आधुनिक समाज में लोक प्रशासन का क्या महत्व है? - aadhunik samaaj mein lok prashaasan ka kya mahatv hai?

शांति और लोक व्यवस्थाबनाए रखना और नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना किसी भी सरकार का महत्वपूर्ण कार्य है
इसके अतिरिक्त नागरिकों के आपसी विवादों को निपटानाभी सरकार का ही दायित्व हैसामाजिक आर्थिक तथा मानवीय विकासके लिए सरकार प्रयास करती हैपरंतु इन प्रयासों को प्रशासन के अभाव में क्रियांवित करना असंभव है
प्रशासन नीतियों कानूनों नियमोंआदि के रूप में इन प्रयासों का क्रियान्वयनकरता है
सरकारों के कार्य में सभ्यता के विकासके साथ-साथ अनेक कार्यबढ़ते गए हैं
अनेक महत्वपूर्ण विभागों या कार्यालय को लोक प्रशासन की परिधि में लाया गया है
आधुनिक जटिलताके साथ साथ इसका अविरल विस्तार हो रहा है
इसके साथ लोक प्रशासन एक उपकरण के रूप में लोक प्रशासन का महत्व प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है
लोक प्रशासन की सामाजिक परिवर्तन तथा विकास के उपकरण के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका है
जब कभी लोग विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं तो लोक प्रशासन उनके मार्गदर्शनका कार्य करता है
विद्यालय महाविद्यालय विश्वविद्यालय और तकनीकी संस्थाओंको सुचारु रुप से चलाने के लिए प्रशिक्षित माननीय शक्ति की आवश्यकता पड़ती है
यह एक सुविकसित लोक प्रशासन के द्वारा ही संभव है
विकास के बुनियादी क्षेत्रों में सरकार के प्रयासों से लोक प्रशासन में विकास और परिवर्तन के उपकरण के रुप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
एक लोक कल्याणकारी राज्य-देश अपने नागरिकों की सुविधा के लिए अनेक कल्याणकारी सेवाएं और योजनाएंचलाता है
इनमें शिक्षा स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के उपाय मुख्य रूप से सामने आते हैं
इसके अतिरिक्त असहाय वृद्धो अनाथों विधवाओं की देखभाल तथा बढ़ती बेरोजगारी की समस्याके समाधान की जिम्मेदारी जी सरकार की ओर से प्रशासन द्वारा ही पूर्णहोती है
कल्याणकारी योजनाएं-कार्य लोक प्रशासन की प्रकृति पर निर्भर करते हैं
आज का राज्य एक प्रशासनिक राज्य हैं और प्रशासन विभिन्न लोक कल्याणकारी सेवाओंकी व्यवस्था करता है
इस कारण लोक प्रशासन का महत्वएक लोक कल्याणकारी राज्यमें और बढ़ जाताहै
लोक प्रशासन का महत्व इतना है कि सरकार की सफलता या असफलतालोक प्रशासन द्वारा सरकार की कल्याण कार्यों और अंय नीतियों और निर्णय के क्रियान्वन पर निर्भर है
आज लोक प्रशासन का अध्ययन आवश्यकहै
पश्चिमी देशों के साथ साथ हमारे देश में  1980के दशक से लोक प्रशासन का अध्ययन एक विषयके रूप में किया जा रहा है

क्या आपका प्रश्न लोक प्रशासन के महत्व से संबंधित है, हम इस लेख में आपको लोक प्रशासन का क्या महत्व है के बारे में बता रहे है. Importance of public administration in hindi.

आधुनिक समाज में लोक प्रशासन का क्या महत्व है? - aadhunik samaaj mein lok prashaasan ka kya mahatv hai?
आधुनिक समाज में लोक प्रशासन का क्या महत्व है? - aadhunik samaaj mein lok prashaasan ka kya mahatv hai?

आधुनिक सामाजिक विज्ञानों में, लोक प्रशासन सर्वाधिक लोकप्रिय, उपयोगी तथा व्यावहारिक ज्ञान प्राप्ति में अग्रणी विषय सिद्ध हो रहा है क्योंकि लोक प्रशासन न केवल एक सैद्धान्तिक विषय है, बल्कि सभ्य समाजों में व्यक्ति तथा सरकार के मध्य औपचारिक सम्बन्धों को स्पष्ट करने वाला आवश्यक ज्ञान भी है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में लोक प्रशासन, उन गिने चने विषयों में सम्मिलित है जो अध्ययन के पश्चात् किसी भी व्यक्ति को व्यावहारिक जीवन में मार्गदर्शन एवं सहायता भी प्रदान करने में सक्षम हैं।

प्रस्तत विवरण में लोक प्रशासन के क्रियात्मक स्वरूप को आधुनिक राज्यों के संदर्भ में विश्लषित किया जा रहा है। चार्ल्स आस्टिन बीयर्ड कहते हैं- “प्रशासन से अधिक महत्वपर्ण अन्य कोई विषय नहीं हो सकता है। मेरे विचार से शासन तथा हमारी सभ्यता का भविष्य इसी बात पर निर्भर करता है कि सभ्य समाज के कार्यों की पूर्ति के लिए प्रशासन का दार्शनिक, वैज्ञानिक तथा व्यावहारिक स्वरूप कितना विकसित होता है।” जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हस्तक्षेप कर चुका, लोक प्रशासन ही आधुनिक सभ्यताओं, संस्कृतियों तथा मानव सहित समस्त जीव जगत् का भविष्य है। लोक प्रशासन के महत्व को निम्नांकित बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है

1.) राज्य का व्यावहारिक तथा विशिष्ट भाग-

सुप्रसिद्ध विचारक अरस्तू के अनुसार- “राज्य, जीवन के लिए अस्तित्व में आया तथा अच्छे जीवन के लिए उसका अस्तित्व बना हुआ है।” दरअसल आधुनिक युग में ‘राज्य’ को एक बराई के रूप में नहीं बल्कि मानव कल्याण तथा विकास के लिए एक अनिवार्य रूप में देखा जाता है।

वर्तमान विश्व के प्रत्येक राष्ट्र में, चाहे वहाँ कैसा भी शासन हो, राज्य का कर्तव्य जनकल्याण ही है। अनादिकाल से ही राज्य की इच्छाओं की पर्ति के लिए प्रशासन ही एकमात्र माध्यम रहा है। यद्यपि राजशाही व्यवस्थाआ म प्रशासन का स्वरूप आज की भाँति उत्तरदायी तथा विकासपरक नहीं था तथापि प्रशासन, राज्य की व्यावहारिक अभिव्यक्ति था।

राज्य के लिए कार्य करते-करते अथवा जन सेवाएं सुलभ करातकराते कतिपय ऐसे प्रशासनिक सिद्धान्त, नियम तथा प्रक्रियाएँ विकसित हो गई जो आज राज्य के प्राणत्व सिद्ध हो रही हैं। राज्य के कार्यों की प्राप्ति के लिए कारगर हथियार होने के कारण ही प्रशासन तथा राज्य समानार्थी हो गए हैं।

2.) जन कल्याण का माध्यम-

आधुनिक विश्व में राज्य का स्वरूप न्यूनाधिक मात्रा में लोकतांत्रिक तथा जन कल्याणकारी है। ह्वाईट के अनुसार, “कभी ऐसा भी समय था जब जनता सरकार (राजा के) अधिकारियों से दमन के अतिरिक्त और कोई अपेक्षा नहीं करती थी।

कालान्तर में आम जनता ने यह सोचा कि उसे स्वतंत्र तथा किस्मत के भरोसे छोड़ दिया जाए किन्तु आज का समाज, प्रशासन से सुरक्षा तथा विभिन्न प्रकार की सेवाओं की आशा करता है।” भारत का संविधान भी नीति-निर्देशक तत्त्वों के माध्यम से समाज के दीन-हीन तथा निर्योग्यताग्रस्त व्यक्तियों के लिए राज्य द्वारा विशेष प्रयासों तथा कल्याण कार्यक्रमों के निर्देश लोक प्रशासन को देता है।

चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, जन संचार, परिवहन, ऊर्जा, सामाजिक सुरक्षा, कृषि, उद्योग, कुटीर उद्योग, पशुपालन, सिंचाई, डाक तथा आवास इत्यादि समस्त मूलभूत मानवीय सामाजिक सेवाओं का संचालन प्रशासन के माध्यम से ही सम्भव है। इसी कारण आज का राज्य प्रशासकीय राज्य भी कहलाता है।

3.) रक्षा, अखण्डता तथा शांति व्यवस्था-

राजशाही शासन व्यवस्थाओं में राजा का मुख्य ध्येय अपने राज्य की सीमाओं में निरन्तर विस्तार का रहता था जो वर्तमान संदर्भो में दम तोड़ चुका है। आज का राज्य विस्तारवादी होने के स्थान पर जनकल्याणकारी है। लेकिन इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि राज्य, अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं करता।

परमाणु हथियारों के विकास, प्रायोजित आतंकवाद के विस्तार तथा परिवर्तित होते राजनयिक एवं कूटनीतिक सम्बन्धों ने विदेश नीति तथा रक्षा नीति के समक्ष नित्य नई चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं। यद्यपि युद्ध के समय सीमाओं तथा राष्ट्र की रक्षा करना ‘सैनिक प्रशासन’ का दायित्व है किन्तु शांति काल में सीमाओं की चौकसी तथा राष्ट्र की आंतरिक अखण्डता, शान्ति काल में सीमाओं तथा राष्ट्र की रक्षा करना ‘सैनिक प्रशासन का दायित्व है।

शान्ति व्यवस्था, साम्प्रदायिक सौहार्द्र तथा समरसता बनाए रखने का दायित्व लोक प्रशासन का है। फाइनर के शब्दों में- “कुशल प्रशासन, सरकार का एकमात्र सशक्त सहारा है। इसकी अनुपस्थिति में राज्य क्षत-विक्षत हो जाएगा। न्याय, पुलिस, सशस्त्र बल. हथियार निर्माण, अन्तरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, बहुमूल्य खनिज, विदेशी सम्बन्ध तथा गुप्तचर इत्यादि गतिविधियाँ ऐसी हैं जो किसी भी राष्ट्र की बाहरी एवं भीतरी सुरक्षा को स्पष्ट तथा प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।


हमें उम्मीद है कि इस लेख ने आपको लोक प्रशासन का महत्व के बारे में जानने में आपकी सहायता की. आपको यह लेख कैसी लगी आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते है. धन्यवाद.

लोक प्रशासन क्या है इसका महत्व?

लोक प्रशासन जनता के हित के लिए सरकार द्वारा किया गया संगठित कार्य हैं। लोक प्रशासन राजनीति की एक व्यवहारिक शाखा है। इसमे राज्य के प्रशासनिक या शासन के उस भाग का जो नीतियों के क्रियान्वयन से किसी प्रकार से जुड़े हुए हैं, ढांचा और उनकी कार्य प्रणाली संगठन इत्यादि का गहन अध्ययन किया जाता हैं।

हमारे समाज में लोक प्रशासन क्यों महत्वपूर्ण है?

लोक प्रशासन आधुनिक राज्य का एक अनिवार्य तत्व है। आधुनिक राज्य का कार्य क्षेत्र बहुत विस्तृत हो गया है और उसे काफी नियोजित ढंग से कार्य करना पड़ रहा है। आधुनिक राज्यों के विस्तृत कार्यों एवं योजनाओं की पूर्ति के लिए एक सुसंगठित, विशाल और सकारात्मक उद्देश्य वाले लोक प्रशासन की आवश्यकता बढ़ गयी है।

लोक प्रशासन में आधुनिक दृष्टिकोण क्या है?

इस दृष्टिकोण के अनुसार, प्रशासन का संबंध लक्ष्य और साधन दोनों से है। इन दोनों का कुशलतापूर्वक समन्वय ही प्रशासन की उत्कृष्टता की कसौटी है । अर्थात् लोक प्रशासन के दर्शन का प्रायोजन हमारे लक्ष्यों को परिभाषित करना तथा उनकी प्राप्ति के लिए समुचित साधनों की खोज करना है।

नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं?

लोक प्रशासन में नवीनता से तात्पर्य है 'किसी भी प्रचलित प्रशासनिक व्यवस्था में नवीन तथ्यों व नवीन विधियों को प्रभावी करना । ' तकनीकी दृष्टि से इसका आशय 'प्रशासनिक संगठन व्यवहार विधियों एवं प्रक्रियाओं में संगठित एवं व्यवस्थित सुधार करना है ।