धनराज की मां ने कौन से सीख दी थी? - dhanaraaj kee maan ne kaun se seekh dee thee?

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धनराज की मां ने कौन से सीख दी थी? - dhanaraaj kee maan ne kaun se seekh dee thee?

NCERT Class 7 Hindi Chapter wise Solutions

  1. हम पंछी उन्मुक्त गगन के
  2. दादी माँ
  3. हिमालय की बेटियाँ
  4. कठपुतली
  5. मिठाईवाला
  6. रक्त और हमारा शरीर
  7. पापा खो गए
  8. शाम-एक किसान
  9. चिड़िया की बच्ची
  10. अपूर्व अनुभव
  11. रहीम के दोहे
  12. कंचा
  13. एक तिनका
  14. खानपान की बदलती तस्वीर
  15. नीलकंठ
  16. भोर और बरखा
  17. वीर कुँवरसिंह
  18. संघर्ष के कारण धनराज
  19. आश्राम का आनुमानित व्यय
  20. विप्लव गायन
1. साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है वर्णन कीजिए।

उत्तर:- साक्षात्कार पढ़कर मन में धनराज पिल्लै की ऐसी छवि उभरती है जो सीधे-सरल, भावुक, स्पष्ट वक्ता, परिवार से जुड़े और स्वाभिमानी हैं परन्तु कठिन संघर्षों के और आर्थिक संकटों के दौर से गुजरने के कारण अपने आप-को असुरक्षित समझने लगे थे। प्रसिद्धि प्राप्त करने पर भी उनमें जरा भी अभिमान नहीं है। उन्हें लोकल ट्रेन में सफ़र करने से भी कोई परहेज नहीं है। लोगों को लगता है कि उनके स्वभाव में तुनक-मिजाजी आ गई परन्तु आज भी वे सरल व्यक्ति हीं हैं।


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2. धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।

उत्तर:- धनराज पिल्लै की ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा कठिनाइयों और संघर्षों से भरी थीं। धनराज पिल्लै एक साधारण परिवार के होने के कारण उनके लिए हॉकी में आना इतना आसान न था। उनके पास हॉकी खरीदने तक के पैसे नहीं थे। उन्हें हॉकी खेलने के लिए अपने मित्रों से हॉकी स्टिक उधार माँगनी पड़ती थी। लेकिन कहते हैं ना जहाँ चाह वहाँ राह धनराज पिल्लै ने हार न मानते पुरानी स्टिक से ही निष्ठा और लगन से अभ्यास करते रहे और विश्व स्तरीय खिलाड़ी बनकर दिखाया। ऑलविन एशिया कैंप में चुने जाने के बाद धनराज पिल्लै ने मुड़कर कभी पीछे नहीं देखा अर्थात् उसके बाद वे लगातार सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते गए।


3. ‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’ –
धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?

उत्तर:- मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’ –
धनराज पिल्लै की इस बात का अर्थ यह है कि उनकी माँ ने हमेशा उन्हें प्रसिद्ध होने के बाद भी घमंड की भावना मन में न आने की सलाह दी। इंसान चाहे जितना ऊँचा उठ जाएँ परन्तु उसमें घमंड की भावना नहीं होनी चाहिए।


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4. ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।

उत्तर:- मेजर ध्यानचंद सिंह (29 अगस्त, 1905 – 3 दिसंबर, 1979) भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाडी एवं कप्तान थे। उन्हें भारत एवं विश्व हॉकी के क्षेत्र में सबसे बेहतरीन खिलाडियों में शुमार किया जाता है। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं जिनमें 1928 का एम्सटर्डम ओलोम्पिक, 1932 का लॉस एंजेल्स ओलोम्पिक एवं 1936 का बर्लिन ओलम्पिक शामिल है। उनकी जन्म तिथि को भारत में “राष्ट्रीय खेल दिवस” के तौर पर मनाया जाता है|
गेंद इस कदर उनकी स्टिक से चिपकी रहती कि प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को अकसर आशंका होती कि वह जादुई स्टिक से खेल रहे हैं। यहाँ तक हॉलैंड में उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़ कर देखी गई। जापान में ध्यानचंद की हॉकी स्टिक से जिस तरह गेंद चिपकी रहती थी उसे देख कर उनकी हॉकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात कही गई। ध्यानचंद की हॉकी की कलाकारी के जितने किस्से हैं उतने शायद ही दुनिया के किसी अन्य खिलाड़ी के बाबत सुने गए हों। उनकी हॉकी की कलाकारी देखकर हॉकी के मुरीद तो वाह-वाह कह ही उठते थे बल्कि प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी भी अपनी सुधबुध खोकर उनकी कलाकारी को देखने में मशगूल हो जाते थे। उनकी कलाकारी से मोहित होकर ही जर्मनी के रुडोल्फ हिटलर सरीखे जिद्दी सम्राट ने उन्हें जर्मनी के लिए खेलने की पेशकश कर दी थी।
ध्यानचंद ने अपनी करिश्माई हॉकी से जर्मन तानाशाह हिटलर ही नहीं बल्कि महान क्रिकेटर डॉन ब्रैडमैन को भी अपना क़ायल बना दिया था।


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5. किन विशेषताओं के कारण हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?

उत्तर:- हॉकी का खेल भारत में अत्यंत लोकप्रिय है। यह खेल भारत के प्रत्येक प्रदेश में खेला जाता है। इस खेल ने भारत को विश्व-पटल पर काफी प्रसिद्धि दिलवाई है। हॉकी के खेल में भारत देश ने सन् 1928 से 1956 तक, लगातार छः स्वर्ण-पदक जीते हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है।


6. ‘यह कोई जरुरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’ – क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों की बातचीत के आधार पर लिखिए।

उत्तर:- ‘यह कोई जरुरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’ – हम धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं क्योंकि हमारे समाज में कितने संगीतकार, कलाकार,
साहित्यकार, रंगकर्मियों, खिलाड़ी आदि हैं जिन्हें शोहरत तो मिली परन्तु उनके काम का उचित मुवावजा नहीं मिला और उनका पूरा जीवन आर्थिक संकटों में ही गुजरा।


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भाषा की बात7. नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिनमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
1. प्रेरणा, प्रेरक, प्रेरित
2. संभव, संभावित, संभवत:
3. उत्साह, उत्साहित, उत्साहवर्धक

उत्तर:- 1.प्रेरणा-हमें स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
• प्रेरक- मेरे दादाजी हमेशा प्रेरक कहानियाँ सुनाते हैं।
• प्रेरित- मुझे देशभक्तों के प्रसंग प्रेरित करते हैं।
2. संभव-आज माँ का आना संभव है।
• संभावित-हमारी संभावित यात्रा कल शुरू होगी।
• संभवत:-यह कार्य संभवतः आज नहीं होगा ।
3.उत्साह-गर्मियों की छुट्टीयों में बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है।
• उत्साहित- नया साल आने की ख़ुशी में सब उत्साहित- हैं।
• उत्साहवर्धक- श्रोताओं की तालियाँ खिलाड़ियों के लिए उत्साहवर्धक होती है।


8. तुनुकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे – बादल, बादर, बदरा, बदरिया; मयूर, मयूरा, मोर; दर्पण, दर्पन, दरपन। शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। कम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए।

उत्तर:- इच्छा – चाह, अभिलाषा, कामना, आकांक्षा
फूल – पुष्प, कुसुम, सुमन, प्रसून
पुत्री – बेटी, तनया, सुता, आत्मजा
जल – पानी, नीर, तोय, सलिल


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9. हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए,
जैसे – फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द हैं – गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि।

उत्तर:- क्रिकेट – बल्ला, गेंद, विकेट, पिच, अम्पायर, चौका, छक्का, रन आदि।

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