टोपी को किन किन लोगों से अपनापन मिला क्या आज के समय में ऐसा संभव है विस्तार से समझाइए? - topee ko kin kin logon se apanaapan mila kya aaj ke samay mein aisa sambhav hai vistaar se samajhaie?

टोपी शुक्ला पाठ के आधार पर बताइए कि टोपी को किन-किन से अपनापन मिला? क्या आज के समय में भी ऐसा अपनेपन की प्राप्ति संभव है?

‘टोपी शुक्ला’ पाठ से पता चलता है कि टोपी को अपने मित्र इफ्फ़न, उसकी दादी और घर की नौकरानी सीता से अपनापन मिलता है। टोपी और इफ्फ़न सहपाठी हैं जो सम-वयस्क हैं और इतने निकट आ जाते हैं कि उन्हें अपनापन मिलने लगता है। इसी प्रकार इफ्फ़न की दादी और सीता ही इफ़्फ़न के दुख को समझती हैं और अपनत्वपूर्ण व्यवहार करती हैं। हाँ, आज के समय में भी ऐसा अपनेपन की प्राप्ति संभव है क्योंकि अपनेपन’ की राह में जाति, धर्म और उम्र आड़े नहीं आ सकते हैं। यह दो लोगों के सोच-विचार और व्यवहार पर निर्भर करता है।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 B)

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पाठ के आधार पर बताइए कि टोपी को किन किन से अपनापन मिला क्या आज के समय में भी ऐसे अपनेपन की प्राप्ति संभव है?

क्या आज के समय में भी ऐसा अपनेपन की प्राप्ति संभव है? 'टोपी शुक्ला' पाठ से पता चलता है कि टोपी को अपने मित्र इफ्फ़न, उसकी दादी और घर की नौकरानी सीता से अपनापन मिलता है। टोपी और इफ्फ़न सहपाठी हैं जो सम-वयस्क हैं और इतने निकट आ जाते हैं कि उन्हें अपनापन मिलने लगता है।

टोपी को घर में किसी से अपनापन क्यों नहीं मिला?

इफ्फ़न की दादी के देहांत के बाद उसका अपना घर खाली-सा लगा, क्योंकि उस घर में दादी के अलावा अन्य किसी से उसे अपनापन नहीं मिला। दादी ने ही उसका दुख-दर्द समझा। जिस तरह टोपी को अपने घर में भी अपनापन नहीं मिला उसी तरह इफ्फ़न की दादी भी अपनी बोली-भाषा के कारण परिवार में अलग-सी होकर रह रही थी।

टोपी शुक्ला पाठ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश देना चाहा है अपने शब्दों में लिखिए?

टोपी शुक्ला पाठ समाज को सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देता है। इस पाठ मैं टोपी और इफ़्फ़न अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते हैं लेकिन फिर भी दोनों के बीच एक अटूट संबंध है। हिंदुस्तान में हिंदू और मुसलमानों के बीच प्रेम और भाईचारे से भरे एक वातावरण की चाह रखने वालों के लिए है एक प्रेरणा पद है।

टोपी शुक्ला कहानी हमें क्या संदेश देती है?

Solution : टोपी शुक्ला कहानी हमें हमारी परम्परा सभ्यता के अनुसार भारत की विविधता में एकता को और जोड़ने का संदेश देती है। जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक साथ रहने का संदेश देती है। इन्सान में इन्सानियत होनी चाहिए धर्म जाति भगवान ने नहीं बनाई यह हमने बनाई है। हमें परस्पर सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखना चाहिए।