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निर्धनता (Poverty)देश में भारतीय योजना आयोग के मतानुसार निर्धनता के दो कारण अल्प विकास एवं ऐसा मानता है कुछ लोग निर्धनता के कारणों में बेरोजगारी निम्न उत्पादकता जनसंख्या में विस्फोटक बृद्धि प्राकृतिक प्रकोप पूंजी की कमी प्रेसिकट उत्पादन में धीमी गति से वृद्धि निर्धनों द्वारा खाद्यान्नों के लिए दी जाने वाली कीमतों में वृद्धि कार्यशील जूतों का असमान वितरण अत्यधिक सामाजिक पिछड़ापन तथा सामाजिक बाधाओं का समावेश करते हैं संक्षेप में भारत में व्यापक गरीबी के प्रमुख कारण इस प्रकार है 1 अल्प विकास
2 आर्थिक असमानता
3 जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि
4 बेरोजगारी एवं अर्द्ध बेकारी
5 उत्पादन के निम्न प्रौद्योगिकी
6 पूंजी निर्माण की धीमी गति
7 प्रति व्यक्ति निम्न आय एवं निम्न उपयोग स्तर
8 बढ़ती मुद्रास्फीति एवं आवश्यक वस्तुओं की अपर्याप्त
9 सामाजिक बाधाएंभारत में सामाजिक रूढ़िवादिता एवं धार्मिक अंधविश्वास ने कई कुरीतियों को जन्म दिया है
10 सामाजिक सेवाओं का अभाव
Related Postनिर्धनता के क्या लक्षण हैं?खंड 4.2 तथा 4.3 में आपने पढ़ा है कि निर्धनों की पहचान केवल उनकी कम आय और व्यय ही नहीं है। इसके और कई लक्षण भी हैं: जैसे, भूमि, निवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, स्वच्छता आदि के अभाव। साथ ही भेदभावपूर्ण व्यवहार आदि भी निर्धनता का ही एक लक्षण है।
निर्धनता कितने प्रकार के होते हैं?इस प्रकार, वर्ष 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाला पाँच सदस्यों का परिवार निर्धनता रेखा के नीचे होगा, यदि उसकी आय लगभग 4,080 रुपये प्रतिमाह से कम है। इसी तरह के परिवार को शहरी क्षेत्रों में अपनी मूल आवश्यकताएँ पूरा करने के लिए कम से कम 5,000 रुपये प्रतिमाह की आवश्यकता होगी।
निर्धनता के प्रमुख कारण कौन से हैं?भारत में निर्धनता के कारण. अशिक्षा. उद्योगों की कमी. सामाजिक कारण. प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर. श्रम की मांग और पूर्ति में असंतुलन. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि. प्राकृतिक प्रकोप. तकनीकी प्रशिक्षण. गरीबी की पहचान करने के 2 तरीके क्या है?अगर किसी व्यक्ति की आय राष्ट्रीय औसत आय के 60 फीसदी से कम है, तो उस व्यक्ति को गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिताने वाला माना जा सकता है। उदाहरण के लिए माध्य निकालने का तरीका। यानी 101 लोगों में 51वां व्यक्ति यानी एक अरब लोगों में 50 करोड़वें क्रम वाले व्यक्ति की आय को औसत आय माना जा सकता है।
निर्धनता का क्या मतलब है?निर्धनता का अर्थ उस सामाजिक आर्थिक स्थिति से है जिसमें समाज का एक भाग, जीवन, स्वास्थ्य एवं दक्षता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं को जुटा पाने में असमर्थ होता है। जब समाज का बहुत बड़ा भाग न्यूनतम जीवन स्तर से वंचित होकर केवल निर्वाह स्तर पर गुजारा करता है तो उसे व्यापक निर्धनता कहा जाता है।
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