बच्चे को बुखार कब ज्यादा होता है? - bachche ko bukhaar kab jyaada hota hai?

अधिकतर माता-पिता बदलते मौसम में बच्चों के बुखार से परेशान रहते हैं। वे समझ नहीं पाते कि बच्चों के साथ ऐसा क्यों होता है। तो जानेंगे इसकी वजहें, लक्षण और उपचार के बारे में...

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क्यों होता हे ऐसा

आमतौर पर बच्चों में बुखार दो कारणों से होता है, वायरल या बैक्टीरियल। जन्म के बाद शुरुआती दो साल तक अधिकतर बच्चों में वायरल फीवर की आशंका रहती है। दरअसल इस उम्र में बच्चों में बुखार होना इस बात का संकेत है कि उनके शरीर का इम्यून सिस्टम बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ रहा है और इससे शरीर बच्चों की इम्यूनिटी मज़बूत होती है। अगर छह माह से कम उम्र के बच्चों को बुखार हो तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए क्योंकि यह स्थिति बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित होती है। स्कूली बच्चों को भी बार-बार सर्दी-ज़ुकाम जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता लेकिन बाहरी वातावरण से उनका संपर्क बहुत ज्य़ादा होता है। ऐसे में बैक्टीरिया उनके कमज़ोर शरीर पर हमला कर देते हैं, जिससे उन्हें बार-बार बुखार आता है। आनुवंशिक कारणों की वजह से बच्चों को यह समस्या हो सकती है। अगर घर में सफाई का ध्यान न रखा जाए, तब भी बच्चों को यह फीवर हो सकता है।    

प्रमुख लक्षण

- गले में खराश

- नाक से पानी गिरना

- छाती और पेट में में दर्द

- नॉजि़या और वोमिटिंग

- भोजन में अरुचि

- सांस फूलना

- त्वचा पर लाल रैशेज़

उपचार एवं बचाव

1. अगर बच्चे को दो-तीन दिनों तक 101 डिग्री से ज़्यादा बुखार हो तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

2. अगर घर में किसी एक बच्चे को ऐसा संक्रमण है तो उसे दूसरे बच्चों से दूर रखें।

3. एक टेंपरेचर चार्ट बनाएं और हर दो घंटे के बाद थर्मामीटर से उसके शरीर तापमान जांच कर उसे चार्ट में दर्ज करें। 

4. कुछ लोग बुखार होने पर बच्चों को नहलाना बंद कर देते हैं। ऐसा न करें। गुनगुने  पानी में मुलायम टॉवल भिगोकर उसका शरीर पोंछने या गर्मियों के मौसम में उसे नहलाने में कोई हजऱ् नहीं है।

5. अगर बच्चे को दो-तीन दिनों तक 101 डिग्री से अधिक बुखार हो तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

6. बच्चों की नियमित डाइट में रंग-बिरंगे फलों और सब्जि़यों को प्रमुखता से शामिल करें। इससे उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होगी और उन्हें बार-बार बुखार की समस्या नहीं होगी।

7. गले में खराश होने पर बच्चे को गुनगुना पानी पीने को दें। 

8. यह धारणा गलत है कि बुखार या सर्दी ज़ुकाम होने पर बच्चों को फल नहीं खिलाना चाहिए। आप दिन के समय उन्हें कोई भी फल खिला सकती हैं। केवल इतना ध्यान रखें कि फ्रिज से तुरंत निकालने के बाद उन्हें कोई भी चीज़ खाने को न दी जाए। 

9. ऐसी समस्या होने पर बच्चे के जोड़ों में भी दर्द होता है, जिसे दूर करने के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं दे सकते हैं।

10. अपने घर को धूल और धुएं के प्रदूषण से बचाकर रखें।    

11. उपचार को बीच में अधूरा न छोड़ें। बच्चे को सभी दवाएं निश्चित समय पर दें। डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन करें।   

बच्चों को हल्का-फुल्का बुखार होना स्वाभाविक है, क्योंकि बाल्यावस्था में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वो आसानी से संक्रमण के चपेट में आ जाते हैं। वहीं, कई बार यह बुखार माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है। बुखार का ज्यादा दिनों तक बना रहना घातक परिणाम दे सकता है।

मॉमजंक्शन के इस खास लेख में जानिए बच्चों में बुखार के कारण, लक्षण और इससे निजात पाने के सटीक उपाय व सावधानियां। सबसे पहले हम बच्चे के शरीर के तापमान के बारे में जानते हैं।

आइए, सबसे पहले जानते हैं बच्चे के शरीर के सामान्य तापमान के बारे में।

बच्चे के शरीर का सामान्य तापमान क्या होता है?

एक शिशु के शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है, लेकिन समय के अनुसार यह कम-ज्यादा होता रहता है। जैसे रात दो से सुबह चार बजे के बीच तापमान कम होता है, वहीं दोपहर के बाद तापमान सुबह की तुलना में बढ़ जाता है। बच्चों को ज्यादा कपड़े पहना देने से भी उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। वहीं, गर्मियों के दौरान खेलने-कूदने से भी तापमान बढ़ता है (1)।

आगे जानते हैं कि बच्चों के तापमान की जांच किस प्रकार करें।

बच्चों में तापमान की जांच कैसे करें?

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि बच्चे का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। उनमें बुखार की स्थिति तब बनती है जब शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट या उससे अधिक हो जाता है (1)। आपको बता दें कि बच्चे के शरीर के तापमान को मापने के कई तरीके हैं, जिसके आधार पर बुखार का पता लगाया जा सकता है। नीचे जानिए शिशु में बुखार की जांच करने के विभिन्न तरीकों के बारे में ( (2), (3)) –

1. रेक्टल टेस्ट

बच्चे को बुखार कब ज्यादा होता है? - bachche ko bukhaar kab jyaada hota hai?

बच्चे को बुखार कब ज्यादा होता है? - bachche ko bukhaar kab jyaada hota hai?

बच्चे को बुखार कब ज्यादा होता है? - bachche ko bukhaar kab jyaada hota hai?

Image: iStock

इस विधि के अंतर्गत डॉक्टर बच्चे के रेक्टम (मलाशय) में थर्मामीटर (1/2 से 1 इंच) डालकर जांच करते हैं। इस जांच के लिए अलग से रेक्टल थर्मामीटर आते हैं। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि बच्चे को कोई तकलीफ न हो। यह जांच घर में न करें।

2. एक्सिलरी टेस्ट

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यह जांच का सबसे आसान तरीका है, जिसके अंतर्गत थर्मामीटर को लगभग 4-5 मिनट तक बच्चे के बगल में रखकर बुखार की जांच की जाती है।

3. ओरल (मुंह)

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इस विधि के अंतर्गत थर्मामीटर बच्चे के जीभ के नीचे तीन से चार मिनट तक रखकर बुखार की जांच की जाती है। यह केवल छह साल से ऊपर के बच्चों के लिए है।

4. टिंपैनिक (कान)

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यह इलेक्ट्रिक इयर थर्मामीटर होता है, जिसका इस्तेमाल कान के माध्यम से बुखार की जांच करने के लिए किया जाता है।

5. टेम्परल आर्टरी (माथा)

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माथे के जरिए बुखार जांचने के लिए भी अलग से फोरहेड स्ट्रीप थर्मामीटर आते हैं। इसे सिर्फ एक मिनट तक माथे से लगाए रखना होता है।

आगे जानिए बच्चों में बुखार के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।

बच्चों में बुखार के कारण

जैसा कि हमने पहले बताया कि बाल्यावस्था में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए वो आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। ये संक्रमण शिशुओं में बुखार का कारण बनते हैं। नीचे जानिए बच्चों में बुखार आने की कुछ आम वजहों के विषय में :

1. वायरल संक्रमण : वायरल संक्रमण बच्चों में बुखार का कारण बन सकते हैं। जैसे मलेरिया व फ्लू आदि (4)।

2. बैक्टीरियल संक्रमण : जीवाणुओं के संपर्क में आने से बच्चे बैक्टीरियल संक्रमण का शिकार हो सकते हैं, जिससे बुखार की स्थिति पैदा हो सकती है। इसमें रक्त संक्रमण, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में तरल संक्रमण आदि शामिल हैं (5)।

3. टीकाकरण : टीकाकरण के कुछ समय बाद बच्चों को बुखार आ सकता है। इसे वैक्सीनेशन के दुष्प्रभावों के रूप में भी उल्लेख किया जाता है (6)।

4. ओवरड्रेसिंग: बच्चों को ज्यादा कपड़े पहनाने से भी शरीर का तापमान बढ़ सकता है (1)।

5. निर्जलीकरण : डायरिया और उल्टी के कारण बच्चों के शरीर से अत्यधिक मात्रा में तरल निकल जाता है, जिससे डिहाइड्रेशन का खतरा बन जाता है। डिहाइड्रेशन बच्चों में बुखार का कारण बन सकता है (7)।

6. नए दांत आना – नए दांत आने के दौरान भी बच्चे को बुखार आ सकता है। इसके अलावा सनबर्न, सनस्ट्रोक या त्वचा सबंधी रोग जैसे हाइव्स से भी बच्चा बुखार की चपेट में आ सकता है (8)।

आगे जानिए बच्चों में बुखार के लक्षण के बारे में।

बच्चों में बुखार के लक्षण

निम्नलिखित लक्षणों द्वारा आप अपने नन्हे शिशु में बुखार की पहचान कर सकते हैं ( (8), (9)) :

  • माथा और गले का अत्यधिक गर्म होना।
  • कंपकंपी होना।
  • चेहरा लाल हो जाना।
  • दांत कटकटाना।
  • पसीना आना।
  • बच्चा के चेहरे पर थकावट दिखना आदि।

अब जानिए कि बच्चों में बुखार का इलाज किस प्रकार किया जा सकता है।

बच्चों के बुखार का इलाज | Bachon Ke Bukhar Ka Ilaj

बच्चे में बुखार की पहचान करने के बाद बुखार का सटीक इलाज करना बहुत जरूरी है। थोड़ी लापरवाही भी बच्चे के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। नीचे हम कुछ जरूरी इलाज और सावधानियां बता रहे हैं, जिनका पालन कर आप अपने बच्चे के बुखार का इलाज कर सकते हैं ( (9), (10)) :

  • बच्चे को ज्यादा कपड़े न पहनाएं और कंबल से न ढकें, क्योंकि ऐसा करने से बुखार कम भी हो सकता है और बढ़ भी सकता है। बच्चे को हल्के कपड़े पहनाएं और एक हल्की चादर से शरीर को ढकें।
  • ‘टाइलेनॉल’ और ‘इबुप्रोफेन’ दवा बच्चे को दे सकते हैं, लेकिन दवा देने से पहले डॉक्टर से एक बार पूछ जरूर लें।

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  • बच्चे को गुनगुने पानी से नहला सकते हैं या स्पंज बाथ कर सकते हैं। गलती से भी बच्चे को ठंडे पानी या बर्फ के पानी से स्नान न कराएं। अगर बच्चा बुखार की दवाई ले रहा है, तो गुनगुने पानी से स्नान करने से बुखार कम हो सकता है।
  • बच्चे को बीच-बीच में पानी पिलाते रहें, जिससे बच्चा हाइड्रेट रहे।

  • अगर बच्चा तीन महीने से कम का है, तो उसे जल्द डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • बच्चे के सुस्त दिखने पर, खाना न खाने पर और पेशाब कम करने पर भी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

लेख में आगे बच्चों को दी जाने वाली बुखार की दवा के बारे में बताया गया है।

बच्चे को बुखार की दवा | Bacho Ki Bukhar Ki Dawa

बुखार के दौरान आप बच्चे को नीचे बताई जा रही दवाइयां दे सकते हैं (11) :

  • बुखार के दौरान आप बच्चे को पेरासिटामोल और इबुप्रोफेन जैसी दवा डॉक्टरी परामर्श पर दे सकते हैं।
  • अगर बच्चे के बुखार की वजह जीवाणु संक्रमण है, तो आप डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दवा बच्चे को दे सकते हैं, लेकिन यह डॉक्टर के कहने पर ही दें।
  • दवा देने से पहले अच्छा होगा कि आप बच्चे को क्लिनिक ले जाएं और अच्छी तरह जांच कराएं।

बच्चे का बुखार उतारने के लिए आप घरेलू उपचार का सहारा भी ले सकते हैं। आगे हम कुछ चुनिंदा घरेलू नुस्खे बता रहे हैं, जिनका प्रयोग आप कर सकते हैं (12) –

  • बच्चे का बुखार उतारने के लिए आप साफ तौलिये को ठंडे पानी में भिगोकर बच्चे के माथे पर कुछ सेकंड के लिए बार-बार रख सकते हैं। बच्चे को हल्के कपड़े पहनाएं और खिड़कियां खोल दें, ताकि बच्चे को ताजी हवा मिल सके।
  • आप गुनगुने पानी में भीगे दो तौलिये बच्चे के दोनों पैरों पर लपेट सकते हैं। फिर इन्हें सूखे तौलिये से ढक दें। लगभग 10-20 मिनट तक तौलिये बंधे रहने दें। इस प्रक्रिया से भी बच्चे का बुखार उतर सकता है।

नोट – अगर बच्चे का शरीर बुखार के दौरान ठंडा रहता है, तो ये उपाय न करें।

  • बच्चे को पानी पिलाते रहें, जिससे बच्चा हाइड्रेट रहे। जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि डिहाइड्रेशन से भी बच्चे को बुखार हो सकता है।
  • बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आराम कराएं। कुछ ऐसा न करें, जिससे बच्चा असहज महसूस करे।

आगे जानिए, बुखार वाले बच्चों को क्या-क्या खिलाना चाहिए।

बुखार वाले बच्चे को क्या खिलाएं | Bache Ko Bukhar Me Kya Khilaye

बुखार के दौरान शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने के लिए बच्चों को संतुलित आहार देना बहुत जरूरी है। नीचे जानिए कि बुखार से पीड़ित बच्चे को आप क्या-क्या खिला सकते हैं (10) –

  • बच्चे को आप रोजाना की तरह साधारण भोजन दे सकते हैं। अगर वह खाने से इंकार करे, तो उसके साथ जबरदस्ती न करें।
  • बच्चे को ज्यादा फल न खिलाएं और न ही ज्यादा जूस पिलाएं। आप एक गिलास में आधा पानी और आधा जूस मिलाकर बच्चे को दे सकते हैं।
  • अगर बच्चे को बुखार के दौरान उल्टी आती है, तो आप बच्चे को जिलेटिन खिला सकते हैं।
  • आप बच्चे को आटे से बने ब्रेड और पास्ता भी खिला सकते हैं। ओटमिल भी बच्चे के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।

लेख के अगले भाग में बच्चों को बुखार से बचाने के कुछ टिप्स दिए गए हैं।

बच्चों को बुखार से कैसे बचाएं?

यहां हम कुछ जरूरी टिप्स दे रहे हैं, जो बच्चों को घातक बुखार से बचाए रखने में मदद करेंगे :

स्वच्छता बनाए रखें : बच्चे के आसपास वातावरण को साफ रखें और उनकी वस्तुओं को नियमित रूप से धोएं। बच्चे कई बार अपने मुंह में चीजें डालते हैं, जिससे बैक्टीरिया उनके शरीर में दाखिल हो जाते हैं। जो भी बच्चे की देखभाल करे, वह स्वंय को जरूर साफ रखें। बच्चे को उन व्यक्तियों के पास न जाने दें, जो सर्दी या किसी अन्य संक्रमण से पीड़ित है।

हाइजेनिक भोजन : बच्चों के लिए भोजन बनाने से पहले सब्जियों और अन्य खाद्य सामग्रियों को अच्छी तरह धोकर साफ कर लें। बच्चे को बासी खाना न खिलाएं। बच्चे को हमेशा ताजे फल ही खिलाएं। भोजन कराने से पहले अपने और बच्चे के हाथों व मुंह को अच्छी तरह धोएं। बच्चे का पानी फिल्टर होना चाहिए, सीधे नल का पानी बच्चे को न दें।

बच्चे को हाइड्रेट रखें : बच्चे के शरीर में तरल कम न हो, इसलिए बच्चे को पर्याप्त मात्र में पानी और जूस पिलाते रहें। उन फलों का सेवन कराएं, जिसमें अत्यधिक पानी हो।

मेडिकल टेस्ट – बच्चे को समय-समय पर डाक्टर के पास मेडिकल टेस्ट के लिए ले जाएं।

टीकाकरण – बच्चे को संक्रमण से बचाए रखने के लिए जरूरी टीकाकरण भी करवाएं।

इस विषय पर और जानकारी के लिए पढ़ते रहें यह लेख।

बच्चों को बार-बार बुखार क्यों आता है? | Bache Ko Bar Bar Bukhar Hona

बाल्यावस्था में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकास की प्रक्रिया में होती है, यानी वो रोगाणुओं के खिलाफ लड़ने में ज्यादा सक्षम नहीं होती हैं, इसलिए बच्चे अधिक बीमार पड़ते हैं। रोगों के खिलाफ इम्यूनिटी को मजबूत होने में लंबा समय लगता है। एक रिपार्ट के अनुसार बच्चों के आसपास कोल्ड से जुड़े लगभग 200 वायरस घूमते हैं, जो किसी भी वक्त बच्चे को संक्रमित कर सकते हैं (13)।

शिशु के बुखार के लिए डॉक्टर को कब बुलाएं?

निम्नलिखित अवस्थाओं में बच्चे को सीधा डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए (10) :

  • बुखार का ज्यादा दिनों तक रहना।
  • बुखार उतरने के बाद भी बुखार के लक्षण दिखना।
  • रोते समय बच्चे के आंसू न निकलना।
  • अगर 8 घंटे से बच्चे ने पेशाब न किया हो।
  • 3 महीने से कम उम्र के बच्चे का रेक्टल तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38°C) या इससे अधिक होना।
  • 3 महीने से लेकर 1 साल के बच्चे का तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38°C) या अधिक होना।
  • अगर 2 साल से कम उम्र के बच्चे का बुखार 48 घंटे के अंदर नहीं उतरता है।
  • बुखार का 105 डिग्री फारेनहाइट (40.5°C) से ज्यादा होना।
  • एक हफ्ते तक बुखार का आना-जाना लगा रहना।
  • बुखार के साथ गले में खराश, कान का दर्द, दस्त, उल्टी या खांसी जैसे लक्षण दिखना।
  • बुखार के साथ गंभीर बीमारी के लक्षण जैसे हृदय की समस्या व एनीमिया आदि।
  • अगर बच्चे का रोना बंद नहीं होता है।
  • चलने में परेशानी होना।
  • सिर दर्द की शिकायत आदि।

शिशुओं का बुखार आपके लिए चिंता का विषय बन सकता है, लेकिन इसमें घबराने की कोई बात नहीं हैं। कुछ बुखार सामान्य होते हैं, जो आते-जाते रहते हैं, लेकिन आप बच्चों का ध्यान रखने में कोई कोताही न बरतें। बुखार के अधिक होने या अन्य कोई लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। लेख में बताए गई सावधानियां और इलाज का जरूर पालन करें। ध्यान रखें कि आप जितना जागरूक रहेंगे, आपका शिशु उतना ही बीमारियों से दूर रहेगा।

References:

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बच्चे को बुखार कितने दिन तक रहता है?

बच्चों के मामले में अगर बुखार 48 घंटे बीत जाने के बाद भी कम नहीं हो रहा है तो यह चिंता का विषय है और ऐसे में ज़रूरी है कि आप तुरंत किसी बाल रोग विशेषज्ञ से बच्चे की जांच करवायें। 6 साल से कम उम्र के बच्चों को अगर तेज बुखार है तो इसमें कभी भी देरी न करें, क्योंकि उनकी इम्युनिटी पॉवर काफी कमजोर होती है।

बच्चे को ज्यादा तेज बुखार हो तो क्या करना चाहिए?

​खूब पानी पिलाएं डिहाइड्रेशन की वजह से बच्‍चे की हालत और बिगड़ सकती है और बुखार की स्थिति खराब भी हो सकती है। इसलिए बुखार आने पर बच्‍चे को हाइड्रेट रखना जरूरी है। अगर डिहाइड्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं तो आप बच्‍चे को नारियल पानी पिला सकते हैं। शिशु को ज्‍यादा से ज्‍यादा स्‍तनपान करवाएं।

बच्चे का सिर गर्म होने पर क्या करना चाहिए?

क्‍या कर सकते हैं आप यदि मौसम गर्म या शुष्‍क है, तो बच्चे को ब्रीदिंग वाले कपड़े पहनाएं। 75°F (23°C) से अधिक तापमान आमतौर पर शिशुओं के लिए गर्म माना जाता है। ओवरहीटिंग को रोकने के लिए ज्‍यादा कपड़े पहनाने से बचें। अत्यधिक गर्म होने पर, एक डायपर और एक ढीली सूती टॉप/शर्ट पहना सकते हैं।

बच्चे को बार बार बुखार आने का क्या लक्षण है?

क्यों आता है बार-बार बुखार लेकिन बार-बार बुखार होना वायरस या बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से हो सकता है या पीरियोडिक फीवर सिंड्रोम के कारण ऐसा हो सकता है. यह सिंड्रोम कभी-कभी जेनेटिक डिफेक्ट की वजह से होते हैं. बार-बार बुखार आना जब पीरियोडिक फीवर सिंड्रोम से होता है तो शरीर का टेंपरेचर बढ़ सकता है.