1975 से पहले सिक्किम क्या था? - 1975 se pahale sikkim kya tha?

वो अप्रैल 14, 1975 का दिन था, जब सिक्किम ने एकमत से राजतन्त्र को हटाने के लिए मतदान किया। रिफ़रेंडम हुआ और सिक्किम की 97.55% जनता ने मिल कर इसे भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनाने के लिए वोट दिया। कुल 97,000 लोगों ने इस मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा लिया था, जो कुल 63% वोटर टर्नआउट था। उस समय चोग्याल वंश का सिक्किम पर शासन था और चीन हिमालय पर बसे इस राज्य को हथियाने की फ़िराक़ में था। पाल्डेन थोंडुप नामग्याल तब सिक्किम का राजा था। वो गंगटोक स्थित महल में ही भारतीय सेना से घिरा हुआ था। उसकी पत्नी तब 2 बच्चों के साथ न्यूयॉर्क में रहती थी।

51 वर्षीय नामग्याल की पत्नी होप कुक अमेरिकन थी और और उन्होंने उस वक़्त इस मतसंग्रह को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था। लेकिन, वही हुआ जो सिक्किम की जनता की इच्छा थी। काजी लेन्डुप दोरजी तक सिक्किम के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने भारतीय गणराज्य का पक्ष लिया था। उन्होंने केबलग्राम से वोटिंग का परिणाम तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी तक भिजवाया। उन्होंने गाँधी से आग्रह किया कि वो तुरंत जनता की इच्छानुसार निर्णय लें और जनमत को स्वीकार करें।

हालाँकि, तब चीन ने ज़रूर ये आरोप लगाए थे कि भारत जबरदस्ती सिक्किम पर कब्जा कर रहा है। लेकिन, इंदिरा गाँधी ने ये याद दिलाने में देरी नहीं की कि चीन ने किस तरह तिब्बत पर जबरदस्ती कब्ज़ा किया था और साथ ही ये भी बता दिया कि भारत सरकार वही कर रही है, जैसा सिक्किम की जनता ने निर्णय दिया है। इस मतसंग्रह से 2 साल पहले ही नामग्याल के ख़िलाफ़ लोगों ने आंदोलन चलाया था, जिसके बाद वो नाम का राजा रह गया था। उसकी 400 सदस्यीय फ़ौज को भारतीय सेना ने निःशस्त्र कर दिया था, ताकि कोई हिंसा नहीं हो। हालाँकि, ये आरोप ग़लत हैं कि नामग्याल को सेना ने नज़रबंद किया था।

तब स्थिति ही ऐसी बन गई थी कि वहाँ हिंसा भी हो सकती थी और नामग्याल की सुरक्षा के लिए ही भारतीय सेना ने उसके महल के चारों ओर डेरा डाला था। उसका कहना था कि अगर रेफेरेंडम होता भी है तो किसी ‘स्वतंत्र एजेंसी’ द्वारा होना चाहिए, सिक्किम के प्रशासन अथवा भारतीय चुनाव आयोग द्वारा नहीं। चीन आरोप लगाता रहा है कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ ने 2 साल तक चले गुप्त अभियान में सिक्किम की जनता में राजा के प्रति आक्रोश भरा। नामग्याल सिक्किम को भारत से लगातार दूर कर रहा था और अपनी अमेरिकन पत्नी के कहने अनुसार भारत के लिए लगातार समस्याएँ खड़ा कर रहा था।

भौगोलिक स्थिति को समझें तो भारत का उत्तर उत्तर-पूर्वी हिस्सा सामरिक और रणनीतिक रूप से देश का एक महत्वपूर्ण अंग है। यहाँ अभी भारत के आठ राज्य स्थित हैं- अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय व सिक्किम। सिक्किम के उत्तर और उत्तर-पूर्व में तिब्बत स्थित है, जिस पर चीन अपना कब्ज़ा जताता रहा है। राज्य के पूर्व में भूटान है, जो भारत का मित्र राष्ट्र है लेकिन चीन उसे लुभाने की पूरी कोशिश करता रहा है। सिक्किम के पश्चिम में नेपाल है, जहाँ के सत्ताधारियों का झुकाव समय के हिसाब से कभी भारत तो कभी चीन की तरफ रहता है।

सिक्किम के इतिहास को देखें तो 1642 में फुंत्सोग नामग्याल यहाँ के पहले राजा थे। जब सिक्किम देश का 22वाँ राज्य बना, उससे पहले इस राजवंश ने 333 सालों तक वहाँ राज किया। ब्रिटिश और सिक्किम राजवंश के हित भी एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी राज्यों के ख़िलाफ़ दबदबा बढ़ाने के लिए चोग्याल राजाओं ने अंग्रेजों का उपयोग किया। ब्रिटिश के लिए गोरखाओं के ख़िलाफ़ सिक्किम एक दोस्त के रूप में मिला। 1814-15 के अंग्रेज-गोरखा युद्ध में गोरखाओं द्वारा हारे गए कई इलाक़े सिक्किम को मिले। अंग्रेजों ने भी सिक्किम के रूट का उपयोग नॉर्थ-ईस्ट राज्यों तक व्यापार के लिए किया।

#OnThisDay in 1975 Sikkim officially became 22nd state of India #History pic.twitter.com/1VgcxYU97c

— DD News (@DDNewslive) May 16, 2019

1817 में सिक्किम ने ब्रिटिश के साथ ‘ट्रीटी ऑफ तितलिया’ पर हस्ताक्षर किया, जिससे अंग्रेजों को सिक्किम में कई राजनीतिक और व्यापारिक फायदे मिले। इससे एक फायदा ये भी हुआ कि सिक्किम ब्रिटिश की सीधी कॉलनी नहीं बना। लेकिन, ब्रिटिश के जाते ही कहीं-कहीं जनता में सिक्किम राजवंश के ख़िलाफ़ आक्रोश के स्वर उठने शुरू हो गए थे। 70 का दशक आते-आते राजवंश के ख़िलाफ़ आंदोलन और उग्र हो गया। आज भी चीन सिक्किम के एक बड़े हिस्से पर अपना दावा ठोकता रहता है और रह-रह कर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करता है।

बता दें कि 15 अगस्त 1947 को जब भारत आज़ाद हुआ, तब सिक्किम भारतीय गणराज्य का हिस्सा नहीं था। सिक्किम को भारत के आज़ाद होने के 28 सालों बाद भारतीय गणराज्य में शामिल किया गया था। इसे भारतीय गणराज्य में मिलाने की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श 1962 में हुए युद्ध के बाद शुरू किया गया। भारत-चीन युद्ध के दौरान भारत को मिली हार का एक कारण उत्तर-पूर्व में भारतीय सेना के पहुँचने में हो रही कठिनाइयों को भी माना गया। सिक्किम के राजा चोग्याल का चीन की तरफ ज्यादा झुकाव था और अपने विस्तारवादी चरित्र के कारण जाना जाने वाला ड्रैगन अपनी सीमा से सटे भारत के हर एक राज्य को हथियाना चाहता था।

#OnThisDay in the year 1975, #Sikkim joined the Indian Union and became India’s 22nd State. pic.twitter.com/vyhNs7TngS

— ALL INDIA RADIO (@AkashvaniAIR) April 26, 2017

आज भी चीन की वही नीति है, जिसके कारण अक्सर डोकलाम जैसे विवाद खड़े हो जाते हैं। इसे पंडित नेहरू की अदूरदर्शिता कहें या फिर उनके निर्णय लेने की क्षमता को सवालों के घेड़े में खड़ा किया जाए, उन्होंने अपनी उत्तर-पूर्व नीति अस्पष्ट रखी। भारत में स्थित अमेरिकी राजनयिकों ने USA के स्टेट डिपार्टमेंट को भेजी गई एक जानकारी में कहा था कि अगर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरदार पटेल की बात मान ली होती हो सिक्किम 25 साल पहले ही भारत का अंग बन चुका होता। अमेरिका का ये भी मानना था कि भारत ने सिक्किम के विलय (annexation) के लिए कुछ ख़ास नहीं किया बल्कि वो तो सिक्किम की जनता थी जिसने उचित निर्णय लिया और भारत ने सिर्फ ‘परिस्थिति’ का फायदा उठाया। ये सूचनाएँ भारत में स्थित अमेरिकी राजनयिकों द्वारा अपने देश में तब भेजी गई थी जब इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में भारत सरकार ने ये फ़ैसला ले लिया था कि सिक्किम में सेना भेजी जाएगी। ये पूरा घटनाक्रम भी काफ़ी रोचक है और इसमें कई ट्विस्ट्स और टर्न्स हैं।

सिक्किम पहले क्या था?

सिक्किम को ब्रिटेन से भारत की आजादी से पहले ही स्वायत्ता मिली हुई थी. सिक्किम में राजतंत्र था और वहां के राजा चोग्याल का शासन था. 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो भारत के साथ सिक्किम की संधि हुई, जिसके अंतर्गत सिक्किम की रक्षा, संचार और विदेश मामले भारत की ओर से देखा जाना तय हुआ और सिक्किम की आजादी बरकरार रखी गई.

भारत में सिक्किम कब आया?

15 मई 1975 को भारत के राष्ट्रपति ने एक संवैधानिक संशोधन की पुष्टि की जिसने सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बना दिया। सिक्किम नाम ग्याल राजतन्त्र द्वारा शासित एक स्वतन्त्र राज्य था, परन्तु प्रशासनिक समस्यायों के चलते तथा भारत में विलय और जनमत के कारण 1975 में एक जनमत-संग्रह(सङ्ग्रह) के साथ भारत में इसका विलय हो गया।

1975 में कौन सा राज्य भारत का हिस्सा बना?

बता दें कि फिर 15 मई 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इस संशोधन पर साइन किए और अगले दिन सिक्किम भारत का 22 वां राज्य बना.

भारत में विलय से पहले सिक्किम स्वतंत्र था क्या?

भारत 1947 में आजाद हो गया लेकिन सिक्किम 1974 तक एक स्वतंत्र राष्ट्र रहा। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और देश की खुफिया एजेंसी रॉ के प्रयासों के बाद 26 अप्रैल, 1975 में सिक्किम का भारत में विलय हुआ। 20 दिन बाद 16 मई, 1975 को सिक्किम को भारत के 22वें राज्य का दर्जा मिला।