जिमनास्टिक को खेलों की जननी क्यों कहा जाता है - jimanaastik ko khelon kee jananee kyon kaha jaata hai

ओलिम्पिक में खेले जाने वाले खेलों में एक महत्वपूर्ण खेल है जिम्नास्टिक (Gymnastics). भारत में इसे कम लोग ही जानते थे लेकिन दीपा कर्माकर के द्वारा 2016 ओलिम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के बाद लोग इसे जानने लगे थे. जिम्नास्टिक को सभी खेलों की जननी कहा जाता है. इस खेल में खिलाड़ी के शरीर में लचक, तंदरुस्ती, फुर्ती तथा स्टेमिना को देखा और परखा जाता है. इस खेल में कला कौशल, प्रतिभा और तकनीक का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.

जिमनास्टिक को खेलों की जननी क्यों कहा जाता है - jimanaastik ko khelon kee jananee kyon kaha jaata hai

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ओलिम्पिक में खेले जाने वाले खेलों में एक महत्वपूर्ण खेल है जिम्नास्टिक (Gymnastics). भारत में इसे कम लोग ही जानते थे लेकिन दीपा कर्माकर के द्वारा 2016 ओलिम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के बाद लोग इसे जानने लगे थे. जिम्नास्टिक को सभी खेलों की जननी कहा जाता है. इस खेल में खिलाड़ी के शरीर में लचक, तंदरुस्ती, फुर्ती तथा स्टेमिना को देखा और परखा जाता है. इस खेल में कला कौशल, प्रतिभा और तकनीक का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.

जिम्नास्टिक का इतिहास (History of gymnastics)

जिम्नास्टिक के विकास का प्रारम्भ प्राचीन यूनान में हुआ. जिम्नास्टिक दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें जीमना का अर्थ कला तथा टीका मतलब नग्न होता है. प्राचीन यूनान में ये खेल केवल पुरुष वर्ग के लिए था आज के युग में महिलाएं भी इस खेल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है. महिलाओं के शरीर पुरुष के मुक़ाबले ज्यादा लचकदार होते हैं इसलिए वे इस खेल के लिए ज्यादा उपयुक्त होती हैं.

जिम्नास्टिक में पुरुष के लिए अवस्थाएं (Gymnastics poses for male)

फ्लोर एक्सरसाइज़
पामैल हॉर्स
पैरलल बार
होरीजेंटलबार
रिंग

जिम्नास्टिक में महिलाओं के अवस्थाएं (Gymnastics poses for female)

बीम संतुलन
फ्लोर एकसरसाइज़
वाल्टिंग हॉर्स
असमान बार

जिम्नास्टिक खेल के उपकरण (Gymnastic instruments)

जिम्नास्टिक खेल में आपको कुछ उपकरणों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन करना पड़ता है.
लड़कों के लिए : पैरलल बार, वाल्टिंग हॉर्स, ग्राउंड जिम्नास्टिक, होरीजेंटल बार, रोमन रिंग, पोमलड़ हॉर्स
लड़कियों के लिए : बीम बैलेंस, ग्राउंड जिम्नास्टिक, अन-इवन बार, वाल्टिंग हॉर्स

जिम्नास्टिक का मैदान (Gymnastic ground)

जिम्नास्टिक का मैदान खास रूप से निर्धारित नहीं होता है लेकिन इसके लिए आमतौर पर 60 मीटर से 30 मीटर चौड़ा मैदान उपलब्ध कराया जाता है. इस जगह में उपकरण रखने और प्रशिक्षण के लिए भी स्थान सम्मिलित होता है.

जिम्नास्टिक में खिलाड़ी (Gymnastic players)

जिम्नास्टिक प्रतियोगिता में एक टीम में सात खिलाड़ी होते हैं. इसमें सातवाँ खिलाड़ी अपने स्थान को बदल सकता है मतलब उसकी जगह कोई दूसरा खिलाड़ी आ सकता है.

जिम्नास्टिक खेल के नियम (Gymnastic rules)

– जिम्नास्टिक में जज का प्रतियोगी से संबंध बनाना अवैध माना जाता है.
– जिम्नास्टिक में एक टीम के सभी खिलाड़ी एक ही रंग की ड्रेस पहनते हैं.
– इस खेल के शुरू होने से पहले किसी भी खिलाड़ी को बदला जा सकता है.
– खेल के मैदान में कोई भी खिलाड़ी कलाई पट्टी और चमड़े के ग्रिप का उपयोग कर सकता है.
– जिम्नास्टिक में खेल के दौरान मैदान पर खिलाड़ी अपने सहायक को साथ रख सकता है लेकिन ये सहायक उसके खेल में उसकी मदद नहीं करता बल्कि कभी दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर उसकी मदद कर सकता है.
– जिम्नास्टिक में वार्मअप करने के लिए खिलाड़ी को 150 सेकंड का समय दिया जाता है.
– जिम्नास्टिक में बिना उच्च जज की अनुमति के कोई भी प्रतियोगी अपना स्थान नहीं छोड़ सकता. अगर वह छोड़ देता है तो वह खेल से बाहर हो जाता है.

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जिम्नास्टिक सभी खेलों की जननी : वालिया

जागरण संवाददाता, संगरूर : संगरूर जिम्नास्टिक एसोसिएशन व जिम्नास्टिक वेलफेयर क्लब संगरूर द्वा

जागरण संवाददाता, संगरूर :

संगरूर जिम्नास्टिक एसोसिएशन व जिम्नास्टिक वेलफेयर क्लब संगरूर द्वारा भारतीय कोच सुरजीत ¨सह वालिया की जिम्नास्टिक प्रति समर्पित सेवा के मद्देनजर उन्हें सम्मानित करने को वार हीरोज स्टेडियम में समागम का आयोजन किया गया। समागम में संगरूर जिम्नास्टिक एसोसिएशन के प्रधान न¨रदर जीत ¨सह ने सुरजीत ¨सह वालिया की सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुरजीत वालिया ने छह वर्ष तक संगरूर में कोच के तौर पर सेवा निभाई व इसके बाद भारत के विभिन्न हिस्सों में खिलाड़ियों को जिम्नास्टिक की सिखलाई दी। खिलाड़ियों में खेल प्रति समर्पण, मेहनत व अनुशासन में रहने के गुण दिए। भारत के चीफ जिम्नास्टिक कोच बनने का सम्मान उन्हें मिला। जिम्नास्टिक वेलफेयर क्लब के प्रधान व एसएस बोर्ड के सदस्य ज¨तदर कालड़ा ने कहा कि खेलों की मदद से बच्चों का शारीरिक विकास होने के साथ ही मानसिक विकास होता है। खिलाड़ी खेलो में प्राप्ति हासिल करके जहां अपने माता-पिता व शहर का नाम रोशन करते हैं, वहीं देश को उन पर फº होता है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक जिमनास्टिक खिलाड़ियों को प्रमोट किया जाना चाहिए, ताकि उनका जीवन सफल हो सके। कोच सुरजीत ¨सह वालिया ने सभी के समक्ष अपने जीवन के तजुर्बे सांझे किए। उन्होंने कहा कि जिमनास्टिक खेल सभी खेलों की जननी है। जिमनास्टिक का खिलाड़ी किसी भी खेल में पीछे नहीं रह सकता। जिमनास्टिक खिलाड़ी में स्टेमिना, फ्लैक्सीबिलिटी, ताकत, अनुशासन जैसी काबलियत पैदा होती है। अंत में कोच सुरजीत वालिया को सम्मानित किया गया।इस मौके पर मक्खन ¨सह संधू, गुरप्रीत ¨सह, हरचंद ¨सह जिमनास्टिक कोच, ज¨तदर जीत लाडी, सु¨रदर सिहं, न¨रदर कुमार, केएस सैणी, मनजीत ¨सह, महेंद्र ¨सह, जीत ¨सह, सरोज रानी, अनीता सैणी, ऊषा रानी, व¨रदर सैणी आदि उपस्थित थे।

Edited By: Jagran

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जिमनास्टिक को खेलों की जननी क्यों कहते हैं?

जिम्नास्टिक को समस्त खेलों की जननी कहा जाता है, क्योंकि जिम्नास्टिक में शरीर के समस्त अंगों का व्यायाम होता है। इससे बालक की मांसपेशियों में चुस्ती, दृढ़ता एवं स्फूर्ति आ जाती है। इससे बालकों के शरीर में लचीलापन व संतुलन अच्छा हो जाता है।

जिमनास्टिक कौन से देश का खेल है?

जिम्नास्टिक प्राचीन यूनानियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अभ्यासों से विकसित हुआ, जिसमें घोड़े पर चढ़ने, उतरने के कौशल और सर्कस प्रदर्शन कौशल शामिल थे।

जिम्नास्टिक के जनक कौन है?

फ्रेड्रिक लुडविंग जॉन (व्यवसाय: जिमनास्टिक्स शिक्षक, राष्ट्रीयता: जर्मनी) को 'जिमनास्टिक्स का जनक' कहा जाता है। 1816 में जॉन ने 'जर्मन जिम्नास्टिक' पर एक किताब लिखी।

जिम्नास्टिक क्या है और जिम्नास्टिक के प्रकार?

जिम्नास्टिक 2000 से 3000 ईसा पूर्व ऐथन्स में करते थे। यह खेल अत्यन्त प्राचीन है । भूतकाल में अन्य इसमें दौड़, कुश्ती, रस्साकसी, घुड़दौड़ अनेक खेलों को जिम्नास्टिक माना जाता था । इससे खिलाड़ी की मांसपेशियों का गठन शरीर का सन्तुलन, फुर्ती तेजी तथा दमखम आदि गुण पैदा होते थे ।