आमके पेड़ में दीमक की रोकथाम के लिए आप क्लोरोपाइरीफॉश 4 एमएल दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधे की जड़ में डाल दें। इससे दीमक का प्रकोप समाप्त हो जाएगा। Show
{चीकूका पेड़ 7 साल का है। फूल लगते हैं, मगर फल कम लगते। -अमित, फतेहपुर, सीकर यदिचीकू के पौधे में फल कम लगते हैं तो प्लानोफिक्स 4 ग्राम दवा का 16 लीटर पानी में घोल तैयार कर फूलों पर स्प्रे करें। {मुझेमनीप्लांट के 400 पौधे लगाए एक माह हो गया। मगर, उनकी जड़े पत्तियां काली पड़ रही हैं और फुटान भी नहीं हो रहा। कोई समाधान बताएं। -अनुराग दीक्षित, सीकर मनीप्लांटके पौधे में गोबर की सड़ी खाद डालें। सिंचाई का ध्यान रखें। खाद से पौधे में फुटान होने के साथ जड़ पत्तियां मजबूत हो जाएंगी। इस खबर में हम आम की फसल में लगने वाले दो प्रमुख कीटों के बारे में बता रहे हैं. यह भी बता रहे हैं कि इन कीटों की पहचान क्या है और इनसे किसान फसल को कैसे बचा सकते हैं.आम, यानी फलों का राजा. इस फल ही मांग भारत के साथ-साथ दूसरे देशों में भी खूब रहती है. भारत के हर राज्य में अलग-अलग किस्म के आम की पैदावार होती हैं. वैसे तो किसान इससे हर सीजन में अच्छी कमाई करते हैं, लेकिन कई बार इनमें लगने वाले कीट इसे बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. इस खबर में हम आम की फसल में लगने वाले दो प्रमुख कीटों के बारे में बता रहे हैं. यह भी बता रहे हैं कि इन कीटों की पहचान क्या है और इनसे किसान फसल को कैसे बचा सकते हैं. फुदका (हाॅपर)इस कीट के बच्चे तथा वयस्क दोनों मुलायम प्ररोहों, पत्तियों तथा फूलों का रस चूसते हैं इसके प्रभाव से पुष्पमंजर सूखकर गिर जाते हैं. भुनगा कीट एक प्रकार का मीठा रस स्त्रावित करता है जो पेड़ों की पत्तियों, प्ररोहों आदि पर लग जाता हैं. इस मीठे द्रव्य पर काली फफूंदी (सूटी मोल्ड) बन जाती है जो पत्तियों पर काली परत जमाकर पेड़ों के प्रकाश संश्लेषण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. प्रबंधन
गुजिया (मिली बग)ये कीट सफेद रूईनुमा संरचना बनाकर अपने शरीर को ढंककर रखते हैं जिनसे इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है. बच्चे (निम्फ) तथा मादा वयस्क प्ररोहों, पत्तियों तथा फूलों का रस चूसते हैं. जब यह अधिक संख्या में होते हैं तो इनके द्वारा रस चूसे जाने के फलस्वरूप पेड़ों के प्ररोह, पत्तियाँ तथा बौर सूख जाते हैं तथा फल नहीं लगते हैं. यह कीट मधु द्रव्य उत्पन्न करता है जिसके ऊपर सूटी मोल्ड का वर्धन होता है. वातावरण में नमी व बागों का घना होना, इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होने में सहायक होता है. प्रबंधन
यह भी पढ़ें: World Food Day 2021: किसानों की कड़ी मेहनत से साल दर साल कृषि उत्पादों का उत्पादन तो बढ़ा, लेकिन इससे उन्हें क्या मिला? यह भी पढ़ें: इंटीग्रेटेड फार्मिंग किसानों के लिए है मुनाफे का सौदा, कमाई में होगा बंपर इजाफा, जानिए इससे जुड़ी सभी बातें रांची, जासं। कोरोना महामारी के कारण मानव जाति के समक्ष पैदा हुए खतरे के बीच अब आम के पेड़ पर हमला करने वाले कीड़े सामने आ रहे हैं। ये कीड़े आम के नए पेड़ के मुख्य तना पर हमला कर रहे हैं। यह पेड़ में एक छोटा छेद कर मुख्य तने के अंदर प्रवेश करते हैं। उसके बाद उसे अंदर से खोखला कर देते हैं। इससे हल्की हवा चलने से भी पेड़ टूटकर गिर जाता है। हाल के दिनों में झारखंड के ओरमांझी, अंगड़ा, बेड़ो, रामगढ़, हजारीबाग, चाईबासा आदि जगहों से इस कीड़े के बारे में किसान शिकायत कर रहे हैं। इन इलाकों में कई पेड़ रातों रात टूट कर गिर गए। पहले किसानों को लगा कि यह किसी की शरारत है। मगर बाद में कीड़े की बात सामाने आई। रात में सक्रिय होता है ये कीड़ा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कीट विभाग के अध्यक्ष प्रो डॉ. पीके सिंह बताते हैं कि यह कीड़ा नए आम के पेड़ के मुख्य तने में रात के समय प्रवेश करता है। फिर दीमक की तरह तने का रस चूसकर अपशिष्ट को धीरे-धीरे तने के बाहर गिराता रहता है। यह कीट रात में सक्रिय होता है इसलिए किसान इसे देख नहीं पाते हैं। इससे पेड़ को हो रहे नुकसान का पता नहीं चल पाता है। यह कीड़ा मुख्य रूप से मोलस्कन ग्रुप का है और माथ प्रजाति है। हालांकि यह एक आम कीट से ही विकसित प्रजाति है। कीटों में यह बदलाव एक दशक में एक बार आता है। इस बदलाव से कई बार कीट विकसित नहीं हो पाते हैं और मर जाते हैं। Ranchi Chain Snatching News: राजधानी में बढ़ रहे छिनतई के मामले, दिनदहाड़े महिला के गले से उड़ाया मंगलसूत्र यह भी पढ़ेंकैसे करें कीट का प्रबंधन प्रो डॉ. पीके सिंह बताते हैं कि इस कीट से नए पेड़ के बचाव के लिए दीमक और कीट प्रबंधन को मिलकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए किसान को सबसे पहले पेड़ को चूने से पेंट कर देना चाहिए। इस कीड़े की शरीर का चमड़ा काफी कड़ा होता है। ऐसे में इस कीट को मारने के लिए जहरीले गंध का इस्तेमाल किया जाता है। एक दवा क्लोरोपाइरीफास को रुई में भिगोकर कीट के द्वारा बनाए छेद में डाल दें। इसके साथ ही तालाब की गीली मिट्टी को ऊपर से लगा दें। इसके साथ ही इस घोल को पेड़ के जड़ में भी डालें। इससे मिट्टी जहरीली हो जाएगी और मिट्टी से चलकर भी यह कीड़ा पेड़ में प्रवेश नहीं कर पाएगा। इस जहर का असर 40 दिनों तक रहता है। Income Tax Raid: झारखंड बंगाल के 33 ठिकानों पर आयकर की छापेमारी, डॉ. माजिद पर आठ करोड़ से अधिक कर चोरी का शक यह भी पढ़ें'अचानक तीन पेड़ एक के बाद एक टूट गए। शुरू में लगा कि किसी ने बदमाशी से पेड़ काट दिया। मगर फिर बाद में कीट के बारे में पता चला। गांव के कई लोगों के साथ ऐसा हुआ है। बड़ा नकसान हुआ है।' -रोहित बेदिया, ओरमांझी। 'शुरू में समझ में ही नहीं आया कि पेड़ कैसे खराब हो रहे हैं। मगर बाद में कीट के लक्षण दिखने लगे। गांव में कई लोगों के पेड़ में यह कीट लगा था। बाद में दवाई के इस्तेमाल से गांव में कीट को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।' -कुयला साव, अनगड़ा। आम के पेड़ में कीड़ा लगने पर क्या करें?एक दवा क्लोरोपाइरीफास को रुई में भिगोकर कीट के द्वारा बनाए छेद में डाल दें। इसके साथ ही तालाब की गीली मिट्टी को ऊपर से लगा दें। इसके साथ ही इस घोल को पेड़ के जड़ में भी डालें। इससे मिट्टी जहरीली हो जाएगी और मिट्टी से चलकर भी यह कीड़ा पेड़ में प्रवेश नहीं कर पाएगा।
आम के पेड़ में कौन सी दवाई डालनी चाहिए?आम के मंजर(बौर) बचाने के लिए करें इस दवा का प्रयोग. आम के मंजर को कीट से बचाने के लिए डायमेथोइड या मेटासिस्टाक 1.5 एम.एल.प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिडकाव करें |. या लमीडाक्लोपरिड 17.8 SL को 0.4 मिली. प्रति लीटर पानी में मिलकर छिडकाव करें |. आम के पेड़ में क्या डालना चाहिए?पौधेके आसपास करीब एक फुट गहरी गुड़ाई करें। उस मिट्टी में गोबर की सड़ी खाद के साथ रासायनिक खाद डालें। इससे पौधे की बढ़वार होने के साथ उसमें फुटाव शुरू हो जाएगा।
आम का पेड़ क्यों सूख जाता है?बहराइच : आम के पेड़ो में लगने वाला उल्टा सूखा रोग व तना छेदक कीट हरियाली का दुश्मन बन रहा है। रोग के प्रकोप से आम का हरा भरा पेड़ कुछ महीनों में ही सूख कर ढांचे में तब्दील हो जाता है। आम के पेड़ में तना बेधक कीट एक प्रमुख समस्या बन कर उभरा है। इस रोग का कीड़ा पौधे के तने में छेद कर अंदर घुस जाता है।
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