हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निसाचर भाग।।'इसमें अलंकार है?
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Answer (Detailed Solution Below)Option 4 : अतिशयोक्ति Free 10 Questions 10 Marks 6 Mins उपरोक्त पंक्तियों में 'अतिशयोक्ति' अलंकार है। Key Points हनुमान की पूंछ में, लगन न पायी आग। सिगरी लंका जरि गई, चले निसाचर भाग। ।
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अन्य अलंकार-
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Last updated on Oct 28, 2022 DSSSB JE Tier II Admit Card Out on 22nd November 2022! Earlier, the Delhi Subordinate Services Selection Board (DSSSB) has released the Tier II Exam date for the DSSSB JE Electrical (Post Code (24/21). The exam will be conducted on 28th November 2022 (Monday) from 8:30 A.M. to 10:30 A.M. A total number of 691 candidates will be selected for the post of DSSSB JE. The candidates can check their DSSSB JE Result by following the steps mentioned here. Also, the candidates may have a look at the DSSSB JE Cut-Off from here. '' हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग, लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग '' इस उक्ति में कौन - सा अलंकार है ?(00 : 00) लिखित उत्तर श्लेष वक्रोक्ति अन्योक्ति काकू वक्रोक्तिअतिशयोक्ति Answer : D Solution : प्रस्तुत काव्य पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है। जहाँ किसी वस्तु का बढ़ा चढ़ा कर वर्णन किया जाये अथवा सीमा के बाहर की बात कही जाये, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। यहाँ हनुमान द्वारा अपनी पूँछ से ही लंका दहन करने का अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन है। हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग लंका सारी जल गई गए निशाचर भाग में कौन सा अलंकार है?उपरोक्त पंक्तियों में 'अतिशयोक्ति' अलंकार है। हनुमान की पूंछ में, लगन न पायी आग। सिगरी लंका जरि गई, चले निसाचर भाग। । उपरोक्त पंक्ति में हनुमान द्वारा लंका जलाने की घटना का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, इसलिए अतिशयोक्ति अलंकार है।
हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग में कौन सा रस है?Answer: दिघ्र रस है दिए गये पद्यांश मे।
पूंछ में आग जलते देखकर हनुमानजी ने क्या किया?पूंछ को जलते हुए देखकर हनुमानजी तुरंत ही बहुत छोटे रूप में हो गए। बंधन से निकलकर वे सोने की अटारियों पर जा चढ़े। फिर उन्होंने अपना विशालकाय रूप धारण किया और अट्टहास करते हुए रावण के महल को जलाने लगे।
हनुमान ने लंका में आग कैसे लगाईं?पौराणिक कथाओं के अनुसार जब लंकापति रावण ने भगवान हनुमान की पूंछ पर आग लगाई थी तो उन्होंने पूरी लंका में आग लगा दी थी। इसके बाद हनुमान जी ने इस चोटी पर ही अपनी पूंछ की आग बुझाई थी।
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