Explain:भीमबेटका की खोज 1957-58 में वी.एस. वाकणकर की थी। यह भारत के मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदिमानव द्वारा बनाये गये शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिये प्रसिद्ध है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिन्ह है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भोपाल मंडल ने अगस्त 1990 में राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। ....और भी जाने Show महत्वपूर्ण प्रश्न जरूर पढ़ेंbhimbetka caves भारत के मध्य-प्रदेश राज्य में रायसेन जिले में एक पुरातन पाषाणयुगीन पुरातात्विक स्थल है। भीमबेटका मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी bhimbetka to bhopal से दक्षिण-पूर्व में करीबन 46 की.मी की दूरी पर स्थित है।भीमबेटका विश्व धरोहर स्थलों मेसे एक माना जाता है | भीमबेटका को ई.स 2003 में यूनेस्को में विश्व धरोहर घोषित किया | भीमबेटका की तरह सात पहाड़ियों में से भीमबेटका की पहाड़ी में 750 से ज्यादा चट्टानों की गुफाये मिली है | और वह गुफाये 10 की.मी के क्षेत्र में प्रसरि हुई है bhimbetka cave ये भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन की उत्पति की शुरुआत के निशानों का वर्णन करती है। इस स्थान पर मौजूद सबसे पुराने bhimbetka cave paintings को आज से लगभग 30,000 साल पुराना माना जाता है। माना जाता है कि इन bhimbetka cave paintings में उपयोग किया गया रंग वनस्पति था। यह bhimbetka cave ये समय के साथ भीमबेटका धुंधला होता जा रहा है । इन bhimbetka cave paintings को आंतरिक दीवारो पर गहरा बनाया गया था। यदि आप भीम बेटका से जुड़े अन्य रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहते है तो हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़े और जब भी आपको भीमबेटका घूमने का सौभाग्य मिले तो इसके जरूर देखने जाये । Table of Contents
भीमबेटका कहा स्थित है – bhimbetka caves are located inbhimbetka caves भारत के मध्य-प्रदेश राज्य में रायसेन जिले में एक पुरातन पाषाणयुगीन पुरातात्विक स्थल है। भीमबेटका मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से दक्षिण-पूर्व में करीबन 46 की.मी की दूरी पर स्थित है। भीमबेटका नाम कैसे पड़ा –भारत का महाकाव्य महाभारत के नायक देवता भीम से सम्बंधित है भीमबेटका शब्द भीमबेठका से लिया गया है | जिस का अर्थ होता है की भीम की बैठने की जगह | भीमबेटका का इतिहास और महत्व –bhimbetka cave ओका का इतिहास बहुत पुराना है सबसे पहले के सालो में एक ब्रिटिश अधिकारी डब्लू किन्काइद ने ई.स 1888 में एक पत्र के माद्यम से भीमबेटका के स्थल का वर्णन किया था | भोजपुर क्षेत्र के जंगल में रहने वाले आदिवासियों से मिली हुवी जानकारी के आधार पर bhimbetka cave ओ का नाम इस स्थल को एक बौद्ध स्थान के रूप में घोषित किया । सबसे पहले इन गुफाओं की खोज करने वाले पहले पुरातात्विक वी.एस.वाकणकर थे। उन्होंने यहा की गुफाओकी संरचनाओ को देखने के बाद एक टीम बनाकर इस क्षेत्र की खोज की । उन्हें ऐसा लगा की यह रॉक शेल्टर वैसी ही है, जैसी फ्रांस और स्पेन में देखी गयी थी। उन्होंने सन 1957 के दौरान इस जगह पर विधमान कई प्रागैतिहासिक रॉक आश्रयों की सूचना दी। भीमबेटका किस लिए प्रसिद्ध है –bhimbetka cave आदि-मानव द्वारा निर्माण किये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। यहां बनाये गए चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के सबसे प्राचीनतम चिह्न हैं। यहाँ पर अन्य पुरातात्विक अवशेष भी मिले हैं जिनमें प्राचीन किले की दीवार, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, लघुस्तूप, पाषाण काल में निर्माणित भवन, शंख के अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष शामिल हैं। भीमबेटका की वास्तुकला –भीमबेटका में दुनिया की सबसे पुरानी गुफा मानी जाती है भीमबेटका में पत्थर की दीवार और फर्श बने होने का प्रमाण मिलता है।भीमबेटका की एक बड़ी सी चट्टान है जिसे चिड़िया रॉक चट्टान केनाम से भी जाना जाता है। भीमबेटका की यह चट्टान पर हिरन, बाइसन, हाथी और बारहा सिंघा को चित्रित किया गया है। इसके बावजूद एक दूसरी चट्टान पर मोर, साप, सूरज और हिरन की एक और तस्वीर को चित्रित है। शिकार करने के दौरान शिकारियों को तीर, धनुष, ढोल,रस्सी और एक सूअर का भी चित्र मौजूद है। इस तरह की और भी कई चट्टानें और गुफाएँ यहा स्थित है। जिनकी मौजूदगी से हजारो साल पुराने कई रहस्यों का प्रमाण मिलता है। भीमबेटका की खोज किसनेकी थी?भीमबेटका गुफाओ की खोज ई.स 1957-1958 में डाक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। भीमबेटका कितना पुराना है – bhimbetka kitana puraana haiभीमबेटका गुफा करीबन 30,000 साल पुरानी मानी जाती है | भारत में प्राकृतिक गुफाएँ, चित्र और रॉक शेल्टर कहाँ पाए जाते हैं –History of Bhimbetka in Hindi – भीमबेटका का इतिहास हिंदी मेंभारत में प्राकृतिक गुफाएँ और रॉक शेल्टर भीमबेटा का की गुफाओमे यानि मध्य-प्रदेश राज्य में रायसेन जिले में एक पुरातन पाषाणयुगीन पुरातात्विक स्थल में पाया जाता है | मध्यप्रदेश में शैल चित्र कहाँ पाए जाते हैं –History of Bhimbetka in Hindi – भीमबेटका का इतिहास हिंदी मेंमध्य प्रदेश में शैली चित्र रायसेन जिले में भीमबेटका की गुफा में पाए जाते है | भीमबेटका में कितनी गुफाएँ हैं –भीमबेटका में करीबन 500 गुफाये मौजूद है | भीमबेटका चित्र किस युग के हैं – Bhimbetka chitr kis yug ke hainभीमबेटका के चित्र पाषाण युग के माने जाते है | भीमबेटका के समीप कौन सी घाटी है –भीमबेटका के समीप विंध्यांचल घाटी है | गुफा चित्रों और शैल आश्रयों का क्या महत्व है –भीमबेटका की गुफाओ और आश्रय स्थलों में बहुत सी bhimbetka paintings है। जिनमे से सबसे प्राचीन पेंटिंग तक़रीबन 30,000 साल पुरानी है लेकिन कुछ लोगो के अनुसार यह पेंटिंग इतनी पुरानी है। History of Bhimbetka in Hindi – भीमबेटका का इतिहास हिंदी मेंउस समय की bhimbetka paintings बनाने में उन्होंने सब्जियों के रंगों का उपयोग किया था और वे आश्रय स्थलों और गुफाओ की अंदरूनी और बाहरी दीवारों पर ही तस्वीरे बनाते थे। उन की ड्राइंग और bhimbetka paintings को 7 भागो में बाँटा गया है भीमबेटका गुफा में चित्रकारी के उद्देश्य का विश्लेषण कीजिए –
पहला पीरियड एक मुख्य रैखिक प्रतिनिधित्व था | जिसमे हरे , गहरे लाल रंगों की रेखाओ की मदद से पशुओं की छायाचित्र निर्माणित किये जाते थे
पहले पीरियड की तुलना में यह थोडा छोटा था और इस समय में लोग अपने शरीर पर रैखिक कलाकृतियाँ बनाते थे। लेकिन इसमें लोग जानवरों की कलाकृतियों के साथ-साथ शिकार करने के स्थल, अस्त्र-शस्त्रों की कलाकृतियाँ भी बनाते थे। साथ ही दीवारों पर पक्षी, नृत्य कला, संगीत वाद्य यंत्र, माताए एवं बच्चे और गर्भवती स्त्रीओ की कलाकृतियाँ और मुर्तिया बनायी जाती थी।
तीसरी पीरियड की पेंटिंग इस प्रकार की गई है की खोज के समय गुफाओ की खुदाई के समय में की गयी थी, जिनमे खेती करने वाले लोग अपने सामान और हथियारकी कलाकृतियाँ , मुर्तिया बनाते थे | और इस समय में ज्यादातर लोग चाल्कोलिथिक पेंटिंग को ही प्राधान्य देते थे।
यह पीरियड के लोग अक्सर खुद को कलाकृतियों और मुर्तिया से सुसज्ज करते रहते थे और प्रमुख लाल, सफ़ेद और पीले रंगों का इस्तेमाल करते थे। इस समूह के लोग अपने शरीर पर धार्मिक निशान गुदवाते थे। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार वे यक्ष का प्रतिनिधित्व करते थे। इस समूह के लोग पेड़ो पर भी कलाकृतियाँ और मूर्तियो निर्माण करते थे और खुद को हमेशा सजाकर रखते थे। इस समूह के लोगो ने पेंटिंग को लोगो के बीच काफी प्रचलित किया था।
सातवा पीरियड समूह की पेंटिंग्स ज्यामितिक रैखीय और ढ़ांच के रूप में बनी होती थी लेकिन इस समूह के लोग अपनी कला में अधः पतन और भोंडापन दिखाते थे। इस समूह के लोग गुफा में रहते थे और मैंगनीज, हेमटिट और कोयले से बने रंगों का उपयोग करते थे।
यह पाषाण को विशेषत जू पाषाण का नाम दिया गया है । इस समय में लोग मोर, साप, हिरण और सूरज की कलाकृतियाँ बनाते थे। दुसरे पाषाण में लोग हाँथी और किसी जगह की कलाकृतियाँ और मुर्तियो का निर्माण करते थे। जिनमे प्रमुख रूप से लोग शिकार करने वाली जगह की कलाकृतियो को महत्व देते थे। एक गुफा में शिकारी को जंगली भैसे की खोज में दिखाया गया था लेकिन उसके आस पास कोई सहायता करने वाला नही था। एक पेंटिंग में विशाल जंगली सूअर को दिखाया गया था। असल में इतना विशाल सूअर में उस समय मिलना असंभव सा था। कलाकृति में सूअर 7 फीट का था।
एक उज्जड पाषाण आश्रय में, एक पेंटिंग थी जिसमे एक इंसान त्रिशूल को लेकर खड़ा था और डांस कर रहा था, कहा जाता है की इसी पेंटिंग को बाद में डॉ. वाकणकर द्वारा “नटराज” का नाम दिया गया था। भीमबेटका गुफा की खासियत –विंध्यांचल पर्वतमालाओं से भीमबेटका गुफाओं गिरी हुई है | भीमबेटका गुफाओं में प्राकृतिक कई सारे रंगो में लाल और सफेद रंगों कहीं-कहीं पीला और हरा रंग का भी इस्तेमाल किया गया है | भीमबेटका गुफाओं की चट्टानों पर वन्यप्राणियों के शिकार के दृश्यों में घोड़े, हाथी, बाघ के चित्रो की पेंटिंग की गए हैं। इन चित्रों में से कई चित्र दर्शाए गए चित्र प्रमुख हैं भीमबेटका की चट्टानों पर डांस, संगीत बजाने चित्र और शिकार करने का घोड़ों और हाथियों की सवारी करते हुवे शरीर पर आभूषणों को सजाना आदि की पेंटिंग देखने मिलती है। कुछ गुफाओं में शेर, सिंह, जंगली सुअर, हाथियों, कुत्तों और घड़ियालों को चट्टानों पर पेंट किया गया है।गुफाओंमे आवासों की दीवारें धार्मिक संकेतों से सुसज्ज थी | जिसे देखने के बाद प्राचीन ऐतिहासिक संस्कृति की झलक मिलती है। भीमबेटका की गुफा में सबसे पुरानी पेंटिंग 30,000 साल पुरानी पेंटिंग मिली हुई है | भीमबेटका घूमने का सही समय –भीमबेटका घूमने के लिए सबसे अच्छा और आदर्श समय अक्टूबर से मार्च महीने में आता है। क्योंकि इस समय के दौरान वातावरण अनुकूल होती है और दार्शनिक भीमबेटका में सुविधापूर्वक अपना प्रवास सफल बना सकते है। हालाकि बारिश का मौसम भी यहा घूमने के लिए अच्छा माना जाता है। आप चाहे तो बारिश के मौसम में भी भीमबेटका की सैर पर बिना किसी झिझक के निकल सकते है। लेकिन गर्मी के मौसम में यहा जाने से यदि आप परहेज करेंगे तो वही सही रहेगा। क्योंकि पथरीला स्थान होने की वजह से यहा आपको गर्मी की मार झेलनी पड़ेगी। भीमबेटका घूमने की एंट्री फीस –bhimbetka rock shelters घूमने के लिए प्रवेश शुल्क 10 शुल्क 10 रूपये प्रतिव्यक्ति और विदेशी नागरिकों के लिए यह शुल्क 100 रूपये प्रतिव्यक्ति निर्धारित है। यदि आप मोटर राइड का आनंद या मजा लेना चाहते है तो इसके लिए भारतीय नागरिकों को लिए 50 रूपये प्रति व्यक्ति और विदेशी नागरिकों को 200 रूपये प्रति व्यक्ति शुल्क चुकाना होगा। भीमबेटका कैसे पहुँचे –आप भीमबेटका जाना चाहता है तो आप फ्लाइट, ट्रेन, बस और अपने व्यक्तिगत वाहन से भी जा सकते है |
भीमबेटका जाने के लिए फ्लाइट से जाना चाहते है तो हम आपको बता दें कि इसके लिए आपको सबसे नजदीकी एयर पोर्ट, भोपाल का राजा भोज एयर पोर्ट है। जो भीमबेटका से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। एयर पोर्ट से आप टैक्सी या स्थानीय साधन के माध्यम से आसानी से भीमबेटका पहुँच जाएंगे।
bhimbetka rock shelters घूमने के लिए यदि आप ट्रेन सेजाना चाहते है तो हम आपको बता दें की इसके लिए आपहबीबंगज रेलवे स्टेशन पर उतर सकते है। यह स्टेशन से भीमबेटका की दूरी लगभग 38 की.मि है। भोपाल जंक्शन पर भी उतर सकते है यहा से आपके पर्यटक स्थल भीमबेटका की दूरी लगभग 53 किलोमीटर है। यहा से स्थानीय साधन या भोपाल शहर में चलने वाली सिटी बस के माध्यम से आप अपने गंतव्य स्थान भीमबेटका पहुँच जाएंगे। इसके अलावा मंडीदीप और अब्दुल्लागंज रेलवे स्टेशन भी है लेकिन यहा पर अधिकतर ट्रेने नही रूकती है।
भीमबेटका रोड मार्ग से जाने के लिए बस या अपने व्यक्तिगतवाहन के माध्यम से जाना चाहते है तो आप रोड मार्ग से बहुत आसानी से जासकते है। होशंगाबाद रोड से 3 की.मि की दूरी पर भीमबेटका की गुफाये मौजूद है |
भीमबेटका स्थल जाने के बाद यदि आपविश्राम या रुकना चाहते है तो नजद में ओब्दुल्लागंज में आपको लो-बजट से लेकर हाई बजट तक के होटल मिल जाएंगे और अपनी सुविधा और बजट के हिसाब से आप होटल का चुन सकते है। भीमबेटका के आस पास कहा-कहा घूम सकते है –
भोजपुर मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से करीबन 28 की.मि और भीमबेटका से करीबन 25 की.मि की दूरी पर मौजूद है। यस्थल एक छोटा सा गांव है लेकिन इसके पीछे इसका एक बड़ा इतिहास छुपा हुआ है। इस स्थान का नाम भोजपुर परमार राजा भोज के नाम पर रखा गया था। राजा परमार द्वारा यहा एक बांध बनबाया गया था, जिसे बाद में होशंगशाह ने तुड़वा दिया था। भोजपुर स्थान यहां बने भगवान शिव के विशाल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है श्रद्धालु बहुत दूर-दूर से इस स्थान पर भगवान शिव के दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर के नजदीक में एक बांध भी बना हुआ है।
भोपाल शहर भारत के मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी है। यह सिटी आपके पर्यटन स्थल भीमबेटका से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार शहर है। भोपाल शहर का निर्माण भी परमार राजा भोज ने ही करवाया था। भोपाल शहर में आपके घूमने के लिए अनेक ऐसी जगह विधमान है जिन्हें देखकर आपका दिल बागबाग हो जायेगा। अगर आप शोपिंग या कोई सामान खरीदना चाहते है तो आपके के लिए कई मोल है, लेकिन एमपी नगर में बोर्ड ऑफिस के पास बना डीबी मोल भोपाल शहर का सबसे बड़ा आकर्षित शोपिंग मॉल है। भोपाल में बड़ा तालाब, छोटा तालाब, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, शोर्य स्मारक, इंद्रा गाँधी रास्ट्रीय मानव संग्रहालय, गोहर महल, शौकत महल इत्यादि स्थान है।
होशंगाबाद शहर मध्य-प्रदेश राज्य का एक बहुत ही सुंदर जिला है यह शहर नर्मदापुरम के नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा नदी अपने मधुर जल की कल्कलाहट की ध्वनि के साथ होशंगाबाद शहर को स्पर्स करते हुए प्रभाहित हो रही है। होशंगाबाद में नर्मदा नदी के किनारे पर कई घाट बने हुए है, इनमें से सेठानी घाट सबसे अहम है। नर्मदा का त्यौहार सेठानी घाट पर बहुत ही धूमधाम और भव्य तरीके से मनाया जाता है। इस दिन नर्मदा नदी में चारो तरफ दीपक जलाये जाते है | ऐसा लगता है की नदी में आसमान के तारे नजर आते है | होशंगाबाद में नर्मदा नदी के किनारे होशंगशाह का किला बना हुआ। होशंगाबा दशहर का निर्माण राजा होशंगशाह ने करबाया था। उस राजा के नाम पर यह शहर का नाम होशंगाबाद पड़ गया है । विन्ध्याचल पर्वत श्रंख्ला इसी शहर के करीब ही है। भारतीय चलणी मुद्रा बनाने के लिए कागज का निर्माण होशंगाबाद के एसपीएम नामक स्थल पर किया जाता है।
सलकनपुर मध्य-प्रदेश राज्य के सीहोर जिले में एक छोटा सा गांव है। यह स्थान विज्यासन माता के भव्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में देश के कौने-कौने से श्रद्धालु आते है। सलकनपुर धाम का सबसे लोकप्रिय त्यौहार नवरात्री का पावन त्यौहार होता है। नवरात्री में देवी माँ के नौ रूपों का दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की नौ दिन तक लम्बी कतार लगी रहती है। माता रानी का जयकारा लगाते हुए भक्तजन दूर-दूर से पैदल चल कर भी आते है। नवरात्री में यहा शानदार मेला भी लागता है। सलकनपुर का विज्यासन माता का मंदिर 800 फीट ऊंचाई की एक पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में 1000 से अधिक सीढ़ियां चड़ने के बाद भक्त माता रानी के मंदिर में पहुँच जाते है। यहा रोप-वे सेवा भी उपलब्ध है, मंदिर के आप-पास और सीडियों पर चड़ते समय आप बहुत सारे बंदरो का जमघट देख सकत है। मदिर के पीछे से भी एक रास्ता है और इस रस्ते से दो पहिया वाहन और चार पहिया वाहन सीधे ऊपर तक पहुँच जाते है। सलकनपुर मंदिर की अपने आसपास के इलाको से दूरी लगभग में- होशंगाबाद – 25 किलोमीटर, इटारसी से 45 किलोमीटर और भोपाल से 70 किमी है भीमबेटका की गुफाओं की खोज कब और किसने की?इनकी खोज वर्ष 1957-1958 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी. भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त 1999 में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया. इसके बाद जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया.
भीमबेटका की गुफाएं कितने साल पुरानी मानी जाती है?गुफा की पेंटिंग लगभग 30,000 साल पुरानी है।
भीम वाटिका कहाँ स्थित है?मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध भीमबेटका की गुफाएं भोपाल से 46 किलोमीटर दक्षिण में स्थित हैं. यह प्रागैतिहासिक कला का प्रहरी होने के साथ ही भारतीय स्थापत्य कला का अनुपम खजाना है.
भीमबेटका का नाम क्या है?भीमबेटका (भीमबेटका) नाम भीम, महाकाव्य महाभारत के नायक-देवता भीम से जुड़ा है। भीमबेटका शब्द भीमबैठका से लिया गया है, जिसका अर्थ है “भीम के बैठने की जगह”।
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