बगीचे में कवि क्या देखना चाहता है? - bageeche mein kavi kya dekhana chaahata hai?

‘साये में धूप‘ गजल संग्रह से यह गजल ली गई है। गजल का कोई शीर्षक नहीं दिया जाता, अत: यहाँ भी उसे शीर्षक न देकर केवल गजल कह दिया गया है। गजल एक ऐसी विधा है जिसमें सभी शेर स्वयं में पूर्ण तथा स्वतंत्र होते हैं। उन्हें किसी क्रम-व्यवस्था के तहत पढ़े जाने की दरकार नहीं रहती। इसके बावजूद दो चीजें ऐसी हैं जो इन शेरों को आपस में गूँथकर एक रचना की शक्ल देती हैं-एक, रूप के स्तर पर तुक का निर्वाह और दो, अंतर्वस्तु के स्तर पर मिजाज का निर्वाह। इस गजल में पहले शेर की दोनों पंक्तियों का तुक मिलता है और उसके बाद सभी शेरों की दूसरी पंक्ति में उस तुक का निर्वाह होता है। इस गजल में राजनीति और समाज में जो कुछ चल रहा है, उसे खारिज करने और विकल्प की तलाश को मान्यता देने का भाव प्रमुख बिंदु है।

कवि राजनीतिज्ञों के झूठे वायदों पर व्यंग्य करता है कि वे हर घर में चिराग उपलब्ध कराने का वायदा करते हैं, पंरतु यहाँ तो पूरे शहर में भी एक चिराग नहीं है। कवि को पेड़ों के साये में धूप लगती है अर्थात् आश्रयदाताओं के यहाँ भी कष्ट मिलते हैं। अत: वह हमेशा के लिए इन्हें छोड़कर जाना ठीक समझता है। वह उन लोगों के जिंदगी के सफर को आसान बताता है जो परिस्थिति के अनुसार स्वयं को बदल लेते हैं। मनुष्य को खुदा न मिले तो कोई बात नहीं, उसे अपना सपना नहीं छोड़ना चाहिए। थोड़े समय के लिए ही सही. हसीन सपना तो देखने को मिलता है। कुछ लोगों का विश्वास है कि पत्थर पिघल नहीं सकते। कवि आवाज के असर को देखने के लिए बेचैन है। शासक शायर की आवाज को दबाने की कोशिश करता है, क्योंकि वह उसकी सत्ता को चुनौती देता है। कवि किसी दूसरे के आश्रय में रहने के स्थान पर अपने घर में जीना चाहता है।

Gujarat Board GSEB Solutions Class 8 Hindi Chapter 4 उठो, धरा के अमर सपूतो Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

Gujarat Board Textbook Solutions Class 8 Hindi Chapter 4 उठो, धरा के अमर सपूतो

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
कवि धरा के अमर सपूतो से क्या चाहते है?
उत्तर :
सदियों की गुलामी के बाद हमारे देश को स्वतंत्रता मिली है। कवि चाहते हैं कि देश के युवक स्वतंत्रता के बाद देश का नवनिर्माण करें। वे लोगों के जीवन में नया उत्साह भरें, उनमें नए प्राणों का संचार करें। युग-युग के मुरझाए हुए फूलों को नयी मुस्कान दें। अपनी मंगलमय वाणी से संसाररूपी उद्यान को गुंजित करें। वे तरह-तरह का ज्ञान प्राप्त कर देश का भविष्य उज्ज्वल बनाएँ। इस प्रकार, कवि धरा के सपूतो से अनेक अपेक्षाएँ रखते हैं।

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प्रश्न 2.
कवि नई मुस्कान कहाँ देखना चाहते हैं?
उत्तर :
दिलों के फूल स्वतंत्रता के प्रकाश में खिलते हैं। हमारा देश सदियों तक गुलामी के अँधेरे में रहा है। विदेशी शासक यहाँ के लोगों पर अत्याचार करते रहे। अन्याय और तरह-तरह का शोषण सहते-सहते लोग अपना स्वाभिमान खो बैठे। उनके दिलों में उदासी छा गई। कवि की इच्छा है कि ऐसे मुर्दा दिलों में फिर से नए जीवन का संचार हो। इस प्रकार कवि युग-युग से लोगों के मुरझाए हुए हृदयसुमनों पर नई मुस्कान देखना चाहते हैं।

प्रश्न 3.
कवि ने देश के सपतो को क्या संदेश दिया है?
उत्तर :
कवि देश के सपूतो से कहते हैं कि देश स्वतंत्र हो चुका है। अब तुम्हें देश का नवनिर्माण करना है। स्वतंत्रता का लाभ जन-जन तक पहुँचाना है। देशवासी तुमसे बड़ी-बड़ी आशाएँ रखते हैं। तुम्हें उन्हें निराश नहीं करना है। तुम्हें लोगों में नए प्राण फूंकने हैं। विकास के नए. रास्ते खोजकर तुम्हें देश का पिछड़ापन दूर करना है। इस प्रकार कवि ने देश के सपूतो को संदेश दिया है कि वे देश को एक नए युग में ले जाएँ।

प्रश्न 4.
हमारी राष्ट्रीय संपत्ति कौन-कौन-सी है? उसकी सुरक्षा के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर :
रेलगाड़ियाँ, रेलवे स्टेशन, राष्ट्रीय राजमार्ग, नदियाँ, अभयारण्य, पुरातत्त्व संबंधी संपत्ति आदि हमारी राष्ट्रीय संपत्ति है।राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा हमारा कर्तव्य है। हम रेल संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचने देंगे। राजमार्गों की मरम्मत के लिए सरकार को पत्र लिखेंगे। हम लोगों को पानी का महत्त्व समझाकर उसका अपव्यय रोकेंगे। सरकार द्वारा संरक्षित इमारतों को नुकसान पहुँचते देखकर हम पुरातत्त्व विभाग को सूचित करेंगे। अभयारण्यों में रक्षित पशुओं का शिकार होते देखकर हम उससे संबंधित अधिकारियों को सावधान करेंगे।

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प्रश्न 5.
‘उठो, धरा के अमर सपूतो’ कविता में कौन-कौन-सी बातें हैं जिन्हें तुम अपने जीवन में उतारना चाहोगे?
उत्तर :
‘उठो, धरा के अमर सपूतो’ कविता की निम्नलिखित बातें मैं अपने जीवन में उतारना चाहूँगा :
(1) मैं अपने देश से प्रेम करूँगा।
(2) मैं केवल अपने लिए नहीं, बल्कि देश के लिए जीऊँगा।
(3) मैं सारे देशवासियों को अपना मानूँगा।
(4) मैं खूब मन लगाकर पढूंगा। पढ़-लिखकर अपने ज्ञान का उपयोग देश की सेवा में करूंगा। मैं चाहूँगा कि मेरी योग्यता का लाभ देश को मिले।
(5) मैं ऐसे काम करूँगा जिनसे देश का गौरव बढ़े।
(6) मैं देश की रक्षा करने में कभी पीछे नहीं हटूंगा।

प्रश्न 6.
देश के नवनिर्माण के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
उत्तर :
देश के नवनिर्माण का कार्य करना मैं अपना कर्तव्य समझता हूँ। इसके लिए मैं अपने मुहल्ले में एक ‘मित्र मंडल’ की स्थापना करूँगा। इस मंडल के माध्यम से साक्षरता का प्रसार किया जाएगा। निर्धन परिवारों के विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें दी जाएंगी। हम अपने मुहल्ले में एक वाचनालय खोलेंगे। यहाँ बैठकर लोग अखबार पढ़ सकेंगे। मंडल की तरफ से वृक्षारोपण किया जाएगा और समय-समय पर आरोग्य-शिबिर लगाए जाएंगे।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-दो वाक्यों में दीजिए :

प्रश्न 1.
धरा के सपूत नये राग और गान किसमें भरेंगे?
उत्तर :
स्वतंत्रता पाने के बाद हमारे देश में नया युग आया है। धरा के सपूत इस नवयुग की वीणा में नये राग और गान भरेंगे।

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प्रश्न 2.
धरती माँ की काया आज सुनहरी क्यों हो रही है?..
उत्तर :
सारे देश में स्वतंत्रतारूपी सूर्य का प्रकाश फैला हआ है। सुनहरी धूप के कारण आज धरती माँ की काया सुनहरी हो रही है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :

प्रश्न 1.
कवि ने धरती के सपूतो का किसलिए आह्वान किया है?
उत्तर :
कवि ने देश का नवनिर्माण करने के लिए धरती के सपूतो का आह्वान किया है।

प्रश्न 2.
कवि ने प्रातःकाल को ‘नया’ क्यों कहा है?
उत्तर :
कवि ने प्रात:काल को ‘नया’ कहा है, क्योंकि यह स्वतंत्रता का प्रभात है।

प्रश्न 3.
लोगों में नई उमंगें और तरंगें क्यों हैं?
उत्तर :
लोगों में नई उमंगें और तरंगें हैं, क्योंकि सदियों की पराधीनता के बाद देश को स्वाधीनता मिली है।

प्रश्न 4.
डालों पर बैठे पंछी क्या कर रहे हैं?
उत्तर :
डालों पर बैठे पंछी नए स्वरों में गा-गाकर अपनी खुशी प्रकट कर रहे हैं।

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प्रश्न 5.
नूतन मंगलमय ध्वनियों से किसे गुंजित करना है?
उत्तर :
नूतन मंगलमय ध्वनियों से जगतरूपी उद्यान को गुंजित करना है।

प्रश्न 6.
कवि ने किसे ‘शुभ संपत्ति’ कहा है?
उत्तर :
कवि ने सरस्वती के पावन मंदिर को ‘शुभ संपत्ति’ कहा है।

प्रश्न 7.
नवयुग का आह्वान कैसे किया जाएगा?
उत्तर :
ज्ञान के सैकड़ों दीपक जलाकर नवयुग का आह्वान किया जाएगा।

सही वाक्यांश चुनकर पूरा वाक्य फिर से लिखिए :

(1) कवि ने धरा के सपूतो को ‘अमर’ बताया है, क्योंकि …
(अ) उन्होंने मृत्यु को जीत लिया है।
(ब) इतिहास में सदा के लिए उनका नाम रहेगा।
(क) उनकी मृत्यु बहुत देर से होगी।
उत्तर :
कवि ने धरा के सपूतो को ‘अमर’ बताया है, क्योंकि इतिहास में सदा के लिए उनका नाम रहेगा

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(2) ज्ञान दीपक के समान है, क्योंकि …
(अ) मनुष्य के मस्तिष्क की रचना दीपक जैसी है।
(ब) उसे पाने के लिए परिश्रम के तेल की जरूरत पड़ती है।
(क) वह अज्ञान का अँधेरा दूर करता है।
उत्तर :
ज्ञान दीपक के समान है, क्योंकि वह अज्ञान का अँधेरा दूर करता है

कोष्ठक में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

(विहग, ज्ञान, ध्वनियों, अमर, मुरझे)
(1) उठो, धरा के अमर सपूतो, पुनः नया निर्माण करो।
(2) युग-युग के मुरझे सुमनों में नयी-नयी मुस्कान भरो।
(3) डाल-डाल पर बैठ विहग कुछ नये स्वरों में गाते हैं।
(4) नूतन मंगलमय ध्वनियों से गुंजित जग-उद्यान करो।
(5) शत-शत दीपक जला ज्ञान के, नवयुग का आह्वान करो।

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए :

(1) अमर सपूत किसका नया निर्माण करेंगे?
A. इमारतों का
B. सपनों का
C. देश का
D. फिल्मों का
उत्तर :
C. देश का

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(2) नये प्रभात के पहले किसका अँधेरा था?
A. रात का
B. अज्ञान का
C. कोहरे का
D. गुलामी का
उत्तर :
D. गुलामी का

(3) वीणा किस देवी के हाथ में होती है?
A. लक्ष्मी के
B. सरस्वती के
C. काली के
D. बहुचरा के
उत्तर :
B. सरस्वती के

(4) हम किसके रक्षक और पुजारी हैं?
A. मातृभूमि के
B. सरस्वती मंदिर के
C. ज्ञान के
D. संपत्ति के
उत्तर :
B. सरस्वती मंदिर के

आशय स्पष्ट कीजिए :

“युग-युग के मुरझे सुमनों में नयी नयी मुस्कान भरो।
उठो धरा के अमर सपूतो, पुनः नया निर्माण करो।।”
उत्तर :
हे मातृभूमि के पुत्रो, तुमने इस देश को स्वतंत्र करने के लिए बड़ा संघर्ष किया है और अंत में तुम विजयी हुए हो। सचमुच, तुम भारतमाता के सपूत हो, लेकिन अभी तुम्हें बहुत कुछ करना है। युग-युग से पराधीनता में रहते-रहते यहाँ के देशवासियों के हृदयों में निराशा भर गई है। तुम्हें इस निराशा को दूर कर इन्हें आशा बँधानी है। पराधीनता के दरम्यान यहाँ जो बरबादी हुई है, उसे दूर कर हर क्षेत्र में नया निर्माण करना है।

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प्रश्न 8.
दिए गए काव्य को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
खड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आँधी पानी में,
डटे रहो अपने पथ पर, सब कठिनाई-तूफानों में ।
डिगो न अपने पथ से तुम, तो सब कुछ पा सकते हो प्यारे,
तुम भी ऊँचे उड़ सकते हो, छू सकते हो नभ के तारे।
अटल रहो जो अपने पथ पर, लाख मुसीबत आने में,
मिली सफलता उसको जग में, जीने में मर जाने में।
जितनी भी बाधाएँ आई, उन सब से ही लड़ा हिमालय,
इसीलिए तो दुनिया भर में, हुआ सभी से बड़ा हिमालय।

(1) हिमालय हमें क्या संदेश देता है?
उत्तर :
हिमालय हमें यह संदेश देता है कि हम अपने निश्चित मार्ग पर डटे रहें। यदि हम अपने प्रण और पथ पर टिके रहेंगे, तो हमारी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी। यहाँ तक कि हम असंभव को भी संभव कर सकेंगे।

(2) मुसीबत आने पर हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर :
मुसीबत आने पर हमें उससे भयभीत नहीं होना चाहिए। उससे घबराकर अपना प्रण और पथ नहीं छोड़ना चाहिए।

(3) कवि ने हिमालय को सबसे बड़ा क्यों कहा है?
उत्तर :
हिमालय ने सभी बाधाओं का डटकर मुकाबला किया। वह हर कठिनाई से लड़ा। वह कभी अपने पथ से डिगा नहीं। इसीलिए कवि ने हिमालय को सबसे बड़ा कहा है।

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(4) इस काव्य का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
जीवन में अनेक बाधाएँ और कठिनाइयाँ आती हैं। हमें निडरता से उनका सामना करना चाहिए। जो मुसीबतों से बिना घबराए अपने प्रण और पथ पर अटल रहते हैं, वे असंभव को भी संभव कर दिखाते हैं।

(5) इस काव्य को योग्य शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
योग्य शीर्षक : हिमालय का संदेश ।

चित्र के आधार पर कविता लिखिए, जिसमें निम्नलिखित शब्दों का उपयोग हुआ हो :

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(फूल, तितली, बादल, वृक्ष, बारिश)
उत्तर :
धीरे-धीरे बादल बरसे
फुलवारी में फूल खिले हैं,
फिर तितली के पंख खुले हैं।
वृक्षों ने नवजीवन पाया,
बारिश ने है रंग जमाया।
कोई न अब पानी को तरसे
धीरे-धीरे बादल बरसे ।

अपूर्ण काव्य को पूर्ण कीजिए :

माँ खादी की चद्दर दे दो,
मैं गाँधी बन जाऊँगा ……
……………..
……………..
उत्तर :
माँ खादी की चद्दर दे दो,
मैं गाँधी बन जाऊँगा।
घड़ी कमर में मैं लटका लूँ,
आँखों को चश्मा पहना
दूं माँ छोटी-सी लाठी दे दो,
ठक-ठक करता जाऊँगा।

निम्नलिखित वाक्यों में से संज्ञा को ढूँढ़कर उसका भेद बताइए :

(1) सोना कीमती धातु है।
(2) गंगा पवित्र नदी है।
(3) उमंग दौड़ रहा है।
(4) दल जा रहा है।
(5) राजेश भय के कारण जंगल में नहीं गया।
उत्तर :
(1) सोना – द्रव्यवाचक संज्ञा; धातु – जातिवाचक संज्ञा
(2) गंगा – व्यक्तिवाचक संज्ञा; नदी – जातिवाचक संज्ञा
(3) उमंग – व्यक्तिवाचक संज्ञा
(4) दल – समूहवाचक संज्ञा
(5) राजेश – व्यक्तिवाचक संज्ञा;
भय – भाववाचक संज्ञा;
जंगल – जातिवाचक संज्ञा

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निम्नलिखित एकवचन वाक्यों को बहुवचन में परिवर्तित कीजिए :

(1) मुझे लुटेरे का डर था।
(2) पक्षी ने उड़ान भरी।
(3) उसने मुझे मिठाई दी।
उत्तर :
(1) हमें लुटेरों का डर था।
(2) पक्षियों ने उड़ानें भरीं।
(3) उन्होंने हमें मिठाइयाँ दीं।

निम्नलिखित वाक्यों में से रेखांकित भाववाचक संज्ञाओं को जातिवाचक संज्ञा में परिवर्तित करके वाक्य फिर से लिखिए :

(1) विज्ञान ने दूरी कम की है।
(2) नर्मदा नदी की लंबाई बहुत है।
उत्तर :
(1) विज्ञान ने दूरियाँ कम की हैं।
(2) नर्मदा नदी की लंबाइयाँ बहुत हैं।

उठो, धरा के अमर सपूतो Summary in Hindi

उठो, धरा के …………… नव प्राण भरो।
हे भारतमाता के अमर पुत्रों, गुलामी की रात बीत गई है और आजादी का सबेरा हुआ है। अब तुम अज्ञान-आलस्य की नींद से जागो और देश के नवनिर्माण में लग जाओ। तुम्हें देशवासियों के जीवन में फिर से नया उत्साह भरना हैं, उनमें नये प्राणों का संचार करना है।

नयी प्रातः ……………. मुस्कान भरो।
आजादी की नयी सुबह में नयी चर्चाएँ हो रही हैं। नये विचारों की किरणें फैल रही हैं। सब अपने जीवन में नये प्रकाश का अनुभव कर रहे हैं। लोगों के मन में नयी उमंगें हैं और हौसले की नयी लहरें हैं। सबके मन में नयी आशाएँ हैं। आज देशवासी खुलकर साँस ले रहे हैं। हे देश के सूपतो, तुम्हें युग-युग के मुरझाए हुए फूलों को नयी मुस्कान देनी है, उन्हें फिर से खिलाना है।

बगीचे में कवि क्या देखना चाहता है? - bageeche mein kavi kya dekhana chaahata hai?

डाल-डाल पर ……………… नव गान भरो।
आजादी की इस सुबह में प्रकृति भी आनंदित है। पेड़ों की डालों पर बैठे पक्षियों के स्वरों में भी नवीनता है। वे भी जैसे खुशी का कोई गीत गा रहे हों। बागों में भौंरे गुंजार करते हुए मस्ती से मँडरा रहे हैं। हे देश के सपूतो, स्वतंत्रता के बाद देश में नया युग आया है। इस नये युग की वीणा में तुम्हें नये राग और नये गाने भरने हैं।

कली-कली …………….. उद्यान करो।
इधर उद्यान में कलियाँ खिल रही हैं और प्रत्येक फूल मुस्करा रहे हैं। सारे देश में स्वतंत्रता के सूर्य का प्रकाश फैला हुआ है। ऐसा लगता है जैसे भारतमाता का शरीर आज सुनहरा हो रहा हो। हे देश के सपूतो, तुम्हें अपनी मंगलमय वाणी से इस संसाररूपी उद्यान को गुंजित करना है।

सरस्वती का ……………… आह्वान करो।।
कवि देश के बालकों से कहते हैं कि हमारा देश सरस्वती का पवित्र मंदिर है। यहाँ की कल्याणकारी सारी विद्याएँ ही तुम्हारी संपत्ति हैं। तुममें से प्रत्येक बालक इस विद्या-मंदिर का रक्षक और पुजारी है। तुम्हें यहाँ ज्ञान के सैकड़ों दीपक जलाने हैं और नये युग का आहवान करना है। (तुम्हें सभी प्रकार का ज्ञान पाकर देश का भविष्य उज्ज्वल बनाना है।)

उठो, धरा के अमर सपूतो Summary in English

O good dutiful sons of the motherland, the night of slavery has passed away and the sun of freedom has risen. Now wake up from your sleep of laziness and join for the reconstruction of the country. You have to increase new enthusiasm in the life of our countrymen.

The rays of new thoughts have been spreading since we got freedom. Everybody has been feeling the new light in his / her life. People have new waves of zest and enthusiasm in their minds. Now our countrymen are breathing in the free atmosphere of freedom. O good dutiful sons of the motherland, you have to give new smile to the flowers which have been withered for ages. You have to blossom them.

बगीचे में कवि क्या देखना चाहता है? - bageeche mein kavi kya dekhana chaahata hai?

In the new atmosphere of freedom, the nature is also pleased. The birds on the trees have new tune in their voice. They are also singing a song of joy. The humming wasps in the garden are flying carefree. O good dutiful sons of the motherland, a new age has come after getting freedom. You have to fill it with your new tunes and new songs.

Here, in the garden new buds are blossoming and flowers are smiling. The rays of the freedom sun have spread all over the country. It seems that the body of our motherland has become golden. O good dutiful sons of the motherland, you have to make the garden (motherland) sing with your propitious speech.

The poet says to the children of the country, ‘Our country is a holy temple of Saraswati. All good learnings are your wealth here. Each child is a protector and a worshipper. You have to enlighten hundred of lamps of learnings and bring a new age. (You have to gain all kinds of learnings to make the future of our motherland bright.)

उठो, धरा के अमर सपूतो Summary in Gujarati

ગુજરાતી સારાંશ :

ઊઠો, ધરતીના અમર સપૂતો (ભાવાત્મક અનુવાદ)
(1) હે ભારતમાતાના અમર સપૂતો, ગુલામીની રાત વીતી ગઈ છે અને આઝાદીનું પ્રભાત ઊગ્યું છે. હવે તમે અજ્ઞાન-આળસની નિદ્રામાંથી જાગો અને દેશના નવનિર્માણમાં લાગી જાઓ. તમારે દેશવાસીઓના જીવનમાં ફરીથી નવીન ઉત્સાહ ભરવાનો છે, તેમનામાં નવા પ્રાણનો સંચાર કરવાનો છે.

(2) આઝાદીના નવા પ્રભાતમાં નવીન ચર્ચાઓ થઈ રહી છે. નવા વિચારોનાં કિરણો ફેલાઈ રહ્યાં છે. સૌ પોતાના જીવનમાં નવા પ્રકાશનો અનુભવ કરી રહ્યા છે. લોકોના મનમાં નવા ઉમંગો અને ઉત્સાહની નવી લહેરો છે. સૌના મનમાં નવી આશાઓ છે. આજે દેશવાસીઓ ખુલ્લા વાતાવરણમાં શ્વાસ લઈ રહ્યા છે. હે દેશના સપૂતો, તમારે યુગોયુગોથી કરમાયેલાં ફૂલોને નવું સ્મિત આપવાનું છે, તેમને ફરીથી ખીલવવાનાં છે.

(3) આઝાદીના આ નૂતન પ્રભાતમાં પ્રકૃતિ પણ પ્રસન્ન છે. વૃક્ષોની ડાળ પર બેઠેલાં પક્ષીઓના સ્વરોમાં નવીનતા છે. તેઓ પણ જાણે ખુશીનું કોઈ ગીત ગાઈ રહ્યાં છે. બગીચાઓમાં ભમરા ગુંજન કરતા મસ્તીથી ચોતરફ ઊડી રહ્યા છે. હે દેશના સપૂતો, સ્વતંત્રતા પછી દેશમાં નવો યુગ આવ્યો છે. આ નૂતન યુગની વીણામાં તમારે નવા રાગ અને નવાં ગીત ભરવાનાં છે.

(4) અહીં બગીચામાં કળીઓ ખીલી રહી છે અને ફૂલો સ્મિત કરી રહ્યાં છે. આખા દેશમાં સ્વતંત્રતાના સૂર્યનો પ્રકાશ ફેલાયેલો છે. એવું લાગે છે કે ભારતમાતાનો દેહ આજે જાણે સોનેરી થઈ ગયો છે! હે દેશના સપૂતો, તમારે પોતાની મંગલમય વાણીથી આ સંસારરૂપી ઉદ્યાનને ગંજિત કરવાનો છે.

(5) કવિ દેશનાં બાળકોને કહે છે કે આપણો દેશ સરસ્વતીનું પવિત્ર મંદિર છે. અહીંની સર્વ કલ્યાણકારી વિદ્યાઓ તમારી સંપત્તિ છે. તમારામાંથી દરેક બાળક આ વિદ્યામંદિરનો રક્ષક અને પૂજારી છે. તમારે અહીં જ્ઞાનના સેંકડો દીવા પ્રગટાવવાના છે અને નવો યુગ લાવવાનો છે. (તમારે સર્વ પ્રકારનું જ્ઞાન પ્રાપ્ત કરીને દેશનું ભવિષ્ય ઉજ્વળ કરવાનું છે.)

विषय-प्रवेश

हमारा देश सदियों तक गुलाम रहा। इस समय के दरम्यान देश की बहुत बरबादी हुई। 15 अगस्त, 1947 को हमें ब्रिटिश सत्ता की गुलामी से मुक्ति मिली। सदियों के बाद हमने आजादी का सबेरा देखा। यह कविता उसी समय की रचना है। इसमें कवि ने देश के सपूतो से देश का नवनिर्माण करने के लिए कहा है।

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शब्दार्थ (Meanings)

धरा- धरती, मातृभूमि; motherland अमर – न मरनेवाला; immortal सपूत – कुल का नाम रोशन करनेवाला पुत्र; a virtuous son [Who is blessing to the family, a good dutiful son] पुनः – फिर; again निर्माण – बनाना; to create, to construct जन-जन – प्रत्येक मनुष्य; every person नव- नया; new स्फूर्ति – उत्साह; enthusiasm, zeal प्राण – जीवन; life प्रातः – सुबह; morning उमंग – उत्साह, हौसला; enthusiasm, zeal तरंग – लहर; a wave, a ripple आस – आशा; hope, wish, desire मुरझे – कुम्हलाए; to wither, to fade away सुमन – फूल; a flower विहग – पक्षी; a bird नवयुग- नया जमाना; new age नूतन – नई; new, novel वीणा – सितार जैसा वाद्य यंत्र (जो सरस्वती देवी के हाथों में होता है।); a lute राग – गाने का ढंग; tune सुनहरी – सोने जैसी चमकीली; golden काया – देह, शरीर; a body मंगलमय – शुभ, मांगलिक; auspcious, propitious गुंजित – गुंजार से युक्त; a humming sound, a pleasant sound जग-उद्यान – संसाररूपी बगीचा; a garden (motherland) पावन – पवित्र; holy, sacred शत – सौ; a hundred आह्वान करना – पुकारना, बुलाना; to call.

कवि बाग बगीचा क्यों लगाना चाहते हैं?

क. कवि बाग-बगीचा क्यों लगाना चाहता है? कवि बाग-बगीचा धरती को हरा-भरा बनाए रखने के लिए लगाना चाहता है ताकि वहाँ फूल-फल खिलें और अपनी खुशबू फैलाए, चिड़ियाँ चहचहाएँ और ताजी हवा जलाशय से होकर बहे।

धरती से हमें क्या सीख मिलती है class 7?

रहीम मनुष्य को धरती से सीख देना चाहता है कि जैसे धरती सरदी, गरमी व बरसात सभी ऋतुओं को समान रूप से सहती है, वैसे ही मनुष्य को भी अपने जीवन में सुख-दुख को सहने की क्षमता होनी चाहिए।

कवि ब्रज के बन बाग और तालाब क्यों देखना चाहता है?

कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं? उत्तर: कवि ब्रजभूमि के वन, बाग और सरोवर इसलिए निहारना चाहता है क्योंकि इनके साथ कृष्ण की यादें जुड़ी हुई हैं। कभी कृष्ण इन्हीं में विहार किया करते थे।

कवि पेड़ क्यों लगाना चाहता है?

कवि पेड़ क्यों लगाना चाहता है ? उत्तर - कवि एक बाग बनाना चाहता है और उसे हरा भरा बनाना चाहता है।