निर्धनता के प्रमुख लक्षण क्या है? - nirdhanata ke pramukh lakshan kya hai?

Economy

  • May 22, 2020
  • 0 Comments
  • Less than a minute
  • 839 Views
  • 2 years ago

निर्धनता के प्रमुख लक्षण क्या है? - nirdhanata ke pramukh lakshan kya hai?

  • निर्धनता (Poverty)
      • 1 अल्प विकास
      • 2 आर्थिक असमानता
      • 3 जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि
      • 4 बेरोजगारी एवं अर्द्ध बेकारी
      • 5 उत्पादन के निम्न प्रौद्योगिकी
      • 6 पूंजी निर्माण की धीमी गति
      • 7 प्रति व्यक्ति निम्न आय एवं निम्न उपयोग स्तर
      • 8 बढ़ती मुद्रास्फीति एवं आवश्यक वस्तुओं की अपर्याप्त
      • 9 सामाजिक बाधाएं
      • 10 सामाजिक सेवाओं का अभाव

निर्धनता (Poverty)

देश में भारतीय योजना आयोग के मतानुसार निर्धनता के दो कारण अल्प विकास एवं ऐसा मानता है

कुछ लोग निर्धनता के कारणों में बेरोजगारी निम्न उत्पादकता जनसंख्या में विस्फोटक बृद्धि प्राकृतिक प्रकोप पूंजी की कमी प्रेसिकट उत्पादन में धीमी गति से वृद्धि निर्धनों द्वारा खाद्यान्नों के लिए दी जाने वाली कीमतों में वृद्धि कार्यशील जूतों का असमान वितरण अत्यधिक सामाजिक पिछड़ापन तथा सामाजिक बाधाओं का समावेश करते हैं

संक्षेप में भारत में व्यापक गरीबी के प्रमुख कारण इस प्रकार है

1 अल्प विकास

  1. भारत प्राकृतिक साधनों की दृष्टि से संपन्न है किंतु अल्प विकास के कारण उन साधनों का पर्याप्त विदोहन ने होने से उत्पादन आए रोजगार तथा उपभोग का स्तर बहुत नीचा है
  2. और गरीबी का बोलबाला है स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद योजनाबद्ध विकास से भारत स्वयं इस्फुर्ट अर्थव्यवस्था में पहुंच गया है
  3. फिर भी विकास की गति जनसंख्या की विस्फोटक वृद्धि के कारण धीमी है

2 आर्थिक असमानता

  1. भारत में व्याप्त निर्धनता के लिए आर्थिक असमानता भी देश में महत्वपूर्ण कारण है
  2. देश में जो भी विकास हुआ उसका अधिकांश लाभ समृद्ध वर्ग को मिला है
  3. धनी और निर्धनों के मध्य खाई और गहरी हो गई है यद्यपि पिछले कुछ दशकों से 20 सूत्री कार्यक्रम पिछड़े को पहले समन्वित ग्रामीण विकास कार्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास कार्यक्रमों और गरीबी निवारण कार्यक्रमों से आए की निर्धनता ऐसा मानता को कम करके निर्धनता को कम किया गया है
  4. फिर भी धन एवं संपत्ति की समानता अवसर की समानता प्रादेशिक एवं क्षेत्रीय असमानता में निर्धनता बढ़ाने में सहयोग दिया है

3 जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि

  1. भारत की जनसंख्या में 2.5% वार्षिक वृद्धि दर से विस्फोटक वृद्धि ने विकास को बहा दिया है
  2. जनसंख्या में इतनी ऊंची दर से वृद्धि और गरीबों के बड़े परिवार ने उन्हें और अधिक गरीब बनाया है
  3. प्रति व्यक्ति आय एवं उपभोग स्तर बहुत नीचा है यही कारण है
  4. कि लोगों को न्यूनतम जीवन स्तर भी उपलब्ध नहीं हो पाने से वह निर्धनता की रेखा के नीचे जीवन जी रहे हैं

4 बेरोजगारी एवं अर्द्ध बेकारी

  1. भारत में भी बेरोजगारी एवं अर्ध बेकारी प्रमुख कारण है
  2. योजनाबद्ध विकास के अंतर्गत नए रोजगार के लगभग 21.5 करोड अतिरिक्त अवसर बढ़ने के बावजूद देश में निरंतर बढ़ती बेकारी एवं अर्ध बेकारी ने गरीबी को बढ़ाया है
  3. जहां पहली योजना के अंत में रोजगार ओं की संख्या 53लाख थी वहां पांचवी योजना के अंत में बेरोजगारों की संख्या 2.94 करोड़ पहुंच गई
  4. 2000-01 के अंत तक पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या भी लगभग चार करोड़ पहुंच गई थी
  5. 2005-06 तक इसके बढ़कर 6.5 करोड़ होने की अनुमान है ऐसी स्थिति में निर्धनता का बढ़ना एवं बने रहना स्वाभाविक है

5 उत्पादन के निम्न प्रौद्योगिकी

  1. भारत में उत्पादन की परंपरागत और निम्न प्रौद्योगिकी का वर्चस्व भी निर्धनता के लिए उत्तरदाई है
  2. नवीन एवं आधुनिकतम तकनीक के अभाव में उत्पादन और आय में धीमी गति से वृद्धि लोगों को निर्धन बनाए रखने के लिए काफी है
  3. यद्यपि अब योजनाबद्ध विकास के अंतर्गत आधुनिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया जा रहा है
  4. किंतु पूंजी विनियोग में कमी श्रमिकों के विरोध तथा विदेशी विनिमय संकट के साथ-साथ कुशल एवं प्रशिक्षक श्रम की कमी इसमें बाधा है

6 पूंजी निर्माण की धीमी गति

  1. देश में पूंजी के अभाव में देश में औद्योगिकीकरण तेजी से नहीं हो पाया और नहीं उत्पादन की नवीन प्रौद्योगिकी को बल मिला उत्पादन के नीचे स्तर आए और रोजगार की कमी ने बच्चों को हतोत्साहित किया है
  2. और पूंजी निर्माण न होने से गरीबी पुख्ता हुई है यद्यपि पिछले तीन दशकों में आर्थिक विकास ने पूंजी निर्माण की गति तेज की है

7 प्रति व्यक्ति निम्न आय एवं निम्न उपयोग स्तर

  1. निर्धनता का मापदंड आय एवं उपभोग का वांछित न्यूनतम स्तर से भी कम होना है
  2. भारत में बेकारी निम्न उत्पादन एवं राष्ट्रीय आय के निम्न स्तर के कारण प्रति व्यक्ति आय कम है
  3. और परिणामस्वरूप देश में कई लोग वंचित न्यूनतम उपभोग स्तर से भी वंचित हैं यही कारण है
  4. कि जहां 1960 61 मैं लगभग 19 करोड व्यक्ति निर्धनता के रेखा से नीचे थे
  5. वहां 1980 में उनकी संख्या बढ़कर 31.7 करोड़ हो गई है सातवीं योजना के आरंभ में भी 97.3 करोड व्यक्ति निर्धनता की रेखा से नीचे माने गए थे
  6. अब भी लगभग 26 करोड व्यक्ति निर्धनता के रेखा से नीचे हैं

निर्धनता के प्रमुख लक्षण क्या है? - nirdhanata ke pramukh lakshan kya hai?

8 बढ़ती मुद्रास्फीति एवं आवश्यक वस्तुओं की अपर्याप्त

  1. भारत में बढ़ती महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति में कमी से भी गरीबी को बढ़ावा मिला है
  2. आज आदमी अपनी समिति आए से अपने वांछित न्यूनतम जीवन स्तर को भी प्राप्त करने में असमर्थ है
  3. 1960 के मुकाबले औद्योगिक श्रम उपभोग सूचकांक अक्टूबर 1988 पहुंच गया था
  4. यही नहीं 1970-71 के आधार वर्ष में से 20 सामान्य थोक मूल्यों का सूचकांक लगभग चार गुना है
  5. आजकल डालो खाद्य तेलों आदि में भी भारी तेजी का रुख स्थिर आय वाले लोगों को गरीबी के गर्त में धकेल रहा है
  6. देश में खाद्य तेलों डालो शक्कर जैसी अनिवार्य वस्तुओं की उपलब्धता कम होने से जीवन स्तर में गिरावट रही है

9 सामाजिक बाधाएं

भारत में सामाजिक रूढ़िवादिता एवं धार्मिक अंधविश्वास ने कई कुरीतियों को जन्म दिया है

  • विवाह उत्सव मृत्यु भोज आदि कार्यों पर अनुपा तक फिजूलखर्ची ने भारतीय ग्रामीण जनसंख्या को रिंग रस्ता में डुबोया है
  • बच्चों के जन्म को भगवान की देन मानने से जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि हुई है
  • जातिवाद भाग्यवादी ताने लोगों को अकर्मण्य ने बनाया है
  • संयुक्त परिवार प्रथा ने व्यक्तिवाद को हतोत्साहित कर उन्हें पर आश्रित बनाने में योग दिया है
  • श्रम की गतिशीलता में कमी तथा कार्य कुशलता का नीचे स्तर भारत में निर्धनता को बढ़ाने में सहायक रहे हैं
  • धीरे-धीरे शिक्षा के प्रसार सामाजिक उत्थान एवं बढ़ती जागरूकता से लोग दरिद्रता के कुचक्र से बाहर निकल रहे हैं

10 सामाजिक सेवाओं का अभाव

  • भारत में सार्वजनिक वस्तुओं तथा सेवाओं का वितरण अपर्याप्त है
  • जिसके कारण लोग यह सेवाएं तथा वस्तुएं अधिक मूल्य पर निजी वितरकों से क्रय करते हैं
  • फल स्वरुप इनकी आय का एक बड़ा भाग चिकित्सा पेयजल सफाई शिक्षा आदि के क्रय में चला जाता है
  • तथा यह लोग निर्धन ही बने रहते हैं

Related Post

निर्धनता के क्या लक्षण हैं?

खंड 4.2 तथा 4.3 में आपने पढ़ा है कि निर्धनों की पहचान केवल उनकी कम आय और व्यय ही नहीं है। इसके और कई लक्षण भी हैं: जैसे, भूमि, निवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, स्वच्छता आदि के अभाव। साथ ही भेदभावपूर्ण व्यवहार आदि भी निर्धनता का ही एक लक्षण है।

निर्धनता कितने प्रकार के होते हैं?

इस प्रकार, वर्ष 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाला पाँच सदस्यों का परिवार निर्धनता रेखा के नीचे होगा, यदि उसकी आय लगभग 4,080 रुपये प्रतिमाह से कम है। इसी तरह के परिवार को शहरी क्षेत्रों में अपनी मूल आवश्यकताएँ पूरा करने के लिए कम से कम 5,000 रुपये प्रतिमाह की आवश्यकता होगी।

निर्धनता के प्रमुख कारण कौन से हैं?

भारत में निर्धनता के कारण.
अशिक्षा.
उद्योगों की कमी.
सामाजिक कारण.
प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर.
श्रम की मांग और पूर्ति में असंतुलन.
जनसंख्या में तीव्र वृद्धि.
प्राकृतिक प्रकोप.
तकनीकी प्रशिक्षण.

गरीबी की पहचान करने के 2 तरीके क्या है?

अगर किसी व्यक्ति की आय राष्ट्रीय औसत आय के 60 फीसदी से कम है, तो उस व्यक्ति को गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वाला माना जा सकता है। उदाहरण के लिए माध्य निकालने का तरीका। यानी 101 लोगों में 51वां व्यक्ति यानी एक अरब लोगों में 50 करोड़वें क्रम वाले व्यक्ति की आय को औसत आय माना जा सकता है।

निर्धनता का क्या मतलब है?

निर्धनता का अर्थ उस सामाजिक आर्थिक स्थिति से है जिसमें समाज का एक भाग, जीवन, स्वास्थ्य एवं दक्षता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं को जुटा पाने में असमर्थ होता है। जब समाज का बहुत बड़ा भाग न्यूनतम जीवन स्तर से वंचित होकर केवल निर्वाह स्तर पर गुजारा करता है तो उसे व्यापक निर्धनता कहा जाता है।