आकाश बदल कर बना मही पंक्तियों से क्या अभिप्राय है? - aakaash badal kar bana mahee panktiyon se kya abhipraay hai?

गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (कक्षा-12 पाठ-2 हिंदी अंतरा भाग 2) (Class-12 Chapter-2 Hindi Antra 2)Bymindpathshala-December 23, 2022012FacebookTwitterPinterestWhatsAppNCERT Solutions (हल प्रश्नोत्तर) (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (कक्षा-12 पाठ-1 हिंदी अंतरा भाग 2)(कक्षा – 12, पाठ – 1, अंतरा भाग – 2)(Geet Gane Do Mujhe/Saroj Smarti : Suryakant Tripathi Nirala)(Class-12 Chapter-2 Hindi Antra 2)गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (कक्षा-12 पाठ-2 हिंदी अंतरा भाग 2) (Class-12 Chapter-2 Hindi Antra 2)

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  • गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (कक्षा-12 पाठ-2 हिंदी अंतरा भाग 2) (Class-12 Chapter-2 Hindi Antra 2)
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गीत गाने दो मुझे/सरोज स्मृति : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

पाठ के बारे में…

इस पाठ में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपने जीवन की व्यथा का वर्णन ‘गीत गाने दो मुझे’ और ‘सरोज स्मृति’ नामक कविता के माध्यम से किया है।

‘गीत गाने दो’ कविता के माध्यम से कवि ने एक ऐसे समय की ओर इशारा किया है, जिस समय में चोट खाते खाते संघर्ष करते-करते होश वालों के भी होश खो जाते हैं यानी जीवन बेहद ही कठिन हो जाता है। मानवता हाहाकार कर उठती है और मनुष्य में जिजीविषा खत्म हो जाती है। पृथ्वी की लौ बुझ गई है और कवि इसी लौ को जलाने की बात कर रहे हैं। अपने दुख और वेदना को छुपाने के लिए कवि गीत गाने की चेष्टा कर रहे हैं, ताकि निराश मन में आशा का संचार हो।

‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि ने अपनी दिवंगत पुत्री सरोज को केंद्रित करते एक पिता के मन की व्यथा और विलाप को प्रकट किया है। सरोज स्मृति कविता के माध्यम से लेखक ने अपनी दिवंगत पुत्री के प्रति अपने उद्गार व्यक्त किए हैं। यह एक दिवंगत पुत्र के प्रति उसके पिता का विलाप है। पिता के इस विलाप में पिता को कभी शकुंतला की याद आती है तो कभी अपनी स्वर्गीय पत्नी की। बेटी के रंग रूप में कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी का ही रंग रूप दिखाई पड़ता था। उनके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली पत्नी और फिर पुत्री की मृत्यु ने उन्हें पूर्ण रूप से तोड़ कर रख दिया था।

लेखक के बारे में…

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी साहित्य मूर्धन्य साहित्यकार रहे हैं। वे छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक थे।

उनका जन्म सन 1898 ईस्वी में बंगाल के मेदिनीपुर जिले के नामक महिषादल नामक गाँव में हुआ था। मूल रूप से उनके पिता उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रहने वाले थे। उनके बचपन का नाम सूर्य कुमार था। उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष देखें और दुखों का सामना किया उनके लगभग सभी प्रियजन धीरे एक-एक करके मृत्यु के प्राप्त हुए और अंत में उनकी पुत्री सरोज की मृत्यु ने बुरी तरह तोड़ कर रख दिया था। जीवन का अंतिम समय उन्होंने दुख और वेदना में गुजारा।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रसिद्धि 1916 प्रकाशित जूही की कली से मिली। वे समन्वय और मतवाला नामक पत्रिकाओं के संपादन कार्य से भी जुड़े रहे। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला मुक्त छंद के प्रवर्तक माने जाते हैं।

उनकी प्रमुख काव्य कृतियों में गीतिका, अनामिका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, नए पत्ते, बेला, अर्चना, आराधना, गीतगुंज आदि के नाम प्रमुख है। उन्होंने अनेक कहानियां और उपन्यास भी लिखे। उनका उपन्यास बिल्लेसुर बकरिहा बेहद प्रसिद्ध हुआ। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का संपूर्ण साहित्य निराला रत्नावली के नाम से आठ खंडों में प्रकाशित है। उनका निधन सन 1961 में हुआ।

Class-12 Chapter-2 Hindi Antra

पाठ के हल प्रश्नोत्तर…

(गीत गाने दो मुझे)

प्रश्न 1

कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है, यह भावना कवि के मन में क्यों आई?

उत्तर :

कंठ रुक रहा है, काल आ रहा है, कवि के मन में यह भावना इसलिए आई, क्योंकि कवि सूर्यकांत का जीवन बहुत संघर्ष पूर्ण बीता था।
कवि ने अपने जीवन में कठिन संघर्षों का सामना किया। उनके जीवन में अपार दुःख एवं वेदना का समावेश रहा। उनके जीवन में आने वाले दुःख और वेदना ने निरंतर उनका पीछा किया और कभी उनका पीछा करना नहीं छोड़ा।
इसके अलावा कवि ने अपने आसपास शोषक वर्ग द्वारा वंचितों के अत्याचार और शोषण को भी देखा था जब कभी कवि ने इस अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की कोशिश की उसका विरोध किया, तो कवि की आवाज को दबा दिया गया। इन सभी स्थितियों के कारण कवि की स्थिति मरणासन्न हो गई है और वह विरोध करने की स्थिति में नहीं रह गया है। इन सब बातों से कवि का हृदय दुःख एवं वेदना से भरा रहा। उनका गला दुःख से भरा होने के कारण अपनी वेदना को व्यक्त नही कर पा रहा है। इसी कारण कवि के मन में यह भावना आई।


प्रश्न 2

‘ठग-ठाकुरों’ से कवि का संकेत किसकी ओर है?

उत्तर :

ठग-ठाकुरों से कवि का संकेत समाज के शोषक वर्ग एवं सामंत वर्ग के लोगों से है। कवि के अनुसार समाज में ऐसे धोखेबाज और शोषक तथा सामंती प्रवृत्ति वाले लोग चारों तरफ फैले हुए हैं, जो गरीबों को किसानों को, मजदूरों को, वंचितों को अपने शोषण का शिकार बनाते हैं। उनका लगातार शोषण करते हैं और इन लोगों का जीवन नारकीय बना देते हैं।
यह शोषक वर्ग के लोग सामंती समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन लोगों का उद्देश्य केवल गरीब एवं कमजोर वर्ग के लोगों का शोषण करके अपने हितों को साधना तथा अपनी तिजोरी को भरना है।


प्रश्न 3

‘जल उठो फिर सींचने को’ इस पंक्ति का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :

भाव सौंदर्य : कवि ‘निराला’ इस पंक्ति के माध्यम से अपने मन की निराशा और दुःख से उबरने की प्रेरणा स्वयं को तथा अन्य सभी को दे रहे हैं। कवि के अनुसार मनुष्य को अपनी निराशा और दुख से उबरने के लिए हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए।
कविता की इस पंक्ति के कवि माध्यम से अपने जीवन के दुःख एवं कष्ट से निराश व्यक्तियों के मन में दुःखों से लड़ने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देकर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग सुझा रहे हैं। यह कविता जीवन से निराश लोगों के मन में एक आशा जगाती है। यही इस पंक्ति का भाव है।


प्रश्न 4

प्रस्तुत कविता ‘गीत गाने दो मुझे’ दुख एवं निराशा से लड़ने की शक्ति देती है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :

‘गीत गाने दो’ कविता दुख एवं निराशा से लड़ने की शक्ति देती है, क्योंकि कवि का जीवन स्वयं दुख एवं लेकिन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन कवि ने हार नहीं मानी और वह निरंतर जीवन में संघर्ष करते रहेष उन्हें अपने व्यक्तिगत जीवन में अनेक दुखों का सामना करना पड़ा लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ते रहे।
इस कविता के माध्यम से कवि ने यही प्रेरणा देने का कार्य किया है कि मनुष्य को अपने जीवन में संघर्ष के लिए हमेशा सदैव तत्पर रहना चाहिए। कवि के अनुसार संघर्ष एकमात्र ऐसा रास्ता है, जिस पर चलकर ही जीवन के कठिन समय और दुःख एवं कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है।
‘जल उठो फिर सींचने’ को इस पंक्ति के माध्यम से कवि संघर्षों से लड़ने और आगे बढ़ने की प्रेरणा ले रहे हैं। इसलिए यह कविता दुख और निराशा से लड़ने की शक्ति देती है।


(सरोज स्मृति)

प्रश्न 1

सरोज के नववधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर :

सरोज स्मृति’ कविता में सरोज के नववधू रूप का वर्णन :

‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि निराला के अनुसार जब उनकी पुत्री सरोज का विवाह हो रहा था तो नववधू की तरह सजी हुई उनकी पुत्री सरोज कामदेव की पत्नी रति के समान सुंदर लग रही थी। जब वह मंद-मंद मुस्कान बिखरेती तो ऐसा लगता था कि बिजली उसके होठों के बीच आकर चमकने लगी हो।
उसका विवाह हो रहा है, इस प्रसन्नता के कारण उसकी आँखें खुशी से चमक रही हैं। रूप और सौंदर्य की बात करें तो वह बिल्कुल अपनी माँ के समान प्रतीत हो रही है। उसके शरीर के अंग-प्रत्यंग से उसका रूप सौंदर्य उच्छवास के रूप में प्रकट हो रहा है।
उसके आँखों में नई नवेली दुल्हन की तरह लज्जा एवं संकोच व्याप्त है। उसकी आँखों की चमक धीरे धीरे उसके होठों पर आ रही है और इस चमक के कारण उसके होंठ कंपकंपाने लगे हैं।
रूप और सौंदर्य की साक्षात जीगती-जागती प्रतिमूर्ति अपनी पुत्री सरोज को देखकर कवि का हृदय प्रसन्नता से भर उठता है


प्रश्न 2

कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद क्यों आई?

उत्तर :

कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद इसलिए आई, क्योंकि जब कवि की पुत्री सरोज नववधू के रूप में सामने खड़ी थी तो उसकी पुत्री बहुत सुंदर प्रतीत हो रही थी। कवि को अपनी पुत्री में उसकी माँ यानि कवि को अपनी पत्नी की झलक दिखाई देती है। कवि को वह समय याद आता है जब उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर कई कविताएं गाईं थीं। अब उन्हें सरोज के रूप में वह कविताएं साकार होती दिखाई दे रही हैं।
जब उनकी पुत्री नववधू के रूप में बनाव-श्रृंगार किए हुए कवि के सामने खड़ी होती है तो अपनी पुत्री को देखकर कवि को एक पल को ऐसा लगता है कि जैसे उसकी पत्नी ही सरोज का रूप धारण करके सामने आ गई हो।
जब पुत्री का विवाह होता है तो माँ की उसे भावी गृहस्थ जीवन की शिक्षाएं देती है, परंतु पत्नी के दिवंगत हो जाने के कारण कवि को यह सारे कार्य खुद करने पड़ रहे हैं। इसीलिए कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद आई।


प्रश्न 3

‘आकाश बदलकर बना मही’ में ‘आकाश’ एवं ‘मही’ शब्द किसकी ओर संकेत करते हैं?

उत्तर :

‘आकाश बदलकर बना मही’ यह शब्द कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से की पुत्री सरोज की ओर संकेत करते हैं। कवि का हृदय चूँकि एक कवि मन है, इसलिए कवि ने अपनी कल्पनाओं का एक संसार रच रखा है। इससे पहले कवि शृंगार रस की कविता से पूर्ण कल्पनाएं करता रहा है और जब उसकी पुत्री विवाह के समय नववधू के रूप में उसके सामने आती है तो कवि के मन की श्रंगार युक्त कल्पनाएं जो कवि पूर्व समय में करता था, वह साकार होती दिख रही हैं।
कवि को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसने अपनी कविताओं में श्रृंगार की जो भी कल्पना की थी वह उसकी पुत्री के सौंदर्य के रूप में साकार होकर धरती पर उतर आई हैं।
कवि के श्रृंगार भाव की ये कल्पनायें मही के रूप में उसकी पत्नी सरोज के रूप में धरती पर उतर आई है।
यहां पर ‘आकाश’ से तात्पर्य कवि के श्रृंगारभाव रूपी कल्पनायें, हैं तो ‘मी’ उसकी पुत्री का रूप एवं उसका रूप सौंदर्य है।


प्रश्न 4

सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर :

सरोज का विवाह अन्य विवाहों से इस प्रकार भिन्न था कि सरोज का विवाह बेहद सरल तरीके से एवं सादगीपूर्ण समारोह में किया गया था।
इस विवाह में अन्य विवाहों की तरह ना तो चमक-दमक थी, ना ही दिखावा था और ना ही शोर-शराबा था। सरोज के विवाह में सारे रिश्तेदारों, मित्रों, संबंधियों, पड़ोसियों किसी को नहीं बुलाया गया था।
इस विवाह में केवल परिवार के कुछ निकटतम लोग ही शामिल हुए थे। सरोज के विवाह में मेहंदी रस्म, महिला संगीत जैसी पारंपरिक रीति-रिवाजों का भी अभाव था, ना ही किसी ने विवाह के मंगल गीत गाए थे और ना ही यहां पर लोगों की भीड़ थी।
विवाह में शांति थी और सादगीपूर्ण तरीके से विवाह संपन्न हुआ था। कवि ने अपनी पुत्री के विवाह में माँ एवं पिता दोनों की जिम्मेदारी निभाई थी।


प्रश्न 5

‘वह लता वहीं की, जहाँ कली तू खिली’ पंक्ति के द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है?

उत्तर :

‘वह लता वहीं की, जहाँ कली तू खिली’ इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने अपनी पुत्री सरोज के लालन-पालन तथा अपनी पत्नी मनोहारी देवी के पालन-पोषण के प्रसंग का वर्णन किया है।

कवि की पत्नी की मृत्यु अकस्मात तो गई थी। तब उनकी पुत्री सरोज बेहद छोटी थी। उसका लालन-पालन उसके ननिहाल में नाना नानी के द्वारा किया गया था।

कवि ने इस पंक्ति को इसी प्रसंग के संदर्भ में कहा है। पहले कवि की पत्नी मनोहारी देवी का जन्म वहाँ हुआ अर्थात लता के रूप में वहाँ विकसित हुई। अपने माता पिता की छत्रछाया में पली-बढ़ी जब वह बड़ी हुई तब उनका कवि के साथ विवाह हुआ और तब सरोज का जन्म हुआ।

मनोहारी देवी की अकस्मात मृत्यु के बाद सरोज का लालन-पालन भी सरोज के माता पिता नाना नानी के घर में ही हुआ अर्थात एक ही घर में माँ एवं पुत्री दोनों का लालन-पालन हुआ। इस तरह सरोज की माँ लता ती तो सरोज कली थी।

पहले लता यानी सरोज की माँ मनोहारी देवी उसी घर में पली-बढ़ी जहाँ पर कली के रूप में सरोज का जन्म हुआ औरउसने अपना बाल्यकाल बिता कर युवावस्था में प्रवेश किया।


प्रश्न 6

मुझ भाग्यहीन की तू संबल’ निराला की यह पंक्ति क्या ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे कार्यक्रम की मांग करती है?

उत्तर :

जी हाँ, ‘मुझे भाग्यहीन की तू संबल’ निराला की यह पंक्ति ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे कार्यक्रम की मांग करती है। क्योंकि इन पंक्तियों के माध्यम से उन्होंने बेटी के महत्व को ही स्पष्ट किया है। उन्होंने अपनी पुत्री को अपने जीवन में सब कुछ माना। उन्होंने अपनी बेटी को उतना ही महत्व दिया, जितना बेटे को दिया जाता है।

इस तरह उन्होंने अपनी बेटी को महत्व देकर अप्रत्यक्ष रूप से उस कार्यक्रम का ही समर्थन किया है, जिसमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जाता है।

कवि ने भी अपनी बेटी को का लालन-पालन प्रेम से किया था और उसे पढ़ाया लिखाया तथा बड़े ही हर्षोल्लास से उसका विवाह किया।

अपनी पत्नी की मृत्यु होने के बाद उनके जीवन में निराशा व्याप्त हो गई थी तब उन्होंने अपनी बेटी में ही अपने जीवन की आशा देखी थी। पत्नी की मृत्यु के बाद उनके लिए उनकी बेटी ही उनके जीने का सहारा थी, इसीलिए उन्होंने अपनी बेटी का विवाह तो कर दिया था, लेकिन वह अपनी बेटी के साथ उसी लगन से जुड़े रहे। उससे उनकी बेटी का महत्व प्रकट होता है और लोगों में यह संदेश जाता है कि बेटी भी जीवन में उतनी ही महत्वपूर्ण होती है, जितनी की बेटा।

इस तरह निराला की यह पंक्ति ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम का समर्थन करती है।


प्रश्न 7

निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(क) नत नयनों से आलोक उतर
(ख) श्रृंगार रहा जो निराकार
(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला
(घ) यदि धर्म, नत रहे सदा साथ

उत्तर :

निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ इस प्रकार होगा :

(क) नत नयनों से आलोक उतर

अर्थ : इस पंक्ति में कवि ने उस समय का वर्णन किया है, जब कवि की पुत्री सरोज अपने विवाह के अवसर पर नववधू बन कर श्रृंगार करके कवि के सामने आती है। पुत्री की आँखों में नववधू की स्वाभाविक लज्जा तथा संकोच का भाव उमड़ रहा था। विवाह की खुशी के कारण पुत्री की आँखों में चमक थी और वह चमक आँखों से उतर कर होठों तक पहुंच जाती है और पुत्री के होंठ कंपकंपाने लगते हैं।

(ख) श्रृंगार रहा जो निराकार

अर्थ : इस पंक्ति में कवि ने अपनी पुत्री के सौंदर्य और अपनी काव्य श्रंगार रचनाओं की तुलना की है। कवि की काव्य रचनाएं ऐसा श्रृंगार थीं, जो बिना आकार का था। कवि ने अपनी शृंगार रस से युक्त रचनाओं में जो श्रंगार भाव व्यक्त किए थे, जिस तरह की श्रंगार कल्पनाएं की थीं और सौंदर्य को अभिव्यक्त किया था, वह अब नववधू बनी पुत्री के रूप में साकार बन गया है। इस तरह कवि श्रंगार रचनाएं नववधू बनी पुत्री के रूप में साकार हो गईं हैं।

(ग) पर पाठ अन्य, अन्य कला

अर्थ :इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने अपनी पुत्री के सौंदर्य की तुलना ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ नामक ग्रंथ की नायिका शकुंतला से की है। अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद माता विहीन हुई पुत्री का लालन-पालन स्वयं बड़े प्रेम भाव से किया था। पुत्री जब विवाह योग्य हुई तो उन्होंने बेहद हर्ष से अपनी पुत्री का विवाह किया। उन्होंने माता एवं पिता दोनों के रीति रिवाज निभाए।
कवि के अनुसार पिता द्वारा लालन पालन करना तथा माता के स्थान पर पिता द्वारा ही माता के सभी कर्तव्यों का निर्वाह करना शकुंतला से मिलता जुलता है। कवि का यह भी मानना है, कि पुत्री का व्यवहार और शिक्षा शकुंतला से बहुत अलग थी।
कवि के अनुसार दोनों में बहुत कुछ समानता भी है और बहुत कुछ अंतर भी है।

(घ) यदि धर्म नत रहे सदा साथ

अर्थ : इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने अपने पिता धर्म निभाने की बात कही है। वह अपने पिता धर्म को पूर्ण करने के लिए दृढ़संकल्प हैं। पुत्री के विवाह के समय आवश्यकता पड़ने पर वह वह सभी कर्म भी निभाने के लिए तैयार हैं जो माता को निभाने थे। इसलिए माता की अनुपस्थिति में कवि माता और पिता दोनों के कर्म को निभा रहे हैं।


(योग्यता विस्तार)

प्रश्न 1

निराला के जीवन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए रामविलास शर्मा की पुस्तक ‘महाकवि निराला’ पढिए।

उत्तर :

विद्यार्थी रामविलास शर्मा की पुस्तक ‘महाकवि निराला’ को पढ़े और उसमें निराला से संबंधित जानकारी को ढूंढें।

आकाश बदलकर बना मही पंक्तियों से क्या अभिप्राय है?

जब उसने नव-वधु के रूप में अपनी पुत्री को देखा, तो उसे लगा जैसे उसकी पुत्री के सौंदर्य में वह कल्पनाएँ साकार हो गई हैं और धरती पर उतर आयी हैं। अत: आकाश को वह श्रृंगार भाव से युक्त कल्पनाएँ तथा मही के रूप में अपनी पुत्री सरोज की ओर संकेत करता है।

आकाश बदलकर बना मही में आकाश और मही शब्द किसकी ओर संकेत करते हैं?

ये शब्द कवि की श्रृंगार से पूर्ण कल्पनाओं तथा उसकी पुत्री सरोज की ओर संकेत करते हैं

निराला को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद क्यों आई?

Answer: कवि द्वारा अपनी पुत्री को विवाह के शुभ अवसर पर नव-वधू के रूप में देखकर अपनी स्वर्गीय पत्नी का स्मरण हो आया।

ठाकुरों से कवि का संकेत किसकी ओर है?

कवि ठग-ठाकुरों शब्द कहकर समाज में व्याप्त धोखेबाज़ लोगों की ओर संकेत कर रहा है। उसके अनुसार इस प्रकार के लोग समाज में फैले हुए हैं। इनका निशाना गरीब किसान और मज़दूर वर्ग हैं। ये उनका लगातार शोषण करते हैं और उनका जीवन नरकीय बनाए हुए हैं।