हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग लंका सिगरी जल गई रे निशाचर भाग में कौन सा रस है? - hanumaan kee poonchh mein lagan na paee aag lanka sigaree jal gaee re nishaachar bhaag mein kaun sa ras hai?

हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निसाचर भाग।।'इसमें अलंकार है?

  1. उत्प्रेक्षा
  2. उपमा
  3. रूपक
  4. अतिशयोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अतिशयोक्ति

Free

10 Questions 10 Marks 6 Mins

उपरोक्त पंक्तियों में 'अतिशयोक्ति' अलंकार है। 

हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग लंका सिगरी जल गई रे निशाचर भाग में कौन सा रस है? - hanumaan kee poonchh mein lagan na paee aag lanka sigaree jal gaee re nishaachar bhaag mein kaun sa ras hai?
Key Points

हनुमान की पूंछ में, लगन न पायी आग। 

सिगरी लंका जरि गई, चले निसाचर भाग। । 

  •  उपरोक्त पंक्ति में हनुमान द्वारा लंका जलाने की घटना का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, इसलिए अतिशयोक्ति अलंकार है। 
  •  जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है। 

हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग लंका सिगरी जल गई रे निशाचर भाग में कौन सा रस है? - hanumaan kee poonchh mein lagan na paee aag lanka sigaree jal gaee re nishaachar bhaag mein kaun sa ras hai?
Additional Information

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उपमा

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

सागर-सा गंभीर हृदय हो,

गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन।

रूपक 

रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है। 

इसके सांग रूपक, अभेद रुपक, तद्रूप रूपक, न्यून रूपक, परम्परित रूपक आदि अनेक भेद हैं।

“उदित उदयगिरी मंच पर रघुबर बाल पतंग,

बिकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भृंग |”

उत्प्रेक्षा

उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात।

मनहु नीलमणि सैल  पर, आवत परयो प्रभात।

अन्य अलंकार- 

  • उल्लेख अलंकार - जब एक ही वस्तु का अनेक व्यक्तियों द्वारा अनेक प्रकार से वर्णन होता है, वहाँ 'प्रथम उल्लेख अलंकार' होता है।
  • व्यतिरेक अलंकार - जहाँ कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई जाए वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
  • निदर्शना अलंकार - जब उपमेय और उपमान के वाक्यों में भिन्नता होते हुए भी, एक दूसरे से ऐसा सम्बन्ध स्थापित हुआ हो की उनमें समानता दिखाई पड़े, वहाँ निदर्शना अलंकार होता है।

हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग लंका सिगरी जल गई रे निशाचर भाग में कौन सा रस है? - hanumaan kee poonchh mein lagan na paee aag lanka sigaree jal gaee re nishaachar bhaag mein kaun sa ras hai?
Important Points

अलंकार

अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है।

जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार

काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार

Last updated on Oct 28, 2022

DSSSB JE Tier II Admit Card Out on 22nd November 2022! Earlier, the Delhi Subordinate Services Selection Board (DSSSB) has released the Tier II Exam date for the DSSSB JE Electrical (Post Code (24/21). The exam will be conducted on 28th November 2022 (Monday) from 8:30 A.M. to 10:30 A.M. A total number of 691 candidates will be selected for the post of DSSSB JE. The candidates can check their DSSSB JE Result by following the steps mentioned here. Also, the candidates may have a look at the DSSSB JE Cut-Off from here.

'' हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग, लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग '' इस उक्ति में कौन - सा अलंकार है ?

(00 : 00)

लिखित उत्तर

श्लेष वक्रोक्ति अन्योक्ति काकू वक्रोक्तिअतिशयोक्ति

Answer : D

Solution : प्रस्तुत काव्य पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है। जहाँ किसी वस्तु का बढ़ा चढ़ा कर वर्णन किया जाये अथवा सीमा के बाहर की बात कही जाये, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। यहाँ हनुमान द्वारा अपनी पूँछ से ही लंका दहन करने का अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन है।

हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग लंका सारी जल गई गए निशाचर भाग में कौन सा अलंकार है?

उपरोक्त पंक्तियों में 'अतिशयोक्ति' अलंकार हैहनुमान की पूंछ में, लगन न पायी आग। सिगरी लंका जरि गई, चले निसाचर भाग। । उपरोक्त पंक्ति में हनुमान द्वारा लंका जलाने की घटना का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, इसलिए अतिशयोक्ति अलंकार है

हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग में कौन सा रस है?

Answer: दिघ्र रस है दिए गये पद्यांश मे।

पूंछ में आग जलते देखकर हनुमानजी ने क्या किया?

पूंछ को जलते हुए देखकर हनुमानजी तुरंत ही बहुत छोटे रूप में हो गए। बंधन से निकलकर वे सोने की अटारियों पर जा चढ़े। फिर उन्होंने अपना विशालकाय रूप धारण किया और अट्टहास करते हुए रावण के महल को जलाने लगे।

हनुमान ने लंका में आग कैसे लगाईं?

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब लंकापति रावण ने भगवान हनुमान की पूंछ पर आग लगाई थी तो उन्होंने पूरी लंका में आग लगा दी थी। इसके बाद हनुमान जी ने इस चोटी पर ही अपनी पूंछ की आग बुझाई थी।