वि.] 1. अच्छे कुल में उत्पन्न होने वाला; कुलीन 2. सुंदर; शोभन।

सुजाता (सं.) [सं-स्त्री.] मगध की एक किसान बालिका जिसने तपस्या से क्षीण हुए बुद्ध को खीर खिलाई थी। [वि.] कुलीन माने जाने वाले वंश में जन्मी हुई।

सुजान (सं.) [वि.] 1. चतुर; सयाना; समझदार 2. सज्जन 3. सुविज्ञ 4. कुशल; निपुण; प्रवीण।

सुजीवन (सं.) [सं-पु.] सुंदर जीवन; सुखद जीवन।

सुज्ञ (सं.) [वि.] 1. सुविज्ञ; विद्वान; बुद्धिमान 2. दक्ष।

सुझाना (सं.) [क्रि-स.] 1. सुझाव देना; मशविरा देना; परामर्श देना 2. नई तरकीब समझाना; किसी बात को ध्यान में लाना।

सुझाव [सं-पु.] सलाह; मशविरा; परामर्श।

सुड़क [सं-स्त्री.] 1. किसी तरल पदार्थ को आवाज़ के साथ ज़ोर से मुँह के अंदर खींचने की क्रिया 2. सुड़कने की क्रिया या भाव।

सुड़कना [क्रि-स.] 1. किसी तरल पदार्थ को साँस के साथ भीतर की ओर खींचना; नास लेना 2. उदरस्थ करना; पी जाना।

सुडौल [वि.] सुंदर डील-डौल या आकारवाला।

सुडौलपन [सं-पु.] सुडौलता; सुंदरता।

सुढंगी [वि.] 1. जिसका ढंग या तौर-तरीका अच्छा हो 2. सुंदर; मनोहर 3. उत्तम; बढ़िया।

सुढर [वि.] 1. कृपालु; दयालु 2. आसानी से ख़ुश होने वाला 3. सुडौल 4. सुंदर।

सुत (सं.) [सं-पु.] 1. पुत्र; बेटा; आत्मज 2. (पुराण) दसवें मनु का एक पुत्र 3. राजा 4. सोमरस। [वि.] 1. उत्पन्न या पैदा किया हुआ; जात 2. निचोड़ कर निकाला हुआ।

सुतंत्र (सं.) [सं-पु.] अच्छा तंत्र या व्यवस्था; अच्छा शासन; सुराज।

सुतरा [सं-पु.] सूत की तरह का वह पतला चमड़ा जो नाख़ून की जड़ के पास से प्रायः निकलने लगता है।

सुतल (सं.) [सं-पु.] (पुराण) सात पाताल लोकों में से एक।

सुतली [सं-स्त्री.] पटुए या सन से बनाई जाने वाली पतली किस्म की रस्सी; पतली रस्सी; डोरी।

सुता (सं.) [सं-स्त्री.] पुत्री; बेटी; आत्मजा।

सुतार (सं.) [वि.] 1. चमकीला 2. जिसकी आँखों की पुतलियाँ सुंदर हों। [सं-पु.] शिल्पी; बढ़ई।

सुतारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चमड़ा सीने के लिए मोचियों द्वारा प्रयुक्त सुआ 2. बढ़ई का काम; बढ़ईगिरी 3. एक प्रकार का हथियार।

सुतीक्ष्ण (सं.) [वि.] 1. बहुत तीखा; बहुत तेज़ धारवाला 2. अत्यंत पीड़ादायक।

सुतुही (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीपी 2. बच्चे को दूध पिलाने में प्रयोग की जाने वाली सीपी की आकृति की छिछली कटोरी; सितुही 3. आम आदि छीलने की सीपी।

सुथनी [सं-स्त्री.] एक प्रकार का ढीला पाजामा; बच्चे का पाजामा; सूथन।

सुथरा [वि.] साफ़; निर्मल; स्वच्छ; निर्दोष; परिष्कृत।

सुथरापन [सं-पु.] साफ़ या सुथरे होने की अवस्था, गुण या भाव; सफ़ाई।

सुथरेशाह [सं-पु.] गुरु नानक का एक प्रसिद्ध शिष्य जिसने अपना स्वतंत्र संप्रदाय चलाया था।

सुथरेशाही [सं-पु.] 1. सुथरेशाह द्वारा चलाया गया पंथ या संप्रदाय 2. उक्त पंथ का अनुयायी संत।

सुदर्शन (सं.) [वि.] 1. जो देखने में सुंदर हो; सुंदर चेहरेवाला 2. जो सरलता से दिखाई दे; जिसका दर्शन आसानी से हो जाए। [सं-पु.] 1. विष्णु के हाथ का चक्र 2. शिव 3. मत्स्य; मछली 3. सुमेरु पर्वत 4. इंद्रपुरी; अमरावती 5. जामुन 6. जंबूद्वीप 7. सोमलता 8. संन्यासियों का एक दंड जिसमें छह गाँठे होती हैं 9. मदनमस्त नामक पौधा एवं उसका फूल 10. एक प्रकार की गीत रचना 11. (जैनधर्म) वर्तमान अवसर्पिणी के अठारहवें अर्हत के पिता 12. गिद्ध 13. जैनियों के नौ बलदेवों में से एक 14. एक तीर्थ।

सुदामा (सं.) [सं-पु.] 1. कृष्ण का सहपाठी और परम मित्र जो अत्यंत गरीब था 2. {ला-अ.} कंगाल; दरिद्र।

सुदिन (सं.) [सं-पु.] अच्छे या शुभ दिन।

सुदी (सं.) [सं-स्त्री.] चंद्र मास का शुक्ल पक्ष।

सुदीर्घ (सं.) [वि.] 1. अति विस्तृत 2. बहुत लंबा 3. विशाल।

सुदूर (सं.) [वि.] बहुत दूर; दूरस्थ।

सुदृढ़ (सं.) [वि.] अति मज़बूत; अति व्यवस्थित; सुरक्षित।

सुदृढ़ीकरण (सं.) [सं-पु.] अत्यंत दृढ़ (मज़बूत) या व्यवस्थित बनाने की क्रिया।

सुदृष्ट (सं.) [वि.] 1. भाग्यवान; ख़ुशनसीब 2. सफल।

सुदृष्टा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक देवी 2. सौभाग्यवती स्त्री 3. वह स्त्री जो देखने में सुंदर हो।

सुदेश (सं.) [सं-पु.] 1. सुंदर एवं रमणीय देश 2. किसी कार्य के निष्पादन के लिए उपयुक्त स्थान। [वि.] सुंदर; मनोहर।

सुध (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्मृति; याद 2. होश; चेतना। [मु.] -लेना : किसी का हाल-चाल पूछने के लिए उसके पास जाना; किसी बात की ओर ध्यान देना।

सुध-बुध (सं.) [सं-स्त्री.] 1. होशहवाश; चेतना; संज्ञा 2. ज्ञान। [मु.] -खोना : होशहवास न रह जाना।

सुधरना [क्रि-अ.] 1. किसी वस्तु में उत्पन्न ख़राबी, त्रुटि या दोष आदि दूर होना या उस का निवारण होना; दुरुस्त होना 2. किसी व्यक्ति का बुरे आचरणों को छोड़कर अच्छे आचरणों की ओर प्रवृत्त होना।

सुधराई [सं-स्त्री.] 1. सुधरने की क्रिया या भाव 2. सुधरने, सुधारने या सुधरवाने के लिए दी जाने वाली मज़दूरी या पारिश्रमिक।

सुधर्म (सं.) [सं-पु.] अच्छा या उत्तम धर्म। [वि.] 1. अच्छा; उत्तम; बढ़िया 2. अच्छे धर्मों या गुणों से युक्त।

सुधा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अमृत; पीयूष 2. मधु; शहद 3. जल; पानी।

सुधांशु (सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा; सुधाकर 2. कपूर।

सुधाकर (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा।

सुधागेह (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; शशि।

सुधाधर (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; शशि। [वि.] जिसके अधरों या होंठों में अमृत-सा स्वाद हो।

सुधाना (सं.) [क्रि-स.] 1. सुध कराना; होश में लाना 2. याद दिलाना; स्मरण कराना 3. पंचांग से मुहूर्त निकलवाना।

सुधानिधि (सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा; संधांशु 2. समुद्र; सागर 3. कपूर।

सुधापान (सं.) [सं-पु.] 1. अमृत या पीयूष का पान 2. शहद का पान।

सुधामय (सं.) [वि.] 1. अमृत से युक्त; अमृतमय; अमृत से भरा हुआ; अमृतपूर्ण 2. अमृत-स्वरूप।

सुधार [सं-पु.] 1. संशोधन-परिवर्तन की वह प्रक्रिया जिसमें काट-छाँट कर रचना को बेहतर रूप दिया जाता है; परिष्कार 2. किसी के दोष अथवा कमियों को दूर करने की प्रक्रिया; पुनरुत्थान 3. वे परिवर्तन जो किसी के सुधरने या सुधारने पर दिखाई देते हैं।

सुधारक (सं.) [वि.] दोषों अथवा त्रुटियों को सुधारने वाला; विकारों को संशोधित करने वाला; संशोधक।

सुधारकर्ता (सं.) [सं-पु.] दोषों या त्रुटियों का सुधार करने वाला; संशोधक।

सुधार-गृह (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बंदीगृह जहाँ अल्पवयस्क अपराधियों को रखा जाता है और विभिन्न प्रकार की शिक्षा देकर उन्हें सुधारने का प्रयत्न किया जाता है; सुधारालय; (रिफ़ार्मेटरी)।

सुधारना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु में उत्पन्न ख़राबी, त्रुटि या दोष आदि का निवारण करना; दुरुस्त करना; संस्कार करना 2. किसी लेख आदि की गलतियाँ दूर करना।

सुधारवाद [सं-पु.] एक ऐसा सिद्धांत जिसके अनुसार संसार अपने विकास की ओर अग्रसर है और मानव इसमें एक सहायक के रूप में होता है; उन्नयनवाद।

सुधारवादी [सं-पु.] 1. वह जो किसी विषय में सुधार का समर्थक या पक्षधर हो 2. दंड की अपेक्षा स्वाभाविक प्रकार से सुधार में विश्वास रखने वाला व्यक्ति; संशोधनवादी; (रिफ़ार्मिस्ट)। [वि.] सुधारवाद का; सुधारवाद संबंधी।

सुधारशाला [सं-पु.] वह स्थान जहाँ अपराधियों विशेषकर बाल अपराधियों के जीवन को सुधारने की व्यवस्था की जाती है, सुधारालय; सुधारगृह; (रिफ़ार्मेटरी)।

सुधारात्मक (सं.) [वि.] 1. सुधार संबंधी; उपचारात्मक 2. प्रतिविधिक; प्रतिकारी।

सुधारालय (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ अपराधियों या कम उम्र के अपराधियों के जीवन को सुधारने की व्यवस्था की जाती है 2. अपराधियों की क्षमताओं को विकसित कर उन्हें स्वावलंबी बनाने की कोशिश करने वाला स्थान 3. सुधारगृह।

सुधावट (सं.) [सं-पु.] सुधाकर; चंद्रमा।

सुधासुर (सं.) [सं-पु.] राहु ग्रह।

सुधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. होश; चेतना 2. स्मरण; याद 3. ज्ञान।

सुधियाना [क्रि-अ.] 1. सुध या होश आना 2. याद या स्मरण आना। [क्रि-स.] 1. सुध दिलाना 2. याद कराना।

सुधी (सं.) [सं-पु.] 1. बुद्धिमान; पंडित; विद्वान 2. धार्मिक व्यक्ति। [सं-स्त्री.] सुबुद्धि; सुंदर बुद्धि। [वि.] 1. सुबुद्धियुक्त 2. सुंदर बुद्धिवाला; अच्छी बुद्धिवाला 3. बुद्धिमान; समझदार।

सुधीर (सं.) [वि.] 1. जिसमें धैर्य हो; धैर्यवान 2. दृढ़।

सुनंदा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उमा; गौरी; पार्वती 2. उमा की एक सखी 3. कृष्ण की एक पत्नी 4. सार्वभौम दिग्गज की पत्नी 5. राजा दुष्यंत के पुत्र भरत की पत्नी 6. गोरोचन 7. एक प्राचीन नदी 8. अर्कपत्री 9. एक तिथि।

सुनकिरवा [सं-पु.] एक कीड़ा जिसके पंख हरे रंग के तथा रात में चमकीले होते हैं; जुगनू।

सुन-गुन [सं-स्त्री.] 1. किसी घटना या बात की दबी हुई चर्चा; अस्पष्ट चर्चा; कानाफूसी 2. उड़ती हुई ख़बर 3. टोह।

सुनना (सं.) [क्रि-स.] 1. श्रवण करना 2. कान के द्वारा ध्वनि का ग्रहण किया जाना 3. सहमत होना 4. {ला-अ.} स्वीकार करना; मानना।

सुनम्य (सं.) [वि.] 1. जो सहजता से झुकाया या दबाया जा सके; नमनशील; विनम्र 2. जिसे मनमाने ढंग से वांछित आकार में लाया जा सके।

सुनयना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर आँखों वाली स्त्री 2. सुंदरी; सुंदर स्त्री 3. राजा जनक की एक पत्नी जिन्होंने सीता को पाला था। [वि.] सुंदर आँखोंवाली।

सुनवाई [सं-स्त्री.] 1. सुनने की क्रिया या भाव; श्रवण 2. न्यायाधीश द्वारा किसी मुकदमें आदि का सुना जाना 3. किसी प्रकार की शिकायत या फरियाद का सुना जाना। [मु.] -न होना : किसी के दुख-दर्द को सुनकर भी (अधिकारी द्वारा) उसे दूर करने का प्रयत्न न करना।

सुनवैया [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो किसी की बात सुनता हो या किसी की बात पर ध्यान देता हो 2. किसी बात को सुनाने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. सुनने वाला 2. किसी बात पर ध्यान देने वाला 3. सुनाने वाला।

सुनसान (सं.) [वि.] जहाँ कोई न दिखे; एकांत; निर्जन।

सुनहरा (सं.) [वि.] 1. सोने से निर्मित 2. सोने के रंग का 3. ख़ूबसूरत 4. {ला-अ.} अत्यंत अनुकूल।

सुनहला (सं.) [वि.] दे. सुनहरा।

सुनाना [क्रि-स.] 1. किसी को सुनने में प्रवृत्त करना 2. दूसरे को श्रवण कराना 3. खरी-खोटी कहना; फटकारना।

सुनाभि (सं.) [वि.] 1. जिसकी नाभि सुंदर हो 2. {ला-अ.} जिसका केंद्रस्थल सुंदर हो।

सुनाम (सं.) [सं-पु.] 1. समाज में होने वाला नाम जो कीर्ति या यश का सूचक होता है 2. यश; प्रसिद्धि; कीर्ति।

सुनामी (जा.) [सं-पु.] समुद्री लहरों की शृंखला से मिलकर बनी एक विनाशकारी प्राकृतिक घटना जो प्रायः महासागर के अंदर की भूगर्भीय चट्टानों के आपस में टकराने से उत्पन्न भूकंप के कारण घटित होती है।

सुनार (सं.) [सं-पु.] 1. सोने के गहने गढ़ने वाला व्यक्ति; स्वर्णकार 2. सोने-चाँदी आदि से संबंधित कार्य करने वाला व्यक्ति।

सुनाल (सं.) [वि.] सुंदर नालवाला। [सं-पु.] रक्त-कमल।

सुनावनी [सं-स्त्री.] 1. किसी संबंधी की मृत्यु का समाचार आना 2. उक्त समाचार के आने पर सगे-संबंधियों द्वारा प्रकट किया जाने वाला सामूहिक शोक, स्नान, कर्म आदि।

सुनियोजन (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम नियोजन 2. अच्छी व्यवस्था।

सुनियोजित (सं.) [वि.] 1. जिसका अच्छी तरह से नियोजन किया गया हो 2. पहले से तय किया हुआ; तयशुदा 3. योजनाबद्ध।

सुनिश्चित (सं.) [वि.] 1. विधिवत निश्चय या तय किया हुआ जिसमें बाद में कोई फेरबदल न हो सके 2. अपरिवर्तनीय; निर्धारित।

सुनीत (सं.) [वि.] 1. नीतिपूर्ण एवं अच्छा व्यवहार करने वाला; शिष्ट 2. जो अच्छी तरह ले जाया गया हो।

सुनीति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर नीति; अच्छी नीति; उत्तम नीति 2. (पुराण) ध्रुव की माता का नाम।

सुन्न [वि.] 1. जिसमें कुछ चेष्टा या हरकत न हो; स्पंदनहीन; संज्ञाहीन 2. संवेदना से रहित।

सुन्नत (अ.) [सं-पु.] मुसलमानों की एक धार्मिक रस्म जिसमें लिंगेंद्रिय के अगले भाग का चमड़ा काट दिया जाता है; ख़तना; (सरकमसीज़न)।

सुन्नी (अ.) [सं-पु.] 1. मुसलमानों का एक संप्रदाय 2. उक्त सम्प्रदाय का अनुयायी व्यक्ति।

सुपक्व (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह पका हुआ 2. सुगंधित और अच्छे स्वादवाला (आम)।

सुपटु (सं.) [वि.] किसी विषय का अच्छा ज्ञान रखने वाला; जानकार; होशियार।

सुपठ (सं.) [वि.] जो सुगमतापूर्वक या आसानी से पढ़ा जा सके।

सुपथ (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छा रास्ता; उत्तम मार्ग; सन्मार्ग; सत्पथ 2. सुंदरमार्ग।

सुपर (इं.) [वि.] 1. बढ़िया; उत्तम 2. बहुत बड़ा; बहुत अच्छा 3. अधिक।

सुपर एक्सप्रेस (इं.) [सं-पु.] 1. तीव्र गति से रेलगाड़ी परिचालन की एक तकनीक 2. जापान की एक तीव्रगामी रेलगाड़ी 3. रेलगाड़ी या बस की एक विशेष श्रेणी जिसकी गति तेज़ तथा ठहराव अल्प होता है।

सुपर बाज़ार (इं.+फ़ा.) [सं-पु.] एक बड़ी स्वयं सेवा (सेल्फ सर्विस) की विशेष दुकान जिसमें विभिन्न कंपनियों के उत्पाद, किराने का सामान, घरेलू सामान, कपड़े आदि बिकते हैं।

सुपर मार्केट (इं.) [सं-पु.] दे. सुपर बाज़ार।

सुपरवाइज़र (इं.) [सं-पु.] 1. पर्यवेक्षण करने वाला व्यक्ति; पर्यवेक्षक 2. राह दिखाने वाला व्यक्ति; मार्गदर्शक।

सुपर सोनिक (इं.) [सं-पु.] ध्वनि से भी तीव्र गति से चलने वाला विमान, मिसाइल आदि, जैसे- ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, सुपरसोनिक विमान।

सुपरिंटेंडेंट (इं.) [सं-पु.] 1. अधीक्षक 2. पर्यवेक्षक; निगरानी रखने वाला व्यक्ति।

सुपरिचित (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह से जाना-पहचाना 2. चिर-परिचित 3. बहु-परिचित 4. ख्यात।

सुपर्व (सं.) [सं-पु.] 1. शुभ मुहूर्त 2. सुंदर पर्व। [वि.] 1. सुंदर जोड़वाला; सुंदर गाँठोंवाला (गन्ना, बाँस आदि) 2. सुंदर पर्व या अध्यायवाला (ग्रंथ)।

सुपाक्य (सं.) [सं-पु.] साँचर नमक।

सुपाठ्य (सं.) [वि.] सरलता से पढ़ने योग्य।

सुपात्र (सं.) [सं-पु.] 1. उपयुक्त पात्र; अच्छा पात्र; सुंदर पात्र 2. योग्य व्यक्ति; उपयुक्त व्यक्ति 3. सीधा-सादा व्यक्ति। [वि.] योग्य; उपयुक्त।

सुपात्रता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुपात्र होने की अवस्था या भाव 2. सुपात्र होने की योग्यता।

सुपारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नारियल की प्रजाति का एक उष्णकटिबंधीय पेड़ जिसके फल पान के साथ खाए जाते हैं 2. किसी की हत्या कराने के लिए किसी बदमाश, हत्यारे या गुंडे को दिया जाने वाला धन। [मु.] -देना : किसी की हत्या करने के लिए किसी गुंडे, बदमाश या हत्यारे को पेशगी या धन देना।

सुपुत्र (सं.) [सं-पु.] 1. लायक बेटा 2. सुशील और योग्य बेटा 3. सपूत 4. एक जीवक वृक्ष।

सुपुर्द (फ़ा.) [वि.] (किसी के) ज़िम्मे किया हुआ; सौंपा हुआ; हवाले किया हुआ।

सुपुर्दगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी को सौपने की क्रिया; किसी को देना।

सुपेदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ओढ़ने की रजाई 2. रजाई का लिहाफ़ या खोल।

सुप्त (सं.) [वि.] 1. सोया हुआ; शयित; निद्रित 2. सोने का उपक्रम करता हुआ 3. पदार्थों (जड़ और चेतन) का एक गुण 4. दबा हुआ 5. मुँदा हुआ 6. बेकार पड़ा हुआ।

सुप्तावस्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुप्त होने का भाव 2. सुस्ती; शिथिलता 3. निष्क्रियता।

सुप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोए रहने की अवस्था या भाव 2. निद्रा; नींद 3. ऊँघ 4. निष्क्रियता 5. शिथिलता; सुस्ती 6. सपना 7. सुन्न हो जाना।

सुप्रतिष्ठा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छी प्रतिष्ठा या इज़्ज़त 2. किसी मूर्ति या प्रतिमा की स्थापना; संस्थापना 3. अति प्रसिद्धि या कीर्ति 4. अच्छी स्थिति 5. अभिषेक।

सुप्रतिष्ठित (सं.) [वि.] 1. सुंदर प्रतिष्ठायुक्त 2. सुप्रसिद्ध 3. अच्छी हालत में रहने वाला 4. स्थापित किया हुआ 5. दृढ़ता पूर्वक स्थित 6. जिसकी लोक में बहुत प्रतिष्ठा हो; इज़्ज़तदार।

सुप्रबंध (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी व्यवस्था; अच्छा संचालन; बेहतर इंतज़ाम 2. अच्छा शासन।

सुप्रभात (सं.) [सं-पु.] 1. शुभसूचक प्रातःकाल 2. सुंदर प्रभात 3. सवेरे का समय; अच्छा सवेरा।

सुप्रसिद्ध (सं.) [वि.] 1. बहुत प्रसिद्ध; अत्यंत प्रसिद्ध या मशहूर; अति प्रसिद्ध 2. प्रख्यात; सुविख्यात; सुख्यात 3. अभिविश्रुत 4. विशिष्ट 5. श्रेष्ठ 6. ख़ूब मशहूर।

सुप्रिया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रिय पत्नी 2. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का वर्णिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में चार नगण और एक सगण रहता है, यह चौपाई का ही एक रूप है। [वि.] बहुत प्यारी।

सुप्रीम (इं.) [सं-पु.] सबसे ऊँचा; सर्वोच्च; श्रेष्ठ; उच्चतम; सबसे बड़ा; प्रधान।

सुप्रीम कोर्ट (इं.) [सं-पु.] सर्वोच्च न्यायालय।

सुप्रीमो (इं.) [वि.] सबसे प्रधान; मुख्य।

सुफल (सं.) [वि.] 1. सुंदर फलों से युक्त 2. सफल; कृतकार्य 3. जिसका या जिसके फल अच्छे व सुंदर हों। [सं-पु.] 1. सुंदर फल 2. अनार 3. बेर 4. कैथ।

सुबकना [क्रि-अ.] हिचकियाँ लेते हुए रोना; सुबक-सुबक कर रोना; सिसकियाँ भरना।

सुबह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रातःकाल; सवेरा; उषाकाल 2. मध्याह्न से पहले तक का समय; पूर्वाह्न 3. प्रभातकाल।

सुबह-सुबह [अव्य.] बहुत सवेरे; तड़के; प्रातःकाल।

सुबहान (अ.) [वि.] 1. स्वतंत्र 2. पवित्र। [अव्य.] ईश्वर का पवित्र भाव से स्मरण करते या ध्यान लगाते हुए (लोक में 'सुभान' के रूप में प्रचलित)।

सुबहान अल्ला (अ.) [अव्य.] ईश्वर का पवित्र भाव से स्मरण करते हुए (एक अरबी पद जिसका अर्थ है 'ईश्वर धन्य है' या 'अल्लाह पाक है') इसे किसी अद्भुत, अनूठी या अतिसुंदर वस्तु को देखकर सराहने के भाव से बोलते हैं।

सुबहानी (अ.) [वि.] 1. ईश्वरीय; ख़ुदाई 2. अलौकिक।

सुबास (सं.) [सं-स्त्री.] सुगंध; महक।

सुबाहु (सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) शत्रुघ्न के पुत्र 2. एक वीर राक्षस। [वि.] 1. सुंदर बाहोंवाला 2. सशक्त भुजाओंवाला।

सुबुक (फ़ा.) [वि.] 1. हलका 2. सुंदर 3. नाज़ुक 4. जो तेज़ न हो।

सुबुद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] श्रेष्ठ या अच्छी बुद्धि; सदबुद्धि। [वि.] अच्छी बुद्धिवाला; बुद्धिमान।

सुबू (अ.) [सं-स्त्री.] 1. घड़ा; मटका 2. शराब (ताड़ी) रखने का पात्र।

सुबूत (अ.) [सं-पु.] 1. प्रमाण; वह बात या वस्तु जिससे कोई बात साबित हो 2. साक्ष्य; सबूत 3. स्थिरता; ठहराव 4. दृढ़ता।

सुबोध (सं.) [सं-पु.] सुंदर ज्ञान। [वि.] 1. सरल; आसान; बोधगम्य 2. जो सहज में समझ आ जाए 3. समझदार; अच्छी बुद्धिवाला।

सुभग (सं.) [वि.] 1. सुंदर; मनोहर 2. भाग्यवान 3. प्रिय; प्यारा 4. सुखद 5. उपयुक्त 6. नाज़ुक; पतला।

सुभगा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर स्त्री 2. सौभाग्यशाली स्त्री 3. प्रेमिका या प्रियतमा; पत्नी 4. सधवा स्त्री 5. (संगीत) एक प्रकार की रागिनी।

सुभट (सं.) [वि.] बड़ा योद्धा; महारथी; वीर।

सुभद्र (सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु 2. सनत्कुमार 3. (पुराण) प्लक्ष द्वीप का एक वर्ष या भू-भाग 4. भैरवी के गर्भ से उत्पन्न वसुदेव का एक पुत्र 5. एक पर्वत 6. कल्याण; सौभाग्य। [वि.] अति शुभ; अति मांगलिक।

सुभद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) कृष्ण की छोटी बहन का नाम जिसका विवाह अर्जुन से हुआ था 2. दुर्गा की एक मूर्ति या रूप 3. मकड़ा नाम की एक घास।

सुभान (अ.) [अव्य.] दे. सुबहान।

सुभाषण (सं.) [सं-पु.] सुंदर भाषण।

सुभाषित (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह कथित या परिभाषित 2. वह उक्ति या कथन जो बहुत ही प्रिय और सुंदर हो; सूक्ति।

सुभाषी (सं.) [वि.] 1. प्रिय और मीठा बोलने वाला; मधुरभाषी 2. जो अच्छी तरह से बोलता हो 3. वाग्विलासपूर्ण।

सुभिक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. भिक्षा और अन्न की सुलभता का समय 2. ऐसा समय या काल जिसमें अन्न बहुत सस्ता हो; सुकाल 3. अनाज की प्रचुरता।

सुभी (सं.) [वि.] शुभकारक; मंगलकारक।

सुभीता (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी स्थिति जो किसी व्यक्ति या बात के लिए अनुकूल हो 2. वह स्थिति जिसमें किसी काम को करने में कोई कठिनाई न हो; सुविधाजनक स्थिति 3. उपयुक्त व अनुकूल अवसर 4. आसानी 5. आराम 6. सहूलियत; सुख।

सुम1 (सं.) [सं-पु.] 1. पुष्प; फूल 2. चंद्रमा 3. आकाश।

सुम2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पशुओं का खुर 2. घोड़े की टाप।

सुमंगली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विवाह के समय सप्तपदी पूजा करने के एवज़ में वधू-पक्ष के पुरोहित को दी जाने वाली दक्षिणा 2. नवविवाहिता स्त्री; वधू।

सुमंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छा या उत्तम मंत्र 2. शुभ परामर्श; सलाह 3. (रामायण) राजा दशरथ के मित्र तथा सारथी का नाम 4. {अ-अ.} प्राचीन भारत में राज्य के आय-व्यय की व्यवस्था करने वाला मंत्री; अर्थमंत्री। [वि.] अच्छी सलाह मानने वाला।

सुमंत्रित (सं.) [वि.] 1. जिसे परामर्श या अच्छी सलाह दी गई हो 2. विचार-विमर्श के बाद प्रस्तुत किया हुआ 3. जिसके विषय में मंत्रणा हुई हो 4. जिसकी योजना बुद्धिमत्तापूर्वक बनाई गई हो 5. सुनियोजित।

सुमंदर (सं.) [सं-पु.] सरसी नामक छंद।

सुमति (सं.) [सं-स्त्री.] सुबुद्धि; सम्मति; अच्छा विचार। [वि.] अच्छी मति या बुद्धिवाला; बुद्धिमान।

सुमन (सं.) [सं-पु.] 1. फूल; पुष्प 2. गेहूँ 3. एक दैत्य। [वि.] 1. सदा प्रसन्न रहने वाला 2. सरल हृदयवाला 3. मनोहर; सुंदर।

सुमनस (सं.) [वि.] 1. अच्छे हृदयवाला; सहृदय 2. सुंदर मनवाला 3. सदा ख़ुश रहने वाला 4. प्रसन्नचित्त। [सं-पु.] 1. देवता 2. ज्ञानी; विद्वान 3. फूल; पुष्प।

सुमनित (सं.) [वि.] 1. जिसमें फूल लगे हों; फूल से युक्त (पौधा या वृक्ष) 2. सुंदर मणियों से युक्त।

सुमरनी [सं-स्त्री.] 1. नाम जाप करने की सत्ताईस दानों की छोटी माला; जपमाला 2. हाथ में पहनने का एक प्रकार का आभूषण।

सुमार्ग (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा साफ़ और अच्छा मार्ग जिसपर चलने में कोई बाधा या कठिनाई न हो 2. नैतिक दृष्टि से उत्तम और श्रेयस्कर रास्ता 3. सदाचार।

सुमित्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (रामायण) राजा दशरथ की मझली पत्नी और लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न की माता 2. (पुराण) मार्कंडेय ऋषि की माता।

सुमिरन [सं-पु.] 1. अच्छे अर्थों में किसी का स्मरण 2. ईश्वर का ध्यान।

सुमिल (सं.) [वि.] 1. किसी के साथ आसानी से मिल जाने वाला 2. मिलनसार 3. मेलजोल तथा स्नेह का संबंध रखने वाला 4. अनुकूलता के साथ सहयोग देने वाला।

सुमुख (सं.) [वि.] 1. सुंदर मुखवाला 2. सुंदर; मनोहर 3. अनुकूल 4. कृपालु 5. अच्छी नोकवाला 6. अच्छे द्वारवाला 7. प्रसन्न।

सुमेर [सं-पु.] गंगा जल रखने का बड़ा पात्र।

सुमेरु (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक कल्पित पर्वत; मेरु पर्वत 2. जपमाला या सुमरनी में ऊपर वाला अपेक्षा कृत बड़ा दाना 3. उत्तरी ध्रुव; (नॉर्थ पोल) 4. पिंगल में एक प्रकार का छंद। [वि.] 1. सर्वश्रेष्ठ 2. बहुत अधिक ऊँचा 3. बहुत सुंदर।

सुमेरु-ज्योति (सं.) [सं-स्त्री.] उत्तरी ध्रुव के आसपास के क्षेत्रों में कभी-कभी रात्रि के समय दिखाई पड़ने वाली एक विशेष ज्योति या विद्युत का प्रकाश।

सुयश (सं.) [सं-पु.] सुंदर यश; सुकीर्ति; प्रसिद्धि; ख्याति।

सुयोग (सं.) [सं-पु.] सुंदर योग; मंगल अवसर; सुअवसर; संयोग।

सुयोग्य (सं.) [वि.] 1. कुशल 2. अति योग्य; लायक 3. अच्छी योग्यतावाला।

सुयोधन (सं.) [सं-पु.] महाभारत के एक पात्र का वास्तविक नाम; धृतराष्ट्र के बड़े पुत्र दुर्योंधन का एक नाम।

सुर1 [सं-पु.] स्वर; आवाज़। [मु.] -में सुर मिलाना : किसी की हाँ में हाँ मिलाना; किसी का समर्थन करना।

सुर2 (सं.) [सं-पु.] 1. देवता; देवमूर्ति 2. सूर्य 3. मुनि।

सुरंग [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन खोदकर अथवा समुद्र में बनाया गया रास्ता; गुफा 2. भवन आदि को बारूद से उड़ाने के उद्देश्य से उसके नीचे खोद कर बनाया गया गड्ढा 3. एक प्रकार का आधुनिक यंत्र जिससे दुश्मन के जहाज़ के पर्दे में छेदकर उन्हें डुबाया अथवा उनके रास्ते में बिछा कर उनका नाश किया जाता है 4. चोरी करने के लिए दीवार में लगाई जाने वाली सेंध।

सुरंग-बुहार [सं-पु.] एक विशेष प्रकार का जहाज़ जो समुद्र में बिछाई गई बारूद को हटाकर दूसरे जहाज़ों के लिए आगे बढ़ने का रास्ता साफ़ करता है; (माइन स्वीपर)।

सुरक [सं-पु.] नाक पर लगाया जाने वाला भाले के आकार का तिलक। [सं-स्त्री.] 1. सुरकने या सुड़कने की क्रिया या भाव 2. सुरकने से होने वाला शब्द।

सुरकना [क्रि-स.] 'सुर-सुर' की आवाज़ करते हुए गरम दूध, चाय आदि पीना।

सुरकुल (सं.) [सं-पु.] 1. देवजाति; देवगण 2. देवताओं का कुल या वंश।

सुरक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. सुरक्षित रखने की क्रिया या भाव 2. रखवाली; हिफ़ाजत।

सुरक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] सम्यक रक्षण; समुचित तरीके से की जाने वाली रखवाली; हिफ़ाज़त।

सुरक्षाकर्मी (सं.) [सं-पु.] 1. सुरक्षा के लिए नियत शस्त्रधारी 2. सुरक्षा का कार्य करने वाला व्यक्ति 3. सैनिक; सिपाही।

सुरक्षात्मक (सं.) [वि.] 1. रक्षात्मक 2. सुरक्षा को केंद्र में रखकर किया गया कोई काम; हिफ़ाज़ती।

सुरक्षा-परिषद (सं.) [सं-स्त्री.] संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक संगठन जिसके पाँच स्थायी सदस्य (अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन) हैं, जो इस बात का यथासाध्य प्रयास करते हैं कि राष्ट्रों में परस्पर लड़ाई-झगड़े न होने पाए।

सुरक्षा-बल (सं.) [सं-पु.] 1. सेना 2. सेना का विभाग जो अलग-अलग रूपों में अपनी सेवाएँ शरीर, देश या निजी संपत्ति की रक्षा के लिए देता है।

सुरक्षित (सं.) [वि.] जिसकी भली-भाँति रक्षा की गई हो; अच्छी तरह रक्षित।

सुरक्ष्य (सं.) [वि.] 1. सुरक्षा के योग्य 2. जिसकी रक्षा आसानी से की जा सके।

सुरख़ाब (फ़ा.) [सं-पु.] चकवा नामक पक्षी। [मु.] -का पर लगना : अनोखापन होना; श्रेष्ठतासूचक; विशेषता होना; विलक्षणता होना।

सुरख़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ईंटों को पीसकर उसमें चूना मिलाकर ईटों की जुड़ाई के लिए बनाया जाने वाला गारा 2. लेखों आदि का शीर्षक 3. अरुणता; लाली 4. सुर्ख़ी।

सुरत (सं.) [सं-पु.] रति-क्रीड़ा; काम-केलि; मैथुन; संभोग।

सुरतरंगणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आकाशगंगा 2. सरयू नदी 3. गंगा नदी।

सुरतरु (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक काल्पनिक वृक्ष; कल्पवृक्ष।

सुरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुर या देवता होने का भाव; देवत्व 2. याद; स्मृति 3. ध्यान 4. चेत; सुध।

सुरति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर रति; मनोहर रति; काम-क्रिया; भोग-विलास 2. योग-साधना की एक अवस्था।

सुरतिकमल (सं.) [सं-पु.] (हठयोग) आठ कमलों या चक्रों में से अंतिम चक्र जिसका स्थान मस्तक में सहस्रार के ऊपर माना जाता है।

सुरती [सं-स्त्री.] 1. तंबाकू का सुखाया हुआ पत्ता व उसका चूरा 2. तंबाकू का पत्ता; खैनी जिसमें चूना मिलाकर खाया जाता है।

सुरदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. सुरीला; बढ़िया स्वर वाला 2. उत्तम स्वर में गाने वाला।

सुरधनु (सं.) [सं-पु.] इंद्रधनुष; सुरधनुष।

सुरधाम (सं.) [सं-पु.] स्वर्ग; देवलोक।

सुरधामिनी (सं.) [सं-स्त्री.] गंगा; भागीरथी।

सुरधामी (सं.) [वि.] 1. स्वर्ग जाने वाला; स्वर्गीय 2. जो स्वर्ग में रहता हो।

सुरधेनु (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत अधिक दूध देने वाली गाय 2. कामधेनु।

सुरनदी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आकाशगंगा 2. गंगा; भागीरथी।

सुरबहार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] सितार की तरह का एक प्रकार का वाद्ययंत्र।

सुरबाला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवता की स्त्री; देवकन्या 2. अप्सरा; देवांगना 3. देवी।

सुरभंग (सं.) [सं-पु.] प्रेम, आनंद और भय की अधिकता के कारण स्वर में होने वाला परिवर्तन जो साहित्य में सात्विक भागों में गिना जाता है।

सुरभि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुगंध; ख़ुशबू 2. पृथ्वी 3. गाय 4. कामधेनु 5. शराब; मदिरा। [सं-पु.] 1. सुगंधित द्रव्य 2. वसंत ऋतु। [वि.] 1. सुगंधित; ख़ुशबूदार 2. सुंदर; मनोहर 3. अच्छा; उत्तम।

सुरभित (सं.) [वि.] 1. सुरभि से युक्त; सुवासित 2. सुगंधित; सौरभित।

सुरभि-भक्षण (सं.) [सं-पु.] हठयोग की एक क्रिया जिसमें साधक खेचरी मुद्रा के द्वारा जीभ को उलटकर सहस्रार में स्थित चंद्रमा से निकलने वाले अमृत का पान करता है।

सुरभि-मुख (सं.) [सं-पु.] वसंत ऋतु का आरंभ।

सुरभि-स्नात (सं.) [वि.] सुगंध में नहाया हुआ; सुगंध से परिपूर्ण; बेहद सुगंधित।

सुरमंडल (सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं का समाज; देवसमूह 2. एक तरह का वाद्ययंत्र।

सुरमई (फ़ा.) [वि.] 1. सफ़ेदी लिए हलका-नीला या काला 2. सुरमें (काजल) के रंग का। [सं-पु.] एक प्रकार का गहरा रंग। [सं-स्त्री.] नीली गरदन वाली एक प्रकार की काले रंग की चिड़िया।

सुरमचू (फ़ा.) [सं-स्त्री.] आँखों में सुरमा लगाने की सलाई।

सुरमयी (सं.) [वि.] 1. संगीत के सुरों के अनुरूप 2. सुरों से भरी 3. संगीतमयी।

सुरमा (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध नीला खनिज पदार्थ जिसका महीन चूर्ण आँखों में अंजन की तरह लगाते हैं; काजल; अंजन।

सुरमीली [वि.] जिसमें सुरमा लगा हो; सुरमेदार, जैसे- सुरमीली आँखें।

सुरमेदानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सुरमा रखने की डिबिया या शीशी।

सुरम्य (सं.) [वि.] 1. अत्यंत मनोरम; रमणीय 2. बेहद सुंदर।

सुरराज (सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं का राजा इंद्र; देवराज 2. सुरनायक; सुरपति 3. सुरपाल; सुरनाथ।

सुरलोक (सं.) [सं-पु.] 1. देवलोक; इंद्रलोक 2. स्वर्ग।

सुरवधू (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवकन्या; देवांगना 2. अप्सरा; सुरबाला।

सुरवाहन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. इंद्र का हाथी; ऐरावत 2. उच्चैःश्रवा।

सुरवाहिनी (सं.) [सं-स्त्री.] आकाशगंगा; सुरनदी।

सुरस (सं.) [वि.] 1. सुंदर रस से युक्त; सरस; मधुर 2. स्वादिष्ट; रसीला 3. सुंदर। [सं-पु.] 1. जल; पानी 2. आनंद; हर्ष 3. प्रेम; स्नेह।

सुरसा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) एक राक्षसी जो साँपों की माता मानी गई है 2. महाशतावरी नामक औषधि 3. सौंफ 4. (संगीत) एक रागिनी 5. एक नदी।

सुरसुंदरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वर्ग में रहने वाली सुंदर स्त्री; अप्सरा 2. सुरबाला; देवकन्या; देवांगना।

सुरसुता (सं.) [सं-स्त्री.] सरयू नदी।

सुरसुराना [क्रि-अ.] 1. कीड़े आदि का शरीर पर हलकी गुदगुदी करते हुए रेंगना 2. कुलबुलाना 3. गुदगुदाना 4. हलकी खुजली होना। [क्रि-स.] 1. 'सुर-सुर' की आवाज़ उत्पन्न करना 2. हलकी खुजली उत्पन्न करना।

सुरसुराहट [सं-स्त्री.] 1. कीड़ों आदि के रेंगने से होने वाली गुदगुदी 2. शरीर में होने वाली हलकी गुदगुदाहट 3. गुदगुदी 4. हलकी आहट से होने वाली ध्वनि।

सुरसुरी [सं-स्त्री.] 1. शरीर के किसी अंग में ऐसा जान पड़ना कि कोई कीड़ा आदि रेंग या चल रहा हो; झुनझुनी 2. हलकी खुजली; खुजलाहट 3. गुदगुदी 4. ज्वर कंपन 5. रोमांच 6. गेहूँ आदि अनाजों में लगने वाला छोटा कीड़ा।

सुरहर (सं.) [वि.] 1. जो बिलकुल सीधे ऊपर की तरफ़ गया हुआ हो 2. 'सुर-हुर' शब्द करने वाला।

सुरा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शराब; मदिरा; मद्य 2. जल 3. पानपात्र 4. साँप 5. सोम।

सुराख़ (फ़ा.) [सं-पु.] छिद्र; छेद।

सुराग (अ.) [सं-पु.] 1. किसी अपराध या रहस्य का कोई वह सूत्र जिससे रहस्य को सुलझाने में मदद मिल सके 2. (पत्रकारिता) निजी या व्यक्तिगत सूत्र से प्राप्त अग्रिम सूचना जो प्रायः गप्प या अफ़वाह पर आधारित होती है 3. पता; टोह 4. खोज 5. निशान 6. ठिकाना 7. जिज्ञासा 8. संकेत। [मु.] -पाना : संकेत प्राप्त करना। -मिलना; मिल जाना : सूत्र मिलना; किसी के किसी स्थान पर होने की सूचना या भनक मिलना।

सुरागाय (सं.) [सं-स्त्री.] चमरी या चौरी नामक जंगली जानवर।

सुराज (सं.) [सं-पु.] 1. स्वराज्य 2. अच्छा या सुखद राज्य 3. अच्छा शासन। [वि.] अच्छे शासक वाला (देश); अच्छे शासक द्वारा शासित (देश)।

सुराज्य (सं.) [वि.] 1. उत्तम या सुखद राज्य 2. श्रेष्ठ शासन।

सुरानीक (सं.) [सं-स्त्री.] सुरों की सेना; देवताओं की सेना।

सुरापी (सं.) [वि.] जो शराब पीता हो; शराबी; पियक्कड़।

सुरारि (सं.) [सं-पु.] देवताओं का शत्रु; राक्षस; असुर।

सुरालय (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ शराब बेची या बनाई जाती है; शराबख़ाना 2. स्वर्ग; सुरलोक 3. देवमंदिर।

सुरावट [सं-स्त्री.] 1. (संगीत) स्वरों का उतार-चढ़ाव या आरोह-अवरोह 2. सुरीलापन।

सुरासार (सं.) [सं-पु.] 1. अलकोहल 2. एक तत्विक तथा तरल मादक द्रव्य जिससे शराब बनती है।

सुरासुर (सं.) [सं-पु.] देवता और राक्षस; देव-दानव; सुर-असुर।

सुराही (अ.) [सं-स्त्री.] पीने वाले जल को ठंडा रखने के लिए मिट्टी का बनाया हुआ सँकरी एवं लंबी गरदन वाला घड़ा।

सुराहीदार (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जो सुराही की तरह गोल, सँकरी तथा लंबी गरदन वाला हो; सुराहीनुमा 2. सुराही की आकृतिवाला, जैसे- सुराहीदार गरदन।

सुरीला (सं.) [वि.] 1. सुरीले स्वरवाला 2. (संगीत) जिसका स्वर शास्त्रीय पद्धति के अनुरूप हो 3. महीन और मीठा (स्वर)।

सुरुख़ (सं.+फ़ा.) [वि.] 1. सुंदर रूप या आकृतियुक्त; ख़ूबसूरत 2. प्रसन्न 3. दयालु 4. अनुकूल।

सुरुचि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. परिष्कृत अथवा नागर रुचि 2. प्रसन्नता।

सुरुचिपूर्ण (सं.) [वि.] 1. सुरुचि-संपन्न 2. परिष्कृत अथवा नागर रुचि का 3. सौंदर्यबोध से परिपूर्ण।

सुरूप (सं.) [वि.] 1. सुंदर; ख़ूबसूरत 2. अच्छी शक्लवाला; सुंदर आकृतिवाला 3. विद्वान।

सुरूपता (सं.) [सं-स्त्री.] सुंदरता; ख़ूबसूरती।

सुरूर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. नशा; हलका नशा 2. ख़ुशी; आनंद; प्रसन्नता।

सुरेंद्र (सं.) [सं-पु.] 1. देवराज; देवताओं का राजा; इंद्र 2. ओल 3. एक कंद।

सुरेश (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) देवताओं का राजा; देवराज; इंद्र 2. विष्णु 3. शिव 4. एक प्रकार की अग्नि 5. एक देव।

सुरेशी (सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गा।

सुरैत (अ.) [सं-स्त्री.] रखैल।

सुरैरी [सं-स्त्री.] एक छोटा कीड़ा जो गेहूँ आदि में लगता है; सुरसुरी।

सुर्ख़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गहरा लाल रंग 2. रक्त-वर्ण। [वि.] 1. लाल 2. रक्त-वर्ण का।

सुर्ख़रू (फ़ा.) [वि.] 1. लाली से युक्त; तेजस्वी; कांतिवान 2. प्रतिष्ठित 3. प्रसिद्ध 4. कृतकार्य; सफल। [मु.] -होना : कर्तव्य पूरा होने पर अपने को निश्चिंत और सुखी अनुभव करना।

सुर्ख़रूपन (फ़ा.) [सं-पु.] सुर्ख़रू होने का भाव; लालिमा युक्त होने की स्थिति।

सुर्ख़ी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. लाली; ललाई; अरुणता 2. लेख आदि का शीर्षक जिसे सुर्ख़ रंग से लिखा जाता है 3. लाल स्याही 4. रक्त; लहू; ख़ून। [मु.] सुर्ख़ियों में होना : ख़ूब चर्चित होना।

सुलक्षण (सं.) [सं-पु.] शुभ लक्षण; सुंदर लक्षण। [वि.] 1. शुभ लक्षणोंवाला 2. भाग्यवान; भाग्यशाली।

सुलक्षणक (सं.) [वि.] जिसके गुण या लक्षण अच्छे हों।

सुलक्षणा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कृष्ण की पत्नी 2. उमा की सहेली। [वि.] शुभ लक्षणोंवाली; श्रेष्ठ लक्षणोंवाली।

सुलगन [सं-स्त्री.] 1. सुलगाने की क्रिया या भाव (लकड़ी, उपले आदि को) 2. किसी काम के प्रति धुन या लगन 3. शुभ मुहूर्त। [मु.] सुलग उठना : क्रोध से बेकाबू हो जाना; क्रोधित हो उठना।

सुलगना [क्रि-अ.] 1. आग लगना; आग पकड़ना 2. भड़कना 3. झगड़ा लगना 4. {ला-अ.} ईर्ष्या, चिंता आदि के कारण सदा चिंतित रहना।

सुलगाना [क्रि-स.] 1. आग जलाना 2. तंबाकू आदि को पीने योग्य बनाना 3. {ला-अ.} झगड़े या मनमुटाव को बढ़ावा देना या उकसाना 4. {ला-अ.} भावनाओं को भड़काना।

सुलझना [क्रि-अ.] 1. समस्या का निपटारा होना; समस्या का समाधान होना 2. हल होना 3. गुत्थी खुलना 4. उलझन दूर होना।

सुलझाना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी उलझन या जटिलता को दूर करना; गुत्थी खोलना 2. किसी समस्या या मसले का हल निकालना 3. किसी मामले की पेचीदगी को दूर करना।

सुलतान (अ.) [सं-पु.] 1. बादशाह; सम्राट 2. तुर्की के सम्राटों की पदवी।

सुलफ [वि.] 1. लचीला 2. कोमल; नाज़ुक; मुलायम।

सुलफ़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गाँजे की तरह चिलम में भरकर पी जाने वाली तंबाकू 2. मिट्टी के तवे का प्रयोग किए बिना तंबाकू की चिलम भरे जाने का एक प्रकार 3. गाँजा; चरस।

सुलफ़ेबाज़ (फ़ा.) [वि.] गाँजा या चरस पीने वाला; गँजेड़ी; चरसी।

सुलभ (सं.) [वि.] 1. जो आसानी से उपलब्ध हो 2. सहजता से प्राप्य; आसानी से प्राप्त हो जाने वाला 3. सहज; सुगम।

सुलभेतर (सं.) [वि.] आसानी से प्राप्त न होने वाला; दुर्लभ; मुश्किल।

सुलह (अ.) [सं-स्त्री.] वह स्थिति जब दो व्यक्ति, संस्था अथवा राष्ट्र लड़ाई-झगड़े या मनमुटाव आदि छोड़कर आपस में मित्रता स्थापित करते हैं; मेलमिलाप; संधि।

सुलहनामा (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] शांति के लिए विरोधी पक्षों द्वारा तैयार किया गया वह पत्र जिसपर मेल-मिलाप या सुलह की शर्तें लिखी हों; संधिपत्र।

सुलाना (सं.) [क्रि-स.] 1. सोना क्रिया का प्रेरणार्थक रूप 2. किसी को लेटने या सोने में प्रवृत्त करना।

सुलिखित (सं.) [वि.] 1. सुंदर और स्पष्ट लिखा हुआ 2. अच्छे हस्तलेख का।

सुलिपि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छी और स्पष्ट लिपि 2. सुंदर लिखावट।

सुलेख (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी लिखावट 2. सुंदर लेख; सुंदर हस्तलेख। [वि.] 1. शुभ रेखाओंवाला 2. शुभ रेखाएँ बनाने वाला।

सुलेखक (सं.) [सं-पु.] 1. वह लेखक जो अच्छा तथा उत्तम लिखता हो 2. विख्यात लेखक या रचनाकार।

सुलेमान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. यहूदियों का बादशाह 2. यहूदियों के राजा दाऊद का बेटा 3. यहूदियों का तीसरा बादशाह जिसने यरूशलम नगर का निर्माण कराया और वह पैगंबर माना जाता है 4. पश्चिमी पाकिस्तान में अवस्थित एक पर्वत।

सुलेमानी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह घोड़ा जिसकी आँख सफ़ेद हो 2. एक प्रकार का दोरंगा पत्थर। [सं-स्त्री.] सुलेमान का पद। [वि.] सुलेमान संबंधी; सुलेमान का।

सुलोचन (सं.) [वि.] जिसकी आँखें बहुत सुंदर हो। [सं-पु.] 1. सुंदर नेत्र 2. हिरन 3. खंजन नामक पक्षी।

सुलोचना (सं.) [वि.] सुंदर नेत्रोंवाली। [सं-स्त्री.] 1. वासुकि की पुत्री जो मेघनाद की पत्नी थी 2. सुंदर स्त्री; सुंदरी; सुलोचनी।

सुलोल (सं.) [वि.] 1. अत्यंत लालायित 2. बहुत चंचल 3. बहुत उत्सुक या उत्साही 4. बहुत बैचेन।

सुल्फ [सं-पु.] 1. ख़रीद-फ़रोख़्त 2. असबाब; सामान 3. (संगीत) बहुत तेज़ लय 4. किश्ती; नाव।

सुवक्ता (सं.) [वि.] अच्छा व्याख्यान देने वाला; सुंदर वक्ता; वाग्मी; वाक्पटु।

सुवचन (सं.) [वि.] 1. सुंदर वचन बोलने वाला 2. जो मीठा बोलता हो; मधुरभाषी 3. उत्तम वक्ता। [सं-पु.] मधुर वचन।

सुवत्सा (सं.) [सं-स्त्री.] सुंदर या सौम्य वत्स अथवा संतान वाली स्त्री।

सुवर्ण (सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ण; सोना 2. एक प्रकार की धातु जिससे आभूषण आदि बनाए जाते हैं 3. सुंदर वर्ण। [वि.] 1. सुंदर वर्ण का 2. चमकदार रंग का 3. सुनहला 4. पीले रंग का।

सुवर्णक (सं.) [सं-पु.] 1. सोना; स्वर्ण 2. सोलह माशे की एक पुरानी तौल। [वि.] 1. सोने या सुवर्ण से बना हुआ 2. सुनहला।

सुवर्णकार (सं.) [सं-पु.] सुनार; स्वर्णकार; सोने के गहने बनाने वाला कारीगर।

सुवर्णमय (सं.) [वि.] 1. सोने की तरह का; सोने जैसा 2. पीले रंग का।

सुवर्णा (सं.) [वि.] 1. सुंदर वर्णवाली 2. (पुराण) अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक 3. हल्दी।

सुवहनीय (सं.) [वि.] आसानी से उठाया जा सकने वाला; आसानी से ले जाने योग्य।

सुवाच्य (सं.) [वि.] आसानी से पढ़े जाने योग्य; जो सहजता से पढ़ा जा सके।

सुवास (सं.) [सं-पु.] 1. सुगंध; ख़ुशबू 2. उत्तम निवास स्थान। [वि.] जो अच्छे कपड़े पहने हो।

सुवासित (सं.) [वि.] 1. सुंदर वास अथवा गंध से युक्त; सुगंधित 2. सुंदर वस्त्रोंवाला।

सुवासिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विवाहित पुत्री 2. सुहागिन स्त्री; सधवा 3. सुंदर वस्त्रों से सुसज्जित स्त्री। [वि.] आराम से रहने वाली।

सुविख्यात (सं.) [वि.] अत्यंत प्रसिद्ध।

सुविचार (सं.) [वि.] सुंदर या उत्तम विचार; बेहतर ख़याल।

सुविचारित (सं.) [वि.] भली-भांति सोचा-विचारा हुआ; अच्छी तरह से योजित।

सुविचारी (सं.) [वि.] 1. जो सूक्ष्म और सुंदर रूप से विचार करे 2. अच्छा फ़ैसला या निर्णय करने वाला 3. न्यायपूर्ण बात कहने वाला; न्यायशील।

सुविज्ञ (सं.) [वि.] अच्छी तरह जानने वाला; अच्छा जानकार; श्रेष्ठ ज्ञाता; ज्ञानवान।

सुविधा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी स्थिति जिसके कारण कोई काम आराम से हो सके; वह वातावरण जिसमें किसी कार्य का संपादन सहजतापूर्वक हो सके; सुंदर प्रबंध; अच्छी व्यवस्था 2. आराम; सुभीता।

सुविधाजनक (सं.) [वि.] 1. सुविधा देने वाला 2. आरामदायक 3. विशेष उद्देश्य की दृष्टि से उपयुक्त या व्यावहारिक; आसान।

सुविधानुसार (सं.) [क्रि.वि.] सुविधा के अनुसार; जिसमें आराम हो; सहूलियत के साथ।

सुविधापूर्ण (सं.) [वि.] 1. सुविधा से भरा हुआ; सुविधायुक्त 2. अनुकूल 3. सहूलियत वाला; आरामदायक।

सुविधाप्राप्त (सं.) [वि.] जिसे सभी सुविधाएँ मिली हों; जिसे किसी प्रकार का अभाव न हो।

सुविधाभोगी (सं.) [वि.] सुविधा का उपभोग करने वाला; सुविधा भोगने वाला (वर्ग, व्यक्ति आदि)।

सुविधामूलक (सं.) [वि.] 1. सुविधा प्रदान करने वाला 2. जिसका मुख्य उद्देश्य सुभीता या आराम हो।

सुविधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छा नियम या आदेश 2. किसी कार्य को करने की ऐसी विधि जो पूरी तरह अच्छी और उत्तम हो 3. त्रुटिरहित ढंग, तरीका या रीति 4. अच्छी युक्ति या उपाय 5. (जैन धर्म) वर्तमान अवसर्पिणी के नवे अर्हत का नाम।

सुवृत्त (सं.) [सं-पु.] सुंदर वृत्त; चरित्र। [वि.] 1. अच्छी तरह से कोई बात कहने वाला 2. जो अच्छी बातें कहता या बताता हो 3. जिसका आचरण या व्यवहार अच्छा हो; सुचरित्र; सदाचारी; नेक 4. ख़ूब गोल 5. सुंदर छंद में रचित।

सुवेग (सं.) [वि.] तेज गतिवाला; वेगवान।

सुव्यक्त (सं.) [वि.] 1. जो अच्छी तरह कहा गया हो; बहुत स्पष्ट; प्रकट 2. साफ़; प्रकाशित; चमकदार।

सुव्यवस्था (सं.) [सं-स्त्री.] अच्छी और सुंदर व्यवस्था; सुप्रबंध; सुयोजना।

सुव्यवस्थित (सं.) [वि.] 1. सुंदर व्यवस्थायुक्त 2. क्रम से 3. विधिपूर्वक।

सुशांत (सं.) [वि.] 1. अत्यंत शांत 2. प्रशमित 3. वह जिसमें जरा भी क्षोभ न हो; अत्यंत गंभीर।

सुशासन (सं.) [सं-पु.] उत्तम राज्य प्रबंध; सुंदर शासन; सुराज्य।

सुशासित (सं.) [वि.] अच्छी तरह शासित; सुनियंत्रित।

सुशिक्षित (सं.) [वि.] जिसने अच्छी शिक्षा पाई हो; सुशिक्षा प्राप्त; अच्छी तरह से सिखाया हुआ।

सुशिखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मुरगे की कलगी 2. मयूर की चोटी।

सुशील (सं.) [वि.] 1. उत्तम शील या स्वभाववाला 2. सच्चरित्र 3. विनीत 4. सीधे या सरल स्वभाव का।

सुशीलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विनम्रता; नेकदिली 2. सीधापन; सरलता 3. मैत्रीभाव; रमणीयता 4. उदारता।

सुशीला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शिष्ट और विनम्र स्त्री 2. शीलवान 3. (पुराण) कृष्ण की आठ पटरानियों में से एक।

सुशोभन (सं.) [वि.] 1. अच्छी शोभा देने वाला 2. अतिसुंदर 3. सुहावना।

सुशोभित (सं.) [वि.] अच्छी तरह शोभित; जो बहुत सुंदर या रमणीय हो; अति शोभायुक्त; अत्यंत शोभायमान।

सुश्री (सं.) [सं-पु.] एक आदरसूचक शब्द जो कुमारी कन्याओं के नाम के पहले लगाया जाता है परंतु वर्तमान में विवाहित या अविवाहित सभी कन्याओं या स्त्रियों के नाम के पहले इस शब्द को लगाने का प्रचलन शुरू हो गया है। [वि.] सुंदर स्त्री; धनवान स्त्री।

सुश्रुत (सं.) [सं-पु.] आयुर्वेद के एक प्राचीन आचार्य।

सुश्रूषा (सं.) [सं-स्त्री.] दे. शुश्रूषा।

सुषमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अतिशय सुंदरता; परम शोभा 2. प्राकृतिक सौंदर्य 3. नैसर्गिक शोभा या सुंदरता 4. एक प्रकार का वर्णवृत्त 5. (पुराण) कालचक्र का एक आरा।

सुषुप्त (सं.) [वि.] 1. गहरी नींद में सोया हुआ 2. जो निष्क्रिय अवस्था में स्थित हो।

सुषुप्तावस्था (सं.) [सं-स्त्री.] सोए हुए होने की स्थिति या भाव।

सुषुप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गहन निद्रावस्था; गहरी नींद 2. योग-साधना की वह अवस्था जिसमें ब्रह्म की प्राप्ति के उपरांत भी जीव को उसका ज्ञान नहीं होता; आनंदमय कोष।

सुषुम्ना (सं.) [सं-स्त्री.] (आयुर्वेद और हठयोग) एक नाड़ी जो नाभि से आरंभ होकर मेरुदंड में से होती हुई ब्रह्मरंध्र तक मानी गई है; इड़ा और पिंगला नाड़ियों के बीच स्थित एक नाड़ी।

सुषेण (सं.) [वि.] जिसके पास दिव्य अस्त्र हों। [सं-पु.] 1. (रामायण) एक वानर जो बालि का ससुर और रावण का वैद्य था 2. (महाभारत) धृतराष्ट्र का एक पुत्र 3. राजा परीक्षित का एक पुत्र।

सुसंगत (सं.) [वि.] 1. बहुत उचित 2. युक्ति-युक्त; संगतिपूर्ण।

सुसंगति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपयुक्त होने की स्थिति या भाव 2. अच्छे लोगों का संग 3. अच्छा मेल 4. अच्छा संग-साथ; सत्संग।

सुसंगम (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छे विद्वानों का मिलन-स्थल 2. अच्छी सभा।

सुसंपन्न (सं.) [वि.] यथेष्ट धन-संपत्तिवाला; प्रचुर धनवाला।

सुसंयोग (सं.) [वि.] 1. सुंदर संयोग 2. शुभ अवसर; सुअवसर।

सुसंस्कार (सं.) [सं-पु.] उत्तम या अच्छे संस्कार।

सुसंस्कारी (सं.) [वि.] उत्तम या अच्छे संस्कारवाला।

सुसंस्कृत (सं.) [वि.] 1. जिसका आचरण शिष्टतापूर्ण और संस्कृति के अनुरूप हो 2. सुंदर संस्कारों से युक्त 3. शिष्ट 4. जो संस्कृतिक दृष्टि से उन्नत हो 5. भली-भाँति संस्कारित किया हुआ।

सुसज्जित (सं.) [वि.] 1. भली-भाँति सजा या सजाया हुआ 2. शृंगार किया हुआ 3. तैयार किया हुआ 4. शोभायमान।

सुसमय (सं.) [सं-पु.] अच्छा समय; अच्छा वक्त; सुकाल।

सु-सरित (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गंगा 2. नदियों में श्रेष्ठ 3. अच्छी नदी।

सुसाध्य (सं.) [वि.] 1. सरलता से साधे जाने योग्य 2. जो सहज में पूरा किया जा सके; आसान 3. जिसका साधन सहज हो।

सुसिद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का अर्थालंकार जिसमें एक मनुष्य के परिश्रम करने तथा उसका फल किसी दूसरे को मिलने का वर्णन होता है।

सुस्त (फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी गति अपेक्षाकृत मंद हो; धीमा 2. ढीला 3. कमज़ोर 4. जो अच्छी तरह काम न कर सके; आलसी 5. मंदबुद्धि 6. जिसमें उत्साह या प्रसन्नता की कमी हो; उदास 7. उतरा हुआ 8. अन्यमनस्क; अनमना।

सुस्ताना (फ़ा.+हिं.) [क्रि-अ.] 1. थकान के पश्चात विश्राम करना 2. थकान को मिटाने के लिए चल रहे कार्य को रोक देना; थकावट दूर करना।

सुस्ती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सुस्त होने का भाव 2. शिथिलता; ढिलाई 3. आलस्य 4. कमज़ोरी।

सुस्थ (सं.) [वि.] 1. सुखपूर्वक स्थित 2. भला-चंगा; निरोग 3. सब प्रकार से सुखी 4. ख़ुश; आनंदित 5. उन्नतिशील 6. ठीक तरह से बैठा या जमा हुआ।

सुस्पष्ट (सं.) [वि.] 1. साफ़-साफ़ 2. व्यक्त; मुखर।

सुस्वाद (सं.) [सं-पु.] अच्छा स्वाद। [वि.] बहुत स्वादिष्ट; ज़ायकेदार; अत्यंत स्वादयुक्त।

सुहाग (सं.) [सं-पु.] 1. सुहागिन होने की अवस्था; सधवा-अवस्था; किसी स्त्री के जीवन की वह कालावधि जिसमें उसका पति जीवित हो 2. विवाह के समय कन्या-पक्ष की ओर से गाया जाने वाला गीत 3. सधवा या विवाहित होने की निशानी; सौभाग्य।

सुहागन (सं.) [सं-स्त्री.] दे. सुहागिन।

सुहागरात (सं.) [सं-स्त्री.] वर-वधू के प्रणय-मिलन की प्रथम रात्रि।

सुहागा (सं.) [सं-पु.] 1. (रसायनशास्त्र) एक प्रकार का क्षार जो गंधक स्रोत से प्राप्त होता है तथा इसका उपयोग सोना गलाने और दवा बनाने में किया जाता है 2. लकड़ी का पाटा जिसे किसान जुते हुए खेत को चौरस व समतल करने में प्रयोग करते हैं।

सुहागिन (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसका पति जीवित हो; सधवा; सौभाग्यवती; सौभाग्यशालिनी।

सुहाना (सं.) [क्रि-अ.] 1. सुंदर लगना; शोभित होना; शोभा देना 2. सत्य होना 3. भला लगना; अच्छा लगना; सुखद होना। [वि.] सुहावना; सुखदायी; सुंदर।

सुहाल (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का नमकीन पकवान जिसे मैदे और घी से बनाया जाता है।

सुहावना [वि.] 1. देखने में सुंदर और भला लगने वाला 2. सुंदर; ख़ूबसूरत 3. मनोरम 4. प्रियदर्शन।

सुहृदय (सं.) [वि.] 1. सबसे प्यार करने वाला 2. स्नेही 3. अच्छे हृदय वाला; सहृदय।

सुहेल (अ.) [सं-पु.] (मिथक) एक प्रकार का तारा जिसके विषय में कहा जाता है कि यह यमन देश में दिखाई देता है और इसके उदित होने पर जीव मर जाते हैं।

सूँघना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु या पदार्थ की गंध जानने के उद्देश्य से उसे नाक के पास ले जाकर साँस खींचना 2. {ला-अ.} किसी खाद्य पदार्थ को बहुत कम खाना।

सूँघनी [सं-स्त्री.] तंबाकू का चूर्ण, जिसे कुछ लोग सूँघने के लिए इस्तेमाल करते हैं, नसवार।

सूँघा [सं-पु.] 1. वह जो केवल सूँघकर ही बहुत-सी बातें बतला देता हो 2. सूँघकर शिकार करने वाला कुत्ता 3. भेदिया; जासूस।

सूँड़ (सं.) [सं-स्त्री.] हाथी की लंबी और नीचे की ओर ज़मीन तक लटकती हुई नाक; शुंड।

सूँड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का कीड़ा जो पौधों, फलों, अनाज व फ़सल आदि में लगता है।

सूँस (सं.) [सं-स्त्री.] लगभग दो-तीन मीटर लंबा जलक्रीड़ा का शौकीन एक जलीय-जंतु जो लगभग मछली जैसी आकृति का होता है और उसके तीस दाँत होते हैं; अंबुकीश; असिपुच्छक; जलकेलि; उलूपी, सूस; (डॉल्फ़िन)।

सूअर (सं.) [सं-पु.] दे. सुअर।

सूआ [सं-पु.] बड़ी सुई; अपेक्षाकृत लंबी और मोटी सुई जिससे टाट आदि सिले जाते हैं।

सूई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लोहे का पतला, लंबा एवं नुकीला उपकरण जिसके छेद में धागा पिरोकर किसी चीज़ की सिलाई की जाती है 2. किसी विशेष परिणाम, समय, दिशा आदि का सूचक तार या काँटा 3. शरीर में तरल औषधि प्रवेश कराने का नलीनुमा एक छोटा उपकरण; शृंगक; (सीरिंज) 4. शरीर में तरल औषधि पहुँचाने की नली; (इंजेक्शन) 5. पौधों का नुकीला अंकुर। [मु.] -की नोक के बराबर : तिल मात्र भी; ज़रा भी।

सूकर (सं.) [सं-पु.] सुअर नामक जंतु; वराह; सुअर।

सूक्त (सं.) [वि.] अच्छी तरह से कहा हुआ; भली-भाँति कहा गया।

सूक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर उक्ति या कथन 2. चमत्कारपूर्ण वाक्य; पद्य।

सूक्ष्म (सं.) [वि.] 1. बहुत बारीक या महीन 2. बेहद छोटा।

सूक्ष्मग्राहिता (सं.) [सं-पु.] 1. बात की बारीकी को पकड़ने की क्षमता 2. संवेदनशीलता; भावुकता।

सूक्ष्मग्राही (सं.) [वि.] बात की बारीकी को पकड़ने वाला।

सूक्ष्मजीव (सं.) [सं-पु.] अत्यंत छोटे आकार का जीव जिसे केवल सूक्ष्मदर्शक यंत्र से देखा जा सकता है।

सूक्ष्मता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बारीकी 2. सूक्ष्म होने का भाव।

सूक्ष्मदर्शी (सं.) [वि.] 1. कुशाग्र बुद्धि; बहुत बुद्धिमान 2. सूक्ष्म बात समझने वाला 3. एक यंत्र जिसके द्वारा छोटी से छोटी चीज़ को बड़ा करके देखा जाता है; (माइक्रोस्कोप)।

सूक्ष्मदृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी-छोटी बातों को आसानी से समझने या देख लेने वाली दृष्टि 2. पैनी दृष्टि; अन्वेषणपरक दृष्टि 3. तत्वचेता दृष्टि।

सूक्ष्मशरीर (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का कल्पित भोग शरीर; लिंगशरीर (पंचप्राण, पंचज्ञानेंद्रिय, पंचतन्मात्र और मन तथा बुद्धि, इन सत्रह अवयवों का समूह)।

सूक्ष्मांकन (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु, विद्या या कला के विविध पक्षों का अति गहन अध्ययन तथा उनकी विवेचना।

सूक्ष्माकार (सं.) [वि.] अति सूक्ष्म आकार या स्वरूप का; लघ्वाकार; अण्वाकार।

सूक्ष्माणु (सं.) [सं-पु.] अतिसूक्ष्म आकार या परिमाण का अणु; अति लघु अणु।

सूक्ष्मातिसूक्ष्म (सं.) [वि.] 1. अत्यंत सूक्ष्म 2. छोटे से भी छोटा।

सूखना [क्रि-अ.] 1. गीलापन दूर होना 2. जलहीन होना; जल न रहना 3. रस आदि से रहित होना 4. उदास होना 5. रोग, चिंता आदि से दुबला होना; दुर्बल होना 6. नष्ट होना। [मु.] सूखकर काँटा होना : बहुत ही क्षीण और दुर्बल हो जाना।

सूखा (सं.) [वि.] 1. जिसकी आर्द्रता सामाप्त हो गई हो; ख़ुश्क 2. वर्षा न होने के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदा; अकाल; दुर्भिक्ष 3. निस्तेज; उदास 4. कोरा; दो टूक 5. बच्चों को होने वाला एक रोग 6. नदी किनारे की सूखी ज़मीन।

सूखापन [सं-पु.] रुखाई या शुष्कता का भाव।

सूच (सं.) [सं-पु.] कुश का अंकुर जो सुई की तरह नुकीला होता है; दर्भांकुर।

सूचक (सं.) [वि.] 1. सूचित करने वाला; सूचना देने वाला; ज्ञापक 2. किसी चीज़ अथवा तथ्य का लक्षण या भेद बताने वाला; बोधक; परिचायक।

सूचकांक (सं.) [सं-पु.] वस्तुओं के मूल्यों में होने वाली वृद्धि या ह्रास को बताने वाला आंकड़ा या लेखा; (इंडेक्स नंबर)।

सूचना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जानकारी; इत्तिला; (इनफ़ॉर्मेशन) 2. विज्ञापन; (नोटिस) 3. प्रतिवेदन; (रिपोर्ट) 4. संकेत।

सूचनात्मक (सं.) [वि.] जानकारी देने वाला; सूचनाप्रद; ज्ञानवर्धक।

सूचनादाता (सं.) [सं-पु.] किसी बात की जानकारी या सूचना देने वाला व्यक्ति; सूचित करने वाला व्यक्ति।

सूचनापट्ट (सं.) [सं-पु.] लकड़ी या लोहे का बना वह पटल जिसपर सूचना लिखकर कागज़ चिपका दिया जाए; तख़्ती; (नोटिस बोर्ड)।

सूचना-पत्र (सं.) [सं-पु.] 1. वह पत्र जिसमें सूचना हो 2. इश्तिहार; विज्ञप्ति 3. इत्तलानामा।

सूचनाप्रद (सं.) [वि.] 1. जिससे कोई शिक्षा या सीख मिले 2. जिससे कोई सूचना प्राप्त हो।

सूचनार्थ (सं.) [अव्य.] जानकारी हेतु; सूचना प्रदान या प्राप्त करने हेतु।

सूचिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुई 2. एक पौराणिक अप्सरा 3. केवड़ा 4. हाथी की सूँड़।

सूचिकाभरण (सं.) [सं-पु.] 1. (आयुर्वेद) एक औषधि जो मरणासन्न रोगियों की चिकित्सा के लिए सुई से उनके मस्तक पर लगाते हैं 2. साँप के काटने पर प्रयोग की जाने वाली औषधि।

सूचित (सं.) [वि.] 1. बताया हुआ; कहा हुआ 2. जिसकी सूचना दी गई हो; ज्ञापित 3. इशारे से बताया हुआ; इशारा किया हुआ; सांकेतिक।

सूची (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तालिका 2. अनुक्रम; अनुक्रमणिका; क्रमबद्ध लेखा 3. सुई।

सूचीकरण (सं.) [सं-पु.] सूची बनाना; व्यक्तियों, वस्तुओं आदि को किसी विशेष उद्देश्य से तालिकाबद्ध करना।

सूचीपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. सूचना पत्र 2. वह पुस्तिका जिसमें बहुत-सी चीज़ों की नामावली, विवरण, मूल्य आदि लिखा हो; तालिका; सूची; (कैटलॉग)।

सूचीवार (सं.+फ़ा.) [वि.] 1. सूची के अनुसार होने वाला 2. सूची में दिए गए नामों के क्रम के हिसाब से होने वाला।

सूचीशिल्प (सं.) [सं-पु.] 1. कपड़े पर सुई-डोरे से बनाए हुए बेल-बूटे या कोई आकृति; सुईकारी 2. सूचीकार्य।

सूच्यार्थ (सं.) [सं-पु.] (साहित्य) शब्दों की व्यंजना शक्ति से निकलने वाला अर्थ; व्यंग्यार्थ।

सूजन [सं-स्त्री.] 1. (चिकित्साविज्ञान) प्रदाह के पाँच लक्षणों में से एक 2. शरीर या शरीर के अंग-विशेष का चोट लगने या किसी अन्य कारण से अप्रत्याशित रूप से फूल जाना; शोथ।

सूजना [क्रि-अ.] आघात, रोग आदि के कारण कोई अंग फूल जाना; शोथ होना।

सूजा [सं-पु.] बड़े आकार की सुई; टाँकने के लिए प्रयुक्त सुई की तरह का औज़ार।

सूज़ाक (फ़ा.) [सं-पु.] मूत्रेंद्रिय का एक रोग जिसमें पेशाब में जलन और शिश्न में दर्द होता है।

सूजी [सं-स्त्री.] हलवा आदि बनाने के काम आने वाला गेहूँ का रवादार आटा।

सूझ [सं-स्त्री.] 1. सूझने की क्रिया या भाव अथवा दृष्टि; निगाह 2. सोच-विचार; होश 3. कोई नई या दूर की बात सोचना 4. कोई नई कल्पना या सोच; उद्भावना।

सूझना (सं.) [क्रि-अ.] 1. दिखाई पड़ना; नज़र आना 2. कोई बात दिमाग या ध्यान में आना; समझ में आना।

सूझ-बूझ [सं-स्त्री.] 1. बुद्धि 2. सोचने-समझने की शक्ति; समझदारी।

सूट (इं.) [सं-पु.] 1. वह कपड़ा जिससे पैंट-शर्ट या सलवार-कमीज़ सिलाए जाते हैं; परिधान-समूह 2. एक ही कपड़े का बना कोट और पैंट 3. सलवार और कमीज़ 4. ऐसे कपड़ों का जोड़ा जो एक साथ पहने जाते हों।

सूटकेस (इं.) [सं-पु.] 1. पहनने के कपड़े (सूट आदि) रखने का बक्स; (अटैची) 2. एक प्रकार छोटा व चपटा बॉक्स जिसमें यात्रा के समय पहनने के कपड़े रखकर ले जाते हैं।

सूट-बूट (इं.) [सं-पु.] 1. सलीकेदार कपड़े और जूते 2. {ला-अ.} किसी व्यक्ति की सज-धज।

सूत1 [सं-पु.] 1. रेशम, रुई आदि का बारीक तागा जिससे कपड़ा बुनते हैं; धागा; डोरा; तंतु 2. कच्चा धागा 3. लंबाई नापने की एक छोटी-सी माप 4. लकड़ी आदि पर निशान डालने की डोरी।

सूत2 (सं.) [सं-पु.] 1. रथ हाँकने वाला व्यक्ति; सारथी 2. प्राचीन काल की एक जाति; बंदी; भाट 3. सूर्य 4. बढ़ई 5. पारा 6. पुराणों की कथाएँ कहने वाला। [वि.] 1. उत्पन्न 2. प्रसूत 3. प्रेरित।

सूतक (सं.) [सं-पु.] जन्म या मृत्यु के समय का पारिवारिक अशौच।

सूतकी (सं.) [वि.] जिसे सूतक लगा हो।

सूता (सं.) [सं-पु.] 1. धागा; सूत 2. रेशम। [सं-स्त्री.] जच्चा; प्रसूता। [वि.] सोया हुआ।

सूतिका (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसे अभी हाल में बच्चा हुआ हो; जच्चा; नवप्रसूता; सद्यःप्रसूता।

सूतिकागार (सं.) [सं-पु.] 1. वह कमरा या घर जिसमें स्त्री बच्चे को जन्म देती है; सौरी; प्रसव-गृह 2. अस्पताल का वह विभाग जिसमें प्रसव करने के लिए प्रसूता स्त्रियाँ रखी जाती हैं; जच्चा-बच्चा वार्ड।

सूती [वि.] सूत का बना हुआ; सूत का।

सूत्र (सं.) [सं-पु.] 1. तंतु; सूत 2. तागा; धागा; डोरी 3. पता; संकेत; सुराग; (क्लू) 4. किसी रासायनिक यौगिक में निहित उसके अवयव तत्वों को संकेताक्षरों द्वारा व्यक्त करना 5. तथ्यों का सांकेतिक भाषा में विवरण 6. व्यवस्था; नियम 7. वेदों और विभिन्न दर्शनशास्त्रों के गंभीर अर्थ देने वाले वाक्य 8. माध्यम; ज़रिया 9. मूल-मुद्दा; (प्वाइंट) 10. सिलसिला।

सूत्रकार (सं.) [सं-पु.] 1. सूत्रों के रूप में किसी ग्रंथ की रचना करने वाला व्यक्ति; सूत्र-रचयिता 2. बढ़ई 3. जुलाहा 4. राजगीर 5. मकड़ी।

सूत्रधर (सं.) [वि.] 1. सूत्र धारण करने वाला; सूत्रधारी 2. व्यवस्थापक; संचालक।

सूत्रधार (सं.) [सं-पु.] 1. नाट्यशाला का व्यवस्थापक अथवा प्रधान नट 2. प्राचीन संस्कृत नाटकों का एक पात्र जो नाटक की कथा का अग्रिम संकेत देता चलता है 3. संचालक या व्यवस्थापक।

सूत्रपात (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य का आरंभ 2. सूत से मापने का कार्य।

सूत्रपुष्प (सं.) [सं-पु.] कपास।

सूत्रबद्ध (सं.) [वि.] सूत्र रूप में कथित अथवा रचित।

सूत्र-संचालन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य का क्रियान्वयन करना 2. परोक्ष रूप में किसी घटना का संचालन करना।

सूत्रात्मक (सं.) [वि.] सूत्र के रूप में बना या होने वाला।

सूत्रित (सं.) [वि.] 1. सूत्र के रूप में लाया या बनाया हुआ 2. व्यवस्थित 3. सूक्तिवत।

सूत्री (सं.) [सं-पु.] मंच निर्देशक। [वि.] 1. सूत्र का; सूत्र संबंधी 2. सूत्र विशिष्ट, जैसे- अष्टसूत्री योजना 3. नियमों से युक्त।

सूत्रीकरण (सं.) [सं-पु.] सूत्र का रूप देना।

सूत्रीय (सं.) [वि.] 1. सूत्र संबंधी; सूत्र का 2. जिसमें सूत्र हों।

सूथन (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का पायजामा।

सूद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ऋण के रूप में दिए गए धन पर मिलने वाला लाभ का अंश; ब्याज; (इंटरेस्ट) 2. फ़ायदा।

सूदख़ोर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सूद खाने वाला 2. बहुत सूद या ब्याज लेने वाला 3. ब्याज के पैसे से अपना घर या आजीविका चलाने वाला।

सूदख़ोरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सूद या ब्याज लेने की क्रिया 2. ब्याज के रुपयों से आजीविका चलाने का काम; ब्याज-बट्टे का रोज़गार।

सूद-दर-सूद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह सूद जो मूल और ब्याज दोनों को जोड़कर लगाया जाए 2. चक्रवृद्धि ब्याज; (कंपाउंड इंटरेस्ट)।

सूदन (सं.) [सं-पु.] 1. वध करना; मार डालना 2. हनन 3. फेंकना 4. अंगीकार करना। [वि.] 1. विनाश करने वाला 2. मार डालने वाला।

सूदी (फ़ा.) [वि.] 1. जो सूद या ब्याज पर दी गई हो (पूँजी) 2. सूद का; सूद संबंधी 3. सूद पर लिया जाने वाला (कर्ज़)।

सून (सं.) [सं-पु.] 1. बेटा; पुत्र 2. कली 3. फूल 4. फल 5. जनन; प्रसव। [वि.] 1. शून्य; रिक्त; ख़ाली; एकांत; निर्जन 2. जनमा हुआ 3. खिला हुआ।

सूना (सं.) [वि.] 1. शून्य; ख़ाली 2. जनहीन; जहाँ लोगों की आवाजाही न हो; एकांत। [सं-पु.] एकांत स्थान।

सूनापन [सं-पु.] सूना लगना; शून्यता; सन्नाटा; तनहाई।

सूप1 [सं-पु.] अनाज फटकने के लिए बाँस एवं सरकंडे की तीलियों से बना एक पात्र; छाज।

सूप2 (सं.) [सं-पु.] 1. पकाई हुई दाल या उसका पानी 2. रसा; रसेदार तरकारी 3. मसाला 4. बरतन; मर्तबान 5. रसोइया।

सूप3 (इं.) [सं-पु.] हरी साग-सब्ज़ी से तैयार किया जाने वाला रसा; शोरबा; कच्ची तरकारी का रस।

सूपकार (सं.) [सं-पु.] 1. रसोइया; बावरची 2. वह जो खाना बनाता है।

सूपड़ा [सं-पु.] 1. सूप; छाज 2. झाड़ू। [मु.] -साफ़ होना : पूर्ण रूप से पराजित होना; सब कुछ हाथ से निकल जाना।

सूफ़ (अ.) [सं-पु.] 1. ऊन; पशम 2. स्याही की दवात में डाला जाने वाला लत्ता या चिथड़ा 3. गोटा बुनने का बाना 4. घाव में भरा जाने वाला कपड़ा।

सूफ़ियाना (अ.) [वि.] 1. सूफ़ियों जैसा सादा परंतु सुंदर 2. हलका 3. बढ़िया।

सूफ़ी (अ.) [सं-पु.] 1. उदार विचारों वाले मुसलमानों का एक रहस्यवादी संप्रदाय जिसमें तपस्या और प्रेम को ईश्वर प्राप्ति का माध्यम माना जाता है 2. वह जो कंबल या पशमीना ओढ़ता हो 3. सूफ़ी संप्रदाय का संत या अनुयायी। [वि.] पवित्र और स्वच्छ।

सूबा (अ.) [सं-पु.] देश का कोई भाग या खंड, जिसमें कई ज़िले शामिल हों; प्रांत; प्रदेश।

सूबेदार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्राचीनकाल में सूबे अर्थात प्रांत का प्रधान अधिकारी अथवा प्रादेशिक शासक; (गवर्नर) 2. वर्तमान में फ़ौज का एक छोटा अधिकारी।

सूबेदारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] सूबेदार का ओहदा या पद; सूबेदार का कार्य।

सूम (अ.) [वि.] कंजूस; कृपण।

सूर1 (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. ज्ञानी व्यक्ति; विद्वान व्यक्ति 3. बहुत बड़ा पंडित; आचार्य।

सूर2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ख़ुशी; प्रसन्नता; आनंद; हर्ष 2. लाल रंग 3. घोड़े, ऊँट आदि का ख़ाकी रंग जो कुछ कालापन लिए होता है।

सूरज (सं.) [सं-पु.] सूर्य। [मु.] -को दीपक दिखाना : किसी प्रसिद्ध, श्रेष्ठ या महान व्यक्ति का परिचय देना।

सूरजमुखी (सं.) [सं-पु.] 1. एक पौधा जिसमें पीले रंग का फूल लगता है 2. उक्त फूल का मुख प्रायः सूर्य की ओर ही रहता है।

सूरत1 (सं.) [सं-पु.] गुजरात राज्य का एक प्रसिद्ध नगर।

सूरत2 (अ.) [सं-स्त्री.] 1. रूप; आकृति; शक्ल 2. हालत; स्थिति 3. भेष 4. किसी वस्तु का बाह्य रूप 5. उपाय 6. चित्र 7. कुरान का एक अध्याय। [मु.] -दिखाना : मिलने के लिए सामने आना।

सूरतपरस्त (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. रूप की पूजा करने वाला 2. सौंदर्य की पूजा करने वाला 3. मूर्तिपूजक।

सूरतहराम (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. सौंदर्य से धोखा देने वाला; जिसकी सूरत से धोखा हो 2. जो ऊपर से अच्छा तथा भीतर से बुरा हो।

सूरती [सं-स्त्री.] पुरानी चाल की एक प्रकार की तलवार।

सूरदास (सं.) [सं-पु.] 1. ब्रज भाषा के प्रसिद्ध वैष्णव कवि और महात्मा जो दृष्टिहीन थे; कृष्णभक्ति शाखा के एक भक्तिकालीन कवि 2. {ला-अ.} अंधा व्यक्ति।

सूरन (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का कंद जो स्वाद में कसैला होता है; ओल।

सूरमल्लार (सं.) [सं-पु.] (संगीत) वर्षा ऋतु में दिन के दूसरे पहर में गाया जाने वाला सारंग और मल्लार के योग से बना राग।

सूरमा (सं.) [सं-पु.] योद्धा; शूरवीर; बहादुर।

सूरा (अ.) [सं-पु.] कुरान का कोई अध्याय।

सूराख़ (फ़ा.) [सं-पु.] छेद; छिद्र।

सूरि (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. यज्ञ कराने वाला पुरोहित; ऋत्विज 3. विद्वान; आचार्य 4. जैनाचार्यों की उपाधि।

सूरी1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विद्वान स्त्री; विदुषी; पंडिता 2. (पुराण) सूर्य की पत्नी 3. राई।

सूरी2 (फ़ा.) [सं-पु.] भारत का एक मुस्लिम राजवंश। [वि.] सूर जाति का; सूर जाति से संबंधित।

सूर्य (सं.) [सं-पु.] सूरज; एक ऐसा तारा जिसके चारों ओर पृथ्वी आदि ग्रह चक्कर लगाते हैं।

सूर्यकमल (सं.) [सं-पु.] सूरजमुखी का फूल।

सूर्यकांत (सं.) [सं-पु.] 1. एक तरह का स्फटिक या बिल्लौर 2. आतशी शीशा 3. (संगीत) एक प्रकार का ताल।

सूर्यग्रहण (सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा के आ जाने के कारण होने वाला ग्रहण या खगोलीय घटना 2. (हठयोग) वह अवस्था जब प्राण पिंगला नाड़ी से उठकर कुंडलिनी में पहुँचते हैं।

सूर्यतनया (सं.) [सं-स्त्री.] यमुना या कालिंदी नामक नदी।

सूर्यनमस्कार (सं.) [सं-पु.] एक विशिष्ट प्रकार का व्यायाम।

सूर्यमंडल (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य का घेरा 2. एक गंधर्व।

सूर्यमणि (सं.) [सं-पु.] 1. एक फूल 2. सूर्यकांत मणि।

सूर्यवंश (सं.) [सं-पु.] (जनश्रुति) क्षत्रियों के दो प्रमुख वंशों में से एक जिसकी उत्पत्ति सूर्य से मानी जाती है।

सूर्यवंशी (सं.) [सं-पु.] सूर्यवंश में जन्म लेने वाला व्यक्ति। [वि.] सूर्यवंश से संबंधित; सूर्यवंश का।

सूर्यावर्त (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का सिर दर्द; अधकपारी; आधासीसी 2. हुरहुर का पौधा 3. समाधि का एक प्रकार।

सूर्यास्त (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य का अस्त होना 2. सूर्य के डूबने का समय; संध्या; साँझ।

सूर्योदय (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य का उदित होना या निकलना 2. सूर्य के उगने का समय; प्रातःकाल; सवेरा।

सूर्योन्मुख (सं.) [वि.] सूर्य की ओर उन्मुख।

सूर्योपासक (सं.) [सं-पु.] सूर्य की उपासना या पूजा करने वाला व्यक्ति।

सूर्योपासना (सं.) [सं-स्त्री.] सूर्य की उपासना।

सूलना [क्रि-स.] 1. नुकीली चीज़ से छेदना 2. कष्ट या तकलीफ़ देना। [क्रि-अ.] 1. नुकीली चीज़ गड़ना 2. पीड़ित होना।

सूली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्राचीन काल में अपराधियों को प्राण-दंड देने हेतु प्रयुक्त उपकरण; सलीब 2. {ला-अ.} अत्यधिक कष्ट या परेशानी की स्थिति। [मु.] -पर जान टँगी रहना : घोर संकट में होना।

सूहा (पं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का गहरा लाल रंग 2. (संगीत) दिन के द्वितीय प्रहर के अंत में गाया जाने वाला एक संकर राग। [वि.] लाल।

सृक (सं.) [सं-पु.] 1. भाला; बरछा 2. बाण; तीर 3. शूल 4. हवा; वायु।

सृजक (सं.) [वि.] सृजन करने वाला; रचने वाला।

सृजन (सं.) [सं-पु.] 1. उत्पन्न या जन्म देने की क्रिया या भाव; सर्जन; रचना 2. सृष्टि; उत्पत्ति।

सृजनशील (सं.) [वि.] 1. रचना करने वाला 2. रचनारत; रचना में प्रवृत्त।

सृजनशीलता (सं.) [सं-स्त्री.] रचनात्मकता; सर्जनशीलता; सृजन (निर्माण) करने की शक्ति।

सृजनहार (सं.) [वि.] 1. सृष्टिकर्ता; स्रष्टा 2. बनाने वाला; सृजन करने वाला।

सृजनात्मक (सं.) [वि.] 1. सृजनशील; रचनात्मक 2. निर्माण करने की शक्तिवाला।

सृजनात्मकता (सं.) [सं-स्त्री.] रचनात्मकता; सर्जनात्मकता; किसी वस्तु, विचार, कला, साहित्य आदि के क्षेत्र में कुछ नया रचने, आविष्कार करने या पुनर्सृजित करने की शक्ति या क्षमता।

सृत (सं.) [सं-पु.] 1. धोखा या चकमा देकर शत्रु पर प्रहार करने वाला व्यक्ति 2. गमन 3. पलायन। [वि.] 1. सरका हुआ; खिसका हुआ 2. गत 3. विचलित।

सृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पथ; रास्ता; मार्ग 2. चलना; गमन 3. धीरे से जाना; खिसकना; सरकना 4. आवागमन 5. आचरण।

सृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रचना; निर्माण 2. निर्मित वस्तु; निर्मिति 3. पैदाइश; उत्पत्ति 4. जगत; विश्व; संसार 5. प्रकृति 6. निर्माण की क्रिया; रचना-प्रक्रिया।

सृष्टिकर्ता (सं.) [वि.] (पुराण) सृष्टि करने वाला; सृष्टि की रचना करने वाला। [सं-पु.] ब्रह्मा; ईश्वर; परमात्मा।

सृष्टिपूर्व (सं.) [वि.] सृष्टि के अस्तित्व से पहले का; संसार की रचना से पूर्व का।

सृष्टिविज्ञान (सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि ब्रह्माण्ड में ग्रह, तारे, नक्षत्र आदि किस प्रकार उत्पन्न होते, बढ़ते और अंत में नष्ट हो जाते हैं; सृष्टि की उत्पत्ति और विकास का विवेचन करने वाला शास्त्र या विज्ञान; ब्रह्मांडविज्ञान; (कोस्मोलॉजी)।

से (सं.) [पर.] 1. एक कारकीय परसर्ग; करण और अपादान कारकों का चिह्न 2. 'सा' का बहुवचन रूप जो समान या तुल्य अर्थों में प्रयुक्त होता है, जैसे- वह चाकू से आम काटता है। मैंने नौकर से पत्र भिजवाया। 3. कारण सूचक, जैसे- वह बुख़ार से पीड़ित है। 4. तुलना के अर्थ में, जैसे- मोहन सोहन से तेज़ है। 5. (अपादान कारक का सूचक) अलग होने के अर्थ में, जैसे- पेड़ से पत्ते गिरे।

सेंट (इं.) [सं-पु.] 1. सुगंधित द्रव्य 2. इत्र 3. ख़ुशबू; महक; गंध।

सेंटर (इं.) [सं-पु.] 1. केंद्र 2. मध्यबिंदु 3. केंद्र बिंदु का स्थान।

सेंटिमेंट (इं.) [सं-पु.] 1. भावुकता 2. मनोभाव से उत्पन्न या प्रभावित कोई भाव, विचार या मत; संवेदना।

सेंटिमेंटल (इं.) [वि.] 1. भावुक 2. भावुकतापूर्ण 3. संवेदनशील।

सेंटीग्रेड (इं.) [सं-पु.] ताप नापने का पैमाना।

सेंट्रल (इं.) [वि.] 1. केंद्रीय 2. मध्य 3. मुख्य; प्रधान 4. केंद्र संबंधी।

सेंडविच (इं.) [सं-पु.] डबल रोटी के दो टुकड़ों के बीच मक्खन और सब्ज़ियाँ या मांस आदि भरकर बनाया जाने वाला व्यंजन।

सेंत [अव्य.] 1. मुफ्त में; बिना दाम दिए 2. नाहक; व्यर्थ।

सेंत-मेंत [क्रि.वि.] 1. मुफ़्त में; फ़्री में 2. बिना कुछ किए या दिए; नाहक।

सेंद्रिय (सं.) [वि.] 1. जिसमें इंद्रियाँ हों 2. जिसमें अनुभूति हो 3. जैव (जीव-जंतु)।

सेंध [सं-स्त्री.] चोरी करने के उद्देश्य से चोरों द्वारा दीवार में किया गया बड़ा छेद जिसमें से होकर चोर किसी कमरे या कोठरी में घुसता है; नकब।

सेंधना [क्रि-अ.] चोरी के उद्देश्य से सेंध लगाना।

सेंधमार [सं-पु.] घर में सेंध लगा कर प्रवेश करने वाला चोर; संधिचोर।

सेंधमारी [सं-स्त्री.] सेंध मारने की क्रिया; चोर आदि असामाजिक तत्वों द्वारा चोरी या उत्पात के उद्देश्य से दीवार को तोड़कर छेद या सुरंग बनाना।

सेंधा [सं-पु.] एक प्रकार का खनिज नमक जो पाकिस्तान की खानों से निकलता है।

सेंधिया [सं-पु.] सेंध लगाकर चोरी करने वाला व्यक्ति; सेंधमार चोर।

सेंधुआर [सं-पु.] एक मांसाहारी जंतु।

सेंसर (इं.) [सं-स्त्री.] प्रतिबंध; काट-छाँट; किसी समाचार या लेख इत्यादि के मुद्रण एवं प्रसारण आदि पर किया गया नियंत्रण।

सेंसर बोर्ड (इं.) [सं-पु.] भारत में फ़िल्मों, टीवी धारावाहिकों, टीवी विज्ञापनों और विभिन्न दृश्य सामग्री की समीक्षा करने संबंधी विनियामक निकाय, जो भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन है। इसी को फ़िल्म तथा विभिन्न दृश्य सामग्री को विभिन्न श्रेणी प्रदान करने का और स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार है।

सेंसरशिप (इं.) [सं-स्त्री.] आपत्तिजनक संवादों, दृश्यों पर नियंत्रण की प्रक्रिया।

सेंसस (इं.) [सं-पु.] जनगणना।

सेंसेक्स (इं.) [सं-स्त्री.] संवेदनशील सूचकांक।

सेक (सं.) [सं-पु.] 1. सेकने की क्रिया या भाव 2. ताप; गरमी 3. शरीर के किसी अंग पर गरम वस्तु से पहुँचाई जाने वाली गरमी; टकोर 4. किसी तरह का सामान्य कष्ट या संकट।

सेकंड (इं.) [सं-पु.] 1. मिनट का साठवाँ भाग 2. क्षण; पल 3. समय का एक छोटा परिमाण। [वि.] 1. द्वितीय; दूसरा; दुबारा 2. गौण 3. सहायक 4. अनुपूरक।

सेकना [क्रि-स.] 1. आग पर पकाना; भूनना 2. गरम करना 3. कपड़ा आदि गरम करके पीड़ित के अंग पर ताप पहुँचाना।

सेकुलर (इं.) [वि.] 1. सभी धर्मों के प्रति एक समान भाव रखने वाला; धर्मनिरपेक्ष; पंथनिरपेक्ष 2. जिसका संबंध किसी धार्मिक संप्रदाय या धर्म से न हो।

सेकेंडरी (इं.) [वि.] 1. माध्यमिक 2. गौण 3. सहायक 4. अतिरिक्त।

सेक्टर (इं.) [सं-पु.] 1. क्षेत्र; खंड 2. किसी नगर का बड़ा मोहल्ला; नगर खंड।

सेक्रेटरी (इं.) [सं-पु.] 1. किसी संस्था या संगठन के कार्य संचालन के लिए उत्तरदायी व्यक्ति; सचिव 2. किसी सभा का मंत्री 3. किसी विभाग का उच्च अधिकारी।

सेक्रेटेरियट (इं.) [सं-पु.] सचिवालय; सचिव स्तर के अधिकारियों का कार्यालय।

सेक्शन (इं.) [सं-पु.] 1. विभाग 2. धारा 3. भाग; टुकड़ा; हिस्सा।

सेक्स (इं.) [सं-पु.] 1. यौन-क्रिया; मैथुन; सहवास 2. नर और मादा होने की स्थिति; लिंग; (जेंडर)।

सेचक (सं.) [वि.] 1. सींचने वाला 2. पानी से तर करने वाला। [सं-पु.] बादल; मेघ।

सेचन (सं.) [सं-पु.] 1. भूमि को पानी से सींचना; सिंचाई 2. पानी के छींटे देना; छिड़काव 3. अभिषेक 4. धातुओं की ढलाई।

सेज1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोने का स्थान 2. शय्या 3. विवाहित युगल के सोने का पलंग।

सेज2 (इं.) [सं-पु.] विशेष आर्थिक क्षेत्र; (स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन)।

सेजपाल [सं-पु.] प्राचीन समय में राजा की शय्या पर पहरा देने वाला सैनिक।

सेट (इं.) [सं-पु.] एक ही तरह की चीज़ों का समूह। [वि.] स्थित; दृढ़।

सेटलमेंट (इं.) [सं-पु.] 1. समझौता; समाधान 2. बसने की क्रिया 3. बंदोबस्त।

सेठ (सं.) [सं-पु.] 1. व्यापारी 2. महाजन; बड़ा साहूकार 3. धनवान या संपन्न व्यक्ति 4. एक जाति।

सेठानी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (सेठ का स्त्रीलिंग रूप) महाजन स्त्री 2. सेठ की पत्नी।

सेतु (सं.) [सं-पु.] 1. बंधन 2. पुल; बाँध 3. हद; मर्यादा; सीमा 4. वरुण वृक्ष 5. ओम; प्रणव 6. मेंड़ 7. पहाड़ का तंग रास्ता 8. ग्रंथ की टीका या व्याख्या।

सेतुक (सं.) [सं-पु.] 1. छोटा पुल; पुलिया 2. जलाशय का बाँध 3. वरुण नामक वृक्ष।

सेतुबंध (सं.) [सं-पु.] (रामायण) राम के लंका गमन के समय नल-नील तथा वानर सेना द्वारा बनाया गया पुल।

सेथिया [सं-पु.] आँख, गुदा, मूत्रेद्रिंय आदि का इलाज करने वाला चिकित्सक।

सेना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. युद्ध कौशल से संपन्न सशस्त्र व्यक्तियों का दल 2. विशेष कार्य हेतु संगठित दल 3. वाहिनी 4. फ़ौज।

सेनाधिकारी (सं.) [सं-पु.] सेनानायक; सेना का अफ़सर।

सेनाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] सेनापति; सेना का अफ़सर।

सेनानायक (सं.) [सं-पु.] सेनापति।

सेनानी (सं.) [सं-पु.] सेनापति; सिपहसलार; सेना का नायक।

सेनापति (सं.) [सं-पु.] सेना का नेतृत्व करने वाला अधिकारी; सेना का अगुआ; सेनानायक; सिपहसालार।

सेनापत्य (सं.) [सं-पु.] सेनापति होने की अवस्था, पद या भाव।

सेनावाहक (सं.) [सं-पु.] सैनिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने वाला वाहन।

सेफ़ (इं.) [स्त्री.] लोहे आदि की बनी मज़बूत अलमारी जिसमें व्यक्ति रुपया, गहने, ज़ेवर आदि रखता है; तिजोरी।

सेफ़टी बेल्ट (इं.) [सं-पु.] बचाव पेटी।

सेफ़टी वाल्व (इं.) [सं-पु.] सुरक्षा कपाट।

सेब (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध पेड़ और उसका फल जिसका गूदा बहुत मुलायम और मीठा होता है, जैसे- कश्मीरी सेब।

सेम [सं-स्त्री.] एक प्रकार की फली जिसका उपयोग तरकारी बनाने में होता है; शिंबी।

सेमई [सं-पु.] सेम की तरह का हलका सब्ज़ रंग। [वि.] सेम की तरह हलके सब्ज़ रंग का।

सेमल (सं.) [सं-पु.] एक उष्णकटिबंधीय वृक्ष जिसमें लाल फूल लगते हैं और जिसके फलों में रुई होती है।

सेमिकोलन (इं.) [सं-पु.] एक विराम चिह्न; अर्द्ध विराम।

सेमिटिक (इं.) [वि.] अरबी और यहूदी जातियाँ; सामी।

सेमिनार (इं.) [सं-पु.] 1. संगोष्ठी 2. परिसंवाद 3. गोष्ठी।

सेमीफाइनल (इं.) [सं-पु.] किसी प्रतियोगिता में आख़िरी मैच से पहले खेले जाने वाले दो मैच जिसमें सफल हुई दो टीमें या खिलाड़ी ही प्रतियोगिता के फ़ाइनल मैच में खेलते हैं।

सेर (सं.) [सं-पु.] 1. माप-तौल की मीट्रिक प्रणाली लागू होने से पहले एक प्रकार की तौल जो सोलह छटाँक या अस्सी तोले की होती थी 2. मन का चालीसवाँ भाग 3. एक प्रकार का धान।

सेरा1 [सं-पु.] 1. चारपाई में सिरहाने की ओर की पाटी या लकड़ी 2. सेर भर का मान या बटखरा।

सेरा2 (फ़ा.) [सं-पु.] सींची हुई ज़मीन।

सेल1 (सं.) [सं-पु.] 1. भाला; बरछा 2. एक प्रकार का सन का रस्सा 3. हल में लगी हुई नली जिससे होकर बीज ज़मीन पर गिरते हैं। [सं-स्त्री.] गले में पहनने की माला।

सेल2 (इं.) [सं-पु.] 1. (जीवविज्ञान) कोशिका 2. एक विद्युत उत्पादक यंत्र 3. विक्रय; बिक्री।

सेला (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का तिल्लेदार रेशमी दुपट्टा 2. रेशमी साफ़ा या चादर।

सेलिया [सं-पु.] एक प्रकार का घोड़ा।

सेली [सं-स्त्री.] 1. छोटा दुपट्टा या साफ़ा 2. बरछी 3. वह माला जो योगी गले में पहनते या सिर पर लपेटते हैं 4. एक प्रकार का आभूषण।

सेलेक्शन (इं.) [सं-पु.] 1. चयन; चुनाव 2. प्रवरण; वरण।

सेल्यूट (इं.) [सं-पु.] सलामी; अभिवादन; प्रणाम।

सेल्यूलाइड (इं.) [सं-पु.] सिनेमा का परदा।

सेव [सं-पु.] बेसन का बना नमकीन पकवान।

सेवईं [सं-स्त्री.] 1. आटे या मैदे के बहुत पतले सूत जो दूध या घी में पकाकर खाए जाते हैं 2. एक प्रकार की लंबी घास।

सेवक (सं.) [सं-पु.] 1. नौकर; परिचारक; सेवा करने वाला व्यक्ति 2. भगवान का भक्त।

सेवकाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेवा; टहल 2. सेवक-भाव।

सेवटा [सं-पु.] नदियों के मुहाने या संगम पर जमा होने वाली मिट्टी।

सेवड़ा1 [सं-पु.] सेव की तरह का एक प्रकार का पकवान।

सेवड़ा2 (सं.) [सं-पु.] 1. जैन साधु 2. जैनों की श्वेतांबर शाखा का अनुयायी।

सेवन (सं.) [सं-पु.] 1. उपयोग 2. प्रयोग; व्यवहार; इस्तेमाल 3. उपभोग।

सेवनीय (सं.) [वि.] 1. सेवन करने के योग्य 2. आराध्य; पूज्य।

सेवा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देखभाल; टहल; ख़िदमत; परिचर्या 2. आराधना; पूजा।

सेवाकाल (सं.) [सं-पु.] किसी सेवा या नौकरी में नियुक्त रहने की अवधि।

सेवा-टहल [सं-स्त्री.] शुश्रूषा; ख़िदमत।

सेवादार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो गुरुद्वारे में रहकर वहाँ की व्यवस्था देखता है; सिख धर्माधिकारी 2. गुरुग्रंथ साहिब की पूजा के लिए नियुक्त व्यक्ति 3. नौकर; परिचारक।

सेवानिवृत्त (सं.) [वि.] जो सेवा या कारोबार से अलग हो चुका हो; सेवामुक्त; (रिटायर्ड)।

सेवा निवृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेवा अवधि की समाप्ति; सरकारी नौकरी या किसी सेवा से अवकाश 2. सेवा से अलग होना।

सेवापंजी (सं.) [सं-स्त्री.] वह पुस्तिका जिसमें सरकारी कर्मचारियों की सेवाकाल की कुछ प्रमुख बातें लिखी जाती हैं; (सर्विस बुक)।

सेवापरायण (सं.) [वि.] सेवा के प्रति समर्पित; सेवानिष्ठ।

सेवापुरस्कार (सं.) [सं-पु.] वह धन जो किसी कर्मचारी को सेवानिवृत होने के समय पुरस्कार के रूप में दिया जाता है।

सेवा मुक्त (सं.) [वि.] 1. सेवा से मुक्त या अलग किया हुआ 2. नौकरी से हटाया हुआ।

सेवार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पानी के अंदर होने वाली एक प्रकार की घास 2. शैवाल।

सेवारत (सं.) [वि.] सेवा में रत रहने वाला; सेवा में लगा हुआ।

सेवावृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेवा के बदले प्राप्त धन 2. नौकरी 3. दासत्व 4. चाकरी की जीविका।

सेवा-सुश्रूषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पालन-पोषण 2. सेवा-टहल 3. देखभाल; देखरेख; परिचर्या।

सेविका (सं.) [सं-स्त्री.] नौकरानी; परिचारिका; दासी।

सेवित (सं.) [वि.] 1. जिसकी सेवा की जाए या की गई हो 2. प्रयोग किया जाने वाला 3. उपभोग किया हुआ।

सेवी (सं.) [वि.] 1. सेवन करने वाला 2. किसी प्रकार की सेवा करने वाला 3. उपभोग करने वाला 4. आदी 5. पूजा या उपासना करने वाला।

सेव्य (सं.) [सं-पु.] स्वामी; मालिक। [वि.] 1. जिसकी सेवा करना आवश्यक या उचित हो 2. जिसकी पूजा या आराधना की जाए 3. सेवन करने के योग्य 4. जिसकी रक्षा करना आवश्यक हो।

सेशन (इं.) [सं-पु.] संसद, न्यायालय, शिक्षालय आदि संस्थाओं की एक निश्चित अवधि जिसके दौरान ये संस्थाएँ निरंतर कार्य करती हैं; सत्र।

सेश्वर (सं.) [वि.] ईश्वरयुक्त; जिसमें ईश्वर की सत्ता मानी गई हो।

सेसर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जालसाज़ी; धोख़ेबाज़ी 2. ताश का एक खेल।

सेसरिया [सं-पु.] 1. धूर्त; चालबाज़; धोखेबाज़ 2. छल-कपट करके दूसरों का माल हड़पने वाला; जालिया।

सेहत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. आरोग्य; स्वास्थ्य 2. रोगमुक्ति 3. चैन; राहत।

सेहतमंद (अ.+फ़ा.) [वि.] स्वस्थ; तंदुरुस्त।

सेहरा [सं-पु.] 1. फूल आदि से बनी माला की पंक्ति जो दूल्हे के सिर पर बाँधी जाती है और सिर के नीचे मुख की ओर लटकती रहती है; मौर 2. सेहरा या मौर बाँधने के समय गाया जाने वाला गाना 3. कब्र के ताखे पर रखी जाने वाली फूलों की माला। [मु.] -बँधना : श्रेय प्राप्त होना। -सिर बँधना : श्रेय प्राप्त होना।

सेही (सं.) [सं-स्त्री.] लोमड़ी के आकार का एक जंतु जिसकी पीठ पर नुकीले काँटे होते हैं; साही।

सेहुआँ [सं-पु.] एक प्रकार का चर्मरोग।

सैंडिल (इं.) [सं-पु.] एक विशेष प्रकार का जूता; खुला जूता; एक विशेष प्रकार की चप्पल जिसमें पीछे पट्टी लगी होती है जो एड़ी को कसे रखती है।

सैंतना (सं.) [क्रि-स.] 1. संचित या इकट्ठा करना 2. समेटना 3. सँभालना; सहेजना।

सैंतालीस [वि.] संख्या '47' का सूचक।

सैंधव (सं.) [वि.] 1. सिंध प्रांत या प्रदेश का 2. सिंधु या समुद्र संबंधी 3. सिंधु या समुद्र में उत्पन्न। [सं-पु.] 1. सिंध प्रांत या प्रदेश का निवासी 2. एक प्रकार का लवण या नमक; सेंधा नमक 3. सिंध प्रांत या प्रदेश का घोड़ा; सिंधी घोड़ा।

सैंधवी (सं.) [सं-स्त्री.] (संगीत) ग्रीष्म ऋतु के चौथे पहर में गाई जाने वाली एक प्रकार की रागिनी।

सैकड़ा [सं-पु.] 1. सौ का समूह 2. सौ।

सैकत (सं.) [वि.] 1. रेतीला; बलुआ; दोमट 2. रेत या बालू का बना हुआ; धूलिमय।

सैक्सी (इं.) [वि.] 1. आकर्षक 2. सुंदर 3. कामुक।

सैद्धांतिक (सं.) [सं-पु.] 1. सिद्धांतों पर चलने वाला व्यक्ति 2. तांत्रिक। [वि.] सिद्धांत संबंधी।

सैन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर के किसी अंग से किया गया संकेत 2. निशान; चिह्न 3. लक्षण। [सं-पु.] बाज़ पक्षी।

सैनिक (सं.) [सं-पु.] 1. सेना या फ़ौज का सिपाही; फ़ौजी आदमी 2. पहरेदार; संतरी। [वि.] सेना का; सेना संबंधी।

सैनिक न्यायालय (सं.) [सं-पु.] वह विशिष्ट न्यायालय जो सेना विभाग में होने वाले अपराधों पर विचार और निर्णय करता है; (कोर्ट मार्शल)।

सैन्य (सं.) [वि.] 1. सेना का 2. सेना से संबंधित।

सैन्य कक्ष (सं.) [सं-पु.] सेना का पार्श्व भाग

सैन्य शक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] सेना की ताकत।

सैन्य संचालक (सं.) [सं-पु.] सेना का संचालन करने वाला।

सैन्यसज्जा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेना को आवश्यक अस्त्र-शस्त्र से सज्जित करना; सैनिक तैयारी 2. हथियारबंदी।

सैन्यीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. सेना बनाना 2. लोगों को सैनिक बनाने और सैनिक सामग्री से सज्ज्ति करने का कार्य 3. लामबंदी; शस्त्रीकरण; हथियारबंदी।

सैफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] तलवार।

सैयद (अ.) [सं-पु.] 1. मुहम्मद साहब के नाती हुसैन के वंशजों की उपाधि 2. मुसलमानों के चार वर्गों या जातियों में से दूसरी जाति।

सैयाँ (सं.) [सं-पु.] 1. किसी स्त्री का पति 2. प्रियतम; प्रेमी।

सैयाद (अ.) [सं-पु.] 1. बहेलिया; वह जो पशु-पक्षियों को जाल में फँसाता हो; शिकारी; व्याघ्र 2. मछुआ; मल्लाह।

सैयार (अ.) [वि.] 1. भ्रमण करने वाला 2. घूमने वाला या सैर करने वाला।

सैर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मन बहलाने के लिए किया जाने वाला आवागमन 2. भ्रमण 3. किसी रमणीय स्थल पर आमोद-प्रमोद और घूमना-फिरना।

सैरंध्र (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन काल की एक संकर जाति 2. घर में काम करने वाला नौकर।

सैरंध्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घर में काम करने वाली नौकरानी 2. (महाभारत) अज्ञातवास में राजा विराट के यहाँ द्रौपदी का छद्मवेश में परिवर्तित नाम 3. दूसरे के घर में जाकर शिल्प कार्य करने वाली स्त्री।

सैरगाह (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. सैर करने हेतु उपयुक्त स्थान; घूमने-फिरने लायक जगह 2. रमणीय स्थल।

सैर-सपाटा (अ.+हिं.) [सं-पु.] मन बहलाने के उद्देश्य से घूमना-फिरना अथवा भ्रमण करना।

सैल (अ.) [सं-पु.] 1. बाढ़; सैलाव (नदी आदि में) 2. पानी का बहाव; जलधारा।

सैलानी (अ.) [वि.] 1. सैर करने वाला; घुमक्कड़ 2. सैर का शौकीन 3. मनमौजी 4. बहाव संबंधी।

सैलाब (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ का काफ़ी मात्रा में होना 2. बाढ़।

सैलाबी (फ़ा.) [वि.] 1. सैलाब संबंधी; बाढ़ का 2. जो बाढ़ आने पर डूब जाता है (खेत, घर आदि)।

सैलून (इं.) [सं-पु.] 1. सजाया हुआ कमरा 2. जहाज़ों में ऊँचे दरजे के यात्रियों के रहने का कमरा 3. रेल का विशिष्ट डिब्बा 4. वह स्थान जहाँ पुरुष अपनी हजामत, फ़ेशियल आदि करवाते हैं।

सो (सं.) [सर्व.] 'जो' के साथ आने वाला संबंध-सूचक शब्द। [अव्य.] अतः; इसलिए।

सोंटा (सं.) [सं-पु.] 1. मोटी, लंबी व सीधी लकड़ी या छड़ी 2. लट्ठ; डंडा 3. भंग घोटने का डंडा 4. लोबिया का पौधा।

सोंठ (सं.) [सं-स्त्री.] सुखाया हुआ अदरक; शुंठी। [वि.] 1. जान-बूझ कर चुप रहने वाला 2. अति कृपण। [सं-पु.] चुप्पी; मौन।

सोंठौरा [सं-पु.] सोंठ और मेवे-मसालों का बना एक प्रकार का लड्डू जो प्रायः प्रसूता स्त्री के लिए बनाया जाता है।

सोंधा (सं.) [सं-पु.] 1. बाल धोने का एक सुगंधित पदार्थ 2. कोई सुगंधित पदार्थ, जैसे- तेल, इत्र आदि। [वि.] 1. सुगंधित; ख़ुशबूदार 2. जो सुगंध से युक्त हो।

सोंधी (सं.) [सं-पु.] एक बढ़िया किस्म का धान या चावल।

सोआ (सं.) [सं-पु.] 1. एक पौधा 2. उक्त पौधे की पत्तियाँ, जिनका साग बनता है।

सोकन [सं-पु.] एक प्रकार का सफ़ेद बैल जो कुछ-कुछ लाल रंग का होता है; कैरा।

सोख (सं.) [सं-पु.] 1. सोखने की क्रिया या भाव 2. शोषण।

सोखना (सं.) [क्रि-स.] 1. जल या नमी चूसना 2. पानी आदि शोषित करना 3. पीना (व्यंग्य)।

सोखाई [सं-स्त्री.] 1. सोखने की क्रिया या भाव 2. सोखाने का पारिश्रमिक या मज़दूरी।

सोख़्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जलन 2. दाह।

सोख़्ता (फ़ा.) [सं-पु.] एक मोटा और खुरदरा कागज़ जो स्याही आदि तरल पदार्थ सोखने के काम आता है; स्याही सोख; स्याही चूस; (ब्लॉटिंग पेपर)। [वि.] 1. जला हुआ 2. दुखी और संतप्त; विषादयुक्त।

सोग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के मरने का शोक 2. मातम; दुख; रंज।

सोगवार (फ़ा.) [वि.] 1. शोक से युक्त; शोकग्रस्त 2. दुखयुक्त।

सोगवारा [सं-पु.] वह स्थान जहाँ सभी व्यक्ति शोकयुक्त हों।

सोच (सं.) [सं-पु.] 1. सोचने का उपक्रम; विचार करने का भाव; चिंतन 2. चिंता; फ़िक्र 3. पछतावा; पश्चाताप 4. शोक।

सोचना (सं.) [क्रि-अ.] 1. चिंतन करना 2. किसी विषय अथवा बिंदु पर विचार करना; विवेचना करना। [क्रि-स.] अनुमान या कल्पना करना।

सोच-विचार (सं.) [सं-पु.] 1. सोचने-समझने या विचार करने की क्रिया या भाव; सोचना-समझना 2. समझ-बूझ; गौर।

सोचाना [क्रि-स.] 1. किसी को सोचने में प्रवृत्त करना 2. किसी का किसी बात की ओर ध्यान आकृष्ट करना 3. किसी को कोई सुझाव देना; सुझाना।

सोच्छ्वास (सं.) [वि.] उच्छ्वासयुक्त। [क्रि.वि.] 1. उसाँस लेते हुए; गहरी साँस भरते हुए 2. आह भरते हुए।

सोज़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जलन; ताप; दाह 2. तीव्र मानसिक वेदना।

सोडा (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का क्षार पदार्थ (एक प्रकार की क्षारयुक्त मिट्टी) जिसको रासायनिक क्रिया से साफ़ करके बनाया जाता है।

सोडा वाटर (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का क्षारीय पानी जिसे गैस की सहायता से बोतल में भरकर रखते हैं।

सोता (सं.) [सं-पु.] 1. जल स्रोत; स्रोत 2. नदी या झरने का उद्गम स्थल 3. झरना; चश्मा 4. किसी वस्तु या बात का मूल; मूल स्थान।

सोती [सं-स्त्री.] 1. जल का छोटा सोता 2. नदी या नहर से निकली हुई छोटी धारा।

सोते जागते [क्रि.वि.] हर हाल में।

सोत्साह (सं.) [अव्य.] उत्साहपूर्वक; उमंग से।

सोदर (सं.) [वि.] सगा।

सोदाहरण (सं.) [क्रि.वि.] उदाहरण के साथ; उदाहरण देते हुए।

सोद्देश्य (सं.) [वि.] उद्देश्य से युक्त; उद्देश्यपूर्ण।

सोधना (सं.) [क्रि-स.] 1. शुद्ध करना; साफ़ करना 2. संशोधन करना; दोष दूर करना 3. शुद्धता की परीक्षा करना 4. पता लगाना; तलाश करना 5. ठीक या दुरुस्त करना 6. ऋण चुकाना।

सोन (सं.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध नदी जो मध्यप्रदेश के अमरकंटक से निकलती है। [सं-स्त्री.] एक प्रकार की सदाबहार लता जिसमें पीले फूल लगते हैं। [वि.] 1. रक्तवर्ण का; लाल 2. 'सोना' का संक्षिप्त (रूप)।

सोनगुलाल [सं-पु.] एक प्रकार का लालरंग।

सोनचिरी [सं-स्त्री.] 1. नट समाज की स्त्री 2. नटी; नटिनी 3. नर्तकी।

सोन जूही [सं-स्त्री.] एक प्रकार की जूही जिसके फूल पीले रंग के और बहुत सुगंधित होते हैं।

सोनभद्र (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बिहार की सोन नामक नदी 2. उत्तर प्रदेश का एक जनपद।

सोनरास [सं-पु.] पका हुआ सफ़ेद या पीला पान।

सोनहा (सं.) [सं-पु.] 1. कुत्ते की जाति का एक छोटा जंगली हिंसक जानवर जो झुंड में रहता है 2. एक प्रकार का पक्षी।

सोनहार [सं-पु.] एक प्रकार की चिड़िया।

सोना1 (सं.) [सं-पु.] 1. एक कीमती धातु जिसके गहने बनते हैं; कांचन; स्वर्ण; (गोल्ड) 2. बहुत सुंदर पदार्थ 3. राजहंस 4. मझोले आकार का एक वृक्ष। [मु.] -खोटा निकलना : अयोग्य सिद्ध होना। -बरसना : प्रचुर लाभ होना।

सोना2 (सं.) [क्रि-अ.] 1. निंद्राग्रस्त होना 2. शयन करना; नींद लेना।

सोनी (सं.) [सं-पु.] 1. सुनार; स्वर्णकार 2. एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम।

सोप (इं.) [सं-पु.] साबुन।

सोपाधिक (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई शर्त लगी हो 2. जिसमें कोई प्रतिबंध लगा हुआ हो 3. किसी विशिष्ट सीमा, मर्यादा आदि में बँधा हुआ 4. किसी विशेषता से युक्त; विशिष्ट।

सोपान (सं.) [सं-पु.] 1. सीढ़ी; ज़ीना 2. ऊपर चढ़ने का रास्ता 3. मोक्ष प्राप्ति का उपाय।

सोफता [सं-पु.] 1. एकांत या निर्जन स्थान 2. अवकाश या छुट्टी का समय 3. इलाज से बीमारी आदि में आने वाली कमी।

सोफ़ा (इं.) [सं-पु.] एक अच्छा गद्देदार कोच या लंबी बेंच जिसपर दो या तीन आदमी आराम से बैठ सकते हैं; एक गद्दीदार कुरसी।

सोफ़ियाना (अ.) [वि.] 1. सूफ़ियों का; सूफ़ी संबंधी 2. जो देखने में सादा पर बहुत भला लगे।

सोभार [वि.] जिसमें उभार हो; उभारदार। [क्रि.वि.] उभरते हुए; उभरकर।

सोम (सं.) [सं-पु.] 1. सोमवार; चंद्रवार 2. एक प्राचीन लता जिसके रस का सेवन वैदिक ऋषि मादक पदार्थ के रूप में करते थे 3. उक्त लता का रस 4. चंद्रमा 5. एक प्राचीन देवता।

सोमकर (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा की किरण; चंद्रकिरण।

सोमनाथ (सं.) [सं-पु.] 1. बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक 2. शिव; महादेव 3. गुजरात का एक प्राचीन नगर जहाँ सोमनाथ मंदिर है।

सोमपायी (सं.) [वि.] सोमलता का रस पीने वाला।

सोमप्रदोष (सं.) [सं-पु.] सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत।

सोमयज्ञ (सं.) [सं-पु.] वैदिक काल में होने वाला एक प्रकार का यज्ञ।

सोमरस (सं.) [सं-पु.] 1. सोमलता का रस 2. (पुराण) अमृत या देवताओं का पेय 3. मदिरा; शराब।

सोमराज (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; सोमदेव।

सोमवंश (सं.) [सं-पु.] क्षत्रियों का चंद्रवंश।

सोमवती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या जिसे हिंदू लोग पर्व के रूप में मनाते हैं 2. एक प्राचीन तीर्थ।

सोमवल्लरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोमलता 2. ब्राह्मी 3. चामर नामक एक प्रकार का छंद।

सोमवार (सं.) [सं-पु.] 1. सप्ताह के सात वारों या दिनों में से एक जो सोम अर्थात चंद्रमा का दिन माना जाता है; चंद्रवार; (मंडे) 2. रविवार के बाद और मंगलवार के पहले का दिन।

सोमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोम लता 2. एक पौराणिक नदी।

सोमास्त्र (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा का अस्त्र।

सोयम (फ़ा.) [वि.] तृतीय; तीसरा।

सोयाबीन (इं.) [सं-पु.] 1. तिलहन समूह का पौधा 2. उक्त पौधे से प्राप्त बीजों को तेल तथा अन्य खाद्य पदार्थ बनाने में प्रयोग किया जाता है।

सोरठ (सं.) [सं-पु.] 1. गुजरात का दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र; सौराष्ट्र प्रदेश 2. (संगीत) ओडव जाति का एक राग।

सोरठा (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) अड़तालीस मात्राओं का एक छंद जिसके पहले और तीसरे चरण में ग्यारह तथा दूसरे और चौथे चरण में तेरह मात्राएँ होती हैं।

सोरही [सं-स्त्री.] 1. जुआ खेलने के निमित्त एकत्र सोलह चित्ती कौड़ियाँ 2. उक्त कौड़ियों से खेला जाने वाला जुआ।

सोल (सं.) [वि.] 1. ठंडा; शीतल 2. खट्टा, कसैला और तिक्त या तीखा। [सं-पु.] 1. ठंडक 2. ज़ायका; स्वाद।

सोलंकी [सं-पु.] 1. एक क्षत्रिय वंश जिसका संस्थापक मूलराज प्रथम था 2. क्षत्रियों में एक कुलनाम या सरनेम।

सोलह [वि.] संख्या '16' का सूचक।

सोलह शृंगार [सं-पु.] शृंगार की एक विधि जिसमें सोलह प्रसाधन हैं, जैसे- अंगों में उबटन लगाना, स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र धारण करना, माँग भरना, महावर लगाना, बाल सँवारना, तिलक लगाना, ठोढी़ पर तिल बनाना, आभूषण धारण करना, मेंहदी रचाना, दाँतों में मिस्सी, आँखों में काजल लगाना, सुगंधित द्रव्यों का प्रयोग, पान खाना, माला पहनना, नीला कमल धारण करना।

सोला [सं-पु.] 1. एक प्रकार का झाड़ जिसके छिलके से टोप बनते हैं 2. एक प्रकार की रेशमी धोती।

सोल्लास (सं.) [क्रि.वि.] 1. उल्लासपूर्वक 2. आनंद और उत्साह से।

सोवियत (रू.) [सं-पु.] 1. रूस के जन प्रतिनिधियों की सभा 2. परिषद; सभा 3. समाजवाद के सिद्धांतों पर आधारित रूस की शासन प्रणाली; रूसी प्रजातंत्र। [वि.] जहाँ उक्त प्रकार की शासन प्रणाली प्रचलित हो।

सोशल (इं.) [वि.] 1. सामाजिक; समाज संबंधी 2. समूह में रहने वाला 3. मिलनसार।

सोशल वर्कर (इं.) [सं-पु.] सामाजिक कार्यकर्ता; समाज सेवक।

सोशलिज़म (इं.) [सं-पु.] एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन, जिसका उद्देश्य धन-सम्पत्ति के स्वामित्व और वितरण को समाज के नियंत्रण में रखना है; उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील वाद जो मज़दूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है।

सोशलिस्ट (इं.) [सं-पु.] वह जो समाजवाद का अनुयायी या समर्थक हो। [वि.] समाजवाद संबधी; समाजवाद का।

सोसन (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कश्मीर में उगने वाला एक पौधा 2. उक्त पौधे का फूल।

सोसनी (फ़ा.) [वि.] 1. सोसन के फूल के रंग का 2. लाली लिए हुए नीले रंग का। [सं-पु.] लाली मिला हुआ नीला रंग।

सोसाइटी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. समाज 2. सोहबत; साथ; संगत 3. सार्वजनिक सभा; संस्था।

सोसायटी (इं.) [सं-स्त्री.] दे. सोसाइटी।

सोहगी [सं-स्त्री.] 1. विवाह की एक रस्म 2. सिंदूर, मेंहदी आदि सुहाग सूचक वस्तुएँ।

सोहन [वि.] 1. सुंदर; मोहक 2. सुहावना। [सं-पु.] 1. सुंदर व्यक्ति 2. नायक 3. एक प्रकार का पक्षी।

सोहनपपड़ी [सं-स्त्री.] एक प्रकार की मिठाई।

सोहन हलवा [सं-पु.] एक स्वादिष्ट मिठाई जिसमें घी की अधिकता होती है।

सोहना [क्रि-अ.] सुंदर लगना; सुशोभित होना; अच्छा-भला मालूम होना; उचित लगना। [वि.] मोहक; सुंदर।

सोहबत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. संगति; साथ; संग; संगत 2. मंडली 3. समागम; संभोग।

सोहर [सं-पु.] घर में संतान होने पर गाया जाने वाला मंगल गीत; संतान जन्म पर मंगल गीत या बधाई गीत।

सोहला [सं-पु.] 1. घर में बच्चे के जन्म होने पर गाया जाने वाला गीत; सोहर 2. मांगलिक गीत।

सोहाग [सं-पु.] 1. सुहाग; सौभाग्य; अहिवात 2. पति 3. सिंदूर 4. मांगलिक गीत, जो वर पक्ष की स्त्रियाँ विवाह के अवसर पर गाती हैं।

सोहासित (सं.) [सं-पु.] ख़ुशामद; ठकुर-सुहाती।

सोहिनी [सं-स्त्री.] (संगीत) मध्य रात्रि में गाई जाने वाली षाड़व जाति की एक रागिनी। [वि.] सुंदर; शोभायमान।

सौ [वि.] संख्या '100' का सूचक। [मु.] -बात की एक बात : सब बातों का निचोड़।

सौंजा [सं-पु.] 1. आपसी समझौता 2. गुप्त रूप से होने वाला परामर्श 3. सौंपना; सुपुर्द करना।

सौंदन [सं-स्त्री.] कपड़े धोने के पहले उन्हें रेह मिश्रित पानी में भिगोना।

सौंदना [क्रि-स.] 1. मिलाना; सानना 2. लिप्त करना।

सौंदर्य (सं.) [सं-पु.] 1. सुंदर होने की अवस्था या भाव 2. ख़ूबसूरती; सुंदरता; हुस्न; (ब्यूटी) 3. (संगीत) कर्नाटकी शैली का एक राग।

सौंदर्यबोध (सं.) [सं-पु.] 1. सौंदर्य का ज्ञान 2. प्राकृतिक सुंदरता के अवलोकन एवं विवेचन से उत्पन्न होने वाला ज्ञान या अनुभव 3. सौंदर्यशास्त्र का एक पारिभाषिक शब्द।

सौंदर्य मीमांसा (सं.) [सं-स्त्री.] सौंदर्य की मीमांसा; सौंदर्य-विषयक विवेचना; (एस्थेटिक्स)।

सौंदर्यवाद (सं.) [सं-पु.] कला में सौंदर्य को प्रधानता देने वाला सिद्धांत।

सौंदर्यशास्त्र (सं.) [सं-पु.] सौंदर्य संबंधी शास्त्र; ऐसा शास्त्र जिसमें कलात्मक कृतियों, रचनाओं आदि से अभिव्यक्त होने वाले अथवा उसमें निहित सौंदर्य का तात्विक, दार्शनिक और मार्मिक विवेचन होता है; (एस्थेटिक्स)।

सौंधा (सं.) [वि.] सोंधा; सुगंधित; ख़ुशबूदार।

सौंपना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को किसी के सुपुर्द या हवाले करना 2. समर्पण करना 3. सहेजना।

सौंफ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक पौधा जिसकी पत्तियाँ सोए की पत्तियों की तरह होती हैं और पीले फूल गुच्छों के रूप में लगते हैं 2. उक्त पौधे के बीज जो मसाले के काम में आते हैं।

सौंफी [सं-स्त्री.] 1. सौंफ से बनी हुई एक प्रकार की शराब 2. एक प्रकार की बीड़ी जिसकी सुरती में सौंफ का अर्क पड़ा हो। [वि.] जिसमें सौंफ मिली हो।

सौंह [सं-स्त्री.] सौगंध; शपथ; कसम।

सौंही [सं-स्त्री.] एक प्रकार का अस्त्र या हथियार।

सौकर (सं.) [वि.] 1. सुअर का; सुअर संबंधी 2. वाराह अवतार संबंधी।

सौकर्य (सं.) [सं-पु.] 1. सुकर होने की अवस्था या भाव; सुकरता 2. सुभीता; सुविधा 3. कुशलता; दक्षता।

सौकुमार्य (सं.) [सं-पु.] 1. सुकुमारता; कोमलता 2. यौवन; जवानी 3. यौवनकाल 4. काव्य का एक गुण। [वि.] कोमल; मुलायम।

सौगंध (सं.) [सं-स्त्री.] शपथ; कसम; प्रतिज्ञा।

सौगत (सं.) [सं-पु.] 1. बौद्ध धर्म 2. बौद्ध धर्मावलंबी 3. शून्यवादी। [वि.] 1. सुगत संबंधी; सुगत का 2. सुगमता को मानने वाला।

सौगतिक (सं.) [सं-पु.] 1. बौद्ध धर्मावलंबी; बौद्धभिक्षु 2. सुगत का अनुयायी 3. नास्तिक।

सौगात (फ़ा.) [सं-स्त्री.] उपहार; भेंट; तोहफ़ा।

सौजन्य (सं.) [सं-पु.] 1. सुजन का भाव 2. उदारता 3. कृपा; अनुकंपा; करुणा 4. मित्रता।

सौजन्यपूर्ण (सं.) [वि.] सौजन्यता से परिपूर्ण; सज्जनतापूर्वक।

सौजा [सं-पु.] वह पशु या पक्षी जिसका शिकार किया जाए; सावज।

सौत (सं.) [सं-स्त्री.] पति की दूसरी पत्नी; सपत्नी; सौतन।

सौतन (सं.) [सं-स्त्री.] सौत; सपत्नी।

सौतिया [वि.] सौत संबंधी; सौत का।

सौतियाडाह [सं-पु.] (लोकमान्यता) दो सौतों में होने वाली ईर्ष्या या द्वेष।

सौतेला [वि.] 1. सौत से संबंधित रिश्ते-नाते 2. सौत से उत्पन्न।

सौत्रांतिक (सं.) [सं-पु.] बौद्धों के हीनयान के दो प्रमुख संप्रदायों में से एक।

सौदर्य (सं.) [वि.] 1. सहोदर 2. सहोदर (भाई या बहन) संबंधी 3. सहोदर जैसा।

सौदा (अ.) [सं-पु.] 1. क्रय-विक्रय; ख़रीद-फ़रोख़्त 2. वाणिज्य; व्यापार 3. क्रय-विक्रय की वस्तु या माल 4. क्रय-विक्रय के संबंध में ख़रीदने और बेचने वाले के बीच होने वाली सहमति। [मु.] -करना : कोई व्यापार या व्यवहार पक्का या स्थिर करना।

सौदाई (अ.) [वि.] 1. जिसे पागलपन हुआ हो 2. बावला; पागल 3. प्रेमी। [मु.] -होना : किसी के प्रेम में पागल-सा हो जाना।

सौदागर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. चीज़ें ख़रीदने और बेचने वाला व्यक्ति 2. व्यापारी 3. वणिक।

सौदागरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सौदागर का काम, पद या भाव 2. वाणिज्य; व्यापार 3. तिजारत।

सौदाबाज़ (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] सौदेबाज़ी करने वाला व्यक्ति।

सौदामिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बादलों में चमकने वाली बिजली; विद्युत 2. दुर्गा 3. एक प्रकार की रागिनी 4. एक पौराणिक अप्सरा।

सौदा-सुलुफ़ (अ.) [सं-पु.] बाज़ार से ख़रीदी जाने वाली वस्तुएँ।

सौदा-सूत (अ.) [सं-पु.] 1. क्रय-विक्रय का व्यवहार; व्यापार; रोज़गार 2. ख़रीदने की वस्तु 3. कई प्रकार की वस्तुएँ।

सौदेबाज़ी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] सौदा बेचने और ख़रीदने के समय होने वाली बातचीत; मोल भाव; सौदाकारी।

सौध (सं.) [सं-पु.] 1. प्रासाद 2. बड़ा मकान 3. चूना पुता भव्य आवास 4. दूधिया पत्थर 5. एक प्रकार का रत्न।

सौपानिक (सं.) [वि.] सोपान संबंधी।

सौफिया [सं-स्त्री.] रूसा नाम की घास जब वह पुरानी और लाल हो जाती है।

सौभाग्य (सं.) [सं-पु.] 1. सुंदर या अच्छा भाग्य; ख़ुशकिस्मती 2. आनंद; सुख 3. वैभव; ऐश्वर्य; समृद्धि 4. कल्याण; मंगल 5. किसी स्त्री के सौभाग्यवती अथवा सधवा होने की स्थिति; सुहाग; अहिवात।

सौभाग्यप्रद (सं.) [वि.] 1. अच्छा 2. उपकारी; कल्याणकारी 3. सफलताप्रद 4. लाभप्रद।

सौभाग्यवती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्त्री जिसका पति जीवित हो; सधवा; सुहागिन 2. अच्छे भाग्य वाली स्त्री।

सौभाग्यशाली (सं.) [वि.] 1. जिसका भाग्य अच्छा हो; भाग्यवान; ख़ुशकिस्मत 2. तकदीरवाला; नसीबवाला 3. शुभ 4. सफल 5. समृद्धिशाली।

सौमनस्य (सं.) [सं-पु.] 1. प्रसन्नता; तुष्टि 2. विवेक 3. संतोष। [वि.] 1. आनंददायक 2. आह्लादकारक।

सौमित्र (सं.) [सं-पु.] 1. सुमित्रा के पुत्र; लक्ष्मण 2. मित्रता; दोस्ती। [वि.] सुमित्रा का; सुमित्रा संबंधी।

सौम्य (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) पृथ्वी के नौ खंडों में से एक 2. एक वैदिक ऋषि 3. औदुंबर नामक वृक्ष 4. एक पौराणिक दिव्यास्त्र 5. मृगशिरा नक्षत्र। [वि.] 1. सुदंर; रमणीक; मनोहर 2. कोमल 3. कांतिमान 4. प्रसन्न 5. सोम (चंद्रमा और सोमलता) से संबंधित 6. सोम के गुणों से संपन्न।

सौम्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सौम्य होने की अवस्था या भाव 2. विनम्रता; सुशीलता; कोमलता 3. शीतलता 4. सुंदरता।

सौम्यदर्शन (सं.) [वि.] जो देखने में सुंदर हो; देखने में भला; प्रिय दर्शन।

सौम्यविज्ञान (सं.) [सं-पु.] दवा के लिए प्राणियों के रक्त से सौम्य बनाने का विवेचन करने वाला विज्ञान।

सौर (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य का उपासक या भक्त 2. शनि ग्रह जो सूर्य का पुत्र माना गया है 3. यम 4. दाहिनी आँख। [सं-स्त्री.] ओढ़ना; चादर। [वि.] 1. सूर्य संबंधी; सूर्य का 2. सूर्य से उत्पन्न 3. जिसकी गणना सूर्य के परिभ्रमण के आधार पर होती हो, जैसे- सौर मास, सौर वर्ष 4. सुर या देवता से संबंध रखने वाला 5. सूर्य के प्रभाव से होने वाला; (सोलर)।

सौरजगत (सं.) [सं-पु.] सूर्य तथा ग्रह-नक्षत्र आदि; सौरमंडल; सौरपरिवार; (सोलरसिस्टम)।

सौरदिवस (सं.) [सं-पु.] एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक का समय।

सौरभ (सं.) [सं-पु.] 1. सुगंध; सुवास; ख़ुशबू; महक 2. केसर 3. धनिया 4. आम 5. एक गंधद्रव्य। [वि.] 1. सुगंध संबंधी 2. सुगंधित; सुवासित; ख़ुशबूदार 3. सुरभि (गाय) से उत्पन्न।

सौरभित (सं.) [वि.] सौरभ या सुगंध से युक्त; सुगंधित; ख़ुशबूदार।

सौरमंडल (सं.) [सं-पु.] सूर्य और उसकी परिक्रमा करने वाले ग्रह, कुछ छोटे ग्रह, लगभग पचास उपग्रह और धूमकेतु आदि का वर्ग या समूह।

सौरमास (सं.) [सं-पु.] एक सौर संक्रांति से दूसरी सौर संक्रांति तक का माह।

सौरवर्ष (सं.) [सं-पु.] एक मेष संक्रांति से दूसरी मेष संक्रांति तक का वर्ष।

सौराष्ट्र (सं.) [सं-पु.] 1. गुजरात और काठियावाड़ का प्राचीन नाम 2. सूरत के आस-पास का प्रदेश 3. उक्त देश का निवासी। [वि.] सौराष्ट्र देश का।

सौराष्ट्रिक (सं.) [सं-पु.] 1. सौराष्ट्र देश का निवासी 2. काँसा 3. एक विष। [वि.] 1. सौराष्ट्र संबंधी; सौराष्ट्र का 2. सौराष्ट्र में होने वाला।

सौरास्त्र (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक प्रकार का दिव्य अस्त्र।

सौरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रसूति गृह; प्रसव की कोठरी 2. अस्पताल का जच्चा-बच्चा वार्ड 3. सफरी मछली 4. सूर्य की पत्नी 5. कुरु की माता (वैवस्वती) 6. गाय।

सौर्य (सं.) [वि.] 1. सूर्य से उत्पन्न 2. सूर्य संबंधी।

सौवीर (सं.) [सं-पु.] 1. सिंधु नदी के आसपास का प्राचीन प्रदेश 2. उक्त प्रदेश का निवासी।

सौष्ठव (सं.) [सं-पु.] 1. सुष्ठु होने की अवस्था या भाव 2. सुंदरता; उत्तमता 3. नृत्य की एक मुद्रा।

सौहार्द (सं.) [सं-पु.] 1. स्नेह; प्रेम 2. मैत्री; मित्रता; दोस्ती 3. हृदय की सरलता 4. मित्र का पुत्र।

स्कंद (सं.) [सं-पु.] 1. निकलना या बाहर जाना 2. ध्वंस; विनाश 3. शरीर; देह 4. कार्तिकेय जो युद्ध के देवता माने जाते हैं 5. पंडित; विद्वान 6. राजा 7. शिव।

स्कंदपुराण (सं.) [सं-पु.] अठारह पुराणों के अंतर्गत आने वाला (पुराणों के क्रम में) तेरहवाँ पुराण। आकार की दृष्टि से सबसे बड़ा पुराण, जिसमें स्कंद (कार्तिकेय) द्वारा शिवतत्व का वर्णन किया गया है।

स्कंध (सं.) [सं-पु.] 1. कंधा; पीठ का ऊपरी हिस्सा 2. पेड़ का तना 3. पेड़ की मोटी शाख या डाल 4. किसी बड़े विभाग की मुख्य शाखाएँ 5. सेना का व्यूह 6. झुंड; समूह; भंडार 7. आर्या छंद का एक भेद।

स्कंधक (सं.) [सं-पु.] आर्या गीति या स्वधा नामक छंद का एक नाम।

स्कंधधारी (सं.) [सं-पु.] अपने पास किसी प्रकार की बहुत वस्तुएँ या उनका स्कंध रखने वाला व्यक्ति।

स्कंधपंजी (सं.) [सं-स्त्री.] वह पंजी जिसमें स्कंध या भंडार में रखी हुई वस्तुओं का विवरण हो; (स्टॉक बुक)।

स्कंधपाल (सं.) [सं-पु.] किसी भंडार की देखरेख के लिए रखा जाने वाला अधिकारी; (स्टॉक कीपर)।

स्कंधावार (सं.) [सं-पु.] 1. राजा का शिविर 2. सेना का पड़ाव; छावनी 3. सेना; फ़ौज 4. वह स्थान जहाँ पर यात्री, व्यापारी आदि डेरा डाले हों।

स्कर्ट (इं.) [सं-पु.] महिलाओं का कमर से घुटनों तक पहनने का वस्त्र जो घाघरे या लहंगे जैसा होता है किंतु उतना लंबा नहीं होता।

स्काउट (इं.) [सं-पु.] 1. बालचर 2.छात्र सैनिक 3. चर; भेदिया।

स्कार्फ़ (इं.) [सं-पु.] गुलुबंद; मफ़लर; सिर पर बाँधा जाने वाला रुमाल।

स्किपर (इं.) [सं-पु.] नाव, जलयान या किसी खेलने वाले दल (टीम) का कप्तान।

स्की (इं.) [सं-पु.] लकड़ी का लंबा जूता जिससे बरफ़ पर फिसलते हैं।

स्कीइंग (इं.) [सं-स्त्री.] प्लास्टिक या लकड़ी की बनी स्की से बर्फ़ पर होने वाली क्रीड़ा।

स्कीम (इं.) [सं-स्त्री.] 1. योजना 2. प्रारूप 3. नियम; व्यवस्था; तरीका।

स्कूटर (इं.) [सं-पु.] छोटे पहिए वाला एक दुपहिया वाहन।

स्कूप (इं.) [सं-पु.] विशेष समाचार जो किसी अन्य पत्र में प्रकाशित न हो।

स्कूल (इं.) [सं-पु.] 1. अध्यापन का स्थान; विद्यालय; पाठशाला 2. विशिष्ट विचारधारा।

स्केच (इं.) [सं-पु.] 1. ख़ाका 2. रेखाचित्र; रूपरेखा 3. प्रारूप; कच्चा मसौदा 4. संक्षिप्त वर्णन; शब्दचित्र।

स्केट (इं.) [सं-पु.] बर्फ़ या चिकने फ़र्श पर फिसलने के लिए जूते के नीचे लगाने की पहियों वाली या चिकनी समतल पट्टी।

स्केटिंग (इं.) [सं-स्त्री.] पहिएदार जूते पहनकर चिकनी सतह पर चलना।

स्केल (इं.) [सं-पु.] 1. वेतनमान 2. पैमाना।

स्कैंडल (इं.) [सं-पु.] 1. प्रवाद; अपयश 2. लज्जाजनक या निंदाजनक घटना 3. लांछन; कलंक 4. घोटाला; कांड।

स्कैन (इं.) [सं-पु.] 1. एक डॉक्टरी परीक्षण जिसमें एक्स-रे की सहायता से व्यक्ति के शरीर के अंदर का चित्र कंप्यूटर-स्क्रीन पर दिखाई देता है 2. एक मशीन द्वारा लिखित या मुद्रित सामग्री का इलेक्ट्रॉनिक प्रतिबिंब बनाने का कार्य।

स्कैम (इं.) [सं-पु.] पैसा कमाने की चतुर और कपटपूर्ण योजना।

स्कॉलर (इं.) [सं-पु.] 1. वह जो विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में पढ़ता हो 2. विद्यार्थी; छात्र 3. विद्वान और अध्ययनशील व्यक्ति।

स्कॉलरशिप (इं.) [सं-पु.] वह निर्धारित धन जो विद्यार्थी को किसी स्कूल या कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से सहायतार्थ दिया जाए; छात्रवृत्ति।

स्कोर (इं.) [सं-पु.] 1. खेलों में बनाए गए अंक 2. लेखा-जोखा।

स्कोरबोर्ड (इं.) [सं-पु.] अंक पट्टा; योग पट्टा।

स्क्रिप्ट (इं.) [सं-पु.] 1. हस्तलेख 2. मूल या प्रधान दस्तावेज़ 3. चलचित्र या नाटक की पटकथा 4. प्रसार-आलेख।

स्क्रीन (इं.) [सं-पु.] 1. परदा 2. किसी दृश्य को प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला आवरण 3. दृश्यपटल; फलक।

स्क्रू (इं.) [सं-पु.] वह कील या काँटा जिसके नुकीले भाग पर चक्करदार चूड़ियाँ या उभार बने होते हैं जिसे घुमाकर जड़ा जाता है; पेच।

स्क्रैप (इं.) [सं-पु.] 1. रद्दी 2. टुकड़ा।

स्क्वायर (इं.) [सं-पु.] 1. वर्ग 2. किसी संख्या को उसी से गुणा करने पर प्राप्त संख्या; वर्गफल।

स्क्वैश (इं.) [सं-पु.] टेनिस की ही तरह एक खेल, जिसे दो खिलाड़ियों द्वारा (या युगल के लिए चार खिलाड़ियों द्वारा) एक छोटी, खोखली रबर गेंद से चार दीवारों वाले कोर्ट में खेला जाता है।

स्खलन (सं.) [सं-पु.] 1. अपने स्थान से हट कर अपेक्षाकृत नीचे आ जाना; पतन; विचलन 2. अपने मार्ग से विचलित होना 3. विफलता 4. क्षरण 5. वीर्यस्राव 6. लड़खड़ाना 7. थरथराना 8. वंचित होना।

स्खलनकारी (सं.) [वि.] प्रलोभन या लोभ उत्पन्न करने वाला; प्रलोभनकारी।

स्खलनशील (सं.) [वि.] विचलित होने वाला; विचलनशील।

स्खलित (सं.) [वि.] 1. गिरा हुआ; च्युत 2. लड़खड़ाया हुआ 3. अस्थिर; विचलित 4. चूका हुआ; लक्ष्यच्युत 5. हकला; हकलाने वाला।

स्खलित गति (सं.) [वि.] जो चलने में लड़खड़ाता हो।

स्टंट (इं.) [सं-पु.] चकमा; कलाबाज़ी।

स्टडी (इं.) [सं-पु.] अध्ययन; अभ्यास; पढ़ाई।

स्टडी रूम (इं.) [सं-पु.] अध्ययन कक्ष।

स्टांप (इं.) [सं-पु.] 1. ठप्पा 2. कागज़ों आदि पर लगाई जाने वाली मुहर 3. एक निश्चित मूल्य का कागज़ का ऐसा टुकड़ा जिसपर राजकीय मुहर छपी हो और जिसका मूल्य शुल्क के रूप में चुकाया जाता है।

स्टाइल (इं.) [सं-स्त्री.] 1. शैली 2. पद्धति।

स्टाफ़ (इं.) [सं-पु.] किसी संस्था, कार्यालय, विभाग के कर्मियों का वर्ग या समूह; अमला।

स्टार्च (इं.) [सं-पु.] श्वेतसार; मंड; माँडी।

स्टार्ट (इं.) [सं-पु.] 1. जो चलने लगा हो 2. जिसकी शुरुआत हो गई हो; शुरू; प्रारंभ।

स्टाल (इं.) [सं-पु.] 1. प्रदर्शिनी, मेले, आदि में वह छोटी दुकान जिसपर बेचने के लिए चीज़ें सजाई रहती हैं 2. वह स्थान जहाँ घोड़े रखे जाते हैं; अस्तबल।

स्टिंग (इं.) [सं-पु.] टेलीविज़न, समाचार चैनल द्वारा किसी विशेष विषय पर की गई स्टोरी को आकर्षक शीर्षक के साथ प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना।

स्टिंग ऑपरेशन (इं.) [सं-स्त्री.] गुप्त रूप से घात लगाकर छुपे कैमरे द्वारा किसी भ्रष्टाचार या कुकृत्य या अनैतिक कार्य को टेलीविज़न चैनल के माध्यम से उजागर करना।

स्टिकर (इं.) [सं-पु.] चिपकने वाला कागज़ जिसपर कुछ लिखा हो।

स्टिल (इं.) [वि.] 1. स्थिर; बिना हरकत किए 2. निश्चल 3. शांत।

स्टीमर (इं.) [सं-पु.] भाप की शक्ति से चलने वाला छोटा जहाज़।

स्टुडियो (इं.) [सं-पु.] 1. चित्र निर्माण कक्ष 2. प्रसारण कक्ष।

स्टूडेंट (इं.) [सं-पु.] छात्र; विद्यार्थी; शिक्षार्थी।

स्टूल (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का छोटा फ़र्निचर जो सामान रखने या बैठने में प्रयुक्त होता है।

स्टेज (इं.) [सं-पु.] 1. मंच 2. रंगमंच।

स्टेज मैनेजर (इं.) [सं-पु.] रंगमंच प्रबंधक या व्यवस्थापक।

स्टेज रिहर्सल (इं.) [सं-पु.] मंचीय पूर्वाभ्यास।

स्टेट (इं.) [सं-पु.] 1. राज्य 2. किसी संघ या राज्य की कोई इकाई 3. किसी की पूरी संपत्ति।

स्टेडियम (इं.) [सं-पु.] प्रायः बिना छत का बड़ा ढाँचा जहाँ बैठकर लोग खेल देखते हैं।

स्टेनोग्राफ़र (इं.) [सं-पु.] आशुलिपि में लिखने वाला व्यक्ति; आशुलिपिक।

स्टेनोग्राफ़ी (इं.) [सं-स्त्री.] संकेत चिह्नों में तेज़ी से लिखने की क्रिया; आशुलिपि।

स्टेप आउटलाइन (इं.) [सं-पु.] फ़िल्म की पूरी कथा को दृश्यों में सही क्रम के साथ लिखने का स्टेप।

स्टेपलर (इं.) [सं-पु.] कागज़ों को पिन द्वारा बाँधने या जोड़ने का एक विशेष औज़ार।

स्टेशन (इं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ रेलगाड़ियाँ, मोटरें आदि यात्रियों को उतारने के लिए नियत समय पर रुकती हों 2. वह स्थान जहाँ कुछ लोगों को विशेष कार्य के लिए नियुक्त किया गया हो, जैसे- पुलिस स्टेशन।

स्टेशन मास्टर (इं.) [सं-पु.] रेलवे स्टेशन का प्रधान अधिकारी।

स्टेशनरी (इं.) [सं-पु.] 1. लेखन सामग्री 2. कागज़, कलम, पेंसिल, लिफ़ाफ़े आदि वस्तुएँ जो कागज़ी काम में प्रयुक्त होती हैं।

स्टैंड (इं.) [सं-पु.] सवारी गाड़ी के रुकने और रवाना होने की जगह, जैसे- बस स्टैंड, टैक्सी स्टैंड आदि।

स्टैंडर्ड (इं.) [सं-पु.] 1. शुद्धता या श्रेष्ठता के विचार से निश्चित गुण की उच्च मात्रा; आदर्श; मानक 2. स्तर 3. दर्जा।

स्टैंडिंगमैटर (इं.) [सं-पु.] भविष्य में पुनः छापने के लिए रोका गया कंपोज़ किया हुआ मैटर।

स्टैच्यू (इं.) [सं-पु.] किसी विशिष्ट व्यक्ति की पत्थर, काँसे आदि की पूरे कद की प्रतिमा, मूर्ति या पुतला जो किसी सार्वजनिक स्थान पर स्थापित किया जाता है।

स्टॉक (इं.) [सं-पु.] 1. भंडार 2. वह माल जो घर या गोदाम में हो और बिका न हो; बिक्री का माल 3. साझा कारोबार में लगाई हुई पूँजी 4. रसद 5. गोदाम।

स्टॉक एक्सचेंज (इं.) [सं-पु.] 1. शेयर ख़रीदने, बेचने का काम 2. दलालों की सभा।

स्टॉक ब्रोकर (इं.) [सं-पु.] वह दलाल जो दूसरों के लिए ख़रीद-बिक्री का काम करता हो।

स्टॉप प्रेस (इं.) [सं-पु.] समाचार पत्र का वह स्थान जिसे जानबूझकर ख़ाली छोड़ा जाता है।

स्टोर (इं.) [सं-पु.] 1. भंडार 2. सामान रखने का कमरा।

स्टोरेज (इं.) [सं-पु.] भंडारण।

स्टोव (इं.) [सं-पु.] 1. मिट्टी के तेल से जलने वाली अँगीठी 2. विशेष प्रकार का आधुनिक चूल्हा।

स्ट्राइक (इं.) [सं-स्त्री.] किसी अधिकार या माँग को पूरा करवाने के लिए श्रमिकों द्वारा कार्य करना बंद कर देना; हड़ताल 2. उद्योगों में होने वाले शोषण के खिलाफ़ श्रमिकों का आंदोलन।

स्ट्रिंगर (इं.) [सं-पु.] जिस संवादाता को समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों के लिए कॉलम के हिसाब से पारिश्रमिक दिया जाता है।

स्ट्रीट (इं.) [सं-स्त्री.] सड़क; गली; गलियारा; राह।

स्ट्रेचर (इं.) [सं-पु.] अस्पताल में रोगी या घायल व्यक्ति को उठाकर ले जाने की खाट जिसमें पहिए लगे होते हैं।

स्तंभ (सं.) [सं-पु.] 1. खंभा 2. गतिहीनता अथवा जड़ता का भाव 3. पत्र-पत्रिका के पृष्ठ जो कई भागों में विभाजित रहते हैं; (कॉलम) 3. किसी विशेष स्तंभकार का लेखन 4. पेड़ का तना 5. टेक; सहारा।

स्तंभ-इंच (सं.+इं.) [सं-पु.] पत्रकारिता का एक मानदंड जिसके आधार पर विज्ञापन विभाग विज्ञापनों की दर निर्धारित करता है।

स्तंभक (सं.) [सं-पु.] 1. खंभा 2. शिव का एक नाम। [वि.] 1. रोधक; स्तंभन करने या रोकने वाला 2. कब्ज़ियत करने वाला।

स्तंभन (सं.) [सं-पु.] 1. रोकने की क्रिया या भाव 2. अवरोध; बाधा; अड़चन; रुकावट 3. स्तब्ध या शांत करना 4. वीर्यपात रोकने की दवा 5. कामदेव के पाँच बाणों में से एक।

स्तंभ-लेखक (सं.) [सं-पु.] पत्र-पत्रिका में किसी विशेष विषय पर नियमित रूप से लिखने वाला।

स्तंभ-शीर्षक (सं.) [सं-पु.] किसी स्तंभ (कॉलम) के ऊपर दिया गया शीर्षक।

स्तंभिका (सं.) [सं-स्त्री.] छोटा स्तंभ; पतला स्तंभ।

स्तंभित (सं.) [वि.] 1. जो जड़ और निश्चेष्ट हो गया हो; जड़ीभूत; स्तब्ध; सुन्न 2. स्थिर किया हुआ; दृढ़ किया हुआ 3. रोका हुआ; दबाया हुआ; अवरुद्ध 4. चकित 5. विरामित 6. वाचारुद्ध।

स्तन (सं.) [सं-पु.] स्त्रियों या मादा पशुओं की छाती जिसमें से दूध निकलता है; पयोधर; कुच।

स्तनधारी (सं.) [सं-पु.] थनवाला।

स्तनन (सं.) [सं-पु.] 1. बादल का गरजना; मेघशब्द 2. ध्वनि; शब्द; आवाज़ 3. आर्तनाद 4. कराहने की आवाज़; कराह।

स्तनपान (सं.) [सं-पु.] स्तन चूसकर दूध पीने का काम।

स्तनपायी (सं.) [सं-पु.] (जीवविज्ञान) जन्म लेने के बाद अपनी माता का दूध पीकर पलने वाले प्राणी, जैसे- मनुष्य, मवेशी आदि 2. रीढ़धारी; (मैमल)। [वि.] स्तनपान करने वाला।

स्तनपोषी (सं.) [वि.] स्तनपान के द्वारा अपने बच्चों को पालने वाला (प्राणी)।

स्तनहार (सं.) [सं-पु.] गले में पहनने का एक हार।

स्तनाग्र (सं.) [सं-पु.] स्तन का अगला भाग; स्तन की घुंडी; कुचाग्र।

स्तनित (सं.) [सं-पु.] 1. बादल की गरज; मेघ गर्जन 2. बिजली की कड़क 3. ताली बजाने का शब्द; करतल ध्वनि। [वि.] 1. गरजता हुआ; गर्जित 2. आवाज़ या ध्वनि करता हुआ; ध्वनित; शब्दायमान।

स्तब्ध (सं.) [वि.] 1. जड़ीभूत; निस्तब्ध 2. सुन्न; संज्ञाहीन; निश्चेष्ट 3. रुका हुआ; रुद्ध 4. दृढ़; स्थिर।

स्तब्धता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्तब्ध होने की अवस्था या भाव 2. दृढ़ता; जड़ता 3. शून्यता; सूनापन 4. निश्चेष्टता; अचलता।

स्तर (सं.) [सं-पु.] 1. परत; तह 2. तल 3. सतह 4. शय्या; सेज 5. {ला-अ.} देश, समाज आदि की साख; मान; (लेवल)।

स्तरण (सं.) [सं-पु.] 1. बिछाना; फैलाना 2. दीवार या सतह का पलस्तर करना 3. प्राकृतिक कारणों से पृथ्वी के विभिन्न स्तरों का बनना 4. बिछौना।

स्तरीय (सं.) [वि.] 1. स्तर संबंधी; स्तर का 2. सही स्तरवाला 3. मानकयुक्त।

स्तरोन्नयन (सं.) [सं-पु.] स्तर ऊँचा करना; स्तर ऊपर उठाना।

स्तव (सं.) [सं-पु.] 1. किसी देवी या देवता का छंदबद्ध स्वरूप वर्णन या गुणगान; स्तोत्र 2. स्तुति; प्रशंसा।

स्तवक (सं.) [सं-पु.] 1. स्तव या स्तुति करने वाला व्यक्ति; बंदीजन 2. फूलों का गुच्छा; गुलदस्ता 3. समूह; झुंड 4. राशि; ढेर 5. पुस्तक का अध्याय या परिच्छेद 6. रेशम का झब्बा 7. मोर का पंख 8. स्तोत्र; स्तव।

स्तवन (सं.) [सं-पु.] 1. स्तव या स्तुति करने की क्रिया या भाव 2. स्तोत्र; अभिवंदना।

स्तान (फ़ा.) [परप्रत्य.] एक स्थान वाचक प्रत्यय जो पदार्थों, जातियों आदि के नामों के अंत में लगकर उनके रहने या होने का अर्थ देता है, जैसे- हिंदुस्तान, गुलिस्तान, अफ़गानिस्तान आदि।

स्तीर्ण (सं.) [वि.] 1. जो दूर तक फैला हुआ हो; विस्तृत 2. इधर-उधर बिखरा हुआ; विकीर्ण।

स्तुत (सं.) [वि.] 1. जिसकी स्तुति की गई हो 2. प्रशंसित 3. बहा हुआ।

स्तुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुणगान; प्रशंसा; तारीफ़ 2. {ला-अ.} चाटुकारिता।

स्तुतिपाठ (सं.) [सं-पु.] किसी के गुण, यश, प्रशंसा आदि का गीत के माध्यम से वर्णन; यशोगान।

स्तुत्य (सं.) [वि.] स्तुति करने योग्य; प्रशंसनीय।

स्तूप (सं.) [सं-पु.] 1. बुद्ध के अवशिष्ट चिह्न आदि को रखने के लिए ईंट आदि से बनी टीलानुमा आकृति 2. केश राशियों का गुच्छ 3. शिखर 4. मकान का ऊपरी गुंबदाकार निर्माण।

स्तेन (सं.) [सं-पु.] 1. चोर; लुटेरा 2. चोरी।

स्तेय (सं.) [सं-पु.] 1. चोरी 2. रहजनी 3. चोरी का माल। [वि.] चुराया हुआ; चोरी किए जाने योग्य (वस्तु)।

स्तोता (सं.) [वि.] 1. स्तुति करने वाला; किसी की प्रशंसा या गुणगान करने वाला 2. जो उपासना या प्रार्थना करे; भक्त 3. प्रचारक 4. प्रशंसक।

स्तोत्र (सं.) [सं-पु.] 1. वंदना; स्तुति 2. गुणकथन 3. स्तुतिपरक श्लोकबद्ध ग्रंथ।

स्तोम (सं.) [सं-पु.] 1. स्तुति; स्तव 2. यज्ञ 3. समूह; झुंड 4. राशि; ढेर 5. यज्ञ करने वाला व्यक्ति।

स्त्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नारी; औरत 2. पत्नी।

स्त्रीतंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. स्त्री अथवा स्त्रियों द्वारा परिचालित समाज या शासन व्यवस्था 2. स्त्रियों का सामाजिक और राजनैतिक रूप में प्रभुत्व।

स्त्रीत्व (सं.) [सं-पु.] 1. स्त्री होने की अवस्था, गुण या भाव; स्त्रीपन 2. नारीसुलभ चेष्टा या गुण; औरतपन; नारीत्व 3. स्त्रियों की तरह होने का गुण या भाव; ज़नानापन।

स्त्रीधन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी स्त्री का व्यक्तिगत या निजी धन 2. जिस धन अथवा संपत्ति पर स्त्री का कानूनी अधिकार हो 3. स्त्री को दहेज आदि में मिली हुई संपत्ति या धन।

स्त्रीधर्म (सं.) [सं-पु.] 1. नारी का धर्म या कर्तव्य 2. पत्नी के कर्तव्य 3. स्त्रियों से संबंधित विधान।

स्त्री प्रत्यय (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) वे प्रत्यय जो कुछ शब्दों के अंत में जुड़कर उन्हें स्त्रीवाची बना देते हैं, जैसे- 'कुम्हार' शब्द में 'इन' प्रत्यय से कुम्हारिन; 'पंडित' में 'आइन' प्रत्यय से पंडिताइन आदि।

स्त्रीप्रसंग (सं.) [सं-पु.] स्त्रियों से संबंधित बात या घटना; स्त्री से किया जाने वाला सहवास; मैथुन; संभोग।

स्त्रीप्रिय (सं.) [सं-पु.] 1. आम का वृक्ष 2. अशोक वृक्ष।

स्त्रीय (सं.) [वि.] स्त्रियों के समान; स्त्रैण; ज़नाना।

स्त्रीयोचित (सं.) [वि.] 1. स्त्रियों जैसा; स्त्रियों की तरह (गुण, भाव आदि) 2. नारीत्वपूर्ण; नारीसुलभ; ज़नाना 3. कोमल; नाज़ुक 4. ममतामय; मातृत्वपूर्ण।

स्त्रीरत्न (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुणवान और प्रतिभाशाली स्त्री 2. स्त्रियों में श्रेष्ठ स्त्री।

स्त्रीरोग (सं.) [सं-पु.] 1. स्त्रियों से संबंधित रोग 2. वे रोग जो केवल स्त्रियों को होते हैं।

स्त्रीलिंग (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) स्त्री का बोध कराने वाला लिंग; दो लिंगों (पुल्लिंग और स्त्रीलिंग) में से एक जो स्त्री जाति का वाचक होता है; (फ़ैमिनाइन), जैसे- 'लड़का' का स्त्रीलिंग 'लड़की'।

स्त्रीसुख (सं.) [सं-पु.] 1. स्त्री या पत्नी का सुख 2. पत्नी से प्राप्त होने वाला अनुराग 3. संभोग।

स्त्रीसुलभ (सं.) [वि.] स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से मिलने वाला; नारीसुलभ।

स्त्रैण (सं.) [वि.] 1. स्त्री संबंधी; स्त्रियों का 2. स्त्रियों की तरह का 3. जो पुरुष स्त्रियों की तरह हाव-भाव, व्यवहार या वेशभूषा से युक्त हो 4. सदा स्त्रियों की मंडली में रहने की प्रवृत्ति रखने वाला 5. नपुंसक 6. (वनस्पतिविज्ञान) स्त्री केसरों में परिवर्तित हो जाने वाले पुंकेसर।

स्थ (सं.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में लगकर आधारित होने, उपस्थित होने, लीन होने अथवा रुकने आदि का अर्थ देता है, जैसे- कंठस्थ, ध्यानस्थ, समीपस्थ आदि।

स्थगन (सं.) [सं-पु.] 1. स्थगित करने की क्रिया या भाव 2. किसी बात या कार्य को आगे के लिए टाल देना 3. किसी सभा की बैठक, सुनवाई आदि कुछ समय के लिए रोक देना 4. किसी मुकदमे की जाँच या कार्रवाई निर्दिष्ट अवधि के लिए निलंबित कर देना; (एडजर्नमेंट) 5. छिपाव; ढकाव।

स्थगनक (सं.) [वि.] स्थगन संबंधी; स्थगन का।

स्थगन प्रस्ताव (सं.) [सं-पु.] संसद या सभाओं आदि में स्थगन से संबंधित प्रस्ताव; (स्टे ऑर्डर)।

स्थगित (सं.) [वि.] 1. जिसका स्थगन हुआ हो; जो निर्दिष्ट अवधि के लिए रोक दिया गया हो; मुलतवी 2. ठहराया या रोका हुआ 3. ढका हुआ; आच्छादित 4. छिपा हुआ 5. बंद किया हुआ।

स्थल (सं.) [सं-पु.] 1. कठोर या सूखी भूमि; थल 2. समुद्र या नदी का तट; कछार; किनारा 3. स्थान; मैदान 4. ठहरने का स्थान 5. भूखंड; भूभाग 6. किसी बात या रचना आदि का स्थान।

स्थलकमल (सं.) [सं-पु.] 1. स्थल या ज़मीन में उगने वाला एक पौधा जिसके फूल का आकार कमल की तरह होता है 2. उक्त पौधे का फूल।

स्थलचर (सं.) [वि.] 1. स्थल या भूभाग पर रहने या विचरण करने वाला (प्राणी), जैसे- हाथी, घोड़ा आदि 2. 'जलचर' और 'नभचर' से अलग।

स्थलचारी (सं.) [वि.] दे. स्थलचर।

स्थलज (सं.) [वि.] 1. स्थल से उत्पन्न होने वाला; स्थलचर 2. जो सूखी ज़मीन पर रहता हो; भूभाग पर रहने वाला।

स्थल डमरूमध्य (सं.) [सं-पु.] किसी जलराशि (नदी आदि) के दोनों ओर स्थित भूखंडों को जोड़ने वाला वह लंबा स्थल खंड जो दाएँ और बाएँ ओर से पानी से घिरा हो; (स्थमस)।

स्थलयुद्ध (सं.) [सं-पु.] 1. स्थल या ज़मीन पर होने वाला युद्ध; मैदान की लड़ाई 2. 'हवाईयुद्ध' और 'समुद्रीयुद्ध' से भिन्न।

स्थलसेना (सं.) [सं-पु.] 1. स्थल या भूभाग पर युद्ध करने वाली फ़ौज; थलसेना; (आर्मी) 2. पैदल सिपाही या घुड़सवार।

स्थलालेख्य (सं.) [सं-पु.] किसी स्थल का रेखाचित्र।

स्थली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जलशून्य धरती या भूभाग; शुष्क ज़मीन; स्थल 2. ऊँची समतल भूमि 3. जगह; स्थान 4. प्राकृतिक मैदान; सुंदर और रमणीय प्राकृतिक स्थान।

स्थलीय (सं.) [वि.] 1. स्थल या ज़मीन से संबंधित; स्थल का; भूमि का 2. स्थानीय।

स्थाणु (सं.) [सं-पु.] 1. खंभा; स्तंभ 2. वृक्ष का शाखाओं से रहित तना 3. पेड़ का ठूँठ 4. खूँटी 5. बैठने का ढंग 6. कोई स्थिर वस्तु। [वि.] 1. अस्थिर; अचल 2. दृढ़।

स्थान (सं.) [सं-पु.] 1. स्थित होने या ठहरने की क्रिया या भाव 2. स्थल; जगह 3. ओहदा; पद 4. टिकाव; ठहराव 5. घर 6. देश; गाँव; नगर; कस्बा 7. अवस्था; स्थिति; दशा।

स्थानक (सं.) [सं-पु.] 1. अवस्था; स्थिति 2. जगह; स्थान 3. शहर; नगर 4. पद; दरजा।

स्थानच्युत (सं.) [वि.] 1. अपने स्थान से हटा या गिरा हुआ; स्थानभ्रष्ट 2. अपने पद से हटा हुआ; पदच्युत; सेवाच्युत 3. विस्थापित।

स्थानतः (सं.) [क्रि.वि.] 1. अपने स्थान या पद के हिसाब से 2. उचित या सही स्थान से।

स्थानभ्रष्ट (सं.) [वि.] 1. अपने स्थान से गिरा हुआ 2. अपने पथ से हटा हुआ; पथभ्रष्ट 3. विस्थापित; स्थानच्युत।

स्थानांतर (सं.) [सं-पु.] 1. प्रस्तुत स्थान से भिन्न स्थान; दूसरा स्थान 2. किसी स्थान से अन्य स्थान पर चले जाने की क्रिया या भाव 3. किसी वस्तु का स्थान बदल देना।

स्थानांतरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु या व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजे जाने की क्रिया या भाव; स्थान परिवर्तन; तबादला; बदली; (ट्रांसफ़र) 2. किसी विद्यार्थी को दूसरे संस्थान या विद्यालय आदि में भेजना 3. अंतरण।

स्थानांतरणीय (सं.) [वि.] 1. जिसका स्थानांतरण किया जा सकता हो; तबादला करने लायक; (ट्रांसफ़ेरेबल) 2. जिसे दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता हो।

स्थानांतरित (सं.) [वि.] 1. स्थानांतरण किया हुआ; पुनर्स्थापित 2. जिसे एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर पहुँचाया गया हो 3. जिसका किसी अन्य स्थान पर तबादला हो गया हो 4. विस्थापित।

स्थानापन्न (सं.) [वि.] 1. किसी के स्थान पर किसी अन्य को स्थापित करना या रखना 2. किसी अन्य की जगह पर अस्थायी रूप से कार्य करने हेतु नियुक्त; अंतरिम; एवज़ी 3. कार्यवाहक; कामचलाऊ।

स्थानाभाव (सं.) [सं-पु.] जगह का अभाव; सीमित स्थान।

स्थानिक (सं.) [वि.] 1. किसी स्थान विशेष का; स्थान संबंधी 2. किसी स्थान विशेष में होने वाला 3. स्थानीय; (लोकल) 4. जो किसी के बदले प्रयुक्त हो।

स्थानिक अधिकरण (सं.) [सं-पु.] किसी स्थान विशेष में रहने वाले अधिकारियों का समूह, वर्ग या निकाय।

स्थानिक कर (सं.) [सं-पु.] किसी स्थान विशेष पर लगने वाला कर; क्षेत्र विशेष से संबंधित कर; (लोकल टैक्स)।

स्थानिक स्वशासन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी राष्ट्र के भिन्न-भिन्न नगरों आदि को अपना शासन और व्यवस्था करने के लिए मिला हुआ अधिकार 2. अपना शासन आप करने की स्वतंत्रता 3. उक्त प्रकार के शासन की प्रणाली।

स्थानीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. अनेक स्थानों पर फैले हुए कार्यों, शक्तियों आदि को नियंत्रित करके एक स्थान या केंद्र में सीमित करना; (लोकलाइज़ेशन) 2. स्थान विशेष तक सीमित रखना; विस्तृत न होने देना।

स्थानीय (सं.) [वि.] 1. स्थान विशेष से संबंध रखने वाला; स्थान संबंधी 2. देशज; प्रादेशिक 3. स्थान विशेष के लिए प्रयुक्त 4. ग्राम, नगर आदि के लोगों का; (लोकल)।

स्थानीय संस्करण (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) पत्र-पत्रिका का स्थानीय या आस-पास के क्षेत्रों में वितरण हेतु मुद्रित संस्करण।

स्थानीय समाचार (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचारपत्र के प्रकाशन नगर और उसके आसपास के क्षेत्रों से संबंधित घटनाओं का समाचार।

स्थानीय समाचारकक्ष (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) स्थानीय समाचार एकत्र करने और लिखे जाने वाला कक्ष; (लोकल न्यूज़ रूम)।

स्थानीय सामग्री (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) स्थानीय व्यक्तियों और घटनाओं से संबंधित संक्षिप्त समाचार, लेख आदि से संबंधित सामग्री।

स्थापक (सं.) [वि.] 1. स्थापित करने वाला; स्थापना करने वाला 2. खड़ा करने वाला 3. स्थिर करने वाला 4. नाटक का सूत्रधार 5. मूर्तियाँ आदि बनाने वाला।

स्थापत्य (सं.) [सं-पु.] भवन निर्माण से संबंधित विद्या; वास्तु विज्ञान; ज्ञानानुशासन का वह क्षेत्र जिसमें भवन निर्माण संबंधी सिद्धांतों आदि का विवेचन होता है।

स्थापत्य कला (सं.) [सं-स्त्री.] वास्तु विद्या; भवन बनाने की कला; वास्तुकला; कारीगरी।

स्थापन (सं.) [सं-पु.] 1. दृढ़तापूर्वक जमाना, रखना या बैठाना 2. उठाना या खड़ा करना 3. स्थायी रूप देना; मज़बूत आधार पर स्थित करना 4. कोई नई संस्था या व्यापार खड़ा करना 5. कोई मत या विचार आदि इस प्रकार रखना कि वह ठीक और प्रामाणिक जान पड़े; प्रतिपादन 6. किसी को किसी काम के लिए नियत करना या लगाना।

स्थापना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रखने, जमाने या स्थापित करने का उपक्रम या भाव; स्थापन 2. किसी बात या विचार आदि का प्रतिपादन; वाद 3. रंगमंच की व्यवस्था; निर्देशन 4. शिलान्यास। [क्रि-स.] 1. स्थापित करना; सही तरीके से जमाना 2. किसी कार्य या संस्था आदि को प्रवर्तित या शुरू करना 3. नया कारोबार आरंभ करना।

स्थापनीय (सं.) [वि.] जिसे स्थापित किया जाना हो; स्थापना के योग्य।

स्थापित (सं.) [वि.] 1. जिसकी स्थापना हुई हो; संस्थापित 2. आधारित 3. प्रवर्तित या प्रतिपादित 4. निर्धारित; निश्चित 5. नियुक्त 6. व्यवस्थित 7. दृढ़; पक्का।

स्थायित्व (सं.) [सं-पु.] 1. स्थायी होने अथवा बने रहने का भाव 2. टिकाऊपन; टिकाव; ठहराव 3. दृढ़ता; स्थिरता।

स्थायी (सं.) [वि.] 1. हमेशा बना रहने वाला; सदा स्थित रहने वाला; नष्ट न होने वाला 2. बहुत दिनों तक चलने वाला; टिकाऊ 3. अपरिवर्तनीय; नियमित; (परमानेंट)।

स्थायीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु, कार्य या बात को स्थायी रूप देना 2. अस्थायी या परिवीक्षा के अधीन कार्य करने वाले किसी व्यक्ति को किसी पद पर स्थायी रूप से नियुक्त करना या पक्की नौकरी देना; (कनफ़रमेशन) 3. उक्त कार्य के लिए दी जाने वाली आज्ञा या स्वीकृति 4. अधिकार को स्थायी बनाना।

स्थायी कोष (सं.) [सं-पु.] किसी संस्था आदि का वह कोष या धनराशि जिससे उसे स्थायी बनाया जा सके।

स्थायी निधि (सं.) [सं-पु.] 1. वह निधि जो कोई काम चलने या चलाने के लिए स्थापित की गई हो 2. स्थायी कोष।

स्थायी भाव (सं.) [सं-पु.] 1. (साहित्य) मनुष्य में संस्कार रूप में रहने वाले भाव; मौलिक मनोवेग या विकार 2. रति, क्रोध, विस्मय आदि मूल भाव जो मन में सदा विद्यमान रहते हैं।

स्थायी स्तंभ (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) पत्र-पत्रिका में नियत समय पर नियमित रूप से प्रकाशित होने वाला स्तंभ; नियमित स्तंभ।

स्थाली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मिट्टी के बरतन; हांडी; हँड़िया 2. नाँद; मिट्टी की रकाबी।

स्थावर (सं.) [वि.] 1. एक ही स्थान पर बना रहने वाला; अचल; स्थिर; गतिहीन; जड़ 2. क्रियाहीन; निष्क्रिय; स्थित 3. विधिबद्ध। [सं-पु.] 1. निर्जीव पदार्थ 2. पर्वत 3. अचल संपत्ति 4. जड़ पदार्थ।

स्थावर विष (सं.) [सं-पु.] 1. कुछ वृक्षों की जड़, तने, रस, छाल आदि में पाए जाने वाले विष 2. स्थावर पदार्थों का या उनसे बनाया जाने वाला विष, जैसे- संखिया।

स्थित (सं.) [वि.] 1. किसी स्थान पर ठहरा या टिका हुआ; खड़ा 2. किसी जगह पर रखा अथवा नियुक्त किया हुआ 3. उपस्थित; मौजूद 4. दृढ़; पक्का 5. बैठा हुआ; आसीन 6. बसा हुआ।

स्थितज्ञ (सं.) [वि.] 1. स्थिति को अच्छी-तरह समझने वाला 2. मर्यादा का ख्याल रखने वाला।

स्थितप्रज्ञ (सं.) [वि.] 1. विवेकबुद्धि या स्थिरबुद्धिवाला; शांतचित्त 2. सब प्रकार के राग-द्वेष से रहित 3. सुख-दुख में विचलित न होने वाला; सदा संतुष्ट और आनंदित रहने वाला।

स्थिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दशा; हालत; अवस्था 2. नियति; प्रकृति; स्वभाव 3. पद; ओहदा 4. आयु 5. रहना; टिकना; ठहरना 6. निवास 7. रुकना 8. चुपचाप खड़ा रहना।

स्थितिक (सं.) [वि.] 1. एक स्थान पर ठहरा हुआ; स्थिर 2. एक ही रूप में बना हुआ।

स्थितिप्रद (सं.) [वि.] दृढ़ता या स्थायित्व देने वाला।

स्थितिस्थापक (सं.) [वि.] दाब हट जाने पर फिर पहले जैसा हो जाने वाला; नमनीय; लचीला।

स्थिर (सं.) [वि.] 1. दृढ़; पक्का 2. निश्चल; गतिहीन 3. अचल; अचर 4. स्थायी रूप से एक स्थान पर टिका रहने वाला 5. शांत 6. धीर 7. नियत।

स्थिर चित्त (सं.) [वि.] 1. जिसका चित्त या मन स्थिर या दृढ़ हो 2. उत्तेजित, उद्विग्न या क्रुद्ध न होने वाला 3. शांत।

स्थिरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्थिर होने का भाव, गुण या दशा 2. निश्चलता 3. दृढ़ता; मज़बूती 4. स्थायित्व 5. धीरता।

स्थिरप्रतिज्ञ (सं.) [वि.] 1. दृढ़ निश्चयवाला; दृढ़प्रतिज्ञ; संकल्पशील 2. अपने वचन का पालन करने वाला।

स्थिरबुद्धि (सं.) [वि.] 1. ठहरी हुई बुद्धिवाला; दृढ़चित्त 2. धीर; गंभीर; प्रशांत 3. जो अच्छी तरह सब बातें सोच-समझ सकता हो।

स्थिरांक (सं.) [सं-पु.] गणितीय नियतांक; (कॉन्सटेंट)।

स्थिरीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. स्थिर करना; दृढ़ करना; (स्टेबिलाइज़ेशन) 2. अचल बनाना 3. घटती-बढ़ती रहने वाली वस्तुओं का स्वरूप या मानक स्थिर करना 3. (चिकित्सा) हड्डी आदि के जोड़ को अचल बनाना; (फ़िक्सेशन) 4. समर्थन। [वि.] दृढ़ करने वाला।

स्थूल (सं.) [वि.] 1. बड़े आकार का; बड़ा 2. जो सूक्ष्म न हो; जो स्पष्ट दिखाई देता हो 3. मांसल; मोटा 4. मंद बुद्धि का; मूर्ख 5. जो गूढ़ या जटिल न हो 6. जिसे ज्ञानेंद्रियों द्वारा ग्रहण किया जा सके 7. भौतिक; ठोस 8. सुस्त 9. मोटे तौर पर दिया गया (विवरण)।

स्थूल आय (सं.) [सं-स्त्री.] वह आय जिसमें से लागत या व्यय आदि को निकाला न गया हो; सकल आय।

स्थूलकाय (सं.) [वि.] मोटे शरीरवाला; भारी-भरकम देहवाला; हट्टा-कट्टा।

स्थूलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्थूल होने की अवस्था, गुण या भाव 2. मोटापा; मांसलता।

स्थूल शरीर (सं.) [सं-पु.] 1. मनुष्य या अन्य प्राणियों का शरीर 2. (धर्मशास्त्र) पंचतत्वों जल, थल, पावक, गगन और समीर (वायु) से बना हुआ शरीर या देह। [वि.] भारी या मोटी देह का।

स्थूलाक्षर (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) भारी आकार वाले मुद्राक्षर के लिए प्रयुक्त एक पुराना शब्द।

स्थैतिक (सं.) [वि.] 1. स्थिति से संबंधित 2. अचल; निश्चल; स्थिर 3. जिसमें चढ़ाव-उतार या कमी-बेशी न हो; ज्यों का त्यों।

स्नात (सं.) [वि.] 1. जिसने स्नान किया हो; नहाया हुआ 2. जिसके सब अंगों पर किसी प्रकार का प्रभाव पड़ा हो 3. अभिषिक्त।

स्नातक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से बी.ए., बी.कॉम या उसके समक्ष उपाधि प्राप्त व्यक्ति; (ग्रैज़ुएट) 2. (प्राचीन काल) वह जिसका गुरुकुल में विद्या अध्ययन और ब्रह्मचर्य व्रत समाप्त हो गया हो।

स्नातकोत्तर (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसने किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से परास्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की हो; व्यक्ति जिसे स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त हो; (पोस्टग्रैज़ुएट)।

स्नान (सं.) [सं-पु.] 1. जल से सारे शरीर को धोना; नहाना; गुस्ल; नहान; शौच 2. किसी व्रत या नियम से नदी आदि के जल में नहाने की क्रिया 3. धूप, वायु आदि का सेवन; धूप में लेटे रहकर शरीर आदि को तपाना, जैसे- धूप स्नान।

स्नान कुंड (सं.) [सं-पु.] स्नान करने का कुंड; हमाम; जलकुंड।

स्नान गृह (सं.) [सं-पु.] स्नान करने का छोटा कमरा या कोठरी; गुसलख़ाना; स्नानागार; हमाम।

स्नान घर (सं.) [सं-पु.] स्नान करने का छोटा कमरा या कोठरी; गुसलख़ाना; स्नानागार; हमाम।

स्नानागार (सं.) [सं-पु.] स्नान करने का छोटा कमरा या कोठरी; गुसलख़ाना; स्नानगृह; हमाम।

स्नायविक (सं.) [वि.] स्नायु संबंधी; स्नायु का; नस का।

स्नायु (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर में रेशेदार, लचीली और मज़बूत ऊतकों की पट्टी जैसी संरचना; पेशी; (लिगामेंट) 2. वह सूक्ष्म नस या तंत्रिका जिनसे स्पर्श और वेदना का ज्ञान होता है; रग; नाड़ी।

स्नायुतंत्र (सं.) [सं-पु.] प्राणी के शरीर में फैला हुआ सूक्ष्म नाड़ियों का वह जाल जिससे स्पर्श, दर्द आदि की अनुभूति होती है; स्नायुमंडल; नाड़ी संस्थान।

स्नायु रोग (सं.) [सं-पु.] स्नायु या तंत्रिका में होने वाले रोग या मानसिक रोग।

स्निग्ध (सं.) [वि.] 1. जिसमें स्नेह या तेल हो; चिकना; चिपचिपा 2. सुंदर; सौम्य; मधुर 3. जिसमें स्नेह या प्रेम हो; स्नेहयुक्त; प्रेममय; प्यारा।

स्निग्धता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्निग्ध होने की अवस्था या भाव 2. चिकनाहट; चिकनापन 3. दयालुता; सौम्यता 4. प्रेम।

स्नेह (सं.) [सं-पु.] 1. बड़ों का छोटों के प्रति होने वाला अनुराग; वात्सल्य 2. प्रेम; प्यार; मित्रता 3. तेल आदि चिकना पदार्थ; वसा।

स्नेहक (सं.) [सं-पु.] 1. स्नेह या प्रेम करने वाला व्यक्ति 2. वह तेल या चिकना पदार्थ जो यंत्रों के पहियों आदि में डाला जाता है; (ग्रीज़; लूब्रिकेंट)। [वि.] चिकना करने वाला; स्नेही।

स्नेहतरल (सं.) [वि.] स्नेह से भींगा हुआ; स्नेहाद्रित।

स्नेहपात्र (सं.) [सं-पु.] प्रेम या अनुग्रह का पात्र; प्रिय; लाड़ला; प्यारा व्यक्ति।

स्नेहपान (सं.) [सं-पु.] (आयुर्वेद) औषधि के रूप में तेल, चरबी आदि पीने की क्रिया।

स्नेहभाजन (सं.) [सं-पु.] स्नेह का पात्र; स्नेही; अनुग्रह या कृपा का पात्र।

स्नेहमय (सं.) [वि.] स्नेहयुक्त; प्रेमयुक्त; प्रेममय; वत्सल।

स्नेहवश (सं.) [क्रि.वि.] प्रेमवश; प्रेम के वशीभूत होकर।

स्नेहिल (सं.) [वि.] स्नेह से भरा; स्नेहयुक्त; प्रेमपूर्ण।

स्नेही (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत आत्मीय व्यक्ति; मित्र; सखा 2. लेप आदि करने वाला चिकित्सक 2. तैलयुक्त। [वि.] 1. जो स्नेह करता हो या जिससे स्नेह किया जाता हो; स्नेह से भरा 2. प्रेमी।

स्नेह्य (सं.) [वि.] 1. जो स्नेह के योग्य हो; प्रेमपात्र 2. जिसे स्नेह किया जाता हो।

स्नैक्स (इं.) [सं-पु.] शाम के समय का हलका नमकीन आहार; नमकीन-बिस्किट आदि खाद्य।

स्नैप (इं.) [सं-पु.] कैमरे से खींचा गया कोई फ़ोटो; छायाचित्र।

स्नो (इं.) [सं-स्त्री.] बर्फ़; हिमपात; पाला।

स्पंज (इं.) [सं-पु.] 1. शरीर के अंगों को धोने, साफ़ करने या रगड़ने का एक छिद्रयुक्त, वज़न में हलका तथा पानी सोखने वाला कपड़ा या मोटी प्लास्टिक की गद्दी 2. बहुत छिद्र वाले रेशेदार और सिलिकायुक्त शरीर वाले समुद्री जीव 3. उक्त प्रकार के जीवों से बने हलके, छिद्रिल और अवशोषक का प्रयोग कंकाल को धोने और रगड़ने के लिए किया जाता है।

स्पंद (सं.) [सं-पु.] 1. धीरे-धीरे हिलना; काँपना; कंपन 2. विस्फुरण; फड़कना 3. गति; धड़कन 4. स्पंदन से होने वाला हलका आघात।

स्पंदन (सं.) [सं-पु.] 1. धीरे-धीरे हिलना; कंपन 2. विस्फुरण; 3. नाड़ी या हृदय में होने वाली गति या धड़कन; फड़कन।

स्पंदित (सं.) [वि.] 1. जिसमें स्पंदन होता हो; हिलता या काँपता हुआ; कंपायमान; कंपित; दोलायमान 2. गतिशील 3. फड़कता हुआ।

स्पंदी (सं.) [वि.] 1. जिसमें स्पंदन होता हो; कंपन या स्फुरण से युक्त 2. काँपने, हिलने या फड़कने वाला; स्पंदनशील 3. मंद-मंद हिलने वाला।

स्पदंनशील (सं.) [वि.] जिसमें स्पंदन होता हो; कंपनशील।

स्पर्धा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतियोगिता; प्रतिद्वंद्विता 2. प्रतियोगिता आदि में होने वाली होड़ 3. ईर्ष्या न करते हुए भी किसी के समान होने की इच्छा 4. किसी लक्ष्य को पूरा करने की चुनौती 5. किसी से बराबरी करने की अभिलाषा अथवा तीव्र इच्छा 6. साहस; हौसला 7. वैमनस्य।

स्पर्धात्मक (सं.) [वि.] 1. स्पर्धा से संबंधित 2. जो स्पर्धा के रूप में हुआ हो या होने वाला हो।

स्पर्धी (सं.) [वि.] 1. स्पर्धा या प्रतियोगिता करने वाला; जो होड़ करे; प्रतिद्वंद्वी 2. बराबरी की इच्छा करने वाला 3. चुनौती देने वाला 4. ईर्ष्यालु 5. घमंडी।

स्पर्श1 मुखविवर में जिह्वा उच्चारण स्थान को स्पर्श करती है तथा वायु क्षण भर के लिए अवरुद्ध होकर झटके के साथ बाहर निकलती है, जैसे- 'क्, ख्, ग्, घ्, ट्, ठ्, ड्, ढ्, त्, थ्, द्, ध्, प्, फ्, ब्, भ्'।

स्पर्श2 (सं.) [सं-पु.] 1. त्वचा का वह गुण जिससे छूने, दबने आदि का अनुभव होता है; (टच) 2. छूने की क्रिया या भाव; संपर्क 3. {ला-अ.} किसी विषय या बात का अंतर्मन पर होने वाला प्रभाव।

स्पर्शक (सं.) [वि.] स्पर्श करने वाला; छूने वाला।

स्पर्शजन्य (सं.) [वि.] 1. स्पर्श से उत्पन्न होने वाला 2. स्पर्श के परिणामस्वरूप होने वाला; संक्रामक; छूतवाला।

स्पर्शन (सं.) [सं-पु.] 1. स्पर्श करने की क्रिया या भाव 2. स्पर्शेंद्रिय 3. संपर्क; संसर्ग 4. वायु। [वि.] 1. स्पर्श करने वाला; हाथ लगाने वाला 2. प्रभाव डालने वाला।

स्पर्शना (सं.) [क्रि-स.] स्पर्श करना या छूना। [सं-स्त्री.] स्पर्श शक्ति।

स्पर्शनीय (सं.) [वि.] 1. जिसका स्पर्श किया जा सकता हो; स्पर्श्य; छूने योग्य 2. जिसका स्पर्श आवश्यक हो।

स्पर्शमणि (सं.) [सं-पु.] (लोकमान्यता) वह पारस पत्थर जो लोहे को स्पर्श कर सोना बना देता है।

स्पर्शरेखा (सं.) [सं-स्त्री.] (ज्यामिति) वह सरल रेखा जो वृत्त या पृष्ठ को किसी बिंदु पर छूती हुई एक ओर से दूसरी ओर जाती है; (टैनजेंट)।

स्पर्श संघर्षी जिन वर्णों के उच्चारण में जिह्वा उच्चारण स्थान को स्पर्श करते हुए वायु घर्षण के साथ बाहर निकलती है, जैसे- 'च्, छ्, ज्, झ्'।

स्पर्शातुर (सं.) [वि.] स्पर्श कराने को आतुर।

स्पर्शी (सं.) [वि.] 1. स्पर्श करने या छूने वाला; स्पर्शक 2. प्रभावित करने वाला, जैसे- हृदय स्पर्शी कविता 3. सटा या लगा हुआ; अत्यंत निकट का।

स्पर्शेंद्रिय (सं.) [सं-स्त्री.] स्पर्श, ताप आदि की अनुभूति कराने वाली इंद्रिय; त्वचा; चमड़ी; चर्म; (स्किन)।

स्पष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसे अच्छी तरह से देखा, सुना या समझा जा सके; दृश्यमान; प्रकट 2. जिसमें कोई संदेह न हो; साफ़ 3. व्यक्त; प्रत्यक्ष 5. छल या कपट से रहित; सरल; सीधा 6. बोधगम्य 7. वास्तविक अथवा सत्य 8. जो संदिग्ध न हो। [क्रि.वि.] 1. साफ़ तौर पर; प्रत्यक्ष 2. असंदिग्ध रूप से।

स्पष्टतया (सं.) [अव्य.] 1. स्पष्ट रूप से; साफ़-साफ़ 2. स्पष्ट शब्दों में; स्पष्टतः।

स्पष्टता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्पष्ट होने की अवस्था या भाव 2. साफ़ सुनाई या दिखाई देना 3. सरलता; बोधगम्यता 4. सफ़ाई 5. ईमानदारी।

स्पष्टभाषी (सं.) [वि.] 1. जो किसी बात को साफ़ कहता हो; स्पष्टवादी; स्पष्टवक्ता; सत्यपूर्ण 2. मुखर; ज़बानदराज़; मुँहफट 3. बेबाक; साफ़गो।

स्पष्टवक्ता (सं.) [सं-पु.] 1. बिना किसी संकोच या भय के साफ़ बात कहने वाला व्यक्ति 2. वह जो खरी बात कहने का अभ्यस्त हो; स्पष्टवादी 3. बेबाक या मुखर व्यक्ति।

स्पष्टवादिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बिना किसी संकोच या भय के साफ़ या खरी बात कहने का गुण या प्रवृति 2. बेबाक होने की अवस्था; बेबाकी।

स्पष्टवादी (सं.) [सं-पु.] स्पष्टवक्ता; बिना किसी भय या संकोच के बोलने वाला या कहने वाला व्यक्ति। [वि.] स्पष्ट या खरी बात कहने वाला।

स्पष्टीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी बात को स्पष्ट या साफ़ करना; किसी बात को सरल और सुबोध करके समझाना 2. किसी बात की विस्तृत व्याख्या करना; (एक्सप्लेनेशन) 3. निराकरण; शंका समाधान 4. सफ़ाई; जवाब 5. आपत्ति निवारण।

स्पाइरल (इं.) [वि.] 1. जो स्प्रिंग की आकृति का हो; कुंडलाकार; चक्करदार; अनुचक्रिल 2. पेचदार।

स्पाई (इं.) [सं-पु.] 1. सुरक्षा करने वाला व्यक्ति; सिपाही 2. गोपनीय जानकारी देने वाला जासूस; गुप्तचर।

स्पार्क (इं.) [सं-पु.] 1. क्षण भर चमकने वाली प्रकाश किरण 2. चिनगारी 2. जोश; बाँकपन।

स्पिन (इं.) [सं-स्त्री.] 1. चक्कर; घुमाव 2. किसी चीज़ को तेज़ी से घुमाने की क्रिया।

स्पिरिट (इं.) [सं-स्त्री.] 1. एक बहुउपयोगी रसायन 2. जीवों को प्राणवान या गतिमान करने वाली शक्ति या आवेग 3. प्रेरणा; भावना; उत्साह; उमंग 4. हिम्मत।

स्पीकर (इं.) [सं-पु.] 1. भाषण देने वाला व्यक्ति बोलने वाला व्यक्ति; वक्ता; प्रवक्ता 2. मनोरंजन या उद्घोषणा करने के काम आने वाले यंत्रों, जैसे- टीवी, रेडियो आदि में एक उपकरण जो विद्युत तरंगों को ध्वनि तरंगों में बदल देता है 3. संसदीय प्रणाली में राज्यों की विधानसभा का अध्यक्ष या सभापति; लोकसभा का अध्यक्ष।

स्पीच (इं.) [सं-स्त्री.] 1. वक्तव्य; व्याख्यान; भाषण; बातचीत 2. वाक्।

स्पीड (इं.) [सं-स्त्री.] 1. गति; रफ़्तार 2. शीघ्रता; जल्दी 3. हड़बड़ी।

स्पीड न्यूज़ (इं.) [सं-स्त्री.] (पत्रकारिता) द्रुत समाचार यानी तेज़ गति से प्रसारित किया जाने वाला समाचार।

स्पीडोमीटर (इं.) [सं-पु.] तेज़ गति से चलने वाले वाहनों, जैसे- कार, बस या मोटरसाईकिल में लगाया जाने वाला गति मापने का यंत्र।

स्पून (इं.) [सं-पु.] चम्मच।

स्पृश्य (सं.) [वि.] 1. स्पर्श करने के लायक; छूने योग्य 2. जिसे छूने में कोई दोष न हो।

स्पृहण (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु की प्राप्ति या किसी कार्य की सिद्धि के लिए मन में होने वाली इच्छा, कामना या अभिलाषा।

स्पृहणीय (सं.) [वि.] 1. स्पृहा के योग्य; वांछनीय; प्राप्त करने योग्य 2. चाहने योग्य।

स्पृहा (सं.) [सं-स्त्री.] इच्छा या कामना; अभिलाषा; आकांक्षा।

स्पेलिंग (इं.) [सं-स्त्री.] किसी भाषा के शब्दों में अक्षरों का सार्थक विन्यास; अक्षरों को शुद्ध रूप में लिखने का ढंग; हिज्जे; वर्तनी।

स्पेशल (इं.) [वि.] 1. खास; विशेष; विशिष्ट 2. असामान्य; असाधारण।

स्पेशलिस्ट (इं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय या ज्ञानानुशासन का विशेष जानकार या विशेषज्ञ; किसी कार्य में प्रवीण या दक्ष 2. चिकित्सा की किसी विधा में विशेषज्ञ, जैसे- वह हृदयरोग स्पेशलिस्ट है।

स्पेस (इं.) [सं-पु.] 1. अतंरिक्ष; आकाश 2. ख़ाली स्थान; अंतराल 3. अमूर्त स्थान 4. {ला-अ.} किसी कार्य को करने की स्वतंत्रता या अवसर।

स्पेस स्टेशन (इं.) [सं-पु.] वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में स्थापित अंतरिक्ष यान या कृत्रिम उपग्रह, जिससे विभिन्न प्रकार के अनुसंधान कार्य आदि किए जाते हैं।

स्पैक्ट्रम (इं.) [सं-पु.] वर्णों या रंगों का एक निश्चित क्रम; प्रिज़्म द्वारा विभक्त किए गए सात रंगों का समूह; वर्णक्रम।

स्पैनर (इं.) [सं-पु.] किसी बड़े बोल्ट आदि को कसने या खोलने में काम आने वाला औज़ार।

स्पॉंन्सर (इं.) [सं-पु.] किसी कार्यक्रम या कार्य आदि के लिए धन जुटाने वाला व्यक्ति या संस्थान; प्रायोजक।

स्पॉंन्सरशिप (इं.) [सं-स्त्री.] किसी कार्यक्रम आदि को आयोजित करने का अधिकार; प्रायोजन।

स्पॉट न्यूज़ (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) घटना स्थल से त्वरित ताज़ा समाचार।

स्पोर्ट (इं.) [सं-पु.] 1. खेलकूद 2. मन बहलाव का साधन; खिलौना।

स्पोर्ट्समैन (इं.) [सं-पु.] 1. खेलने वाला व्यक्ति; खिलाड़ी 2. खेलकूद की प्रतियोगिता में भाग लेने वाला व्यक्ति।

स्प्रिंग (इं.) [सं-पु.] 1. धातु आदि का लचीला, घुमावदार और लचकदार उपकरण 2. छलाँग 3. वसंत ऋतु 4. झरना।

स्प्रिंगदार (इं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें कमानी अथवा स्प्रिंग का गुण हो; कमानीदार; लचीला।

स्प्रेड (इं.) [सं-पु.] विस्तृत समाचार।

स्प्रेयर (इं.) [सं-पु.] 1. किसी तरल की महीन फुहार या छींटे पैदा करने वाला यंत्र 2. पेंट आदि की बौछार से किसी वस्तु को रँगने वाला यंत्र या मशीन।

स्फटिक (सं.) [सं-पु.] 1. एक सफ़ेद पारदर्शी पत्थर 2. बिल्लौर पत्थर 3. सूर्यकांत मणि 4. कपूर 5. शीशा; काँच 6. फिटकिरी।

स्फटिकीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. वह प्रक्रिया जिससे कोई वस्तु स्फटिक या क्रिस्टल के रूप में बदल जाए 2. निश्चित एवं ठोस आकार ग्रहण करना।

स्फार (सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक; प्रचुर 2. जो फैला हुआ हो; घना 3. फूलकर बड़ा होने वाला 4. विकट 5. ऊँचा। [सं-पु.] 1. अधिकता; वृद्धि 2. विस्तार 3. धक्का; आघात।

स्फीत (सं.) [वि.] 1. बढ़ा हुआ; विस्तृत; फैला हुआ 2. समृद्ध; संपन्न 3. प्रसन्न; फूला हुआ 4. फूटा अथवा टूटा हुआ 5. सत्य; प्रत्यक्ष।

स्फीति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी कारण से अस्वाभाविक या कृत्रिम रूप से बढ़ने या फूलने की क्रिया या भाव; फुलाव; वृद्धि; बढ़त 2. प्रचुरता; प्राचुर्य; आधिक्य 3. समृद्धि; संपन्नता 4. प्रसन्नता।

स्फुट (सं.) [वि.] 1. फूट कर बाहर आया हुआ 2. खिला हुआ; विकसित; उन्नत 3. व्यक्त; प्रकट 4. स्पष्ट 5. फैला हुआ 6. विविधात्मक।

स्फुटन (सं.) [सं-पु.] 1. सामने आना; अंकुरण; खिलना; फूलना 2. फटना; विर्दीण होना 3. चटकना 4. विकसित होना।

स्फुटित (सं.) [वि.] 1. खिला हुआ; फूला हुआ 2. किसी प्रकार स्पष्ट रूप से व्यक्त किया हुआ।

स्फुरण (सं.) [सं-पु.] 1. अंकुरण; स्फुटन 2. कंपन; फड़कन 3. स्फूर्ति 4. फैलकर या फूटकर अभिव्यक्त होना; प्रकाशित होना 6. एकाएक मन में (किसी भाव का) आना।

स्फुलिंग (सं.) [सं-पु.] चिनगारी; अग्निकण; (स्पार्क)।

स्फूर्त (सं.) [वि.] 1. गतिशील; सक्रिय; चुस्त 2. स्फूर्ति के परिणामस्वरूप होने वाला 3. जो अचानक स्मृति में आ गया हो 4. कंपन 5. वर्धित।

स्फूर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. फुरती; तेज़ी 2. उत्साह; उत्तेजना; मानसिक आवेग 3. कंपन; स्फुरण; फड़कन।

स्फूर्तिमय (सं.) [वि.] 1. फुरती या तेज़ से भरा 2. ताज़गी से लबरेज़ 3. उत्तेजनायुक्त।

स्फोट (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का अपने ऊपरी आवरण को फाड़कर वेगपूर्वक बाहर निकलना; खिलावट 2. शरीर पर होने वाला फोड़ा 3. किसी बात का प्रकट हो जाना; भावोत्पादन 4. फटना; विस्फोट; धमाका 5. छोटा टुकड़ा या खंड 6. साधना के क्षेत्र में उपाधिरहित शब्दतत्व; ओंकार; प्रणव।

स्फोटक (सं.) [वि.] स्फोट उत्पन्न करने वाला; विस्फोटक, जैसे- बम।

स्फोट ध्वनियाँ स्पर्श ध्वनियों को स्फोट ध्वनियाँ भी कहा जाता है।

स्फोटन (सं.) [सं-पु.] 1. स्फोट करने की क्रिया या भाव 2. फाड़ना; विदीर्ण करना 3. व्यक्त या प्रकट करना; सामने लाना 4. अचानक फट पड़ना 5. वायु के प्रकोप से होने वाला सिरदर्द 6. परस्पर मिले हुए व्यंजनों का अलग-अलग उच्चारण 7. अनाज फटकना।

स्फोटवाद (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) स्फोट मानने का वाद या सिद्धांत; 'स्फोट' या 'नित्य शब्द' को संसार का कारण मानने का सिद्धांत, जैसे- भृर्तहरि ने 'वाक्यपदीय' में स्फोटवाद का समर्थन किया है।

स्मगलर (इं.) [सं-पु.] गैरकानूनी तरीके से चोरी-छुपे प्रतिबंधित वस्तुओं को बेचने वाला या तस्करी करने वाला व्यक्ति; तस्कर।

स्मर (सं.) [सं-पु.] 1. मदन; कामदेव 2. स्मृति; याद।

स्मरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी देखी, सुनी या बीती बात का फिर से याद आना; स्मृति; याद 2. याद रखने की शक्ति; याददाश्त 3. एक प्रकार का अर्थालंकार 4. नवधा भक्ति का एक प्रकार; जाप।

स्मरण पत्र (सं.) [सं-पु.] किसी बात या काम को याद दिलाने या स्मरण कराने के लिए लिखा जाने वाला पत्र; (रिमाइंडर)।

स्मरण शक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] याद रखने की शक्ति; याददाश्त; (मेमोरी)।

स्मरणीय (सं.) [वि.] 1. स्मरण करने योग्य; यादगार 2. ध्यान में लाने योग्य 3. उल्लेखनीय; प्रशंसनीय 4. ऐतिहासिक; प्रसिद्ध 5. निर्णायक 6. संग्रहणीय।

स्मारक (सं.) [सं-पु.] 1. वह वस्तु या रचना जो किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति या घटना की स्मृति को बनाए रखने के लिए हो, (मॉन्युमेंट), जैसे- शहीद स्मारक 2. मकबरा; समाधि; स्तूप 3. निशानी; स्मृतिचिह्न। [वि.] स्मरण कराने वाला; याद दिलाने वाला; यादगार; (मेमोरियल)।

स्मारक ग्रंथ (सं.) [सं-पु.] ऐसा ग्रंथ जो किसी महापुरुष की स्मृति बनाए रखने के लिए रचा गया हो; अभिनंदन ग्रंथ।

स्मारिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु, व्यक्ति, घटना या समारोह से संबंधित स्मृति को बनाए रखने वाली विवरणात्मक सचित्र पुस्तिका; स्मृति उपायन; (सुवेनीर) 2. किसी घटना या बात की स्मृति को बनाए रखने के लिए बनाई गई या दी गई वस्तु; निशानी; यादगार। [वि.] 1. स्मरण कराने वाली 2. याद दिलाने वाली।

स्मारी (सं.) [वि.] 1. स्मरण कराने या याद दिलाने वाला 2. स्मरण रखने वाला।

स्मार्ट (इं.) [वि.] 1. आकर्षक; बना-ठना; (फ़ैशनेबल) 2. चुस्त; फुरतीला 3. बुद्धिमान; चतुर।

स्मार्टनैस (इं.) [सं-स्त्री.] 1. आकर्षण; मोहकता 2. चुस्ती; उत्साह 3. हाज़िरजवाबी; बुद्धिमानी; चतुराई।

स्मार्त (सं.) [वि.] 1. जो स्मरण शक्ति से संबंधित हो; स्मृत 2. याद किया हुआ 3. स्मृति ग्रंथों के अनुसार चलने वाला; स्मृति ग्रंथों का अनुगामी 4. स्मृति आदि ग्रंथों में लिखा हुआ। [सं-पु.] 1. वह जो स्मृतिशास्त्रों का ज्ञाता हो 2. स्मृतिग्रंथों के अनुसार चलने वाला धार्मिक वर्ग।

स्मित (सं.) [सं-पु.] मंद-मंद हँसी; धीमी हँसी; मुस्कुराहट; मुस्कान। [वि.] 1. मुस्कुराता हुआ; मंद-मंद हँसता हुआ 2. खिलता हुआ 3. खुलता या विकसित होता हुआ।

स्मिता (सं.) [सं-स्त्री.] मुस्कराहट; मंद हँसी।

स्मृत (सं.) [वि.] 1. याद किया हुआ; अविस्मृत 2. उल्लेख किया हुआ 3. स्मरण में आया हुआ; संजोया हुआ; संचित।

स्मृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुद्धि का वह प्रकार जो अतीत की घटनाओं को याद रखता है; स्मरणशक्ति; याददाश्त; अनुस्मरण; (मेमोरी) 2. धर्म, दर्शन, आचार-व्यवहार आदि से संबंध रखने वाले प्राचीन हिंदू धर्मशास्त्र जिनकी रचना ऋषि-मुनियों ने की थी; प्राचीन हिंदू विधि संहिता, जैसे- मनुस्मृति 3. एक प्रकार का छंद 4. स्मरण नामक अलंकार का दूसरा नाम 5. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का संचारी भाव।

स्मृतिकार (सं.) [सं-पु.] 1. किसी स्मृति ग्रंथ का रचयिता 2. स्मृति या धर्मशास्त्रों को रचने वाला आचार्य।

स्मृतिचित्र (सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति, घटना आदि की सामान्य स्मृति के आधार पर बनाया जाने वाला चित्र।

स्मृति चिह्न (सं.) [सं-पु.] 1. कोई ऐसी वस्तु जो किसी व्यक्ति, वस्तु आदि की स्मृति बनाए रखने के लिए दी या रखी गई हो; निशानी; यादगार; प्रतीक 2. स्मारक; धरोहर 3. किसी को दिया जाने वाला उपहार।

स्मृति नाश (सं.) [सं-पु.] 1. व्यक्ति की स्मरण शक्ति का न रहना; भूलना; स्मृतिलोप; विस्मृति 2. स्मृतिभ्रम; अज्ञान।

स्मृति पत्र (सं.) [सं-पु.] वह पत्र, पुस्तिका आदि जिसमें किसी विषय की कुछ मुख्य-मुख्य बातें स्मरण रखने या कराने के विचार से एकत्र की गई हों; ज्ञापन पत्र; स्मरण पत्र।

स्मृति शेष (सं.) [वि.] 1. जिसकी केवल स्मृति ही शेष रह गई हो; जिसका अस्तित्व न रह गया हो 2. दिवंगत; मरा हुआ; मृत 3. अवशेष 4. किसी प्राचीन वास्तु रचना या भवन का खंडहर; भग्नावशेष।

स्मृतिसाध्य (सं.) [वि.] जो स्मृति शास्त्रों से सिद्ध किया जा सके।

स्मॉल (इं.) [वि.] 1. छोटा; लघु 2. कम; थोड़ा 3. घटिया; तुच्छ।

स्मॉल कैप्स (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) मुद्रण में प्रयोग किया जाने वाला लघु दीर्घाक्षर।

स्मोकिंग (इं.) [सं-पु.] 1. सिगरेट, बीड़ी आदि का सेवन; धूम्रपान 2. धुआँ करना।

स्यंदन (सं.) [वि.] 1. बहने वाला; रिसने वाला 2. गलने वाला 3. तेज़ गति से जाने वाला, जैसे- रथ।

स्यमंतक (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक मणि जिसकी चोरी का आरोप कृष्ण पर लगा था।

स्यात (सं.) [क्रि.वि.] शायद; कदाचित।

स्याद्वाद (सं.) [सं-पु.] 1. जैनों का संशयवाद; अनेकांतवाद 2. उक्त वाद का प्रतिपादन करने वाला जैन धर्म।

स्यानपन [सं-पु.] 1. बुद्धिमानी; चतुरता 2. चालाकी; धूर्तता।

स्यापा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शोक; मातम 2. मृत्यु या दुर्घटना के कारण किसी स्थान पर व्याप्त दुख और अवसाद। [मु.] -पड़ना : रुदन क्रंदन होना; सुनसान या उजाड़ होना।

स्याम (सं.) [सं-पु.] प्राचीन समय में म्यांमार देश के पूर्व के एक देश का नाम; थाइलैंड।

स्यामी (सं.) [सं-पु.] स्याम या थाइलैंड देश का निवासी। [सं-स्त्री.] स्याम देश की भाषा। [वि.] स्याम देश से संबंधित; स्याम देश का।

स्यार (सं.) [सं-पु.] सियार; गीदड़।

स्याह (फ़ा.) [वि.] 1. काला; कृष्ण या श्याम (वर्ण) 2. अशुभ।

स्याह कलम (फ़ा.) [सं-पु.] मुगल चित्रशैली के एक प्रकार के बिना रंग भरे रेखाचित्र।

स्याही (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. छपाई और लेखन के काम आने वाली रोशनाई; (इंक) 2. कालिमा; कालिख; कालापन 3. कलंक; दाग 4. ऐब; दोष 5. काजल। [मु.] -लगना : बदनामी होना; कलंक लगना। -लगाना : बदनाम करना या कलंक लगाना; मुँह काला करना।

स्याही सोख [सं-पु.] स्याही सोखने के काम में लिया जाने वाला एक खुरदुरा मोटा कागज़; सोख़्ता; (ब्लॉटिंग पेपर)।

स्यूसाइड़ (इं.) [सं-पु.] आत्महत्या।

स्रग्धरा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में म, र, भ, न, य, य और य होता है।

स्रग्विणी (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में चार रगण होते हैं।

स्रवण (सं.) [सं-पु.] 1. बहाव; प्रवाह 2. गर्भ का समय से पहले गिरना; गर्भपात 3. प्रस्वेद; मूत्र 4. फल, लाभ आदि के रूप में किसी चीज़ का प्राप्त होना।

स्रष्टा (सं.) [वि.] सृष्टि या रचना करने वाला; रचयिता; निर्माता; (क्रिएटर)।

स्रस्त (सं.) [वि.] 1. अपने स्थान से गिरा हुआ; च्युत 2. ढीला; शिथिल 3. तोड़ा या फोड़ा हुआ 4. घायल; आहत 5. अलग किया हुआ; विच्छिन्न 6. हिलता हुआ 7. लटकता हुआ 8. धँसा हुआ।

स्राव (सं.) [सं-पु.] 1. बहकर या रिसकर निकलना 2. क्षरण 3. गर्भपात; गर्भस्राव 4. वृक्षों आदि का निर्यास; रस।

स्रावक (सं.) [वि.] 1. स्राव कराने वाला; बहाने वाला; निकालने वाला 2. टपकाने वाला; चुआने वाला। [सं-पु.] काली मिर्च।

स्रावण (सं.) [सं-पु.] बहाकर या चुआकर निकालना। [वि.] स्रावक; स्राव कराने वाला।

स्रुत (सं.) [वि.] 1. बहकर या रिसकर निकला हुआ 2. बहा हुआ 3. जो ख़ाली हो गया हो; क्षरित 4. जो आय, लाभ आदि के रूप में किसी को प्राप्त हो।

स्रुवा (सं.) [सं-स्त्री.] हवन के समय अग्नि में घी आदि की आहुति देने के लिए प्रयोग की जाने वाली लकड़ी की कलछी।

स्रोत (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु या तत्व का उद्गम या उत्पत्ति स्थान; वह स्थान जहाँ से कोई पदार्थ प्राप्त होता है; संचय स्थल; भंडार; खान, जैसे- खान कोयले का स्रोत है 2. निर्गम; व्युत्पत्ति 3. उद्भव; जन्म 4. आलय; आगार 5. धारा; सोता; झरना; पानी का बहाव 6. (आमदनी आदि का) माध्यम; ज़रिया; आधार; साधन 4. {ला-अ.} वंश परंपरा।

स्रोतस्वती (सं.) [सं-स्त्री.] नदी; प्रवाहिका; स्रोतस्विनी।

स्रोतस्विनी (सं.) [सं-स्त्री.] नदी; प्रवाहिका।

स्लग (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) जो समाचार सामग्री की पांडुलिपि के प्रत्येक पृष्ठ पर दाईं ओर ऊपर लिखा जाता है।

स्लम (इं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी बस्ती जहाँ किसी तरह की आधारभूत सुविधाएँ न हो; मलिन और गंदी बस्ती 2. झोंपड़पट्टी।

स्लाइड (इं.) [सं-स्त्री.] 1. फिसलाव; ढाल; गिराव; रपटन; (रैंप) 2. फिसलन वाली सतह 3. (चिकित्सा) प्रयोगशाला में सूक्ष्मदर्शी द्वारा रक्त आदि के परीक्षण में प्रयोग की जाने वाली काँच की पट्टी।

स्लाइस (इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी खाद्य पदार्थ आदि का टुकड़ा; डबल रोटी का एक टुकड़ा; फाँक 2. पतली काट 3. हिस्सा।

स्लिप (इं.) [सं-स्त्री.] 1. कागज़ का कटा हुआ टुकड़ा या परची (जिसपर कुछ लिखा गया हो); चिट; पट्टी 2. फिसलने की स्थिति; चिकनापन 3. भूल; चूक; गलती।

स्लिम (इं.) [वि.] दुबला-पतला; छरहरा।

स्लीपर (इं.) [सं-पु.] 1. रेलगाड़ी में यात्रियों के सोने के लिए आरक्षित डिब्बा; शयनयान 2. पैरों में पहनने वाली चप्पल; एड़ी की तरफ़ से खुला जूता या जूती 3. लकड़ी का चौकोर मोटा टुकड़ा, जैसे- रेल पटरी पर लकड़ी के स्लीपर।

स्लीव (इं.) [सं-पु.] 1. आस्तीन; बाँह 2. कमीज़ आदि में बाँह वाले हिस्से का कपड़ा।

स्लीवलैस (इं.) [वि.] (कमीज़ आदि) जिसमें बाँह या आस्तीन न हो; बिना बाँहोंवाला, जैसे- स्लीवलैस कुरता।

स्लेज (इं.) [सं-स्त्री.] 1. बरफ़ की सतह पर फिसलकर चलने वाली एक प्रकार की गाड़ी 2. भारी हथौड़ा।

स्लेट (इं.) [सं-स्त्री.] 1. एक भूगर्भीय शैल या चट्टान; पत्थर का तराशा हुआ चौड़ा टुकड़ा 2. स्कूल या पाठशाला में लिखने के काम आने वाली गहरे भूरे अथवा काले पत्थर की चौकोर पट्टी।

स्लेटी (इं.) [वि.] स्लेट जैसा; स्लेट का। [सं-पु.] स्लेट जैसा रंग।

स्लेव (इं.) [सं-पु.] दास; गुलाम; पराधीन।

स्लैंग (इं.) [सं-पु.] 1. अशिष्ट या गाली-गलौज वाली भाषा 2. गँवारू बोली 3. आपसी भाषा या बोली।

स्लो (इं.) [वि.] 1. रफ़्तार में धीमा; बहुत धीरे-धीरे चलने वाला 2. सुस्त; मंद 3. सही समय से पीछे (घड़ी) 4. ठंडा; ढीला; उबाऊ; धीमा 5. नीरस; मंदबुद्धि; आलसी।

स्व (सं.) [वि.] 1. अपना; निज का; व्यक्तिगत 2. सहजात; आत्मीय 3. स्वाभाविक। [सं-पु.] 1. आत्मा 2. आत्मीय जन; कुटुंब; रिश्तेदार। [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो कुछ शब्दों के आरंभ में लगता है, जैसे- स्वकीय, स्वरूप। [सर्व.] स्वयं; आप।

स्वकथन (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं के द्वारा बोला या लिखा गया वाक्य 2. आत्मकथ्य।

स्वकीय (सं.) [वि.] 1. अपना; निज का; स्वयं का 2. अपने परिवार का। [सं-पु.] मित्र; आत्मीय जन।

स्वकीया (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) वह विवाहिता स्त्री जो केवल अपने पति से प्रेम करती हो; 'परकीया' का विलोम।

स्वगत (सं.) [वि.] 1. स्वयं के लिए; व्यक्तिगत 2. अपने आप से 3. आत्मीय 4. अपने प्रति कथित।

स्वगत कथन (सं.) [सं-पु.] 1. मन में आई हुई बात को व्यक्त करना 2. नाटक या फ़िल्म में किसी पात्र का कोई बात इस तरह कहना, मानो उसकी बात सुनने वाला वहाँ कोई हो ही नहीं; अश्राव्य।

स्वचारी (सं.) [वि.] 1. अपनी मरज़ी से चलने वाला; अपनी इच्छा से काम करने वाला 2. {ला-अ.} मुक्त; आज़ाद।

स्वचालित (सं.) [वि.] स्वतः अथवा अपने आप चलने वाला; स्वचल; यंत्रचालित; (ऑटोमैटिक)।

स्वच्छ (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई अशुद्धि या गंदगी न हो; साफ़; निर्मल; धुला हुआ 2. अकलुष; विशोधित 3. शुभ्र; उज्ज्वल; चमकदार 4. शुद्ध; पवित्र 5. {ला-अ.} स्वस्थ; निरोग; सुंदर 6. {व्यं-अ.} निश्छल; स्पष्ट।

स्वच्छंद (सं.) [वि.] 1. अपनी इच्छानुसार आचरण करने वाला; स्वेच्छाचारी 2. मनमौजी; मनमाना 3. निरंकुश; अनियंत्रणीय 4. दुराचारी।

स्वच्छंदता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वच्छंद होने की अवस्था या भाव 2. स्वाधीनता; आज़ादी 2. निरंकुशता; मनमानी।

स्वच्छता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वच्छ होने की अवस्था या भाव; साफ़-सफ़ाई 2. शुद्धता; निर्मलता।

स्वज (सं.) [वि.] जो स्वयं से उत्पन्न हुआ हो; स्वयंभू।

स्वजन (सं.) [सं-पु.] 1. अपने परिवार के लोग; संबंधी; रिश्तेदार; परिजन; बंधु-बांधव 2. आत्मीय जन; अज़ीज़; अभिजन 2. कुटुंबी; कुल जन; बिरादरी के सगे-संबंधी।

स्वजनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वजन होने का भाव; आत्मीयता 2. आपसदारी; नातेदारी; रिश्तेदारी।

स्वजा (सं.) [सं-स्त्री.] पुत्री; बेटी।

स्वजात (सं.) [वि.] अपने से उत्पन्न; स्वयंभू। [सं-पु.] पुत्र।

स्वजातीय (सं.) [वि.] 1. अपनी जाति, कौम या वर्ग का 2. अपनी किस्म का; अपनी तरह का।

स्वजित (सं.) [वि.] आत्मनिग्रही; संयमित; स्वयं पर नियंत्रण करने वाला; जितेंद्रिय।

स्वजीवनी (सं.) [सं-स्त्री.] आत्मचरित; आत्मकथा।

स्वज्ञान (सं.) [सं-पु.] स्वयं के बारे में ज्ञान; आत्मज्ञान।

स्वतंत्र (सं.) [वि.] 1. जो किसी के अधीन न हो; स्वाधीन; आज़ाद 2. (राजनीति) जिसका तंत्र या शासन अपना हो।

स्वतंत्रता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वाधीनता; आज़ादी; मुक्ति; (लिबरटी; इंडिपेंडेंस; फ़्रीडम) 2. छूट; ढील 3. बिना किसी बंधन अथवा नियंत्रण के अपनी इच्छानुसार कार्य करने का अधिकार।

स्वतंत्रता प्रेमी (सं.) [वि.] 1. स्वतंत्रता या आज़ादी से प्रेम करने वाला; आज़ादख़याल 2. जो स्वतंत्रता के लिए आंदोलनरत हो; मुक्तिकामी 3. जो किसी के अधीन न रहता हो।

स्वतंत्र पत्रकार (सं.) [सं-पु.] बिना किसी के अधीन रहे स्वतंत्र रूप से अपनी रचनाएँ प्रकाशनार्थ भेजने वाला पत्रकार, लेखक या कलाकार; ऐसा पत्रकार जो वेतनभोगी न होकर किसी समाचार एजेंसी को लेख आदि भेजकर पारिश्रमिक प्राप्त करता है; (फ़्री लांस जर्नलिस्ट)।

स्वतः (सं.) [अव्य.] 1. अपने आप 2. स्वयं; आप ही; ख़ुद-ब-ख़ुद।

स्वतःस्फूर्त (सं.) [वि.] 1. स्वतः मन में उठने वाला 2. स्वरचित।

स्वत्व (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं की भावना; स्वयं के होने का भाव; निजत्व; अहमन्यता 2. स्वामित्व; अधिकार।

स्वत्वाधिकार (सं.) [सं-पु.] लेखक का अपनी रचना के प्रकाशन का कानूनी एकाधिकार; (कॉपी राइट)।

स्वत्वाधिकारी (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा व्यक्ति जिसे किसी बात का पूरा स्वत्व या अधिकार प्राप्त हो; प्रभुसत्ताधिकारी 2. स्वामी; मालिक।

स्वदेश (सं.) [सं-पु.] 1. अपना देश; मातृभूमि; जन्मभूमि; वतन; मुल्क 2. सरज़मीन; अपनी धरती।

स्वदेशी (सं.) [वि.] 1. अपने देश का; अपने देश से संबंध रखने वाला 2. अपने ही देश में निर्मित।

स्वदेशी आंदोलन (सं.) [सं-पु.] विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार तथा अपने देश में (विशेषकर कुटीर उद्योगों द्वारा) निर्मित सामान को अपनाने पर ज़ोर देने के लिए चलाया गया आंदोलन।

स्वदेशीय (सं.) [वि.] 1. अपने ही देश का; स्वदेश संबंधी 2. अपने ही देश में बना हुआ।

स्वधर्म (सं.) [सं-पु.] 1. अपना धर्म या संप्रदाय 2. अपना कर्तव्य; कर्म।

स्वधा (सं.) [सं-पु.] 1. (परंपरा) यज्ञ में आहुति देने के समय प्रयुक्त होने वाला शब्द 2. पितरों के उद्देश्य से आहुति देते समय उच्चारण करने का शब्द। [सं-स्त्री.] 1. पितरों के उद्देश्य से दिया जाने वाला भोजन; श्राद्ध; मृतक कर्म 2. (पुराण) दक्ष की एक पुत्री का नाम।

स्वन (सं.) [सं-पु.] शब्द; ध्वनि; आवाज़।

स्वनामधन्य (सं.) [वि.] 1. जो अपने नाम से ही धन्य या प्रसिद्ध हो; ख्यातिप्राप्त 2. बहुत बड़ा पराक्रमी; महापुरुष।

स्वनिग्रह (सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति द्वारा अपनी कामनाओं पर नियंत्रण या त्याग; आत्मसंयम।

स्वनियोजित (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं कारोबार करने वाला व्यक्ति 2. आत्मनिर्भर स्वावलंबी; (फ़्रीलांसर)।

स्वनिर्भर (सं.) [वि.] 1. स्वयं के साधनों से जीने वाला; आत्मनिर्भर 2. ख़ुद कमाने-खाने वाला; स्वावलंबी 2. जो आजीविका आदि के लिए किसी पर निर्भर न हो।

स्वनिर्भरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वनिर्भर होने की अवस्था या भाव; स्वतंत्र रूप से जीने, कार्य करने या आजीविका चलाने की स्थिति 2. आत्मनिर्भरता; स्वावलंबन।

स्वनिर्वासन (सं.) [सं-पु.] अपनी इच्छा से अपना देश छोड़कर विदेश जाकर रहना।

स्वनिर्वासित (सं.) [वि.] भय, संकट आदि के कारण जिसने अपनी इच्छा से अपना देश छोड़ दिया हो।

स्वपक्ष (सं.) [सं-पु.] अपना पक्ष; वाद।

स्वपक्षीय (सं.) [वि.] अपने दल या पक्ष का; अपनी पार्टी का।

स्वप्न (सं.) [सं-पु.] 1. नींद में अवचेतन मन की कल्पना; सपना; ख़्वाब; (ड्रीम) 2. किसी बड़े कार्य की योजना या विचार।

स्वप्नजगत (सं.) [सं-पु.] 1. स्वप्न में देखा गया संसार; व्यक्ति द्वारा कल्पित संसार 2. कल्पनालोक स्वप्नलोक।

स्वप्नदर्शन (सं.) [सं-पु.] 1. सपने देखना 2. (रीतिकाव्य) वह अवस्था जब किसी को सपने में देखकर कोई अनुरक्त हो जाता है।

स्वप्नदर्शी (सं.) [वि.] 1. स्वप्न देखने वाला; स्वप्नद्रष्टा 2. मन ही मन बड़ी-बड़ी कल्पनाएँ करने वाला; कल्पनाशील; भविष्यवादी; आशावादी 3. {ला-अ.} बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाने वाला; महत्वाकांक्षी।

स्वप्नदोष (सं.) [सं-पु.] स्वप्न देखते समय होने वाला वीर्य स्खलन; स्वतःपतन।

स्वप्नभंग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य या योजना में मिलने वाली असफलता 2. निरुत्साह।

स्वप्नलोक (सं.) [सं-पु.] 1. सपनों का संसार 2. कल्पनालोक।

स्वप्नसृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] स्वप्न की सृष्टि; सपने का निर्माण।

स्वप्निल (सं.) [वि.] 1. सपने की तरह का; स्वप्न-सा; सपनीला 2. सपनों से भरा; स्वप्नमय 3. सुप्त।

स्वभाव (सं.) [सं-पु.] 1. आदत; जीवन जीने या कार्य करने का ढंग; प्रवृत्ति; (हैबिट) 2. अपना भाव; अपनी अवस्था 3. किसी व्यक्ति या वस्तु में हमेशा लगभग एक-सा बना रहने वाला मूल गुण या लक्षण; सहज प्रकृति; अंतःप्रकृति 4. ख़ासियत; तबीयत; फ़ितरत 5. मिज़ाज; मानसिकता।

स्वभावजन्य (सं.) [वि.] स्वभाव के कारण अस्तित्व में आने वाला; स्वभाव के कारण उत्पन्न हुआ।

स्वभावतः (सं.) [क्रि.वि.] 1. स्वभाव से ही 2. प्राकृतिक रूप से।

स्वभावोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक अलंकार जिसमें किसी जाति, वर्ग या व्यक्ति के सहज और स्वभाविक कार्यों का वर्णन किया जाता है।

स्वभूमि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपनी धरती या देश; जन्मभूमि 2. अपना घर।

स्वयं (सं.) [क्रि.वि.] 1. ख़ुद; आप 2. अपने-आप। [वि.] अपने आप सब काम करने वाला, जैसे- स्वयं चालित।

स्वयंपाक (सं.) [सं-पु.] उदरपूर्ति के लिए अपना भोजन ख़ुद बनाना; अपने हाथ से भोजन बनाकर खाना।

स्वयंपाकी (सं.) [सं-पु.] अपना भोजन स्वयं बनाने वाला व्यक्ति।

स्वयंभू (सं.) [वि.] 1. जो अपने-आप उत्पन्न हुआ हो; स्वयं उत्पन्न 2. अपने-आप कुछ बन जाने वाला 3. अपने-आप उगने वाली (वनस्पति आदि)। [सं-पु.] ब्रह्मा; विष्णु; महेश; कामदेव।

स्वयंवर (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन भारत की एक प्रसिद्ध प्रथा जिसमें कन्या गुणों के आधार पर अपनी पसंद का वर स्वयं चुना करती थी 2. अपनी पसंद के पति के चुनाव के लिए आयोजित समारोह; पति चयन संबंधी उत्सव 3. प्रेमविवाह।

स्वयंवरा (सं.) [सं-स्त्री.] अपना वर आप चुनने वाली स्त्री; पतिवरा।

स्वयंसिद्ध (सं.) [वि.] जो किसी तर्क या प्रमाण के बिना स्वयं ही ठीक और प्रमाणित हो; सर्वमान्य।

स्वयंसिद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] वह सर्वमान्य सिद्धांत या तत्व जिसे प्रमाणित करने की कोई आवश्यकता न हो।

स्वयंसेवक (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो आंतरिक प्रेरणा या अपनी इच्छा से किसी काम में सम्मिलित होता है 2. वह जो बिना किसी वेतन के किसी कार्य में स्वेच्छा से योगदान दे; बिना वेतन लिए काम करने वाला व्यक्ति; (वालंटियर) 2. समाजसेवक 3. राजनीतिक कार्यकर्ता।

स्वयंसेवा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतःप्रेरणा या अपनी इच्छा से की जाने वाली अवैतनिक सेवा 2. अपना काम ख़ुद करना।

स्वयंसेवी (सं.) [सं-पु.] स्वयंसेवक; अपना काम स्वयं करने वाला व्यक्ति। [वि.] अपनी इच्छा से दूसरों की सेवा करने वाला व्यक्ति या संस्था।

स्वयमेव (सं.) [क्रि.वि.] अपने आप; ख़ुद ही।

स्वर (सं.) [सं-पु.] 1. आवाज़; लय; ध्वनि 2. (व्याकरण) वह वर्णात्मक ध्वनि जिसका उच्चारण स्वतंत्रतापूर्वक होता है; वर्ण; (वॉवेल) 3. संगीत के सुर।

स्वरकंप (सं.) [सं-पु.] 1. आवाज़ में होने वाला कंपन 2. गूँज।

स्वरक्षय (सं.) [सं-पु.] 1. कंठ से निकलने वाली आवाज़ का न रहना 2. स्वर का बंद या मंद होना; बोलने में बाधा होना 3. गला बैठना; स्वर भंग।

स्वरक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आत्मरक्षा; स्वयं का बचाव 2. उत्तरजीविता।

स्वरगुच्छ (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) उन दो स्वरों का समूह जिनका उच्चारण मिश्रित हो।

स्वरग्राम (सं.) [सं-पु.] 1. (संगीत) 'सा' से 'नि' तक के सात स्वरों का समूह और क्रम 2. स्वरसप्तक; सरगम; स्वरलिपि।

स्वरण (सं.) [सं-पु.] किसी बात या भावना की अभिव्यक्ति; वाचन।

स्वरति (सं.) [सं-स्त्री.] मनोविज्ञान में अपने प्रति होने वाली प्रेमयुक्त या प्रशंसायुक्त उत्कट भावना।

स्वरपात (सं.) [सं-पु.] 1. किसी शब्द का उच्चारण करते समय उसके किसी वर्ण पर कुछ समय ठहरना या उस पर ज़ोर देना 2. उचित वेग, रोक आदि का ध्यान रखते हुए किया जाने वाला शब्दों का उच्चारण।

स्वरप्रधान (सं.) [वि.] (राग) जिसमें स्वर की प्रधानता हो; जिसमें ताल गौण हो।

स्वरबद्ध (सं.) [वि.] 1. स्वरों में बँधा हुआ 2. ताल और लय में बाँधा हुआ (गान)।

स्वरब्रह्म (सं.) [सं-पु.] 1. वेद आदि ग्रंथ 2. ओम की ध्वनि; शब्दब्रह्म 3. योगध्वनि।

स्वरभंग (सं.) [सं-पु.] 1. भय, हर्ष, क्रोध, मद, बुढ़ापा या रोग आदि के चलते व्यक्ति विशेष के उच्चारण में आया अंतर 2. गले अथवा आवाज़ का बैठ जाना 3. गले से संबंधित एक प्रकार का रोग 4. गायन या वादन में सुर का अपनी जगह से उतर जाना।

स्वरमंडल (सं.) [सं-पु.] वीणा की तरह का एक बहुत पुराना वाद्ययंत्र।

स्वरयंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. गले के अंदर का वह अवयव या अंश जिसकी सहायता या प्रयत्न से स्वर या शब्द निकलते हैं; (लैरिंक्स) 2. कंठ में हवा की नली का ऊपरी सिरा।

स्वरलहरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊँचे-नीचे स्वरों की लहर या तरंग 2. स्वरों का क्रम 3. संगीत में वह झंकार या आलाप जो कुछ समय तक एक ही रूप में होता है।

स्वरलिपि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (संगीत) किसी गीत, राग, तान या लय आदि में आने वाले सभी स्वरों का क्रमबद्ध लेख 2. गीतक्रम; सरगम; (नोटेशन)।

स्वरशास्त्र (सं.) [सं-पु.] स्वर संबंधी अध्ययन और विवेचन करने वाला विज्ञान या शास्त्र।

स्वरसंधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (व्याकरण) वर्णों की संधि का एक प्रकार 2. दो स्वरों की संधि 3. स्वरों का मेल।

स्वरहीन (सं.) [वि.] जिसमें स्वर या आवाज़ न हो; बिना आवाज़ का; निःशब्द।

स्वरांत (सं.) [वि.] (शब्द) जिसका स्वर से अंत हो; जिसका अंतिम वर्ण स्वर हो, जैसे- माला, रोटी आदि।

स्वराघात (सं.) [सं-पु.] शब्द के उच्चारण के समय किसी व्यंजन या स्वर पर अधिक ज़ोर देना; (एक्सेंट)।

स्वराज (सं.) [सं-पु.] दे. स्वराज्य।

स्वराज्य (सं.) [सं-पु.] 1. अपना राज्य 2. स्वाधीन राज्य 3. ऐसा राज्य जहाँ के शासक वहीं के लोग हों।

स्वरिक (सं.) [वि.] जो कंठ से निकलने वाले स्वर से संबंधित हो।

स्वरित (सं.) [वि.] 1. जिसमें स्वर होता हो; स्वरयुक्त 2. जो अच्छे या मधुर स्वर से युक्त हो 3. जिसमें स्वर गूँज रहा हो 4. ध्वनित; उच्चरित 5. अभिव्यक्त; कथित।

स्वरूप (सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु का वाह्य आकार; रूप; आकृति 2. हुलिया; बनावट। [परप्रत्य.] तौर पर; अनुसार, जैसे- परिणामस्वरुप। [वि.] 1. समान; तुल्य 2. मनोहर; आकर्षक; सुंदर।

स्वरूपवान (सं.) [वि.] 1. जिसका स्वरूप अच्छा हो 2. जो सुंदर या ख़ूबसूरत हो।

स्वरोदय (सं.) [सं-पु.] उच्चारण; कंठ से स्वर का निकलना।

स्वर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) हिंदू धर्म के अनुसार सात लोकों में तीसरा लोक; देवताओं के रहने का स्थान; देवलोक 2. (मिथक) एक काल्पनिक लोक या स्थान जहाँ अच्छे लोग मृत्यु के बाद वास करते हैं।

स्वर्गकाम (सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ग की कामना या इच्छा करने वाला व्यक्ति 2. अत्यधिक सुख का आकांक्षी व्यक्ति।

स्वर्गगामी (सं.) [वि.] 1. जो मर चुका हो; मृत; स्वर्गीय 2. स्वर्ग जाने वाला।

स्वर्गजित (सं.) [वि.] 1. स्वर्ग को जीतने वाला 2. वीर।

स्वर्गतुल्य (सं.) [वि.] 1. स्वर्ग के समान; दिव्य; अलौकिक 2. जहाँ स्वर्ग की तरह समस्त सुखभोग के साधन हों।

स्वर्गलोक (सं.) [सं-पु.] देवलोक; स्वर्ग; (हैवन)।

स्वर्गवास (सं.) [सं-पु.] 1. मरण; मृत्यु; जीवन का अंत 2. स्वर्ग में वास करना।

स्वर्गवासी (सं.) [वि.] 1. जो मर गया हो, मृत; दिवंगत; स्वर्गीय 2. हिंदुओं में मृत व्यक्ति के नाम से पूर्व लगाया जाने वाला (शब्द)।

स्वर्गश्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वर्ग का वैभव या सौंदर्य 2. स्वर्ग की शोभा या संपदा।

स्वर्गसुख (सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ग की तरह का सुख; असीम आनंद 2. पृथ्वी पर रहते हुए ही स्वर्ग के सुख की प्राप्ति।

स्वर्गस्थ (सं.) [वि.] 1. जो स्वर्ग में स्थित हो 2. स्वर्ग में रहने वाला; स्वर्गवासी।

स्वर्गापगा (सं.) [सं-स्त्री.] आकाशगंगा; स्वर्गंगा; मंदाकिनी।

स्वर्गारोहण (सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ग की दिशा में आरोहण करना 2. स्वर्ग सिधारना; मरना।

स्वर्गिक (सं.) [वि.] 1. स्वर्ग की तरह का; स्वर्गीय 2. अलौकिक; भव्य; अत्यंत विलासितापूर्ण 3. (स्थान) जहाँ तमाम तरह की सुख-सुविधाएँ हों।

स्वर्गीय (सं.) [सं-पु.] हिंदुओं में मृत व्यक्ति के नाम के आगे लगाया जाने वाला शब्द जिससे यह पता चलता है कि अमुक व्यक्ति वर्तमान में जीवित नहीं है। [वि.] 1. जिसका निधन हो चुका हो; जो अब जीवित न हो; मृत 2. दिव्य; अलौकिक 3. स्वर्ग का; स्वर्ग संबंधी।

स्वर्ण (सं.) [सं-पु.] आभूषण तथा औषधि बनाने में काम आने वाली सोना नामक प्रसिद्ध धातु; कनक; ज़र।

स्वर्ण कलश (सं.) [सं-पु.] सोने का मटका या घड़ा।

स्वर्णकार (सं.) [सं-पु.] वह जो सोने-चाँदी के आभूषण आदि को बनाता या बेचता हो; सोने का व्यापारी; सुनार।

स्वर्णकीट (सं.) [सं-पु.] 1. एक चमकीला कीड़ा; सोन-किरवा 2. जुगनूँ।

स्वर्णगिरि (सं.) [सं-पु.] सुमेरु नामक पर्वत।

स्वर्ण जयंती (सं.) [सं-स्त्री.] किसी व्यक्ति या संस्था के कार्यकाल के पचास वर्ष पूरे हो जाने पर मनाया जाने वाला समारोह, उत्सव या जयंती; (गोल्डेन जुबली)।

स्वर्ण दिवस (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत ही अच्छा दिन 2. शुभ और महत्वपूर्ण दिन।

स्वर्ण पत्र (सं.) [सं-पु.] 1. सोने का पत्तर या तबक 2. सोने का वर्क।

स्वर्ण पदक (सं.) [सं-पु.] 1. सोने का पदक 2. किसी प्रतियोगिता में विजयी होने पर या किसी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर मिलने वाला सोने का पदक; (गोल्ड मेडल)।

स्वर्णमय (सं.) [वि.] 1. स्वर्ण से युक्त 2. सोने का बना हुआ 3. सुनहरा; स्वर्णिम।

स्वर्ण मुद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोने का सिक्का 2. अशरफ़ी।

स्वर्णयुग (सं.) [सं-पु.] 1. (साहित्य) किसी साहित्यिक विधा या परंपरा के पूर्ण विकास का कालखंड; उत्कर्ष काल, जैसे- भक्तिकाल हिंदी साहित्य का स्वर्णयुग है 2. सुख-समृद्धि का काल या समय।

स्वर्णरस (सं.) [सं-पु.] 1. (मिथक) किसी भी धातु को स्पर्श मात्र से सोना बना देने वाला एक रसायन 2. तांत्रिक साधना में ऐसा कल्पित रस-रसायन जिससे किसी धातु को छूने पर वह सोने में बदल जाती है।

स्वर्णाभ (सं.) [वि.] 1. सोने की-सी आभा या चमकवाला 2. जिसका रंग सोने की तरह सुनहला हो 3. जो सब तरह से सुरक्षित हो 4. जिसके नष्ट या व्यर्थ होने की कोई आशंका न हो।

स्वर्णिम (सं.) [वि.] 1. सोने का 2. सोने के रंग का; सुनहरा।

स्वल्प (सं.) [वि.] बहुत ही कम या अल्प; बहुत थोड़ा।

स्वल्पाहार (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत थोड़ा या कम भोजन करना 2. बहुत कम खाना।

स्वविवेक (सं.) [सं-पु.] उचित-अनुचित और युक्त-अयुक्त का विचार करने की शक्ति।

स्वशासन (सं.) [सं-पु.] 1. अपना शासन; अपना स्वाधीन राज्य 2. अपने अधिक्षेत्र में शासन, राजनीतिक प्रबंध आदि स्वयं करने का पूरा अधिकार; (सेल्फ़ गवर्नमेंट)।

स्वशिक्षित (सं.) [वि.] जिसने बिना किसी सहायता के किसी विद्या में निपुणता हासिल की हो; गुरुहीन।

स्वस्ति (सं.) [अव्य.] 1. कल्याण हो; मंगल हो (आशीर्वाद) 2. शुभ हो 3. मान्य है; उचित है। [सं-स्त्री.] कल्याण; मंगल; भला।

स्वस्तिक (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का प्राचीन मंगल चिह्न जिसे किसी शुभ अवसर पर अंकित या प्रदर्शित किया जाता है; सथिया 2. स्वस्ति पाठ करने वाला व्यक्ति 3. पूरब की ओर दो तथा पश्चिम की ओर एक दालान वाला मकान। [वि.] मंगलकारी; कल्याणकारी।

स्वस्तिवाचन (सं.) [सं-पु.] एक धार्मिक कर्म जिसमें कोई शुभ कार्य आरंभ करते समय मांगलिक मंत्रों का पाठ किया जाता है।

स्वस्थ (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई रोग न हो; तंदुरुस्त; निरोग; चंगा; सेहतमंद; (हेल्दी) 2. जो अपने बल पर खड़ा हो; ऊर्जावान 3. जिसमें कोई अशिष्टता या अभद्रता आदि न हो 4. जिसमें कोई विकार या त्रुटि न हो 5. उत्तम; प्राकृतिक 6. अच्छा; भला; आरोग्यपूर्ण 7. दुरुस्त; सलामत; हृष्ट-पुष्ट।

स्वस्थता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वस्थ होने की अवस्था या भाव; स्वास्थ्य; तंदुरुस्ती 2. आरोग्य; निरोगता।

स्वस्थप्रज्ञ (सं.) [वि.] 1. जिसकी बुद्धि सब प्रकार की बातें समझने में समर्थ हो; मानसिक दृष्टि से स्वस्थ 2. जिसकी बुद्धि हर प्रकार के कार्य करने में सक्षम हो।

स्वहस्ताक्षर (सं.) [सं-पु.] 1. अपना हस्ताक्षर या दस्तख़त 2. अपनी लिखावट; स्वहस्त लेख।

स्वाँग (सं.) [सं-पु.] 1. लोकनाट्य का अत्यंत लोकप्रिय रूप; नकल 2. गाँवों में प्रायः समूह नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाने वाला खेल-तमाशा 3. ढोल-मजीरों के साथ युग्म बनाकर नाचने-गाने और हँसी-ठिठोली करने वाले कलाकारों की प्रस्तुति 4. करतब 5. जैसा न हो वैसा होने का नाटक करना; अभिनय; बहुरुपियापन; छद्मवेश; रूपांतर।

स्वाँगना [क्रि-स.] बनावटी वेश धारण करना; नकल उतारना; स्वाँग बनाना।

स्वाँगी (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो स्वाँग रचकर जीविकोपार्जन करता है; लोककलाकार 2. नक्काल; नकल करने वाला व्यक्ति 3. बहुरुपिया। [वि.] अनेक प्रकार के रूप धारण करने वाला।

स्वांग (सं.) [सं-पु.] अपना ही अंग।

स्वांगीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी पौष्टिक तत्व को अपने शरीर में पूरी तरह से मिलाकर लीन कर लेना; आत्मसात कर लेना।

स्वांत (सं.) [सं-पु.] 1. अपना अंत या मृत्यु 2. मन; अंतःकरण 3. मन की शांति 4. अपना राज्य या प्रदेश।

स्वांतः सुखाय (सं.) [अव्य.] 1. जिससे स्वयं को आनंद प्राप्त होता हो 2. अपनी इच्छा से; स्वेच्छया।

स्वाक्षर (सं.) [सं-पु.] 1. अपने हाथ से लिखे हुए अक्षर; अपनी लिखावट; अपना हस्तलेख 2. दस्तख़त; हस्ताक्षर; (ऑटोग्राफ़)।

स्वागत (सं.) [सं-पु.] किसी गणमान्य अतिथि अथवा प्रियपात्र आदि के पधारने पर आगे बढ़कर किया जाने वाला उसका सादर अभिनंदन; अभ्यर्थना; इस्तिकबाल; ख़ुशामदीद; अगवानी; सत्कार; (वैल्कम; रिसेप्शन)।

स्वागत कक्ष (सं.) [सं-पु.] वह कमरा जिसमें मिलने के लिए आने वाले लोगों को बैठाने की और उनका आदर-सत्कार करने की व्यवस्था हो; (रिसेप्शन रूम)।

स्वागतकारी (सं.) [वि.] 1. स्वागत या अभिनंदन करने वाला; अगवानी, अभ्यर्थना करने वाला 2. पेशवाई करने वाला 3. अतिथि परायण; मेहमाननवाज़।

स्वागतद्वार (सं.) [सं-पु.] किसी अतिथि के आगमन के उपलक्ष्य में बनाया गया सजाया हुआ प्रवेश द्वार; तोरण।

स्वागतपतिका (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) वह नायिका जो अपने पति के परदेश से लौटने पर प्रसन्न हो; आगतपतिका।

स्वागत सत्कार (सं.) [सं-पु.] 1. अतिथि का किया जाने वाला स्वागत और सेवा 2. आवभगत; ख़ातिरदारी।

स्वागता (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) वर्णिक छंदों में समवृत्त का एक भेद।

स्वागताध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] स्वागत-सत्कार करने वाली समिति का अध्यक्ष; स्वागत अधिकारी।

स्वागती (सं.) [सं-पु.] 1. स्वागत करने वाला व्यक्ति; स्वागत अधिकारी; (रिसेप्शनिस्ट) 2. आतिथेय। [वि.] स्वागति संबंधी; स्वागत का।

स्वाग्रही (सं.) [वि.] 1. अपने आग्रह पर दृढ़ रहने वाला 2. जिसमें स्वाग्रह की धारणा प्रबल हो।

स्वातंत्र्य (सं.) [सं-पु.] स्वतंत्रता; स्वाधीनता; मुक्ति।

स्वातंत्र्योत्तर (सं.) [वि.] 1. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का 2. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद होने वाला।

स्वाति (सं.) [सं-स्त्री.] पंद्रहवाँ नक्षत्र। [वि.] जिसका जन्म स्वाति नक्षत्र में हुआ हो।

स्वाति बूँद (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वाति नक्षत्र में बरसने वाले जल की बूँद 2. {ला-अ.} ऐसी दुष्प्राप्य वस्तु जिसके मिलने पर बहुत आनंद या सुख हो।

स्वात्म (सं.) [वि.] अपना; ख़ुद का; निज का।

स्वाद (सं.) [सं-पु.] 1. भोजन आदि खाने-पीने पर जीभ को होने वाला रसानुभव; ज़ायका; लज्जत; रसानुभूति 2. {ला-अ.} किसी बात में होने वाली रुचि अथवा उससे मिलने वाला आनंद; लुत्फ़; मज़ा 3. {ला-अ.} किसी रचना के काव्यगत सौंदर्य से प्राप्त होने वाला आनंद। [मु.] -चखाना : किए का फल देना; सज़ा देना।

स्वादक (सं.) [सं-पु.] 1. स्वाद चखने वाला व्यक्ति; आस्वादक 2. भोजन चखने के लिए नियुक्त कर्मचारी।

स्वादन (सं.) [सं-पु.] 1. स्वाद लेने की क्रिया या भाव; आस्वादन 2. स्वाद लेना; चखना 3. किसी चीज़ का आनंद या रस लेना।

स्वादनीय (सं.) [वि.] जिसका स्वाद लिया जा सकता हो; ज़ायकेदार; स्वादिष्ट।

स्वादलोलुप (सं.) [वि.] 1. स्वादिष्ट भोजन के लिए ललचाने वाला; भोजनप्रेमी; स्वादप्रेमी; चटोरा 2. {ला-अ.} रसलोभी; रसिक; शौकीन।

स्वादहीन (सं.) [वि.] 1. जिसमें स्वाद न हो; फीका; बेस्वाद; बेज़ायका 2. जिसमें रस या आनंद न हो; अरुचिकर 3. सादा; बिना मसालों का 4. नीरस।

स्वादिमा (सं.) [सं-स्त्री.] स्वादिष्ट होने की अवस्था या गुण; माधुर्य।

स्वादिष्ट (सं.) [वि.] जिसका स्वाद या ज़ायका बहुत अच्छा हो; स्वादु; जो खाने में बहुत अच्छा हो।

स्वादी (सं.) [वि.] 1. स्वाद लेने वाला; मज़ा लेने वाला; जो आनंद लेता हो; रसिक 2. जो खाने में अच्छा हो; स्वादिष्ट।

स्वादु (सं.) [वि.] 1. स्वादिष्ट 2. रुचिकर 3. मधुर 4. सुंदर।

स्वादेंद्रिय (सं.) [सं-स्त्री.] जीभ; जिह्वा।

स्वाधिकार (सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या समाज की दृष्टि से उसका अपना अधिकार 2. स्वाधीनता; स्वतंत्रता; आज़ादी।

स्वाधिष्ठान (सं.) [सं-पु.] (हठयोग) शरीर के आठ चक्रों में से दूसरा जिसका स्थान शिश्न मूल (मूलाधार चक्र और मणिपूरक चक्र के मध्य) और रूप छह दलों वाले कमल के समान माना गया है, मान्यता है कि इस चक्र से यौवनशक्ति का विकास होता है।

स्वाधीन (सं.) [वि.] जो किसी के अधीन न हो; स्वतंत्र; आज़ाद।

स्वाधीनता (सं.) [सं-स्त्री.] स्वतंत्रता; आज़ादी।

स्वाधीनपतिका (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) पति को अपने वश में रखने वाली नायिका।

स्वाध्याय (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं अपने विवेक से किया गया अध्ययन या अनुशीलन 2. शास्त्रों का अध्ययन; वेदों आदि प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन।

स्वान (सं.) [सं-पु.] 1. आवाज़; शब्द 2. कोलाहल; घरघराहट; शोर।

स्वापक (सं.) [वि.] सुलाने या नींद लाने वाला; स्वापी।

स्वापी (सं.) [वि.] नींद लाने वाला; निद्राकारक; प्रशामक।

स्वाभाविक (सं.) [वि.] 1. जो स्वभाव से उत्पन्न हुआ हो; स्वभावजन्य; स्वभावसिद्ध; पैदाइशी 2. प्राकृतिक; कुदरती; नैसर्गिक; अकृत्रिम; (नैचुरल) 3. मनोवृत्तिगत; निजी; मानसिक 4. स्वभाव संबंधी 5. मौलिक (अधिकार)।

स्वाभिमान (सं.) [सं-पु.] स्वयं की प्रतिष्ठा या अभिमान; आत्मगौरव; निज गौरव; आत्मसम्मान।

स्वाभिमानी (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसे अपनी प्रतिष्ठा का गौरव या अभिमान हो; ख़ुद्दार; गैरतमंद। [वि.] अपनी इज़्ज़त का ख़याल रखने वाला; स्वाभिमानवाला।

स्वामिकता (सं.) [सं-स्त्री.] किसी वस्तु के मालिक या स्वामी होने की अवस्था या भाव; मिल्कियत।

स्वामिकार्तिक (सं.) [सं-पु.] (पुराण) शिव का पुत्र; स्कंद; कार्तिकेय।

स्वामित्व (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु पर किसी व्यक्ति अथवा किसी संस्था का कानूनी अधिकार; मालिकाना हक; प्रभुत्व; राजत्व; आधिपत्य 2. स्वत्वाधिकार।

स्वामित्वहीनत्व (सं.) [सं-पु.] 1. स्वामित्व से हीन होने की अवस्था या भाव 2. किसी वस्तु के लावारिस होने की अवस्था या भाव; लावारिसी।

स्वामिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घर की मालकिन; गृहिणी; मल्लिका 2. वह स्त्री जिसे किसी चीज़ पर पूरे अधिकार प्राप्त हों 3. वैरागिनी; संन्यासिनी।

स्वामिभक्त (सं.) [वि.] स्वामी या मालिक की भक्ति करने वाला; सच्चा सेवक; ताबेदार; भक्त।

स्वामिभक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वामी के प्रति भक्ति या निष्ठा की भावना; सेवकाई 2. वफ़ादारी; कर्तव्यपरायणता।

स्वामिस्व (सं.) [सं-पु.] वह धन जो किसी वस्तु के मालिक, पुस्तक के लेखक आदि को उसकी रचना, आविष्कार या स्वामित्व के लिए संपूर्ण लाभ के एक निश्चित अंश के रूप में मिलता हो या मिलने को हो; (रॉयल्टी)।

स्वामी (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु या पदार्थ का मालिक या अधिकारी; धारक; हकदार; (ओनर) 2. अधीपति अधीश; प्रभु 3. घर का प्रधान या मुखिया 4. ज्ञान के किसी अनुशासन में विद्वान 5. साधु, संन्यासी और धर्माचार्यों की उपाधि 6. {अ-अ.} पति; ख़ाबिंद 7. (पुराण) ईश्वर 8. सेनानायक। [वि.] जिसे स्वत्व या अधिकार प्राप्त हो।

स्वायंभुव (सं.) [सं-पु.] (पुराण) पहले मनु का नाम जो स्वयंभू या ब्रह्मा से उत्पन्न माने जाते हैं।

स्वायत्त (सं.) [वि.] 1. जिस (क्षेत्र) पर स्थानीय स्वशासन का अधिकार प्राप्त हो; जो अपने ही अधीन अथवा नियंत्रण में हो; जिसपर दूसरे का शासन अथवा नियंत्रण न हो 2. स्वाधीन।

स्वायत्तता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपनी सरकार बनाने का अधिकार 2. स्थानीय स्वशासन का अधिकार; (ऑटोनॉमी) 3. स्वाधीनता।

स्वारस्य (सं.) [सं-पु.] 1. सरसता; रसीलापन 2. किसी बात से मिलने वाला आनंद या सुख 3. स्वाभाविकता।

स्वार्थ (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं का हित; मतलब; गरज़; प्रयोजन; लाभ 2. वह सोच जो केवल अपने हित के लिए हो।

स्वार्थता (सं.) [सं-स्त्री.] अपने स्वार्थ का पोषण करने वाली आदत; स्वार्थपरता; ख़ुदगरज़ी।

स्वार्थत्याग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी अच्छे काम के लिए अपने लाभ या हित का त्याग कर देना 2. किसी के उपकार के लिए अपने हित या लाभ का विचार छोड़ना।

स्वार्थत्यागी (सं.) [वि.] 1. किसी अच्छे काम के लिए अपने स्वार्थ या हित को न्योछावर करने वाला 2. दूसरे के भले के लिए अपने लाभ का विचार न रखने वाला।

स्वार्थपर (सं.) [वि.] जो सिर्फ़ अपना स्वार्थ या मतलब देखता हो; स्वार्थी; ख़ुदगरज़; मतलबी।

स्वार्थपरक (सं.) [वि.] जिसे केवल अपने स्वार्थ या हित की चिंता हो; स्वार्थपरायण; स्वार्थपूर्ण; स्वार्थी; मतलबी।

स्वार्थपरायण (सं.) [वि.] 1. अपने स्वार्थों की सिद्धि में लगा रहने वाला; स्वार्थी 2. जो दूसरे के कामों या बातों की अपेक्षा अपने स्वार्थ को अधिक महत्व देता हो।

स्वार्थमना (सं.) [वि.] जो स्वार्थ पूरा करने में लीन हो; जिसका मन स्वार्थ में रत हो; स्वार्थी; स्वार्थपरायण।

स्वार्थमय (सं.) [वि.] 1. जो बहुत अधिक स्वार्थी हो 2. स्वार्थ से भरा; स्वार्थपूर्ण।

स्वार्थवादी (सं.) [वि.] 1. जो केवल अपने स्वार्थ या हित को पूरा करना चाहता हो; स्वार्थी; मतलबी; लालची 2. आत्मकेंद्रित; अवसरवादी; मौकापरस्त 3. स्वार्थसाधक; संकुचित हृदय।

स्वार्थ साधन (सं.) [सं-पु.] 1. स्वार्थ भाव से अपना काम निकालना 2. अपना प्रयोजन पूरा करना; स्वार्थसिद्धि; स्वार्थपूर्ति।

स्वार्थांध (सं.) [वि.] जो स्वार्थ सिद्धि में अंधा हो गया हो; जो दूसरों की लाभ-हानि की परवाह न कर केवल अपना मतलब देखता हो; घोर स्वार्थी।

स्वार्थी (सं.) [वि.] 1. केवल अपने स्वार्थ की सिद्धि को चाहने वाला 2. ख़ुदगर्ज़; स्वार्थपरायण।

स्वावलंबन (सं.) [सं-पु.] 1. आत्मनिर्भर होने की अवस्था, गुण या भाव; आत्मनिर्भरता; ख़ुदमुख़्तारी 2. अपने भरोसे रहने का भाव।

स्वावलंबी (सं.) [वि.] 1. आत्मनिर्भर; स्वाश्रित 2. जिसमें स्वावलंबन की भावना हो; स्वनियोजित।

स्वाश्रय (सं.) [सं-पु.] 1. अपने भरोसे या सहारे रहना; स्वावलंबन 2. वह जिसे केवल अपना ही सहारा हो।

स्वाश्रित (सं.) [वि.] 1. जिसे केवल अपना ही सहारा या भरोसा हो 2. अपने बल पर रहने वाला।

स्वास्थ्य (सं.) [सं-पु.] स्वस्थ अर्थात निरोग होने की अवस्था, गुण या भाव; आरोग्य; निरोगता; तंदुरुस्ती; सेहत।

स्वास्थ्यकर (सं.) [वि.] 1. तंदुरुस्ती बढ़ाने वाला; आरोग्यवर्धक 2. जो स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखे।

स्वास्थ्य निवास (सं.) [सं-पु.] वह निश्चित स्थान जहाँ लोग स्वास्थ्य सुधार के उद्देश्य से रहते हैं; आरोग्य निवास।

स्वास्थ्य लाभ (सं.) [सं-पु.] निरोग होने के प्रक्रिया; रोगमुक्ति; सेहतमंद होना।

स्वास्थ्यवर्धक (सं.) [वि.] 1. जो स्वास्थ्य में सुधार करता हो; स्वास्थ्यप्रद; रोगमुक्त रखने वाला 2. पुष्टिवर्धक; आरोग्यप्रद; बलवर्धक 3. हितकारी।

स्वास्थ्यविज्ञान (सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र या विज्ञान जिसमें शरीर को निरोग और स्वस्थ बनाए रखने के नियमों और सिद्धांतों का विवेचन हो; (हाइजीन)।

स्वाह (सं.) [सं-पु.] किसी पदार्थ के अग्नि से नष्ट हो जाने की क्रिया या अवस्था; दग्ध; राख।

स्वाहा (सं.) [अव्य.] एक शब्द जिसका उच्चारण यज्ञ या हवन में हवि छोड़ते समय किया जाता है [वि.] 1. जो जलाकर नष्ट कर दिया गया हो; भस्मीभूत 2. जिसका पूरी तरह अंत या नाश कर दिया गया हो; पूर्णतः विनष्ट।

स्वाहेस (सं.) [सं-पु.] (पुराण) स्वाहा के पति; अग्निदेवता।

स्विच (इं.) [सं-पु.] विद्युत उपकरण या इंजन को चलाने और बंद करने का बटन।

स्वीकार (सं.) [सं-पु.] 1. अपनाने की क्रिया या भाव; अंगीकार 2. ग्रहण 3. स्वीकृति; मंज़ूर करना; कबूल करना 4. प्रतिज्ञा या वचन देने का कार्य।

स्वीकारना (सं.) [क्रि-स.] 1. अंगीकार करना; मानना 2. अपनाना 3. ग्रहण करना; लेना।

स्वीकारात्मक (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई बात स्वीकृत की गई हो 2. जिसकी किसी बात को मानकर उसकी पुष्टि की गई हो 3. सकारात्मक।

स्वीकारोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] वह कथन या बयान जिसमें अपना अपराध, दोष या पाप स्वीकार किया जाए; अपराध स्वीकृति; इकबाले-जुर्म; आत्मस्वीकृति; (कनफ़ैशन)।

स्वीकार्य (सं.) [वि.] 1. स्वीकार करने योग्य 2. जो माना जा सके।

स्वीकार्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वीकार होने की अवस्था या भाव 2. ग्राह्यता।

स्वीकृत (सं.) [वि.] 1. जो स्वीकार कर लिया गया हो; अंगीकृत; चयनित 2. मान्यता प्राप्त; पसंद 3. मंज़ूर; सहमतिप्राप्त 4. अधिकृत; निर्धारित 5. प्रचलित; लोकप्रिय 6. जिसपर विवाद न हो।

स्वीकृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वीकार करने की अवस्था या भाव; अनुमति देने का उपक्रम; मंज़ूरी 2. प्रस्ताव, शर्त आदि मान लेने की क्रिया; सम्मति 3. समझौता; सौदा।

स्वीट डिश (इं.) [सं-स्त्री.] मिठाई; मिष्ठान।

स्वीटनर (इं.) [सं-पु.] खाद्य सामग्री में मीठा स्वाद लाने वाला पदार्थ या रसायन, जैसे- शक्कर, सैकेरीन आदि।

स्वीटहार्ट (इं.) [सं-पु.] प्रेमी या प्रेयसी; प्रेमपात्र; प्रियतम; प्यारा; सनम; यार।

स्वीडी (स्वी.) [सं-पु.] स्वीडन देश का निवासी। [सं-स्त्री.] स्वीडन देश की भाषा। [वि.] स्वीडन संबंधी; स्वीडन का।

स्वीमिंग (इं.) [सं-स्त्री.] तैरने की क्रिया या भाव; तैराकी।

स्वेच्छया (सं.) [क्रि.वि.] 1. अपनी इच्छा से; बिना किसी के दबाव से 2. इच्छार्थ; मनचाहे; आत्मसुखाय; ख़ुशी-ख़ुशी; मनमरज़ी से।

स्वेच्छा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपनी इच्छा; मनमरज़ी 2. आज़ादी; छूट; स्वैराचार।

स्वेच्छाचार (सं.) [सं-पु.] 1. अपनी इच्छानुसार व्यवहार करना; जो मन में आए वह करना; मनमाना या निरंकुश आचरण 2. अतिचार; अमर्यादा 3. उच्छृंखलता; स्वछंदता; असंयम।

स्वेच्छाचारिता (सं.) [सं-स्त्री.] स्वेच्छा से जीने या शासन करने की अवस्था या भाव; मनमरज़ी; तानाशाही; एकतंत्रवाद।

स्वेच्छाचारी (सं.) [वि.] 1. स्वयं की इच्छा के अनुरूप कार्य करने वाला; मनमानी करने वाला 2. नियम-कानून को न मानने वाला; अतिरेकी; उद्दाम 3. निरंकुश; तानाशाह 4. दुराचारी; लंपट।

स्वेच्छामृत्यु (सं.) [सं-स्त्री.] अपनी इच्छा से मरना। [सं-पु.] (महाभारत) भीष्म पितामह को यह वरदान प्राप्त था कि वे अपनी इच्छा से मृत्यु का वरण कर सकते हैं।

स्वेटर (इं.) [सं-पु.] ऊन से बुना हुआ वस्त्र; (कार्डिगन; पुलोवर)।

स्वेद (सं.) [सं-पु.] 1. पसीना 2. वाष्प; भाप 3. गरमी; ताप।

स्वेदक (सं.) [वि.] स्वेद या पसीना लाने वाला।

स्वेदकण (सं.) [सं-पु.] स्वेद या पसीने की बूँद; स्वेद कणिका।

स्वेदज (सं.) [सं-पु.] 1. पसीने से पैदा होने वाला जीव 2. खटमल; जूँ।

स्वेदन (सं.) [सं-पु.] 1. पसीना निकलना 2. वाष्प पैदा करना; आसवन।

स्वेदित (सं.) [वि.] 1. जिसका पसीना निकल चुका हो; जो पसीने से तरबतर हो; बफ़ारा दिया हुआ 2. जिससे वाष्प निकाली गई हो।

स्वेदी (सं.) [वि.] जिससे पसीना आता हो; प्रस्वेदक; स्वेदयुक्त।

स्वैच्छिक (सं.) [वि.] 1. जो अपनी इच्छा के अनुसार हो; इच्छित; (वॉलेंटरी) 2. किसी की निजी इच्छा से संबंध रखने वाला 3. वैकल्पिक।

स्वैर (सं.) [वि.] 1. अपनी इच्छानुसार चलने वाला; स्वेच्छाचारी; यथेच्छाचारी 2. स्वतंत्र; आज़ाद 3. मनमाना।

स्वैराचार (सं.) [सं-पु.] 1. मनमाना आचरण या व्यवहार; स्वेच्छा; अतिचार; उच्छृंखलता 2. कुशासन 3. एकतंत्र।

स्वैराचारी (सं.) [वि.] 1. मनमाना काम करने वाला; अपनी मर्ज़ी के अनुसार चलने वाला; स्वैछाचारी 2. निरंकुश 3. व्यभिचारी; लंपट; बदमाश।

स्वैरिणी (सं.) [सं-स्त्री.] अपनी इच्छा के अनुसार चलने वाली स्त्री; स्वछंद स्वभाव की स्त्री।

स्वैरिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वैर होने की अवस्था या गुण 2. मनमानी; स्वछंदता।

स्वोपार्जित (सं.) [वि.] स्वयं उपार्जित किया हुआ; अपना कमाया हुआ; स्वयं अर्जित।

शत्रु शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या होगा?

उत्तर :- शत्रु का पर्यायवाची शब्द – बैरी, दुश्मन, विपक्षी, विरोधी, प्रतिवादी, अमित्र, रिपु।

मीठा का पर्यायवाची शब्द क्या है?

मीठा = मिठाई , रसीला , प्रियस्वादु , मधुर , मिष्ट , मिष्ठान्न , , मीठा , , , , , , , , , , , , .

सुंदर का पर्यायवाची शब्द क्या है?

सुन्‍दर का पर्यायवाची - कलित, ललाम, मंजुल, रुचिर, चारु, रम्य, मनोहर, सुहावना, चित्ताकर्षक, रमणीक, कमनीय, उत्कृष्ट, उत्तम, सुरम्य।

चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द क्या है?

पर्या॰—हिमाशु । इंदु । कुमुदबांधव । विधु ।