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बहुत बड़ी मात्रा में बेकिंग सोडा पाउडर लेना आपके लिए जहरीला साबित हो
सकता है। ऐसा इसमें मौजूद ज्यादा सोडियम सामग्री के कारण है। दरअसल, जब कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा मात्रा में सोडियम बाइकार्बोनेट लेता है, तो शरीर पाचन तंत्र में पानी खींचकर नमक के संतुलन को ठीक करने की कोशिश करता है। इससे उल्टी और दस्त हो जाते हैं। हार्ट पर अटैक कर सकता है बेकिंग सोडाबेकिंग सोडा आपके ह्दय के लिए बेहद खतरनाक है। इसमें उच्च मात्रा में मौजूद सोडियम हार्ट पर अटैक कर सकता है। 2016 में हुई एक केस स्टडी के अनुसार बेकिंग सोडा की कुछ ओवरडोजिंग की वजह से कुछ व्यक्तियों के दिल की धड़कन रूक गई थी। इसके ओवरडोज के कारण कार्डियक अटैक
के मामले भी सामने आए हैं। बच्चों में विषाक्तता-वैसे बच्चों को बेकिंग
सोडा या सोडियम बाइकार्बोनेट युक्त कोई दवा नहीं देनी चाहिए। यदि गलती से बच्चे ने बेकिंग सोडा निगल लिया है, तो मिसौरी पॉइजन सेंटर (Missouri Poison Centre)इस स्थिति में शांत रहने, गीले कपड़े से मुंह पर लगे बेकिंग सोडा को पोंछना, बच्चे को पीने के लिए पानी देना के साथ स्थानीय नियंत्रण केंद्र से संपंर्क करने की सलाह देता है। पेट फट सकता हैविषाक्तता के अलावा बड़ी मात्रा में बेकिंग सोडा लेने से पेट फट भी सकता है। जब बेकिंग सोडा एसिड के साथ मिक्स होता है, तो एक रसायनिक प्रक्रिया होती है। नेशनल केपिटल पॉइजन सेंटर ने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति एक ही बार में बहुत अधिक
बेकिंग सोडा का सेवन करे तो पेट में बड़ी मात्रा में गैस जमा हो सकती है। जिससे यह फट भी सकती है। खासतौर से तब जब व्यक्ति ने अधिक मात्रा में भोजन कर लिया हो या फिर शराब का सेवन किया हो। कितना बेकिंग सोडा लेना चाहिएवयस्क अस्थाई अपच से राहत के लिए लगभग आधा चम्मच बेकिंग सोडा आधे कप पानी में मिला सकते हैं। ध्यान रखें, गर्भावस्था में बेकिंग सोडा लेना खतरनाक हो सकता है। हालांकि एनसीपीसी इसे घरेलू उपयार के रूप में इस्तेमाल करने के बजाय ओटीसी अपच उत्पादों जैसे टम्स का उपयोग
करने की सलाह देते हैं। इससे ओवरडोजिंग का खतरा कम हो जाता है और ये नुकसान भी नहीं पहुंचाता। लेकिन जब ओटीसी उत्पाद खरीदना संभव न हो, तो वैकल्पिक तौर पर बेकिंग सोडा का उपयोग किया जा सकता है। जो लोग अन्य दवाएं ले रहे हैं, उन्हें बेकिंग सोडा की छोटी सी खुराक लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए। लोगों को एक बार में दो सप्ताह से अधिक समय तक सोडियम बाइकार्बोनेट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर इनके लक्षण अधिक समय तक बने रहते हैं, तो आपकी सेहत खराब हो सकती है। बेकिंग सोडा के फायदे-बेकिंग सोडा पीने से अपच या हार्टबर्न से अस्थाई राहत मिलती है। एथलेटिक टेनिंग
के दौरान मांसपेशियों की थकान को कम करने में भी यह फायदेमंद है। 2017 के एक अध्ययन में पाया गया कि सोडियम बाइकार्बोनेट लेने से एथलीट अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं। फिर भी लोगों को डॉक्टर से सलाह लिए बिना फिटनेस या हेल्थ पर्पस के लिए बेकिंग सोडा का उपयोग नहीं करना चाहिए। अपच या हार्टबर्न से राहत के लिए बेकिंग सोडा एक अच्छा घरेलू नुस्खा हो सकता है, लेकिन लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करते रहना सुरक्षित नहीं है। इसके बजाय अपच ओटीसी उपचार का उपयोग करना अच्छा है। यदि कोई व्यक्ति अधिक मात्रा में सोडा ले भी ले तो 8002221222 पर पॉइंजन कंट्रोल को कॉल कर मदद ले सकते हैं। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें दूध में बेकिंग सोडा मिलाने से क्या होता है?क्योंकि बेकिंग सोडा (`NaHCO_3`) क्षारीय होता है। बेकिंग सोडा दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार का लवण है। क्षारीय प्रकृति के कारण दूध के परिरक्षण के दौरान बनने वाला अम्ल उदासीन हो जाता है, जिससे दूध जल्दी खराब नहीं होता।
कास्टिक सोडा दूध में क्यों मिलाया जाता है?दूध को फटने से बचाने के लिए कुछ दूधिया कास्टिक सोडा का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही कास्टिक सोडा, यूरिया, डिटर्जेंट, गुणवत्ता विहीन तेल , शैम्पू आदि से नकली दूध तैयार किया जाता है।
दूध में कौन सा केमिकल पाया जाता है?नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक दूध में यूरिया, अमोनिया, नाइट्रेट फर्टिलाइजर, शुगर, नमक और ग्लूकोज की मिलावट से दूध की मात्रा के साथ ही एसएनएफ और फैट भी बढ़ जाता है। न्यूट्रलाइजर इसलिए मिलाया जाता है ताकि दूध में खटास पैदा न हो।
क्या एक दूधवाला ताजे दूध में बहुत कम मात्रा में बेकिंग सोडा मिलाता है?एक दूधवाला दूध के अम्लीकरण को रोकने के लिए ताजे दूध में थोड़ी मात्रा में बेकिंग सोडा मिलाता है। थोड़ी मात्रा में बेकिंग सोडा मिला कर, दूधवाला ताजे दूध के pH को 6 से थोड़ा क्षारीय में बदल देता है, ताकि वह इसे अधिक समय तक क्षारीय स्थिति में दूध के रूप में रख सके, दही को आसानी से नहीं बनाता है।
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