दशहरा का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? - dashahara ka tyauhaar kyon manaaya jaata hai?

mythological story of dussehra दशहरे के इस पर्व को विजयादशमी भी कहा जाता है, इसे जश्न का त्यौहार कहते हैं. आज के वक्त में यह बुराई पर अच्छाई की जीत का ही प्रतीक हैं. बुराई किसी भी रूप में हो सकती हैं जैसे क्रोध, असत्य, बैर, ईर्ष्या, दुःख, आलस्य. किसी भी आतंरिक बुराई को खत्म करना भी एक आत्म विजय है. हमें प्रति वर्ष अपने में से इस तरह की बुराई को खत्म कर विजय दशमी के दिन इसका जश्न मनाना चाहिये, जिससे एक दिन हम अपनी सभी इन्द्रियों पर विजयी प्राप्त कर सकें.

रायपुर : दशहरा बुरे आचरण पर अच्छे आचरण की जीत की खुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार हैं. जश्न की मान्यता सबकी अलग-अलग होती हैं. जैसे किसानो के लिए यह नयी फसलों के घर आने का जश्न हैं. पुराने वक़्त में इस दिन औजारों एवम हथियारों की पूजा की जाती थी, क्योंकि वे इसे युद्ध में मिली जीत के जश्न के तौर पर देखते थे. लेकिन इन सबके पीछे एक ही कारण होता हैं बुराई पर अच्छाई की जीत. किसानों के लिए यह मेहनत की जीत के रूप में आई फसलों का जश्न, सैनिकों के लिए युद्ध में दुश्मन पर जीत का जश्न हैं.

दशहरा अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है. यह नवरात्र खत्म होते ही अगले दिन आने वाला त्योहार है. 2022 में 5 अक्टूबर 2022 शुक्रवार के दिन मनाया जा रहा है. इसे विजय पर्व या विजयदशमी के रूप में भी मनाया जाता है. भारत में कुछ जगहों पर इस दिन रावण को जलाया नहीं जाता बल्कि उसकी पूजा भी की जाती है. यह जगह इस प्रकार है – कर्नाटक के कोलार, मध्यप्रदेश के मंदसौर, राजस्थान के जोधपुर, आंध्रप्रदेश के काकीनाडा और हिमाचल के बैजनाथ जगहों पर रावण की पूजा की जाती है.

क्या है दशहरा को लेकर कहानी : दशहरा के दिन के पीछे कई कहानियां हैं, जिनमे सबसे प्रचलित कथा हैं भगवान राम का युद्ध जीतना अर्थात रावण की बुराई का विनाश कर उसके घमंड को (Story of Ram and Ravana in Dussehra) तोड़ना. राम अयोध्या नगरी के राजकुमार थे, उनकी पत्नी का नाम सीता था एवम उनके छोटे भाई थे, जिनका नाम लक्ष्मण था. राजा दशरथ राम के पिता थे. उनकी पत्नी कैकई के कारण इन तीनो को चौदह वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या नगरी छोड़ कर जाना पड़ा. उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया. mythological story of dussehra

रावण चतुर्वेदों का ज्ञाता महाबलशाली राजा था. जिसके पास सोने की लंका थी. लेकिन उसमें अपार अहंकार भी था. वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन मानता था. वास्तव में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे और माता राक्षस कुल की थी. इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान था. वहीं एक राक्षस के जैसी शक्ति. इन्हीं दो बातों का रावण में अहंकार था. जिसे खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने रामावतार लिया था. राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया, जिसमें वानर सेना और हनुमान जी ने राम का साथ दिया. इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान राम का साथ दिया. अन्त में भगवान राम ने रावण समेत उसके पूरे कुल को मारकर उसके घमंड का नाश किया.

आधुनिक दौर में कैसे मनाया जाता है दशहरा :आज के समय में दशहरा इन पौराणिक कथाओं को माध्यम मानकर मनाया जाता हैं. माता के नौ दिन की समाप्ति के बाद दसवें दिन जश्न के तौर पर मनाया जाता हैं. जिसमें कई जगहों पर रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें कलाकार रामायण के पात्र बनते हैं और राम-रावण के इस युद्ध को नाटिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं. dussehra festival in India

दशहरे का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

हिंदू धर्म में दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। इसी कारण हर साल इस दिन को मनाते हैं। पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इस पर्व को मनाया जाता है।

दशहरा कब मनाया जाता है इसका क्या महत्व है?

अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।

दशहरा पर्व का क्या अर्थ है?

दशहरे का शाब्दिक अर्थ है, 10 सिर वाले रावण का दहन। विष्णु अवतार, श्रीराम द्वारा रावण के वध वाले दिन को दशहरे के रूप में मनाते हैं। साथ ही मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध भी विजयदशमी के दिन ही हुआ था। इस दिन घरों में पूजा अर्चना की जाती है।

दशहरा से हम क्या सीखते हैं?

दशहरे का पर्व हमें सीख देख है की बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो लेकिन हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर माता सीता को उसके कब्जे से छुड़ाया था. इसके लिए भगवान राम को काफी संघर्ष करना पड़ा, काफी वक्त भी लगा. यही हमें सीख देता है की हमें हमेशा सच्चाई का साथ देना चाहिए.