अग्रिम दल पहले ही क्यों चला गया था? - agrim dal pahale hee kyon chala gaya tha?

उत्तर: लेखिका को सागरमाथा नाम अच्छा लगा, क्योंकि सागर के पैर नदियाँ हैं तो सबसे ऊँची चोटी उसका माथा है ।

प्रश्न 3. लेखिका को धवज जैसा क्या लगा?

उत्तर: लेखिका को एक बड़े भारी बर्फ़ का बड़ा फूल  ध्वज जैसा लगा।

प्रश्न 4. हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?

उत्तर:  हिमस्खलन से एक की मृत्यु  तथा 4 घायल हुए थे।

प्रश्न 5. मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?

उत्तर: मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने यह कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को  सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।

प्रश्न 6. रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर:  जलवायु अनुकूल ना होने के कारण रसोई सहायक की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 7. कैंप – चार कहाँ और कब लगाया गया?

उत्तर: कैंप-चार 29 अप्रैल, 1984 को 7900 मीटर पर साउथ कोल में लगाया गया था।

प्रश्न 8. लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?

उत्तर: लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय इस तरह दिया की  वह नौसिखिया है।

प्रश्न 9. लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी ?

उत्तर:  “मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में जाओगी जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा। ” लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे इन शब्दों में बधाई दी।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए :-

प्रश्न 1. नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?

उत्तर: नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को ऐसा लगा कि  वह एवरेस्ट ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फ़ीली ढेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।

प्रश्न 2. डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दी?

उत्तर: डॉ मीनू मेहता ने निम्नलिखित जानकारियां दी :-

(क) अल्मुनियम सीढ़ियों से अस्थाई पुलों का निर्माण
(ख) लट्ठों और रस्सियों का उपयोग
(ग) बर्फ की आड़ी -तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना, आदि जानकारियां दी।

प्रश्न 3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?

उत्तर: तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में यह कहा कि वह एक पर्वतीय लड़की है तथा उसे तो शिखर पर पहले ही  कोशिश में ही पहुँच जाना चाहिए।

प्रश्न 4. लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?

उत्तर: लेखिका को अपने दल के साथ चढ़ाई करनी थी।  उनके दल में  जय और मीनू थे।

प्रश्न 5. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?

उत्तर: लोपसांगने ने तंबू का रास्ता अपनी स्विस छुरी की सहायता से  साफ किया ।

प्रश्न 6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्वपुर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?

उत्तर: साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी निम्नलिखित प्रकार से शुरू की :-

(क) जरूरत का सामान जैसे खाना, कुकिंग गैस, कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए।
(ख) अन्य सदस्यों की मदद के लिए, थरमसों को जूस व गरम चाय से भरने के लिए नीचे जाने का निश्चय किया।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में ) लिखिए:

प्रश्न 1. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?

उत्तर: उपनेता प्रेमचंद ने  निम्नलिखित परिस्थितियों से अवगत कराया :-

(क) उन्होंने यह बताया कि उनके दल ने कैंप-एक (6000 मीटर),जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया।
(ख) उन्होंने यह भी बताया कि पुल बना दिया गया है, रस्सियाँ बाँध दी गई हैं तथा झंडियों से रास्ते को चिह्नित कर दिया गया है।

प्रश्न 2. लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?

उत्तर: लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का बक्का रह गया क्योंकि इतनी बर्फ़ीली हवा में नीचे उतरना जोखिम भरा था परंतु आप बिना डरे  उतर रही थी । ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल मच जाती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी च़ट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं। अन्य कारणों से भी अचानक खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे धरातल पर बड़ी चौड़ी दरारें पड़ जाती हैं।

प्रश्न 3. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?

उत्तर:  हिमपात  एक प्रकार की बर्फीली नदी होती है, जब पहाड़ों से बर्फ पिघलती है तो बहने लगती है। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल मच जाती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी च़ट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं।  और तथा उनसे बहुत हानि पहुंचने का खतरा होता है और यह बहुत परिवर्तन भी करती है।

प्रश्न 4. लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?

उत्तर: करीब  रात के  12.30 बजे जब  लेखिका अपने तम्बू में गहरी नींद में सो रही थीं तभी एक सख्त चीज़ लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराई, जिस कारण की नींद टूट गई। जब उन्होंने देखा कि क्या चीज उनके सर से टकराई तो उन्हें पता चला कि एक लंबा बर्फ़ पिंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर कैंप के ऊपर आ गिरा था।  वह अत्यंत तेज़ गति के साथ और गर्जना के साथ गिरा था।   इस बर्फीले पिंड से सब को चोट तो लगी पर मृत्यु किसी की भी नहीं हुई बर्फीले पिंड ने पूरी तंबू को नष्ट कर दिया।

प्रश्न 5. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?

उत्तर:  चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति निम्न प्रकार से थी :-
(क)  वहाँ तेज़ हवा के कारण बर्फ़ उड़ रही थी।
(ख) एवरेस्ट की चोटी शंकु के आकार की थी।
(ग) वहाँ इतनी भी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति एक साथ खड़े हो सकें।
(घ) चारों ओर हज़ारों मीटर लंबी सीधी ढलान थी। लेखिका के सामने सुरक्षा का प्रश्न था।
(ड) वहाँ फावड़े से बर्फ़ की खुदाई की गई ताकि स्वयं को सुरक्षित कर स्थिर किया जा सके।

प्रश्न 6. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है।

उत्तर: बचेंद्री पाल ने बहुत सारे कामों में अपना सहयोग  दिया है। वह अपने साथियों के लिए खाना, पानी और चाय बनाती हैं। वह जितना हो सके उतनी कार्य में आगे रहती थी। वह सबकी मदद करती, तथा कभी भी मदद करने से पीछे नहीं हटती थी । वह दुर्घटना के बावजूद भी घबराती नहीं थी। इस व्यवहार से कार्य में उसके सहयोग और सहायता की भावना का परिचय मिलता है।

(ख) प्रश्न 7. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?

उत्तर: लेखिका बचेंद्री पाल अपने साथियों ‘जय’ और ‘मीनू’ के साथ एवरेस्ट पर विजय पाने के लिए चढ़ाई कर रही थी। परंतु वह ‘जय’ और ‘मीनू’ से पहले ही साउथ कोल कैंप पर जा पहुंचती है। वे चाहती तो वहीं रुक कर अपने दोस्तों का इंतजार कर सकती थी। लेकिन उन्होंने एक थरमस में जूस और दूसरे में गर्म चाय भरकर अपने दोस्तों की मदद करने की ठानी और बर्फीली हवाओं में भी बाहर निकल कर अपने दोस्तों की ओर नीचे उतरने लगी।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न1. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।

उत्तर: हां, क्योंकि एवरेस्ट जैसे पर्वत पर चढ़ना एक महान काम है। जिसमें जोखिम तो होंगे ही जैसे जान जाने का जोखिम। इसलिए ऐसे कठिन कार्य करते हुए मृत्यु हो भी जाए तो उसे सहज रूप से लेना चाहिए नाकी हाय-तौबा मचानी चाहिए।

प्रश्न2. सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।

उत्तर: इस कथन से यह आशय है कि हिमपात के बहने तथा विशाल बर्फ कि चट्टानों का धरती के धरातल पर गिरने नाचने से , इसमे गहरी दरार आ जाती है। जो कि बेहद खतरनाक व नुकशानदयक शबित होती है।

इससे भी ज्यादा भयानक बात कि जानकारी थी कि हमारे पूरे प्रयासो के बाद भी हमें पता हो कि प्रतिदिन यह हिमपात एक दर्जन आरोहियों (प्रवतरोहियो) और कुलियो को आघात करेगा।

प्रश्न3. बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा छोटी-सी अर्चना की और इनको बर्फ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने पिता का ध्यान आया।

उत्तर: यहां लेखिका बताती है कि एवरेस्ट शंकु कि चोटी पर पहुंचते हि , बिन रुके , बिन उठे , सबसे पहले घुटनो के बल बैठकर बर्फ पर अपना माथा लगाया और उसे चूमा। फिर अपने थैले से दुर्गा माँ एक और हनुमान चालीसा निकली जो एक लाल कपड़े मे लपेट रखी थी , उसे निकालकर छोटी सी पूजा-अर्चना की और उन्हें वही बर्फ के नीचे दबा दिया व गर्व का अनुभव करते हुए अपने माता-पिता का स्मरण किया।

एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा लेखक परिचय

इस पाठ की लेखिका बचेंद्री पाल है। बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरांचल के चमोली जिले में बंचा गाँव में 24 मई 1954 को हुआ था। वह अपनी माँ हंसा नेगी और पिता किशन सिंह पाल की तीसरी संतान है। पिता पढ़ाई का खर्च करने में असमर्थ थे, अतः बचेंद्री को आठ में आगे की पढ़ाई का खर्च, सिलाई-कढ़ाई करके जुटामा पड़ा। दसवी पास करने के बाद बचेंद्री के प्रिंसिपल ने उनके पिता को उनकी आगे की पढ़ाई के लिए सहमत किया।

बचेंद्री ने ऐसी विषम स्थितियों के बावजूद संस्कृत से एम.ए. और फिर  बी. एड की शिक्षा हासिल की ।  लक्ष्य के प्रति इसी समर्पणता ने इन्हें एवरेस्ट पर विजय पाने वाली पहली भारतीय पर्वतारोही होने का गौरव दिलाया।

बचेंद्री को पहाड़ों पर चढ़ने का चाव बचपन से ही था। जब इनका बड़ा भाई इन्हें पहाड़ पर चढ़ने से रोकता था और इनसे छह साल छोटे भाई को पहाड़ पर चढ़ने के लिए उकसाता था। तब बचेंद्री को बहुत बुरा लगता था। वह सोचती थी कि भाई यह क्यों नहीं समझता कि जो काम भाई कर सकता है, यह उसकी यह बहन भी कर सकती है। लोग लड़कियों को इतना कोमल, नाज़ुक क्यों समझते है। बहरहाल, पहाड़ों पर पड़ने की उनकी इच्छा बचपन में भी पूरी होती रही। क्योंकि इनका परिवार साल के कुछ महीने एक ऊँचाई वाले गांव में बिताता ा और कुछ महीने पहाड़ से नीचे तराई में बसे एक और गाँव में। जिस मौसम में परिवार नीचे तराई वाले गाँव में आ जाता था, उन महीनों में स्कूल जाने के लिए भी पाँच-छह मील पहाड़ की चढ़ाई चढ़नी और उतरनी पड़ती थी।

इधर बचेंद्री की पढ़ाई पूरी हुई, उधर इंडियन माउंटेन फाउंडेशन ने एवरेस्ट अभियान पर जाने का साहस रखने वाली महिलाओं की खोज शुरू की। बचेंद्री इस अभियान दल में शामिल हो गई। ट्रेनिंग के दौरान बचेंद्री 7500 मीटर उंची चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ी। कई महीनों के अभ्यास के बाद आखिर वह दिन आ ही गया, जब उन्होंने एवरेस्ट विजय के लिए, प्रयाण किया।

अग्रिम दल पहले क्यों चला गया था?

एवरेस्ट अभियान दल दिल्ली से काठमांडू के लिए 7 मार्च को हवाई जहाज से रवाना हुआ। उससे पहले अग्रिम दल को इसलिए भेजा गया ताकि 'बेस कैंप' पहुँचने से पहले दुर्गम हिमपात के रास्ते को साफ़ कर सके।

अग्रिम दल के नेता का क्या नाम था?

Answer: अग्रिम दल का नेतृत्व प्रेमचंद कर रहे थे।

Q 4 अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहे थे?

1. अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था? उत्तर:- अग्रिम दल का नेतृत्व प्रेमचंद कर रहे थे

अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था उन्होंने अभियान दल के सदस्यों को क्या जानकारी दी?

उत्तर : अग्रिम दल का नेतृत्व अभियान दल के उपनेता प्रेमचंद कर रहे थे। 'एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा' पाठ में बचेंद्री पाल के अभियान दल का में अग्रिम दल का नेतृत्व अभियान दल के उपनेता प्रेमचंद ने किया था