देशों के वर्गीकरण में विश्व बैंक और UNDP के बीच क्या अंतर है? - deshon ke vargeekaran mein vishv baink aur undp ke beech kya antar hai?

अध्याय 1.

प्रश्न 1. सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है?

प्रश्न 2. निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से

प्रश्न 3. मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रति व्यक्ति आय ₹5,000 है।

प्रश्न 4. विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदंड का प्रयोग करता

उत्तर― विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किसी देश की आय को प्रमुख मापदंड

मानता है। जिन देशों की आय अधिक है, उन्हें अधिक विकसित समझा जाता है और कम आय के देशों को

कम विकसित। ऐसा माना जाता है कि अधिक आय का अर्थ है―इंसान की ज़रूरतों की सभी चीजें प्रचुर

मात्रा में उपलब्ध की जा सकती हैं। जो भी लोगों को पसंद है और जो उनके पास होना चाहिए, वे उन सभी

चीज़ों को अधिक आय के जरिए प्राप्त कर पाएंगे। इसलिए ज्यादा आय विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने का

विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट, 2006′ में, देशों का वर्गीकरण करने में इस मापदंड का प्रयोग किया

गया है। वे देश जिनकी प्रति व्यक्ति आय 10,066 डॉलर प्रतिवर्ष या उससे अधिक है, समृद्ध देश हैं और वे

देश जिनकी प्रति व्यक्ति आय 825 डॉलर प्रतिवर्ष या उससे कम है, उन्हें निम्न आय देश कहा गया है। भारत

निम्न आय देशों के वर्ग में आता है, क्योंकि उसकी प्रति व्यक्ति आय 2004 में केवल 620 डॉलर प्रतिवर्ष

सीमाएँ–विभिन्न देशों का वर्गीकरण करने के लिए किसी देश की राष्ट्रीय आय को अच्छा मापदंड नही

माना जा सकता, क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या विभिन्न होती है। कुल आय की तुलना करने से हमें यह

पता नहीं चलेगा कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है। इससे हमें विभिन्न देशों के लोगों की परिस्थितियों

का भी पता नहीं चल पाता। इसलिए राष्ट्रीय आय वर्गीकरण का अच्छा मापदंड नहीं है।

प्रश्न 5. विकास मापने का यू०एन०डी०पी० का मापदंड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदंड से

अलग है?

उत्तर―विश्व बैंक का मापदंड केवल ‘आय’ पर आधारित है। इस मापदंड की बहुत-सी सीमाएँ हैं।

आय के अतिरिक्त भी कई अन्य मापदंड है जो विकास मापने के लिए ज़रूरी हैं, क्योंकि मनुष्य केवल

बेहतर आय के बारे में ही नहीं सोचता, बल्कि वह अपनी सुरक्षा, दूसरों से आदर और बराबरी का व्यवहार

पाना, आज़ादी आदि जैसे अन्य लक्ष्यों के बारे में भी सोचता है।

यू०एन०डी०पी० द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट में विकास के लिए निम्नलिखित मापदंड अपनाए

गए―

1. लोगों का स्वास्थ्य―मानव विकास का प्रमुख मापदंड है स्वास्थ्य या दीर्घायु। विभिन्न देशों के

लोगों की जीवन प्रत्याशा जितनी अधिक होगी, वह मानव विकास की दृष्टि से उतना ही अधिक

विकसित देश माना जाएगा।

2. शैक्षिक स्तर―मानव विकास का दूसरा प्रमुख मापदंड शैक्षिक स्तर है। किसी देश में साक्षरता की

दर जितनी ज्यादा होगी वह उतना ही विकसित माना जाएगा और यह दर यदि कम होगी तो उस देश

को अल्पविकसित कहा जाएगा।

3. प्रति व्यक्ति आय―मानव विकास का तीसरा मापदंड है प्रति व्यक्ति आय। जिस देश में प्रति

व्यक्ति आय अधिक होगी उस देश में लोगों का जीवन-स्तर भी अच्छा होगा और अच्छा

जीवन-स्तर विकास की पहचान है। जिन देशों में लोगों की प्रति व्यक्ति आय कम होगी, लोगों का

जीवन-स्तर भी अच्छा नहीं होगा। ऐसे देश को विकसित देश नहीं माना जा सकता।

कई वर्षों के अध्ययन के बाद यू०एन०डी०पी० ने विश्व के 173 देशों का मूल्यांकन इन आधारों पर

किया―53 देशों को उच्च मानव विकास की श्रेणी में,84 देशों को मध्यम मानव विकास की श्रेणी में तथा

26 देशों को मानव विकास के निम्न स्तर पर रखा।

प्रश्न 6. हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से

जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर―औसत का प्रयोग किसी भी विषय या क्षेत्र का अनुमान विभिन्न स्तरों पर लगाने के लिए किया

जाता है; जैसे—किसी देश में सभी लोग अलग-अलग आय प्राप्त करते हैं किंतु देश के विकास स्तर को

जानने के लिए प्रति व्यक्ति आय निकाली जाती है जो औसत के माध्यम से ही निकाली जाती है। इससे हमें

एक देश के विकास के स्तर का पता चलता है। किंतु औसत का प्रयोग करने में कई समस्याएँ आती हैं।

औसत से किसी भी चीज़ का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसमें असमानताएँ छिप जाती हैं।

उदाहरणत: किसी देश में रहने वाले चार परिवारों में से तीन परिवार र 500-500 कमाते हैं तथा एक परिवार

₹48,000 कमा रहा है, जबकि दूसरे देश में सभी परिवार र 9,000 और ₹ 10,000 के बीच में कमाते हैं।

दोनों देशों की औसत आय समान है किंतु एक देश में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा है, जबकि दूसरे देश

में सभी नागरिक आर्थिक रूप से समान स्तर के हैं। इस प्रकार औसत’ तुलना के लिए तो उपयोगी है किंतु

इससे असमानताएँ छिप जाती हैं। इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है।

 प्रश्न 7. प्रति व्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है।

प्रतिलिए प्रति व्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के

लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।

उत्तर―(i) प्रतिव्यक्ति आय मानव विकास के लिए एकमात्र कारक नहीं है।

(ii) केरल की शिक्षा दर; शिशु मृत्युदर, समग्र उपस्थिति अनुपात इत्यादि हरियाणा की अपेक्षा

बेहतर है।

(iii) अगर हम इनके सांख्यिक आँकड़ों की जाँच करें तो हम यह अवश्य पायेंगे कि कम प्रति व्यक्ति आय

होने के बावजूद केरल हरियाणा से बेहतर है।

प्रश्न 8. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50

वर्ष पश्चात् क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?

उत्तर―भारत के लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ऊर्जा के वर्तमान स्रोत निम्नलिखित हैं―

1. कोयला―कोयले का प्रयोग ईंधन के रूप में तथा उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है।

वाष्प इंजन जिसमें कोयले का प्रयोग होता है, रेलों और उद्योगों में काम में लाया जाता है।

2. खनिज तेल―खनिज तेल का प्रयोग सड़क परिवहन, जहाजों, वायुयानों आदि में किया जाता है।

तेल को परिष्कृत करके डीजल, मिट्टी का तेल, पेट्रोल आदि प्राप्त किए जाते हैं।

3. प्राकृतिक गैस―प्राकृतिक गैस का भी अब शक्ति के साधन के रूप में बहुत प्रयोग किया जाने

लगा है। गैस को पाइपों के सहारे दूर-दूर के स्थानों पर पहुंचाया जाता है। इससे अनेक औद्योगिक

इकाइयाँ चल रही हैं।

4. जल विद्युत―यह ऊर्जा का नवीकरणीय संसाधन है। अब तक ज्ञात सभी संसाधनों में यह सबसे

सस्ता है। इसका प्रयोग घरों, दफ्तरों तथा औद्योगिक इकाइयों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।

5. ऊर्जा के अन्य स्रोत―ऊर्जा के कुछ ऐसे स्रोत भी हैं जिनका प्रयोग अभी कुछ समय पूर्व से ही

किया जाने लगा है। ये सभी स्रोत नवीकरणीय हैं; जैसे-पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायोगैस,

भूतापीय ऊर्जा आदि।

ऊर्जा के अधिकांश परंपरागत साधनों का प्रयोग लंबे समय से हो रहा है। ये सभी स्रोत अनवीकरणीय हैं

अर्थात् एक बार प्रयोग करने पर समाप्त हो जाते हैं। इनकी पुनः पूर्ति संभव नहीं है। आने वाले 50 वर्षों में से

संसाधन यदि इसी तरह इस्तेमाल किए जाते रहे, तो समाप्तप्रायः हो जाएंगे। यदि हमें इन संसाधनों को बचाना

है तो ऊर्जा के नए और नवीकरणीय संसाधनों को खोजकर उनका अधिकाधिक प्रयोग करना होगा।

प्रश्न 9. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?

उत्तर― धारणीयता से अभिप्राय है सतत पोषणीय विकास अर्थात् ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी तक ही

सीमित न रहे बल्कि आगे आने वाली पीढ़ी को भी मिले। वैज्ञानिकों का कहना है कि हम संसाधनों का जैसे

प्रयोग कर रहे हैं, उससे लगता है कि संसाधन शीघ्र समाप्त हो जाएंगे और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए

नहीं बचेंगे। यदि हमें विकास को धारणीय बनाना है अर्थात् निरंतर जारी रखना है, तो हमें संसाधनों का प्रयोग

इस तरह से करना होगा जिससे विकास की प्रक्रिया निरंतर जारी रहे और भावी पीढ़ी के लिए संसाधन बचे

रहें।

प्रश्न 10.धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं,

लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन

विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।

उत्तर―यह कथन बिल्कुल सत्य है कि धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के

लिए पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन एक भी व्यक्ति के लोभ को पूर्ण करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

घरातल के नीचे लौह खनिज; जैसे-लौह-अयस्क, मैंगनीज, पाइराइट, क्रोमाइट, टंगस्टन, कोबाल्ट,

निकिल आदि, जबकि अलौह खनिज; जैसे–सोना, चाँदी, सीसा, टिन, बॉक्साइट, मैग्नीशियम आदि तथा

अधात्विक खनिज; जैसे– कोयला, पोटाश, अभ्रक, जिप्सम, पेट्रोलियम आदि के भंडार हैं। इसके साथ

प्रकृति ने पानी, हवा, वनस्पति, विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु उपलब्ध कराए हैं। इन सभी साधनों का प्रयोग

मनुष्य प्रकृति अपनी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए करता है। इन्हीं साधनों के कारण मानव-जीवन सुखी

हो जाता है।

किन्तु अपने लोभ के कारण मनुष्य प्रकृति का विनाश करने में लगा हुआ है। कई प्राकृतिक संसाधन खत्म

होते जा रहे हैं जो एक बार उपयोग के बाद पुन: उपयोग में नहीं आ सकते। अत: इनके समुति प्रबंधन और

संरक्षण की बहुत जरूरत है ताकि उनका उपयोग अधिक समय तक हो सके। लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है

कि अपने लाभ के लिए मनुष्य, इन संसाधनों का दोहन इस प्रकार कर रहा है कि इनका भंडार तो खत्म हो ही

रहा है साथ ही पर्यावरण संतुलन को भी खतरा पैदा हो गया है।

प्रश्न 11. पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखें

हों।

उत्तर― पर्यावरण हास स्वयं को विभिन्न तरह से प्रदर्शित करता है। वनोन्मूलन, भूमिगत जल का स्तर

गिरना, मृदा कटाव, जल प्रदूषण जैविक तेल को जलाना, ओजोन परत में छेद तथा विशेषकर शहरी क्षेत्रों में

गाड़ियों में दहन की वजह से अत्यधिक वायु प्रदूषण पर्यावरण हास के कुछ सटीक उदाहरण हैं।

प्रश्न 12.सारणी 1.6 में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन-सा देश सबसे ऊपर है और

कौन-सा सबसे नीचे।

उत्तर―तालिका के अनुसार―

                                                               उच्चतम देश      निम्नतम देश

1. प्रतिव्यक्ति आय (यू०एस० डॉलर में)           श्रीलंका            बांग्लादेश

2. जीवन प्रत्याशा (जन्म दर पर)                    श्रीलंका            म्यांमार

साक्षरता दर 15 वर्ष से अधिक की जनसंख्या    म्यांमार            पाकिस्तान

4. मानव विकास सूचकांक क्रम                      श्रीलंका            म्यांमार

प्रश्न 13.नीचे दी गई सारणी में भारत में वयस्कों (15-49 वर्ष आयु वाले) जिनका बी०एम०आई०

सामान्य से कम है (बी०एम०आई० <18.5kg/m’) का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष

2015-16 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। सारणी का अध्ययन

करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए―

स्रोत : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4, 2015-16, http://rchiips.org. 

(क) केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।

(ख) क्या आप अन्दाज लगा सकते हैं कि देश में लगभग हर पाँच में से एक अल्पपोषित क्यों है,

यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।

उत्तर―(क) केरल तथा मध्य प्रदेश का पोषण स्तर भिन्न है। जब केरल में क्रमशः 8.5 प्रतिशत एवं

10 प्रतिशत पुरुष एवं महिलाओं को पोषणाहार प्राप्त नहीं होता तब मध्य प्रदेश में पोषणाहार नहीं प्राप्त कर

रही महिलाओं एवं पुरुषों का प्रतिशत क्रमश: 28 तथा 28 प्रतिशत है। इससे यह सिद्ध होता है कि केरल में

मध्यप्रदेश की अपेक्षा अधिक पोषित लोग हैं। मध्य प्रदेश में अपेक्षित लोगों का औसत भी राष्ट्रीय आय से

अधिक है, जबकि केरल का राष्ट्रीय औसत से कम।

(ख) भारत में खाद्यान्न की अधिकता होते हुए भी लगभग 40 प्रशित लोग अपोषित हैं। यह इसलिए क्योंकि

खाद्यान्न का बँटवारा समान नहीं है। देश के कुछ राज्यों ने जनवितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन की दुकानें

ठीक ढंग से चलाना सुनिश्चित किया है। यह किसी को भी भूखे नहीं रहना सुनिश्चित करता है। विशेष तौर

पर गरीबों को राशन की दुकानें सहायता प्राप्त मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराती हैं।

(ख) अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

                                      बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्रति व्यक्ति आय से क्या तात्पर्य है?

(क) एक देश की वस्तुओं व सेवाओं से अर्जित आय

(ख) एक देश के आधे से अधिक सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित आय

(ग) राष्ट्रीय आय में जनसंख्या को भाग देकर प्राप्त आय

(घ) उपरोक्त सभी

                         उत्तर―(घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किस संगठन ने ‘मानव विकास रिपोर्ट “2018’ तैयार की है?

(क) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

(ख) UNDP

(ग) विश्व बैंक

(घ) संयुक्त राष्ट्र संघ

                           उत्तर―(ख) UNDP

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किसे औसत आय भी कहते हैं?

(क) कुल आय

(ख) राष्ट्रीय आय

(ग) प्रति व्यक्ति आय

(घ) ये सभी

               उत्तर―(ग) प्रति व्यक्ति आय

प्रश्न 4. ‘मानव विकास सूचकांक 2018’ में भारत का स्थान है―

(क) 130वाँ

(ख) 170वाँ

(ग) 144वाँ 

(घ) 151वाँ,

                उत्तर― (क) 130वाँ

                             अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मानव विकास से क्या अभिप्राय है?

उत्तर― विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो निरतंर प्रगति की ओर सतत् गतिशील रहती है। गर्भावस्था से

युवावस्था तक की वृद्धि मानव का शारीरिक विकास कहलाती है।

प्रश्न 2. ‘राष्ट्रीय आय’ किसे कहते हैं?

उत्तर― किसी राष्ट्र की आय उस देश के सभी निवासियों की आय होती है तथा उसके उत्पादकों,

संसाधनों तथा अन्य माध्यमों से जो आय होती है उसे ‘राष्ट्रीय आय’ कहते हैं।

प्रश्न 3. ‘प्रति व्यक्ति आय’ किसे कहा जा सकता है?

उत्तर―“प्रति व्यक्ति आय अर्थात् औसत आय” किसी देश की राष्ट्रीय आय से उस देश की जनसंख्या

को भाग देकर जो भागफल आता है उसे ‘प्रति व्यक्ति आय’ कहा जाता है।

प्रश्न 4. ‘निवल उपस्थिति अनुपात’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर―14 एवं 15 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के

साथ प्रतिशत प्रस्तुत करती है अर्थात् ‘निवल उपस्थिति अनुपात’ कहते हैं।

                                      लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मानव विकास हेतु साक्षरता क्यों अनिवार्य है?

उत्तर―स्वतंत्रता-प्राप्ति के सात दशक पश्चात् भी उच्च स्तर की निरक्षरता चिंताजनक है। अनेक राज्य

14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के संवैधानिक लक्ष्य के

समीप भी नहीं हैं। साक्षरताविहीन समाज में विकास की योजनाएँ एवं कपोलकल्पित तथ्य बन जाती हैं। अत:

यदि मानव का सर्वांगीण विकास करना हो तो साक्षरता अनिवार्य है।

प्रश्न 2. विकास के विभिन्न लक्ष्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर―विभिन्न लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न-भिन्न होते हैं। द्रव्य अथवा उससे क्रय की जाने वाली

भौतिक वस्तुएँ एक कारक हैं जिस पर हमारा जीवन निर्भर है। यदि लोगों के लक्ष्य भिन्न हैं तो उनकी राष्ट्रीय

विकास से संबंधित धारणा भी भिन्न होगी।

प्रश्न 3. आय के आधार पर विभिन्न देशों की तुलना किस प्रकार की जाती है?

उत्तर―देशों की तुलना करने के लिए उनकी आय को एक महत्त्वपूर्ण कारक माना जा सकता है। जिन

देशों की आय अधिक है उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित समझा जाता है। विश्व बैंक की विश्व

विकास रिपोर्ट के अनुसार देशों का वर्गीकरण उनकी औसत आय का मापदण्ड माना जाता है।

प्रश्न 4. सतत् पोषणीय विकास क्या है? चर्चा कीजिए।

उत्तर―विकास एक निरन्तर गतिशील प्रक्रिया है, जो अगध गति से प्रवाहित रहती है। योजनाएँ, विचार,

कृत्य उसका प्रति पल पोषण करते रहते हैं, अर्थात् सतत् पोषणीय प्रक्रिया है।

प्रश्न 5. केवल आय को ही विकास का मापदंड क्यों नहीं माना जा सकता है? उदाहरण द्वारा स्पष्ट

करें।

उत्तर―केवल आय को ही विकास का मापदंड नहीं माना जा सकता। इसका मुख्य कारण है कि प्रत्येक

देश की जनसंख्या, वातावरण परिस्थितियाँ समान नहीं होतीं। सामान्यत: हम कोई मापदंड निर्धारित करने के

लिए उसकी औसत आय से तुलना करते हैं, जो कि विकास का सार्वभौम मापदंड नहीं माना जा सकता।

                                   दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. विभिन्न देशों तथा राज्यों की तुलना किस प्रकार की जाती है?

उत्तर―हम विकास को परिस्थिति, पर्यावरण के अनुकूल मानकर उसका अर्थ अलग-अलग करते हैं

तो फिर कुछ देशों को विकसित तथा कुछ को अविकसित किस प्रकार कह कहते हैं। जब हम अलग-अलग

वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो हम उनमें समानताएँ तथा अंतर दोनों ही खोजते हैं। सामान्यतः

हम लोगों की एक अथवा दो महत्त्वपूर्ण विशिष्टताओं को लेकर तुलना करते हैं। तुलना हेतु क्या महत्त्वपूर्ण

विशिष्टताएँ चुनी जाएँ इस पर मतभेद हो सकते हैं। यही तथ्य विकास पर लागू होते हैं। विभिन्न देशों की

तुलना करने के लिए उन देशों की आय सबसे जरूरी विशिष्टता समझी जाती है। जिन देशों की आय अधिक

है, उन्हें विकसित देशों की श्रेणी में समझा जाता है; जैसे-बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान की तुलना में फ्रांस

तथा अमेरिका की आय अधिक है। अधिक आय का अर्थ है-मानवीय आश्यकताओं की सभी वस्तुओं का

अधिक होना। अत: अधिक आय स्वत: ही एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य समझा जाता है। किंतु देशों के मध्य तुलना

करने हेतु आय कोई उपयुक्त माप नहीं है। इसका कारण है कि देशों की जनसंख्या भिन्न होती है। अतः

औसत आय से ज्ञात नहीं होता कि औसत व्यक्ति क्या कमाई कर सकता है। विश्व बैंक द्वारा जारी की गई

विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न देशों का वर्गीकरण करने हेतु इसी मापदंड का प्रयोग किया जाता

है। इसी आधार पर संपन्न देशों को विकसित देश कहा जाता है।

ऐसा क्या कारण है कि महाराष्ट्र में औसत व्यक्ति की आय केरल के औसत व्यक्ति से अधिक है? किंतु इन

महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में केरल से पीछे है। यह आवश्यक नहीं कि जेब में रखा रुपया, वह सब वस्तुएँ एवं सेवाएँ

खरीद सके, जो आपके जीवन की बेहतरी के लिए आवश्यक हैं। नागरिकों द्वारा कितनी सेवाएँ एवं भौतिक

वस्तुएँ प्रयोग की जा सकती हैं। इसके लिए आय कोई अपने आप में संपूर्ण रूप से पर्याप्त सूचक नहीं है।

अत: हम निष्कर्षत: कह सकते हैं कि प्रत्येक राज्य तथा देश की स्थिति समान नहीं होती। फलतः तुलनात्मक

परिणाम विश्वसनीय नहीं हो सकते।

प्रश्न 2. मानव विकास सूचकांक क्या है? मानव विकास नापने वाले मूलभूत अवयवों का सविस्तार

वर्णन कीजिए।

उत्तर―यद्यपि आय का स्तर अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, लेकिन यह विकास के स्तर को मापने का एक

अपर्याप्त मापदण्ड है। इस प्रकार मापदंडों की सूची काफी बड़ी हो सकती है किंतु वह इतनी उपयोगी नहीं

होती क्योंकि हमें अधिक महत्त्वपूर्ण वस्तुओं की कम मात्रा में आवश्यकता है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के सूचक

महाराष्ट्र तथा केरल की तुलना से उपलब्ध हुए। विगत् एक दशक से शिक्षा एवं स्वास्थ्य सूचकों का आय के

साथ व्यापक स्तर पर विकास के माप के लिए प्रयोग होने लगा है। यू०एन०डी०पी० के आधार पर मानव

विकास रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसके अतिरिक्त क्या वयस्क अल्पपोषित है, यह ज्ञात करने का तरीका

जिसे पोषण वैज्ञानिक शरीर द्रव्यमान सूचकांक कहते हैं। इसकी गणना सरल होती है। किसी व्यक्ति का भार

किलोग्राम में लीजिए, तदोपरांत उसकी लंबाई मीटर में लीजिए। तत्पश्चात् भार को लंबाई के वर्ग से भाग दें।

यदि प्राप्त संख्या 18.5 से कम है तब उस व्यक्ति को अल्पपोषित कहेंगे। किंतु यदि 25 से अधिक है तो वह

व्यक्ति अतिभारित है। ध्यान रखिए कि उक्त मापदंड बढ़ते बच्चों पर लागू नहीं होता। यू०एन०डी०पी० द्वारा

प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट देशों की तुलना लोगों की स्वास्थ्य स्थिति, उनके शैक्षिक स्तर एवं प्रति व्यक्ति

आय के आधार पर की जाती है।

स्रोत : मानव विकास रिपोर्ट, 2018

टिप्पणी―

1. प्रति व्यक्ति आय की गणना सभी देशों के लिए डॉलर में की जाती है, जिससे कि इसकी तुलना कर सकें।

इसको इस तरीके से भी किया जाता है कि एक डॉलर किसी भी देश में समान मात्रा में वस्तुएँ एवं सेवाएँ

खरीद सके।

2. जन्म के समय संभावित आयु, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, व्यक्ति की जन्म के समय औसत आयु की

सम्भावना दर्शाती है।

3. HDI से तात्पर्य मानव विकास सूचकांक से है। उपर्युक्त तालिका में HDI सूचकांक का क्रमांक कुल

189 देशों में से है।

आश्चर्यजनक स्थिति है कि भारत का पड़ोसी छोटा-सा देश श्रीलंका प्रत्येक विषय में भारत से आगे है।

भारत जैसे विशाल देश का विश्व में इतना नीचा क्रमांक है। एच०डी०आई० के परिकलन के लिए काफी

सुधारों के लिए सुझाव दिया है। मानव विकास रिपोर्ट में बहुत-से नवीन घटकों को जोड़ा गया है। जिससे

एक विषय अधिक स्पष्ट होता है कि विकास महत्त्वपूर्ण है। एक देश के नागरिकों के साथ क्या हो रहा है।

लोगों के स्वास्थ्य उनके कल्याण इत्यादि की सर्वाधिक आवश्यकता है।

प्रश्न 3 लोकतंत्र का विस्तार कैसे हो सकता है?

उत्तर― लोकतंत्र से सामान्यतः अनेक परिणामों की अपेक्षा की जाती है। साथ ही साथ यह प्रश्न भी

उदित होता है कि वास्तविक जीवन में लोकतंत्र किस प्रकार की संभावित अपेक्षाओं को पूर्ण करता है।

लोकतंत्र के वास्तविक धरातल पर वांछित परिणाम हेतु हमें लोकतंत्र के विभिन्न पक्ष-शासन का स्वरूप,

आर्थिक कल्याण, समरूपता, सामाजिक विभिन्नताएँ तथा टकराव, स्वतंत्रता तथा स्वाभिमान जैसे महत्त्वपूर्ण

विषयों की ओर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। लोकतंत्र के पक्ष में दिए गए तर्क बड़े भावमय होते हैं। लोकतंत्र

का संबंध हमारे गहन मूल्यों से है―

● लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों का चयन स्वयं करते हैं।

● जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि ही समस्त निर्णय लेते हैं।

● चुनाव में जनता को वर्तमान शासकों को परिवर्तित करने तथा अपनी रुचि व्यक्त करने का पर्याप्त अवसर

एवं विकल्प प्राप्त होता है। ये विकल्प तथा अवसर प्रत्येक नागरिक को समानता में उपलब्ध होने चाहिए।

● विकल्प चयन करने की उक्त विधि से ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए जो संविधान के मूलभूत नियमों

तथा नागरिकों के अधिकारों को महत्त्व प्रदान करे।

● सत्ता की भागीदारी लोकतंत्र की भावना के अनुरूप है। सरकारों तथा सामाजिक समूहों के मध्य सत्ता की

भागीदारी से ही लोकतंत्र का विस्तार संभव है।