बिहारी सतसई के कवि कौन है? - bihaaree satasee ke kavi kaun hai?

बिहारी सतसई के कवि कौन है? - bihaaree satasee ke kavi kaun hai?

बिहारीदास कृष्ण जी की उपासना करते हुए

बिहारी सतसई कवि बिहारी की रचना है, यह मुक्तक काव्य है, इसमें 713 दोहे संकलित हैं। इसमें नीति, भक्ति और शृंगार से संबंधित दोहों का संकलन है।

कुछ प्रसिद्ध दोहे[संपादित करें]

सतसैया के दोहरे, ज्यों नैनन के तीर। देखन में छोटे लगे, बेधे सकल शरीर।

बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाइ। सौह करे भौह्नी हँसे दैन कहे नाती जाई।।

कहत, नटत, रीझत, खीझत, मिळत, खिलत, लजियात। भरे भौन में करत है, नैनन ही सों बात।

मेरी भव- बाधा हरो राधा नागरि सोइ। जा तन की झांई परे, श्याम हरित धुती होइ।।

दुसह दुराज प्रजान को क्यों न बड़े दुःख द्वंद। अधिक अंधेरो जग करत, मिलि मावस रविचंद।।

सोहत ओढैं पीतु पटु स्याम, सलौनैं गात। मनौ नीलमनि-सैल पर आपतु परयौ प्रभात।।

कहलाने एकत बसत अहि मयूर , मृग बाघ। जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ – दाघ निदाघ।।

सन्दर्भ[संपादित करें]

बिहारी सतसई के लेखक कौन है?

बिहारीसतसई / लेखकnull

श्रृंगार सतसई किसकी रचना है?

बिहारी सतसई शृंगारप्रधान रचना है, बृंद सतसई नीतिपरक काव्य है तथा तुलसी सतसई में भक्ति, ज्ञान, कर्म और वैराग्य के दोहे हैं।

रहीम सतसई किसकी रचना है?

पृष्ठ:रहीम-कवितावली. djvu/१७ यह पृष्ठ जाँच लिया गया है। रहीम का परिचय। १ सतसई -- कहा जाता है कि रहीम ने सतसई की रचना की है।

सतसैया के दोहरे किसकी रचना है?

बिहारी की एक ही रचना 'सतसई' उपलब्ध है जिसमें उनके लगभग 700 दोहे संगृहीत हैं। लोक ज्ञान और शास्त्र ज्ञान के साथ ही बिहारी का काव्य ज्ञान भी अच्छा था। कहा जाता है - सतसैया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर ।