1948 से 1956 तक कौन सा शहर मध्य भारत की राजधानी था? - 1948 se 1956 tak kaun sa shahar madhy bhaarat kee raajadhaanee tha?

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Last updated on Sep 21, 2022

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मध्य भारत, जिसे मालवा संघ के नाम से भी जाना जाता है, [1] पश्चिम-मध्य भारत में एक भारतीय राज्य था। इसे 28 मई 1948[2] को पच्चीस रियासतों को मिलाकर बनाया गया था, जो 1947 तक मध्य भारत एजेंसी का हिस्सा रही थीं।[3] इसके राजप्रमुख जीवाजीराव सिंधिया थे।

इस संघ का क्षेत्रफल 46,478 वर्ग मील (120,380 कि॰मी2) था।[4] ग्वालियर इसकी शीतकालीन राजधानी थी और इंदौर ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। यह दक्षिण-पश्चिम में बॉम्बे (वर्तमान में गुजरात और महाराष्ट्र ), उत्तर पूर्व में राजस्थान, उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में उत्तर प्रदेश और विंध्य प्रदेश और दक्षिण में भोपाल रियासत और मध्य प्रदेश से घिरा था। आबादी ज्यादातर हिंदू और हिंदी- भाषी थी।

1 नवंबर 1956 को, मध्य भारत का विंध्य प्रदेश और भोपाल रियासत के साथ, मध्य प्रदेश में विलय कर दिया गया।

ज़िले[संपादित करें]

मध्य भारत में 16 जिले शामिल थे [4] और इन जिलों को शुरू में तीन आयुक्तों के प्रभागों में विभाजित किया गया था, जिन्हें बाद में घटाकर दो कर दिया गया। ये जिले थे:

  1. भिंड जिला
  2. गिरद जिला
  3. मुरैना जिला
  4. गुना जिला
  5. शिवपुरी जिला
  6. राजगढ़ जिला
  7. भीलसा जिला
  8. शाजापुर जिला
  9. उज्जैन जिला
  10. इंदौर जिला
  11. देवास जिला
  12. रतलाम जिला
  13. धार जिला
  14. झाबुआ जिला
  15. निमाड़ जिला
  16. मंदसौर जिला

राजनीति[संपादित करें]

मध्य भारत राज्य का नाममात्र प्रमुख राजप्रमुख था। इसमें एक उपराजप्रमुख का पद भी था। राज्य में 99 सदस्यों की विधानसभा थी, जो 79 निर्वाचन क्षेत्रों (59 एकल सदस्य और 20 डबल सदस्य) से चुने गए थे।[5] राज्य में 9 लोकसभा क्षेत्र (7 एकल सदस्य और 2 दोहरे सदस्य) थे।[6]

जीवाजी राव सिंधिया 28 मई 1948 से 31 अक्टूबर 1956 तक राज्य के राजप्रमुख थे और लीलाधर जोशी पहले मुख्यमंत्री थे। उन्हें मई 1949 में गोपी कृष्ण विजयवर्गीय ने उत्तराधिकारी बनाया। 18 अक्टूबर 1950 को तखतमल जैन (जालोरी) मध्यभारत के तीसरे मुख्यमंत्री बने।

1951 में पहले आम चुनाव में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 75 सीटें जीतीं और हिंदू महासभा ने 11 सीटें जीतीं। [5]भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मिश्रीलाल गंगवाल 3 मार्च 1952 को मुख्यमंत्री बने। उनके इस्तीफे के बाद, तखतमल जैन (जालोरी) 16 अप्रैल 1955 को फिर से मुख्यमंत्री बने।[7] वे 31 अक्टूबर 1956 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे।

भूगोल[संपादित करें]

मध्य भारत राज्य मध्य भारत पठार (वर्तमान में उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश राज्य और मध्य राजस्थान के अधिकांश भाग में स्थित है) में स्थित था। यह पठार उत्तर में भारत-गंगा के मैदान, पूर्व में बुंदेलखंड के ऊपर, दक्षिण में मालवा के पठार और पश्चिम में पूर्वी राजस्थान से घिरा हुआ था।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "India States". मूल से 4 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 फ़रवरी 2020.
  2. "Bhind-History". Bhind district website. मूल से 19 June 2009 को पुरालेखित.
  3. "Bhind-History". Bhind district website. मूल से 19 June 2009 को पुरालेखित.
  4. ↑ अ आ Bhattacharyya, P. K. (1977). Historical Geography of Madhya Pradesh from Early Records. Motilal Banarsidass. पपृ॰ 53–4. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788120833944.
  5. ↑ अ आ "Statistical Report on General Election, 1951 to the Legislative Assembly of Madhya Bharat" (PDF). Election Commission of India website. मूल से 10 अप्रैल 2009 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 8 फ़रवरी 2020.
  6. "Statistical Report on General Elections, 1951 to the First Lok Sabha" (PDF). Election Commission of India website. मूल (PDF) से 9 April 2009 को पुरालेखित.
  7. "This Day That Age - April 18, 1955: Madhya Bharat CM". The Hindu. 18 April 2005. मूल से 5 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-08-16.

ग्वालियर। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और रियासतें खत्म हो गई। उस समय एक नए राज्य मध्य भारत ने जन्म लिया, जिसमें ग्वालियर के साथ इंदौर व अन्य 25 रियासतों का विलय किया गया। इस मध्य भारत की राजधानी ग्वालियर बनी और साथ में यहां के शासक जीवाजी राव सिंधिया को राजप्रमुख बनाया गया। सिंधिया को राजप्रमुख की शपथ दिलाने स्वयं उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ग्वालियर आए थे।

1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश राज्य अस्तित्व में आया। इस मौके पर dainikbhaskar.com मप्र के इतिहास से जुड़ी कुछ जानकारियां सामने ला रहा है।

-देश के स्वतंत्र होने के बाद मध्य भारत राज्य की स्थापना हुई । इस स्टेट में 25 रियासतों का राजपाट खत्म हो गया और उनका विलय मध्य भारत में किया गया।

-भारत सरकार ने तखतमल जैन को इस स्टेट का पहला मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद जीवाजी राव सिंधिया को राजप्रमुख नियुक्त किया गया।

-सिंधिया को राजप्रमुख नियुक्त करने का विरोध इंदौर के होल्कर राजवंश ने जमकर विरोध किया। यशवंत राव होल्कर नहीं चाहते थे ग्वालियर का दर्जा इंदौर से ज्यादा हो।

सरदार पटेल ने सुलझाया मामला

-अंत में देश के उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने हस्तक्षेप किया और दोनों के बीच मतभेदों को सुलझाया।

-इसके बाद भारत सरकार ने होल्कर राजवंश के यशवंत राव को उप राजप्रमुख नियुक्त कर दिया और जीवाजी राव सिंधिया को मध्य भारत स्टेट का राजप्रमुख बना दिया।

PM नेहरू आए थे जीवाजी राव को शपथ दिलाने

-मध्य भारत राज्य बनने के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ग्वालियर आए थे। उन्होंने ही जीवाजी राव सिंधिया और यशवंत राव को शपथ दिलाई थी।

-उस समय राजप्रमुख का दर्जा राज्यपाल के बराबर होता था। उसी समय तय किया गया कि ग्वालियर साढ़े छह महीने राजधानी रहेगा और शेष साढ़े पांच महीने इंदौर।

-यह भी तय किया गया कि इंदौर ग्रीष्मकालीन और ग्वालियर शीतकालीन राजधानी होगी। यह सिलसिला 1 नवंबर 1956 तक मध्य प्रदेश के अस्तित्व में आने तक चला।

ये रियासतें थी मध्य प्रांत में

-मध्य भारत प्रांत में प्रमुख रूप से ग्वालियर व इंदौर जैसी बड़ी रियासतों के साथ 25 दूसरी रियासतें भी शामिल की गईं।

-छोटी रियासतों में अलीराजपुर, देवास (सीनियर), धार, रतलाम, सीतामऊ, बड़वानी, देवास (जूनियर), जावरा, सैलाना, कठ्ठीवाड़ा, नरसिंहगढ़, मुहम्मदगढ़, खनियांधाना, झाबुआ, खिलजीपुर, कुरवाई, नीमखेड़ा, पिपलौदा, दतिया, राजगढ़ व पठारी भी शामिल हुई।

स्लाइड्स में देखिए नेहरू और जीवाजीराव से जुड़े फोटोज.........

1948 से 1956 तक कौन सा शहर मध्य भारत की राजधानी थी?

इसे 28 मई 1948 को पच्चीस रियासतों को मिलाकर बनाया गया था, जो 1947 तक मध्य भारत एजेंसी का हिस्सा रही थीं। इसके राजप्रमुख जीवाजीराव सिंधिया थे। इस संघ का क्षेत्रफल 46,478 वर्ग मील (120,380 कि॰मी2) था। ग्वालियर इसकी शीतकालीन राजधानी थी और इंदौर ग्रीष्मकालीन राजधानी थी

1956 तक मध्य प्रदेश की राजधानी क्या थी?

भोपाल राज्य 18 वीं शताब्दी का भारत का एक स्वतंत्र राज्य था, 1818 से 1947 तक भारत की एक रियासत थी, और 1949 से 1956 तक एक भारतीय राज्य था। इसकी राजधानी भोपाल शहर थी

मध्य प्रदेश की पुरानी राजधानी का नाम क्या है?

एक नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश राज्य अस्तित्व में आया था और उस समय लंबी कवायद के बाद अंत में भोपाल प्रदेश की राजधानी बना, जबकि ग्वालियर मध्य भारत प्रांत की राजधानी होते हुए भी इस दौड़ में पिछड़ गया।

भारत की आजादी के बाद मध्य प्रांत की राजधानी क्या थी?

सेन्ट्रल प्रोविंस एवं बेरार ब्रिटिश आधीन भारत का एक प्रांत था। यह प्रांत मध्य भारत के उन राज्यों से बना था, जिन्हें अंग्रेजों ने मराठों एवं मुग़लों से जीता था। इस प्रांत की राजधानी नागपुर थी। इस समय यहा के मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल जी थे।