वायु सेना कब मनाया जाता है? - vaayu sena kab manaaya jaata hai?

भारत में हर साल 8 अक्टूबर को Indian Air Force Day मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि आखिर इसे इस दिन ही क्यों मनाया जाता है.

देश में हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस मनाया जाता है. इस साल देश में Indian Air Force Day की 90वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. वायुसेना दिवस को देशभर में जबरदस्त जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारत में वायुसेना दिवस को लोगों के बीच Air Force को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. वायुसैनिकों की बहादुरी को भी सलाम किया जाता है, जो अपनी निर्भीक क्षमता के जरिए देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में अनेकों कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है.

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वायुसेना दिवस हमें जमीन पर लड़ने वाली सेना की सहायता के लिए स्थापित किए गए भारतीय वायुसेना की भी याद दिलाता है. ये दिन शौर्य और पराक्रम का दिन है. भारतीय वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में स्थित हिंडन एयरफोर्स स्टेशन एशिया का सबसे बड़ा एयरफोर्स स्टेशन है. IAF भारतीय आर्म्ड फोर्स को आसमान से मदद पहुंचाती है. इसका प्राथमिक मिशन भारतीय हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करना और सशस्त्र संघर्ष के दौरान हवाई युद्ध करना है.

क्या है Indian Air Force का मोटो?

भारतीय वायुसेना का मोटो ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ या touch the sky with glory है. इसे भगवद् गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है. वहीं, भारत के राष्ट्रपति के पास वायुसेना के सर्वोच्च कमांडर का पद होता है. वायुसेना प्रमुख एक एयर चीफ मार्शल IAF के अधिकांश ऑपरेशनल कमांड के लिए जिम्मेदार होते हैं. वह एक फॉर स्टार ऑफिसर होते हैं. हालांकि, इन सबके बीच एक सवाल उठता है कि आखिर देश में वायुसेना दिवस 8 अक्टूबर को ही क्यों मनाया जाता है. आइए इस सवाल का जवाब जाना जाए.

8 अक्टूबर को क्यों मनाया जाता है वायुसेना दिवस?

वायुसेना दिवस हर साल 8 अक्टूबर को इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन 1932 में भारतीय वायुसेना को आधिकारिक तौर पर यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फोर्स के लिए एक सहायक बल के रूप में स्थापित किया गया था. हालांकि, वायुसेना का पहला ऑपरेशनल स्क्वाड्रन अप्रैल 1933 में स्थापित किया गया था. द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लेने के बाद वायुसेना के लिए चीजें बदलने लगीं.

युद्ध के दौरान इसने जबरदस्त प्रदर्शन किया और फिर इसे रॉयल उपसर्ग दिया गया. इस तरह IAF को IAF को रॉयल इंडियन एयरफोर्स (RIAF) के रूप में जाना जाने लगा. हालांकि, आजादी के बाद डोमिनियम के नाम पर वायुसेना का नाम रॉयल इंडियन एयरफोर्स बरकरार रखा गया था. लेकिन जब 1950 में भारत एक गणतंत्र बना, तो उपसर्ग रॉयल को हटा दिया गया. इस तरह से वायुसेना को नया नाम मिला- भारतीय वायुसेना या इंडियन एयरफोर्स (IAF).

शनिवार, 8 अक्टूबर 2022 को देश में ‘भारतीय वायुसेना दिवस’ मनाया जा रहा है। यह दिन हमारे लिए इसलिए बेहद खास है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य भारत की वायु सेना के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देना और उनके योगदान को स्मरण करना है। बता दें, भारतीय वायुसेना का इतिहास शौर्य से भरा हुआ है जिसमें देश के अनेक शूरवीरों ने अपने प्राण न्यौछावर किए हैं।

उल्लेखनीय है कि भारतीय वायुसेना शनिवार को अपना 90वां स्थापना दिवस चंडीगढ़ में मना रही है। यह पहला मौका है जब वायुसेना ने ‘एयर फोर्स डे’ की परेड और फ्लाई पास्ट का कार्यक्रम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के हिंडन एयरबेस से बाहर रखा है। ज्ञात हो, 1947 में स्वतंत्रता के बाद से ही वायुसेना दिवस को नई दिल्ली के पालम में कार्यक्रमों, परेडों और एक फ्लाईपास्ट से चिह्नित किया जाता रहा है। पिछले करीब डेढ़ दशक से देश की राजधानी में ट्रैफिक की बढ़ती समस्या के चलते इस खास इवेंट को हिंडन एयर बेस में शिफ्ट कर दिया गया था, लेकिन इस बार यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाहर हो रहा है।

पीएम मोदी ने किया ट्वीट

इस अवसर पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है, “वायुसेना दिवस पर साहसी वायु योद्धाओं और उनके परिवारों को मेरी बधाई। नभः स्पृशं दीप्तम् के आदर्श वाक्य के अनुरूप भारतीय वायु सेना ने दशकों से असाधारण निपुणता दिखाई है। उन्होंने राष्ट्र को सुरक्षित किया है और आपदाओं के दौरान उल्लेखनीय मानवीय भावना भी दिखाई है।”

On Air Force Day, my greetings to the courageous air warriors and their families. In line with the motto of नभः स्पृशं दीप्तम्, the Indian Air Force has shown exceptional dexterity for decades. They have secured the nation and also shown remarkable human spirit during disasters.

On Air Force Day, my greetings to the courageous air warriors and their families. In line with the motto of नभः स्पृशं दीप्तम्, the Indian Air Force has shown exceptional dexterity for decades. They have secured the nation and also shown remarkable human spirit during disasters. pic.twitter.com/6g9twDJAGx

— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2022

 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ट्वीट कर दिया संदेश

वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज सुबह ट्वीट कर कहा, “सभी साहसी वायु योद्धाओं और उनके परिवारों को भारतीय वायु सेना दिवस की बधाई और शुभकामनाएं। वायुसेना को अपनी वीरता, उत्कृष्टता, प्रदर्शन और व्यावसायिकता के लिए जाना जाता है। भारत को नीले रंग में अपने पुरुषों और महिलाओं पर गर्व है। उन्हें नीले आसमान और हैप्पी लैंडिंग की शुभकामनाएं।”

Greetings and best wishes to all courageous IAF air warriors and their families on the Indian Air Force Day. The IAF is known for its valour, excellence, performance and professionalism. India is proud of its men and women in blue. Wishing them blue skies and happy landings.

Greetings and best wishes to all courageous IAF air warriors and their families on the Indian Air Force Day. The IAF is known for its valour, excellence, performance and professionalism. India is proud of its men and women in blue. Wishing them blue skies and happy landings. pic.twitter.com/PItTFHZX7T

— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 8, 2022

 

दिसंबर से वायुसेना में शुरू होगी 3,000 अग्निवीरों की भर्ती

इधर ‘एयर फोर्स डे’ के अवसर पर आयोजन स्थल पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने युवाओं को ‘आत्मनिर्भर’ होकर आने वाले दशक में खुद अपने पैरों पर खड़े होने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, अग्निपथ योजना के माध्यम से वायु योद्धाओं को वायुसेना में शामिल करना हम सभी के लिए एक चुनौती है।

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने यह भी बताया कि इस साल दिसंबर में शुरुआती प्रशिक्षण के लिए 3,000 अग्निवीर वायु सेना में शामिल किए जाएंगे और आने वाले वर्षों में यह संख्या और बढ़ेगी। उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, हम अगले साल से महिला अग्निवीरों को भी शामिल करने की योजना बना रहे हैं।

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भारतीय वायुसेना

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भारतीय वायुसेना ने ‘एयर फोर्स डे’ के मौके पर परेड और फ्लाई पास्ट का कार्यक्रम रखा है। यानि कार्यक्रम दो हिस्सों में बांटा गया है। खबर लिखे जाने तक सुबह परेड का क्रायक्रम सम्पन्न हुआ। इसके बाद शाम को सुखना झील के किनारे फ्लाई पास्ट का कार्यक्रम होना बाकी है। फलाई पास्ट में 83 लड़ाकू, परिवहन विमान और हेलीकॉप्टरों हिस्सा लेंगे। वहीं स्वदेशी हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ भी अपनी ताकत का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन करेंगे। फ्लाईपास्ट में एवरो, डोर्नियर, चेतक और चीता हेलीकॉप्टर को छोड़कर लड़ाकू राफेल, सुखोई-30, मिराज-2000, जगुआर, कार्गो सहित 80 विमान और हेलीकॉप्टर भाग लेंगे। 03 अक्टूबर को बेड़े में शामिल किया गया स्वदेशी हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ भी तीन फाइटर जेट के बीच अपनी ताकत का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन करेगा। इसके अलावा, एमआई-35, एमआई-17, चिनूक, अपाचे, हॉवर्ड और डकोटा जैसे पुराने हेलीकॉप्टर भी हिस्सा लेंगे। ये सभी विमान आकाशगंगा, एनसाइन, एकलव्य, त्रिशूल, मेहर, शमशेर, वज्र सहित विभिन्न फॉर्मेशन में उड़ान भरेंगे। फ्लाईपास्ट में सारंग और सूर्यकिरण की टीम आसमान को अपने रंगों से भरने के लिए तैयार है। ग्लोब फॉर्मेशन में सूर्य किरण डिस्प्ले टीम से प्रशिक्षित नौ सी हॉक-132 जेट्स हेवी लिफ्ट एयरक्राफ्ट सी-17 के साथ शामिल होंगे।

चिनूक हेलीकॉप्टर की पैंतरेबाजी देखने लायक

फ्लाई पास्ट में ट्रांसफॉर्मर फॉर्मेशन में राफेल, सुखोई-39 और तेजस का संयुक्त हवाई युद्धाभ्यास एयर शो का आकर्षण होगा। वायुसेना की आकाश गंगा स्काईडाइविंग टीम का प्रदर्शन, चिनूक हेलीकॉप्टर की पैंतरेबाजी और अंडरस्लंग ऑपरेशन भी देखने लायक होगा। इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय वायुसेना लगातार अपनी ताकत में बढ़ोतरी कर देश को मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करने में तत्पर  है।

90 साल में वायुसेना की स्ट्राइक क्षमता हुई और अधिक शक्तिशाली

गौरतलब हो, 90 साल तक देश की सेवा करते हुए मौजूदा समय में वायुसेना की आक्रामक स्ट्राइक क्षमता और भी अधिक शक्तिशाली हो गई है। यही वजह है कि पूर्वी लद्दाख की सीमा पर वायुसेना किसी भी आक्रामकता का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

3,400 करोड़ रुपए से अधिक की बचत

परेड की सलामी लेने के बाद वायु योद्धाओं को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल ने कहा कि सरकार ने भारतीय वायुसेना में अधिकारियों के लिए एक हथियार प्रणाली शाखा के निर्माण को मंजूरी दे दी है। देश की आजादी के बाद यह पहली बार है कि जब एक नई परिचालन शाखा बनाई जा रही है। इस शाखा के निर्माण से उड़ान प्रशिक्षण पर कम खर्च होने के कारण 3,400 करोड़ रुपए से अधिक की बचत होगी।

अब भारतीय वायुसेना को शताब्दी दशक में लाने की जिम्मेदारी हम पर

उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के माध्यम से वायु योद्धाओं को वायु सेना में शामिल करना हम सभी के लिए एक चुनौती है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमारे लिए भारत के युवाओं की क्षमता का दोहन करने और इसे राष्ट्र की सेवा में लगाने का अवसर है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्व अधिकारियों की कड़ी मेहनत, लगन और दूर दृष्टि से 90 साल की गौरवशाली विरासत मिली है। अब भारतीय वायुसेना को शताब्दी दशक में लाने की जिम्मेदारी हम पर है।

भारतीय वायुसेना का दल-बल निरंतर हो रहा ताकतवर

इसी क्रम में भारतीय वायुसेना का दल-बल निरंतर ताकतवर हो रहा है। यह हमारे देश के लिए बड़े ही गौरव की बात है। साल 2014 के बाद ‘मेक इन इंडिया’ के साथ आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता की उड़ान ने इसे और सशक्त, सक्षम व क्षमतावान बनाया है। 2014 से अब तक भारतीय वायु सेना ने न केवल अपना बेहतर आधुनिकीकरण किया बल्कि आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को साथ लेकर देश में ही नई वायु तकनीकों और विमान निर्माण के सपने को साकार किया है। जहां तक केंद्रीय नियंत्रण का सवाल है, भारतीय वायु सेना में एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली विकसित की गई है, जो जमीन और हवा में मौजूद सभी सेंसर्स को जोड़ती है। भारतीय वायु सेना फोर्स मल्टीप्लायरों जैसे फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट, एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, आदि की देखरेख भी कर रही है। मिसाइल के मोर्चे पर, भारत के पास सामरिक मिसाइलों का एक अच्छा बेड़ा है, जिसमें अग्नि1-वी और पृथ्वी शामिल हैं। बहुस्तरीय सुरक्षा के लिए ‘लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल’ (LR-SAM), ‘मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल’ (MR-SAMs), आदि भी है।

भारत के पास ब्रह्मोस भी

भारत के पास ब्रह्मोस भी है जो कि स्वदेशी रूप से निर्मित है। भारत ने चिनूक जैसे भारी लिफ्ट हेलीकॉप्टर और अपाचे जैसे हेलीकॉप्टरों को अपनी वायुसेना में शामिल किया है। दूसरी ओर अति आधुनिक राफेल विमान भी भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल है। भारतीय वायु सेना ने अब अपने स्वयं के संचालन के लिये एक समर्पित उपग्रह प्रणाली भी विकसित की है। बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर भारतीय वायुसेना ‘एयरफिल्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण’ नामक एक परियोजना भी संचालित कर रही है। इस परियोजना के अंतर्गत 30 हवाई अड्डों को हर मौसम में 24X7 उड़ान क्षमताओं में अपग्रेड किया गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और DRDO के साथ मिलकर भारतीय वायु सेना ने देश में ही उन्नत किस्म के विमान और हेलीकॉप्टर जैसे तेजस, रुद्र, चेतक और हाल ही में प्रचंड का निर्माण किया है। जो भारतीय वायु सेना के मेक इन इंडिया विजन और देश की आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करते हैं। इसी वर्ष आधुनिक सेना की विश्व निर्देशिका (World Directory of Modern Military) ने ग्लोबल एयर पावर्स रैंकिंग में भारतीय वायुसेना को 69.4 TvR देते हुए विश्व में तीसरा स्थान दिया है जो वर्तमान समय में भारतीय वायु सेना के असाधारण विकास को प्रदर्शित करता है।

इन्हीं से आज भारतीय वायु सेना की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है और यही कारण है कि आज भारत की तरफ किसी की नजर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं। देश ने अपनी तकदीर खुद बनाई है और अपनी सेना की ताकत ‘आत्मनिर्भरता’ की राह पर चलकर बढ़ाई है। इस ताकत का शक्ति प्रदर्शन हर साल आज ही के दिन यानि 8 अक्टूबर को किया जाता है। हर साल की तरह इस बार भी भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान चंडीगढ़ की सुखना झील पर अपने शौर्य का प्रदर्शन करेंगे। इस वर्ष का यह उत्सव ऐतिहासिक रहने वाला है क्योंकि पहली बार इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली-एनसीआर गाजियाबाद के हिंडन बेस के बाहर किया गया है। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत तीनों सेना प्रमुख और हजारों दर्शक इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

8 अक्टूबर को ही क्यों मनाते हैं वायुसेना दिवस ?

उल्लेखनीय है कि देश-दुनिया के इतिहास में 8 अक्टूबर की तारीख कई अहम वजहों से दर्ज है। भारतीय वायुसेना के लिए यह तारीख बेहद महत्वपूर्ण है। भारत हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस मनाता है। दरअसल, इसी दिन भारत में वायुसेना आधिकारिक तौर पर सहायक के रूप में अस्तित्व में आई थी। अविभाजित भारत में 08 अक्टूबर 1932 को ही रॉयल इंडियन एयरफोर्स की स्थापना हुई थी। तब यह औपनिवेशिक शासन के अधीन थी। इसी तारीख को भारत में वायुसेना दिवस के तौर पर हर साल मनाया जाता है। यह सबसे बड़ा उत्सव होता है।

भारतीय वायुसेना के बारे में

भारतीय वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। भारतीय वायुसेना के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यह अपने ध्येय वाक्य ‘नभ: स्पृशं दीप्तम्’ के मार्ग पर चल रही है। वायुसेना के इस ध्येय वाक्य को भगवत गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। इसका मायने हैं ‘गर्व के साथ आकाश को छूना।’ नीला, आसमानी नीला और सफेद वायु सेना के फ्लैग के रंग हैं।

भारतीय वायुसेना का इतिहास

द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय वायुसेना के योगदान के लिए इसे ‘रायल’ प्रीफिक्स से नवाजा गया था। 1950 में भारत के गणतंत्र बनने पर प्रीफिक्स को हटा दिया गया। भारतीय वायुसेना को आधिकारिक तौर पर यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयरफोर्स में एक सहायक बल के रूप में स्थापित किया गया था। 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ ठीक उसी समय भारतीय वायु सेना को एक भीषण युद्ध का सामना करना पड़ा था। बड़ी संख्या में घुसपैठी विद्रोही सेनाएं जम्मू और कश्मीर में सीमा के अंदर घुसने लगीं तब प्रतिक्रिया स्वरूप 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय वायु सेना कि नंबर 12 स्क्वाड्रन ने पालम से पहली सिख रेजिमेंट को श्रीनगर के अविकसित हवाई पट्टी पर विमानों से पहुंचाने की असाधारण कार्रवाई बिना प्रारंभिक तैयारी के सफलतापूर्वक पूरी की थी। 26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना इसी वर्ष भारतीय वायुसेना ने अपने नाम से पहले से जुड़ा ”रॉयल” शब्द हटा दिया। ठीक इसी समय भारतीय वायु सेना ने अपने कई प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की। 01 अप्रैल 1954 को भारतीय वायु सेना के संस्थापक सदस्यों में से एक एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी पहले भारतीय वायुसेनाध्यक्ष बने।

कब भरी थी पहली उड़ान ?

भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर, 1932 को हुई थी, लेकिन इसकी पहली उड़ान 1 अप्रैल, 1933 को संचालित की गई। इसके पहले दस्ते में 6 आरएएफ ट्रेंड ऑफिसर और 19 एयर सोल्जर शामिल थे। पहला ऑपरेशन वजीरिस्तान में कबाइलियों के खिलाफ था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इसका विस्तार किया गया। भारतीय वायुसेना की जिम्मेदारी भारत को सभी संभावित खतरों से बचाना है और साथ ही आपदाओं में राहत एवं बचाव कार्यों में मदद करना है।

योगदान

वायुसेना कई युद्धों में शामिल रही है। इसमें है दूसरा विश्व युद्ध, भारत-चीन युद्ध, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन विजय, कारगिल युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध, कांगो संकट। आज वायुसेना पांच ऑपरेशनल और दो फंक्शनल कमांड्स में विभाजित है। हर कमांड का नेतृत्व एयर मार्शल रैंक के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ करते हैं। ऑपरेशनल कमांड का उद्देश्य जिम्मेदारी के क्षेत्र में एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करते हुए मिलिट्री ऑपरेशन को अंजाम देना है। फंक्शनल कमांड की जिम्मेदारी युद्ध के लिए तैयार रहने की है।

भारतीय वायुसेना का महत्व

भारतीय वायुसेना भारत के क्षेत्र और उसके राष्ट्रीय हितों को सभी खतरों से बचाती है और प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सहायता प्रदान करती है। वायुसेना भारतीय सेना को युद्ध के मैदान में हवाई सहायता और रणनीतिक और सामरिक हवाई परिवहन क्षमता प्रदान करती है। भारतीय वायुसेना में अत्यधिक कुशल चालक दल के सदस्य और पायलट मौजूद हैं जिनके पास दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तेज कार्रवाई करने के लिए विशेष महारत हासिल है। इसके अलावा वायुसेना खोज और बचाव अभियान, और मालवाहकों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य भी करती है।

वायुसेना बदली ‘लड़ाकू वर्दी’

वायुसेना दिवस के मौके पर इंडियन एयर फोर्स प्रमुख ने ‘लड़ाकू वर्दी’ के नए डिजिटल पैटर्न का अनावरण किया। बता दें नए पैटर्न को डिजिटल डिजाइन से तैयार किया गया है। नई वर्दी में एक अलग फैब्रिक और डिजाइन है। इसके रंग थोड़े अलग हैं, जो वायु सेना में काम करने के माहौल के लिए अधिक अनुकूल हैं। नई वर्दी कुछ हद तक भारतीय सेना की लड़ाकू वर्दी के डिजिटल पैटर्न से मिलती-जुलती ही है। इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) ने डिजाइन किया है।

IAF की ताकत

भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल, 31 लड़ाकू जेट स्क्वॉड्रन है। मोटे तौर पर प्रत्येक स्क्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान होते हैं। इसमें फ्रेंच राफेल के दो स्क्वाड्रन और स्वदेशी एलसीए ‘तेजस’ भी शामिल हैं। वर्तमान में भारतीय वायु सेना में 1,400 से अधिक विमान और लगभग 1,70,000 कर्मचारी कार्यरत हैं।

भारतीय वायु सेना के बारे में कुछ रोचक तथ्य

भारतीय वायुसेना को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी परिचालन वायु सेना का दर्जा दिया गया है। भारतीय वायुसेना में 1,400 से अधिक विमान और लगभग 1,70,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। भारतीय वायु सेना ने देश में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हमेशा राहत कार्यों में भाग लिया है, जिसमें गुजरात चक्रवात (1998), सुनामी (2004) और उत्तर भारत में बाढ़ शामिल हैं। इस दौरान वायु सेना ने फंसे नागरिकों को बचाते हुए एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है।

याद हो वायुसेना ने उत्तराखंड में अचानक आई बाढ़ में भी महत्वपूर्ण कार्य किया था। उस दौरान मिशन का नाम ‘राहत’ रखा गया था, जिसमें IAF ने लगभग 20,000 लोगों को बचाया था। इसके अलावा वायुसेना ऑपरेशन पूमलाई, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और जैसे विभिन्न ऑपरेशनों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। IAF शांति स्थापना मिशनों में संयुक्त राष्ट्र के साथ भी काम कर चुकी है। IAF ने महत्वपूर्ण संख्या में महिला लड़ाकू पायलटों, महिला नाविकों और महिला अधिकारियों को भी शामिल किया है जो अपनी देश को अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। यहां तक कि भारतीय वायुसेना के राफेल बेड़े में भी एक महिला फाइटर पायलट मौजूद है।

भारतीय वायु सेना कब मनाया जाता है?

भारतीय वायुसेना के लिए यह तारीख बेहद महत्वपूर्ण है। भारत हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस मनाता है। दरअसल, इसी दिन भारत में वायुसेना आधिकारिक तौर पर सहायक के रूप में अस्तित्व में आई थी। अविभाजित भारत में 08 अक्टूबर 1932 को ही रॉयल इंडियन एयरफोर्स की स्थापना हुई थी।

8 अक्टूबर को कौन सा डे मनाया जाता है?

Air Force Day 2022: भारतीय वायुसेना दिवस हर साल 8 अक्टूबर के दिन मनाया जाता है. Air Force Day 2022: भारतीय वायुसेना दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेनाओं में से एक है. हर साल 8 अक्टूबर के दिन भारत वायुसेना दिवस मनाता है.

वायु सेना दिवस कब मनाया जाता है और क्यों मनाया जाता है?

1932 में हुई थी भारतीय वायु सेना की स्थापना उस दौरान भारतीय वायु सेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स के नाम से जाना जाता था। हालांकि, जब देश आजाद हुआ तो रॉयल शब्द हटा दिया गया। जिसके बाद इसे भारतीय एयर फोर्स के नाम से जाना गया। इसलिए 8 अक्टूबर के दिन वायु सेना दिवस मनाया जाता है।

वायु सेना अध्यक्ष कौन है 2022?

9:30 वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी परेड की सलामी लेंगे.