Updated: | Mon, 26 Sep 2022 07:37 AM (IST) Show Navratri 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होने जा रही है। नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस बार नवरात्रि का समाप्ति 5 अक्टूबर को होगी। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। कई बार नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना करते समय कौन सी सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए और किस सामग्री का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस बात को लेकर काफी उलझन रहती है। वहीं कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें मां दुर्गा को अर्पित करने से वे अशुभ फल भी दे सकती हैं। मां दुर्गा को कनेर, धतूरा और मदार जैसे पुष्प चढ़ाना वर्जित माना जाता है। आइए आपको बताते हैं कि देवी मां को कौन-कौन सी चीजें अर्पित करना चाहिए। जल - नवरात्रि की पूजा सामग्री में जल का प्रमुख स्थान माना जाता है। उपासना स्थल की लिपाई-पुताई से लेकर देव प्रतिमाओं के स्नान, चंदन, धूप, दीप, हवन और नैवेद्यार्पण तक में जल का प्रयोग किया जाता है। नवरात्रि उपासना में गंगाजल सर्वोत्तम होता है। जिन्हें गंगाजल उपलब्ध न हो वे विश्वास के साथ कुएं का या किसी अन्य नदी, तीर्थ सरोवर का जल ला सकते हैं। जहां से भी जल लिया जाए उसे शुद्ध स्वच्छ और निर्मल बर्तन में रखें। जल पात्र को ढंका रखना चाहिए। पूजा के समय आवश्यकता के अनुसार पात्र में जल लिया जा सकता है। कलश - नवरात्रि में उपासना के लिए स्वर्ण, चांदी या तांबा निर्मित कलश का प्रयोग किया जाता है। चंदन शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि उपासना में लालचंद प्रमुख है। अक्षत - नवरात्रि पूजन सामग्री में अक्षत प्रमुख सामग्री में से एक माना जाता है। नवरात्र पूजन में अक्षत के प्रयोग में यह सावधानी बरतनी चाहिए कि चावल के दाने टूटे, कटे न हों। प्रयोग से पहले चावल को धो लेने चाहिए। पुष्प - नवरात्र पूजन में लाल रंग के पुष्प का उपयोग किया जाता है। दुर्गा पूजा में कमल, गुड़हल, गुलाब, गेंदा के फूल चढ़ाए जाते हैं। ध्यान रखें कि नवरात्र अनुष्ठान में शास्त्रों के अनुसार कनेर, धतूरा और मदार के पुष्प वर्जित होते हैं। धूप - पूजा के समय धूपदानी में अंगारे रखकर उन पर कुछ विशिष्ट वस्तपओं का मिश्रण छिड़का जाता है। इस क्रिया को धूप देना कहते हैं। अंगारों पर मिश्रण छिड़कने से सुगंधित धुंआ उठता है। दीप - नवरात्र उपासना में गाय के घी का दीपक जलाना सबसे उत्तम माना जाता है। लेकिन ऐसा संभव न हो तो गिरी या तिल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा भी संभव न हो तो माता दुर्गा से क्षमा मांग कर सरसों का तेल भी इस्तेमाल किया जा सकता है। साधना के दौरान इन बात का ध्यान रखना चाहिए कि दीपक बुझना नहीं चाहिए। नैवेद्य - नवरात्र में देवी दुर्गा को भोग लगाना महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्र में देवी को नैवेद्य का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा फल का भी भोग लगाया जा सकता है। विशेष सामग्रीविभिन्न प्रकार के फल, नारियल, केला, अनार, नारंगी, कटहल, बिल्व आदि भेंट करके भक्ति भाव के साथ अन्न दान करें। नवरात्र पूजन के लिए विशेष सामग्री पान, सुपारी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, रोली, गुड़, नधु, दूध, दही, घी, कपूर, दूर्वा, पुष्प, बिल्व पत्र, कपास, पंचमेवा, ऋतुफल, कच्चा सूत, कुश, कलश, ढकना, दिया, एक रंग, द्रव्य, आचार्य के लिए धोती, गमछा, चादर, पंचपात्र, सौभाग्य द्रव्य, साड़ी, हवन आदि। डिसक्लेमर 'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।' Posted By: Ekta Shrma
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नवरात्र को हिंदू धर्म में बेहद खास माना गया है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का शुभारंभ 26 सितंबर से होने जा रहा है। नवरात्र के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को शक्ति का रूप माना जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां दुर्गा के अलग -अलग स्वरूपों को अलग -अलग भोग चढ़ाए जाते हैं। आइए जानते हैं किस दिन मां दुर्गा को क्या भोग चढ़ाए नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन मां को गाय का घी भोग लगाना चाहिए। इससे सभी प्रकार के रोगों से छुटकारा मिल जाता है। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी की उपासना की जाती है। देवी को शक्कर , मिश्री और फल भोग कर रूप में चढ़ाना चाहिए। तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन मां को दूध और मेवे से बनी खीर और मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इससे धन की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की आराधना की जाती है, इस दिन मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। नवरात्र के पांचवें दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। देवी को भोज के रूप में शहद चढ़ाना चाहिए। नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि ,सभी प्रकार के काल का नाश करने अपने विकराल रूप में आती है। ऐसे में मां को गुड़ का भोग लगा कर खुश करने का प्रयास करना चाहिए। नवरात्र के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा होती है। इस दिन मां को नारियल का भोग लगाना चाहिए। इससे मन की सभी इच्छाएं पूरी होती है। नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। मां को चना और हलवे का भोग लगाना चाहिए। इस दिन देवी को अनार और तिल का भी भोग लगाया जा सकता है। न्यूज़ सोर्स: livehindustan दुर्गा मां को क्या क्या चढ़ाया जाता है?इस दिन मां के इस स्वरूप को शक्कर,सफेद मिठाई,मिश्री और फल का भोग लगाया जाता है। माना जाता है ऐसा करने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है। नवरात्रि के तृतीय दिन मां चंद्रघंटा की अर्चना की जाती है। मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए इस दिन मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
दुर्गा जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?दुर्गा पूजा में कमल, गुड़हल, गुलाब, गेंदा के फूल चढ़ाए जाते हैं. ध्यान रखें कि नवरात्र अनुष्ठान में शास्त्रों के अनुसार कनेर, धतूरा और मदार के पुष्प वर्जित होते हैं.
दुर्गा जी को कौन सा फल पसंद है?अनार देवी का पसंदीदा फल माना जाता है. -नवरात्रि के दूसरे दिन आप ब्रह्मचारिणी माता की पूजा-अर्चना करने के साथ ही उन्हें चीनी-मिश्री का भोग लगा सकते हैं. माता को पान-सुपारी भी अर्पित कर सकते हैं.
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