बालक के समाजीकरण में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन सा है? - baalak ke samaajeekaran mein sabase mahatvapoorn kaarak kaun sa hai?

 हेलो दोस्तों,

 स्वागत है आप सभी का हमारे वेबसाइट Rasonet में। आज के पोस्ट में मैं आपको समाजीकरण के बारे में और बालक के समाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारक के बारे में बताऊंगा।

बालक के समाजीकरण में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन सा है? - baalak ke samaajeekaran mein sabase mahatvapoorn kaarak kaun sa hai?

तो इससे पहले हमलोग जान लेते हैं कि समाजीकरण क्या है?

समाजीकरण क्या है?

सामाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने सामाजिक वातावरण के प्रति अपना अनुकूलन करता है और इस सामाजिक वातावरण का वह मान्य, सहयोगी एवं कुशल सदस्य बन जाता है।

व्यक्ति को सामाजिक स्वरूप देने वाली प्रक्रिया ही समाजीकरण है। समाजीकरण सामाजिक अंत:क्रियाओं पर आधारित एक प्रक्रिया है जो कि मनुष्य को समाज की स्वीकृति एवं नैतिक मानवीय स्वरूप प्रदान करती है।

  समाजीकरण के द्वारा ही व्यक्ति अथवा बालक मानव- कल्याण के लिए एक दूसरे पर निर्भर होकर व्यवहार करना सीखता है और ऐसा करने से सामाजिक आत्म- नियंत्रण, सामाजिक उत्तरदायित्व और संतुलित व्यक्तित्व का अनुभव करता है।

 बालक में सामाजीकरण का विकास करने या उसके समाजीकरण में सहायता देने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित है:- 

1. परिवार /Family :- सामाजीकरण करने वाली संस्थाओं में परिवार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि बालक परिवार में ही जन्म लेता है तथा सर्वप्रथम परिवार के सदस्यों के ही संपर्क में आता है।

 कुछ विद्वान तो परिवार को  सामाजीकरण का सबसे अधिक स्थाई साधन मानते हैं।  परिवार समाज की आधारभूत इकाई है। बालक परिवार में जन्म लेता है और यहीं पर उसका विकास प्रारंभ होता है। वह माता-पिता, भाई-बहन, चाचा - चाची, आदि के संपर्क में आता है।

 यह सभी संबंधी बालकों को परिवार के आदर्शों को प्रदान कर देते हैं। इस प्रकार बालक पारिवारिक प्रभाव को जान लेता है। 

समाजीकरण का यह प्रारंभिक प्रयास होता है। बालक परिवार में रहकर सहयोग, त्याग तथा सामाजिक गुणों को सीखने का प्रयास करता है।

 2. आस-पड़ोस / Neighbourhood :- परिवार के समान आस - पड़स भी बालक के समाजीकरण पर गहरा प्रभाव डालता है। इसी कारण अच्छे लोग एक किराए के लिए मकान लेते समय इस बात पर काफी ध्यान रखते हैं कि पड़ोस कैसा है? आस-पड़ोस के बालको अथवा बड़ों की संगति में बालक बिगड़ भी सकता  है और सुधर भी सकता है।

 आस पड़ोस के लोग बालको को स्नेह एवं प्यार में कई नई बातों का ज्ञान करा देते हैं और उसकी प्रशंसा एवं निंदा द्वारा उसे समाज के समस्त व्यवहार करने को प्रेरित करते हैं। 

3. जाति / Caste :- समाजीकरण का एक प्रमुख साधन जाति भी है। प्रत्येक जाति के अपने रीति - रिवाज, आदर्श परंपराएं एवं सांस्कृतिक उपलब्धियां होती है तथा बालक अपनी जाति के बारे में खुद ही सीख जाता है। 

 यही कारण है कि प्रत्येक जाति के बालक का सामाजीकरण भिन्न है। 

उदाहरण के लिए क्षेत्रीय बालक के समाजीकरण का रूप वैश्य बालक के समाजीकरण से भिन्न होगा।

3. धर्म / Religion :- समाजीकरण में धर्म का गहरा प्रभाव होता है।  ईश्वर के भय के कारण वह नैतिकता तथा अन्य गुणों को आत्मसात कर लेता है।

 उसमें पवित्रता, न्याय, शांति, कर्तव्य, दया, ईमानदारी आदि गुणों का विकास करने में धर्म प्रमुख भूमिका निभाता है।

 धर्म ग्रंथ, उपदेशक एवं साधु-सतों का प्रभाव भी उसके आचरण पर पड़ता है। पाप - पुण्य तथा स्वर्ग एवं नर्क की धारणा भी उसे सामाजिक प्रतिमानो के अनुरूप आचरण करने पर बल देती है।

5.  समुदाय या समाज / community or society :- बालक के समाजीकरण में समुदाय या समाज भी विभिन्न  प्रकार से प्रभावित करती है।

 सामाज निम्नलिखित प्रकार से बालक के समाजीकरण को प्रभावित करता है:- 

1. कला, संस्कृति, इतिहास और साहित्य।

2. धार्मिक कट्टरता या उदारता।

3. जातीय और राष्ट्रीय प्रथाएं तथा परंपराएं।

4. समाज का आर्थिक और राजनीतिक संगठन।

5.  जातीय पूर्वधारणाएं।

6. वर्ग और वर्ण ।

7. सामाजिक प्रथाएं और परंपराएं।

8.  शिक्षा के साधन और सुविधाएं 

9. मनोरंजन के साधन और सुविधाएं तथा सामाजिक सुविधाएं।

6. विद्यालय / School :- समाजीकरण करने में विद्यालय बहुत महत्वपूर्ण कारक है। शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। विद्यालय इस प्रक्रिया का औपचारिक अभिकरण है।

 अत: विद्यालय इस स्थिति में होता है कि वह बालकों को सामाजिक संस्कृति से परिचय कराएं और सामाजिक प्रथाओं का मूल्यांकन करके नए समाज की प्रेरणा दें।  

 विद्यालय भी एक प्रकार का समाज ही है। यहां पर छात्रों के बीच में, छात्रों एवं अध्यापकों के बीच में, अध्यापकों के बीच में,  छात्रों एवं प्रधानाचार्य के मध्य तथा शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य के मध्य सामाजिक प्रक्रिया होती रहती है। 

बालक का सामाजीकरण करने में विद्यालय में निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना :-

√ विद्यालय में सामूहिक कार्यों की व्यवस्था करना, नाटक, वाद- विवाद, शिक्षण आदि का आयोजन करना।

√ दंड एवं पुरस्कार के रूप में सामाजिक सम्मान एवं तिरस्कार की स्वस्थ भावना उत्पन्न करना।

√ छात्रों को उनकी योग्यताओं के अनुरूप महत्वकांक्षी बनाना जिससे वे अच्छे पिता, अच्छे व्यवसाय या अच्छे अधिकारी बनने का प्रयत्न करें।

√ सामाजिक कौशलों एवं सामाजिक अनुभवों की शिक्षा प्रदान करना

√ सामाजिक अनुशासन की भावना पैदा करना।

7. खेल समूह / Peer group :- सामाजीकरण की दृष्टि से बालक के लिए मित्रों का समूह अथवा 'खेल- समूह' एक महत्वपूर्ण प्राथमिक समूह है। खेल - समूह में बालक खेलों के नियम का पालन करना सीखता है, वह दूसरे के नियंत्रण में रहना, अनुशासन का पालन करना भी सीखता है।

 उसमें नेतृत्व के गुणों का विकास होता है तथा लोगों पर नियंत्रण करना तथा उन्हें अनुशासन में रखना सीख जाता है।

 खेल खेल में हार-जीत में परिस्थितियों से अनुकूलन करना भी सीखता है। इसके साथ ही खेल में पारस्परिक सहयोग, प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष की भावना भी ग्रहण करता है।

10. बाल- गोष्ठियाँ :- बालक अपने साथियों के साथ रहना एवं खेलना पसंद करते हैं। वे अपना एक समूह बना लेते हैं। यह समूह कभी-कभी गुप्त रूप से कार्य करता है। 

इन बालक समूह के नियम अलिखित किंतु दृढ़ होते हैं। जब कभी उनका कोइ नया सदस्य बनना है तो अन्य पुराने सदस्य उस नए सदस्य को अपने साथियों की बातों से परिचित करा देते हैं जिनका प्रयोग करके आने बालकों का उपहास करते हैं।

 इन गोष्ठियों में बालक सहयोग, स्व अभिव्यक्ति,  नियम- पालन आदि गुणों को सीखता है. इस प्रकार बाल- गोष्ठियां बालक का सामाजीकरण करने में बड़ी सहायता करती है। 

सामूहिक कार्यों को प्रोत्साहन देना चाहिए।

विद्यालय में स्वस्थ परंपराओं का विकास करना चाहिए जिससे सामाजिक परंपरा से प्रेरित होकर छात्र अनुशासित जीवन बिताएं।

छात्रों में स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना उत्पन्न करनी चाहिए।

  अंतर सामूहिक शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे एक समूह के छात्र की संस्कृति का आदर कर सके।

विद्यालय को सामुदायिक केंद्र के रूप में परिवर्तित करना चाहिए जिससे स्थानीय समुदाय मान्यताओं का छात्र दर्शन कर सकें।

 √ छात्रों में यह भावना उत्पन्न करना कि माता-पिता एवं परिवार के विरूद्ध यदि कहीं उन्हें त्रुटि भी दिखाई पड़े तो उनमें संशोधन करके उसे स्वीकार करें।

जब अध्यापक के आदर्श से छात्र के माता-पिता के आदर्श मेल नहीं खाते तो कभी-कभी छात्र अपने अध्यापक के विरुद्ध हो जाता है। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने का अवसर ही नहीं देना चाहिए।

√  अध्यापकों को सामाजिक आचरण स्थिर करना चाहिए। उसे भी उसी के अनुसार चलना चाहिए ताकि छात्र कक्षा में या के बाहर अध्यापक के आचरण का अनुकरण कर सकें।

 इस प्रकार हम देखते हैं कि बालक के समाजीकरण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। कभी-कभी शिक्षक खेल में स्वयं रुचि नहीं लेते और खेल के महत्व पर व्याख्यान देते हैं, कभी-कभी वे सारे संस्कृतिक कार्यों में रुचि नहीं लेते और छात्रों को उपदेश देते हैं।

 छात्रों पर इन सब का बुरा प्रभाव पड़ता है। छात्रों उपदेश के अनुसार नहीं बल्कि अध्यापक के कार्यों का नकल करके सीखते हैं।

 बालक के समाजीकरण में बाधक तत्व

 बालक के समाजीकरण में बाधा पहुंचाने वाले निम्नलिखित कारकों का उल्लेख किया गया है:-

 √ बाल्यकालीन परिस्थितियां :- जैसे मां-बाप से प्यार न मिलना, मां-बाप में परस्पर लड़ाई -झगड़ा, विधवा मां, पक्षपातपूर्ण व्यवहार, अनुचित दंड और सुरक्षा आदि।

√ सांस्कृतिक परिस्थितियां:-  जैसे - धर्म, जाति, वर्ग आदि से संबंधित पूर्वाग्रह एवं पूर्वधारणाएं आदि। 

√ तात्कालिक परिस्थितियां :- जैसे - निराशा, कठोरता, अन्याय, अपमान, ईर्ष्या आदि।

√ अन्य परिस्थितियां :- जैसे आत्म - विश्वास एवं आत्मनिर्भरता का अभाव, बेकार, असफलताएं, शिक्षा का अभाव, शारीरिक हीनता तथा शारीरिक दोष आदि।

तो दोस्तों, आज की पोस्ट में मैंने आपको समाजीकरण के बारे में बताया और समाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारक के बारे में बताया। आपको यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपके मन में इस पोस्ट से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो बेझिझक पूछ सकते हैं।

 हमारा यह पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद🙏।

बच्चे के समाजीकरण में मुख्य महत्वपूर्ण कारक क्या है?

परिवार: परिवार को आमतौर पर समाजीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। शिशुओं के रूप में, हम जीवित रहने के लिए पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हैं। हमारे माता-पिता, या जो माता-पिता की भूमिका निभाते हैं, वे हमें कार्य करने और खुद की देखभाल करने के लिए जिम्मेदार हैं।

समाजीकरण में सबसे महत्वपूर्ण कारक क्या है?

1. परिवार /Family :- सामाजीकरण करने वाली संस्थाओं में परिवार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि बालक परिवार में ही जन्म लेता है तथा सर्वप्रथम परिवार के सदस्यों के ही संपर्क में आता है। कुछ विद्वान तो परिवार को सामाजीकरण का सबसे अधिक स्थाई साधन मानते हैं। परिवार समाज की आधारभूत इकाई है।

समाजीकरण के कारक कौन कौन से हैं?

समाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारक.
स्वयं केंद्रित बालक.
माता पिता पर आश्रित बालक.
सामाजिक खेल का विकास.
स्पर्धा की भावना.
मैत्री और सहयोग.
सामाजिक स्वीकृति.

बालक के सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:.
वंशानुक्रम वंशानुक्रम बालक की अनेक योग्यताएं निर्धारित करता है। ... .
शारीरिक विकास ... .
संवेगात्मक विकास ... .
परिवार ... .
माता-पिता का दृष्टिकोण ... .
माता-पिता की आर्थिक स्थिति ... .
विद्यालय का वातावरण ... .
शिक्षक का मानसिक स्वास्थ्य.