गले में टीबी की गांठ कैसे होती है? - gale mein teebee kee gaanth kaise hotee hai?

Tuberculosis लिम्फ नोड टीबी में मरीज के गले पेट या फेफड़ों प्रभावित होते हैं। इसके लक्षण सामान्य तौर पर होने वाली फेफड़ों की टीबी से अलग है जिससे बीमारी का आसानी से पता नहीं चलता। गले में गांठ होने पर मरीज को दर्द और सूजन की शिकायत रहती हैं।

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। ट्यूबरक्युलोसिस यानि टीबी एक खतरनाक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया से होती है। भारत समेत पूरे विश्व के लिए यह बीमारी एक चिंता का विषय बन चुका है जो न सिर्फ व्यस्कों बल्कि बच्चों को भी तेजी से अपना शिकार बना रहा है। लंग्स यानि फेफड़ों की टीबी मराजों में सामान्य रूप से होने वाली बीमारी है। मगर इसके अलावा भी टीबी के कई प्रकार हैं जिससे लोग प्रभावित हो रहे हैं। इनमें लिम्फ नोड्स भी एक है।

टीबी के मुख्य प्रकार

विज्ञान की भाषा में टीबी के दो प्रकार है। इन्हें पल्मोनरी टीबी और एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता है।

पल्मोनरी टीबी

पल्मोनरी टीबी में ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) के बैक्टीरिया फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। टीबी के 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में फेंफड़ों में संक्रमण होता है।

एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी

जब टीबी के बैक्टीरिया फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे अंग जैसे ब्रेन, लिवर, पेट, गले आदि को प्रभावित करते हैं तो इन्हें एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता है।

एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी का एक रूप लिम्फ नोड (Lymph Node Tuberculosis) कहलाता है। लसिका प्रणाली या गर्दन की गंडमाला में होने वाली टीबी लिम्फ नोड टीबी कहलाती है। ऐसे मामलों में मरीज के गर्दन, पेट या फेफड़ों में गांठ निकल आते हैं।

टीबी के सामान्य लक्षण

इस बारे में श्वसन चिकित्सा/Pulmonology विशेषज्ञ डॉ राहुल शर्मा बताते हैं कि फेफड़ों की टीबी (TB Symptoms) में खांसी, बुखार, बलगम से खून आना, वजन में अचानक कमी होना सामान्य लक्षण है। बीमारी के दूसरे प्रकार में लिम्फ नोड टीबी आती हैं जिनमें मरीज के पेट, गले या फेफड़े में गांठ पड़ जाती है। लिम्फ नोड टीबी में बुखार, वजन कम होना और भूख कम लगना जैसे के लक्षण नजर आते हैं। इसमें सामान्य तौर पर खांसी या बलगम की शिकायत नहीं होती है, जिससे टीबी का आसानी से पता नहीं चलता।

टीबी से बचाव के लिए सतर्कता जरूरी

डॉ राहुल के अनुसार, फेफड़े या लिम्फ नोड टीबी का इलाज आमतौर पर एक जैसा ही है। इनमें मरीज को 6 या 12 महीने का ट्रीटमेंट दिया जाता है। जो मरीज ट्रीटमेंट अधूरा छोड़ देते हैं या रोक कर ट्रीटमेंट लेते हैं इनमें दोबारा टीबी होने का खतरा बना रहता है। खानपान में विशेष ध्यान देना टीबी के ट्रीटमेंट का अहम हिस्सा है।

लिम्फ नोड टीबी मामले में कई बार गांठ के आकार बड़े होकर फट जाते है। लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस में बायोप्सी से ही सटीक जांच की जा सकती है। कुछ मामलों में उपचार के लिए सर्जरी की सहायता लेनी पड़ती है।

भारत में टीबी एक एंडेमिक (कभी न खत्म होने वाली) बीमारी है, जो हवा के जरिए लोगों को संक्रमित कर सकती है। ऐसे में डॉ राहुल कहते हैं टीबी के मरीज या इससे ठीक हो चुके मरीजों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्हें अपनी इम्यूनीटी का खास ख्याल रखना चाहिए। अगर टीबी से जुड़े कोई भी लक्षण नजर आए तो डॉक्टर की परामर्श लेना जरूरी है।

Edited By: Aditi Choudhary

गले में टीबी की गांठ कैसे होती है? - gale mein teebee kee gaanth kaise hotee hai?

गले में टीबी की गांठ कैसे होती है? - gale mein teebee kee gaanth kaise hotee hai?

टीबी की गांठ के लक्षण क्या है? अगर आपके मन में भी यह सवाल है, तो आज आप इस लेख में इसके बारे में जानेंगे। टीबी की गांठ को मेडिकल भाषा में लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस कहते हैं। यह एक तरह का एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस (extra pulmonary tuberculosis) है।  एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस की तरह यह भी माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया (Mycobacterium tuberculosis) के कारण होता है। नोएडा के सुमित्रा हॉस्पिटल के डॉक्टर अंकित गुप्ता बताते हैं कि ट्यूबरक्लोसिस दो स्टेज में होता है। प्राइमरी और सेंडरी स्टेज ट्यूबरक्लोसिस। 

गले में टीबी की गांठ कैसे होती है? - gale mein teebee kee gaanth kaise hotee hai?

ट्यूबरक्लोसिस के पहले स्टेज में यह लंग को प्रभावित करता है। दूसरे स्टेज में धीरे-धीरे यह शरीर के अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करने लग जाता है, जिसकी वजह से टीबी की गांठे (Lymph Node tuberculosis) बनने लगती हैं। आइए जानते हैं इसके लक्षण और कारणों के बारे में-

टीबी की गांठ के लक्षण (Lymph Node tuberculosis Symptoms )

लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस ( टीबी की गांठ के लक्षण ) का लक्षण सामान्य टीबी या पल्मोनरी टीबी के समान ही दिखते हैं। हालांकि, यह जरूरी इसमें आपको टीबी के लक्षण दिखे ही, कुछ लोगों में इसके सामान्य लक्षण दिखते हैं। आइए जानते हैं कुछ लक्षणों के बारे में-

  • दो सप्ताह से लगातार खांसी होना।
  • भूख न लगना
  • रात में पसीना आना
  • बलगम से खून आना
  • हल्का बुखार रहना इत्यादि। 

डॉक्टर का कहना है कि हालांकि, जरूरी नहीं है कि यह लक्षण दिखे ही। यह समस्या संक्रमित व्यक्ति से अन्य व्यक्ति में फैलने की संभावना काफी कम है। इसके लक्षण सामान्य होने के कारण लोग लंबे समय तक अपना इलाज नहीं करवाते हैं। लोगों का मानना होता है कि टीबी में लंबे समय तक खांसी होती है और खून के साथ खांसी होती है। लेकिन इसमें ऐसा जरूरी नहीं है। 

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टीबी की गांठ के लक्षण  (Lymph Node tuberculosis Causes )

टीबी की गांठ लिम्फैडेनाइटिस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस या एम बोविस जैसे ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया द्वारा संक्रमण के कारण होता है। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति को बार-बार गांठ होती है। हालांकि, इसके अन्य लक्षण इतनी जल्दी नजर नहीं आते हैं। 

टीबी की गांठ का निदान (Lymph Node tuberculosis Diagnosis)

फेफड़ों की टीबी की तरह लिफ्ट नोड टीबी का जांच करना आसान नहीं होता है। लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस की आशंका महसूस होने पर अधिकतर डॉक्टर बायोप्सी करना की सलाह देते हैं। दरअसल, इसकी जांच एक्सरे, सीटी स्कैन, सीबीसी इत्यादि से कराना काफी मुश्किल होता है। 

गले में टीबी की गांठ कैसे होती है? - gale mein teebee kee gaanth kaise hotee hai?

लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस में बायोप्सी से ही सटीक जांच की जा सकती है। बायोप्सी के लिए टीबी की गांठ से एक थोड़ा सा टिश्यू लिया जाता है। जिसके बाद इसकी जेनेक्सपर्ट और कल्चर टेस्ट होता है। लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस की पुष्टि होने पर इसका इलाज शुरू किया जाता है। 

लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस का इलाज ( Lymph Node tuberculosis Symptoms )

लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस का इलाज सामान्य टीबी की तरह ही किया जाता है। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति का इलाज करीब 6 से 8 महीनों तक चलता है। भारत के लभग सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में इसका इलाज नि:शुल्क रूप से किया जाता है। 

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ध्यान रखें लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस से ग्रसित होने पर आपको अधिक लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे में अगर शरीर में गांठे या फिर हल्के-फुल्के लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह करें। वहीं, बिना डॉक्टर सलाह के किसी भी तरह की दवा ने लें। इससे समस्या गंभीर हो सकती है।

गांठ वाली टीबी कैसे होती है?

बीमारी के दूसरे प्रकार में लिम्फ नोड टीबी आती हैं जिनमें मरीज के पेट, गले या फेफड़े में गांठ पड़ जाती है। लिम्फ नोड टीबी में बुखार, वजन कम होना और भूख कम लगना जैसे के लक्षण नजर आते हैं। इसमें सामान्य तौर पर खांसी या बलगम की शिकायत नहीं होती है, जिससे टीबी का आसानी से पता नहीं चलता।

गले की टीबी के लक्षण क्या है?

गले या पैर में गिल्टी, वजन में कमी, खांसी आना, बुखार, अधिक पसीना आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, कमजोरी, थकान, ठंड लगना, खाने में अरुचि आदि गिल्टी टीबी के लक्षण हैं।

गले की टीबी क्या होती है?

ट्यूबरक्लोसिस के कारण (Tuberculosis Causes in Hindi) जब टीबी का बैक्टीरिया सांस के माध्यम से फेफड़ों तक जाता है तो वह कई गुना बढ़ जाता है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे बढ़ने से रोकती है, लेकिन जैसे-जैसे यह क्षमता कमजोर होती है, टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है।

टीबी की गांठ में क्या खाना चाहिए?

ऐसे लोगों को ब्रोकली, गाजर, टमाटर, शकरकंद जैसी सब्जियां खूब खानी चाहिए. इन सब्जियों में एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर होते हैं. फल- टीबी के संक्रमित व्यक्ति को फलों में अमरूद, सेब, संतरा, नींबू, आंवला, आम जैसे फल खाने चाहिए. इन फलों में विटामिन A, E और विटामिन C से काफी होता है.