1965 भारत पाकिस्तान युद्ध में कौन जीता? - 1965 bhaarat paakistaan yuddh mein kaun jeeta?

पाकिस्तान हमेशा से यह दावा करता रहा है कि 1965 की जंग में उसने भारत को शिकस्त दी थी. इस जीत का जश्न मनाने के लिए वहां हर साल 6 सितंबर को विजय दिवस मनाया जाता है. आज पाक के विजय दिवस पर जानिए उसके जीत के दावों के बारे में सबसे बड़े झूठ का खुलासा. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि वहां के ही एक इतिहासकार ने ही पाक से जीत के दावों की हवा निकाल दी है.

पाकिस्तान के इतिहासकार और राजनीतिक अर्थशास्त्री डॉ. एस. अकबर जैदी ने 1965 की जंग में पाकिस्तान की जीत के मिथ की हकीकत बयान करते हुए कहा कि इससे बड़ा झूठ नहीं हो सकता कि पाकिस्तान ने 1965 की जंग जीती थी, हम बुरी तरह हारे थे.

उन्होंने 1965 की लड़ाई का सच जानने के लिए शुजा नवाज की किताब ‘क्रॉस्ड स्वॉर्ड्स’ पढ़ने की अपील की. पाकिस्तान में इतिहास पढ़ाए जाने के तरीकों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि लोग इस बात से अनजान हैं कि पाकिस्तान में जो इतिहास पढ़ाया जाता है वह वैचारिक दृष्टिकोण पर आधारित है जबकि इसे एक भौगोलिक इकाई के रूप में देखे जाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के इतिहास के बारे में सवाल पूछे जाने की जरूरत है. पाकिस्तान कब बना? 14 अगस्त 1947 को या 15 अगस्त 1947? पाकिस्तान के गठन के जवाब में उन्होंने कहा कि एक निश्चित उत्तर है, 14 अगस्त 1947 को.

लेकिन उन्होंने पाकिस्तानी की स्कूल की किताबों का हवाला देते हुए कहा कि उसमें लिखा है कि पाकिस्तान सन् 712 में तब बना, जब अरब और सिंध के लोग मुल्तान आए. किताब की बात को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह बकवास है. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों और अरबों का पहली बार प्रवेश दक्षिण भारत के केरल में व्यापार को लेकर हुआ था.

उन्होंने कहा कि यहां सबको इतिहास में मुगल, आजादी की लड़ाई, कायदे-ए-आजम, मुस्लिम लीग के बारे में पढ़ाया जाता है. लेकिन बलूचों और पख्तूनों के बारे में नहीं. पाकिस्तान का इतिहास बलूच, पख्तून, पंजाब, शाह अब्दुल लतीफ और उनके इस धरती से संबंधों को जाने बिना नहीं समझ सकते हैं. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि पाकिस्तान का इतिहास, पाकिस्तान के लोगों का इतिहास है या पाकिस्तान बनने का?

उन्होंने इस उदाहरण को समझाने के लिए पूर्वी पाकिस्तान का उदाहरण दिया. शुजा ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान को यादों से मिटा दिया गया. पूर्वी पाकिस्तान के बंगालियों को देशद्रोही मान लिया गया है, भारत ने हस्ताक्षेप किया और पूर्वी पाकिस्तानी ने अलग होने का निर्णय किया. लेकिन इस बंटवारे में पाकिस्तानी सेना की क्या भूमिका था? इस बारे में यहां के इतिहास में नहीं बताया जाता है.

उन्होंने कहा कि अपने देश के इतिहास को जानकार ही हम उन मुद्दों से बेहतर ढंग से निपट सकते हैं, जिनको लेकर हम लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिंदुओं और पारसियों ने कराची के शैक्षिक विकास में अहम भूमिका निभाई और इसी तरह सिखों ने पंजाब के विकास में अहम योगदान दिया. लेकिन यहां यह नहीं पढ़ाया जाता.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बच्चों को इतिहास को एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ने के लिए बच्चों को विवश किया जाता है. इसलिए उनका ध्यान सिर्फ परीक्षा पास करने और इससे बच निकलने का होता है. यहां के इतिहास में जनरलों और शासकों पर फोकस किया जाता है बजाय कि सामाजिक इतिहास के.

कौन हैं शुजा नवाजः

शुजा नवाज पाकिस्तान के प्रसिद्ध मीडिया कर्मी रहे हैं. जिन्होंने 1967 से 1972 तक पाकिस्तान टेलीविजन में काम किया. उन्होंने 1971 की भारत-पाक लड़ाई को कवर किया था. अपनी किताब 'क्रॉस स्वॉर्ड्स' में उन्होंने 30 साल की अपनी रिसर्च के बाद पाकिस्तानी सेना, उसकी इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई और भारत-पाक युद्धों का वर्णन किया है. इस किताब में भारत-पाक युद्धों का शुजा ने बड़ी ही बेबाकी से वर्णन किया है. उन्होंने बताया है कि कैसे पाकिस्तान 1965 में मिली हार को अपनी जीत बताता रहा है.

पाकिस्तान में हुई तीखी आलोचनाः

जैदी के हवाले से 1965 की जंग में पाकिस्तानी की हार की खबर छापने वाले पाकिस्तानी अखबार डॉन और जैदी की पाकिस्तान में कड़ी आलोचना की गई. खबर छपने के बाद ट्विटर पर पाकिस्तान में #DAWNPAWNOFMODI (डॉन मोदी का प्यादा) हैशटैग टॉप पर ट्रेंड करने लगा. लोगों ने जैदी को भी भारत से पैसा खाने वाला तक बता दिया.

मेरठ,जेएनएन। वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में कश्मीर में घुसपैठियों को मार गिराने के बाद भारतीय सेना वाघा बार्डर होते हुए पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश कर गई थी। जीटी रोड पर लखनके, गोपालपुर होते हुए अपर ब्रांच द्वाबा कैनल, जिसे इच्छोगिल कैनल कहते हैं, स्थित डोगराई पर 22 सितंबर को कब्जा कर लिया था। 55 इंजीनियरिग रेजिमेंट्स के साथ उस लड़ाई में शामिल रहे मेरठ के मेजर ज्ञान सिंह यादव के अनुसार दुनियाभर से बढ़ रहे युद्ध विराम के दबाव के बीच भारतीय सेना ने 22 को ही डोगराई फतह का निर्णय लिया। मौके पर तैनात 13 पंजाब और 3 जाट बटालियन के योद्धाओं को आगे बढ़ने के लिए दुश्मन के माइन फील्ड में इंजीनियर्स ने रास्ता बनाया। आमने-सामने की लड़ाई में भारतीय वीरों ने दुश्मन को चित कर डोगराई पर तिरंगा फहरा दिया था। भारतीय युद्ध के इतिहास में 'बैटल ऑफ डोगराई' को सर्वाधिक वॉर कैजुअलटी वाला युद्ध माना जाता है।

1965 भारत पाकिस्तान युद्ध में कौन जीता? - 1965 bhaarat paakistaan yuddh mein kaun jeeta?

Meerut News: साक्षी महाराज का तंज, राहुल को टीशर्ट पहन देख गिरगिट भी शरमा जाए, कभी बांधते हैं जनेऊ तो कभी माला

यह भी पढ़ें

पहली जीत के बाद पीछे खींचने पड़े थे कदम

कंकरखेड़ा स्थित डिफेंस एन्क्लेव निवासी मेजर ज्ञान सिंह यादव (तब सैपर, इंजीनियर्स रेजिमेंट) के अनुसार पाकिस्तान पर जवाबी हमले के पहले ही दिन छह सितंबर को तीन जाट ने डोगराई पर कब्जा कर लिया था। रिइंफोर्समेंट पहुंचने से पहले ही पाकिस्तान ने अपनी इज्जत बचाने के लिए पूरी ताकत डोगराई में झोंक दी। आला कमान के निर्देश पर तीन जाट एक कदम पीछे हटी और कैल के पीछे मोर्चा संभाल लिया और अंत तक जमे रहे। मेजर यादव के अनुसार पाकिस्तानी सेना के पास आधुनिक हथियार थे। वायु सेना में भारतीय ग्नैट के मुकाबले पाकिस्तान की आधुनिक सैबर फाइटर एयरक्राफ्ट थे। इसीलिए भारतीय सेना को दोबारा डोगराई जीतने में 15 दिन लग गए थे।

'दीवार' गिराकर जोरदार हुई अंतिम लड़ाई

मेजर जीएस यादव के अनुसार डोगराई कैनल दुश्मन के लिए एक दीवार का काम कर रही थी। उसके बाहर दुश्मन ने माइन फील्ड बिठाई थी जिसमें 21 सितंबर की रात 55 इंजीनियर्स के 71 फील्ड कंपनी ने करीब 300 मीटर रास्ता बनाया। 22 सितंबर के भोर में माइन फील्ड पार कर हमला कर दिया, जिससे दुश्मन भौचक्का रह गया। वहां पाकिस्तान की एक डोगरा, 16 पंजाब, तीन बलूच, आठ पंजाब व 16 बलूच तैनात थी। तीन जाट के जवान दुश्मन पर कहर बनकर टूट पड़े। हथियार के बाद गन बैनट और फिर खाली हाथ भी लड़े। उस लड़ाई में भारतीय सेना के 80 जवान शहीद हुए थे। वहीं, दुश्मन के 350 से अधिक सैनिक मारे गए और करीब 150 पकड़े गए थे। तीन जाट बटालियन के कमान अधिकारी ले. डी. हाइड और मोदीनगर में फतेहपुर गांव के रहने वाले मेजर आशाराम त्यागी शहीद हुए थे। दोनों को मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया था।

1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में कौन जीता था?

भारत के १ बख्तरबंद खन्ड जिसे भारतीय सेना की शान कहा जाता था ने सियालकोट की दिशा में हमला कर दिया। छाविंडा में पाकिस्तान की अपेक्षाकृत कमजोर ६ बख्तरबंद खन्ड ने बुरी तरह हरा दिया भारतीय सेना को करीब करीब १०० टैंक गवाने पड़े और पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।

1965 में भारत के कितने जवान शहीद हुए थे?

बम हमले में शहीद हुए थे रेलवे के 17 जवान वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान रेलवे लाइन को दुरुस्त कर रहे रेल कर्मियों पर पाक सैनिकों ने हमला बोल दिया। रेलवे के 17 जवान शहीद हो गए थे

भारत और पाकिस्तान के बीच कितने युद्ध हुए और कौन जीता?

भारत और पाकिस्तान के बीच चार युद्ध हुए हैं। १९४८,१९६५,१९७१ और १९९९।

भारत के कुल कितने युद्ध हुए?

भारत की आजादी के बाद हमारी सेना ने कुल 5 युद्ध लड़े.