विश्व का सबसे छोटा दिन कौन सा है? - vishv ka sabase chhota din kaun sa hai?

  • 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन और लंबी रात
  • जानें- पृथ्वी पर कैसे पड़ती है सूरज की किरणें

22 दिसंबर यानी आज से उत्तरी गोलार्द्ध (Northern Hemisphere)  में सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो गई है और ये सर्दियां 20 मार्च तक चलेगी. इसकी मौके पर गूगल ने प्यारा सा डूडल बनाया है. जिसमें हमारी पृथ्वी और प्यारा सा आइस मैन बेबी दिखाया गया है. आपको बता दें, 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है और लंबी रात.

It's Winter Solstice! #CapricornSeason begins at 11:19PM EST tonight. pic.twitter.com/MXxE8J07xn

— Astrology by Mecca (@TheMeccanism) December 21, 2019

साल के सबसे छोटे दिन को विंटर सॉल्सटिस (संक्रांति) (Winter Solstice 2019) कहा जाता है. आज के दिन सूरज से धरती काफी दूर रहता है और पृथ्वी पर चांद की रौशनी काफी देर तक रहती है.

विंटर सॉल्सटिस इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी अपने घूर्णन के अक्ष पर लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई होती है और झुकाव के कारण प्रत्येक गोलार्ध को सालभर अलग-अलग मात्रा में सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है. आपको बता दें, दिसंबर विंटर सॉल्सटिस के दिन जब सूर्य की सीधी किरणें भूमध्य रेखा के दक्षिण  की ओर मकर रेखा के साथ पहुंचती हैं तो  उत्तरी गोलार्ध में यह दिसंबर संक्रांति (Winter Solstice 2019) और और दक्षिणी गोलार्ध में इसे जून संक्रांति (June solstice) के रूप में जाना जाता है.

Happy #WinterSolstice🎋 pic.twitter.com/OZfDUAyvCv

— Neela (@Neela92393473) December 21, 2019

दिसंबर में, जैसे ही पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर होता है, दक्षिणी गोलार्ध को अधिकतम सूर्य का प्रकाश मिलता है. सूर्योदय और सूर्यास्त का सही समय दो चीजों पर निर्भर करता है - विभिन्न समय क्षेत्र के भीतर अक्षांश और भौगोलिक स्थिति.

फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: धर्मेंद्र सिंह Updated Tue, 21 Dec 2021 08:34 PM IST

धरती पर 21 दिसंबर यानी आज का दिन सबसे छोटा होता है। इसकी वजह से 21 दिसंबर को सूर्य सिर्फ 8 घंटे तक रहता है और रात 16 घंटे की होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस दिन में हर साल बदलाव होता है। बीते साल 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन था। धरती पर सबसे छोटे दिन को विंटर सॉल्सटिस (Winter solstice)  भी कहा जाता है। आईए जानते हैं क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी...

सॉल्सटिस एक लैटिन शब्द है जो सोल्स्टिम से बना हुआ है। लैटिन शब्द सोल का अर्थ होता है सूर्य जबकि सेस्टेयर का अर्थ होता है स्थिर खड़ा रहना। इन दोनों शब्दों को मिलाकार सॉल्सटिस शब्द बना है जिसका अर्थ है सूर्य का स्थिर रहना। आज के दिन यानी 21 दिसंबर को पृथ्वी झुके हुए अक्ष पर घूमती है। इसके कारण 21 दिसंबर यानी आज का दिन साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है।

दुनिया के एक इलाके में सबसे लंबा दिन, दूसरे में सबसे छोटा दिन

Winter Solstice के समय दक्षिणी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें ज्यादा पड़ती हैं, तो वहीं उत्तरी गोलार्द्ध में कम। इसकी वजह से उत्तरी गोलार्द्ध में रात लंबी होती है और दिन छोटा। दक्षिणी गोलार्ध में आज के दिन सूर्य सबसे ज्यादा देर तक रहता है और इस इलाके में पड़ने वाले देशों में आज के दिन सबसे बड़ा दिन होता है। अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में आज से गर्मी की शुरुआत हो जाती है।

धरती की पोजिशन की वजह से एक इलाके में आज के दिन सबसे बड़ा दिन होता है, तो दूसरे इलाके में सबसे छोटा दिन। दूसरे ग्रहों की तरह पृथ्वी भी 23.5 डिग्री पर झूकी हुई है।  झुके हुए अक्ष पर पृथ्वी के घूमने से सूर्य की किरणें एक जगह अधिक और दूसरी जगह कम पड़ती हैं। 

बढ़ जाती है सूर्य से दूरी

उत्तरी गोलार्ध साल में 6 महीने सूर्य की ओर झुका रहता है जिससे सूर्य की अच्छी रोशनी यहां पड़ती है और इन महीनों के दौरान यहां गर्मी पड़ती है। इसके बाद बाकी 6 महीने ये इलाका सूर्य से दूर रहता है और दिन छोटा होने लगता है।

उत्तरायण से दक्षिणायन होता है सूर्य 

आज के दिन सूर्य कर्क रेखा से मकर रेखा की तरफ यानी उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर आता है। इस दिन से ठंड और बढ़ती है और बर्फबारी ज्यादा होने लगती है।

आपने हमेशा से सुना होगा कि 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है. 21 तारीख को दिन छोटा और रात लंबी होती है, तो आज जानते हैं कि आखिर किस वजह से ऐसा होता है और दिनरात में बदलाव होता है.

विश्व का सबसे छोटा दिन कौन सा है? - vishv ka sabase chhota din kaun sa hai?

21 दिसंबर को भारत समेत कई देशों में सबसे छोटा दिन होता है.

आज 21 दिसंबर है. 21 दिसंबर की पहचान साल के सबसे छोटे दिन के रूप में है यानी इस दिन सूरज की रोशनी सबसे कम देर तक पृथ्वी पर पड़ती है. आप भी हमेशा सुनते होंगे कि 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है, लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि आखिर इस दिन ऐसा क्या होता है कि सूरज की रोशनी कम देर तक आती है. जानिए 21 दिसंबर से दिन से जुड़ी हर एक बात…

इसके बाद आप समझ जाएंगे कि आखिर 21 दिसंबर को दिन सबसे छोटा क्यों होता है और पृथ्वी किस तरह से दिन और रात के वक्त को प्रभावित करता है…

21 दिसंबर को क्या होता है?

21 दिसंबर को भारत समेत कई देशों में सबसे छोटा दिन होता है. दिन का मतलब है सूरज उगने से अस्त होने के बीच वाला वक्त. इस दिन सूरज अपने निश्चित टाइम से कम समय तक रहता है और सूरज जल्द ही अस्त हो जाता है. इससे दिन तो छोटा हो जाता है और रात बड़ी हो जाती है. यानी सूरज कम देर तक धरती पर अपनी किरणों से प्रकाश फैलाता है. इसलिए 21 दिसंबर को साल के सबसे छोटे दिन के लिए जाना जाता है.

ऐसा क्यों होता है?

पहले तो आपको बता दें कि ऐसा हर देश में नहीं होता है. ऐसा सिर्फ पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में ही होता है. वहीं, इसके अलावा जो दक्षिणी गोलार्द्ध के जो देश हैं, उनके साथ इसके विपरीत स्थिति होती है और वहां सबसे बड़ा दिन होता है. बता दें कि पृथ्वी अपने अक्ष पर साढ़े तेइस डिग्री झुकी हुई है. इस वजह से सूर्य की दूरी पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध से ज्यादा हो जाती है. वैसे सभी ग्रह ही अपनी कक्षा में हल्के झुके होते हैं.

इससे सूर्य की किरणों का प्रसार पृथ्वी पर कम समय तक होता है. 21 दिसंबर को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है. इस दिन सूर्य की किरणें मकर रेखा के लंबवत होती हैं और कर्क रेखा को तिरछा स्पर्श करती हैं. इस वजह से सूर्य जल्दी डूबता है और रात जल्दी हो जाती है. यानी पृथ्वी जब अपनी धुरी पर चक्कर लगाती है तो किसी एक जगह पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें दिन के अंतराल को प्रभावित करती हैं जिस कारण दिन छोटा और बड़ा होता है.

21 जून की क्या है कहानी?

21 जून की कहानी 21 दिसंबर से बिल्कुल अलग होती है, जो कि आज से पूरे 6 महीने बाद है. 21 जून के दिन सबसे बड़ा दिन होता है यानी लंबे समय तक सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पड़ती है. वहीं, दक्षिणी गोलार्द्ध के साथ उस दिन उल्टा होगा और 6 महीने बाद वहां भारत वाली स्थिति वहां होगी और वहां 21 जून को सबसे छोटा दिन होगा. यह पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने की वजह से होता है.

कितना फर्क आ जाता है?

अगर आपको लग रहा है कि दिन बहुत ही ज्यादा बड़ा हो जाएगा और आपको कुछ अलग अनुभव करने को मिलेगा, तो ऐसा नहीं है. सूर्य अस्त आदि में सिर्फ 1 या 2 सेकेंड का अंतर होता है. यानी आज सिर्फ 1 सेकेंड दिन छोटा होगा और कल फिर एक सेकेंड ज्यादा देर तक सूर्य रहेगा. जैसे अगर पिछले साल की बात करें तो 2020 में 21 दिसंबर को दिल्ली में सुबह 7.10 बजे सूरज उगा था और शाम 5.29 बजे अस्त हो गया यानी 10 घंटे 19 मिनट और 3 सेकेंड तक सूरज रहा. वहीं, अगले दिन 22 दिसंबर को दिन 10 घंटे 19 मिनट और 4 सेकेंड का हुआ था.

बता दें कि 21 दिसंबर को कई देशों अलग अलग तरीकों से सेलिब्रेट किया जाता है. चीन में लोग 21 दिसंबर के दिन को पॉजिटिव एनर्जी का प्रतीक मानते हैं.

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सबसे छोटा और सबसे बड़ा दिन कब होता है?

21 जून के बाद घटने लगती है दिन की अवधि: पृथ्वी की परिक्रमा के कारण 21 जून के बाद दिन की अवधि बराबर हो जाती है। इसके बाद 21 सितंबर से रात लंबी होने लगती है और दिन छोटी होने लगती है। वहीं 22 दिसंबर को एक उत्तरी गोलार्ध में रात सबसे लंबी और दिन सबसे छोटा हो जाता है।

विश्व का सबसे बड़ा दिन कौन सा है?

खगोल शास्त्रियों के अनुसार, सूर्य उत्तरी गोलार्ध से चलकर भारत के बीच से गुजरने वाली कर्क रेखा में आ जाता है। इसलिए इस दिन सूर्य की किरणें धरती पर ज्यादा समय के लिए पड़ती हैं। इस दिन सूर्य की रोशनी धरती पर करीब 15-16 घंटे तक पड़ती हैं। जिसके कारण 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन होता है।

पृथ्वी पर सबसे छोटा दिन कब होता है?

23 दिसंबर को सूर्य पृथ्वी से बहुत दूर रहेगा। इस दिन साल का सबसे छोटा दिनसबसे लंबी रात होगी। इसके बाद से दिन की अवधि बढ़ना शुरू हो जाएगी।

वर्ष का सबसे बड़ा दिन कौन सा है?

आज 21 जून साल 2022 का सबसे बड़ा दिन (Longest Day) है, तो आज की रात सबसे छोटी (Shortest Night) होगी. दरअसल आज सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा पर लंबवत होगा, इस वजह से यह घटना होगी.