गलन और गलनांक में क्या अंतर है? - galan aur galanaank mein kya antar hai?

प्रिय पाठक (Friends & Students)! allhindi.co.in में आपका स्वागत है। उम्मीद करता हूँ आप सब लोग अच्छे होंगे। आज की इस नए लेख में आप गलन किसे कहते हैं ? इसके बारे में जानेंगे। इसके अलावा आप गलन की परिभाषा के बारे में हम बारीकी से समझेंगे। तो चलिए आज की इस लेख की शुरुआत करते है। और जानते है की गलन किसे कहते हैं?

इस लेख के मुख्य शीर्षक

1 गलन किसे कहते हैं ?

2 गलनांक किसे कहते हैं

3 इस लेख के बारे में:

गलन किसे कहते हैं ?

किसी ठोस को ऊष्मा देते रहने पर एक ऐसी स्थिति आती हैं, जब ऊष्मा में वृद्धि करने पर भी तापमान अपरिवर्तित रहता है तथा ठोस द्रव अवस्था में परिवर्तित होने लगता है तो ठोस के द्रव में परिवर्तित होने की क्रिया गलन कहलाती है।

गलन और गलनांक में क्या अंतर है? - galan aur galanaank mein kya antar hai?
गलन किसे कहते है

इसे अगर सामान्य भाषा में समझे तो जब कोई भी ठोस को हम लगातार गर्म करते है तो कुछ निश्चित समय और तामपान से वह ठोस वस्तु पिघलने लगती है। इस पूरी प्रक्रिया को ही हम गलन कहते है। आइये इसे कुछ उदाहरण से समझते है।

जैसे आपने youtube पर बहुत सारे ऐसे विडियो को देखा होगा जिसमे वह व्यक्ति चांदी, सोना, जैसे कि ठोस पदार्थ को वह गर्म करते है, कुछ देर बाद आप देखते है कि वह ठोस पदार्थ पूरी तरह पिघल जाता है। । इस पूरे प्रक्रिया को रसायन की भाषा में गलन कहते हैं। और सामान्य भाषा में पिघलना कहते हैं।

गलनांक किसे कहते हैं

वह न्यूनतम ताप, जिस पर कोई ठोस, वायुमण्डलीय दाब पर द्रव में परिवर्तित हो जाता है, उस ठोस का गलनांक कहलाता है| प्रत्येक क्रिस्टलीय ठोस (Crystalline solid) के लिए इसका मान निश्चित होता है।

अणुगतिज सिद्धान्त के आधार पर गलन की व्याख्या: ठोस को गर्म करने पर, अर्थात् उसका ताप बढ़ाने पर उसके कणों की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है और कणों के मध्य को दूरी बढ़ने लगती है, जिससे उनके मध्य अन्तराकणीय आकर्षण बल कम होने लगता है। गर्म करते रहने पर एक ऐसी स्थिति आती है, जब ठोस के कण स्वतन्त्रतापूर्वक गति करने लगते हैं तथा क्रिस्टल जालक टूट जाता है और ठोस द्रव में परिवर्तित होने लगता है, यह क्रिया गलन कहलाती है। वह ताप जिस पर गलन क्रिया सम्पन्न होती है, गलनांक कहलाता है।

गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Melting) गलनांक पर ठोस को पुनः गर्म करने पर ताप में वृद्धि नहीं होती है, क्योंकि दी गई ऊष्मा ठोस को पिघलाने में अर्थात् अन्तराकणीय आकर्षण बलों को क्षीण करने में व्यय होती है। जब सम्पूर्ण ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, तो ताप पुनः बढ़ने लगता है। किसी ठोस के 1 ग्राम को उसके गलनांक पर द्रव में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा उस ठोस की गलन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है।

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इस लेख के बारे में:

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(melting point in hindi) गलनांक , गलन या पिघलना क्या है , उदाहरण , परिभाषा : स्थिर ताप पर पदार्थ का ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में बदलने की प्रक्रिया को गलन या पिघलना कहते है।
जैसा कि हम सब जानते है कि किसी भी ठोस में इसके कण , अणु या परमाणु एक निश्चित क्रम में पास पास व्यवस्थित रहते है , जब इन्हें गर्म किया जाता है तो इसके कणों में गतिज ऊर्जा का मान बढ़ने से ये तेजी से कम्पन्न करने लगते है , अगर ठोस को लगातार गर्म किया जाए तो इन कणों के कम्पन्न का आयाम इतना अधिक बढ़ जाता है कि ये कण अपनी स्थिति छोड़कर , ठोस पदार्थ की परिधि में स्वतंत्र गति करने लग जाते है , इस स्थिति को ही गलन या पिघलना कहते है , क्योंकि इस स्थिति में ठोस पदार्थ द्रव पदार्थ में बदलने लगता है और पदार्थ का ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में बदलना ही गलन या पिघलना कहलाता है।

गलन और गलनांक में क्या अंतर है? - galan aur galanaank mein kya antar hai?

गलनांक : जिस निश्चित ताप पर कोई ठोस पदार्थ , द्रव अवस्था में परिवर्तित होने लगता है , उस ताप को गलनांक कहते है।
यहाँ हमने एक चित्र दिखाया है कि एक कप में बर्फ लेते है और जब इसे गर्म किया जाता है तो बर्फ धीरे धीरे पानी में बदल जाती है , अर्थात पदार्थ पहले ठोस अवस्था में था (बर्फ) , जब इसे गर्म किया गया तो यह धीरे धीरे पानी अर्थात द्रव में परिवर्तित होने लग गया , इसी प्रक्रिया को तो गलन या पिघलना कहते है।
ठोस में बहने का गुण कम पाया जाता है अर्थात ठोस अवस्था में पदार्थ बहता नहीं है लेकिन जब किसी ठोस को ताप दिया जाता है तो यह इसे धीरे धीरे बहने का गुण आ जाता है और जब ठोस पूर्ण रूप से द्रव या तरल में बदल जाता है तो इसमें यह बहने का गुण भी बहुत अधिक बढ़ जाता है अत: हम कह सकते है कि ताप बढ़ाने से ठोसो में बहने का गुण बढ़ता है।
जब पदार्थ शुद्ध रूप में होता है तो यह एक निश्चित ताप के बाद पिघलना शुरू होता है और इस निश्चित ताप जिसके बाद ठोस पदार्थ पिघलना शुरू होता है इसे गलनांक कहते है।
यदि पदार्थ अशुद्ध अवस्था में है तो इसका गलनांक निश्चित तो नहीं होता है लेकिन एक रेंग निश्चित कर दी जाती है जिसमे यह ठोस अवस्था से द्रव अवस्था परिवर्तन होती है।

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