भगन्दर कितने दिन में ठीक होता है? - bhagandar kitane din mein theek hota hai?

राजस्थान में गर्मी ज्यादा पड़ती है। इसके साथ ही यहां का खानपान भी गर्म प्रकृति का होने की वजह से यहां पर पाइल्स, भगंदर के मरीज ज्यादा है। प्रदेश में 60 प्रतिशत से अधिक लोग मस्से या भगंदर की बीमारी से पीड़ित है। पूरे देश में इसका प्रतिशत ज्यादा है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका लोग बहुत ही कम जिक्र करते है। जब भी ज्यादा पीड़ा होती है तो इसके बाद इलाज के लिए भागदौड़ करते है।

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में सामान्य प्रक्रिया से इसका इलाज किया जाता है और वह सफल होता है। वर्तमान में इसका सर्वाधिक सफलतम इलाज आयुर्वेद की क्षार सूत्र विधि से संभव है। लोगों में जानकारी के अभाव में हजारों लाखों रुपए खर्च करके भी इससे निजात नहीं पा रहे है। आज विश्व पाइल्स दिवस है, इस अवसर पर क्षार सूत्र विधि के विशेषज्ञ व पांच हजार से अधिक रोगियों का सफल इलाज करने वाले डॉ. मोहन जांगिड़ ने इस बीमारी से जुड़ी धारणाओं और इलाज की जानकारी भास्कर के साथ साझा की। साथ ही इस बीमारी से ठीक हुए मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए।

15 साल दवाइयां ली लेकिन दर्द बढ़ता गया, आयुर्वेदिक इलाज से अब ठीक

पंद्रह साल से भगंदर की समस्या से पीड़ित था। बाड़मेर एवं जोधपुर से इलाज करवाया लेकिन कुछ समय बाद ही दुबारा वही तकलीफ होनी शुरू हो जाती थी। इसके बाद किसी रिश्तेदार ने बताया कि आयुर्वेदिक इलाज करवाओ। बाड़मेर में डॉ. मोहन जांगिड़ से संपर्क किया। इन्होंने क्षार सूत्र विधि से भगंदर का इलाज किया। अब इलाज को पूरा एक साल हो गया है। पूरी तरह ठीक हो गया हूं। इसका सबसे सफल इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ही है।
-ओकाराम, मरीज

मुझे 1993 से मस्से की शिकायत थी, मस्से होने की वजह से खून आना शुरू हो गया और बहुत ही दर्द होता था। मुम्बई में ऑपरेशन करवाया। ऑपरेशन बहुत ही दर्दनाक था, कुछ समय बाद दुबारा वही समस्या होनी शुरू हो गई। इसके बाद कई सालों तक एलोपैथिक दवाइयां खाई लेकिन कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद बाड़मेर में आयुर्वेदिक इलाaज के बारे में जानकारी मिली तो यहां आकर क्षार सूत्र विधि से इलाज करवाया। इलाज के दिन में वापिस मुम्बई रवाना हो गया। आठ दिन बाद मस्से अपने आप ठीक हो गए और अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं।

भगंदर (एनल फिस्टुला) नामक रोग में गुदा द्वार के आसपास एक छेद बन जाता है। इस छेद से पस निकलता और रोगी काफी तेज दर्द महसूस करता है। समुचित इलाज न होने पर बार-बार पस पड़ने से फिस्टुला एक जटिल स्वास्थ्य समस्या बन जाता है, जो कालांतर में फोड़ा बन जाता है। फिस्टुला रूपी यह समस्या कालांतर में कैंसर और आंतों की टी.बी. का भी कारण बन सकती है। बहरहाल, आधुनिक वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट (वीएएएफटी) सुरक्षित और दर्द रहित उपचार है। यह डे-कयर सर्जरी है यानी रोगी सुबह अस्पताल आता है और उसी दिन शाम को चला जाता है। यही नहीं, वीएएएफटी फिस्टुला को दोबारा होने से रोकता है। इस सर्जरी में माइक्रो इंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है,जिसे पूरे फिस्टुला के मार्ग में ले जाया जा सकता है और इस दौरान फिस्टुला को देखा जा सकता है। इस स्थिति में सर्जन को विशेष विद्युतीय करंट के जरिये फिस्टुला को नष्ट करने में मदद मिलती है। सर्जन फिस्टुला के मार्ग को ठीक तरीके से बंद करने के लिये एक विशिष्ट फाइब्रिन ग्लू का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कोई जख्म नहीं रहता है और इसलिये अधिक दिनों तक ड्रेसिंग की जरूरत नहीं होती। 'वीएएएफटी' से मल-मूत्र को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचती। इस कारण मल-मूत्र त्यागने की क्रिया सामान्य बनी रहती है, लेकिन पारंपरिक ओपन सर्जरी में मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने का खतरा बरकरार रहता है।

यह एक रोग है। गुदा द्वार [Rectum] पर एक प्रकार की फोड़ा से पैदा होकर यह गुदा द्वार के अन्‍दर तथा बाहर नली के रूप में घाव [Blind and open ulcers] पैदा करता है। इन्गिलिश भाषा [English] मे इसे फिस्‍चुला [Fistula] कहते हैं। यह फोड़ा कुछ दिनों में फूट जाता है और उसमें से मवाद तथा दूषित रक्त निकलने लगता है। यह फोड़ा कभी-कभी बहुत चौड़ा तथा गहरा होता है। इस फोड़े के कारण रोगी व्यक्ति को गुदाद्वार के पास बहुत तेज दर्द होता है।

भगन्दर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि जब किसी व्यक्ति के मलद्वार के पास कोई फोड़ा बन जाता है और उसमें जब कई मुंह बन जाते हैं और रोगी व्यक्ति इस फोड़े से छेड़छाड़ करता है तो उसे यह रोग हो जाता है। अधिक चटपटी चीजें खाने के कारण मलद्वार के पास फोड़ा हो जाता है जो आगे बढ़कर भगन्दर का रूप ले लेता है।

इसे सुनेंरोकेंइसमें लेजर की मदद से फिस्टुला को सुखा दिया जाता है। इससे न तो मल के लीक होने की समस्या होती है और न ही रिकवरी में ज्यादा समय लगता है। दो से तीन दिनों के भीतर रोगी अपने सामान्य जीवन में वापिस आ जाता है

फिस्टुला का सही इलाज क्या है?

इसे सुनेंरोकेंउपचार- सर्जरी इस रोग का एकमात्र उपाय है। फिस्टुला की परंपरागत सर्जरी को फिस्टुलेक्टॅमी कहा जाता है। सर्जन, सर्जरी के जरिये भीतरी मार्ग से लेकर बाहरी मार्ग तक की सम्पूर्ण फिस्टुला को निकाल देते हैं। इसमें आम तौर पर टांके नहीं लगाये जाते हैं और जख्म को धीरे-धीरे और प्राकृतिक तरीके से भरने दिया जाता है

भगन्दर कैसे बनता है?

इसे सुनेंरोकेंभगन्दर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि जब किसी व्यक्ति के मलद्वार के पास कोई फोड़ा बन जाता है और उसमें जब कई मुंह बन जाते हैं और रोगी व्यक्ति इस फोड़े से छेड़छाड़ करता है तो उसे यह रोग हो जाता है। अधिक चटपटी चीजें खाने के कारण मलद्वार के पास फोड़ा हो जाता है जो आगे बढ़कर भगन्दर का रूप ले लेता है।

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भगंदर की क्या पहचान है?

इसे सुनेंरोकेंभगंदर के लक्षण: मलद्वार से रक्तस्नाव बुखार लगना, ठंड लगना और थकान होना कब्ज होना, मल नहीं हो पाना गुदा के पास से बदबूदार और खून वाली पस निकलना30 नव॰ 2019

फिस्टुला बार बार क्यों होता है?

इसे सुनेंरोकेंफिशर दस्त और मल त्याग के दौरान अत्यधिक दबाव डालने के साथ जुड़ा हुआ है। फिस्टुला आमतौर पर क्रोहन रोग, मोटापे और लंबे समय तक एक स्थान पर बैठे रहने से होता है। आहार में उच्च फाइबर और तरल पदार्थ के अधिक सेवन से तीनों को रोका जा सकता है। इसके अलावा फिस्टुला को शौच के बेहतर और स्वच्छ आदतों का अभ्यास करके रोका जा सकता है।

फिस्टुला का ऑपरेशन कैसे करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंक्या है स्लाफ्ट तकनीक इसके तहत बिना चीरफाड़ के मरीज को फिस्टुला की बीमारी से छुटकारा दिलाया जा सकता है। इसमें मोशन के रास्ते के बगल में एक चीरा लगाया जाता है। इसके बाद फिस्टुला के एक एंड की सिलाई कर दी जाती है, ताकि इंफेक्शन और दोबारा बीमारी होने की टेंशन ख्रत्म हो जाए। इसके बाद बाहर का जख्म धीरे-धीरे ठीक हो जाता है

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फिस्टुला का देसी इलाज क्या है?

भगन्दर की बीमारी में आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle for Fistula Treatment)

  1. उपवास करें।
  2. जंक-फूड का सेवन न करें।
  3. तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।
  4. गुस्सा, डर और चिंता ना करें।
  5. ज्यादा मात्रा में भोजन न करें।
  6. दिन में न सोएं
  7. पेशाब और शौच को न रोकें।

भगंदर फोड़ा का इलाज क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआयुर्वेद में भगंदर के इलाज के लिए क्षारसूत्र का विधान है, जिसका परिणाम बहुत अच्छा है। क्षारसूत्र एक मेडिकेटेड थ्रेड होता है। आयुर्वेद की कई औषधियों के योग से इस क्षारसूत्र का निर्माण किया जाता है। 0 मरीज आपरेशन के बाद उसी दिन घर जा सकता है

फिस्टुला सर्जरी कैसे होती है?

इसे सुनेंरोकेंपरंपरागत सर्जरी के जरिए डॉक्टर सर्जरी के जरिए पूरे अंदर से बाहर तक का फिस्टुला निकाल देते हैं। इस सर्जरी में टांके नहीं लगाए जाते हैं और जो जख्म बनते हैं उन्हें धीरे धीरे हील करने के लिए छोड़ दिया जाता है। लेकिन इस में दर्द होता है और कई बार दोबारा सर्जरी की जरूरत होती है।

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भगंदर का ऑपरेशन कैसे किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंयह आपरेशन की एक नई तकनीक है। इसके तहत बिना चीरफाड़ के मरीज को फिस्टुला की बीमारी से छुटकारा दिलाया जा सकता है। इसमें मोशन के रास्ते के बगल में एक चीरा लगाया जाता है। इसके बाद फिस्टुला के एक एंड की सिलाई कर दी जाती है, ताकि इंफेक्शन और दोबारा बीमारी होने की टेंशन ख्रत्म हो जाए

चार सूत्र विधि क्या है?

इसे सुनेंरोकेंक्षार सूत्र विधि एक उपचारित धागा है। इससे धागों को 21 दिन तक उपचारित किया जाता है। इससे थुहर का दूध, अपामार्ग क्षार, हल्दी आदि औषधियों का प्रयोग किया जाता है। क्षार सूत्र पद्धति से ठीक हुआ पाइल्स दुबारा नहीं होता तथा भगंदर आदि रोग जड़ से मिट जाते है।

भगंदर घाव कैसे ठीक होगा?

भगन्दर की बीमारी में आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle for Fistula Treatment).
उपवास करें।.
जंक-फूड का सेवन न करें।.
तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।.
गुस्सा, डर और चिंता ना करें।.
ज्यादा मात्रा में भोजन न करें।.
दिन में न सोएं.
पेशाब और शौच को न रोकें।.

भगंदर की शुरुआत कैसे होती है?

भगन्दर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि जब किसी व्यक्ति के मलद्वार के पास कोई फोड़ा बन जाता है और उसमें जब कई मुंह बन जाते हैं और रोगी व्यक्ति इस फोड़े से छेड़छाड़ करता है तो उसे यह रोग हो जाता है। अधिक चटपटी चीजें खाने के कारण मलद्वार के पास फोड़ा हो जाता है जो आगे बढ़कर भगन्दर का रूप ले लेता है।

फिस्टुला कितने दिन में ठीक होता है?

परम्परागत उपचार विधि में मल त्याग में दिक्कत होती है। फिस्टुला की सर्जरी से होने वाले जख्म को भरने में छह सप्ताह से लेकर तीन माह का समय लग जाता है। वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट (वीएएएफटी) सुरक्षित और दर्द रहित उपचार है।

क्षार सूत्र ट्रीटमेंट में कितना समय लगता है?

क्षार सूत्र उपचार के बाद पूरी तरह ठीक होने में लगभग २ से ६ हफ्ते का समय लग सकता है।