अमेरिका ने परमाणु बम क्यों गिराया? - amerika ne paramaanu bam kyon giraaya?

आज 6 अगस्त है. आज ही के दिन 76 साल पहले 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर दुनिया का पहला परमाणु बम हमला किया था. इसके तीन दिन बाद जापान के ही नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम गिराया गया. दोनों शहर लगभग पूरी तरह तबाह हो गए. डेढ लाख से अधिक लोगों की पल भर में जान चली गई और जो बच गए वो अपंगता के शिकार हो गए. दूर-दूर तक के इलाकों में घंटों काली बारिश होती रही और रेडियोएक्टिव विकिरण ने जिंदादिली से भरे इन दोनों शहरों में कहर बरपा दिया. चारों तरफ मौत का मंजर पसरा था.

वक्त बीतता गया लेकिन तबाही थमी नहीं और आने वाले कई दशकों तक इसका असर दिखा. दुनिया के इतिहास में इससे भीषण जंग न पहले कभी हुई थी और ना ही उसके बाद कभी दुनिया ने देखी. परमाणु हथियारों की होड़ में लगी दुनिया में इसके इस्तेमाल की धमकियां तो कई देश लगातार देते रहे हैं लेकिन उसके इस्तेमाल के नतीजे सबको पता है. इसलिए कई एक्सपर्ट परमाणु हथियारों को युद्ध न होने की गारंटी भी बताते हैं.

क्या हुआ था 6 और 9 अगस्त 1945 को?

1939 में शुरू हुआ दूसरा विश्व युद्ध निर्णायक स्थिति की ओर पहुंच रहा था लेकिन जापान के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे थे. ऐसे में अमेरिका ने वो कदम उठाया जिसका न तो दुनिया में किसी को इल्म था और ना ही भविष्य में कोई भी वो मंजर देखना चाहेगा. 6 अगस्त 1945 को सुबह के करीब आठ बजे हिरोशिमा पर परमाणु बम का जोरदार हमला हुआ. ये हमला इतना जबरदस्त था कि कुछ ही पल में 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. बम धमाकों में इतनी गर्मी थी कि लोग सीधे जल गए. एक मिनट के भीतर हिरोशिमा शहर का 80 फीसदी हिस्सा राख हो गया. तबाही यही नहीं थमी. इसके बाद हजारों लोग परमाणु विकिरण से जुड़ी बीमारियों के चलते मारे गए. एक अध्ययन से पता चला कि बम गिरने की जगह के 29 किलोमीटर क्षेत्र में काली बारिश हुई. जिससे मौतें बढ़ीं और इस काली बारिश ने अपने संपर्क में आने वाली सभी चीजों को भी दूषित कर दिया.

हिरोशिमा शहर में हुए परमाणु बम हमले से जापान उबरा भी नहीं था कि तीन दिन बाद ही 9 अगस्त को दूसरे शहर नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम हमला हो गया. नागासाकी पर गिराया गया बम हिरोशिमा से भी ज्यादा शक्तिशाली था. नागासाकी में 9 अगस्त की सुबह करीब 11 बजे परमाणु बम गिराया गया. इस हमले में 40 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई. विस्फोट के बाद परमाणु विकिरण के संपर्क में आने और विस्फोटों के बाद हुई ‘काली बारिश’ से भी दोनों शहरों में हज़ारों लोगों की मौत हो गई थी.

हिरोशिमा पर अमेरिकी परमाणु हमले को 1941 के अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर किए गए जापानी सेना के हमले का बदला माना गया. अमेरिका को उम्मीद थी कि परमाणु हमले के बाद जापान सरेंडर कर देगा. नागासाकी पर हमले के 6 दिन बाद जापान ने बिना किसी शर्त समर्पण करने की घोषणा भी कर दी और इसी के साथ द्वितीय विश्व युद्ध भी आधिकारिक तौर पर खत्म हो गया. 

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इतिहास में पहली और आखिरी बार हुआ था परमाणु बमों से हमला

क्या अब भी हैं तबाही के निशां?

परमाणु हमलों के बाद रेडियोएक्टि विकिरण के शिकार जापानी लोगों की अदालती लड़ाई 76 साल बाद अब भी जारी है. अभी पिछले महीने ही वहां के हाईकोर्ट ने काली बारिश के पीड़ित 84 लोगों की याचिका पर उन्हें मेडिकल सुविधाएं देने के पक्ष में फैसला दिया. जापानी अदालत के इस फैसले का असर सरकार की ओर से जारी उस रिव्यू प्रोसेस पर भी होगा जो इस बात का परीक्षण करने के लिए शुरू किया है कि क्या परमाणु बम हमले के शिकार लोगों और काली बारिश के प्रभाव के लिए चिन्हित एरिया से बाहर के प्रभावित लोगों को भी समान हेल्थ सुविधाएं दी जानी चाहिए. दशकों से पीड़ित लोग अदालतों में अपनी मांग के लिए लड़ रहे हैं. अदालत ने साफ कहा कि सरकार द्वारा चिन्हित इलाके के बाहर भी काली बारिश से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे और उन्हें हेल्थ सुविधाएं दी जानी चाहिए. अब उन्हें विकिरण से होने वाली 11 चिन्हित बीमारियों के इलाज की सुविधा मिल सकेगी.

जापान की अदालत के इस फैसले से कोर्ट के बाहर मौजूद पीड़ितों में उत्साह की लहर दौड़ गई. स्थानीय मीडिया से बात करते हुए पीड़ितों के संघ के 83 साल के अध्यक्ष मसाकी तकानो ने कहा- 'मैं कोर्ट का इस फैसले के लिए आभार जताता हूं. साथ ही राज्य प्रशासन और शहर के प्रशासन से अपील करता हूं कि पीड़ितों को ये सुविधाएं मिलने दें और ऊपरी अदालत में इस फैसले को चुनौती न दें'.

अदालत के इस फैसले पर हिरोशिमा के मेयर कजूमी मतसुई ने कहा- 'शहर के लोगों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए सिटी प्रशासन सरकार और तमाम पक्षों के साथ इस बारे में विचार करेगी कि क्या काली बारिश से प्रभावित इलाके का दायरा बढ़ाया जा सकता है?'

कोर्ट में दशकों से लंबित मामले के पीछे विवाद क्या?

परमाणु हमले के शिकार हिरोशिमा के लोगों की दशकों पुरानी ये लड़ाई सरकार के उस फैसले के खिलाफ है जिसमें सरकार ने बम गिरने की जगह के 19 किलोमीटर लंबे और 11 किलोमीटर चौड़े दायरे के एक ओवल शेप्ड इलाके को काली बारिश से प्रभावित माना था. परमाणु बम हमले के बाद कई इलाकों में एक घंटे तक काली बारिश हुई थी और विकिरण के कारण बहुत सारे लोगों की मौत हो गई थी तो कई लोग विकलांग हो गए थे. इन इलाकों में कई दशकों तक जन्मने वाले लोगों में विकलांगता के लक्षण पाए गए. लेकिन इस दायरे के बाहर कई इलाके के लोगों ने भी दावा किया कि विकिरण का असर उनके इलाकों में हेल्थ पर भी हुआ है और सरकार की ओर से उन्हें भी मेडिकल सुविधाएं और अन्य राहत मिलनी चाहिए. 

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अब ऐसा दिखता है नागासाकी

आज का हिरोशिमा कैसा है?

परमाणु हमले से तबाह हुआ हिरोशिमा शहर जापान के सबसे बड़े द्वीप होंशू में स्थित है. तबाही के बाद दोबारा इस शहर को बसाने में जापान ने काफी मेहनत की. आज यह एक अच्छा खासा विस्तारित शहर है. यहां की आबादी करीब 12 लाख है. यहां की आबादी काफी घनी बसी हुई है लेकिन सिस्टमेटिक डेवलपमेंट और जल स्रोतों के बेहतर मैनेजमेंट के कारण आज हिरोशिमा काफी सुंदर शहर के रूप में दिखता है. देश की राजधानी टोक्यो के साथ ही चीन, ताइवान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के लिए अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स भी यहां से सीधे उड़ान भरती हैं.

शहर के अंदर देखें तो एस्ट्राम लाइन, सीनो लाइन और ट्रेन सेवा भी शहर को काफी व्यवस्थित बनाती हैं. हिरोशिमा की सड़कों के बीच में चलने वाली स्ट्रीटकार और लाइट रेल वेहिकल खासकर जापान भर में मशहूर हैं. कई आधुनिक शिक्षण संस्थान, यूनिवर्सिटी, कल्चरल सेंटर और रॉयल कैसल यहां की सांस्कृतिक विविधता और खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. लोहे के प्लेट पर बनने वाले स्वादिष्ट पैनकेक के लिए हिरोशिमा शहर खास तौर पर जाना जाता है. लाखों की तादाद में सैलानी दुनियाभर से हर साल यहां आते हैं. हिरोशिमा मेमोरियल और म्यूजियम लोगों को परमाणु हमले की तबाही के निशां याद दिलाते हैं. 

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ऐसा है हीरोशीमा का नज़ारा

आज के नागासाकी की तस्वीर कैसी है?

नागासाकी जापान के दक्षिण पश्चिम क्यूशू द्वीप में समुद्र के किनारे स्थित शहर है. यह शहर 405.9 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है. यहां की आबादी 4 लाख 7 हजार के करीब है. हाशिमा द्वीप, पीस पार्क, एटॉमिक बम मेमोरियल यहां के प्रमुख टूरिस्ट केंद्र हैं. फरवरी-मार्च में होने वाला नागासाकी लैलटर्न फेस्टिवल यहां का मुख्य सांस्कृतिक आयोजन है. सख्त ट्रैफिक रूल और सड़क के बीच चलने वाले एसट्राम यहां की परिवहन व्यवस्था को सुविधाजनक बनाते हैं.

आज नागासाकी एक पोर्ट सिटी के रूप में जाना जाता है. खासकर यहां की जहाज निर्माण इंडस्ट्री बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देने का साधन साबित हुई है. समंदर के लंबे किनारों के कारण यह शहर एक खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में भी विकसित हुआ है. अगस्त का महीना यहां सबसे गर्म रहता है. हालांकि, सर्दी के मौसम में बर्फबारी भी आकर्षण का केंद्र रहती है. 2016 में यहां 17 सेंटीमीटर तक स्नोफॉल हुआ था.

दुनिया क्या सबक ले सकती है?

परमाणु बम हमले की मार झेल चुका जापान आज अपनी तकनीक और मेहनत की बदौलत दुनिया के सबसे विकसित देशों में है. लेकिन उसकी प्रतिज्ञा साफ है कि वह देश में परमाणु हथियारों का स्वामित्व, उत्पादन या अनुमति नहीं देगा. परमाणु तकनीक को वह केवल शांतिपूर्ण तरीके से ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल का समर्थन करता है. हालांकि, दुनिया की आज की तस्वीर जापान जैसी नहीं है. दुनिया में परमाणु हथियारों की रेस तेज ही होती जा रही है.

दुनिया के परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सिपरी के अनुसार वैश्विक रूप से परमाणु हथियारों की संख्या पिछले साल से और अधिक बढ़ गई है. साल 2020 में 3,720 परमाणु बम दुनियाभर में तैनात थे, वहीं साल 2021 में 3,825 परमाणु हथियार कभी भी हमला करने के लिए बिल्कुल तैयार हालत में रखे गए हैं. सिपरी के अनुसार नौ परमाणु सशस्त्र देश इस रेस को बढ़ा रहे हैं जिनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राइल और उत्तर कोरिया को शामिल किया गया है. रिपोट के मुताबिक साल 2021 में इन देशों के पास कुल 13,080 परमाणु बम हैं जबकि साल 2020 में यह आंकड़ा 13,400 था. 

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अमेरिका ने जापान को परमाणु बम से क्यों मारा?

किसी को नहीं था तबाही का अंदाजा अमेरिका ने मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत दुनिया के पहले परमाणु बम विकसित किए थे। जब ये बनकर तैयार हो गए तो अमेरिका ने इन्हें जापान पर इस्तेमाल करने का फैसला किया क्योंकि एशियाई देश के नेताओं ने घुटने टेकने से इनकार कर दिया था।

पहला परमाणु बम कहां गिराया गया और क्यों?

Hiroshima Day 6 August 1945: अमेरिका ने आज के ही दिन जापान के हिरोशिमा शहर पर गिराया था पहला परमाणु बम, लाखों लोगों की हुई थी मौत Hiroshima Day 6 August 1945 अमेरिका ने आज के ही दिन 1945 में जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया था जिससे लाखों लोगों की मौत हो गई थी।

जापान ने अमेरिका पर हमला क्यों किया?

पर्ल हार्बर अटैक के दौरान जापान के भी सौ से ज्यादा सैनिक मारे गए थे. जापान ने अमेरिका पर क्यों किया था हमला? दरअसल, इसके दो कारण माने जाते हैं पहला अमेरिका द्वारा जापान लगाए गए कुछ आर्थिक प्रतिबंध और दूसरा जापान का चीन के साथ बढ़ता तालमेल.

अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु बम गिराने का क्या कारण था?

- जापान ने यूएस पेसिफिक फ्लीट (बेड़े) को बेअसर करने का इरादे से पर्ल हार्बर पर हमला किया था। - अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने 7 दिसंबर, 1941 को 'कलंक का दिन' कहा। - हमले के दूसरे ही दिन 8 दिसंबर, 1941 को अमेरिका भी सेकंड वर्ल्ड वॉर में कूद पड़ा। उसने भी जापान के खिलाफ जंग का एलान कर दिया।