वीटो पावर भारत के पास क्यों नहीं है? - veeto paavar bhaarat ke paas kyon nahin hai?

Veto power: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में रूस ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल किया और उसके खिलाफ लाया जा रहा निंदा प्रस्ताव खारिज हो गया. रूस इससे पहले भारत के पक्ष में भी वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है, जानिए क्या होती है वीटो पावर...

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में रूस के तेवर सख्‍त रहे. रूस ने अपनी वीटो पावर (Veto power) का इस्‍तेमाल किया, नतीजा निंदा प्रस्‍ताव खारिज हो गया. प्रस्‍ताव पारित करने के लिए जिन 5 स्‍थायी देशों की सहमति जरूरी होती है, उनमें से चीन (China) ने दूरी बना ली. इसके अलावा भारत और युएई भी वोटिंग से दूर रहा. अस्‍थायी और स्‍थायी मिलाकर कुल 15 देशों में से 11 ने निंदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. यूएनएससी ने यूक्रेन के खिलाफ व्‍लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की थी और वहां से सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग की थी। इसके लिए निंदा प्रस्‍ताव लाया गया था, लेकिन इसमें सभी देशों के सहमत‍ि नहीं मिली. 

क्‍या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), कौन-कौन देश में इसमें शामिल हैं, किस देशों को मिली हुई है वीटो पावर? जानिए इन सवालों के जवाब…

क्‍या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद? 

न्‍यूज9लाइव की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) यूएन की एक शक्तिशाली संस्‍था है. अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर शांति और सुरक्षा सुनिश्‍चित करना इस संस्‍था की जिम्‍मेदारी है. हर महीने इस सुरक्षा संस्‍था की अध्‍यक्षता अल्‍फाबेटिकल ऑर्डर में बदलती है. इस बार यह जिम्‍मा रूस को मिला हुआ है. अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सुरक्षा को सुनिश्‍च‍ित करने लिए UNSC संस्‍था कुछ प्रतिबंध लगाने के साथ बल का प्रयोग भी कर सकती है.

क्‍या होती है वीटो पावर?

संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का स्‍थायी सदस्‍य और वर्तमान अध्‍यक्ष होने के कारण रूस के पास वीटो पावर है. रूस ने इस पावर का इस्‍तेमाल कियाा. नतीजा निंदा प्रस्ताव पास नहीं हो सका। भले ही यह प्रस्‍ताव पास न हो पाया हो, लेकिन परिषद में यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के फैसले की निंदा की गई। रूस पहले ही दुनियाभर के देशों को दूर रहने की चेतावनी दे चुका था.

निंदा प्रस्‍ताव पारित न हो पाने पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने वोटिंग करने के बाद कहा, रूस इस प्रस्‍ताव के लिए वीटो पावर का प्रयोग कर सकता है, लेकिन हमारी आवाज को वीटो नहीं कर सकता. सच्‍चाई और सिद्धांतों को वीटो नहीं कर सकता. 

कौन से 15 देश शामिल हैं UNSC में

संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 मेम्‍बर्स हैं. इनमें से 5 स्‍थायी देश हैं और 10 अस्‍थायी. स्‍थायी देशों में अमेरिका, ब्र‍िटेन, फ्रांस, चीन, रूस शामिल हैं. किसी भी मुद्दे पर फैसला लेने के लिए इन पांचों देशों की रजामंदी जरूरी है. इनमें से किसी भी एक देश के राजी न होने पर फैसला नहीं लिया जा सकता. इन देशों को वीटो पावर मिला हुआ है. संयुक्‍त राष्‍ट्र के निर्माण में इन देशों का अहम रोल रहा है, इसलिए इन देशों को कुछ खास अध‍िकार मिले हैं. 

वहीं, अस्‍थायी देशों में भारत, ब्राजील, अल्‍बानिया, गैबॉन, घाना, आयरलैंड, केन्‍या, मेक्सिको, नॉर्वे और यूएई शामिल हैं. इन देशों के पास वीटो पावर नहीं है, हालांकि भारत और जापान लम्‍बे समय से स्‍थायी मेम्‍बर बनाए जाने की अपील कर रहे हैं. 

कब-कब रूस ने भारत के पक्ष में किया वीटो पावर का इस्‍तेमाल?

रूस कई बार भारत के पक्ष में वीटो पावर का इस्‍तेमाल कर चुका है. रूस ने पहली बार भारत में पक्ष में वीटो पावर का इस्‍तेमाल 1957 में कश्‍मीर मुद्दे पर किया था. वहीं, 1961, 1962 और 1971 में भी इसका इस्‍तेमाल भारत  के पक्ष में किया जा चुका है. 

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भारत ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाल ली. भारत को यह ज़िम्मेदारी अगस्त महीने के लिए मिली है.

भारत ने कहा है कि वो इस भूमिका में तीन क्षेत्रों को प्रमुखता से देखेगा- समुद्री सुरक्षा, शांति प्रक्रिया और आतंकावाद के ख़िलाफ़ लड़ाई.

भारत अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दो साल के लिए अस्थायी सदस्य है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस और फ़्रांस.

स्थायी सदस्यों को वीटो पावर मिला हुआ है. मतलब पाँच स्थायी सदस्यों में से चार सदस्य कोई प्रस्ताव पास कराना चाहते हैं लेकिन कोई एक सदस्य नहीं चाहता है तो वीटो कर सकता है और वो प्रस्ताव पास नहीं होगा. 10 अस्थायी सदस्यों के पास ये ताक़त नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर महीने बदलती है और यह अंग्रेज़ी के अल्फ़ाबेटिकल ऑर्डर में होता है. इसी के तहत फ़्रांस के बाद भारत की बारी आई है.

भारत एक जनवरी, 2021 को सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना था. भारत की सदस्यता 31 दिसंबर, 2022 को ख़त्म होगी और इस पूरे कार्यकाल में भारत के पास दो बार यूएनएससी की अध्यक्षता आएगी.

भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता तब मिली है, जब अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो रही है और तालिबान मज़बूत होता जा रहा है. इसके साथ ही पाँच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए दो साल पूरा होने जा रहा है.

पाकिस्तान की सरकार के लिए दोनों मुद्दे काफ़ी अहम हैं और ऐसे में भारत के पास यूएनएससी की अध्यक्षता का जाना, उसे ठीक नहीं लगा होगा. यूएनएससी के पाँच स्थायी सदस्यों में से चीन हमेशा से उसके साथ रहा है. लेकिन अगस्त महीने में सुरक्षा परिषद की किसी भी बैठक में अध्यक्ष होने के नाते भारत की भी अहम भूमिका होगी.

पाकिस्तानी अख़बार डॉन ने लिखा है कि भारत के पास अध्यक्षता होने का मतलब है कि पाकिस्तान कश्मीर पर सुरक्षा परिषद में बैठक बुलाने में सक्षम नहीं होगा. भारत को यूएनएससी की अध्यक्षता मिलने पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया भी दी है.

इमेज कैप्शन,

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हाफ़ीज़ चौधरी ने शनिवार को पाकिस्तानी मीडिया से कहा, ''मैं उम्मीद करता हूँ कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक महीने की अध्यक्षता में निष्पक्ष होकर काम करेगा. उन्होंने कहा, ''हम उम्मीद करते हैं कि भारत नियमों के तहत अपनी भूमिका अदा करेगा.''

पिछले दो सालों में जम्मू-कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तीन बार चर्चा हुई है.

अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी इस महीने पूरी हो जाएगी. ऐसे में अगस्त महीना इस लिहाज से भी अहम है.

अगर अफ़ग़ानिस्तान को लेकर कुछ भी अहम होता है तो यूएनएससी में भारत की अध्यक्षता मायने रखेगी. पाकिस्तान भारत को अफ़ग़ानिस्तान में बाधा की तौर पर देखता आया है. भारत ने अपने एजेंडे में आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई को भी प्रमुखता देने की बात कही है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने भारत के यूएनएससी की अध्यक्षता मिलने पर कहा, ''यह बड़ा सम्मान है. अगस्त महीने में यूएनएससी की अध्यक्षता हमारे पास है और इसी महीने हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं. भारत इस महीने कई अहम बैठकों को लेकर फ़ैसला करेगा.''

पिछले महीने 27 जुलाई को टाइम्स ऑफ इंडिया में टीएस तिरुमूर्ति ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना निशाना साधा था.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मौक़े पर ट्वीट कर कहा, ''भारत हमेशा "धैर्य की आवाज़, संवाद का हिमायती और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का समर्थक" रहेगा.

समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद-विरोधी मुद्दों पर बैठक के अलावा, भारत शांति सैनिकों की याद में एक कार्यक्रम का भी आयोजन करेगा.''

संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट कर कहा है, ''भारत जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करने जा रहा है तब भारत के प्रधानमंत्री काउंसिल वर्चुअली बैठक की पहली बार नौ अगस्त को अध्यक्षता कर सकते हैं.''

सैयद अकबरुद्दीन ने भारत को यूएनएससी की अध्यक्षता मिलने पर कहा है, "75 से ज़्यादा सालों में, ये पहली बार है, जब हमारा राजनीतिक नेतृत्व यूएनएससी के किसी कार्यक्रम की अध्यक्षता करेगा. ये दिखाता है कि नेतृत्व फ्रंटफुट से नेतृत्व करना चाहता है. यह ये भी दर्शाता है कि भारत और उसका राजनीतिक नेतृत्व हमारी विदेश नीति को लेकर गंभीर है.''

''हालांकि ये एक वर्चुअल बैठक है, फिर भी ये हमारे लिए इस तरह की पहली बैठक है. इसलिए ये ऐतिहासिक है. आख़िरी बार जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इस ओर कोशिश की थी, तो वो 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे. तब उन्होंने यूएनएससी की बैठक में भाग लिया था."

भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने लिखा है, "भारत के एजेंडे से बहुत प्रभावित हूँ. इसमें समुद्री सुरक्षा, शांति की स्थापना और आतंकवाद विरोधी लड़ाई जैसे अहम वैश्विक मुद्दों को शामिल किया गया है."

वहीं भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल ने ट्वीट किया, "ख़ुशी है कि भारत आज फ्रांस से यूएनएससी की अध्यक्षता ले रहा है. हम भारत के साथ समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद का मुक़ाबला करने जैसे रणनीतिक मुद्दों पर काम करने और आज के कई मौजूदा संकटों का सामना करने के लिए एक नियम-आधारित, बहुपक्षीय प्रणाली को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

भारत की अध्यक्षता का पहला दिन सोमवार, दो अगस्त को होगा. जब तिरुमूर्ति इस महीने के लिए परिषद के कामकाज को लेकर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक हाइब्रिड प्रेस वार्ता करेंगे.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंज़ूरी देने की ज़िम्मेदारी है.

भारत को वीटो पावर क्यों नहीं मिलती?

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ तब भारत की औद्योगिक,राजनीतिक, आर्थिक तथा सैन्य शक्ति के विकास को देखते हुए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट यानि ''वीटो पॉवर'' देने की पेशकश की गई थी परन्तु नेहरू जी ने तब चीन के लोगों के गणतंत्र का हवाला देते हुए वीटो पॉवर लेने से इनकार कर दिया था.

वीटो शक्ति क्या है और वह किसे प्राप्त है?

वीटो शब्द लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “मैं निषेध करता हूँ”, किसी देश के अधिकारी को एकतरफा रूप से किसी कानून को रोक लेने का यह एक अधिकारी है। सयुंक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization-UNO) की संयुक्त राष्ट्र परिषद (UNSC) के स्थायी मेंबर देशों को प्राप्त अधिकार ही वीटो पावर (Veto Power) कहलाता है।

इंडिया को वीटो पावर कब मिलेगा?

संयुक्त राष्ट्र. भारत सहित जी-4 देशों ने कहा है कि उन्हें सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता दे दी जाए और वे अंतिम फैसला होने तक वीटो अधिकार का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

क्या भारत वीटो का सदस्य है?

- भारत पहली बार 1950-51 में अस्थायी सदस्य बना था. उसके बाद 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में दो साल के लिए सदस्य बना था. अभी भारत की अस्थायी सदस्यता इस साल दिसंबर में खत्म हो रही है. - सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता देने का समर्थन कई देश करते भी हैं, लेकिन अब तक कुछ खास हुआ नहीं है.