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विशेषण क्या है उदाहरण?इसे सुनेंरोकेंसंज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। जैसे – बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि। तीन आदमी वाक्य में कौन सा विशेषण है?इसे सुनेंरोकेंजिन संज्ञा और सर्वनाम शब्दों से प्राणी, व्यक्ति, वस्तु की संख्या की विशेषता का पता चले उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे : एक,दो, द्वितीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों, दस,अनेक, कई, चार, कुछ, सात, पाँच, तीन, बीस, तीसरा, तृतीय आदि। विशेषण कितने प्रकार के होते हैं with example?विशेषण कितने प्रकार के होते हैं
चार व्यक्ति जा रहे हैं निम्नलिखित वाक्य में कौन सा विशेषण है? इसे सुनेंरोकेंपरिमाणवाचक विशेषण – जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की माप या तौल संबंधी विशेषता को प्रकट करें उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। ३. संख्यावाचक विशेषण : जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या या गिनती का ज्ञान कराया उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। ४. किन्ही पाँच वाक्यों में विशेषण शब्दों का प्रयोग करके उसके भेद लिखिए? इसे सुनेंरोकेंजैसे – छोटा, मोटा, पतला, बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, मीठा,कड़वा,एक, दो, कला, लाल, स्वच्छ, मेहनती आदि। (1) राधा बहुत सुन्दर लड़की है। (2) श्याम एक बहादुर लड़का है। (3) मेरी शर्ट लाल रंग की है। चार बच्चे में विशेषण शब्द कौन सा है बताइए?इसे सुनेंरोकेंरंग – लाल, काला, पीला, चमकीला।। इस कतार में पाँच छात्र खड़े हैं। मेज़ पर चार केले रखे हैं। इन वाक्यों में पाँच तथा चार क्रमशः छात्र तथा केले की संख्या के बारे में बता रहे हैं, अतः ये संख्यावाचक विशेषण हैं। पाँच किलो आलू में कौन सा विशेषण है?इसे सुनेंरोकेंहो निश्चित परिमाण वाचक विशेषण कहते है । जैसे – रमन पाँच किलो आलू लाया । निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त विशेषण व उनके भेद बताइए?इसे सुनेंरोकेंनिम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त विशेषण व उनकेभेद बताइए- विशेषण (i) बगीचे में फलदार पेड़ हैं। (ii) वे पुस्तकें तुम्हारी हैं। (ii) हमने काले कोट बनवाए हैं। In this page we are providing all Hindi Grammar topics with detailed explanations it will help you to score more marks in your exams and also write and speak in the Hindi language easily. विशेषण परिभाषा – Visheshan in Hindi Examples (Udaharan) – Hindi Grammar
“जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता अथवा हीनता बताए, ‘विशेषण’ कहलाता है और वह संज्ञा या सर्वनाम ‘विशेष्य’ के नाम से जाना जाता है।” नीचे लिखे वाक्यों को देखें-
उक्त उदाहरणों में ‘अच्छा’ और ‘बुरा’ विशेषण एवं ‘आदमी’ विशेष्य हैं। विशेषण हमारी जिज्ञासाओं का शमन (समाधान) भी करता है। उक्त उदाहण में ही- विशेषण न सिर्फ विशेषता बताता है; बल्कि वह अपने विशेष्य की संख्या और परिमाण (मात्रा) भी बताता है। जैसे-
इस प्रकार विशेषण के चार प्रकार होते हैं-
1. गुणवाचक विशेषण“जो शब्द, किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति, स्वभाव, दशा, दिशा, स्पर्श, गंध, स्वाद आदि का बोध कराए, ‘गुणवाचक विशेषण’ कहलाते हैं।” गुणवाचक विशेषणों की गणना करना मुमकिन नहीं; क्योंकि इसका क्षेत्र बड़ा ही विस्तृत हुआ करता है। जैसे-
गुणवाचक विशेषणों में से कुछ विशेषण खास विशेष्यों के साथ प्रयुक्त होते हैं। उनके प्रयोग से वाक्य बहुत ही सुन्दर और मज़ेदार हो जाया करते हैं। नीचे लिखे उदाहरणों को देखें-
नोट : उपर्युक्त वाक्यों में चिलचिलाती ………. धूप के लिए, बजबजाता ………. नाले के लिए, लाल-लाल …….. टमाटर के लिए और बलखाती ………… नागिन के लिए प्रयुक्त हुए हैं। ऐसे विशेषणों को ‘पदवाचक विशेषण’ कहा जाता है। क्षेत्रीय भाषाओं में
जहाँ के लोग कम पढ़े-लिखे होते हैं, वे कभी-कभी उक्त विशेषणों से भी जानदार विशेषणों का प्रयोग करते देखे गए हैं।
नीचे दिए गए विशेषणों से उपयुत विशेषण चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
2. संख्यावाचक विशेषण“वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए, ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहलाता है।” उक्त उदाहरणों में ‘पाँच’ लड़कों की निश्चित संख्या एवं ‘कुछ’ छात्रों की
अनिश्चित संख्या बता रहे हैं। (b) अपूर्णांक बोधक/अपूर्ण संख्यावाचक : इसमें अपूर्ण संख्या का प्रयोग होता है। 2. क्रमवाचक : यह विशेष्य की क्रमात्मक संख्या यानी विशेष्य के क्रम को
बतलाता है। इसका प्रयोग सदा एकवचन में होता है। 3. आवृत्तिवाचक : यह विशेष्य में किसी इकाई की आवृत्ति की संख्या बतलाता है। 4. संग्रहवाचक : यह अपने विशेष्य की सभी इकाइयों का संग्रह बतलाता है। 5. समुदायवाचक : यह वस्तुओं की सामुदायिक संख्या को व्यक्त करता है। 6. वीप्सावाचक : व्यापकता का बोध करानेवाली संख्या को वीप्सावाचक कहते हैं। यह दो प्रकार से बनती है—संख्या के पूर्व प्रति, फी, हर, प्रत्येक इनमें से किसी के पूर्व प्रयोग से या संख्या के द्वित्व से। जैसे- कभी-कभी निश्चित संख्यावाची विशेषण भी अनिश्चयसूचक विशेषण के योग से अनिश्चित संख्यावाची बन जाते हैं। आसपास की दो निश्चित संख्याओं का सह प्रयोग भी दोनों के आसपास की अनिश्चित संख्या को प्रकट करता है। जैसे- कुछ संख्याओं में ‘ओं’ जोड़ने से उनके बहुत्व यानी अनिश्चित संख्या की प्रतीति होती है। 3. परिमाणवाचक विशेषण”वह विशेषण जो अपने विशेष्यों की निश्चित अथवा अनिश्चित मात्रा (परिमाण) का बोध कराए, ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहलाता है।” इस विशेषण का एकमात्र विशेष्य
द्रव्यवाचक संज्ञा है। उपर्युक्त उदाहरणों में थोड़ा’ अनिश्चित एवं ‘चार क्विटल’ निश्चित मात्रा का बोधक है। परिमाणवाचक से भिन्न संज्ञा शब्द भी परिमाणवाचक की भाँति प्रयुक्त होते हैं। संख्यावाचक की तरह ही परिमाणवाचक में भी ‘ओं’ के योग से अनिश्चित बहुत्व प्रकट होता है। 4. सार्वनामिक विशेषणहम जानते हैं कि विशेषण के प्रयोग से विशेष्य का क्षेत्र सीमित हो जाता है। जैसे— ‘गाय’ कहने से उसके व्यापक क्षेत्र का बोध होता है; किन्तु ‘काली गाय’ कहने से गाय का क्षेत्र सीमित हो जाता है। इसी तरह “जब किसी सर्वनाम का मौलिक या यौगिक रूप किसी संज्ञा के पहले आकर उसके क्षेत्र को सीमित कर दे, तब वह सर्वनाम न रहकर ‘सार्वनामिक विशेषण’ बन जाता है।” जैसे- इन वाक्यों में ‘यह’ एवं ‘वह’ गाय तथा आदमी की निश्चितता
का बोध कराने के कारण निश्चयवाचक सर्वनाम हुए; किन्तु यदि ‘यह’ एवं ‘वह’ का प्रयोग इस रूप में किया जाय- तो ‘यह’ और ‘वह’ ‘गाय’ एवं आदमी के विशेषण बन जाते हैं। इसी तरह अन्य उदाहरणों को देखें- वाक्यों में विशेषण के स्थानों के आधार पर उन्हें दो भागों में बाँटा गया है- 2. विधेय विशेषण : जिस विशेषण का प्रयोग अपने विशेष्य के बाद हो, वह ‘विधेय विशेषण’ कहलाता है। प्रविशेषण या अंतरविशेषण 1. विश्वजीत डरपोक लड़का है। (विशेषण) 2. सौरभ धीरे-धीरे पढ़ता है। (क्रियाविशेषण) उपर्युक्त
वाक्यों में ‘बड़ा’, ‘डरपोक’ विशेषण की और ‘बहुत’ शब्द ‘धीरे-धीरे’ क्रिया विशेषण की विशेषता बताने के कारण ‘प्रविशेषण’ हुए। 1. बहुत कड़ी धूप है, थोड़ा आराम तो कर लीजिए। विशेषणों की तुलना (Comparison of Adjectives) तुलनात्मक दृष्टि से एक ही प्रकार की विशेषता बतानेवाले पदार्थों या व्यक्तियों में मात्रा का अन्तर होता है। तुलना के विचार से विशेषणों की तीन अवस्थाएँ होती हैं 1. मूलावस्था (Positive Degree) : इसके अंतर्गत विशेषणों का मूल रूप आता है। इस अवस्था में तुलना नहीं होती, सामान्य विशेषताओं का उल्लेख मात्र होता है। 2. उत्तरावस्था (Comparative Degree) : जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अधिकता या न्यूनता की तुलना होती है, तब उसे विशेषण की उत्तरावस्था कहते हैं। उत्तरावस्था में केवल तत्सम शब्दों में ‘तर’ प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे-
हिन्दी में उत्तरावस्था का बोध कराने के लिए ‘से’ और ‘में’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है। विशेषण की उत्तरावस्था का बोध कराने के लिए ‘के अलावा’, ‘की तुलना में’, ‘के मुकाबले’ आदि पदों का प्रयोग भी किया जाता है। 3. उत्तमावस्था (Superlative Degree) : यह विशेषण की सर्वोत्तम अवस्था है। जब दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच तुलना की जाती है और उनमें से एक को श्रेष्ठता या निम्नता दी जाती है, तब विशेषण की उत्तमावस्था कहलाती है। तत्सम शब्दों की उत्तमावस्था के लिए ‘तम’ प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे-
‘श्रेष्ठ’, के पूर्व, ‘सर्व’ जोड़कर भी इसकी उत्तमावस्था दर्शायी जाती है। फारसी के ‘ईन’ प्रत्यय जोड़कर भी उत्तमावस्था दर्शायी जाती है। विशेषणों की रचना
संबंध की विभक्ति लगाकार—लाल रंग की साड़ी, तेज बुद्धि का आदमी, सोनू का घर, गरीबों की दुनिया। नोट : विशेषण पदों के निर्माण से संबंधित बातों की विस्तृत चर्चा ‘प्रत्यय-प्रकरण’ में की जा चुकी है। विशेषणों का रूपान्तर विशेषण का अपना अपरिवर्तित रूप परिवर्तित रूप जिन विशेषण शब्दों के अन्त में ‘इया’ रहता है, उनमें लिंग के कारण रूप-परिवर्तन नहीं होता। उर्दू के उम्दा, ताजा, जरा, जिंदा आदि विशेषणों का रूप भी अपरिवर्तित रहता है। सार्वनामिक विशेषणों के रूप भी विशेष्यों के
अनुसार ही होते हैं। जो तद्भव विशेषण ‘आ’ नहीं रखते उन्हें ईकारान्त नहीं किया जाता है। स्त्री० एवं पुं० बहुवचन में भी उनका प्रयोग वैसा ही होता है। जैसे जब किसी विशेषण का जातिवाचक संज्ञा की तरह प्रयोग होता है तब स्त्री.- पुं. भेद बराबर स्पष्ट रहता है। परन्तु, जब विशेषण के रूप में इनका प्रयोग होता है तब स्त्रीत्व-सूचक ‘ई’ का लोप हो जाता है। जिन विशेषणों के अंत में ‘वान्’ या ‘मान्’ होता है, उनके पुँल्लिंग दोनों वचनों में ‘वान्’ या ‘मान्’ और स्त्रीलिंग दोनों वचनों में ‘वती’ या ‘मती’ होता है। Visheshan in Hindi Worksheet Exercise with Answers PDF1. जो शब्द किसी संज्ञा की विशेषता बताए वह- 2. विशेषण के मुख्यतः ………….. प्रकार हैं। 3. प्रविशेषण शब्द किसकी विशेषता बताता है? 4. ‘मोटा’ एक ………… विशेषण है। 5. ‘हंस’ एक ………….. पत्रिका है। 6. ‘सा’ के प्रयोग से किस तरह के विशेषण का बोध होता है? 7.
‘पवित्रता’ से विशेषण बनेगा 8. विशालकाय दैत्य दौड़ा। इसमें कौन सा पद विशेषण है? 9. ‘सुन्दर’ विशेषण का रूप स्त्रीलिंग में होगा 10. विशेषण का लिंग चार बच्चे में विशेषण शब्द कौन सा है बताइए?जैसे – छोटा, मोटा, पतला, बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, मीठा,कड़वा,एक, दो, कला, लाल, स्वच्छ, मेहनती आदि।
बच्चे का विशेषण शब्द क्या है?छोटे बच्चे में 'छोटे'-4) गुणवाचक विशेषण है।
विशेषण शब्द कौन कौन से हैं?संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। जैसे – बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।
20 बच्चे शब्द में कौन सा विशेषण का भेद है?(ii) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण – वे संज्ञा शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध न कराते हों, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे-कुछ बच्चे, कम छात्र, कई घोड़े इत्यादि।
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