प्रेम का धागा क्यों नहीं तोडना चाहिए? - prem ka dhaaga kyon nahin todana chaahie?

इस दोहे के माध्यम से रहीम कहना चाहते हैं कि हमें प्रेम के संबंध नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि एक बार ऐसा होने पर वह प्रेम पहले जैसा नहीं रह जाता और एक प्रकार की कड़वाहट रिश्ते में आ जाती है। जिस प्रकार से कोई धागा तोड़ने पर हो जाता है वैसे ही एक प्रेम संबंध वाले रिश्ते की भी दशा हो जाती है। अगर आप उस धागे को दोबारा जोड़ने का प्रयास करें तो एक गांठ पड़ जाती है, वैसे ही अगर आप प्रेम संबंध वाले रिश्ते को जोड़ने का प्रयास करें तो वह जुड़ तो जाएगा परंतु उसमें वह पहली वाली मिठास नहीं रह जाएगी और ना ही पहले वाला प्रेम रह जाएगा।

Advertisements

रहीम का कहना है कि हमें इसलिए ऐसे संबंध को नहीं तोड़ना चाहिए जिसमे अत्यंत प्रेम हो तथा एक दूसरे के लिए कुछ अच्छा करने की भावना हो। आज के जमाने में ऐसे रिश्ते बहुत मुश्किल से मिलते हैं और बनते हैं। किसी भी प्रेम संबंध को स्थापित होने में काफी वर्ष लगते हैं जिसमें आप दोनों एक दूसरे को ऊपर इस तरीके से आश्रित हो जाते हैं जैसे कि आपको उनको छोड़कर दुनिया में किसी के ऊपर भरोसा नहीं। यहां पर ऐसे ही प्रेम संबंध की बात हो रही है जिसके टूटने पर दोनों ही पक्ष के लोगों को पीड़ा होती है।

ऐसे ही प्रेम संबंध को तोड़ने पर ना ही सिर्फ पीड़ा का अनुभव होता है बल्कि ऐसे प्रेम संबंध को दोबारा जोड़ना भी बहुत मुश्किल होता है और अगर आप ऐसा करने में कामयाब भी होते हैं तब भी वह पहले वाली बात नहीं रह जाती। पहले जो आप दोनों पक्ष एक दूसरे के ऊपर जितना भरोसा कर लेते थे अब वह आप नहीं कर पाएंगे, अब वह पहले वाली मिठास नहीं रह जाएगी और आपके मजबूत रिश्ते में एक प्रकार की गांठ पड़ जाएगी।

यह भी जरूरत पढ़ें

जो रहीम उत्तम प्रकृति का अर्थ एवं व्याख्या

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून व्याख्या

ऐसी वाणी बोलिए ( अर्थ एवं व्याख्या ) संत कबीर दास के दोहे

कस्तूरी कुंडल बसे दोहे का अर्थ एवं व्याख्या

Advertisements

रूठे सुजन मनाइए दोहे की व्याख्या ( रहीम के दोहे )

उदाहरण के लिए

अगर आपका ऐसा कोई मित्र है जिससे आपकी पिछले 10 वर्षों से घनिष्ठ मित्रता है और आपके बीच ऐसा कभी कुछ नहीं हुआ जिससे किसी प्रकार की रिश्ते में कड़वाहट आए या फिर दोस्ती तोड़ने की नौबत आए। परंतु कुछ ऐसा होता है कि आपका मित्र आपको कोई बहुत बड़ा धोखा देता है जिससे आपको मानसिक, आर्थिक तथा अन्य स्तरों पर बहुत बड़ी हानि पहुंचती है और उससे सिर्फ आप ही नहीं बल्कि आपका परिवार भी हताहत होता है। तो ऐसे में आप क्या करेंगे, आप निश्चित ही उससे रिश्ता तोड़ लेंगे और आपको यह करना भी चाहिए।

यहां पर उस मित्र की ओर से सोचते हैं

अगर वह ऐसा नहीं करता तो आप दोनों की मित्रता कायम रहती और वह एक ऐसा मित्र नहीं खोता जिससे वह किसी भी वक्त सहायता मांग सकता था। परंतु अब उसने अपने जीवन में एक ऐसा प्रेम संबंध खो दिया है जिसे वह दोबारा अब नहीं बना सकता क्योंकि 10 वर्षों की मित्रता इतनी आसानी से नहीं बनती। और अगर वह किसी तरीके से आप से संबंध सही करने में कामयाब भी होता है तो भी आप कभी उसके ऊपर दोबारा विश्वास नहीं कर पाएंगे और आपके रिश्ते में कभी वह मिठास नहीं आ पाएगी जो पहले हुआ करती थी।

निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका आशय स्पष्ट कीजिये।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।


प्रेम का धागा संबंधों को जोड़ता है इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए रहीम जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को झटके से नहीं तोड़ना चाहिए। अगर इसमें एक बार गाँठ पड़ जाती है तो यह फिर नहीं जुड़ता और अगर जुड़ता भी है तो इसमें गाँठ पड़ जाती है अर्थात् प्रेम सम्बन्ध कठिनाई से बनते हैं। जब एक बार बन जाते है तो उन्हें यत्नपूर्वक संभाल लेना चाहिए। प्रेम संबंधों के टूट जाने पर उनमें पहले जैसा स्नेह नहीं रहता। उसमें खिंचाव बना रहता है।

प्रेम रूपी धागा यदि एक बार टूट जाए तो क्या होता है?

यदि एक बार यह लगाव या विश्वास टूट जाए तो फिर उसमें पहले जैसा भाव नहीं रहता। मन में दरार आ जाती है। जिस प्रकार सामान्य धागा टूटने पर उसे जब जोड़ते हैं तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। इसी प्रकार प्रेम का धागा भी टूटने पर पहले के समान नहीं हो पाता।

कवि रहीम के अनुसार प्रेम का धागा क्यों नहीं तोडना चाहिए?

प्रेम के धागे को कभी तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि यह यदि एक बार टूट जाता है तो फिर दुबारा नहीं जुड़ता है और यदि जुड़ता भी है तो गांठ तो पड़ ही जाती है।

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय टूटे से फिर ना जुड़े जुड़े गाँठ पड़ जाय दोहे में गाँठ पड़ना का क्या अर्थ है?

टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय. अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नही होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है, तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.

धागे में गांठ पड़ने का क्या अर्थ है?

जुड़ने पर गांठ पड़ जाने का क्या अर्थ है? प्रेम के धागे टूटकर नहीं जुड़ते यानि एक बार जब किसी रिश्ते में दरार पड़ जाए तब वह पहले की तरह नहीं रह पाता हैगांठ पड़ने का यही अर्थ है। भरोसा टूटने के बाद दोबारा फिर वह बात नहीं रहती जो पहले होती है