राजस्थान का सामान्य परिचय राजस्थान की सीमा राजस्थान के जिले व संभाग राजस्थान के प्रतीक चिन्ह राजस्थान की जलवायु राजस्थान के भौतिक विभाग राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम राजस्थान की झीले राजस्थान की नदियां(बंगाल की खाड़ी तंत्र की नदियां) राजस्थान की नदियां(अरब सागर तंत्र की नदियां) राजस्थान की नदियां(आंतरिक प्रवाह तंत्र की नदियां) राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ प्राचीन सभ्यताऐं राजस्थान का इतिहास जानने के स्त्रोत गुर्जर प्रतिहार वंश राजपूत युग आमेर का कछवाह वंश सांभर का चौहान वंश मारवाड का राठौड वंश बीकानेर का राठौड़ वंश 1857 की क्रान्ति राजस्थान में किसान तथा आदिवासी आन्दोलन राजस्थान में प्रजामण्डल राजस्थान का एकीकरण राजस्थान जनगणना व साक्षरता - 2011 राजस्थान में वन वन्य जीव अभ्यारण्य राजस्थान में कृषि पशु सम्पदा खनिज संसाधन राजस्थान में ऊर्जा विकास राजस्थान में औद्योगिक विकास राजस्थान में वित्तीय संगठन राजस्थान में पर्यटन विकास राजस्थान में लोक देवता राजस्थान में लोक देवियां राजस्थान में सम्प्रदाय राजस्थान में त्यौहार राजस्थान के मेले राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज & प्रथाएं आभूषण और वेशभूषा राजस्थान की जनजातियां राजस्थान के दुर्ग भारत की प्रमुख संगीत गायन शैलियां राजस्थान में नृत्य राजस्थान में लोकनाट्य वाद्य यंत्र प्रमुख वादक राजस्थान की चित्र शैलियां लोक कलाएं राजस्थान के लोकगीत राजस्थान में हस्तकला छतरियां , महल &हवेलियां राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल राजस्थानी भाषा एवं बोलियां राजस्थान में परिवहन राजस्थान की प्रमुख योजनाएं राजस्थान की मिट्टियाँ शिक्षा राजस्थान मंत्रिमंडल और मंत्रियों के विभाग राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था लोकसभा चुनाव-2019 राजस्थान राज्य से राज्यसभा सदस्य राजस्थान लोक सेवा आयोग राजस्थान के महत्वपूर्ण पदाधिकारी आर्थिक समीक्षा 2019-20 राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व राजस्थान इतिहास की प्रसिद्ध महिला व्यक्तित्व ब्रिटिश शासन के दौरान प्रेस और पत्रकारिता मुख्यमंत्री राज्य मंत्रिपरिषद् राज्यपाल राज्य विधान मंडल उच्च न्यायालय राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग राजस्थान राज्य महिला आयोग राजस्व मण्डल राजस्थान राजस्थान में लोकायुक्त राजस्थानी शब्दावली राजस्थान बजट 2022-23 स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गठित संगठन महाजनपद काल में राजस्थान एक जिला एक उत्पाद में चिन्हित प्रोडक्ट्स की सूची Show
राजस्थान जी.के.राजस्थान का सामान्य परिचय राजस्थान की सीमा राजस्थान के जिले व संभाग राजस्थान के प्रतीक चिन्ह राजस्थान की जलवायु राजस्थान के भौतिक विभाग राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम राजस्थान की झीले राजस्थान की नदियां(बंगाल की खाड़ी तंत्र की नदियां) राजस्थान की नदियां(अरब सागर तंत्र की नदियां) राजस्थान की नदियां(आंतरिक प्रवाह तंत्र की नदियां) राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ प्राचीन सभ्यताऐं राजस्थान का इतिहास जानने के स्त्रोत गुर्जर प्रतिहार वंश राजपूत युग आमेर का कछवाह वंश सांभर का चौहान वंश मारवाड का राठौड वंश बीकानेर का राठौड़ वंश 1857 की क्रान्ति राजस्थान में किसान तथा आदिवासी आन्दोलन राजस्थान में प्रजामण्डल राजस्थान का एकीकरण राजस्थान जनगणना व साक्षरता - 2011 राजस्थान में वन वन्य जीव अभ्यारण्य राजस्थान में कृषि पशु सम्पदा खनिज संसाधन राजस्थान में ऊर्जा विकास राजस्थान में औद्योगिक विकास राजस्थान में वित्तीय संगठन राजस्थान में पर्यटन विकास राजस्थान में लोक देवता राजस्थान में लोक देवियां राजस्थान में सम्प्रदाय राजस्थान में त्यौहार राजस्थान के मेले राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज & प्रथाएं आभूषण और वेशभूषा राजस्थान की जनजातियां राजस्थान के दुर्ग भारत की प्रमुख संगीत गायन शैलियां राजस्थान में नृत्य राजस्थान में लोकनाट्य वाद्य यंत्र प्रमुख वादक राजस्थान की चित्र शैलियां लोक कलाएं राजस्थान के लोकगीत राजस्थान में हस्तकला छतरियां , महल &हवेलियां राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल राजस्थानी भाषा एवं बोलियां राजस्थान में परिवहन राजस्थान की प्रमुख योजनाएं राजस्थान की मिट्टियाँ शिक्षा राजस्थान मंत्रिमंडल और मंत्रियों के विभाग राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था लोकसभा चुनाव-2019 राजस्थान राज्य से राज्यसभा सदस्य राजस्थान लोक सेवा आयोग राजस्थान के महत्वपूर्ण पदाधिकारी आर्थिक समीक्षा 2019-20 राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व राजस्थान इतिहास की प्रसिद्ध महिला व्यक्तित्व ब्रिटिश शासन के दौरान प्रेस और पत्रकारिता मुख्यमंत्री राज्य मंत्रिपरिषद् राज्यपाल राज्य विधान मंडल उच्च न्यायालय राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग राजस्थान राज्य महिला आयोग राजस्व मण्डल राजस्थान राजस्थान में लोकायुक्त राजस्थानी शब्दावली राजस्थान बजट 2022-23 स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गठित संगठन महाजनपद काल में राजस्थान एक जिला एक उत्पाद में चिन्हित प्रोडक्ट्स की सूचीप्राचीन सभ्यताऐं कालीबंगा सभ्यताजिला - हनुमानगढ़ नदी - सरस्वती(वर्तमान की घग्घर) समय - 3000 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व तक काल - कास्य युगीन काल खोजकर्ता - 1952 अमलानन्द घोस उत्खनन कर्ता - (1961-69) बी. बी. लाल, वी. के. थापर बी. बी. लाल - बृजबासी लाल बी. के. थापर - बालकृष्ण थापर शाब्दीक अर्थ - काली चुडि़यां विशेषताएंदोहरे जुते हुऐ खेत के साक्ष्य यह नगर दो भागों में विभाजित है और दोनों भाग सुरक्षा दिवार(परकोटा) से घिरे हुए हैं। अलंकृत ईटों, अलंकृत फर्श के साक्ष्य प्राप्त हुए है। लकड़ी से बनी नाली के साक्ष्य प्राप्त हुए है। यहां से ईटों से निर्मित चबुतरे पर सात अग्नि कुण्ड प्राप्त हुए है जिसमें राख एवम् पशुओं की हड्डियां प्राप्त हुई है। यहां से ऊंट की हड्डियां प्राप्त हुई है, ऊंट इनका पालतु पशु है। यहां से सुती वस्त्र में लिपटा हुआ ‘उस्तरा‘ प्राप्त हुआ है। यहां से कपास की खेती के साक्ष्य प्राप्त हुए है। जले हुए चावल के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। युगल समाधी के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यहां से मिट्टी से निर्मिट स्केल(फुटा) प्राप्त हुआ है। यहां से शल्य चिकित्सा के साक्ष्य प्राप्त हुआ है। एक बच्चे का कंकाल मिला है। भूकम्प के साक्ष्य मिले हैं। वाकणकर महोदय के अनुसार - सिंधु घाटी सभ्यता को सरस्वती नदी की सभ्यता कहना चाहिए क्योंकि सरस्वती नदी के किनारे 200 से अधिक नगर बसे थे। आहड़ सभ्यताजिला - उदयपुर नदी - आयड़(बेड़च नदी के तट पर) समय - 1900 ईसा पुर्व से 1200 ईसा पुर्व काल - ताम्र पाषाण काल खोजकत्र्ता - 1953 अक्षय कीर्ति व्यास उत्खनन कत्र्ता - 1956 आर. सी. अग्रवाल(रत्नचन्द्र अग्रवाल) सबसे अधिक उत्खनन करवाया 1961 में एच. डी.(हंसमुख धीरजलाल) सांकलिया ने। आहड़ का प्राचीन नाम - ताम्रवती 10 या 11 शताब्दी में इसे आघाटपुर/आघाट दुर्ग कहते थे। स्थानीय नाम - धुलकोर विशेषताभवन निर्माण में पत्थर का प्रयोग उत्खनन में अनाज पिसने की चक्की मिली है। कपड़ों में छपाई किये जाने वाले छापे के साक्ष्य मिले हैं। तांबा गलाने की भट्टी मिली है। तांबे की 6 मुद्रायें(सिक्के) और 3 मोहरें मिली हैं। चांदी से अपरिचित थे। शव का सिर उत्तर दिशा में होता था। यहां से एक भवन में छः मिट्टी के चुल्हे मिले हैं। मिट्टी के बर्तन व तांबे के आभुषण मिले है। बालाथल सभ्यताजिला - उदयपुर(बल्लभनगर तहसील के पास) नदी - बनास समय - 1900 ईसा पुर्व से 1200 ईसा पुर्व तक आहड़ सभ्यता से सम्बधित ताम्रपाषाण युगीन स्थल खोजकत्र्ता व उत्खनन कत्र्ता - 1993 वी. एन. मिश्र(विरेन्द्र नाथ मिश्र) विशेषताभवन निर्माण में पत्थर के साथ ईंटो का प्रयोग किया गया है। विशाल भवन मिला है जिसमें 11 कमरे हैं। पशुओं के अवशेष मिले हैं। मिश्रित अर्थव्यवस्था के साक्ष्य मिले हैं। कृषि के साथ - साथ पशुपालन का प्रचलन था। गिलुण्ड/ गिलुन्द सभ्यताजिला - राजसमंद आहड़ सभ्यता से सम्बधित ताम्रपाषाण युगीन स्थल खोजकत्र्ता/ उत्खनन कर्ता - 1957- 58 वी. बी.(वृजबासी) लाल विशेषता5 प्रकार के मृदभाण्ड(मिट्टी के बर्तन) हाथी दांत की चूड़ियां मिली है। धौलीमगराजिला - उदयपुर आयड़ सभ्यता का नवीनतम स्थल गणेश्वर सभ्यताजिला - सीकर, नीम का थाना - सहसील नदी - कांतली समय - 2800 ईसा पुर्व काल - ताम्रपाषाण काल (ताम्रपाषाण युगीन सभ्यता की जननी) खोजकत्र्ता/उत्खनन कत्र्ता - 1977 आर. सी.(रत्न चन्द्र) अग्रवाल विशेषताएंमछली पकड़ने का कांटा मिला है। ताम्र निर्मित कुल्हाड़ी मिली है। शुद्ध तांबे निर्मित तीर, भाले, तलवार, बर्तन, आभुषण, सुईयां मिले हैं। यहां से तांबे का निर्यात भी किया जाता था। सिंधु घाटी के लोगों को तांबे की आपूर्ति यहीं से होती थी। बैराठ सभ्यताजिला - जयपुर नदी - बाणगंगा समय - 600 ईसा पुर्व से 1 ईस्वी काल - लौह युगीन खोजकत्र्ता/ उत्खनन कर्ता - 1935 - 36 दयाराम साहनी प्रमुख स्थल - बीजक की पहाड़ी, भीम की डुंगरी, महादेव जी डुंगरी विशेषता1. महाजन पद संस्कृति के साक्ष्य(600 ईसा पुर्व से 322 ईसा पुर्व तक)मत्स्य जनपद की राजधानी - विराटनगर (मत्स्य जनपद - जयपुर, अलवर, भरतपुर) विराटनगर - बैराठ का प्राचीन नाम है। 2. महाभारत संस्कृति के साक्ष्यपाण्डुओं ने अपने 1 वर्ष का अज्ञातवास विराटनगर के राजा विराट के यहां व्यतित किया था। 3. बौद्धधर्म के साक्ष्य मिले हैं।बैराठ से हमें एक गोलाकार बौद्ध मठ मिला है। यहां पर स्वर्ण मंजूषा(कलश) मिली है जिसमें भगवान बुद्ध की अस्थियों के अवशेष मिले हैं। 4. मौर्य संस्कृति के साक्ष्य मिले हैं।मौर्य समाज - 322 ईसा पुर्व से 184 ईसा पुर्व सम्राट अशोक का भाब्रु शिलालेख बैराठ से मिला है। भाब्रु शिलालेख की खोज - 1837 कैप्टन बर्ट इसकी भाषा - प्राकृत भाषा लिपी - ब्राह्मणी वर्तमान में भाब्रु शिलालेख कोलकत्ता के संग्रहालय में सुरक्षित है। 5. हिन्द - युनानी संस्कृति के साक्ष्य मिले है।यहां से 36 चांदी के सिक्के प्राप्त हुए हैं 36 में से 28 सिक्के हिन्द - युनानी राजाओं के है। 28 में से 16 सिक्के मिनेण्डर राजा(प्रसिद्ध हिन्द - युनानी राजा) के मिले हैं। शेष 8 सिक्के प्राचीन भारत के सिक्के आहत(पंचमार्क) है। नोट - भारत में सोने के सिक्के हिन्द - युनानी राजाओं ने चलाये थे। तथ्यपाषाण काल - 5 लाख ईसा पुर्व से 4000 ईसा पुर्व ताम्र पाषाण काल - 4000 ईसा पुर्व - 1000 ईसा पुर्व लौह युग - 1000 ईसा पुर्व से वर्तमान तक अन्य सभ्यताबागौर - भीलवाड़ाकोठारी नदी के किनारे उत्खन्न कर्ता - विरेन्द्र नाथ मिश्र प्राचीन पशुओं की अस्थियों के अवशेष भारत का सबसे संपन्न पाषाण स्थल। चंद्रावती सभ्यता - सिरोहीगरूड़ासन पर विराजित विष्णु भगवान की मुर्ति मिली है। कर्नल जेम्स टोड ने भी इस सभ्यता का जिक्र अपनी पुस्तक में किया है। सुनारी - झुन्झुनूलौहा गलाने की भट्टी मिली है। रेड - टोंकलौहे के भण्डार प्राप्त हुए हैं। इस कारण इसे ‘प्राचीन भारत का टाटानगर‘ कहा जाता है। एशिया का सबसे बड़ा सिक्कों का भण्डार गरदड़ा - बूंदीछाजा नदी प्रथम बर्ड राइडर राॅक पेंटिंग के शैल चित्र मिले हैं। यह देश में प्रथम पुरातत्व महत्व की पेंन्टिंग है। नालियासर - जयपुरलोहा युगीन सभ्यता रंगमहल, पीलीबंगा - हनुमानगढ़कांस्ययुगीन सभ्यता(सिन्धु घाटी सभ्यता के स्थल) गुरू शिष्य की मुर्ति। तथ्यकरणपुरा(नोहर) नवीनतम स्थल सोंथी - बीकानेरउत्खन्न कर्ता - अमला नंद घोष कालीबंगा प्रथम के नाम से विख्यात। नगरी - चित्तौड़गढ़नगरी का प्राचीन नाम - मध्यमिका गुप्तकाल की अवशेष। शिवी जनपद के सिक्के मिले हैं। नगर - टोंकप्राचीन नाम - मालव नगर जहाजपुरा - भीलवाड़ामहाभारत कालिन अवशेष मिले हैं। नोह - भरतपुरकुषाण कालीन ईंट पर पक्षी का चित्र नलिया सर - जयपुरसांभर के निकट। चौहान युग से पहले के अवशेष। डडीकर - अलवरपांच से सात हजार साल पुराने शैल चित्र मिले हैं। तथ्यपुरातात्वविद ओमप्रकाश कुक्की ने बूंदी से भीलवाड़ा तक 35 किमी. लंबी विश्व की सबसे लंबी शैलचित्र श्रृंखला खोजी है। भीलवाड़ा के गैंदी का छज्जा स्थान की गुफाओं में ये शैल चित्र मिले हैं। प्राचीन संभ्यताएंजिलाबरोर, डेरा तरखानवालागंगानगररंगमहल, करणपुरा, बडोपलहनुमानगढ़ओला और कुण्डाजैसलमेरनोह,दरभरतपुरजोधपुरा,चीथ वाड़ीजयपुरगिलंुडराजसमंदओझियाणाभीलवाडाडाडाथोराबीकानेरगदरड़ाबूंदी(बर्डराइटराॅक पेटिंग)सोथी, पूगल, डाडाथोराबीकानेरओला, कुण्डाजैसलमेरऔसियाजोधपुरकुराड़ानागौरभीनमाल, एलानाजालौरईसबाल, झाड़ोलउदयपुर कुल कितनी सभ्यताएं हैं?प्राचीन भारत की 6 सभ्यताओं का रहस्य, जानिए...
भारत की सभ्यता कितनी पुरानी है?सम्मानित पत्रिका नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता और 'सिंधु-सरस्वती सभ्यता' के नाम से भी जानी जाती है। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ।
भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता का क्या नाम है?प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारम्भिक सभ्यता है जिसका सम्बन्ध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों के प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है। आर्यों की भाषा संस्कृत थी और धर्म "वैदिक धर्म" या "सनातन धर्म" के नाम से प्रसिद्ध था, बाद में विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा इस धर्म का नाम हिन्दू पड़ा।
भारत की प्रथम सभ्यता कौन सी थी?सिंधु सभ्यता भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता थी I. 1. सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है क्योंकि हड़प्पा खुदाई वाले स्थलों में सबसे बड़ा था। 2.
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