वह बच्चा 2 घंटे से क्यों रो रहा है? - vah bachcha 2 ghante se kyon ro raha hai?

Present Perfect Continuous Tense in Hindi – Rules, Examples & Exercises. Learn Present Perfect Continuous Tense Sentences Hindi to English Translation, Structure and Formula in detail.  अनिश्चित पूर्ण अपूर्ण काल हिंदी में सीखिए। “Present Perfect Continuous Tense” वर्तमान काल का चौथा part होता है। यह टेंस और Tense से अलग है क्योंकि इसमें समय का वर्णन भी दिया होता है। इस टेंस से कार्य की समय अवधि का भी पता चलता है।

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Present Perfect Continuous Tense को Hindi में अनिश्चित पूर्ण अपूर्ण काल कहते हैं। इस tense के rules, examples और exercises आगे इस पोस्ट में दिए गए हैं।

Present Perfect Continuous Tense in Hindi आपको सीखने के लिए सभी rules व examples को अच्छे से समझना होगा। इस Tense सेेेे संबंधित सभी नियमों को आगे समझाया गया है तथा प्रैक्टिस के लिए exercises भी दी गई हैं।

वह बच्चा 2 घंटे से क्यों रो रहा है? - vah bachcha 2 ghante se kyon ro raha hai?
Present Perfect Continuous Tense in Hindi – Rules, Examples and Exercises

Page Contents

  • Present Perfect Continuous Tense in Hindi
  • Present Perfect Continuous Tense की पहचान
  • Helping Verb (सहायक क्रिया)
  • Main Verb (मुख्य क्रिया)
  • Use of Since/For
  • Affirmative Sentences of Present Perfect Continuous Tense
  • Negative Sentences of Present Perfect Continuous Tense
  • Interrogative Sentences of Present Perfect Continuous Tense
  • Wh-words Interrogative Sentences
  • Interrogative Negative Sentences
  • Wh-words वाले वाक्य
  • Present Perfect Continuous Tense Exercise in Hindi (Hindi to English Translation)
  • Exercise 1 – Affirmative Sentences
  • Exercise – 2 Negative Sentences
  • Exercise – 3 Interrogative Sentences
  • Present Perfect Continuous Tense Exercises Answers
  • Exercise – 1 Affirmative Sentences Answers
  • Exercise – 2 Negative Sentences Answers
  • Exercise – 3 Interrogative Sentences Answers
  • Conclusion

Present Perfect Continuous Tense in Hindi

Present Perfect Continuous Tense से हमें ज्ञात होता है कि कोई कार्य या घटना Past में शुरू हुई और अभी भी जारी है और यह कार्य या घटना आगे भी जारी रह सकता है। Present perfect continuous tense से हमें किसी action की duration का भी पता चलता है। जैसे;

  • रोहित 2 घंटे से अपनी गाय चरा रहा है।
  • तुम 4:00 बजे से अपना काम कर रहे हो।
  • वह रविवार से इस समस्या को सुलझा रहा है।
  • मैं आपको 2 घंटे से परेशान नहीं कर रहा हूं।
  • वे 3:00 बजे से बस का इंतजार नहीं कर रहे हैं।

उपरोक्त वाक्य से पहले वाक्य से हमें पता चलता है कि रोहित ने 2 घंटे पहले गाय को चराना शुरु किया और यह कार्य करते-करते उसको दो घंटे बीत चुके हैं। उसका यह कार्य आगे भी जारी रह सकता है।

ऐसे ही अन्य वाक्यों में भी ऐसे वाक्यों में कार्य भूतकाल में किसी बिंदु से शुरू हुआ और आगे जारी है। ऐसे वाक्यों में समय के लिए since या For का प्रयोग किया जाता है।

  • Direct and Indirect Speech in Speech in Hindi
  • Conjunction in Hindi

Present Perfect Continuous Tense की पहचान

Present Perfect Tense के हिंदी वाक्यों की क्रियाओं के अंत में रहा है, रही है, रहे हैं, रहा हूं, हुआ है आदि शब्द आते हैं तथा समय भी दिया होता है, ऐसे वाक्य प्रेजेंट परफेक्ट कंटीन्यूअस टेंस की Exercises तथा Examples को समझने के बाद भी एक दो बार इस टेंस का रिवीजन जरूर करें। साथ ही साथ इस पोस्ट को दूसरों के साथ ही शेयर करें।

नवजात शिशु अपनी जरूरतों को रोने के माध्यम से ही बताते हैं. कई बार कुछ बच्चे जन्म लने के बाद रोना शुरु नहीं करते हैं. क्या जन्म के बाद बच्चे का रोना जरूरी होता है.? इस सवाल का जवाब लगभग हर माता-पिता को पता होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जन्म के बाद बच्चे का पहली बार रोना क्यों जरूरी है.? हम इस लेख में नवजात शिशु का रोना कितना जरूरी है इसी पर बात कर रहे हैं.

बच्चे का जन्म हर माता-पिता के लिए अनोखा अनुभव होता है. नवजात बच्चे की मां 9 महीने कोख में पालने के बाद असहनीय दर्द के बाद बच्चे को जन्म देती है. बच्चा जब जन्म लेता है उसके बाद रोना जरूरी होता है. बच्चा जैसे ही रोता है मां का सारा दर्द दूर हो जाता है. नवजात शिशु अपनी जरूरतों को रोने के माध्यम से ही बताते हैं. कई बार कुछ बच्चे जन्म लने के बाद रोना शुरु नहीं करते हैं. क्या जन्म के बाद बच्चे का रोना जरूरी होता है.? इस सवाल का जवाब लगभग हर माता-पिता को पता होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जन्म के बाद बच्चे का पहली बार रोना क्यों जरूरी है.? हम इस लेख में नवजात शिशु का रोना कितना जरूरी है इसी पर बात कर रहे हैं. नवजात शिशु की देखभाल के लिए उसके रोने पर विशेष ध्यान रखना होता है.

जन्म के समय पर बच्चे का रोना क्यों जरूरी 

जब बच्चा जन्म लेता है तो वह मां की कोख से अलग होता है. जन्म के समय पर बच्चे का रोना उसके जीवन का संकेत है. जब जन्म के बाद बेबी फर्स्ट क्राई करता है तब पता चलता है कि उसके फेफड़े और हार्ट काम कर रहे हैं.

इस बारे में हेल्थ एक्सपर्ट्स व गायनोकोलॉजिस्ट मानते हैं कि रोने से बच्चे के स्वास्थ्य का पता चलता है. अगर बच्चा तेजी से रोता है तो इसका मतलब है वो स्वस्थ्य है. अगर बच्चा बहुत धीमे आवाज में रोता है तो कुछ स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती हैं.

नवजात शिशु जन्म लेने से पहले गर्भनाल के माध्यम से सांस ले रहा होता है. जन्म के कुछ सेकेंड बाद बच्चा खुद से सांस लेता है. जब नवजात शिशु सांस लेता है तो नाक और मुंह में जमें तरल पदार्थ को बाहर करता है. इस प्रक्रिया में बच्चा रोने लगता है. जब बच्चा खुद से सांस नहीं ले पाता और फ्लूइड को बाहर नहीं कर पाता तो डॉक्टर सक्शन ट्यूब की मदद से ऐसा करते हैं. पहली बार माता-पिता बने हैं तो इन गलतियों से बचें, जानें खास पेरेंट्स टिप्स.

नवजात शिशु का रोना कितना जरूरी 

गर्भ में पलने के बाद बच्चा जब जन्म लेता है तो वह अगले 24 घंटे बहुत शांत रह सकता है. ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चा बाहर के वातावरण के साथ कुद को एडजस्ट कर रहा होता है.

बच्चे का पहली बार रोना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. अगर बच्चा पहली बार नहीं रोता है तो डॉक्टर उसके हेल्थ के बारे में जांच करना शुरू कर देते हैं. कई बार बच्चे का न रोना बच्चे की मौत का कारण भी बन जाता है.

शिशु का रोना जरूरी होता है क्योंकि वह रोने के माध्यम से ही अपनी जरूरतों को बताता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बच्चे के रोने की आवाज मां सो रही होती है तब भी उसे सुनाई दे जाती है. यह एक प्रकृति का नियम जैसा है.

स्वस्थ्य शिशु 25 घंटे में लगभग 3 घंटे तक रो सकता है. कई बार कुछ शिशुओं में ज्यादा रोने की आदत देखी जाती है. ज्यादातर बच्चे सुबह के समय और दोपहर के बाद शाम को रोते हैं. पहले बच्चे की माँ को पता होना चाहिए ये 20 बेबी केयर टिप्स.

बच्चे का कितना रोना सामान्य होता है 

बच्चे के लालन-पालन में यह बात जानना जरूरी होता है. बच्चे को एक दिन में कितना रोना चाहिए या कितना रोना सामान्य है, इसकी जानकारी मां को होनी ही चाहिए. इस मसले में कई शोध बताते हैं कि एक स्वस्थ्य बच्चे को एक दिन या 24 घंटे में कम से कम 2-3 घंटे रोना ही चाहिए.

अगर नवजात शिशु 3 घंटे से अधिक रोता है तो विशेष देखभाल की जरूरत हो सकती है. अगर बच्चा 4 घंटे से ज्यादा रो रहा है तो फिर डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए. बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है उसके रोने का समय कम होने लगता है. नवजात शिशु की नाभि को साफ रखने के 5 उपाय.

शिशु के रोने का कारण और समय 

अब सबसे महत्वपूर्ण बात जो हर मां को पता होनी चाहिए. बच्चा कब-कब रोता है और क्यों रोता है.? शिशु को जब भूख लगती है तब रोता है यह बात हर मां जानती है. कुछ अन्य कारण भी होते हैं जब नवजात शिशु रोता है. आइए जानते हैं...

शिशु को भूख लगी हो 

जब बच्चे को भूख लगती है तब वह रोता है. नजजात शिशु को हर 2 से 3 घंटे के बीच में दूध पिलाना जरूरी होता है. पहली बार मां बनने वाली माताओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. नवजात शिशु के लिए बेहद महत्वपूर्ण है 48 घंटे, रखें इन बातों का ध्यान.

कमजोरी या थकान 

छोटे बच्चों में भी कमजोरी और थकान का अनुभव होता है. बच्चा जन्म के बाद बाहर के वातावरण के साथ खुद को एडजस्ट कर रहा होता है. ठीक इसी समय घर लोग और आस-पास की आवजों की वजह से उसे थकान का अनुभव हो सकता है. ऐसे में बच्चे को शांत जगह पर रखना ज्यादा अच्छा माना जाता है.  बेबी को सुलाना है जल्दी, तो अपनाएं ये टिप्स.

मां की गोद के लिए 

नवजात शिशु जन्म के बाद भी अपनी मां के स्पर्श के साथ रहना चाहता है. अगर बच्चे को ज्यादा समय तक मां से दूर रखा जाता है तो वह रोने लगता है. मां की आवाज और दिल की धड़कन तक को नजजात शिशु महसूस करता है.

जब बच्चा मां से स्पर्श के साथ जुड़ा रहता है तो वह खुद को सुरक्षित समझता है. छोटे बच्चे को मां के साथ चिपकर रहने से थेरेपी की तरह पोषण मिलता है. जो बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं उनको कंगारू थेरेपी भी दी जाती है.  नवजात शिशु के साथ सोते समय कभी ना करें ये 12 गलतियां.

मौसम की वजह से 

कई बार बच्चे मौसम की वजह से भी रोने लगते हैं. बहुत ज्यादा ठंड या गर्म मौसम बच्चे को परेशान करता है. अगर बच्चे को बहुत ज्यादा ठंड लगती है तो वह रोने लगता है. इसी तरह अगर बच्चे को बहुत ज्यादा गर्मी लगती है तब भी वो रोने लगता है.

नवजात शिशु को मौसम के अनुसार कपड़े पहनाना चाहिए. इसके अलावा बच्चे को सामान्य तापमान के कमरे में रखना चाहिए. डॉक्टर्स मानते हैं कि नवजात शिशु को सामान्य तापमान ज्यादा फायदा पहुंचाता है.

कपड़े बदलने के लिए 

जब छोटा बच्चा कपड़े गंदे कर देता है तब भी वह रोता है. मां को नवजात बच्चे के कपड़े समय-समय पर बदलते रहना चाहिए. छोटा बच्चा दूध ही पीता है जिसकी वजह से उसे बार-बार पेशाब करना होता है. अगर बच्चा कपड़ा गंदा करता है तो मां को उसे बदलते रहना चाहिए.

नवजात शिशु को डॉक्टर के पास कब ले जाएं 

कई बार बच्चा ज्यादा देर तक रोने लगता है. मां को बच्चे के ज्यादा समय तक रोने से घबराहट हो सकती है. अगर बच्चा 40 मिनट से 1 घंटे तक लगातार रो रहा है तो यह गंभीर बात हो सकती है.

बच्चा अगर रो रहा है तो वह दूध पीने के बाद या मां की गोद में आने के बाद शांत हो जाता है. अगर बच्चा दूध पीने के बाद और मां की गोद में आने के बाद भी चुप नहीं होता है तो फिर डॉक्टर के पास जाना चाहिए.