घरेलू विद्युत् सप्लाई (Domestic Power supply): घरों में दी जाने वाली विद्युत् 220V की a.c. धारा होती है। इसकी आवृत्ति 50Hz होती है, अर्थात् इसकी धुवता (polarity) प्रति सेकण्ड 100 बार बदलती है। एक चक्र में धारा की ध्रुवता (यानी दिशा) दो बार बदलती है। घरों में दी जाने वाली इस धारा को मुख्य-धारा मेन लाइन कहते हैं तथा जिस तार से यह धारा प्रवाहित होती है, उसे मेन्स कहते है। घरों में दी जाने वाली धारा 5A एवं 15A की होती है। 5A की धारा को घरेलू और 15A की धारा पावर लाइन कहते हैं। 5A धारा का उपयोग बल्ब, ट्यूब, रेडियो, T.V. आदि के उपयोग में आता है। 15A की धारा का प्रयोग होटर, आयरन, रेफ्रिजरेटर में होता है। Show घरेलू वायरिंग (Domestic wiring): घरों में दी जाने वाली धारा में तीन प्रकार के तार प्रयोग में लाए जाते हैं, जिन्हें विद्युन्मय या जीवित (Live), उदासीन (Neutral) तथा भू-तार (earth) कहते हैं। विद्युन्मय तार सामान्यतः लाल रंग का, उदासीन तार सामान्यतः काले रंग का और भू-तार सामान्यतः हरे रंग का होता है। विद्युन्मय तार से धारा प्रवाहित होती है, उदासीन तार धारा वापस ले जाती है। घरों में प्राय: दो अलग-अलग परिपथ बनाए जाते हैं एक 5A के उपकरणों के लिए दूसरा 15A के उपकरणों के लिए। भू-तार का संबंध पृथ्वी से होता है, यह एक सुरक्षा का साधन है। प्रत्येक परिपथ में उपकरण को विद्युन्मय एवं उदासीन तारों के बीच जोड़ा जाता है। प्रत्येक उपकरण को संचालित करने के लिए एक स्विच लगा होता है। स्विच हमेशा विद्युन्मय तार में जोड़ा जाता है। विद्युत् फ्यूज तार (Electric Fuse Wire): विद्युत् परिपथों की सुरक्षा के लिए सबसे आवश्यक युक्ति फ्यूज है। फ्यूज ऐसे तार का टुकड़ा होता है, जिसके पदार्थ का गलनांक बहुत कम होता है। जब परिपथ में अतिभारण (overloading) या लघु पथन (short circuiting) के कारण बहुत अधिक धारा प्रवाहित हो जाती है, तब फ्यूज का तार गरम होकर पिघल जाता है। इसके फलस्वरूप परिपथ टूट जाता है और उसमें धारा प्रवाहित होनी बन्द हो जाती है। जिसके कारण परिपथ से जुड़े उपकरण खराब होने से बच जाते हैं। फ्यूज तार सदैव विद्युन्मय तार में जोड़ा जाता है। अच्छे फ्यूज तार टिन का बना होता है। परन्तु सस्ता फ्यूज तार सीसा एवं टिन के मिश्रधातु का बना होता है। फ्यूज तार की मोटाई एवं लम्बाई परिपथ में अधिकाधिक स्वीकृत धारा की मात्रा पर निर्भर करती है। 15A के परिपथ में फ्यूज तार मोटा होता है और उसकी क्षमता 15A की होती है। 5A के परिपथ का फ्यूज तार पतला होता है एवं उसकी क्षमता 5A की होती है। फ्यूज तार हमेशा उचित गेज (रेटिंग) का लगाना चाहिए। कई बार आवश्यक धारा सीमा का तार प्राप्त नहीं होने पर हम उसके स्थान पर ताँबे का तार लगा देते हैं। यह खतरनाक प्रवृत्ति है क्योंकि ऐसा करने से फ्यूज का कोई मतलब नहीं रह जाता। इससे तो विद्युत् परिपथ में फ्यूज की जो भूमिका है वही समाप्त हो जाती है। आजकल फ्यूज के स्थान पर लघु परिपथ विच्छेदक (Miniature Circuit Breakers-MCB) का उपयोग किया जाने लगा है। प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्ट्ज़ होती है अर्थात यह एक सेकेण्ड में 50 बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या प्रत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुँचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है ; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। A simple electric circuit, where current is represented by the letter i. The relationship between the voltage (V), resistance (R), and current (I) is V=IR; this is known as Ohm's law. ISI इकाईएम्पियरI=VR,I=Qt{\displaystyle I={V \over R},I={Q \over t}}आयामI{\displaystyle {\mathsf {I}}}आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है। विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। मात्रात्मक रूप से, आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। इसका SI मात्रक एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे। धारा का परिमाणयुक्ति1 mAमानव को इसका आभास हो पाता है।10 mAप्रकाश उत्सर्जक डायोड100 mAविद्युत का झटका1 Aबल्ब10 A2000 W का हीटर100 Aमोटरगाड़ियों का स्टार्टर मोटर1 kAरेलगाड़ियों की मोटर10 kAऋणात्मक तड़ित100 kAधनात्मक तड़ितकिसी सतह, जैसे किसी तांबे के चालक के खंड (cross-section) से प्रवाहित विद्युत धारा की मात्रा (एम्पीयर में मापी गई) को परिभाषित किया जा सकता है। यदि किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ काट से Q कूलम्ब का आवेश t समय में निकला; तो औसत धारा I=Qt{\displaystyle I={\frac {Q}{t}}}मापन का समय t को शून्य (rending to zero) बनाकर, हमें तत्क्षण धारा i(t) मिलती है : i(t)=dQdt{\displaystyle i(t)={\frac {dQ}{dt}}}I = Q / t (यदि धारा समय के साथ अपरिवर्ती हो)विद्युत धारा की SI इकाई एम्पीयर है। परिपथों की विद्युत धारा मापने के लिए जिस यंत्र का उपयोग करते हैं उसे एमीटर कहते हैं। एम्पीयर की परिभाषा: किसी विद्युत परिपथ में 1 कूलॉम आवेश 1 सेकण्ड में प्रवाहित होता है तो उस परिपथ में विद्युत धारा का मान 1 एम्पीयर होता है। उदाहरणकिसी तार में 10 सेकण्ड में 50 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है तो उस तार में प्रवाहित विद्युत धारा का मान 50 कूलॉम / 10 सेकण्ड = 5 एम्पीयर एक धात्विक तार विद्युत चालन हेतु अनेक तारों में बंटा हुआ तांबे का तार इकाई क्षेत्रफल से प्रवाहित होने वाली धारा की मात्रा को धारा घनत्व (करेंट डेन्सिटी) कहते हैं। इससे J से प्रदर्शित करते हैं। यदि किसी चालक से I धारा प्रवाहित हो रही है और धारा के प्रवाह के लम्बवत उस चालक का क्षेत्रफल A हो तो, धारा घनत्व J=IA{\displaystyle J={\frac {I}{A}}}इसकी इकाई एम्पीयर / वर्ग मीटर होती है। यहाँ यह मान लिया गया है कि धारा घनत्व, चालक के पूरे अनुप्रस्थ क्षेत्रफल पर एक समान है। किन्तु अधिकांश स्थितियों में ऐसा नहीं होता है। उदाहरण के लिये जब ही चालक से बहुत अधिक आवृति की प्रत्यावर्ती धारा (जैसे १ मेगा हर्ट्स की प्रत्यावर्ती धारा) प्रवाहित होती है तो उसके बाहरी सतक के पास धारा घनत्व अधिक होता है तथा ज्यों-ज्यों सतह से भीतर केन्द्र की ओर जाते हैं, धारा घनत्व कम होता जाता है। इसी कारण अधिक आवृति की धारा के लिये मोटे चालक बनाने के बजाय बहुत ही कम मोटाइ के तार बनाये जाते हैं। इससे तार में नम्यता (फ्लेक्सिबिलिटी) भी आती है। ओम के नियम के अनुसार, एक आदर्श प्रतिरोधक में प्रवाहित धारा, विभवान्तर के समानुपाती होती है। दूसरे शब्दों में, I=VR{\displaystyle I={\frac {V}{R}}}जहाँ I धारा, (एम्पीयर में)V विभवांतर, (वोल्ट में)R प्रतिरोध, (ओह्म में)है। विद्युत धारा की दिशा : परम्परागत रूप से धनात्मक आवेश को प्रवाह की दिशा में माना जाता है। अतः इलेक्ट्रानों के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा ही धारा की दिशा है। प्राकृतिक उदाहरण हैं आकाशीय विद्युत या तड़ित (दामिनी) एवं सौर वायु, जो उत्तरीय ध्रुवप्रभा एवं दक्षिणीय ध्रुवप्रभा का कि स्रोत है। धारा का मानवनिर्मित रूप है- धात्वक चालकों में आवेशित इलेक्ट्रॉन का प्रवाह, जैसे शिरोपरि विद्युत प्रसारण तार लम्बे दूरी हेतु, एवं छोटे विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में विद्युत तार। बैटरी के अंदर भी इलैक्ट्रॉन का प्रवाह होता है। विद्युत प्रवाह चुम्बकीय क्षेत्र बनाता है। चुम्बकीय क्षेत्र को चालक तार को घेरे हुए, घुमावदार क्षेत्रीय रेखाओं द्वारा आभासित किया जा सकता है। विद्युत धारा को सीधे एमीटर से मापा जा सकता है। परंतु इस प्रक्रिया में परिपथ को तोड़ना पड़ता है। धारा को बिना परिपथ को तोड़े भी, उसके चुम्बकीय क्षेत्र को माप कर, नापा जा सकता है। ये उपकरण हैं, हॉल प्रभाव संवेदक, करंट क्लैम्प, रोगोव्स्की कुण्डली। घरों में कौन सी विद्युत धारा बहती है?भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्ट्ज़ होती है अर्थात यह एक सेकेण्ड में 50 बार अपनी दिशा बदलती है।
घरों में कितने एंपियर की धारा आती है?घर मे उपयोग होने वाली विद्युत 220 से 240 वोल्ट होती है।
1 विद्युत धारा क्या है?विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। मात्रात्मक रूप से, आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। इसका SI मात्रक एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे।
4 विद्युत धारा का SI मात्रक क्या है?Solution : विद्युत धारा का SI मात्रक ऐम्पियर है।
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