दिमागी गुलामी से लेखक का क्या अभिप्राय है? - dimaagee gulaamee se lekhak ka kya abhipraay hai?

नैतिक मूल्य और भाषा

प्रश्न 1. दिमागी गुलामी' निबंध का सार अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- लेखक के अनसार 'दिमागी गलामी' से तात्पर्य मानसिक दासता से है। ये मानसिक दासता प्रान्तवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद व राष्ट्रवाद के नाम पर मनुष्य के मन-मस्तिष्क को जकड़ लिया है। मनुष्य की सोच इन्हीं बातों पर टिकी है जिससे संकीर्णता की भावना ने अपना प्रभाव जमा लिया है।

लेखक कहते हैं आज जिस जाति की सभ्यता जितनी पुरानी होती है उनके मानसिक बंधन भी उतने ही अधिक जटिल होते हैं। हमारी सभ्यता जितनी पुरानी है उतनी ही अधिक रुकावटें भी हैं। हमारी आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक समस्याएं इतनी अधिक और जटिल हैं कि हम उनका कोई इल सोच ही नहीं सकते जब तक हम अपनी विचारधाराओं को बदलकर सोचने का प्रयत्न नहीं करते हैं। अपने प्राचीन काल के गर्व के कारण हम अपने भूत में इतने कड़ाई से बंधे हैं कि उनसे हमें ऊर्जा मिलती है। हम अपने पूर्वजों की धार्मिक बातों को आंख मूंदकर मान लेते हैं। आज समाज में धर्म-प्रचार पूर्ण रूप से नफे का रोजगार है अधिकांश लोग आज इसे अपने व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं। इसके साथ-साथ एक नया मत भी लगभग 50-60 वर्षों से चल रहा है । दुनिया भर में कई लोग भूत-प्रेत, जादू-मंत्र सबको विज्ञान से सिद्ध करने में लगे हैं।

हिन्दुस्तान का इतिहास देश और काल के हिसाब से बहुत प्राचीन है उसी तरह इसमें पाई जाने वाली मान्यताएं, अंधविश्वास भी बहुत अधिक हैं। हमारे देश में विभिन्न महान ऋषि-मुनि हुए जिन पर हमें हमेशा अभिमान रहा है। कुछ गिने-चुने राजनेता जॉति-पॉति के मुद्दों को उठाते हैं नहीं तो प्राय: इन ऋषियों की कद्र कर गुणगान करते हैं। इसलिये राष्ट्रीयता के पथ पर चलने वालों को भी समझना चाहिये कि उन्हें देश के उत्पादन के लिये इन दीवारों को गिराना होगा। अपनी जाँति-पाँति के साथ घनिष्ठता रखकर कोई भी व्यक्ति दूसरी जाति वालों के लिये विश्वास पात्र नहीं बन सकता है इसलिये हमें अपनी मानसिक बेड़ियों की जकड़न को तोड़कर बाहर निकलना होगा। आज हमें बाहरी क्रांति से ज्यादा भीतरी क्रांति मानसिक क्रांति की आवश्यकता है।


naitik mulya aur bhasha notes नैतिक मूल्य और भाषा नोट्स

विषयसूची

  • 1 दिमागी गुलामी से क्या तात्पर्य है?
  • 2 गुलामी से क्या अभिप्राय है?
  • 3 दिमागी गुलामी में लेखक ने कौन सा विचार उठाया है?
  • 4 दिमागी गुलामी में लेखक ने किन मिथ्या विश्वास की चर्चा की है और क्यों उल्लेख कीजिए?
  • 5 मानसिक दासता की बेड़ियां तोड़ने से लेखक का क्या आशय है?

दिमागी गुलामी से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: लेखक के अनसार ‘दिमागी गलामी’ से तात्पर्य मानसिक दासता से है। ये मानसिक दासता प्रान्तवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद व राष्ट्रवाद के नाम पर मनुष्य के मन-मस्तिष्क को जकड़ लिया है। मनुष्य की सोच इन्हीं बातों पर टिकी है जिससे संकीर्णता की भावना ने अपना प्रभाव जमा लिया है।

दिमागी गुलामी से मुक्त होने के कौन कौन से उपाय हैं?

इसे सुनेंरोकेंइसलिये राष्ट्रीयता के पथ पर चलने वालों को भी समझना चाहिये कि उन्हें देश के उत्पादन के लिये इन दीवारों को गिराना होगा। अपनी जाँति-पाँति के साथ घनिष्ठता रखकर कोई भी व्यक्ति दूसरी जाति वालों के लिये विश्वास पात्र नहीं बन सकता है इसलिये हमें अपनी मानसिक बेड़ियों की जकड़न को तोड़कर बाहर निकलना होगा।

गुलामी से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दीशब्दकोश में गुलामी की परिभाषा दासत्व । २. सेवा । नौकरी ।

मानसिक दासता की बेड़ियों तोड़ने से लेखक का क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकें➲ मानसिक दासता की बेड़ियों तोड़ने से लेखक का आशय यह है कि मनुष्य राष्ट्रवाद, प्रांतवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, अंधविश्वास आदि संकीर्ण विचारों की बेड़ियों से अपने मन-मस्तिष्क को जकड़े हुए है, उस बेड़ियों (जंजीरों) को वह तोड़ दे और इन संकीर्ण विचारों से बाहर निकल आए।

दिमागी गुलामी में लेखक ने कौन सा विचार उठाया है?

इसे सुनेंरोकेंदिमागी गुलाम पुस्तक की रचना प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने की है। इस पुस्तक के माध्यम से राहुल सांकृत्यायन ने भारत की शोषित उत्पीड़ित जनता को हर प्रकार की गुलामी से आजाद कराने के लिए अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।

2 दिमागी गुलामी में लेखक ने कौन से विचार उठाए हैं?

दिमागी गुलामी में लेखक ने किन मिथ्या विश्वास की चर्चा की है और क्यों उल्लेख कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंजवाब: दिमागी गुलामी में लेखक ने गुलामी से सताये लोगों को ये जताने की कोशिश की अभी तक हम पुरे तरीके से आजाद नहीं हुए है। यानी कि दिमागी गुलामी के लेखक और प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन का कहना था की हमारी सभ्यता काफी पुरानी है और इसीलिए हमारी मानसिक दासता भी काफी पुरानी है।

दिमागी गुलामी में लेखक ने कौन से विचार उठाया है?

मानसिक दासता की बेड़ियां तोड़ने से लेखक का क्या आशय है?

Monday, December 06, 2021

सवाल: दिमागी गुलामी में लेखक ने कौन से विचार उठाए हैं?

लेखक के अनुसार दिमागी गुलामी का मतलब है, मानसिक दासता है। व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वतंत्र तो हैं, परंतु वह अनौपचारिक रूप से किसी का गुलाम अवश्य है। यह मानसिकता हमें प्रांत बाद क्षेत्रवाद, जातिवाद व राष्ट्रवाद के नाम पर मनुष्य के मन में और मस्तिष्क में जकड़ रखे हैं। अगर हम अपने मन से इस प्रश्न का उत्तर दे तो आज लगभग हर मनुष्य गुलामी दासता से गुजर रहा है, जहां पर यूरोपीय देश में राज किया था, वहां पर आज भी शिक्षा में गुलामी दासता को बताया जाता है, जिसमें के व्यक्ति नौकरी के पीछे रहता है, वह किसी भी तरह से खुद सोचना नहीं चाहता, वह केवल अपनी गलतियों को दूसरों पर थोपने का कार्य करता है। जिस कारण ही मनुष्य जिस परिस्थिति में है, उसको ना माने कर दूसरी परिस्थिति चाहता है, परंतु उसके प्रति वह बदलाव करने का इच्छुक नहीं होता है।

दिमागी गुलामी से लेखक का क्या अर्थ है?

उत्तर- लेखक के अनसार 'दिमागी गलामी' से तात्पर्य मानसिक दासता से है। ये मानसिक दासता प्रान्तवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद व राष्ट्रवाद के नाम पर मनुष्य के मन-मस्तिष्क को जकड़ लिया है। मनुष्य की सोच इन्हीं बातों पर टिकी है जिससे संकीर्णता की भावना ने अपना प्रभाव जमा लिया है।

दिमागी गुलामी का प्रतीक क्या है?

विचारों की स्थिरता और जड़ता मनुष्य को मृत्यु और पतनी ओर ले जाती है। यह दिमागी गुलामी का प्रतीक है। विचारों का निरंतर प्रवाह बने रहना चाहिए कहते हैं क्योंकि दिमागी गुलामी यानी मानसिक दासता मानव के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं। दिमागी गुलामी से तात्पर्य अनुपयोगी विचार, सोच और धारणाओं से है।

दिमागी गुलामी निबंध के निबंधकार कौन है?

राहुल सांकृत्यायन सच्चे अर्थों में जनता के लेखक थे।

दिमागी गुलामी से क्या अभी प्रिय है?

Answer: लेखक के अनसार 'दिमागी गलामी' से तात्पर्य मानसिक दासता से है।