पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

बॉलीवुड के 'खिलाड़ी कुमार' यानी अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और ‘मिस वर्ल्ड’ मानुषी छिल्लर (Manushi Chhillar) स्टारर फिल्म 'सम्राट पृथ्वीराज' (Samrat Prithviraj) 3 जून 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म में जहां अक्षय कुमार भारत के वीर योद्धा और हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान का किरदार निभा रहे हैं, वहीं मानुषी उनकी पत्नी संयोगिता चौहान के रोल में हैं। पृथ्वीराज के बारे में तो हर कोई जानता है, लेकिन संयोगिता के बारे में इतिहास में बहुत कम जानकारी मिलती है। यहां हम आपको संयोगिता और उनकी प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे, जिसमें रोमांच, इमोशन, ड्रामा, सब है। तो चलिए इनकी महान और अमर प्रेम कहानी पर डालते हैं एक नजर।

 पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

पृथ्वीराज चौहान एक ऐसे वीर योद्धा थे, जिनका नाम भारतीय इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। वो दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक थे। पृथ्वीराज अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान के बेटे थे, जिन्होंने अपने नाना के कहने पर उनकी दिल्ली की सत्ता की कमान संभाली थी। वीर योद्धा पृथ्वीराज एक सच्चे प्रेमी भी थे। ये बात 12वीं सदी के उत्तरार्ध की है, जब पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के प्रबल शासक हुआ करते थे। पृथ्वीराज की वीर गाथाएं अब भी राजस्थान के गलियारों में गूंजती हैं। हालांकि, उनकी पत्नी संयोगिता के बारे में इतिहास में जानकारी कम ही मिलती है।

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कौन थीं रानी संयोगिता?

पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

संयोगिता कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थीं। उनकी खूबसूरती के चर्चे पूरे हिंदुस्तान में थे। संयोगिता को 'कान्तिमती' और 'संयुक्ता' के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की तस्वीर देखकर ही उन्हें अपना पति बनाने का निश्चय कर लिया था, जबकि उनके पिता जयचंद, पृथ्वीराज को पसंद नहीं करते थे।

ऐसे हुई थी प्यार की शुरुआत

पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

पृथ्वीराज और संयोगिता की प्रेम कहानी का वर्णन चंदबरदाई द्वारा रचित 'पृथ्वीराज रासो' में मिलता है। कहा जाता है कि, एक बार राजा जयचंद के दरबार में चित्रकार पन्नाराय कई राजा-रानियों के चित्र अपने साथ लेकर आए। इन्हीं चित्रों में से एक था पृथ्वीराज चैहान का चित्र। जब संयोगिता ने इस चित्र को देखा तो वो देखते ही पृथ्वीराज को अपना दिल दे बैठीं और उन्होंने उसी पल उनसे विवाह करने का निश्चय कर लिया।

पहली नज़र में संयोगिता पर मोहित हो गए थे पृथ्वीराज

कन्नौज से आते वक्त नामी चित्रकार पन्नाराय, राजकुमारी संयोगिता का चित्र अपने साथ लेकर दिल्ली आए। यहां उन्होंने इस चित्र को पृथ्वीराज को दिखाया। संयोगिता का मनमोहक चित्र देखकर पृथ्वीराज भी उनपर मोहित हो गए और इस तरह संयोगिता और पृथ्वीराज एक-दूसरे के प्रेम में पड़ गए।

संयोगिता के पिता को पसंद नहीं थे पृथ्वीराज

अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि, लव स्टोरी में कोई एक विलेन जरूर होता है। पृथ्वीराज और संयोगिता की प्रेम कहानी के विलेन कोई और नहीं बल्कि संयोगिता के पिता जयचंद ही थे। दरअसल, पृथ्वीराज की योग्यता और वीरता के चर्चे पूरे हिंदुस्तान में मशहूर थे। जयचंद, पृथ्वीराज के इसी गौरव और आन से ईर्ष्या करते थे। इधर, संयोगिता, पृथ्वीराज से विवाह का मन बना चुकी थीं। वहीं, उनके पिता जयचंद, पृथ्वीराज से नफरत करते थे। इसी बीच, जब पृथ्वीराज दिल्ली की सत्ता पर आसीन थे, तब राजा जयचंद ने राजकुमारी संयोगिता के स्वयंवर का आयोजन किया। इस स्वयंवर में देश के कोने-कोने से बड़े-बड़े राजा और राजकुमार पहुंचे थे।

पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

ऐसा कहा जाता है कि, इस स्वयंवर में पृथ्वीराज को भी निमंत्रण भेजा गया, लेकिन उनके मंत्रियों और सामंतों को इसमें कुछ षड़यंत्र का आभास हुआ और उन्होंने पृथ्वीराज को स्वयंवर में जाने से मना कर दिया। जब राजा जयचंद को पता चला कि, पृथ्वीराज ने उनके निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है, तब उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। इस अपमान का बदला लेने और पृथ्वीराज को नीचा दिखाने के लिए उन्होंने मंडप के बाहर पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति द्वारपाल के रूप में लगवा दी। इसके बाद जो हुआ, उसके बारे में किसी ने शायद कल्पना भी नहीं की होगी।

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फिल्मी स्टाइल में हुई थी वरमाला

पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

राजमहल में जब स्वयंवर का आयोजन चल रहा था, तब राजकुमारी संयोगिता को पता चला कि, पृथ्वीराज नहीं आए हैं। इससे उन्हें बहुत दुख हुआ, साथ ही वो पिता द्वारा द्वारपाल के रूप में लगाई गई पृथ्वीराज की मूर्ति लगाने के फैसले से भी बेहद नाराज थीं। स्वयंवर के शुरू होने पर संयोगिता से किसी एक राजा या राजुकमार को चुनने के लिए कहा गया, तो उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। पृथ्वीराज को पति मान चुकीं संयोगिता भला किसी अन्य को कैसे चुन सकती थीं। ऐसे में उन्होंने पृथ्वीराज की मूर्ति को ही वरमाला पहनाने का निश्चय किया और जैसे ही संयोगिता ने मूर्ति को वरमाला पहनानी चाही, तुरंत उनके सामने पृथ्वीराज चौहान आ गए और वरमाला उनके गले में डल गई। इससे संयोगिता तो बहुत खुश हुईं, लेकिन उनके पिता बहुत नाराज हुए। इसके बाद पृथ्वीराज, संयोगिता को लेकर सीधे दिल्ली चले आए।

संयोगिता के पिता ने मोहम्मद गोरी से मिलाया हाथ

पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

स्वयंवर के बाद पृथ्वीराज और संयोगिता का शादीशुदा जीवन अच्छा चल रहा था, तभी संयोगिता के पिता ने पृथ्वीराज से अपने अपमान का बदला लेने के लिए अफगान के मुस्लिम शासक मोहम्मद गोरी के साथ हाथ मिलाया। दरअसल, मोहम्मद गोरी भी पृथ्वीराज का बड़ा दुश्मन था। इतिहास के पन्नों में जिक्र मिलता है कि, पृथ्वीराज ने मोहम्मद गोरी को युद्ध में 17 बार हराया था। हालांकि, कहीं-कहीं युद्धों की ये संख्या 16 बताई जाती है। खैर जो भी हो, जितनी बार भी पृथ्वीराज और गोरी के बीच युद्ध हुआ, उतनी ही बार उसे पृथ्वीराज के हाथों शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा, लेकिन हर बार पृथ्वीराज ने मोहम्मद को जिंदा ही छोड़ दिया। ऐसे में मोहम्मद गोरी भी पृथ्वीराज से अपनी हार का बदला लेना चाहता था।

ऐसे हुआ था इस ऐतिहासिक प्रेम कहानी का अंत

पृथ्वीराज चौहान के ससुर का नाम क्या था? - prthveeraaj chauhaan ke sasur ka naam kya tha?

ऐसा कहा जाता है कि, राजा जयचंद हमेशा से ही पृथ्वीराज चौहान से दुश्मनी रखते थे। ऐसे में उन्होंने पृथ्वीराज को हराने के लिए मोहम्मद गोरी से हाथ मिलाकर अपना सैन्य बल उसे सौंप दिया। जब आखिरी बार पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गोरी के बीच युद्ध हुआ, तब मोहम्मद ने पृथ्वीराज को हराकर उन्हें बंदी बना लिया और गर्म सरिये से उनकी आंखों को जला दिया। इसके बाद मोहम्मद गोरी, पृथ्वीराज को मारने ही वाला था कि, पृथ्वीराज के करीबी दोस्त और राजकवि चंदबरदाई ने गोरी को बताया कि, पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण (आवाज सुनकर बाण चलाने की कला) चलाने में माहिर हैं। ये सुनकर गोरी ने इस कला का प्रदर्शन करने के लिए कहा। तब चंदबरदाई ने अपनी सूझबूझ से एक दोहा बोला, ये दोहा था- “चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुको चौहान।” चंदबरदाई के इस दोहे को सुनकर पृथ्वीराज ने बाण चलाया और मोहम्मद गोरी को मार गिराया। मोहम्मद गोरी को मारने के बाद दुश्मनों की दुर्गति से बचने के लिए पृथ्वीराज और चंदबरदाई ने एक-दूसरे के प्राण ले लिए। जब इसकी जानकारी संयोगिता को मिली, तो उन्होंने भी पति के वियोग में सती होकर अपने प्राण त्याग दिए।

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तो ये थी पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की रोमांचक अमर प्रेम कहानी। पृथ्वीराज के जीवन की समस्त घटनाएं चंदबरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो में मिलती है। आपका इस महान अमर प्रेम कथा पर क्या कहना है? हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

पृथ्वीराज चौहान की कितनी पत्नियां थीं?

पृथ्वीराज की तेरह रानियों में से संयोगिता अति रूपवती थी। संयोगिता को तिलोत्तमा, कान्तिमती, संजुक्ता इत्यादि नामों से भी जाना जाते थे। उनके पिता कन्नौज के राजा जयचन्द थे।

पृथ्वीराज के ससुर का नाम क्या था?

कन्नौज के राजा जयचंद्र पृथ्वीराज चौहान के ससुर थे।

पृथ्वीराज और जयचंद के बीच क्या संबंध है?

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वीराज रासो की कहानी में लिखा है, 'पृथ्वीराज अजमेर के राजा सोमेश्वर के बेटे थे और उनकी मां दिल्ली के राजा अनंगपाल की बेटी कमला थीं. वहीं, कमला की बहन और सोमेश्वर की दूसरी बेटी की शादी कन्नौज के राजा विजयपाल से हुई जिनसे जयचंद पैदा हुए. '

पृथ्वीराज चौहान कौन से वंश के थे?

पृथ्वीराज तृतीय (शासनकाल: 1178–1192) जिन्हें आम तौर पर पृथ्वीराज चौहान कहा जाता है,चौहान वंश के राजा थे