इतिहास में अभिलेखों का क्या महत्व है? - itihaas mein abhilekhon ka kya mahatv hai?

इतिहास लेखन में अभिलेखों का क्या महत्व है

इतिहास में अभिलेखों का क्या महत्व है? - itihaas mein abhilekhon ka kya mahatv hai?

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प्रश्न :  इतिहास लेखन में अभिलेखों के महत्व का उल्लेख करें ? अथवा इतिहास लेखन में अभिलेखों का क्या महत्व है

 उत्तर :  वैदिक काल के पश्चात खासकर  मौर्य काल  से पूर्व  मध्यकाल तक  इतिहास लेखन में  अभिलेखों का महत्वपूर्ण स्थान है |  अभिलेखों में तत्कालीन शासक  अपनी उपलब्धियों ,  क्रियाकलाप ,  व्यक्ति एवं राजधर्म  आदि  के बारे में   लिखवाते थे |  मौर्य कालीन शासक अशोक ने  भारत के विभिन्न भागों में पत्थर तथा शिलाओ पर  अभिलेख खुदवाये थे |  अशोक के इन्हीं अभिलेखों के द्वारा  हम सम्राट अशोक के  धम्म , धम्म  प्रचार के उपाय , मानवता की सेवा के विचार आदि को भलीभांति समझ सके हैं | 

किसी भी देश के प्राचीन इतिहास की जानकारी के लिए विभिन्न प्रकार के स्रोतों की आवश्यकता होती है. इन स्रोतों में अभिलेखों का भी बहुत बड़ा महत्व है. अभिलेख, लिखित रूप से प्राप्त प्राचीन काल के जानकारियों को कहा जाता है. ये  लिखित जानकारियां हमें मुख्य रूप से शिलाओं, स्तंभों, भोजपत्रों, ताम्र पत्रों, मंदिर की दीवारों, मूर्तियों आदि पर लिखे मिलते हैं. इन अभिलेखों का नाम भी उनके प्राप्ति स्थान के अनुसार रखे जाते हैं, जैसे कि शीला पर लिखे अभिलेखों को शिलालेख, ताम्रपत्र पर लिखे अभिलेख कुत्ता पर लेख तथा स्तंभों पर लिखे लेख स्तंभ लेख कहा जाता है.

इतिहास में अभिलेखों का क्या महत्व है? - itihaas mein abhilekhon ka kya mahatv hai?

अभिलेख प्राचीन काल के अध्ययन के लिए अत्यंत प्रमाणित और विश्वसनीय स्रोत होते हैं क्योंकि यह समकालीन होते हैं. इनके अध्ययन करने समय तत्कालीन राजा के बारे में उनके राज्य राज्य के विस्तार उनके चरित्र उपलब्धियां आदि की जानकारी मिलती है. बहुत से अभिलेखों से हमें तत्कालीन धार्मिक संस्कृति रीति-रिवाजों की जानकारी मिलती है. भारत में अब तक विभिन्न समय काल के अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं. इनमें से सबसे प्राचीन अभिलेख पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व का पिप्रावा कलश लेख है. इस प्रकार भाव भारत के विभिन्न स्थानों पर अनेक अभिलेख प्राप्त हुए हैं. प्राचीन काल के अभिलेख मुख्यता पाली संस्कृत और प्राकृत भाषा में मिलते हैं. इसके अतिरिक्त बहुत से अभिलेख तमिल, मलयालम, कन्नड़, और तेलुगु भाषा में भी मिले हैं. अधिकांश अभिलेखों की लिपि ब्राह्मी है. बहुत से अभिलेखों के राजाओं ने लिखवाया था. इनमें उनके आदेश, उपलब्धियां, विजय स्मारक, और अधिकारों की जानकारी दी गई है. इन सबसे प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए काफी मदद मिलती है. अब तक का सबसे ज्यादा सम्राट अशोक के द्वारा लिखवाए गए स्तंभ लेख तथा शिलालेख भारत के विभिन्न स्थानों पर पाए गए हैं. सम्राट अशोक के अभिलेख मुख्य रूप से ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में पाई गई है. इस लिपि को दाई से बाई की ओर लिखी जाती थी. सम्राट अशोक के अभिलेखों से हमें उसके व्यक्तित्व, उपलब्धियों आदि के साथ-साथ उस समय की लिपि और भाषा की भी जानकारी मिलती है. सम्राट अशोक के द्वारा लिखे गए अभिलेखों के अलावा बहुत से सामान्य व्यक्तियों में भी जैसे कि कवियों के द्वारा भी लिखे गए अभिलेख मिलते हैं. इन लोगों ने विभिन्न राजवंशों के इतिहास, उनके राज्य की सीमाओं की विस्तार आदि पर बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां दी है. सामान्य व्यक्तियों के अभिलेख मुख्य रूप से मंदिरों और मूर्तियों पर भी पाए जाते हैं. इन पर मंदिर अथवा मूर्ति की स्थापना तिथि, मूर्ति-कला, तत्कालीन भाषा और लिपि आदि की जानकारी मिलती है. सम्राटों की प्रशस्ति में सम्राट समुद्रगुप्त का प्रयाग में अशोक स्तंभ में उत्कीर्ण अभिलेख, कलिंगराज खारवेल की हाथी गुम्फ अभिलेख, गौतमी बालश्री का नासिक अभिलेख, राजा भोज का ग्वालियर अभिलेख, गुप्तसम्राट स्कंदगुप्त का भितरी स्तंभ लेख और नासिक अभिलेख, बंगाल नरेश विजयसेन का देवपाड़ा अभिलेख आदि प्रमुख हैं. 

इसके अतिरिक्त बहुत से विदेशी अभिलेख भी प्राचीन भारत के इतिहास की जानकारी देती है. इनमें एशिया माइनर में बोगाज़कोई का अभिलेख है. इसके अलावा पर्सिपोलस तथा नक्शेरुस्तम के अभिलेखों से भी प्राचीन भारत और ईरान के पारंपरिक संबंधों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती है.

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इतिहास लेखन में अभिलेख को का क्या महत्व है?

अभिलेख पत्थर अथवा धातु जैसी अपेक्षाकृत कठोर सतहों पर उत्कीर्ण किये गये पाठन सामाग्री को कहते है। प्राचीन काल से इसका उपयोग हो रहा है। शासक इसके द्वारा अपने आदेशो को इस तरह उत्कीर्ण करवाते थे, ताकि लोग उन्हे देख सके एवं पढ़ सके और पालन कर सके। आधुनिक युग मे भी इसका उपयोग हो रहा है।

अभिलेख के क्या महत्व है?

अभिलेखों से हमे प्राचीन इतिहास, तात्कालिक परिस्थितियों को जानने में सहायता मिलती है। इन अभिलेखों की सहायता से संबंधित साम्राज्य, राजवंश आदि की सही तिथि और कालक्रम की गणना करने में सहायता मिलती है। ये अभिलेख हमें संबंधित राजवंश में तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक आदि अलग-अलग परिस्थियों को जानने में सहायता मिलती है।

अभिलेखों की इतिहास जानने के स्रोत के रूप में क्या महत्व है?

प्राचीन भारत में राजनीतिक इतिहास के पुनर्निर्माण में अभिलेख अभिलेखों का विशेष महत्व है। इनसे इतिहास की अनेक कडि़यों को जोड़ने में सहायता मिलती है। अभिलेखों के माध्यम से विद्वानों ने उस जानकारी का परिशोधन भी किया है जो उन्हें अन्य साधनों से प्राप्त हुई हैं। इतिहास जहानने का स्त्रोत सर्वाधिक विश्वसनीय है।

अभिलेखागार क्या है इतिहास लेखन में अभिलेखागार के महत्व का परीक्षण कीजिए?

ऐसा स्थान जहां दस्तावेजों और पांडुलिपियों को संग्रहित किया जाता है, उसे अभिलेखागार कहते हैं। अभिलेखागार सार्वजनिक अथवा वैयक्तिक अभिलेखों, पांडुलिपियों, मानचित्रों, पुस्तकों आदि को संरक्षित रखने का एक स्थान है। यह अनमोल कृतियों, पांडुलिपियों और पुरातात्विक महत्व की सामग्रियों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया जाता है।