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हमारे पाचन तंत्र में पाई जाने वाली छोटी आंख के अंतिम भाग में जिसे शुद्ध राम कहते हैं उसने वसा का पाचन होता है लाइफ इज ऑनलाइन की सहायता से लाइपेज एंजाइम की सहायता से जो हमारा भोजन मारी छोटी आत में चलता रहता है उसमें से जो प्रोटीन होता है वह तो ब्लड वेसल्स के द्वारा ध्यान कर लिया जाता है लेकिन जो जटिल कार्बनिक पदार्थ होते हैं उनको हम उनको जो हमारी छोटी यादव ग्रैंड नहीं कर पाती तो इसलिए वह चल भोजन चलता रहता है जब वह लास्ट में पहुंचता है छोटी आपके अंतिम भाग सुंदर आंत्र में वहां पर कार्बोहाइड्रेट और वसा का पाचन होता है लाइफ इज लाइन की सहायता से hamare pachan tantra mein payi jaane wali choti aankh ke antim bhag mein jise shudh ram kehte hai usne vasa ka pachan hota hai life is online ki sahayta se laipej enzyme ki sahayta se jo hamara bhojan mari choti at mein chalta rehta hai usme se jo protein hota hai vaah toh blood vessels ke dwara dhyan kar liya jata hai lekin jo jatil carbonic padarth hote hai unko hum unko jo hamari choti yadav grand nahi kar pati toh isliye vaah chal bhojan chalta rehta hai jab vaah last mein pahuchta hai choti aapke antim bhag sundar aantrr mein wahan par carbohydrate aur vasa ka pachan hota hai life is line ki sahayta se प्रश्न 96 : हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है? उत्तर : (1) हमारे शरीर में वसा का पाचन छोटी आँत में होता है। NCBI के अनुसार, आंत 100 ट्रिलियन से अधिक माइक्रोबियल कोशिकाओं के एक जटिल समुदाय होता है। यह मेटाबॉलिज्म, पोषण के पाचन और प्रतिरक्षा कार्य को बेहतर ढंग से करने में बॉडी की मदद करता है। वहीं, इन बैक्टीरियों में कमी या किसी प्रकार की गड़बड़ी आंत में सूजन और मोटापे जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल का जोखिम बढ़ा देता है। लहसुनलहसुन प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करता है, और आंत में गुण बिफीडो-बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही यह रोग को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने में भी मदद करता है। प्याजप्याज कई औषधीय गुणों और पोषक तत्वों से भरे होने के कारण एक बढ़िया सब्जी है। यह इंसुलिन और FOS से भरपूर होती है। FOS गट फ्लोरा को मजबूत करता है, वसा के टूटने में मदद करता है, और कोशिकाओं में नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पादन को बढ़ाने का काम करत है। जिससे आपकी कमजोर इम्यूनिटी बूस्ट होती है। अलसी के बीजअलसी के बीज में म्यूसिलेज गम, सेल्यूलोज और लिग्निन नामक फाइबर होता है। जिसके कारण इसे एक बेहतरीन प्रीबायोटिक माना जाता है। ऐसे में इसके सेवन से आंत के अच्छे बैक्टीरिया बढ़ते हैं, जो पाचन, प्रतिरक्षा, और हेल्दी वजन को मेंटेन रखते हैं। केलाकेला पाचन के बहुत फायदेमंद होता है। यह एक कम फ्रुक्टोज वाला फल है, जो फाइबर से भरपूर होने के साथ ही इनुलिन का अच्छा सोर्स होता है। यह एक तत्व होता है, जो आंत में अच्छे बैक्टीरिया के विकास को बढ़ाता है। जौजौ बीटा-ग्लूकॉन में उच्च होता है। यह एक प्रीबायोटिक फाइबर भी है, जो आपके पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देता है। जौ में मौजूद बीटा-ग्लूकॉन कुल और गंदे एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जो हार्ट को लंबे समय तक हेल्दी रखने के लिए जरूरी है। शरीर में कॉपर की सही मात्रा आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर और वसा को जलाने का काम करती है। ऐसे में यदि आप वेट लॉस के लिए प्रयास कर रहे हैं तो तांबे के पानी का सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद है। पाचन में सुधारतांबे में मौजूद तत्व पानी में प्रदूषक और हानिकारक कीटाणुओं को दूर करते हैं। इसमें पेट की जलन, अपच, कब्ज की समस्या नहीं होती है। साथ ही तांबे का पानी चयापचय को भी बढ़ता है। एंटी एजिंग गुण होता हैतांबे के पानी के फायदों में फ्री रेडिकल्स से लड़ना भी शामिल है, जो त्वचा पर उम्र बढ़ने के प्रभाव के लिए जिम्मेदार होता है। तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से त्वचा में ताजगी बनी रहती है। हार्ट को हेल्दी रखता हैतांबे का पानी हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। कॉपर वाटर सप्लीमेंट कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने के साथ ही उच्च रक्तचाप को भी रोकने का काम करता है। जिससे हार्ट डिजीज होने का खतरा न के बराबर हो जाता है। अर्थराइटिस के दर्द से राहततांबे का पानी हड्डियों को मजबूत करके आपके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है। यह गठिया (Arthritis) में भी फायदेमंद होता है। दरअसल, तांबे में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है जो जोड़ों में सूजन को रोकता है और दर्द की परेशानी को दूर रखने का काम करता है। खून की कमी को दूर करता हैकॉपर शरीर में आयरन के अवशोषण में सहायता करता है, जो एनीमिया से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा कॉपर एक महत्वपूर्ण खनिज है जिसकी शरीर को कुछ हेमेटोलॉजिकल विकारों को रोकने के लिए उचित स्तर पर आवश्यकता होती है। इंफेक्शन से बचाता हैकॉपर में प्राकृतिक जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो संक्रमण को कम कर सकते हैं। ठंड के दिनों में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है ऐसे में इससे बचाव के लिए तांबे के पानी का इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। तांबे के पानी से ये फायदे भी मिलते हैंतांबे के पानी के सेवन से घाव जल्दी भरते हैं। साथ ही थायराइड ग्लैंड भी सही तरह से फंक्शन करती है। एक्सपर्ट सलाह देती हैं कि तांबे में के बर्तन में पीने के लिए पानी को स्टोर करने से पहले इसकी सफाई को सुनिश्चित करना न भूलें। तांबे के बर्तन को हमेशा नींबू नमक या विनेगर और नमक से साफ करें। डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। कौन सा एंजाइम वसा का पाचन करता है?Solution : लाइपेज एंजाइम।
हमारे शरीर में वसा का पाचन कहाँ होता है?उत्तर : (1) हमारे शरीर में वसा का पाचन छोटी आँत में होता है। (2) क्षुद्रांत में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है, जिससे उस पर एंजाइम का कार्य करना मुश्किल हो जाता है। (3) लीवर द्वारा स्रावित पित्त लवण उन्हें छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है, जिससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। यह इमल्सीकृत क्रिया कहलाती है।
वसा के पाचन में पित्त कैसे मदद करता है?उत्तर दीजिए--- <br>वसा के पाचन में पित्त कैसे मदद करता है
Solution : पित्त वसा के पायसीकरण एवं अवशोषण में मदद करता है। पित्त छोटी आंत में क्षारीय माध्यम प्रदान करता है, जिसके फलस्वरूप अग्नाशयी एवं आंत्रीय रस में उपस्थित एंजाइम सक्रिय होकर पाचन क्रिया में भाग लेते हैं।
वसा का पायसीकरण कौन करता है?वसा का पायसीकरण: वसा बूंदों में वसा ग्लोब्यूल्स का टूटना (छोटी आंत का हिस्सा) छोटी बूंदों में, जो एक बड़ी सतह क्षेत्र प्रदान करता है, जिस पर एंजाइम अग्नाशयी लाइपेस फैटी एसिड और ग्लिसरॉल में वसा को पचाने के लिए कार्य कर सकते हैं। यकृत द्वारा स्रावित पित्त लवण की क्रिया द्वारा पायसीकरण की सहायता की जाती है।
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