भारत में खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता क्यों है? - bhaarat mein khaady suraksha kee aavashyakata kyon hai?

प्रश्न 95. खाद्य-सुरक्षा क्या है एवं खाद्य-सुरक्षा क्यों आवश्यक है ? समझाइए।

उत्तर-विश्व विकास रिपोर्ट 1986 के अनुसार, “खाद्यान्न सुरक्षा सभी व्यक्तियों के लिए सभी समय पर सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता है।"

खाद्यान्न सुरक्षा की आवश्यकता- खाद्यान्नों की बढ़ती हुई माँगों की पूर्ति के लिए खाद्यान्न सुरक्षा आवश्यक हो गई है। इसके कारणों को हम निम्नलिखित दो भागों में बाँट सकते हैं

(1) आन्तरिक कारण-इनमें वे कारण शामिल हैं जो देश की भीतरी परिस्थितियों से सम्बन्धित हैं।

(i) जीवन का आधार-भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है। साथ ही जन्म-दर भी ऊँची है। अतः लोगों के भरण-पोषण के लिए एवं उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए खाद्यान्न सुरक्षा आवश्यक है।

(ii) मानसून पर निर्भरता-भारत में अधिकांश फसलें सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर हैं। जबकि मानसून अनिश्चित और अनियमित है। इस कारण भी खाद्यान्न सुरक्षा आवश्यक है।

(iii) कम उत्पादकता-भारत में खाद्यान्न उत्पादकता प्रति हैक्टेयर तथा प्रति व्यक्ति कम है। इस दृष्टि से भी खाद्यान्न सुरक्षा आवश्यक है।

(iv) प्राकृतिक बाधाएँ-मानसून की समस्या के अतिरिक्त बाढ़ें, कीड़े-मकोड़े, शीत लहर, मिट्टी के कटाव आदि के कारण अनाज की फसलें नष्ट हो जाती हैं जिससे खाद्यान्न समस्या विकराल हो जाती है। अतः खाद्यान्न सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

(v) निरन्तर बढ़ती हुई महँगाई-खाद्यान्नों की कीमतों में निरन्तर वृद्धि हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है अतः इस समस्या के निपटान के लिए खाद्यान्न सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक हो जाती है।

(vi) देश की प्रगति-खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त किये बिना कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता। अतः खाद्यान्न सुरक्षा आवश्यक होती है।

(2) बाह्य कारण-इसके अन्तर्गत वे कारण शामिल हैं जो दूसरे देशों के साथ हमारे देश के सम्बन्धों से जुड़े होते हैं। ये बाह्य कारण निम्नलिखित हैं

(i) विदेशों पर निर्भरता-खाद्यान्नों की आवश्यकता मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता होती है। देश में जब इसकी पर्याप्त पूर्ति नहीं हो पाती तो हमें विदेशों पर निर्भर होना पड़ता है। .

(ii) विदेशी मुद्रा कोष में कमी- जब हम विदेशों से खाद्यान्न जैसी वस्तुएँ मँगाते हैं तो हमारी विदेशी मुद्रा अनावश्यक रूप से खर्च हो जाती है। परिणाम यह होता है कि बहुत आवश्यक वस्तुएँ खरीदने के लिए भी हमारे पास विदेशी मुद्रा नहीं बच पाती है।

(iii) विदेशी दबाव-जो देश खाद्यान्नों की पूर्ति करते हैं वे प्रभावशाली हो जाते हैं और फिर अपनी नीतियों को मनवाने का प्रयास करते हैं और आयातक, देश विदेश नीति निर्धारण में स्वतंत्र नहीं रह पाते हैं।

अत: यह अनुभव किया गया है कि देश के नागरिकों को भुखमरी से बचाने, विकास करने, स्वाभिमान, सम्मान और संप्रभुता की रक्षा के लिए खाद्य सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है।

खाद्य सुरक्षा क्या है (Food Security in hindi) –

खाद्य सुरक्षा (Food Security) का अर्थ है, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुंच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य! जब भी अनाज उत्पादन में विश्व के वितरण की समस्या आती है, तो सहज ही निर्धन परिवार इससे अधिक प्रभावित होते हैं! खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शासकीय सतर्कता और खाद्य सुरक्षा के खतरे की स्थिति में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर निर्भर करती है! 

सरलतम रूप में खाद्य सुरक्षा का अर्थ है – सभी लोगों हेतु पौष्टिक भोजन की उपलब्धता! साथ ही यह भी आवश्यक है कि व्यक्ति के पास भोजन व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त क्रय-शक्ति (पैसा) हो तथा खाद्यान्न उचित मूल्य पर उपलब्ध रहे! 

विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार खाद्यान्न सुरक्षा, सभी व्यक्तियों के लिए सभी समय पर सक्रिय और स्वस्थ जीवन हेतु पर्याप्त भोजन की उपलब्धता है!

खाद्य सुरक्षा की परिभाषा (khadya suraksha ki paribhasha) – 

“सभी व्यक्तियों को सही समय पर उनके लिए आवश्यक बुनियादी भोजन के लिए भौतिक एवं आर्थिक, दोनों रूपों में खाद्यान्न की उपलब्धि को सुनिश्चित करना ही खाद्य सुरक्षा है!”                                            (खाद्य और कृषि संगठन, 1983) 

“सभी व्यक्तियों के लिए हर समय सक्रिय एवं स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त पोषण युक्त भोजन की उपलब्धि ही खाद्य सुरक्षा होती है!”                                                  (विश्व विकास रिपोर्ट, 1986) 

खाद्य सुरक्षा के आयाम (khadya suraksha ke aayam) –

खाद्य सुरक्षा के सामान्य सिद्धांत के अंतर्गत तीन  प्रमुख आयामों को शामिल किया जाता है। जो इस प्रकार हैं – पहुँच, उपलब्धता, उपयोग और स्थिरता आदि!

(1) पहुँच –

प्रत्येक व्यक्ति को खाद्य पदार्थों मिलते रहे तथा उसकी खाद्य पदार्थो तक आसान पहुँच हो!

(2) खाद्य उपलब्धता –

खाद्य उपलब्धता का संबंध भंडारण से है अर्थात किसी देश के पास कितना अन्न भंडार है!

(3) सामर्थ्य –

सामर्थ्य का अर्थ है कि लोगों के पास अपनी भोजन संबंधी जरूरत को पूरा करने के लिए खाद्य पदार्थ को खरीदने हेतु पर्याप्त संसाधन का उपलब्ध होना अर्थात लोगों के पास पोस्टिक भोजन खरीदने हेतु पर्याप्त धन होने चाहिए!

खाद्य सुरक्षा क्यों आवश्यक है (Why food security is necessary in hindi) – 

समाज का अधिक गरीब वर्ग तो हर समय खाद्य सुरक्षा से ग्रस्त हो सकता है, परंतु जब देश भूकंप, सूखा, बाढ़, सुनामी, फसलों के खराब होने से पैदा हुए अकाल आदि राष्ट्रीय आपदा से गुजर रहा हो तो निर्धनता रेखा से ऊपर के लोग भी खाद्य सुरक्षा से ग्रस्त हो सकते हैं! ऐसी विषम परिस्थितियों से बचने के लिए खाद्य सुरक्षा आवश्यक है! 

भारत के लिए खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता एवं महत्व (Need and importance of food security for India in hindi) – 

भारत की वर्तमान स्थिति में खाद्य सुरक्षा (Food Security) का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है एक और तो हमारी अर्थव्यवस्था विकासशील है दूसरी और जनसंख्या भी तेजी से बढ़ रही है अतः खाद्यान्नों की बढ़ती हुई मांगों की पूर्ति के लिए खाद्य सुरक्षा आवश्यक है इसके दो प्रमुख कारण इस प्रकार है – (1) आंतरिक कारण  (2) बाहय कारण! 

(1) खाद्य सुरक्षा के आंतरिक कारण (Internal reasons for food security) –

इसमें वे कारण शामिल है जो देश की भीतरी परिस्थितियों संबंधित है! आंतरिक सुरक्षा निम्नलिखित है –

(1) जीवन का आधार – 

भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है! इसकी जन्म दर भी ऊंची है! अतः लोगों के भरण-पोषण के लिए एवं उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए खाद्य सुरक्षा बहुत आवश्यक है! 

(2) मानसून पर निर्भरता – 

भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है, जबकि मानसून अनियमित और अनिश्चित होता है! वर्षा का वितरण किया असमान है! अत: कभी भी देश में सूखे एवं अकाल की स्थिति बन जाती है! इस कारण भी खाद्यान्न सुरक्षा आवश्यक है! 

(3) कम उत्पादकता – 

भारत में खाद्यान्न उत्पादकता, प्रति हेक्टेयर तथा प्रति श्रमिक दोनों ही दृष्टि से कम है! इस दृष्टि से भी खाद्यान्न सुरक्षा आवश्यक है! 

(4) प्राकृतिक आपदाएं – 

बाढ़, कीड़े-मकोड़े, शीतलहर, मिट्टी के कटाव आदि देसी किसी न किसी भाग में अनाज की फसलों को नष्ट कर देते हैं! अतः खाद्यान्न समस्या और विकराल हो जाती है ऐसी परिस्थिति का सामना करने के लिए खाद्य सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है! 

(5) निरंतर बढ़ती हुई मांग – 

खाद्यान्नों की कीमतों में निरंतर वृद्धि के परिणामस्वरुप भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है! 

खाद्य सुरक्षा के बाहय कारण (External reasons for food security in hindi) – 

बाहय कारण मे वे कारण शामिल है जो दूसरे देशों के साथ हमारे देश के संबंधों की वजह से जुड़े होते हैं, यह बाहय कारण निम्नलिखित हैं-

(1) विदेशों पर निर्भरता – 

खाद्यान्नों की आवश्यकता मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता होती है! अतः इनकी पूर्ति न होने पर देश की सरकार, विदेशों पर निर्भर हो जाती है! फिर खाद्यान्न महंगे हो या सस्ते अथवा उनकी गुणवत्ता अच्छी हो या ना हो, हमें खाद्यान्न आयात करना ही पड़ता है! 

(2) विदेशी मुद्रा कोष में कमी – 

जब हम विदेशों से खाद्यान्न जैसी वस्तुएं मंगाते हैं, तो हमारी विदेशी मुद्रा अनावश्यक रूप से खर्च हो जाती है! खाद्यान्न की पूर्ति तो हम स्वयं भी कर सकते हैं, पर नहीं कर पाते! इसलिए हमारे पास विदेशी मुद्रा की कमी हो जाती है! 

(3) विदेशी दबाव – 

जो देश खाद्यान्नों की आपूर्ति करते हैं, वे देश प्रभावशाली हो जाते हैं और फिर अपनी नीतियों को मनवाने का प्रयास करते हैं! ऐसे देश खाद्यान्न का आयात करने वाले देशों पर हावी हो जाते हैं! 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 –

भारत सरकार ने 10 सितंबर, 2013 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 अधिसूचित किया! राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 भारतीय संविधान के भाग 4 में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत अनुच्छेद 47 में उल्लेखित “राज्य का कर्तव्य है कि वह लोगों के पोषण तथा जीवन स्तर को ऊंचा करने एवं लोक स्वास्थ्य में सुधार को सुनिश्चित करें” को प्रभावी करने हेतु भारत सरकार द्वारा निर्मित किया गया,

जो देश की लगभग दो-तिहाई आबादी को भोजन का कानूनी अधिकार प्रदान करता है! राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 देशभर में 5 जुलाई 2013 से प्रभावी हुआ! 

भारत में खाद्य समस्या का कारण क्या है?

भारत में इस समस्या के 3 पहलू हैं। पहला यह है कि हमारे यहां अभी हाल तक खाद्यान्नों की कमी रही है, जो अधिकांश भारतीयों का मुख्य भोजन है। दूसरा, यहां जो आहार उपलब्ध होता है, वह असंतुलित है। तीसरा, बहुत से लोग क्रय शक्ति के अभाव में निम्नतम मात्रा में भी अनाज या पोषक आहार प्राप्त करने में रहते हैं।

खाद्य सुरक्षा किसे कहते हैं भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे की जाती है?

Answer: खाद्य सुरक्षा से अभिप्राय सभी लोगो के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता पहुंच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य से हैं। बफर स्टॉक निर्माणः भारत सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा की पूर्ति हेतु बफर स्टॉक का निर्माण किया गया है। बफर स्टॉक सरकार द्वारा गेंहूँ और चावल का अधिप्राप्त भंडार है।

7 खाद्य सुरक्षा किसे कहते हैं भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?

आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो। किसी देश में खाद्य सुरक्षा केवल तभी सुनिश्चित होती है जब (1) सभी लोगों के लिए पर्याप्त खाद्य उपलब्ध हो, (2) सभी लोगों के पास स्वीकार्य गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ खरीदने की क्षमता हो और (3) खाद्य की उपलब्धता में कोई बाधा नहीं हो।

भारत में कौन कौन से राज्य खाद्य सुरक्षा से अधिक ग्रस्त है?

भारत में खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त राज्य उत्तर प्रदेश (पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हिस्से), बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भाग हैं। 4.