Answer: विभिन्न स्तरों पर भौतिकी शिक्षण के सामान्य लक्ष्य या उद्देश्य : भौतिकी शिक्षण के विभिन्न स्तरों पर सामान्य लक्ष्य या उद्देश्य निम्न हैं - Show प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर भौतिकी शिक्षण के उद्देश्य : समय-समय पर विभिन्न आयोगों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर भौतिकी को प्राथमिक (कक्षा 1 से 5 तक) स्तर पर पर्यावरणीय विज्ञान में तथा उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 से 8 तक) स्तर पर सामान्य विज्ञान में एक भाग के रूप में शामिल किया गया है। मुदालियर कमीशन 1953, ऑल इण्डिया सेमीनार ऑफ टीचिंग साइन्स इन सेकेण्डरी स्कूल, 1956 तथा भारतीय शिक्षा आयोग (1964-66) आदि के अनुसार प्राथमिक स्तर पर भौतिकी (विज्ञान) शिक्षण हेतु निम्न उद्देश्य निर्धारित किए गये हैं- (i) छात्रों को अपने पर्यावरण से परिचित कराना। (ii) छात्रों में प्राकृतिक घटनाओं के सूक्ष्म प्रेक्षण, खोज, वर्गीकरण आदि की योग्यता का विकास करना। (iii) छात्रों में व्यवस्थित तथा तर्क संगत रूप से सोचने की आदत का विकास करना। (iv) उन्हें रोमन लिपि के वर्गों तथा संख्याओं का ज्ञान कराना। (v) छात्रों में प्राकृतिक, भौतिक तथा सामाजिक पर्यावरण के अध्ययन के प्रति रुचि विकसित करना। (vi) अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक चिन्हों को पहचानने की योग्यता विकसित करना। (vii) छात्रों में सांख्यिकी तालिकाओं,मानचित्रों तथा चार्ट आदि को पढ़ने और समझने का कौशल विकसित करना। (viii) छात्रों की रचनात्मक शक्तियों को विकसित करना। (ix) छात्रों में स्वच्छ तथा क्रमिक रूप से कार्य करने की आदत विकसित करना। (x) छात्रों में स्वस्थ तथा सुन्दर जीवन जीने की आदतों का विकास करना। उच्च प्राथमिक स्तर पर- उच्च प्राथमिक स्तर पर भौतिकी (विज्ञान) शिक्षण के निम्न उद्देश्य सुझाये गये हैं- (i) छात्रों को वैज्ञानिक तथ्यों का ज्ञान कराना। (ii) आगे आने वाली कक्षाओं के भौतिकी पाठ्यक्रम हेतु आधार तैयार करना। (iii) वैज्ञानिक अभिरुचि विकसित करना। (iv) छात्रों को भौतिकी के महान वैज्ञानिकों तथा उनके आविष्कारों के बारे में अध्ययन करने हेतु प्रेरित करना। (v) छात्रों में तार्किक रूप से सोचने की योग्यता विकसित करना। (vi) दिये गये तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकालने की योग्यता विकसित करना। (vii) छात्रों को भौतिकी के इतिहास से परिचित कराना। (viii) छात्रों में वैज्ञानिक निरीक्षण, बौद्धिक जिज्ञासा तथा तार्किक चिन्तन एवं तकनीकी में रुचि विकसित करना। (ix) छात्रों को अपने दैनिक जीवन में भौतिकी के नियमों सिद्धान्तों आदि के उपयोग का ज्ञान कराना। माध्यमिक स्तर पर - माध्यमिक स्तर तक भौतिक शिक्षण के लक्ष्य या सामान्य उद्देश्य इस तरह हैं- 1. छात्रों में पर्यावरण तथा प्रकृति के प्रति रुचि का विकास करना। 2. भौतिकी में प्रेक्षण, खोजने तथा स्वयं करने की आदतों का विकास करना। 3. छात्रों में कलात्मक तथा आविष्कार करने की प्रवृत्ति का विकास करना। 4. वैज्ञानिक तथ्यों के उपयोग की क्षमता का विकास करना। 5. छात्रों में तथ्यों को समझने की बुद्धि का विकास करना। 6. समस्याओं को वैज्ञानिक तरीकों द्वारा हल करने का विकास करना। 7. भौतिकी के सामाजिक उपयोग समझना। 8. भौतिकी से संबधित शौक तथा खाली समय में इससे संबंधित क्रियाओं को करने का विकास करना। 9. दिल बहलावे हेतु वैज्ञानिक क्रिया-कलापों में रुचि विकसित करना। 10. हमारी जीवन-शैली पर विज्ञान के प्रभाव की जानकारी विकसित करना। 11. वैज्ञानिक एवं उनकी खोजों की कहानियाँ सुनाकर बालकों को भौतिकी की तरफ प्रेरित करना। 12. छात्रों में ज्ञान प्राप्ति, तर्कपूर्ण चिन्तन, निष्कर्ष निकालना तथा निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। उच्च माध्यमिक स्तर - उच्च माध्यमिक स्तर तक भौतिक शिक्षण के लक्ष्य अथवा सामान्य उद्देश्य इस तरह है- 1. छात्रों को भौतिकी के ऐतिहासिक पक्ष से अवगत कराना ताकि वे वैज्ञानिकों तथा भौतिकी की उन्नति के विकास को जान सकें। 2. छात्रों को वैज्ञानिक प्रणाली से परिचित कराना एवं उनमें वैज्ञानिक व्यवहार को अपनाने की क्षमता विकसित करना। 3. छात्रों में मानसिक अनुशासन का विकास करना। 4. स्व-अध्ययन की आदत तथा कौशल का विकास करना। 5. कलात्मक क्रिया-कलापों में भाग लेने की आदत का विकास करना। 6. छात्रों में प्रजातांत्रिक मूल्यों का विकास करना। 7. पर्यावरण को समझाना तथा सामंजस्य स्थापित करने का विकास करना। 8. ऐसे अवसर प्रदान करना जिनसे कि वे वैज्ञानिक विधियों के प्रति प्रेरित हों। 9. छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा अभिवृत्ति का विकास करना। 10. छात्रों में तथ्यों का सामान्यीकरण करने का विकास करना। Que : 15. माध्यमिक विद्यालयों में भौतिक विज्ञान शिक्षण के इन लक्ष्यों का वर्णन कीजिए- (i) व्यक्तिगत विकास का लक्ष्य (ii) अधिगमकर्ता के शैक्षिक एवं कौशल विकास प्रक्रिया का लक्ष्य (iii) विषय संबंधी लक्ष्य (iv) सांस्कृतिक लक्ष्य। Answer: किसी शैक्षिक प्रक्रिया के लिए निर्धारित सामान्य प्रयोजन लक्ष्य कहलाता है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिन बातों का सहारा लेना होता है, उन्हें उद्देश्य कहते हैं। उद्देश्य का क्षेत्र सीमित और लक्ष्य का क्षेत्र व्यापक होता है। प्रत्येक विषय के शिक्षण के अपने लक्ष्य होते हैं जिनकी प्राप्ति के लिए उद्देश्य तैयार किये जाते हैं। एक लक्ष्य के कई उद्देश्य हो सकते हैं। माध्यमिक विद्यालयों में भौतिक विज्ञान शिक्षण के लक्ष्यों को इन चार वर्गों में विवेचित किया जा सकता है- (1) व्यक्तिगत विकास का लक्ष्य- भौतिक विज्ञान के शिक्षण का लक्ष्य छात्रों अधिगमकर्ताओं का व्यक्तिगत विकास करना है। यह विकास उनमें भौतिक विज्ञान के अध्ययन के प्रति रुचि एवं जिज्ञासा, रचनात्मकता और सौंदर्य बोध उत्पन्न करना है। भौतिक विज्ञान शिक्षण से छात्र का दृष्टिकोण वैज्ञानिक हो जाता है। वह परम्परागत रूढ़ि या अन्धविश्वास से मुक्त होकर वैज्ञानिक सोच स्वयं में उत्पन्न करता है। इस प्रकार छात्र के मानसिक विकास का द्वार खुलता है। भौतिक विज्ञान शिक्षण से छात्रों में व्यवहारगत परिवर्तन आता है। उनमें तर्क शक्ति, विश्लेषण क्षमता उत्पन्न होती है। इस प्रकार छात्रों के मानसिक विकास में यह विज्ञान सहायक है। भौतिक विज्ञान के अध्ययन में छात्रों से प्राप्त लाभों को एकत्रित, संगठित और वर्गीकृत करने की क्षमताओं का विकास होता है। छात्रों में पर्यावरण में होने वाला घटनाओं के कार्य-कारण सम्बन्ध की जाँच की योग्यता विकसित होती है। छात्रों में भौतिक मापन क्रिया से कौशलों का विकास होता है। उन्हें भौतिक उपकरणों का सही प्रकार से उपयोग करना आ जाता है और भौतिक प्रयोग के लिए कौशल विकसित होता है। (2) अधिगमकर्ता के शैक्षिक एवं कौशल विकास प्रक्रिया का लक्ष्य- माध्यमिक स्तर पर भौतिक विज्ञान शिक्षण का एक अन्य महत्त्वपूर्ण लक्ष्य अधिगमकर्ता/विद्यार्थियों में शैक्षिक विकास तथा कौशल विकास प्रक्रिया की लक्ष्य पूर्ति है। इस सम्बन्ध में एंडरसन और क्रपवोह ने वर्गीकरण पर व्यापक विचार कर बताया है कि स्मरण करना (स्मृति के प्रासंगिक ज्ञान को पुनः प्रतिष्ठापित करना) के रूप में पहचानना प्रत्यास्मरण करना, समझ कर विवेचना करना, उदाहरण देना, अनुमान लगाना तना अनुप्रयोग करना, विश्लेषित व मूल्यांकित करना आदि का संज्ञान अधिगमकर्ताओं में करने में भौतिक विज्ञान सक्षम है। इस प्रकार शैक्षिक तथा कौशल विकास प्रक्रिया के लक्ष्य अधिगमकर्ता में भौतिक विज्ञान शिक्षण द्वारा पूर्ण होते हैं। (3) विषय संबंधी लक्ष्य- भौतिक विज्ञान शिक्षण के विषय संबंधी लक्ष्य हैं- (i) प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर भौतिक विज्ञान के जो लक्ष्य प्राप्त हुए उन्हें माध्यमिक स्तर में अधिक स्थायी बनाना; (ii) प्रयोग करने की क्षमता का विकास करना; (iii) प्रयोग के अवलोकन से प्राप्त तथ्यों का सही निर्वचन (इंटरप्रिटेशन) करने की क्षमता विकसित करना; (iv) तार्किक निर्णयन शक्ति का विकास करना; (v) घटनाओं के अध्ययन में कार्यकारण संबंध स्थायी करना; (vi) भौतिकी पर आधारित व्यवसायों के लिए विद्यार्थियों को तैयार करना; (vii) उच्चतर माध्यमिक स्तर में भौतिकी के अध्ययन के लिए आधार पुख्ता करना; (viii) विषय संबंधी रुचि का विकास करना; (ix) वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा वैज्ञानिक विधि की सोच की पद्धति छात्रों में विकसित करना। (4) सांस्कृतिक लक्ष्य- भौतिक विज्ञान शिक्षण का सांस्कृतिक लक्ष्य छात्रों में अपने देश की संस्कृति का ज्ञान देना तथा देश की सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखना व उनमें उन्नति करना है। भौतिक विज्ञान शिक्षण को संस्कृति का पोषक या सृजनकर्ता इसलिए कुहा जाता है कि कला, संगीत, रहन-सहन, आचार-विचार पर भौतिकी के सिद्धान्त प्रभावी होते हैं भौतिक विज्ञान लोगों को जीवन के प्रति दृष्टिकोण तथा जीवन-पद्धति से परिचित करता है। इसी है प्रकार भौतिक विज्ञान में होने वाले नए-नए आविष्कारों ने हमारे जीने का ढंग और संस्कृति में भी बदलाव आता है। इस विषय का शिक्षण का लक्षण इस प्रकार छात्रों को अपनी संस्कृति का ज्ञान कराना भी है। भौतिक विज्ञान पढ़ाने के उद्देश्य और उद्देश्य क्या है?(i) छात्रों को अपने पर्यावरण से परिचित कराना। (ii) छात्रों में प्राकृतिक घटनाओं के सूक्ष्म प्रेक्षण, खोज, वर्गीकरण आदि की योग्यता का विकास करना। (iii) छात्रों में व्यवस्थित तथा तर्क संगत रूप से सोचने की आदत का विकास करना। (iv) उन्हें रोमन लिपि के वर्गों तथा संख्याओं का ज्ञान कराना।
भौतिक विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य क्या है?वैज्ञानिक अभिवृत्ति, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, भौतिकी ज्ञान विस्तार तथा सहयोग की भावना का विकास करना। 19. भौतिकी ज्ञान का उपयोग छात्रों में सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों के विकास हेतु करना।
भौतिक विज्ञान के मुख्य उद्देश्य कौन कौन से हैं?इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है।
विज्ञान शिक्षण के लक्ष्य क्या है?विज्ञान शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य यह है कि विद्यार्थियों को यह समझाया जाए कि विज्ञान का संबंध केवल पुस्तक तथा प्रयोगशाला तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसका संबंध दैनिक जीवन में भी है। विज्ञान का शिक्षण तभी सफल हो सकता है जब विज्ञान शिक्षण दैनिक जीवन की क्रियाओं पर आधारित हो।
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