भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन </h2> प्राचीनकाल से ही भारत विदेशियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। इसी आकर्षण के कारण विदेशी लोग भारत मे व्यापार करने के लिए हमेशा लालयित रहते थे। पुर्तगाली, डच, अंग्रेज एवं फ्रांसीसी ये चार यूरोपीय जातियां व्यापार करने के उद्देश्य से ही भारत आई थी। इनमे अंग्रेज की ईस्ट इण्डिया कम्पनी सबसे प्रमुख थी जो बाद मे राजनीतिक क्षेत्र मे भी दखलंदाजी करने लगी और धीरे-धीरे उसने सम्पूर्ण भारत मे अपना राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित कर लिया।<br> भारत मे राष्ट्रीय चेतना के उदय का उल्लेख " भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस" के साथ किया जाता है। यद्यपि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना मे दो अंग्रेज प्रशासक एलन ऑक्टेवियन ह्यूम और विलियम वेडरबर्न का बहुत बड़ा योगदान था। ह्यूम साहब को तो कांग्रेस का जनक कहा जाता है। ए. ओ. ह्यूम स्काटलैंड के निवासी थे। वे 1870 से 1879 तक भारत सरकार के सचिव रहे। बाद मे उन्हे स्वतंत्र विचारों के कारण इस पद से हटा दिया गया था।<br> कांग्रेस का इतिहास ही भारत के स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास कहा जाता हैं। आर.सी. मजूमदार ने लिखा है " क्रांग्रेस की स्थापना के पूर्व और पश्चात्&nbsp; दूसरी अनेक शक्तियों के द्वारा भी इस उद्देश्य से कार्य किया गया था, लेकिन कांग्रेस ने भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष मे सदैव ही केन्द्र का कार्य किया है। यह वह धुरी थी जिसके चारों ओर स्वतंत्रता की महान गाथा की विविध घटनाएं हुई।<br> <h2 style="text-align:center"> <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"> <ins class="adsbygoogle" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-format="fluid" data-ad-layout="in-article" data-ad-slot="3525537922" style="display:block;text-align:center"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); भारत राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के कारण (bhartiya rashtriya andolan ke karan) प्रत्येक देश मे राष्ट्रीय आन्दोलन उन अनेक शक्तियों के सामूहिक प्रभाव का परिणाम होता है जो एक लम्बे अरसे से देश मे कार्य करती आ रही होती। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उदय मे राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक सभी प्रकार के तत्वों ने अपना योगदान दिया। भारत मे राष्ट्रीय चेतना के उदय के कारणों को हम निम्न प्रकार स्पष्ट कर सकते है-- Show
12. विदेशी आंदोलन व घटनाओं का प्रभाव इटली, जर्मनी, रूमानिया और सर्बिया के राजनीतिक आंदोलन, फ्रांस की राज्य क्रांति के "स्वतंत्रता समानता और भ्रातृत्व" के संदेश, आयरलैंड के होमरूल आंदोलन, इंग्लैंड मे सुधार कानूनों का पारित होना आदि घटनाओं ने भारतीयों के मस्तिष्क पर प्रभाव डाला। इन आंदोलनों ने भारतीयों को दृढ़ता प्रदान की और स्वाधीनता प्राप्ति के लिए प्रेरित किया। 1893 में जब एक छोटे से देश अबीसिनिया द्वारा इटली जैसे विशाल देश तथा 1904 में जापान द्वारा रूस को परजित किया गया तो भारतीय राष्ट्रीयता को एक बहुत बड़क शक्ति मिली और यह प्रेरणा मिली कि संगठित प्रयासों द्वारा मुठ्ठी भर अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालना कोई कठिन का नहीं हैं। निष्कर्षइसे ब्रिटिश सरकार का सौभाग्य कहा जा सकता है कि भारत की जनता के कष्ट और असंतोष ने विद्रोह का मार्ग न पकड़कर राष्ट्रीय आंदोलन का मार्ग अपनाया। यह रास्ता सन् 1885 में " भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस " की स्थापना से मिला। सामाजिक और राजनीतिक सुधार की माँग धीरे-धीरे स्वतंत्रता की आकांक्षा में बदल गई। यह बात बिना किसी विवाद के पूर्णता सत्य है कि," भारतीय राष्ट्रवाद ब्रिटिश राज का शिशु था।" पाश्चात्य शिक्षा, अंग्रेजी भाषा, अंग्रेजी साहित्य, अंग्रेजी समाचार पत्रों ने राष्ट्रवाद की प्रेरणा दी। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के लिए अंग्रेजों की मूर्खतापूर्ण नीतियों, जातीय विभेद की नीति, आर्थिक शोषण तथा दमकारी कानूनों ने भी वरदान का ही काम किया। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने सत्य ही लिखा है कि," बुरे शासक प्रायः अनजाने में जनता के लिए वरदान बन जाते है।" अंग्रेज शासकों ने भारतीय राष्ट्रवाद के प्रति आरंभ से ही उदार दृष्टिकोण अपनाया, उसे पुष्पित और पल्लवित होने दिया। डाॅ. ईश्वरी प्रसाद के शब्दों में," पश्चिम के राजनीतिशास्त्र विशेषज्ञ लाॅक, स्पेन्सर, मैकाले, मिल और बर्क के लेखों ने केवल भारतीयों के विचारों को ही प्रभावित नहीं किया अपितु राष्ट्रीय आंदोलन की रूपरेखा और संचालन पर गहरा प्रभाव डाला।" आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; विधानसभा का गठन, शक्तियाँ व कार्य भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का उद्देश्य क्या है?Independence Day 2021: भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन भारत के लोगों के हित से संबंधित जन आंदोलन था जो पूरे देश में फैल गया था। देश भर में कई बड़े और छोटे विद्रोह हुए थे और कई क्रांतिकारियों ने ब्रिटिशों को बल से या अहिंसक उपायों से देश से बाहर करने के लिए मिल कर लड़ाई लड़ी और देश भर में राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?भारत राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के कारण (bhartiya rashtriya andolan ke karan). प्रश्चात्य शिक्षा एवं पश्चिम के राजनीतिक आदर्शों से प्रेरणा ... . भारतीय समाचार पत्रों का योगदान ... . आर्थिक असन्तोष ... . शासकीय नौकरियों के संबंध मे पक्षपात ... . क्रांग्रेस का उदय ... . 1857 की उथल-पुथल से सीख ... . इलबर्ट बिल विवाद ... . धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण. राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के क्या कारण थे?1 भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के कारणों में शासकों की प्रतिक्रियावादी नीतियां और नस्लीय अहंकार, मध्यम वर्ग के बुद्धिजीवियों का उदय, भारत के गौरवशाली अतीत की खोज, दुनिया भर में राष्ट्रवादी आंदोलनों का प्रभाव, बुनियादी ढांचे का विकास और आधुनिक प्रेस, अंग्रेजों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण।
राष्ट्रीय आंदोलन के दो लक्ष्य क्या थे?भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन राजनीतिक संगठनों, विचारकों, क्रांतिकारों को मिलाकर किए गए कुछ ऐसे आंदोलन थे जिनका एक ही लक्ष्य था भारत से ईस्ट इंडिया कंपनी को जड़ से उखाड़ फेंकना. स्वतंत्रता प्राप्ति में इन क्षेत्रीय अभियानों, आंदोलनों, प्रयत्नों और कुछ क्रांतिकारी आंदोलनों का खासा महत्व है.
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