भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में कौन से स्थान पर है? - bhaarat kee arthavyavastha duniya mein kaun se sthaan par hai?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: योगेश साहू Updated Sat, 03 Sep 2022 11:23 AM IST

सार

 India Economy GDP Growth Rate 2022: चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पिछली चार तिमाहियों में सबसे तेज रही। इसकी प्रमुख वजह कृषि और सेवा क्षेत्र का दमदार प्रदर्शन है। इससे भारतीय बाजार में वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।

भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में कौन से स्थान पर है? - bhaarat kee arthavyavastha duniya mein kaun se sthaan par hai?

अर्थव्यवस्था जीडीपी - फोटो : pixabay

विस्तार

कोरोना महामारी को मात देकर भारत की अर्थव्यवस्था ने तेज गति से अपना विस्तार किया है। एक अनुमान के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 13.5 फीसदी रही है। वहीं ब्लूमबर्ग की शुक्रवार को जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक 2021 की अंतिम तिमाही में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आइए जानते हैं इसके मायने...

पहले 11वें स्थान पर था भारत


अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पहली तिमाही में बढ़त हासिल कर ली है। अभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अमेरिका है। जबकि दूसरे नंबर पर चीन फिर जापान और जर्मनी का नंबर है। एक दशक पहले भारत इस सूची में 11वें नंबर पर था और ब्रिटेन पांचवें पायदान पर। भारत ने यह कारनामा दूसरी बार किया है। इससे पहले 2019 में भी ब्रिटेन को छठे स्थान पर धकेल दिया था। 

मार्च तिमाही में 854.7 अरब डॉलर रहा भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार
भारत ने हाल में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक भारत दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 13.5 फीसदी रही, जो पिछले एक साल में सबसे अधिक है। नकदी के संदर्भ में देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार मार्च तिमाही में 854.7 अरब डॉलर है, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की है।

ब्रिटेन की जीडीपी 3.19 लाख करोड़ डॉलर
ब्रिटेन की जीडीपी 3.19 लाख करोड़ डॉलर है। सात फीसदी अनुमानित वृद्धि दर के साथ भारत के इसी साल ब्रिटेन को सालाना आधार पर भी पीछे छोड़ने की संभावना है।

भारत की ग्रोथ के आगे चीन भी नहीं है पास
भारत की वृद्धि दर की बात करें तो विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में दूसरे नंबर पर काबिज चीन आसपास भी नहीं है। अप्रैल-जून तिमाही में चीन की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही है। वहीं कई अन्य अनुमान बताते हैं कि सालाना आधार पर भी भारत के मुकाबले में चीन पीछे रह सकता है।

कृषि और सेवा क्षेत्र ने बढ़ाई अर्थव्यवस्था की रफ्तार
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) ने बीते बुधवार को आंकड़े जारी किए थे। इनके मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 17.6  फीसदी रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 10.5 फीसदी रही थी। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.5 फीसदी रही। 2021-22 की पहली तिमाही में 2.2 फीसदी रही थी।

वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की विकास दर 2.3 फीसदी से बढ़कर 9.2 फीसदी पहुंच गई। इसके अलावा, बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाओं की वृद्धि दर 14.7 फीसदी रही, जो 2021-22 की समान तिमाही में 13.8 फीसदी थी। लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के बढ़ने की दर 6.2% से बढ़कर 26.3% पहुंच गई। कृषि और सेवा क्षेत्र के दमदार प्रदर्शन से भारतीय बाजार में वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।

वित्त वर्ष 2022-23 में 7.4 फीसदी तक विकास दर
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7-7.4% की वृद्धि दर हासिल करने की ओर बढ़ रही है। उन्होंने आयात बढ़ने से राजकोषीय स्थिति पर दबाव पड़ने की चिंताओं को दूर करते हुए कहा, सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.4 फीसदी पर बनाए रखने के लिए आश्वस्त है।

गिरावट के बाद उठी अर्थव्यवस्था

  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, मौजूदा कीमत पर जीडीपी (नॉमिनल जीडीपी) 2022-23 की पहली तिमाही में 26.7% बढ़कर 64.95 लाख करोड़ रुपये रही। 2021-22 की समान तिमाही में यह 51.27 लाख करोड़ रुपये थी। 2021-22 में मौजूदा कीमत पर जीडीपी 32.4 फीसदी बढ़ी है।
  • इस दौरान सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 12 फीसदी बढ़कर 34.41 लाख करोड़ रुपये रहा। वास्तविक जीडीपी 2020 की अप्रैल-जून तिमाही में 27.03 लाख करोड़ रुपये थी। कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से 2020-21 की पहली तिमाही में इसमें 23.8 फीसदी की गिरावट आई थी।

पांच साल की पहली तिमाही में ऐसा रहा जीडीपी का आकार

अप्रैल-जून, 2018 33.82 लाख करोड़ रुपये
अप्रैल-जून, 2019 35.49 लाख करोड़ रुपये
अप्रैल-जून, 2020 27.04 लाख करोड़ रुपये
अप्रैल-जून, 2021 32.46 लाख करोड़ रुपये
अप्रैल-जून, 2022 36.85 लाख करोड़ रुपये

(2019 यानी महामारी पूर्व स्तर से 3.83 फीसदी ज्यादा)

जीएसटी संग्रह 1.4 लाख करोड़ 
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि अगस्त में जीएसटी संग्रह करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा है। इससे अर्थव्यवस्था में तेजी का संकेत मिलता है। उन्होंने कहा कि सकल स्थिर पूंजी निर्माण अप्रैल-जून में 34.7% बढ़ा, जो 10 साल में सबसे अधिक है।

राजकोषीय घाटा भी मामूली रूप से घटकर 20.5 फीसदी पर पहुंचा
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने यानी अप्रैल-जुलाई के दौरान राजकोषीय घाटा कम होकर सालाना लक्ष्य का 20.5 फीसदी रहा। एक साल पहले की समान अवधि में यह 21.3 फीसदी रहा था। हालांकि ताजे आंकड़ों को राजकोषीय घाटे के संदर्भ में सार्वजनिक वित्त की स्थिति में सुधार का संकेत माना जा रहा है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, राजकोषीय घाटा (खर्च और राजस्व का अंतर) अप्रैल-जुलाई के दौरान 3,40,831 करोड़ रुपये रहा। यह घाटा सरकार की ओर से बाजार से लिए गए कर्ज को भी दर्शाता है।

भारत का विदेशी कर्ज 8.2 फीसदी बढ़कर 620.7 अरब डॉलर
भारत का विदेशी कर्ज मार्च, 2022 अंत तक एक साल पहले के मुकाबले 8.2 फीसदी बढ़कर 620.7 अरब डॉलर हो गया। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, देश के इस बाह्य कर्ज का 53.2 फीसदी हिस्सा अमेरिकी डॉलर के रूप में है, जबकि भारतीय रुपये के रूप में देय कर्ज 31.2 फीसदी है। मंत्रालय ने कहा, भारत का बाह्य कर्ज सतत-बेहतर तरीके से प्रबंधित बना हुआ है। जीडीपी के अनुपात के रूप में विदेशी कर्ज 19.9 फीसदी रहा, जो एक साल पहले के 100.6 फीसदी की तुलना में गिरावट को दर्शाता है।

बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर छह महीने में सबसे कम
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जुलाई में धीमी पड़कर 4.5 प्रतिशत रही। उत्पादन वृद्धि की यह दर छह महीने में सबसे कम है। एक साल पहले के समान महीने में यह 9.9 फीसदी रही थी। बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जून में 13.2 फीसदी, मई में 19.3 फीसदी, अप्रैल में 9.5 फीसदी, मार्च में 4.8 फीसदी, फरवरी में 5.9 फीसदी और जनवरी में 4 फीसदी थी।

  • आंकड़ों के मुताबिक, आठ बुनियादी उद्योगों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने यानी अप्रैल-जुलाई में 11.5 फीसदी रही।
  • 2021-22 की समान अवधि में यह 21.4 फीसदी रही थी। आलोच्य महीने में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में क्रमश: 3.8 फीसदी और 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

सवाल : गिरावट के बीच आखिर कैसे बढ़ी अर्थव्यवस्था
दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था के पांचवे पायदान पर पहुंचने की यह घटना दूसरी बार हुई है। इससे पहले 2019 में हुई थी। अब गौर करने वाली बात यह है कि भारत ने ब्रिटेन को 2021 की अंतिम तिमाही में पीछे छोड़ा है। इस साफ अर्थ है कि बीते वर्ष अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर के आंकड़ों के आधार पर भारत को जीडीपी के मामले में ब्रिटेन से आगे बताया गया है। इस तिमाही के बाद अब नौ महीने बीत चुके हैं वहीं राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में समझा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में हुआ विस्तार अब संकुचन की स्थिति में हो। बहरहाल, चूंकि भारत युवाओं का देश और बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है इस वजह से निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।

विश्व में भारत की अर्थव्यवस्था कौन से नंबर पर है 2022?

भारत बना विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में कितने नम्बर पर है?

भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बना है और इसके आगे अब अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं. भारत ने पिछले 10 सालों में शानदार आर्थिक विकास दर हासिल की है और जहां एक दशक पहले भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी था वहीं अब ये 6 स्थान आगे बढ़कर 5वें स्थान पर आ गया है.

दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कौन सी है?

अभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अमेरिका है। जबकि दूसरे नंबर पर चीन फिर जापान और जर्मनी का नंबर है। एक दशक पहले भारत इस सूची में 11वें नंबर पर था और ब्रिटेन पांचवें पायदान पर। भारत ने यह कारनामा दूसरी बार किया है।

अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भारत का विश्व में क्या स्थान है?

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है और केवल 2.4% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के 17% भाग को शरण प्रदान करता है।