These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) प्रश्न 1. You can also download 10th NCERT Maths Solution to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 1. अटकन-बटकन दही चटाके। 2.
अर्रक-बकि दूध की धार । प्रश्न 4. वे धूल से मेंड़, दीवार, तिनकों का छप्पर, दीये की कड़ाही, पानी से घी, धूल का आटा, बालू की चीनी बनाकर भोज्य पदार्थ तैयार करते थे। इसके अलावा बारात का जुलूस निकालना, चिड़ियों को उड़ाना उनका प्रिय खेल था। आज हमारे खेल तथा खेल-सामग्री में बदलाव आ गया है। हमारे खेल के सामान मशीन-निर्मित हैं। भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने के सामान ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंधित हैं, हमारे खेलों में क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल, लूडो, शतरंज, वीडियो गेम, कंप्यूटर पर गेम आदि शहरी पृष्ठभूमि वाले खेल शामिल हैं। प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11. प्रश्न 12. Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. भोलानाथ की मांँ एक थाली में भोलानाथ को क्या खिलाती थी?और माँ थाली में दही-भात सानकर तोता, मैना, कबूतर, हंस, मोर आदि के बनावटी नाम से कौर बनाकर यह कहते हुए खिलाती जाती कि जल्दी खा लो, नहीं तो उड़ जाएँगे। इस प्रकार माँ के खेल-खेल में खिलाने पर भोलानाथ हँसते-हँसते खाना खा लेता था।
पाठ माता का अंचल के अनुसार पिताजी बच्चे को प्यार से क्या कहकर पुकारते थे?भभूत रमाने से हम खासे 'बम - भोला' बन जाते थे। पिता जी हमें बड़े प्यार से 'भोलानाथ' कहकर पुकारा करते ।
बालक भोलानाथ सिसकना कब भूल जाता था?भोलानाथ को भी जब साथी बालकों की टोली दिखाई देती है तो उनका खेलना-कूदना देखकर, वह गुरु जी की डाँट-फटकार तथा अपना सिसकना भूल जाता है और उनके साथ खेलने में मग्न हो जाता है। बच्चों के साथ उसे लगता है कि अब डर, भय और किसी तरह की चिंता की आवश्यकता नहीं रही। यही कारण है कि भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है।
माता का अँचल पाठ का यह शीर्षक क्यों दिया गया?भोलानाथ का अपने पिता से अपार स्नेह था पर जब उस पर विपदा आई तो उसे जो शांति व प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में जाकर मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती। माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। लेखक ने इसलिए पिता पुत्र के प्रेम को दर्शाते हुए भी इस कहानी का नाम माँ का आँचल रखा है।
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