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➤'छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम', का प्रारूप 1903 तक तैयार हो गया था। ➤जिसमें संशोधन एवं परिवर्तन करते हुए 11 नवंबर 1908 को छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 लागू कर दिया गया। ➤इस अधिनियम को भारतीय परिषद अधिनियम, 1892 की धारा-5 के अधीन गवर्नर जनरल की मंजूरी से अधिनियमित किया गया। ➤इस अधिनियम का ब्लू प्रिंट जॉन एच हॉफमैन ने तैयार किया था। ➤इस अधिनियम में कुल 19 अध्याय और 271 धाराएं हैं।➤अध्यायों का संक्षिप्त विवरण :-💥अध्याय-1 में (धारा -1 से धारा-3 तक)➤धारा -1 संक्षिप्त नाम तथा प्रसार:-इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम 'छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम', 1908 है। ➤जिसमें वे क्षेत्र या उन क्षेत्रों के भाग भी शामिल होंगे, जिनमें उड़ीसा, बिहार नगर पालिका अधिनियम, 1922 के अधीन कोई नगरपालिका या अधिसूचित क्षेत्र समिति गठित हो या किसी छावनी के भीतर पड़ते हो। ➤धारा -2 निरसन:- अनुसूची 'क' में निर्दिष्ट अधिनियमों और अधिसूचना को छोटानागपुर प्रमंडल में निरसित किया जाता है। ➤अनुसूचित 'ख' में निर्दिष्ट अधिनियमों को धनबाद जिले में तथा सिंहभूम में पटमदा, ईचागढ़ , और चांडिल थानाओ में निरसित किया जाता है। ➤धारा -3 परिभाषाएं :- ➤कृषि वर्ष :- वह वर्ष जो किसी स्थानीय क्षेत्र में कृषि कार्य हेतु प्रचलित हो।➤भुगुतबन्ध बंधक :-किसी काश्तकार के हित का उसके काश्तकारी से -उधार स्वरूप दिए गए धन के भुगतान को बंधक रखने हेतु इस शर्त पर अंतरण, कि उस पर के ब्याजों के साथ उधार- बंधक की कालावधि के दौरान कश्तकारी से होने वाले लाभों से वंचित समझा जाएगा। ➤जोत :- रैयत द्वारा धारित एक या अनेक भूखंड। ➤कोड़कर/ कोरकर:- ऐसी बंजर भूमि या जंगली भूमि जिसे भूस्वामी के अतिरिक्त किसी कृषक द्वारा बनाई गयी हो। ➤भूस्वामी :- वह व्यक्ति जिसने किसी काश्तकार को अपनी जमीन दिया हो। ➤काश्तकार:- वह व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति के अधीन भूमि धारण करता हो तथा उसका लगान चुकाने का दायी हो। ➤काश्तकार के अंतर्गत भूधारक, रैयत तथा खुंटकट्टीदार तीनों को शामिल किया गया है। ➤लगान :- रैयत द्वारा धारित भूमि के उपयोग या अधिभोग के बदले अपने स्वामी को दिया जाने वाला धन या वस्तु। ➤जंगल संपत्ति :- के अंतर्गत खड़ी फसल भी आती है। ➤मुंडारी-खुंटकट्टीदारी कश्तकारी से अभिप्रेत है, मुंडारी-खुंटकट्टीदार का हित। ➤भूघृति (TENURES):-भूधारक का हित। इसके अंतर्गत मुंडारी-खुंटकट्टीदारी कश्तकारी नहीं आती है। ➤स्थायी भूघृति :- वंशगत भूघृति। ➤पुनग्रार्हय भूघृति :- वैसे भूघृति जो परिवार के नर वारिस नहीं होने पर, रैयत के निधन के बाद पुनः भूस्वामी को वापस हो जाए। ➤ग्राम मुखिया :- किसी ग्राम या ग्राम समूह का मुखिया। चाहे इसे मानकी, प्रधान, माँझी या अन्य किसी भी नाम से जाना जाता हो। ➤स्थायी बंदोबस्त (परमानेंट सेटेलमेंट):- 1793 इसमें बंगाल, बिहार और उड़ीसा के संबंध में किया गया स्थायी बंदोबस्त। ➤डिक्री (DECREE) :- सिविल न्यायालय का आदेश। 💥अध्याय-2 में कश्तकारों के वर्ग (धारा- 4 से धारा- 8 तक)➤धारा - 4 कश्तकारों के वर्ग ➤कश्तकार के अंतर्गत भूधारक (TENURE HOLDERS), रैयत (RAIYAT), दर रैयत तथा मुंडारी खुंटकट्टीदार को शामिल किया गया है। ➤अधिभोगी रैयत (OCCUPANCY RAIYAT) :- वह व्यक्ति जिसे धारित भूमि पर अधिभोग का अधिकार प्राप्त हो। ➤अनधिभोगी रैयत (NON-OCCUPANCY RAIYAT) :-वह व्यक्ति जिसे धारित भूमि पर अधिभोग का अधिकार प्राप्त ना हो। ➤खुंटकट्टी अधिकार प्राप्त रैयत OCCUPANCY RAIYAT) ➤धारा - 5 भूधारक :- ऐसे व्यक्ति से है जो अपनी या दूसरे की जमीन खेती कार्य के लिए धारण किए हुए हैं एवं उसका लगान चुकाता हो। ➤धारा -6 रैयत :- रैयत के अंतर्गत वैसे व्यक्ति शामिल है, जिन्हें खेती करने के लिए भूमि धारण करने का अधिकार प्राप्त हो। ➤धारा -7 खुंटकट्टी अधिकारयुक्त रैयत :- वैसे रैयत जो वैसे भूमि पर अधिभोग का अधिकार रखते हों, जिसे उसके मूल प्रवर्तकों या उसकी नर परंपरा के वंशजों द्वारा जंगल में कृषि योग्य भूमि बनाई गई है, उसे खुंटकट्टी अधिकारयुक्त रैयत कहा जाता है। ➤धारा -8 मुंडारी-खुंटकट्टीदार :-वह मुंडारी जो जंगल भूमि के भागो को जोत में लाने के लिए भूमि का धारण करने का अधिकार अर्जित किया हो, उसे मुंडारी-खुंटकट्टीदार कहा जाता है। Next page: छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 Part- 2 Share: छोटानागपुर काश्तकारी कानून कब लागू किया गया?छोटा नागपुर काश्तकारी-सीएनटी अधिनियम, 1908, एक भूमि अधिकार कानून है जो अंग्रेजों द्वारा स्थापित झारखंड की आदिवासी आबादी के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था। सीएनटी अधिनियम की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह सामुदायिक स्वामित्व सुनिश्चित करने के लिए गैर-आदिवासियों को भूमि के हस्तांतरण पर रोक लगाता है।
झारखंड में सीएनटी कब लगा?छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की 114 वीं वर्षगांठ 11 नवंबर को मनाई जाएगी। वर्ष 2008 में सीएनटी एक्ट के लागू हुए सौ वर्ष होने के उपलक्ष्य में... खूंटी, संवाददाता।
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम कब पारित किया गया था?सही उत्तर 1876 है। अंग्रेजों ने 1876 में संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम पारित किया जिसने आदिवासियों को शोषण के खिलाफ कुछ सुरक्षा प्रदान की। संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, 1876 बंगाल के साथ झारखंड की सीमा के साथ संथाल परगना क्षेत्र में गैर-आदिवासियों को आदिवासी भूमि की बिक्री पर रोक लगाता है।
सीएनटी एक्ट में कौन कौन से जाति आते हैं?कहार जाति झारखंड में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा -46 ( बी) के अंतर्गत अनुसूचित है। सीएनटी की सूचीबद्ध जाति में शामिल है। ऐसी स्थिति में कहार जाति के सदस्यों की जमीन की खरीद-बिक्री के पूर्व सक्षम प्राधिकार की पूर्वानुमति आवश्यक है।
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