भारत में वन और वन्य जीवन का संरक्षण क्या है? - bhaarat mein van aur vany jeevan ka sanrakshan kya hai?

मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव वार्डन इस विभाग के प्रमुख हैं। उप वन संरक्षक कार्यालय के प्रधान एवं आहरण एवं वितरण अधिकारी हैं। इस विभाग में 2 पद उप वन संरक्षक यथा उप वन संरक्षक (वन्य जीव) एवं उप वन संरक्षक (बोटैनिकल गार्डन एवं नेचर रिज़र्व एवं निदेशक माइनर मिनरल्स) हैं। यहां उप प्रभागीय मृदा संरक्षण अधिकारी के 2 पद [राजपत्रित], 2 रेंज अधिकारी, 1 उप रेंजर, 12 वन रक्षक एवं 15 वन चौकीदार हैं। अनुसचिवीय स्टाफ सहित विभाग की कुल जन शक्ति 50 है।

वन क्षेत्र

संघशासित प्रदेश चण्डीगढ़ का कुल वन क्षेत्र 3245.30 हेक्टेयर है, जिसे निम्नलिखित तालिका में दिखाया गया है:

  1. सुखना वन्य जीव अभयारण्य – 2610.99
  2. लेक रिज़र्व फॉरेस्ट –  105.57
  3. सुखना चो रिज़र्व फॉरेस्ट – 387.12
  4. पटियाला की राव वन – 136.19
  5. ईंट भट्टा, मनीमाजरा में वन क्षेत्र – 5.53
  6. कुल – 3245.30

विभाग संघशासित प्रदेश चण्डीगढ़ के हरित क्षेत्र में सुधार, वन्य जीव संरक्षण एवं उनकी सुरक्षा, वनस्पति एवं जीवो की सुरक्षा और जैव विविधता के संरक्षण व उद्धार के बारे में शहरवासियों को जागरूक करने संबंधी विविध क्रियाकलाप कर रहा है। संघशासित प्रदेश चण्डीगढ़ में हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए वार्षिक हरित चण्डीगढ़ कार्य योजना तैयार कर हरियाली संबंधित सभी विभागों द्वारा लागू किए जाने के लिए जारी की जा रही है।

    • संघ शासित प्रदेश चण्डीगढ़ का हरित क्षेत्र

भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा जारी इंडिया स्टेट ऑफ़ फारेस्ट रिपोर्ट-2015 (आईएसएफआर) के अनुसार, संघशासित प्रदेश चण्डीगढ़ का वन क्षेत्र 48।03 वर्ग किलोमीटर है तथा अन्य 9 किलोमीटर क्षेत्र वृक्ष आच्छादित है। इस प्रकार आईएसएफआर-2015 के अनुसार चण्डीगढ़ का कुल हरित क्षेत्र (वन क्षेत्र एवं वृक्ष आच्छाडदित) 57।03 वर्ग किलोमीटर है, जो कि इसके कुल भौगोलिक क्षेत्र का 40।73 प्रतिशत है।
विभाग की योजनाएं एवं इसके उद्देश्य निम्नानुसार हैं:

इस योजना का मुख्य उद्देश्य मृदा संरक्षण कार्य द्वारा सुखना झील में मिट्टी के प्रवाह को कम करना है। इस योजना के अंतर्गत मृदा रोधी एवं चिनाई वाले मृदा रोधक बांध बनाना, स्पार्स/रिवेटमेंट्स, बांधों से गाद हटाना, ग्रेड स्टेबलाइजर का निर्माण और चो खोलना इत्यादि कार्य किए जा रहे हैं।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य बीजारोपण द्वारा मृदा स्खलन को कम करने के लिए खुले क्षेत्रों/पहाड़ियों पर पेड़-पौधे लगाना है। अधिग्रहित की गई नई भूमि और दक्षिण सैक्टरों में पेड़-पौधे लगाए जा रहे है। इस योजना के अंतर्गत पौधारोपण, बीजारोपण एवं कड़दार बाड़ इत्यादि लगाए जाने संबंधी कार्य किए जा रहे हैं।

    • सिटी ब्यूटीफुल को हरा-भरा बनाना

इस योजना का मुख्य उद्देश्य सिटी ब्यूटीफुल के नागरिकों को प्रदूषण मुक्त पर्यावरण उपलब्ध करवाने के लिए शहर व आसपास के क्षेत्रों में पेड़-पौधे लगाना है। इस योजना के अंतर्गत चण्डीगढ़ के विकास मार्ग के साथ-साथ दक्षिण सैक्टकरों में मिश्रित पौधारोपण कार्य किया जा रहा है। यहां सभी कार्य दिवसों पर प्रातः 9।00 बजे से शाम 5।30 बजे तक पौधे वितरित किए जाते हैं।

वन क्षेत्र में अतिक्रमण को रोकने के लिए कड़ीदार बाड़ उपलब्ध कराई जाती है। झील रिजर्व वन, पटियाला-की-राव और सुखना चो वन में जैव विविधता से समृद्ध पौधारोपण जैसे कार्य तथा वन क्षेत्र से लैंटाना पार्थीनियम को हटाए जाने के कार्य किए जा रहे हैं। लेक रिजर्व वन, सुखना-चो रिजर्व वन और पटियाला-की-राव के रखरखाव के साथ-साथ यह विभाग दक्षिण क्षेत्रों और ईट के भट्टे के क्षेत्रों में 100 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर पौधारोपण का कार्य कर रहा है।

इस योजना का मुख्य लक्ष्य वन अपराधों पर प्रभावी रोक लगाना, वनों में लगने वाली आग पर नियंत्रण करना तथा स्टाफ क्वार्टर, विश्राम गृह/निरीक्षण हट, जीप चल सकने वाली सड़कों और फुटपाथ इत्यादि का अनुरक्षण कार्य करना है, जिससे कि वन क्षेत्र में आसानी से पहुंच बनाई जा सके।


भारत में वनों और वन्य जीवन का संरक्षण:
(i) वन और वन्य जीवों की निरंतर घटती संख्या के कारण उनका संरक्षण आवश्यक हो गया है।संरक्षण परिस्थितिक विभिन्नता और जीवनयापन तंत्र को सुरक्षित रखता है। यह पौधों और जानवरों की विविधता को सुरक्षित रखता है, जिससे अच्छी नस्ल उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए कृषि में हम अभी भी पारंपारिक फसल प्रकारों पर निर्भर है। मछली भी जल संबंधी जैव विभिन्नता पर निर्भर करती है।
(ii) 1960 और 1970 के दशकों में कुछ विद्वानों ने राष्ट्रीय वन जीवन संरक्षण कार्यक्रम की मांग की। 1972 में भारतीय वन्य जीवन कानून विभिन्न प्रस्तावों के साथ लागू किया गया। संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण कार्यक्रम में शिकार पर रोक उनके आवासों को कानूनी संरक्षण तथा वन्य जीवों के व्यापार पर रोक लगा कर इस लागू किया गया। इसके परिणाम स्वरूप केंद्र तथा राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय उत्थान तथा वन्य जीव अभ्यारण्यों की स्थापना की।
(iii) केंद्र सरकार ने विशेष जानवरों की रक्षा हेतु कई योजनाएं बनाई जिसमें गंभीर रुप से संकटापन्न जानवर जैसे शेर, समुद्री मगर, घड़ियाल, कश्मीरी हिरण, हाथी, शामिल है। अभी हाल ही में भारतीय हाथी, सफेद भालू और चिंकारा आदि के लिए विशेष संरक्षण प्रदान कर संपूर्ण भारत में इनका शिकार और व्यापार करने पर रोक लगा दी गई।
(iv) संरक्षण परियोजनाएँ किसी एक अंक की अपेक्षा जैव विविधता पर अधिक बल दे रही है। अन्य संरक्षण के उपायों पर गहन खोज की जा रही है। यहाँ तक कि कीड़ों को भी संरक्षण योजना में शामिल किया गया है। 1980 और 1986 के वन्यजीव कानून में कई प्रकार की तितलिया, पतंगे आदि संरक्षण प्रजातियों की सूची में है जिसमे पौधों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।
(v) भारत में बहुत से प्राचीन रीति-रिवाज वन और वन्य जीव संरक्षण में लाभदायक सिद्ध हुए हैंl प्रकृति की पूजा सदियों पुराना जनजातीय विश्वास हैl जिसका आधार प्रकृति के हर रूप की रक्षा करना हैl इन्ही विश्वासों ने विभिन्न वनों को मूल एवं कौमार्य रुप से बचा कर रखा हैl जिन्हें पवित्र पेड़ों के झुरमुट (देवी देवताओं के वन) कहते हैंl कुछ समाज विशेष पेड़ों की पूजा करते हैं और आदिकाल से उनका संरक्षण करते आ रहे हैंl छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा और संस्थान जनजातियां महुआ और कदंब के पेड़ों की पूजा करते हैंl उड़ीसा और बिहार की जनजातियां शादी के दौरान इमली और आम के पेड़ की पूजा करते हैंl बहुत से व्यक्ति पीपल और वट वृक्ष को पवित्र मानते हैंl


भारत में वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण आवश्यक क्यों है?

Solution : वन तथा वन्य जीवन का संरक्षण आवश्यक है क्योंकि- <br> (i) वन अनेक प्रकार के पौधे, जीव जंतु तथा अन्य वन्य-जीवों के लिए आवास प्रदान करते हैं। <br> (ii) इससे पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है तथा सभी को अच्छा जीवन प्राप्त होता है। <br> (iii) ये जैव-विविधता, जीन पूल तथा आनुवांशिक संसाधनों का संरक्षण करते हैं।

वन और वन्य जीव संरक्षण क्या है?

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वन्य जीवों के अवैध शिकार, उनकी खाल/माँस के व्यापार को रोकना है. यह अधिनियम जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को संरक्षण देता है. इस अधिनियम में कुल 6 अनुसूचियाँ हैं जो अलग-अलग तरह से वन्यजीव को सुरक्षा प्रदान करती हैं.

वन और वन्य जीवन का संरक्षण कैसे करें?

वन्यप्राणी संरक्षण के उपाय - (1) वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को बिना नुकसान पहुंचाये नियंत्रित करना। (2) वन्य जीवों के शिकार पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाना। (3) वन्य क्षेत्रों में जैव मण्डल रिर्जव की स्थापना। (4) राष्ट्रीय पार्क, अभ्यारण्य की स्थापना करना।

वन एवं वन्य जीवन क्या है?

जंगली जीव हर उस वृक्ष, पौधे, जानवर और अन्य जीव को कहते हैं जिसे मानवों द्वारा पालतू न बनाया गया हो। जंगली जीव दुनिया के सभी परितंत्रों (ईकोसिस्टम​) में पाए जाते हैं, जिनमें रेगिस्तान, वन, घासभूमि, मैदान, पर्वत और शहरी क्षेत्र सभी शामिल हैं।