वंदे मातरम का अर्थ क्या होता है? - vande maataram ka arth kya hota hai?

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने वंदे मातरम की अनिवार्यता पर अस्थायी रूपसे रोक लगाने के बाद अब यू-टर्न ले लिया है. अब ना केवल इसका आयोजन पुलिस बैंड के साथ होगा बल्कि जनता भी इसमें शामिल हो सकेगी. आइए जानते हैं वंदे मातरम को लेकर क्या हैं दस खास बातें और वो कौन सी बात है, जिसके चलते मुस्लिम समुदाय इसे गाने से परहेज करता है.

वंदे मातरम को सबसे पहले आजादी के आंदोलनों के दौरान बंगाल में गाया जाता था. धीरे-धीरे ये पूरे देश में लोकप्रिय हो गया. इसे कांग्रेस के अधिवेशनों में भी गाया जाता था लेकिन बाद में इसे लेकर मुस्लिमों को आपत्ति होने लगी.

कुछ मुसलमानों को "वंदे मातरम्" गाने पर इसलिए आपत्ति थी, क्योंकि इस गीत में देवी दुर्गा को राष्ट्र के रूप में देखा गया है.

आपत्ति के और भी कारण
मुसलमानों का भी मानना था कि ये गीत जिस "आनन्द मठ" उपन्यास से लिया गया, वह मुसलमानों के खिलाफ लिखा गया है. इन आपत्तियों के मद्देनजर सन् 1937 में कांग्रेस ने इस विवाद पर गहरा चिंतन किया. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति गठित हुई. जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद भी शामिल थे.

अगर आप लिफ्ट में हों और रस्सी टूट जाए तो तुरंत करें ये काम

समिति ने पाया कि इस गीत के शुरुआती दो पद तो मातृभूमि की प्रशंसा में कहे गये हैं, लेकिन बाद के पदों में हिंदू देवी-देवताओं का जिक्र होने लगता है, लिहाजा फैसला लिया गया कि इस गीत के शुरुआती दो पदों को ही राष्ट्र-गीत के रूप में प्रयुक्त किया जाए.

वंदे मातरम का अर्थ क्या होता है? - vande maataram ka arth kya hota hai?

इस तरह गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर के "जन-गण-मन अधिनायक जय हे" को यथावत राष्ट्रगान रहने दिया गया. मोहम्मद इकबाल के कौमी तराने "सारे जहाँ से अच्छा" के साथ बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा रचित शुरुआती दो पदों का गीत "वंदे मातरम्" राष्ट्रगीत के तौर पर स्वीकृत हुआ.

कांग्रेस के अधिवेशनों में गाया जाता था 
सन् 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने यह गीत गाया. पांच साल बाद यानी सन् 1901 में कलकत्ता में हुए एक अन्य अधिवेशन में चरणदास ने इसे फिर गाया. 1905 के बनारस अधिवेशन में इस गीत को सरलादेवी चौधरानी ने स्वर दिया. बाद में कांग्रेस के कई अधिवेशनों की शुरुआत इससे हुई.

03 जनवरी 1948 : जब एक हिंदू ने गांधी से पूछा, आप मुस्लिमों से दोस्ताना क्यों हैं

कब राष्ट्रगीत बना
आजादी के बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में 24 जनवरी 1950 में 'वंदे मातरम्' को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाने संबंधी वक्तव्य पढ़ा, जिसे स्वीकार कर लिया गया.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने वंदे मातरम संबंधी एक याचिका पर फैसला दिया था कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान का सम्मान तो करता है पर उसे गाता नहीं तो इसका मतलब ये नहीं कि वो इसका अपमान कर रहा है. इसलिए इसे नहीं गाने के लिये उस व्यक्ति को दंडित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता. चूंकि वंदे मातरम् इस देश का राष्ट्रगीत है अत: इसको जबरदस्ती गाने के लिये मजबूर करने पर भी यही कानून व नियम लागू होगा.

वंदे मातरम का अर्थ क्या होता है? - vande maataram ka arth kya hota hai?

सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि अगर वंदेमातरम नहीं गा रहा है तो उसे दंडित नहीं किया जा सकता

आनंद मठ उपन्यास का अंश था
वंदेमातरम गीत को बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने संस्कृत बांग्ला मिश्रित भाषा में रचा था. जब 1882 में उनका उपन्यास आनन्द मठ प्रकाशित हुआ, उसमें इस गीत को उन्होंने रखा. बाद में अलग से काफी लोकप्रिय हो गया.

क्यों खास है 'पुरी', जहां से पीएम मोदी लड़ सकते हैं 2019 में चुनाव!

दूसरा सबसे लोकप्रिय गीत
वर्ष 2003 में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ने अन्तरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में जब दस मशहूर गीतों को चुना तो वंदे मातरम उसमें एक था. इसे दुनियाभर से करीब सात हजार गीतों में चुना गया था. इस सर्वे के मतदान में 155 देशों के लोगों ने हिस्सा लिया था. वंदे मातरम को उस समय नंबर दो पायदान पर रखा गया था

वंदे मातरम का अर्थ
"वंदे मातरम्" का अर्थ है "माता की वन्दना करता हूँ". ये पूरा गीत इस तरह है. इसका कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है.

वंदे मातरम का अर्थ क्या होता है? - vande maataram ka arth kya hota hai?

बंकिम चंद्र चटर्जी ने जब वंदे मातरम गीत की रचना की, तब वो अंग्रेज सरकार में डिप्टी कलेक्टर थे (फाइल फोटो)

"गॉड सेव द किंग" के जवाब में लिखा गया
दरअसल 1870-80 के दशक में ब्रिटिश शासकों ने सरकारी समारोहों में ‘गॉड! सेव द क्वीन’ गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया था. अंग्रेजों के इस आदेश से उन दिनों डिप्टी कलेक्टर रहे बंकिमचन्द्र चटर्जी को बहुत ठेस पहुंची. उन्होंने इसके विकल्प के तौर पर 1876 में विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला के मिश्रण से एक नये गीत की रचना की. उसका शीर्षक दिया - ‘वंदे मातरम्’

कौन हैं सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली दोनों महिलाएं?

अंग्रेज बैन करने के बारे में सोचने लगे थे
बंगाल में चले स्वाधीनता-आन्दोलन के दौरान विभिन्न रैलियों में जोश भरने के लिए ये गीत गाया जाता था. धीरे-धीरे ये बहुत लोकप्रिय हो गया. ब्रिटिश सरकार तो इससे इतनी आतंकित हो गई कि वो इस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में भी सोचने लगी.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

Tags: Bhopal, Congress, Kamal nath, Madhya pradesh news, Muslim, National song, Shivraj singh chauhan, Vande Matram

FIRST PUBLISHED : January 03, 2019, 16:23 IST

वंदे मातरम का अर्थ क्या?

"वंदे मातरम्" का अर्थ है "माता की वन्दना करता हूँ".

वंदे मातरम की पहली पंक्ति का अर्थ क्या है?

शस्य-श्यामलाम् मातरम्वन्दे मातरम्॥ १॥ अर्थ – हे माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ.

वंदे मातरम किसका नारा है?

वंदे मातरम नारा बंगाल के उपन्यासकार और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने दिया. उन्होंने साल 1882 में पहली बार इस नारे का इस्तेमाल किया था. रवींद्रनाथ टैगोर ने साल 1896 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अधिवेशन में इसका इस्तेमाल किया था।

भारतीय मुसलमान वंदे मातरम क्यों नहीं कहते?

पायोनियर ने 20 नवम्बर 1998 को पार्थक्य की इस मानसिकता को उजागर किया जब मुस्लिम विद्यार्थियों ने कहा कि वे वन्दे मातरम्‌ नहीं गाएगे क्योंकि भारत माता की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करने से मुस्लिम, मुस्लिम नह रह जाता, क्योंकि यह मूर्ति पूजा है, क्योंकि यह स्वतंत्रता संघर्ष में ''हिडन हिन्दुत्व लाने का टैगौर और ...